Buy now

spot_img
spot_img

Maha Mrtyunjaya Mantra Sadhana – How to perform?

महामृत्युंजय साधना – अकस्मात हादसों से सुरक्षा

महामृत्युंजय साधना एक अत्यंत शक्तिशाली और पवित्र साधना है जो भगवान शिव को समर्पित है। यह साधना जीवन की विभिन्न समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए की जाती है, विशेषकर स्वास्थ्य, दीर्घायु और कल्याण के लिए। इस साधना के मुख्य रूप से भगवान शिव के महामृत्युंजय मंत्र का जप किया जाता है:

मंत्र

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥

OM TRYAMBAKAMM YAJAAMAHE SUGANDHIMM PUSHTHIVARDHANAMM URVAARUKAMIV BANDHANAANMRUTYORMUKSHIYA MAAMRUTAATT

साधना का उद्देश्य

महामृत्युंजय साधना का उद्देश्य मृत्युभय, बीमारियों, और जीवन की विभिन्न समस्याओं से मुक्ति पाना है। इसे ‘मृत्यु को जीतने वाला’ भी कहा जाता है। यह साधना अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली मानी जाती है और इसे करने वाले साधक को भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होते हैं।

साधना की अवधि और दिन

महामृत्युंजय साधना की अवधि और दिन निम्नलिखित हैं:

  1. अवधि: यह साधना 21 दिनों, 40 दिनों, या 108 दिनों तक की जा सकती है, साधक की श्रद्धा और समय के अनुसार।
  2. दिन: यह साधना सोमवार को प्रारंभ करना अत्यंत शुभ माना जाता है, क्योंकि सोमवार भगवान शिव का दिन है। इसके अतिरिक्त, शिवरात्रि के दिन भी यह साधना प्रारंभ की जा सकती है।

महामृत्युंजय साधना सामग्री

  1. भगवान शिव की मूर्ति या चित्र: शिवलिंग या भगवान शिव की मूर्ति या चित्र आवश्यक है।
  2. अष्टगंध: भगवान शिव का अभिषेक करने के लिए अष्टगंध का उपयोग किया जाता है।
  3. बिल्वपत्र: भगवान शिव को अर्पित करने के लिए बिल्वपत्र आवश्यक है।
  4. धूप: पूजा के दौरान धूप जलाना आवश्यक है।
  5. दीपक: एक शुद्ध घी या तेल का दीपक आवश्यक है।
  6. फूल: भगवान शिव को अर्पित करने के लिए ताजे फूलों का उपयोग करें।
  7. पंचामृत: अभिषेक के लिए पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर) तैयार रखें।
  8. गंगाजल: अभिषेक और शुद्धिकरण के लिए गंगाजल आवश्यक है।
  9. रुद्राक्ष माला: मंत्र जप के लिए रुद्राक्ष माला का उपयोग करें।
  10. कपूर: आरती के लिए कपूर आवश्यक है।
  11. शहद: पंचामृत में शहद शामिल करें।
  12. दूध: अभिषेक के लिए ताजे दूध का उपयोग करें।
  13. दही: पंचामृत में दही शामिल करें।
  14. घी: पंचामृत में घी शामिल करें।
  15. शक्कर: पंचामृत में शक्कर शामिल करें।
  16. चंदन: अभिषेक के लिए चंदन आवश्यक है।
  17. तांबे का लोटा: अभिषेक के लिए तांबे का लोटा आवश्यक है।
  18. पुष्पांजलि: भगवान शिव को अर्पित करने के लिए पुष्पांजलि तैयार रखें।
  19. भस्म: भगवान शिव को भस्म अर्पित करें।
  20. जल पात्र: जल अर्पित करने के लिए जल पात्र तैयार रखें।

साधना के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें

  1. स्थान की शुद्धि: साधना स्थल को साफ और पवित्र रखें।
  2. स्वयं की शुद्धि: साधना से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  3. नियमितता: साधना प्रतिदिन एक ही समय पर करें।
  4. ध्यान और एकाग्रता: साधना के दौरान ध्यान और एकाग्रता बनाए रखें।
  5. सात्विक आहार: साधना के दौरान सात्विक आहार का सेवन करें।

महामृत्युंजय साधना सामग्री और विधि के साथ साधना करना भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण तरीका है। इस साधना से साधक को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं।

