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Gorakhnath Sabar Mantra for Negative Energy Removal

गोरखनाथ साबर मंत्र: भूत-प्रेत व ऊपरी बाधा से मुक्ति

गोरखनाथ साबर मंत्र भूत-प्रेत, ऊपरी बाधा और बुरी शक्तियों के निवारण के लिए अद्भुत साधना है। इस मंत्र का नियमित जप नकारात्मक शक्तियों को समाप्त कर जीवन में शांति और सुरक्षा प्रदान करता है।

संस्कृत में विनियोग मंत्र व उसका अर्थ

विनियोग मंत्र:

ॐ अस्य श्री गोरखनाथ साबर मंत्रस्य, शिव ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः, गोरखनाथ देवता।
भूत-प्रेत-डायन-योगिनी-बाधा निवारणार्थे जपे विनियोगः।

अर्थ:

इस मंत्र के ऋषि भगवान शिव हैं, छंद अनुष्टुप है, और देवता गोरखनाथ हैं। यह मंत्र भूत-प्रेत, ऊपरी बाधा व डायन योगिनी निवारण हेतु जप करने के लिए है।

दसों दिशाओं का दिग्बंधन मंत्र व अर्थ

दिग्बंधन मंत्र का उपयोग साधना के दौरान सुरक्षा कवच तैयार करने के लिए किया जाता है। यह मंत्र दसों दिशाओं में रक्षा कवच बनाकर नकारात्मक शक्तियों को साधना में हस्तक्षेप करने से रोकता है।

दिग्बंधन मंत्र:

ॐ उत्तराय नमः। ॐ दक्षिणाय नमः। ॐ पूर्वाय नमः। ॐ पश्चिमाय नमः। ॐ ईशानाय नमः। ॐ आग्नेयाय नमः। ॐ नैऋत्याय नमः। ॐ वायव्याय नमः। ॐ ऊर्ध्वाय नमः। ॐ अधोक्षाय नमः।

अर्थ:

  1. उत्तराय नमः: उत्तर दिशा की शक्तियों को नमन और सुरक्षा का निवेदन।
  2. दक्षिणाय नमः: दक्षिण दिशा की शक्तियों का आवाहन और उनसे रक्षा की प्रार्थना।
  3. पूर्वाय नमः: पूर्व दिशा में शांति और सुरक्षा का आवाहन।
  4. पश्चिमाय नमः: पश्चिम दिशा की सभी नकारात्मकताओं से सुरक्षा।
  5. ईशानाय नमः: उत्तर-पूर्व दिशा में देवत्व और सुरक्षा का आह्वान।
  6. आग्नेयाय नमः: दक्षिण-पूर्व में सकारात्मक ऊर्जा की स्थापना।
  7. नैऋत्याय नमः: दक्षिण-पश्चिम दिशा में शत्रु बाधा से रक्षा।
  8. वायव्याय नमः: उत्तर-पश्चिम में सुरक्षा कवच का निर्माण।
  9. ऊर्ध्वाय नमः: ऊपर की दिशा से आने वाली बाधाओं से रक्षा।
  10. अधोक्षाय नमः: नीचे की दिशा से किसी भी नकारात्मक शक्ति से सुरक्षा।

महत्व:

यह मंत्र दसों दिशाओं में एक अदृश्य सुरक्षा कवच तैयार करता है, जो साधक को भूत-प्रेत, ऊपरी बाधा और अन्य नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षित रखता है। यह मंत्र साधना को सफल और निर्विघ्न बनाने में सहायक है।

गोरखनाथ साबर मंत्र व उसका संपूर्ण अर्थ

मंत्र:

“हल्दी बाण बाण को लिया उठाय, हल्दी बाण से नीलगिरी पहाड़ थर्राय, यह सब देख बोलत गोरखनाथ, डायन योगिनी भूत प्रेत मुंड काटोतान्।”

अर्थ:

इस मंत्र में गोरखनाथ की शक्ति का आह्वान किया गया है, जो सभी नकारात्मक शक्तियों को नियंत्रित और नष्ट कर देती है।

जप काल में इन चीजों का सेवन बढ़ाएं

गोरखनाथ साबर मंत्र की साधना के दौरान आहार और जीवनशैली पर विशेष ध्यान देना आवश्यक है। यह न केवल साधना को प्रभावी बनाता है बल्कि मानसिक और शारीरिक शुद्धता भी बनाए रखता है।

1. गाय का दूध:

गाय का दूध सात्विक आहार है, जो मन को शुद्ध और शांत रखता है। यह साधना के दौरान ऊर्जा बनाए रखने में सहायक है।

2. गंगाजल:

गंगाजल का सेवन और छिड़काव साधना स्थल को पवित्र बनाता है। यह सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।

3. फल:

साधना के समय फलों का सेवन शरीर को हल्का और शुद्ध रखता है। यह मन को एकाग्र करने में मदद करता है।

4. शुद्ध जल:

भरपूर मात्रा में पानी पीना शरीर और मन को शुद्ध और स्वस्थ बनाए रखता है। साधना के दौरान डिटॉक्सिफिकेशन के लिए पानी महत्वपूर्ण है।

5. सूखे मेवे:

बादाम, किशमिश और अखरोट जैसे सूखे मेवे ऊर्जा का अच्छा स्रोत हैं। ये साधना के दौरान शारीरिक और मानसिक ताकत बढ़ाते हैं।

6. हल्का सात्विक भोजन:

सात्विक आहार जैसे खिचड़ी, सब्जी, और चपाती साधना के समय उचित आहार हैं। ये मन और शरीर को स्थिर रखते हैं।

क्यों जरूरी है इनका सेवन?

