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भगवान काल भैरव की कृपा पाने का सरल मार्ग- कालाष्टमी व्रत 2025

कालाष्टमी (Kala bhairav ashtami ) व्रत भगवान काल भैरव को समर्पित एक महत्वपूर्ण भारत मे मनाया जाने वाला व्रत माना जाता है। काल भैरव शिव जी के रौद्र रूप माने जाते हैं। यह त्योहार हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है, लेकिन विशेष रूप से मार्गशीर्ष (नवंबर-दिसंबर) के महीने की कालाष्टमी को महत्त्वपूर्ण माना जाता है।

कालाष्टमी के दिन, भक्त उपवास रखते हैं और भगवान काल भैरव की पूजा-अर्चना करते हैं। इस दिन भगवान काल भैरव के मंत्रों का जाप, विशेष रूप से “ॐ भ्रं कालभैरवाय नमः” “OM BHRAMM KAALBHAIRAVAAY NAMAHA” का जाप, और उनके विशेष भजन और स्तोत्रों का पाठ करना शुभ माना जाता है। काल भैरव मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन होता है, और कई लोग रात्रि जागरण करते हैं।

व्रत मुहूर्त 2025

कालाष्टमी, जिसे काला अष्टमी भी कहा जाता है, हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। यह व्रत भगवान भैरव को समर्पित है, और भक्त इस दिन उपवास रखते हैं और उनकी पूजा करते हैं।

साल 2025 में मासिक कालाष्टमी व्रत की तिथियां निम्नलिखित हैं:

माहतिथिअष्टमी तिथि प्रारंभअष्टमी तिथि समाप्ति
जनवरी21 जनवरी 202521 जनवरी, 12:39 PM22 जनवरी, 03:18 PM
फरवरी20 फरवरी 202520 फरवरी, 09:58 AM21 फरवरी, 11:57 AM
मार्च22 मार्च 202522 मार्च, 04:24 AM23 मार्च, 05:23 AM
अप्रैल21 अप्रैल 202520 अप्रैल, 07:01 PM21 अप्रैल, 06:59 PM
मई20 मई 202520 मई, 05:52 AM21 मई, 04:55 AM
जून18 जून 202518 जून, 01:35 PM19 जून, 11:55 AM
जुलाई17 जुलाई 202517 जुलाई, 07:09 PM18 जुलाई, 05:02 PM
अगस्त16 अगस्त 202515 अगस्त, 11:50 PM16 अगस्त, 09:35 PM
सितंबर14 सितंबर 202514 सितंबर, 05:05 AM15 सितंबर, 03:06 AM
अक्टूबर13 अक्टूबर 202513 अक्टूबर, 12:25 PM14 अक्टूबर, 11:10 AM
नवंबर12 नवंबर 202511 नवंबर, 11:08 PM12 नवंबर, 10:58 PM
दिसंबर11 दिसंबर 202511 दिसंबर, 01:58 PM12 दिसंबर, 02:57 PM

कृपया ध्यान दें कि उपरोक्त तिथियां नई दिल्ली, भारत के समयानुसार हैं। मुंबई, महाराष्ट्र के लिए समय में मामूली अंतर हो सकता है। सटीक मुहूर्त के लिए स्थानीय पंचांग या विश्वसनीय ज्योतिषीय स्रोतों की सलाह लेना उचित होगा।

