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Padmavati Yakshini Mantra – Path to Prosperity & Peace

पद्मावती यक्षिणी मंत्र: सुख, समृद्धि और शांति का मार्गदर्शन

पद्मावती यक्षिणी मंत्र एक दिव्य साधना है, जो भौतिक सुख, रोग प्रतिरोधक क्षमता, पारिवारिक शांति, मित्रता और आर्थिक उन्नति प्रदान करता है। यह मंत्र जीवन के हर पहलू को संवारने में मदद करता है और साधक के मनोबल को बढ़ाता है। इस मंत्र की साधना से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर होता है।


विनियोग मंत्र व अर्थ

“ॐ अस्य श्री पद्मावती यक्षिणी मंत्रस्य, ब्रह्मा ऋषिः, गायत्री छन्दः, पद्मावती देवता।
धर्मार्थ काममोक्ष सिद्धये जपे विनियोगः।”

अर्थ:

यह विनियोग मंत्र साधना प्रारंभ करने के लिए उपयोग किया जाता है। इसमें ऋषि, छंद, देवता और साधना के उद्देश्य का उल्लेख होता है। यह मंत्र साधक के मन को केंद्रित करता है और जप की दिशा में ऊर्जा का प्रवाह सुनिश्चित करता है।


दसों दिशाओं का दिग्बंधन मंत्र और उसका अर्थ

दिग्बंधन मंत्र

ॐ ह्रीं श्रीं अष्टदिक्पालाय नमः।

ॐ पूर्वाय नमः। ॐ आग्नेयाय नमः। ॐ दक्षिणाय नमः। ॐ नैऋत्याय नमः। ॐ पश्चिमाय नमः। ॐ वायव्याय नमः। ॐ उत्तराय नमः। ॐ ईशानाय नमः। ॐ ऊर्ध्वाय नमः। ॐ अधोमाय नमः।”

मंत्र का अर्थ

यह दिग्बंधन मंत्र साधक को सभी दिशाओं से सुरक्षा प्रदान करता है। इसमें दसों दिशाओं के स्वामियों का आवाहन किया जाता है।

  1. पूर्व (East): सकारात्मक ऊर्जा और ज्ञान की ओर संकेत करता है।
  2. आग्नेय (Southeast): स्वास्थ्य और समृद्धि की सुरक्षा।
  3. दक्षिण (South): भय से मुक्ति और आत्मबल की वृद्धि।
  4. नैऋत्य (Southwest): शत्रुओं से रक्षा।
  5. पश्चिम (West): मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति।
  6. वायव्य (Northwest): मित्रता और शुभ संयोग।
  7. उत्तर (North): धन और समृद्धि का प्रवाह।
  8. ईशान (Northeast): आध्यात्मिक शक्ति और शुद्धता।
  9. ऊर्ध्व (Upwards): दिव्य कृपा और आशीर्वाद।
  10. अधो (Downwards): स्थिरता और नींव का सुदृढ़ होना।

यह मंत्र साधक के चारों ओर एक सुरक्षा कवच तैयार करता है और साधना के दौरान नकारात्मक शक्तियों से बचाता है।


पद्मावती यक्षिणी मंत्र और उसका संपूर्ण अर्थ

मंत्र:

“ॐ ह्रीं क्लीं आगच्छ आगच्छ पद्मिनी स्वाहा।”

मंत्र का संपूर्ण अर्थ:

  1. “ॐ”
    यह दिव्य ध्वनि ब्रह्मांड की ऊर्जा को जागृत करता है। यह ध्यान और शांति का आधार है।
  2. “ह्रीं”
    यह बीज मंत्र है, जो देवी पद्मावती की कृपा और आध्यात्मिक शक्ति को आमंत्रित करता है।
  3. “क्लीं”
    यह आकर्षण और सुरक्षा का बीज मंत्र है। यह साधक की इच्छाओं को पूर्ण करने की शक्ति को जागृत करता है।
  4. “आगच्छ आगच्छ”
    इसका अर्थ है “आइए, आइए।” यह देवी पद्मावती को साधक के समीप बुलाने का विनम्र निमंत्रण है।
  5. “पद्मिनी”
    पद्मिनी का तात्पर्य देवी पद्मावती से है, जो सौंदर्य, समृद्धि और भौतिक सुखों की देवी मानी जाती हैं।
  6. “स्वाहा”
    यह मंत्र का पूर्णता व समर्पण का सूचक है। यह साधक की प्रार्थना को पूर्ण रूप से देवी को समर्पित करता है।

विस्तृत भावार्थ:

