Kanakdhara lakshmi chalisa- wealth & prosperity

कनकधारा लक्ष्मी चालीसा 40 दिन नियमित पाठ करने जीवन मे आयी हुयी हर तरह की आर्थिक समस्या नष्ट होनी शुरु हो जाती है।

कनकधारा लक्ष्मी चालीसा

श्री गणेशाय नमः
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहें अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥

जय जय लक्ष्मी मैया, तुमको निरंतर ध्यावत।
हर विष्णु विहारी, संग नारायण भावत॥

लक्ष्मी जी की स्तुति में, साधक करत दरबार।
जग जननी पालन करै, सुख सम्पति विस्तार॥

लक्ष्मी जी की आराधना, कष्ट निवारण हेत।
पार्वती संग पावन, चन्द्र चकोर सम जेत॥

महिमा अपरंपार है, धरि रूप धनंजय।
सप्त सागर मथनि करै, सुधा सुरा मय अंजय॥

जग मन्दिर जोत करै, पार्वती रूप शोभा।
लक्ष्मी रूप बसत जननि, कृपा करहु सब लोहा॥

सिंह पर करै सवार, लक्ष्मीजी का वास।
सुख सम्पत्ति करत भरी, धरा कृपा आभास॥

लक्ष्मी नाम जगत में, सब विधि करत सहार।
श्रीहरि की अर्धांगी बनि, धरती पालन हार॥

लक्ष्मी रूप शोभा करै, सब विधि करत समर्थन।
बिनु लक्ष्मी जग सूना, नान्हि पुत्र जन थर्थन॥

लक्ष्मी जी की सेवा में, नर नारी सकल धरै।
बिनु सेवा सुख नहीं, लक्ष्मी सब विधि भरै॥

लक्ष्मी कृपा प्राप्ति हेतु, कीन्हों जो यत्न।
सकल साधना सफल हुई, पायो सुख संतरण॥

लक्ष्मी नाम में शक्ति है, बिनु आवत जंजाल।
नव लक्ष्मी की कृपा बिनु, सुख नहीं न विषाल॥

लक्ष्मी कृपा प्राप्ति हेतु, कीजै ध्यान विचार।
जो नर करे श्रद्धा सहित, लक्ष्मी उसको तार॥

लक्ष्मी कृपा प्राप्ति हेतु, सुनहु मनु ध्यान।
सकल कष्ट मिटै तात, पावै सुख महान॥

लक्ष्मी नाम की महिमा, सब विधि मंगल होय।
सकल संपत्ति सुख करै, धन सम्पत्ति की होय॥

लक्ष्मी कृपा प्राप्ति हेतु, कीन्हों जो यत्न।
सकल साधना सफल हुई, पायो सुख संतरण॥

लक्ष्मी कृपा प्राप्ति हेतु, कीजै ध्यान विचार।
जो नर करे श्रद्धा सहित, लक्ष्मी उसको तार॥

जय लक्ष्मी जय जय लक्ष्मी, जय महिमा अपरंपार।
सुख सम्पत्ति की देवी, धरत पार्थिव भार॥

लक्ष्मी नाम में शक्ति है, बिनु आवत जंजाल।
नव लक्ष्मी की कृपा बिनु, सुख नहीं न विषाल॥

जय जय लक्ष्मी मैया, तुमको निरंतर ध्यावत।
हर विष्णु विहारी, संग नारायण भावत॥

चालीसा के लाभ

  1. धन प्राप्ति: इस चालीसा का पाठ करने से धन की प्राप्ति होती है।
  2. समृद्धि: घर में समृद्धि और सम्पन्नता आती है।
  3. कर्ज से मुक्ति: इस चालीसा का पाठ करने से कर्ज से मुक्ति मिलती है।
  4. व्यापार में वृद्धि: व्यापार में वृद्धि होती है।
  5. स्वास्थ्य: स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  6. विवाह में अड़चनें दूर होती हैं: जिनके विवाह में अड़चनें आ रही हैं, उनकी समस्याएं दूर होती हैं।
  7. शांति: घर में शांति बनी रहती है।
  8. संतान सुख: संतान सुख की प्राप्ति होती है।
  9. मनोकामना पूर्ति: मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
  10. रोगों से मुक्ति: रोगों से मुक्ति मिलती है।
  11. विवादों का निवारण: पारिवारिक और कानूनी विवादों का निवारण होता है।
  12. मानसिक शांति: मानसिक शांति और स्थिरता मिलती है।
  13. बाधाओं का नाश: जीवन की बाधाएं समाप्त होती हैं।
  14. आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक उन्नति होती है।
  15. शत्रुओं का नाश: शत्रुओं का नाश होता है।
  16. कर्मों का सुधार: कर्मों में सुधार होता है।
  17. मृत्यु भय से मुक्ति: मृत्यु भय से मुक्ति मिलती है।
  18. परिवार में प्रेम बढ़ता है: परिवार में प्रेम और समर्पण बढ़ता है।
  19. सुखद भविष्य: सुखद भविष्य की प्राप्ति होती है।
  20. आत्मविश्वास: आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।

विधि

कनकधारा लक्ष्मी चालीसा का पाठ करने की विधि:

