Krushnashtak Chalisa for Devotion & Peace

Krushnashtak Chalisa for Devotion & Peace

कृष्णाष्टक चालीसा भगवान श्रीकृष्ण की स्तुति में रचित एक अद्वितीय और प्रभावशाली भक्ति रचना है। इसे पढ़ने से भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त होती है और जीवन के समस्त विघ्नों का निवारण होता है। यह चालीसा विशेष रूप से उन भक्तों के लिए है जो भगवान श्रीकृष्ण के प्रति अपार श्रद्धा रखते हैं और उनके आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए यह चालीसा पढ़ते हैं।

कृष्णाष्टक चालीसा के लाभ

  1. मानसिक शांति: इस चालीसा का पाठ मानसिक शांति प्रदान करता है।
  2. जीवन की समस्याओं का समाधान: जीवन में आने वाली समस्याओं का समाधान करने में सहायक।
  3. धन, वैभव और समृद्धि: भक्त को धन, वैभव और समृद्धि प्राप्त होती है।
  4. आध्यात्मिक उन्नति: भक्त की आध्यात्मिक उन्नति होती है।
  5. दुखों का निवारण: जीवन के समस्त दुखों का निवारण होता है।
  6. आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति: भगवान कृष्ण के दिव्य ज्ञान की प्राप्ति होती है।
  7. कृष्ण भक्तों की रक्षा: कृष्ण भक्तों की सभी प्रकार की विपत्तियों से रक्षा होती है।
  8. रोगों से मुक्ति: शरीर के रोगों से मुक्ति मिलती है।
  9. परिवार में सुख-शांति: परिवार में सुख-शांति का वास होता है।
  10. शत्रुओं पर विजय: शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
  11. धार्मिक आचरण का पालन: भक्त धार्मिक आचरण का पालन करता है।
  12. कृष्ण की कृपा: भक्त को भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है।
  13. भक्तों की इच्छाओं की पूर्ति: भक्त की समस्त इच्छाओं की पूर्ति होती है।
  14. जीवन में स्थायित्व: जीवन में स्थायित्व आता है।
  15. पारिवारिक कलह का निवारण: पारिवारिक कलह का निवारण होता है।
  16. जीवन में सकारात्मकता: जीवन में सकारात्मकता आती है।
  17. कर्मों का निवारण: बुरे कर्मों का निवारण होता है।
  18. विपरीत परिस्थितियों का निवारण: विपरीत परिस्थितियों का निवारण होता है।
  19. अज्ञात भय से मुक्ति: अज्ञात भय से मुक्ति मिलती है।
  20. मोक्ष की प्राप्ति: अंततः मोक्ष की प्राप्ति होती है।

संपूर्ण कृष्णाष्टक चालीसा

श्रीगणेशाय नमः।

श्रीकृष्ण चालीसा पाठ करूं मैं प्रेम से,
सुनो गोपाल प्यारे सनाथ हो तुम नेह से॥

जय श्रीकृष्ण, जय श्रीकृष्ण, जय श्रीकृष्ण की ध्वनि,
हरे राम, हरे कृष्ण, हरे कृष्ण हरे॥ १॥

मधुर मुरली बजाते, सबको मोहित कर जाते,
यशोदा के प्यारे, नंद के दुलारे॥

राधा के साथ रमते, ब्रज गोपियों के संग,
रास रचाते कान्हा, करुणामय अवतार॥

श्याम सुंदर बनमाली, वृन्दावन के गोपाला,
तुम हो सबके रखवाले, हम पर भी करो कृपा॥

धर्म की रक्षा करने, पापियों का संहार,
मथुरा में जन्म लिया, गोवर्धनधारी अवतार॥

मुरली मनोहर, प्यारे, सुदर्शनधारी श्याम,
राधारमण, गोविंदा, गोकुल के रखवाले॥

कृष्णास्यं नन्दगोपाय सुदामन्यं द्विजालये,
पिता वासुदेवाय त्वं, देवकीनन्दनं शुभम॥

कंस का संहार किया, पूतना का उद्धार किया,
गोपियों के संग रास रचाया, भक्तों का उद्धार किया॥

