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Janmashtami vrat for Peace & Wealth

सबकी इच्छा पूरी करने वाला जन्माष्टमी एक प्रमुख हिन्दू त्योहार है जो भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व हिन्दू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को आता है। ये श्रीकृष्ण जयंती के नाम से भी जाना जाता है। आइए इस जन्माष्टमी 2024 के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं:

जन्माष्टमी 2024 की तिथि और मुहूर्त

  • तारीख: 26 अगस्त 2024 (सोमवार)
  • निशिता पूजा मुहूर्त: रात्रि 11:54 बजे से 12:39 बजे तक (27 अगस्त 2024)
  • अष्टमी तिथि प्रारंभ: 26 अगस्त 2024, सुबह 12:22 बजे से
  • अष्टमी तिथि समाप्त: 27 अगस्त 2024, सुबह 03:23 बजे तक

मंत्र व उसका संपूर्ण अर्थ

मंत्र: ॐ क्लीं कृष्णाय मम् कार्य सिद्धय नमः

  • ॐ (Om): यह बीज मंत्र है और ब्रह्मांड की मूल ध्वनि का प्रतीक है। यह मंत्र की शुरुआत में उच्चारित होता है और ध्यान, शक्ति और शांति का प्रतिनिधित्व करता है।
  • क्लीं (Kleem): यह भी एक बीज मंत्र है, जिसे काम बीज कहा जाता है। “क्लीं” का अर्थ है आकर्षण, प्रेम, और सफलता की ऊर्जा को जागृत करना। इसे भगवान कृष्ण के साथ जोड़ा जाता है, जो प्रेम, करुणा और आकर्षण के देवता हैं।
  • कृष्णाय (Krishnaya): यह भगवान श्रीकृष्ण के लिए समर्पित शब्द है, जो इस मंत्र के मुख्य देवता हैं। “कृष्णाय” का अर्थ है “भगवान श्रीकृष्ण को” या “श्रीकृष्ण के लिए”।
  • मम् (Mam): इसका अर्थ है “मेरा”। यह शब्द इस बात को दर्शाता है कि यह मंत्र व्यक्तिगत रूप से व्यक्ति के लिए है।
  • कार्य (Karya): इसका अर्थ है “कार्य” या “उद्देश्य”। यह मंत्र आपके द्वारा इच्छित कार्यों और लक्ष्यों की पूर्ति के लिए है।
  • सिद्धय (Siddhaye): इसका अर्थ है “सिद्धि” या “पूर्णता”। यह शब्द मंत्र में यह प्रकट करता है कि आप अपने कार्यों या लक्ष्यों की सिद्धि की प्रार्थना कर रहे हैं।
  • नमः (Namah): इसका अर्थ है “नमन” या “प्रणाम”। यह एक विनम्र अभिव्यक्ति है, जिसका अर्थ है “मैं आपके सामने नतमस्तक हूँ” या “मैं आपको प्रणाम करता हूँ”।

संपूर्ण अर्थ

इस मंत्र का अर्थ है: “मैं भगवान श्रीकृष्ण को प्रणाम करता हूँ, जो आकर्षण और प्रेम के देवता हैं। कृपया मेरे कार्यों और लक्ष्यों की सिद्धि में मेरी सहायता करें।”

यह मंत्र साधना और ध्यान के दौरान, कार्यों में सफलता प्राप्त करने के लिए जप किया जाता है। इसके माध्यम से व्यक्ति भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त करता है और अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।

इस दिन क्या करना चाहिए?

  1. व्रत रखें: आप इस दिन व्रत रख सकते हैं। आप पूरे दिन निर्जल व्रत या फलाहार व्रत कर सकते हैं।
  2. भगवान श्रीकृष्ण का अभिषेक करें: दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से श्रीकृष्ण की मूर्ति का अभिषेक करें।
  3. पूजा करें: पंचामृत, वस्त्र, पुष्प, धूप, दीप, और नैवेद्य अर्पण करें।
  4. भजन और कीर्तन करें: श्रीकृष्ण के भजन और कीर्तन का आयोजन करें।
  5. कथा का श्रवण करें: श्रीकृष्ण के जीवन से जुड़े कथाओं का श्रवण करें।
  6. रात्रि जागरण करें: श्रीकृष्ण की लीलाओं का स्मरण करते हुए रात जागरण करें।
  7. दान-पुण्य करें: इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को दान दें।