  • सात्विक भोजन साधना के लिए उपयुक्त वातावरण तैयार करता है।
  • नकारात्मक शक्तियों से रक्षा और सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखने में मदद करता है।
  • साधना के दौरान मन और शरीर को संतुलित और शुद्ध रखता है।

गोरखनाथ साबर मंत्र के लाभ (भूत-प्रेत व ऊपरी बाधा से मुक्ति)

  1. भूत-प्रेत बाधा से मुक्ति।
  2. ऊपरी हवा का निवारण।
  3. डायन और योगिनी से रक्षा।
  4. पारिवारिक शांति।
  5. मानसिक शुद्धता।
  6. आध्यात्मिक शक्ति में वृद्धि।
  7. रोगों का निवारण।
  8. नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा।
  9. आत्मबल में वृद्धि।
  10. शत्रु रूपी बाधा से छुटकारा।
  11. घर में सकारात्मक ऊर्जा।
  12. परिवार की सुरक्षा।
  13. व्यापार में सफलता।
  14. साधना में सफलता।
  15. ग्रहों की शांति।
  16. शुभ कार्यों में सफलता।
  17. मानसिक तनाव से मुक्ति।
  18. आध्यात्मिक जागरण।

पूजा सामग्री

  • कच्ची हल्दी।
  • सरसों के तेल का दीपक।
  • धूप व दीप।
  • लाल वस्त्र।
  • पूजा के लिए आसन (लकड़ी का पट्टा या कुशासन)

गोरखनाथ साबर मंत्र की विधि

शनिवार, अमावस्या या ग्रहण के दिन से साधना करें। साधना के बाद कच्ची हल्दी से 11 बार रोगी के ऊपर एंटीक्लॉक वाइज घुमाएं और हल्दी पानी में विसर्जित करें।

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मंत्र जप के नियम

  1. 20 वर्ष की उम्र से ऊपर।
  2. स्त्री-पुरुष दोनों कर सकते हैं।
  3. नीले और काले कपड़े न पहनें।
  4. धूम्रपान, मद्यपान व मांसाहार न करें।
  5. ब्रह्मचर्य का पालन करें।

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मंत्र जप के दौरान सावधानियां

  1. साधना के समय एकांत में रहें।
  2. साधना के बीच ध्यान भंग न करें।
  3. अनुष्ठान के समय मोबाइल फोन बंद रखें।

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गोरखनाथ साबर मंत्र से संबंधित प्रश्न व उत्तर

प्रश्न 1: गोरखनाथ साबर मंत्र कब जपना चाहिए?

उत्तर: शनिवार, अमावस्या या ग्रहण के दिन जपना श्रेष्ठ है।

प्रश्न 2: क्या महिलाएं यह मंत्र जप सकती हैं?

उत्तर: हां, स्त्रियां भी इसे जप सकती हैं।

प्रश्न 3: क्या मंत्र जप के दौरान विशेष वस्त्र पहनने चाहिए?

उत्तर: लाल या सफेद वस्त्र पहनें; काले-नीले कपड़े न पहनें।

प्रश्न 4: मंत्र कितनी बार जपें?

उत्तर: प्रतिदिन 20 मिनट तक 7 दिन जप करें।

प्रश्न 5: क्या इस मंत्र का प्रयोग किसी भी बाधा के लिए किया जा सकता है?

उत्तर: हां, यह सभी प्रकार की ऊपरी बाधाओं के लिए प्रभावी है।

प्रश्न 6: क्या इस मंत्र का जप किसी विशेष स्थान पर करना चाहिए?

उत्तर: एकांत, शांत और शुद्ध स्थान उपयुक्त है।

प्रश्न 7: क्या कच्ची हल्दी अनिवार्य है?

उत्तर: हां, यह साधना का मुख्य हिस्सा है।

प्रश्न 8: क्या ग्रहण के दौरान जप करना लाभकारी है?

उत्तर: हां, ग्रहण काल में किया गया जप अत्यधिक प्रभावी होता है।

प्रश्न 9: क्या साधना में दीपक आवश्यक है?

उत्तर: हां, सरसों के तेल का दीपक जलाना आवश्यक है।

प्रश्न 10: मंत्र का असर कितने समय में दिखता है?

उत्तर: नियमित जप के 7 दिन में असर दिखने लगता है।

प्रश्न 11: क्या यह मंत्र शत्रु बाधा निवारण के लिए उपयोगी है?

उत्तर: हां, यह शत्रु बाधा को भी समाप्त करता है।

प्रश्न 12: क्या इसे बार-बार जप सकते हैं?

उत्तर: हां, आवश्यकता अनुसार पुनः जप कर सकते हैं।

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