यह मंत्र देवी पद्मावती को साधक के जीवन में आमंत्रित करता है। इसका उद्देश्य देवी की कृपा से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का आगमन है। जब साधक पूरी श्रद्धा और नियमपूर्वक इस मंत्र का जप करता है, तो देवी की कृपा से जीवन में सभी प्रकार की बाधाओं का निवारण होता है।

यह मंत्र न केवल साधक को भौतिक सुख प्रदान करता है, बल्कि मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति में भी सहायता करता है।


जप काल में इन चीजों का सेवन अधिक करें

  1. ताजे फल और सब्जियां।
  2. तुलसी और शहद।
  3. बादाम और काजू।
  4. सात्त्विक भोजन।
  5. गुनगुना पानी।

पद्मावती यक्षिणी मंत्र साधना के लाभ

  • आर्थिक उन्नति।
  • पारिवारिक शांति।
  • मित्रता में वृद्धि।
  • मानसिक शांति।
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार।
  • शत्रु बाधा से मुक्ति।
  • आत्मविश्वास में वृद्धि।
  • व्यापार में वृद्धि।
  • कार्यक्षेत्र में सफलता।
  • सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह।
  • गृह क्लेश का अंत।
  • विवाह में आने वाली बाधाओं का निवारण।
  • संतान सुख की प्राप्ति।
  • आध्यात्मिक उन्नति।
  • मानसिक तनाव से मुक्ति।
  • शुभ कार्यों में सफलता।
  • धन और समृद्धि का वास।
  • हर संकट से सुरक्षा।

पूजा सामग्री और मंत्र विधि

आवश्यक सामग्री

  1. दीपक।
  2. पुष्प।
  3. धूप।
  4. लाल वस्त्र।
  5. नारियल।

मंत्र जप विधि

  1. जप का दिन: शुक्रवार।
  2. अवधि: 20 मिनट प्रतिदिन।
  3. मुहूर्त: प्रातःकाल या संध्या।
  4. विधि: स्वच्छ स्थान पर पूर्व की ओर मुख करके बैठें।

मंत्र जप के नियम

  1. साधक की आयु 20 वर्ष से अधिक होनी चाहिए।
  2. स्त्री और पुरुष, दोनों कर सकते हैं।
  3. काले या नीले वस्त्र न पहनें।
  4. धूम्रपान, मद्यपान और मांसाहार से बचें।
  5. ब्रह्मचर्य का पालन करें।

जप सावधानियां

  1. जप के दौरान किसी भी प्रकार की नकारात्मक सोच से बचें।
  2. मंत्र का उच्चारण स्पष्ट और ध्यानपूर्वक करें।
  3. पूजा स्थल को स्वच्छ रखें।

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मंत्र से संबंधित प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1: मंत्र का प्रभाव कितने समय में दिखता है?

उत्तर: नियमित जप करने पर 18 दिनों में परिणाम दिखने लगते हैं।

प्रश्न 2: क्या यह मंत्र सभी के लिए प्रभावी है?

उत्तर: हां, लेकिन साधक को नियमों का पालन करना आवश्यक है।

प्रश्न 3: क्या साधना में कोई विशेष दिन आवश्यक है?

उत्तर: शुक्रवार को जप करना शुभ माना जाता है।

प्रश्न 4: क्या स्त्रियां इस मंत्र का जप कर सकती हैं?

उत्तर: हां, स्त्रियां भी इस मंत्र का जप कर सकती हैं।

प्रश्न 5: क्या मंत्र जप में किसी विशेष समय का पालन करना चाहिए?

उत्तर: प्रातःकाल या संध्या का समय श्रेष्ठ है।

प्रश्न 6: क्या मंत्र जप के लिए किसी गुरु की आवश्यकता है?

उत्तर: नहीं, साधक इसे स्वयं कर सकता है।

प्रश्न 7: क्या नकारात्मक सोच से मंत्र की शक्ति प्रभावित होती है?

उत्तर: हां, सकारात्मक सोच आवश्यक है।

प्रश्न 8: क्या साधना के दौरान उपवास करना अनिवार्य है?

उत्तर: नहीं, लेकिन सात्त्विक भोजन करें।

प्रश्न 9: क्या इस मंत्र से धन संबंधी समस्याएं हल होती हैं?

उत्तर: हां, यह आर्थिक समृद्धि प्रदान करता है।

प्रश्न 10: क्या मंत्र जप में धूप-दीप आवश्यक है?

उत्तर: हां, यह सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाता है।

प्रश्न 11: क्या मंत्र जप के लिए किसी विशेष दिशा का पालन करना चाहिए?

उत्तर: पूर्व दिशा की ओर मुख करके जप करें।

प्रश्न 12: क्या यह मंत्र वैवाहिक समस्याओं का समाधान करता है?

उत्तर: हां, यह वैवाहिक समस्याओं को हल करने में सहायक है।


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