लाभ

  1. मानसिक शांति: पूजा से मन को शांति मिलती है।
  2. सकारात्मक ऊर्जा: पूजा से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  3. धन-धान्य की प्राप्ति: पूजा से आर्थिक समृद्धि होती है।
  4. संतान प्राप्ति: भगवान कृष्ण की कृपा से संतान सुख की प्राप्ति होती है।
  5. सुख-समृद्धि: परिवार में सुख-समृद्धि बढ़ती है।
  6. स्वास्थ्य लाभ: पूजा से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  7. विवाह में बाधा दूर होती है: विवाह में आने वाली अड़चनें दूर होती हैं।
  8. जीवन में स्थिरता: जीवन में स्थिरता और संतुलन आता है।
  9. धार्मिक लाभ: धर्म और अध्यात्म की ओर झुकाव बढ़ता है।
  10. कार्य में सफलता: कार्यक्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।
  11. शत्रुओं से मुक्ति: शत्रुओं से सुरक्षा मिलती है।
  12. आध्यात्मिक उन्नति: आत्मा की उन्नति होती है।
  13. सांसारिक मोह से मुक्ति: सांसारिक मोह-माया से मुक्ति मिलती है।
  14. परिवारिक कलह से मुक्ति: परिवार में शांति और प्रेम बढ़ता है।
  15. भगवान की कृपा: भगवान श्रीकृष्ण की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

नियम

  1. व्रत रखें: यदि आप व्रत रखते हैं तो नियम का पालन करें।
  2. सात्विक भोजन करें: फलाहार में केवल सात्विक भोजन ही ग्रहण करें।
  3. सकारात्मक रहें: दिनभर सकारात्मक विचार रखें और क्रोध से दूर रहें।
  4. पवित्रता बनाए रखें: तन और मन की पवित्रता बनाए रखें।
  5. शराब और मांस का सेवन न करें: इस दिन शराब और मांसाहार का सेवन न करें।

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जन्माष्टमी पर सावधानियाँ

  1. सावधानीपूर्वक पूजा करें: पूजा विधि का पालन सही तरीके से करें।
  2. व्रत में सावधानी: यदि आपका स्वास्थ्य ठीक नहीं है तो व्रत न रखें।
  3. पानी पीना: अगर आप निर्जल व्रत नहीं रख सकते, तो पानी अवश्य पिएं।
  4. शारीरिक श्रम न करें: इस दिन ज्यादा शारीरिक श्रम न करें।

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जन्माष्टमी- पृश्न उत्तर

  1. जन्माष्टमी कब मनाई जाती है?
    • भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को।
  2. जन्माष्टमी पर व्रत क्यों रखा जाता है?
    • भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्ति और जीवन में शांति के लिए।
  3. क्या जन्माष्टमी पर व्रत का कोई विशेष नियम है?
    • निर्जल व्रत या फलाहार व्रत रखा जाता है।
  4. क्या जन्माष्टमी पर पूजा का विशेष महत्व है?
    • हाँ, श्रीकृष्ण की पूजा से विशेष लाभ होते हैं।
  5. क्या जन्माष्टमी पर रात जागरण अनिवार्य है?
    • नहीं, लेकिन जागरण करना शुभ माना जाता है।
  6. क्या महिलाएँ जन्माष्टमी पर व्रत रख सकती हैं?
    • हाँ, महिलाएँ भी व्रत रख सकती हैं।
  7. जन्माष्टमी पर कौन से मंत्र का जाप करना चाहिए?
    • “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” का जाप करना चाहिए।
  8. क्या जन्माष्टमी पर घर में कोई विशेष आयोजन करना चाहिए?
    • भजन-कीर्तन और कथा का आयोजन कर सकते हैं।
  9. जन्माष्टमी पर क्या दान करना चाहिए?
    • भोजन, वस्त्र, धन और धार्मिक ग्रंथ दान कर सकते हैं।
  10. क्या बच्चों को जन्माष्टमी पर व्रत रखना चाहिए?
    • नहीं, बच्चों को व्रत न रखने दें।
  11. क्या जन्माष्टमी पर फलाहार में नमक का सेवन कर सकते हैं?
    • हाँ, सेंधा नमक का सेवन किया जा सकता है।
  12. क्या जन्माष्टमी पर तुलसी दल का उपयोग करना चाहिए?
    • हाँ, पूजा में तुलसी दल का उपयोग करना चाहिए।
  13. क्या जन्माष्टमी पर काम करना शुभ है?
    • हाँ, लेकिन पूजा और व्रत का पालन भी करें।
  14. जन्माष्टमी पर कौन से रंग के कपड़े पहनने चाहिए?
    • पीले, सफेद या भगवा रंग के कपड़े पहनना शुभ है।
  15. जन्माष्टमी पर क्या सावधानी बरतनी चाहिए?
    • स्वास्थ्य और पूजा के नियमों का पालन करते हुए सावधानी बरतें।
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