होलाष्टक मे पूजा करे या न करे
होली के ८ दिन पहले होलष्टक मुहुर्थ होता है होलाष्टक में पूजा करना या न करना, यह आपकी व्यक्तिगत आस्था और विश्वास पर निर्भर करता है। होलाष्टक मे पूजा-पाठ छोडकर कोई मांगलिक कार्य नही करने चाहिये।
होलाष्टक में पूजा करने के पक्ष में
- नकारात्मक ऊर्जाओं से बचाव: पूजा नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाने में मदद करती है।
- आध्यात्मिक लाभ: पूजा से मन शांत होता है और आध्यात्मिक प्रगति संभव होती है।
- मनोकामना पूर्ति: मान्यता है कि होलाष्टक में पूजा से इच्छाएं पूर्ण होती हैं।
होलाष्टक में पूजा न करने के पक्ष में
- अशुभ काल: होलाष्टक अशुभ समय माना जाता है, जिससे पूजा का शुभ फल नहीं मिलता।
- विशेष मुहूर्त की आवश्यकता: पूजा के लिए शुभ मुहूर्त जरूरी होता है, जो होलाष्टक में हमेशा नहीं मिलता।
- व्यक्तिगत इच्छा: यदि पूजा में रुचि न हो, तो इसे करना आवश्यक नहीं है।
नतीजा
होलाष्टक में पूजा करना या न करना, यह आपकी इच्छा पर निर्भर करता है। यदि आप पूजा करना चाहते हैं, तो शुभ मुहूर्त का ध्यान रखें और पूजा विधि का पालन करें। यदि आप पूजा करने में सहज नहीं हैं, तो आपको पूजा नहीं करनी चाहिए।
कुछ खास बातें
- होलाष्टक में भगवान विष्णु, शिव और दुर्गा की पूजा करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
- आप घर पर या मंदिर में पूजा कर सकते हैं।
- पूजा करते समय ध्यान और एकाग्रता का ध्यान रखें।
यहां कुछ पूजा विधियां और मंत्र दिए गए हैं
- भगवान विष्णु की पूजा:
- विधि: भगवान विष्णु की मूर्ति को स्नान कराएं, चंदन, फूल और फल अर्पित करें। तुलसी की माला से “ॐ नमो नारायणाय” मंत्र का जाप करें।
- भगवान शिव की पूजा:
- विधि: भगवान शिव की मूर्ति को स्नान कराएं, बेल पत्र, चंदन और फूल अर्पित करें। रुद्राक्ष की माला से “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें।
- माँ दुर्गा की पूजा:
- विधि: माँ दुर्गा की मूर्ति को स्नान कराएं, लाल फूल और फल अर्पित करें। चमेली की माला से “ॐ जय जय जगदम्बे” मंत्र का जाप करें।
ध्यान रखें
- होलाष्टक में मंगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं।
- इस दौरान घर में कोई नया कार्य शुरू नहीं करना चाहिए।