कालाष्टमी व्रत के लाभ

  1. भगवान काल भैरव की कृपा प्राप्त होती है।
    व्रत करने से काल भैरव की कृपा से जीवन में सभी संकट दूर होते हैं।
  2. नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा होती है।
    यह व्रत बुरी शक्तियों और नकारात्मक ऊर्जा से बचाव करता है।
  3. शत्रुओं पर विजय मिलती है।
    व्रत रखने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है और डर समाप्त होता है।
  4. धन और संपत्ति में वृद्धि होती है।
    भगवान काल भैरव की कृपा से आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
  5. मानसिक शांति मिलती है।
    यह व्रत मानसिक अशांति और तनाव को दूर करता है।
  6. स्वास्थ्य में सुधार होता है।
    व्रत करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  7. कानूनी मामलों में सफलता मिलती है।
    जिनके कानूनी मामले लंबित होते हैं, उन्हें इस व्रत से लाभ मिलता है।
  8. अकाल मृत्यु से रक्षा होती है।
    भगवान भैरव की उपासना अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति दिलाती है।
  9. रोगों से मुक्ति मिलती है।
    यह व्रत करने से असाध्य रोगों से मुक्ति प्राप्त होती है।
  10. संकटों से बचाव होता है।
    जीवन के किसी भी संकट से रक्षा करता है यह व्रत।
  11. आध्यात्मिक प्रगति होती है।
    यह व्रत आत्मिक उन्नति और ध्यान में वृद्धि करता है।
  12. परिवार में सुख और शांति रहती है।
    भगवान काल भैरव की पूजा से घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
  13. विवाद और कलह समाप्त होते हैं।
    पारिवारिक और सामाजिक विवादों का समाधान होता है।
  14. यात्राओं में सुरक्षा मिलती है।
    भगवान भैरव यात्रा के देवता माने जाते हैं, इसलिए यात्रा सुरक्षित होती है।
  15. प्रेत बाधा से मुक्ति मिलती है।
    यह व्रत करने से भूत-प्रेत और अन्य अदृश्य बाधाओं से सुरक्षा होती है।
  16. रहस्यमयी और अज्ञात भय समाप्त होते हैं।
    जीवन से अज्ञात और रहस्यमयी भय समाप्त हो जाते हैं।
  17. धार्मिक शक्ति में वृद्धि होती है।
    व्यक्ति की धार्मिक और आध्यात्मिक शक्ति बढ़ती है।

पूजा विधि

  1. प्रातःकाल स्नान करके साफ वस्त्र पहनें।
  2. भगवान काल भैरव की प्रतिमा या तस्वीर के सामने दीपक और धूप जलाएं।
  3. चंदन, फूल, और नैवेद्य (भोग) अर्पित करें।
  4. काल भैरव के मंत्रों और स्तोत्रों का पाठ करें।
  5. काल भैरव की कथा सुनें या पढ़ें।
  6. अंत में आरती करें और प्रसाद वितरित करें।

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काल भैरव मंत्र

  • ॐ कालभैरवाय नमः “OM KAAL BHAIRAVAAY NAMAHA”
  • ॐ भयहरणं चंडाय कालभैरवाय नमः “OM BHAYA HARANAM CHANDAAY KAALBHAIRAVAAY NAMAHA”
  • ॐ भ्रं कालभैरवाय नमः “OM BHRAMM KAALBHAIRAVAAY NAMAHA”

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कालाष्टमी व्रत – प्रश्नोत्तरी

कालाष्टमी का महत्व क्या है?
यह व्रत व्यक्ति के जीवन से नकारात्मकता को दूर करता है और शत्रुओं से रक्षा करता है।

यह व्रत क्यों मनाया जाता है?
कालाष्टमी व्रत भगवान काल भैरव को समर्पित है, जो धर्म, न्याय और समय के देवता हैं।

कालाष्टमी व्रत कब मनाया जाता है?
यह व्रत प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है।

इस दिन क्या-क्या करना चाहिए?
इस दिन उपवास रखा जाता है, भगवान काल भैरव की पूजा की जाती है और रात्रि जागरण किया जाता है।

व्रत का समय कब से कब तक होता है?
अष्टमी तिथि के सूर्योदय से लेकर अगले दिन सूर्योदय तक व्रत किया जाता है।

व्रत के दौरान क्या नहीं खाना चाहिए?
इस दिन तामसिक भोजन, मांसाहार और शराब से परहेज करना चाहिए।

क्या कालाष्टमी व्रत महिलाएं भी रख सकती हैं?
हां, महिलाएं भी इस व्रत को रख सकती हैं और भगवान काल भैरव की पूजा कर सकती हैं।

क्या कालाष्टमी व्रत में रात्रि जागरण आवश्यक है?
हां, रात्रि जागरण का विशेष महत्व है। भैरव जी की पूजा रात्रि में की जाती है।

क्या विशेष मंत्र का उच्चारण करना चाहिए?
“ॐ कालभैरवाय नमः” का जाप इस दिन विशेष रूप से लाभकारी होता है।

व्रत की समाप्ति कैसे की जाती है?
व्रत की समाप्ति अगले दिन सुबह सूर्योदय के समय फलाहार या अन्न ग्रहण करके की जाती है।

कालाष्टमी के दिन क्या दान करना चाहिए?
गरीबों को वस्त्र, अन्न और धन का दान करना चाहिए। भैरव जी को दूध और हलवा अर्पित करें।

क्या कालाष्टमी पर कथा सुनना अनिवार्य है?
हां, भैरव जी की कथा सुनना और सुनाना व्रत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

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