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Gupt Navratri 2025 – Transform Your Life with Devotion

गुप्त नवरात्री 2025: एक आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत

गुप्त नवरात्री 2025 माघ माह मे आने वाला एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक पर्व है, जिसमें साधक विशेष रूप से गुप्त साधनाओं और देवी उपासना से जीवन को धन्य बनाते हैं। यह पर्व आत्मा की शुद्धि और विशेष सिद्धियों की प्राप्ति के लिए जाना जाता है। इस दौरान देवी के नौ स्वरूपों की पूजा गुप्त तरीके से की जाती है।


शुभ मुहूर्त

गुप्त नवरात्री 2025 का प्रारंभ शुभ तिथि और समय में होता है। इस पर्व का महत्व तभी अधिक होता है जब इसे सही मुहूर्त में शुरू किया जाए।

  • आरंभ तिथि : 30 जनवरी 2025
  • समाप्ति तिथि: 07 फरवरी 2025
  • घट स्थापना मुहूर्त: सुबह 9 बजकर 25 मिनट से लेकर 10 बजकर 46 मिनट तक

कौन-सी देवी की पूजा करें?

गुप्त नवरात्री में देवी महाकाली, तारा और छिन्नमस्ता जैसे गुप्त रूपों की उपासना की जाती है। यह साधना गुप्त रहकर ही की जाती है, जिससे साधक विशेष सिद्धियां और आशीर्वाद प्राप्त करता है। साधना में मंत्रों का उच्चारण और ध्यान का विशेष महत्व है। इस मुहुर्थ मे महाविद्याओं की पूजा साधना ज्यादा शुभ है।

दस महाविद्या मंत्र 

  • काली- ॥ॐ क्रीं कालिके नमः॥
  • तारा- ॥ॐ स्त्रीं तारे तुतारे नमः॥
  • त्रिपुर सुंदरी- ॥ॐ श्रीं त्रिपुर सुंदरे नमः॥
  • भुवनेश्वरी- ॥ॐ ह्रीं भुवनेश्वरी क्लीं नमः॥
  • भैरवी – ॥ॐ भ्रं त्रिपुर भैरवी नमः॥
  • छिन्नमस्ता- ॥ॐ हूं छिन्नमस्ते नमः॥
  • धूमावती- ॥ॐ धूं धूमावते नमः॥
  • बगलामुखी- ॥ॐ ह्ल्रीं बगलामुखे नमः॥
  • मातंगी- ॥ॐ क्लीं मातंगेश्वरी नमः॥
  • कमलात्मिका – ॥ॐ श्रीं कमलेश्वरी क्लीं नमः॥

अद्भुत लाभ

  1. आत्मिक शुद्धि और आंतरिक शांति प्राप्त होती है।
  2. भौतिक और आध्यात्मिक बाधाओं का अंत होता है।
  3. साधक को अद्भुत सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।
  4. इच्छाओं की पूर्ति होती है।
  5. मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
  6. परिवार में समृद्धि आती है।
  7. ग्रह दोषों का निवारण होता है।
  8. जीवन में स्थिरता और सफलता मिलती है।
  9. मानसिक तनाव समाप्त होता है।
  10. आध्यात्मिक ज्ञान और सिद्धियों की प्राप्ति होती है।
  11. रोग और शारीरिक समस्याओं का निवारण होता है।
  12. दांपत्य जीवन में सुख-शांति रहती है।
  13. आर्थिक उन्नति के मार्ग प्रशस्त होते हैं।
  14. समाज में मान-सम्मान बढ़ता है।
  15. जीवन में चमत्कारिक परिवर्तन आते हैं।

Panchanguli sadhana shivir


गुप्त नवरात्री के पालन के नियम

  1. व्रत का पालन पूर्ण संयम और श्रद्धा से करें।
  2. गुप्त रूप से पूजा और साधना करें।
  3. ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  4. प्रातः और संध्या समय में पूजा करें।
  5. सात्विक भोजन का ही सेवन करें।
  6. शराब और तामसिक चीजों का त्याग करें।
  7. देवी के मंत्रों का जाप करें।
  8. हवन और अनुष्ठान में भाग लें।
  9. क्रोध और लोभ से बचें।
  10. गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करें।
  11. साधना के दौरान मौन व्रत का पालन करें।
  12. ध्यान और साधना के लिए एकांत स्थान का चयन करें।

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गुप्त नवरात्री से जुड़े सामान्य प्रश्न

  • गुप्त नवरात्री क्या है?
    गुप्त नवरात्री एक ऐसा पर्व है जिसमें साधक गुप्त रूप से देवी की आराधना करते हैं।
  • इसकी शुरुआत कब हुई थी?
    गुप्त नवरात्री का उल्लेख प्राचीन ग्रंथों में मिलता है, जो महाकाली साधना से जुड़ा है।
  • क्या गुप्त नवरात्री में व्रत करना जरूरी है?
    हां, व्रत रखने से साधक की साधना अधिक प्रभावशाली होती है।
  • साधना के लिए कौन से मंत्रों का जाप करें?
    महाकाली, तारा और दुर्गा के गुप्त मंत्रों का जाप करें।
  • क्या यह पर्व सभी के लिए है?
    हां, कोई भी श्रद्धालु इसे कर सकता है।
  • क्या गुप्त नवरात्री में देवी की मूर्ति का उपयोग किया जा सकता है?
    हां, साधना के लिए छोटी मूर्ति या चित्र का उपयोग कर सकते हैं।
  • क्या इस दौरान भोजन करना वर्जित है?
    सात्विक भोजन ही ग्रहण करें।
  • क्या गुप्त नवरात्री में पूजा का समय निश्चित है?
    सुबह और शाम का समय सबसे उत्तम होता है।
  • क्या गुप्त नवरात्री में मंत्र दीक्षा जरूरी है?
    हां, दीक्षा से साधना का प्रभाव बढ़ता है।
  • क्या महिलाएं इस पर्व का पालन कर सकती हैं?
    हां, महिलाएं भी इसे पूरी श्रद्धा से कर सकती हैं।
  • गुप्त नवरात्री का सबसे बड़ा लाभ क्या है?
    आध्यात्मिक जागृति और आत्मा की शुद्धि।
  • क्या गुप्त नवरात्री में किसी गुरु का मार्गदर्शन जरूरी है?
    हां, गुरु के मार्गदर्शन से साधना अधिक प्रभावी होती है।

अंत मे

गुप्त नवरात्री 2025 साधकों के लिए आत्मा की गहराइयों तक पहुंचने का एक अनमोल अवसर है। इस पर्व में देवी की गुप्त साधना से साधक न केवल अपनी इच्छाओं की पूर्ति कर सकते हैं, बल्कि जीवन में अद्भुत सफलता और शांति भी प्राप्त कर सकते हैं। श्रद्धा, संयम और समर्पण के साथ यह पर्व मनाएं और देवी का आशीर्वाद प्राप्त करें।

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