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Karya Siddhi Jwalini Mantra – A Path to Fulfilment

कार्य सिद्धी ज्वालिनी मंत्र: मनोकामना व सुरक्षा के लिए अचूक उपाय

कार्य सिद्धी ज्वालिनी मंत्र मनोकामना पूर्ण करने और हर तरह की सुरक्षा प्रदान करने वाला अचूक जैन मंत्र है। यह मंत्र आपके जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर कर इच्छाओं को साकार करता है। यह मंत्र न केवल कार्य सिद्धि में सहायक है, बल्कि इसे नियमित जपने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। दसों दिशाओं की रक्षा करते हुए, यह मंत्र साधक को आत्मबल और मनोशक्ति प्रदान करता है।

विनियोग मंत्र और उसका अर्थ

विनियोग मंत्र:
“ॐ अस्य श्री ज्वालिनी महा मंत्रस्य विष्णु ऋषिः, गायत्री छन्दः, अग्नि देवता। कार्यसिद्धये विनियोगः।”

अर्थ:
इस मंत्र का ऋषि विष्णु हैं, छंद गायत्री है और देवता अग्नि हैं। यह मंत्र कार्य सिद्धि के लिए विनियोजित है।

दिग्बंधन मंत्र और उसका अर्थ

दिग्बंधन मंत्र:
“ॐ उत्तराय स्वाहा। दक्षिणाय स्वाहा। पूर्वाय स्वाहा। पश्चिमाय स्वाहा। ईशानाय स्वाहा। आग्नेयाय स्वाहा। नैरृत्याय स्वाहा। वायव्याय स्वाहा।”

अर्थ:
यह मंत्र सभी दिशाओं में सुरक्षा का कवच बनाता है। प्रत्येक दिशा के लिए स्वाहा कहकर इसकी शक्ति को जागृत किया जाता है।

कार्य सिद्धी ज्वालिनी मंत्र और उसका संपूर्ण अर्थ

मंत्र:
ॐ विधुजिव्हे ज्वालामुखी ज्वालिनी ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल धग धग धूमांध कारिणी देवी पुरुक्षोभं मम् मम् मनश्चितं मंत्रार्थ कुरु स्वाहा

मंत्र का अर्थ

यह मंत्र प्राचीन वेदों और तंत्र शास्त्रों में अत्यंत प्रभावशाली माना गया है। इसका अर्थ और भाव निम्नलिखित है:

  1. “ॐ विधुजिव्हे” – हे देवी! आपकी दिव्य वाणी का आह्वान करता हूँ।
  2. “ज्वालामुखी” – आप प्रचंड ऊर्जा और तेजस्विता से युक्त हैं।
  3. “ज्वालिनी ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल” – आपकी अग्नि शक्ति हर बाधा को भस्म करने में सक्षम है।
  4. “धग धग धूमांध कारिणी देवी” – आपकी शक्ति से हर दिशा प्रकाशमय और नकारात्मकता रहित हो जाती है।
  5. “पुरुक्षोभं मम् मम् मनश्चितं मंत्रार्थ कुरु स्वाहा” – आप मेरे मन और आत्मा को शुद्ध करें और मेरी इच्छाओं को साकार करें।

भावार्थ:

यह मंत्र साधक के जीवन से नकारात्मक ऊर्जा और बाधाओं को दूर करता है। मंत्र में देवी की प्रचंड ऊर्जा को आह्वान करते हुए उनसे अपनी मनोकामनाओं को सिद्ध करने का निवेदन किया गया है। यह मंत्र व्यक्ति को मानसिक बल, आत्मविश्वास और आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करता है।
कार्य सिद्धी ज्वालिनी मंत्र का नियमित जप साधक के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाता है और उसे हर दिशा में सुरक्षा प्रदान करता है।

जप के दौरान इन चीजों का सेवन करें

  1. सात्त्विक आहार लें।
  2. तुलसी का उपयोग करें।
  3. गाय का घी और दूध पिएं।
  4. फल और सूखे मेवे खाएं।
  5. जल अधिक मात्रा में पिएं।

