होलिका दहन का त्योहार सनातन काल से फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक रूप में देखा जाता है। होलिका दहन की पूजा विधि विशेष रूप से महत्वपूर्ण होती है और इसे सही तरीके से करना चाहिए। यहाँ होलिका दहन के दिन पूजा करने की विधि बताई गई है:
सामग्री
- लकड़ी और उपले: होलिका दहन के लिए एकत्रित की गई लकड़ियाँ और उपले।
- कपूर: अग्नि प्रज्वलित करने के लिए।
- रक्षा सूत्र: होलिका पूजा के लिए।
- हल्दी और कुमकुम: पूजन सामग्री के रूप में।
- पानी: जल अर्पित करने के लिए।
- गुलाल और रंग: रंगों की पूजा के लिए।
- फल और मिठाई: नैवेद्य के रूप में।
- नारियल: होलिका में अर्पित करने के लिए।
- धूप और दीपक: पूजा के लिए।
पूजा विधि
- स्थान चयन:
- होलिका दहन के लिए एक उपयुक्त स्थान का चयन करें। यह स्थान खुला और साफ होना चाहिए।
- होलिका दहन का स्थान अक्सर गांव या मोहल्ले के बीच में होता है।
- लकड़ी और उपले एकत्रित करें:
- होलिका के लिए लकड़ी और उपलों का ढेर बनाएं। इस ढेर को पिरामिड के आकार में बनाएं।
- होलिका पूजन:
- होलिका पूजन के लिए एक छोटा सा स्थान साफ करें और वहां पर रक्षा सूत्र, हल्दी और कुमकुम रखें।
- पहले रक्षा सूत्र को होलिका के चारों ओर तीन बार लपेटें।
- हल्दी और कुमकुम का तिलक करें और होलिका पर जल छिड़कें।
- पूजन मंत्र:
- होलिका पूजन के दौरान निम्न मंत्र का उच्चारण करें:
ॐ होलिकायै नमः
- नैवेद्य अर्पण:
- होलिका पर फल, मिठाई, और नारियल अर्पित करें।
- इसके बाद होलिका पर गुलाल और रंग अर्पित करें।
- होलिका दहन:
- कपूर जलाकर होलिका में अग्नि प्रज्वलित करें।
- अग्नि प्रज्वलित करते समय होलिका दहन का मंत्र पढ़ें:
हरिं सुलभे क्षेम करो अस्माकं मम सर्वं क्षेमं मम अस्तु।
- प्रदक्षिणा:
- होलिका दहन के बाद परिवार के सभी सदस्य और उपस्थित लोग होलिका की तीन या सात परिक्रमा (प्रदक्षिणा) करें।
- परिक्रमा करते समय ‘हरे राम, हरे कृष्ण’ या अन्य भजन गा सकते हैं।
- प्रसाद वितरण:
- होलिका दहन के बाद सभी को प्रसाद वितरित करें।
होलिका दहन के महत्व और सावधानियाँ
- महत्व:
- होलिका दहन का महत्व बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक रूप में है।
- यह पर्व हिरण्यकश्यप और प्रह्लाद की कहानी से जुड़ा है, जिसमें भक्त प्रह्लाद को उसकी बुआ होलिका से बचाया गया था।
- सावधानियाँ:
- होलिका दहन के समय अग्नि से सावधान रहें।
- बच्चों को होलिका के पास जाने न दें।
- अग्नि बुझाने के साधन पास में रखें।
- होलिका दहन के बाद अग्नि पूरी तरह बुझ जाने के बाद ही उस स्थान को छोड़ें।
होलिका दहन का पर्व एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सामाजिक आयोजन है। इस दिन की पूजा विधि को सही ढंग से करने से सकारात्मक ऊर्जा और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस विधि को अपनाकर आप भी होलिका दहन के दिन का सही लाभ उठा सकते हैं।