  1. साफ स्थान का चयन: सबसे पहले एक साफ और पवित्र स्थान का चयन करें।
  2. स्नान: स्वयं स्नान कर शुद्ध हो जाएं।
  3. ध्यान: मां लक्ष्मी का ध्यान करें और उन्हें आसन पर विराजमान करें।
  4. दीपक जलाएं: घी का दीपक जलाएं।
  5. फूल अर्पित करें: मां लक्ष्मी को पुष्प अर्पित करें।
  6. भोग: उन्हें भोग अर्पित करें।
  7. मंत्र: ‘ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः’ मंत्र का जाप करें।
  8. चालीसा का पाठ: अब पूरे ध्यान और श्रद्धा के साथ कनकधारा लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें।

दिन, अवधि और मुहूर्त

दिन

  • शुक्रवार: मां लक्ष्मी की पूजा के लिए शुक्रवार का दिन विशेष शुभ माना जाता है।
  • अमावस्या: अमावस्या के दिन मां लक्ष्मी की पूजा विशेष फलदायी होती है।

अवधि

  • प्रतिदिन: रोजाना इस चालीसा का पाठ करने से शीघ्र ही मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
  • विशेष पर्व: दीपावली, धनतेरस, और अन्य विशेष पर्वों पर इसका पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

मुहूर्त

  • प्रातः काल: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) में इस चालीसा का पाठ करना अत्यधिक शुभ होता है।
  • संध्या काल: संध्या समय (शाम 6 से 8 बजे) भी इस चालीसा का पाठ किया जा सकता है।

नियम

  1. शुद्धता: पाठ करने से पहले शारीरिक और मानसिक शुद्धता बनाए रखें।
  2. श्रद्धा और विश्वास: श्रद्धा और विश्वास के साथ पाठ करें।
  3. नियमितता: नियमित रूप से पाठ करें, इससे लाभ शीघ्र प्राप्त होते हैं।
  4. संयम: संयमित और सात्विक आहार लें।
  5. सात्विक जीवन: सात्विक जीवन शैली अपनाएं, जिसमें अहिंसा, सत्य, और ब्रह्मचर्य का पालन हो।

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सावधानियां

  1. अपवित्र स्थान से बचें: किसी भी अपवित्र स्थान पर इस चालीसा का पाठ न करें।
  2. ध्यान भटकना: पाठ करते समय ध्यान कहीं और न भटके।
  3. राग द्वेष से बचें: पाठ करने के समय मन में किसी प्रकार का राग द्वेष न रखें।
  4. शुद्ध आचरण: शुद्ध आचरण का पालन करें।
  5. वाणी का संयम: वाणी का संयम रखें, अपशब्दों का प्रयोग न करें।

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कनकधारा लक्ष्मी चालीसा के सामान्य प्रश्न

  1. प्रश्न: कनकधारा लक्ष्मी चालीसा क्या है?
    उत्तर: यह एक धार्मिक पाठ है जो मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए पढ़ा जाता है।
  2. प्रश्न: इसे किस समय पढ़ना चाहिए?
    उत्तर: प्रातः काल और संध्या काल में पढ़ना शुभ होता है।
  3. प्रश्न: किस दिन पढ़ना उचित होता है?
    उत्तर: शुक्रवार और अमावस्या के दिन विशेष शुभ होते हैं।
  4. प्रश्न: क्या इसे रोज पढ़ सकते हैं?
    उत्तर: हां, इसे रोज पढ़ सकते हैं।
  5. प्रश्न: पाठ करने के लिए क्या विशेष तैयारी करनी चाहिए?
    उत्तर: शुद्धता, श्रद्धा और संयम के साथ पाठ करें।
  6. प्रश्न: क्या कनकधारा लक्ष्मी चालीसा पढ़ने से धन की प्राप्ति होती है?
    उत्तर: हां, धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
  7. प्रश्न: क्या इससे कर्ज से मुक्ति मिलती है?
    उत्तर: हां, इससे कर्ज से मुक्ति मिलती है।
  8. प्रश्न: क्या यह व्यवसाय में लाभकारी है?
    उत्तर: हां, व्यवसाय में लाभ प्राप्त होता है।
  9. प्रश्न: क्या इसे एकांत में पढ़ सकते हैं?
    उत्तर: हां, एकांत में पढ़ना भी उचित है।
  10. प्रश्न: क्या इसे समूह में पढ़ा जा सकता है?
    उत्तर: हां, समूह में पढ़ने से भी लाभ प्राप्त होते हैं।
  11. प्रश्न: क्या यह चालीसा हर समस्या का समाधान करती है?
    उत्तर: हां, यह चालीसा कई समस्याओं का समाधान करती है।
  12. प्रश्न: क्या यह चालीसा मानसिक शांति प्रदान करती है?
    उत्तर: हां, मानसिक शांति प्राप्त होती है।
  13. प्रश्न: क्या इसे रात में पढ़ सकते हैं?
    उत्तर: संध्या समय उपयुक्त है, लेकिन रात में भी पढ़ सकते हैं।
  14. प्रश्न: क्या विशेष भोग चढ़ाना जरूरी है?
    उत्तर: नहीं, विशेष भोग अनिवार्य नहीं है, लेकिन श्रद्धा के साथ चढ़ा सकते हैं।

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