महामृत्युंजय साधना के लाभ

  1. मृत्यु भय से मुक्ति: यह साधना व्यक्ति को मृत्यु भय से मुक्त करती है।
  2. बीमारियों से रक्षा: साधक को विभिन्न बीमारियों से सुरक्षा मिलती है।
  3. आयु वृद्धि: साधक की आयु लंबी होती है।
  4. स्वास्थ्य लाभ: शरीर और मन दोनों स्वस्थ रहते हैं।
  5. आध्यात्मिक विकास: साधक का आध्यात्मिक विकास होता है।
  6. नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा: साधक नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षित रहता है।
  7. मनोबल में वृद्धि: साधक का मनोबल और आत्मविश्वास बढ़ता है।
  8. शांति और संतोष: मन में शांति और संतोष की भावना आती है।
  9. संकटों से मुक्ति: जीवन के विभिन्न संकटों से मुक्ति मिलती है।
  10. भगवान शिव की कृपा: साधक को भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।
  11. भयमुक्त जीवन: साधक का जीवन भयमुक्त होता है।
  12. कर्मों का शुद्धिकरण: साधक के बुरे कर्मों का शुद्धिकरण होता है।
  13. विपत्तियों का नाश: जीवन की विपत्तियाँ और परेशानियाँ नष्ट होती हैं।
  14. समृद्धि और सम्पन्नता: साधक के जीवन में समृद्धि और सम्पन्नता आती है।
  15. मानसिक स्थिरता: मानसिक स्थिरता और दृढ़ता प्राप्त होती है।
  16. सकारात्मक ऊर्जा: जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  17. परिवार की रक्षा: साधक के परिवार को भी सुरक्षा मिलती है।
  18. धार्मिक जागरूकता: धार्मिक और आध्यात्मिक जागरूकता बढ़ती है।
  19. कर्म सुधार: साधक के कर्मों में सुधार आता है।
  20. सर्वांगीण विकास: साधक का सर्वांगीण विकास होता है।

साधना के उपयोग

  1. स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ: यदि कोई गंभीर बीमारियों से ग्रसित है, तो यह साधना उसे राहत देती है।
  2. मनोवैज्ञानिक समस्याएँ: मानसिक शांति और स्थिरता के लिए भी इस साधना का उपयोग किया जाता है।
  3. आयु वृद्धि: जो लोग दीर्घायु की कामना करते हैं, वे इस साधना का पालन कर सकते हैं।
  4. जीवन में शांति: जीवन की विभिन्न समस्याओं और कठिनाइयों से निपटने के लिए भी इस साधना का उपयोग किया जा सकता है।
  5. परिवार की सुरक्षा: परिवार की सुरक्षा और कल्याण के लिए भी इस साधना का पालन किया जाता है।

Anagha shiva mantra vidhi

साधना के लिए सावधानियाँ

  1. पवित्रता: साधना के समय शारीरिक और मानसिक पवित्रता का ध्यान रखना चाहिए।
  2. संकल्प: साधना आरंभ करने से पहले दृढ़ संकल्प लेना चाहिए।
  3. नियमितता: साधना नियमित रूप से, बिना किसी विघ्न के करनी चाहिए।
  4. समय: प्रतिदिन एक ही समय पर साधना करनी चाहिए।
  5. आहार: सात्विक आहार का पालन करना चाहिए और तामसिक भोजन से बचना चाहिए।
  6. ध्यान और ध्यानावस्था: साधना के दौरान ध्यान और ध्यानावस्था में रहना चाहिए।
  7. व्रत: साधना के दौरान व्रत रखना अत्यंत लाभकारी होता है।
  8. शांति और एकाग्रता: साधना शांतिपूर्ण और एकाग्रचित्त मन से करनी चाहिए।
  9. मंत्र उच्चारण: मंत्र का उच्चारण शुद्ध और स्पष्ट होना चाहिए।
  10. स्थान: साधना का स्थान स्वच्छ और पवित्र होना चाहिए।

Spiritual shop

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. महामृत्युंजय साधना क्या है?

महामृत्युंजय साधना भगवान शिव की एक विशेष साधना है, जिसमें महामृत्युंजय मंत्र का जप किया जाता है। इसका उद्देश्य मृत्यु भय, बीमारियों, और जीवन की विभिन्न समस्याओं से मुक्ति पाना है।

2. महामृत्युंजय मंत्र क्या है?

महामृत्युंजय मंत्र इस प्रकार है:

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥

3. महामृत्युंजय साधना किस दिन शुरू करनी चाहिए?

महामृत्युंजय साधना को सोमवार के दिन शुरू करना सबसे शुभ माना जाता है, क्योंकि यह भगवान शिव का दिन होता है। शिवरात्रि का दिन भी इस साधना को शुरू करने के लिए बहुत शुभ होता है।

4. महामृत्युंजय साधना की अवधि कितनी होनी चाहिए?

साधक अपनी सुविधानुसार 21 दिन, 40 दिन, या 108 दिनों की साधना कर सकते हैं।

5. महामृत्युंजय साधना के लिए कौन-कौन सी सामग्री आवश्यक है?