कार्य सिद्धी ज्वालिनी मंत्र के लाभ

  1. कार्य में सफलता मिलती है।
  2. मानसिक शांति प्राप्त होती है।
  3. हर दिशा में सुरक्षा का आभास होता है।
  4. आत्मविश्वास बढ़ता है।
  5. धन-धान्य में वृद्धि होती है।
  6. बाधाएं दूर होती हैं।
  7. मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
  8. परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
  9. ऊर्जा में वृद्धि होती है।
  10. नकारात्मकता दूर होती है।
  11. मनोबल बढ़ता है।
  12. आध्यात्मिक उन्नति होती है।
  13. रोगों से बचाव होता है।
  14. मित्रता में सुधार होता है।
  15. कर्ज से मुक्ति मिलती है।
  16. व्यापार में लाभ होता है।
  17. गृहस्थ जीवन में संतोष आता है।
  18. यात्रा में सुरक्षा रहती है।

पूजा सामग्री और विधि

  1. सामग्री:
    • लाल कपड़ा
    • कपूर और चंदन
    • सफेद फूल
    • घी का दीपक
  2. विधि:
    लाल कपड़े पर कपूर और सफेद फूल रखें। घी का दीपक जलाकर 20 मिनट तक मंत्र जप करें।

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मंत्र जप का दिन, अवधि और मुहूर्त

  1. शुभ मुहूर्त में प्रारंभ करें।
  2. प्रतिदिन 20 मिनट के लिए जप करें।
  3. इसे 18 दिन तक जारी रखें।

मंत्र जप के नियम

  1. आयु 20 वर्ष से अधिक हो।
  2. स्त्री और पुरुष दोनों कर सकते हैं।
  3. नीले और काले कपड़े न पहनें।
  4. धूम्रपान, मद्यपान और मांसाहार न करें।
  5. ब्रह्मचर्य का पालन करें।

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जप के दौरान सावधानियां

  1. अशुद्ध अवस्था में जप न करें।
  2. अशुद्ध स्थान पर न बैठें।
  3. ध्यान भंग न होने दें।
  4. जप के समय शांत रहें।
  5. अनुशासन का पालन करें।

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कार्य सिद्धी ज्वालिनी मंत्र से संबंधित प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1: क्या मंत्र स्त्री-पुरुष दोनों के लिए है?
उत्तर: हां, स्त्री-पुरुष दोनों कर सकते हैं।

प्रश्न 2: क्या बच्चों के लिए यह मंत्र उपयुक्त है?
उत्तर: 20 वर्ष से अधिक आयु के लोग जप करें।

प्रश्न 3: क्या यह मंत्र तुरंत फलदायक है?
उत्तर: नियमित जप से लाभ मिलता है।

प्रश्न 4: क्या इसे किसी भी समय जप सकते हैं?
उत्तर: शुभ मुहूर्त में ही जप करें।

प्रश्न 5: क्या मंत्र जप में बाधा आने पर पुनः प्रारंभ करना होगा?
उत्तर: हां, पुनः प्रारंभ करें।

प्रश्न 6: क्या विशेष सामग्री आवश्यक है?
उत्तर: हां, लाल कपड़ा, कपूर, चंदन आदि।

प्रश्न 7: क्या जप के दौरान व्रत रखना अनिवार्य है?
उत्तर: हां, सात्त्विक व्रत रखें।

प्रश्न 8: क्या मंत्र को उच्च स्वर में जपना चाहिए?
उत्तर: मन्द स्वर में जप करें।

प्रश्न 9: क्या आसन का चयन महत्वपूर्ण है?
उत्तर: हां, स्वच्छ आसन पर बैठें।

प्रश्न 10: क्या परिणाम में समय लगता है?
उत्तर: नियमितता से फल मिलता है।

प्रश्न 11: क्या मांसाहार करने वाले इसे कर सकते हैं?
उत्तर: नहीं, मांसाहार से बचें।

प्रश्न 12: क्या मंत्र को बदल सकते हैं?
उत्तर: नहीं, यही मंत्र जपें।

BOOK (28-29 JUNE 2025) 64 YOG SHIVIR AT DIVYAYOGA ASHRAM (ONLINE/ OFFLINE)

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