महामृत्युंजय साधना के लिए भगवान शिव की मूर्ति या चित्र, अष्टगंध, बिल्वपत्र, धूप, दीपक, फूल, पंचामृत, गंगाजल, रुद्राक्ष माला, कपूर, शहद, दूध, दही, घी, शक्कर, चंदन, तांबे का लोटा, पुष्पांजलि, भस्म, और जल पात्र आवश्यक हैं।

6. महामृत्युंजय साधना के लाभ क्या हैं?

महामृत्युंजय साधना के कई लाभ हैं, जैसे मृत्यु भय से मुक्ति, बीमारियों से रक्षा, आयु वृद्धि, स्वास्थ्य लाभ, आध्यात्मिक विकास, नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा, मनोबल में वृद्धि, शांति और संतोष, संकटों से मुक्ति, भगवान शिव की कृपा, भयमुक्त जीवन, कर्मों का शुद्धिकरण, विपत्तियों का नाश, समृद्धि और सम्पन्नता, मानसिक स्थिरता, सकारात्मक ऊर्जा, परिवार की रक्षा, धार्मिक जागरूकता, कर्म सुधार, और सर्वांगीण विकास।

7. क्या महामृत्युंजय साधना के दौरान कोई विशेष आहार लेना चाहिए?

साधना के दौरान सात्विक आहार का सेवन करना चाहिए और तामसिक भोजन से बचना चाहिए।

8. महामृत्युंजय साधना कैसे की जाती है?

साधना के लिए भगवान शिव की मूर्ति या चित्र के सामने बैठकर पंचामृत और गंगाजल से अभिषेक करें, बिल्वपत्र अर्पित करें, धूप और दीपक जलाएं, रुद्राक्ष माला से महामृत्युंजय मंत्र का जप करें, ताजे फूल अर्पित करें, और कपूर जलाकर आरती करें।

9. साधना के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

साधना के दौरान शारीरिक और मानसिक पवित्रता बनाए रखें, नियमित रूप से एक ही समय पर साधना करें, ध्यान और एकाग्रता बनाए रखें, और साधना स्थल को साफ और पवित्र रखें।

10. क्या महामृत्युंजय साधना के लिए कोई विशेष नियम हैं?

हाँ, साधना के दौरान पवित्रता, संकल्प, नियमितता, समय का पालन, सात्विक आहार, ध्यान और ध्यानावस्था, व्रत, शांति और एकाग्रता, मंत्र उच्चारण की शुद्धता, और साधना स्थल की पवित्रता का ध्यान रखना चाहिए।

11. क्या महामृत्युंजय साधना को कोई भी कर सकता है?

हाँ, कोई भी व्यक्ति श्रद्धा और विश्वास के साथ इस साधना को कर सकता है।

12. क्या साधना के दौरान व्रत रखना आवश्यक है?

व्रत रखना लाभकारी होता है, लेकिन यह अनिवार्य नहीं है। साधक अपनी शारीरिक क्षमता और सुविधा के अनुसार व्रत रख सकते हैं।

13. महामृत्युंजय साधना कितनी बार करनी चाहिए?

साधना की अवधि पूरी होने के बाद भी इसे नियमित रूप से करना लाभकारी होता है। साधक अपनी सुविधा के अनुसार इसे नियमित रूप से कर सकते हैं।

14. क्या महामृत्युंजय साधना से सभी समस्याओं का समाधान हो सकता है?

महामृत्युंजय साधना जीवन की विभिन्न समस्याओं को दूर करने में सहायक होती है, लेकिन इसका पूर्ण लाभ प्राप्त करने के लिए श्रद्धा, विश्वास, और नियमितता आवश्यक है।

15. साधना के दौरान मंत्र का उच्चारण कैसे करना चाहिए?

मंत्र का उच्चारण शुद्ध, स्पष्ट और एकाग्रचित्त मन से करना चाहिए। उच्चारण में त्रुटि से बचने के लिए मंत्र का सही ढंग से अभ्यास करें।

16. क्या महामृत्युंजय साधना के लिए गुरु की आवश्यकता होती है?

गुरु का मार्गदर्शन सदैव लाभकारी होता है, लेकिन यदि गुरु उपलब्ध नहीं हैं, तो साधक स्वयं भी इस साधना को कर सकते हैं।

17. साधना के दौरान मन को एकाग्र कैसे रखें?

साधना के दौरान ध्यान और प्राणायाम का अभ्यास करें। मन को एकाग्र रखने के लिए शांत वातावरण में साधना करें।

18. साधना के लिए सबसे अच्छा समय कौन सा होता है?

प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4-6 बजे) साधना के लिए सबसे शुभ समय माना जाता है।

BOOK RUDRABHISHEK PUJAN ON MAHA SHIVRATRI

Please enable JavaScript in your browser to complete this form.
Choose Pujan Option
spot_img
spot_img

Related Articles

65,000FansLike
500FollowersFollow
782,534SubscribersSubscribe
spot_img
spot_img

Latest Articles

spot_img
spot_img
Select your currency