रास रचाते कान्हा, मधुबन में जाकर,
अलौकिक लीला रचाते, ग्वाल-बालों के साथ॥

नन्द के आनंद भयो, जय कन्हैयालाल की,
गोपियों के मन मोहे, मुरलीधर के बांसुरी की धुन॥

जय श्रीकृष्ण, जय श्रीकृष्ण, जय श्रीकृष्ण की ध्वनि,
हरे राम, हरे कृष्ण, हरे कृष्ण हरे॥

॥दोहा॥
जो कोई कृष्णाष्टक, प्रेम सहित गावे,
दुख कष्ट सब मिट जाए, सुख संपत्ति पावे॥

कृष्णाष्टक चालीसा विधि

दिन:

  • इस चालीसा का पाठ किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन बुधवार और शुक्रवार विशेष रूप से शुभ माने जाते हैं।

अवधि:

  • इस चालीसा का पाठ करने के लिए लगभग 15-20 मिनट का समय लगता है।

मुहुर्त:

  • ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 बजे से 6 बजे तक) इस चालीसा के पाठ के लिए सर्वोत्तम समय है।

कृष्णाष्टक चालीसा के नियम

  1. पूजा की शुद्धता: पूजा स्थल और शरीर की शुद्धता का विशेष ध्यान रखें।
  2. साधना को गुप्त रखें: अपनी साधना और पूजा को गुप्त रखें।
  3. शुद्ध वस्त्र धारण करें: शुद्ध और साफ-सुथरे वस्त्र पहनें।
  4. श्रद्धा और विश्वास: श्रद्धा और विश्वास के साथ चालीसा का पाठ करें।
  5. द्वार की दिशा: पूजा का द्वार पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।
  6. दीपक प्रज्वलित करें: चालीसा का पाठ करते समय दीपक प्रज्वलित करें।
  7. मन की एकाग्रता: मन को एकाग्र रखते हुए पाठ करें।
  8. नैवेद्य अर्पण: चालीसा के बाद भगवान कृष्ण को नैवेद्य अर्पण करें।
  9. भोग लगाना: भोग लगाने के बाद प्रसाद सभी में बांटें।
  10. आसन का उपयोग: एक स्थान पर बैठकर पाठ करें, आसन का उपयोग करें।
  11. दैनिक पाठ: दैनिक रूप से चालीसा का पाठ करें।
  12. मौन व्रत: मौन रहकर पाठ करें।
  13. ध्यानमग्न रहना: ध्यानमग्न होकर चालीसा का पाठ करें।
  14. आचरण की पवित्रता: आचरण की पवित्रता बनाए रखें।
  15. आध्यात्मिक साधना: आध्यात्मिक साधना के लिए चालीसा का पाठ करें।
  16. स्वच्छता का पालन: स्वच्छता का पालन करते हुए पाठ करें।
  17. धूप और अगरबत्ती जलाना: धूप और अगरबत्ती जलाकर पूजा करें।
  18. सात्विक भोजन: सात्विक भोजन का पालन करें।
  19. मंत्र जप: चालीसा के साथ मंत्र जप भी करें।
  20. भक्ति का अभ्यास: भक्ति का नियमित अभ्यास करें।

कृष्णाष्टक चालीसा सावधानियाँ

  1. स्वच्छता का पालन: पूजा स्थल और वस्त्रों की स्वच्छता का पालन करें।
  2. शुद्ध मन: शुद्ध और पवित्र मन से चालीसा का पाठ करें।
  3. समय का पालन: समय का पालन करें, विशेषकर ब्रह्म मुहूर्त में पाठ करें।
  4. संकल्प: स्पष्ट और दृढ़ संकल्प के साथ चालीसा का पाठ करें।
  5. संगति: सकारात्मक संगति का ध्यान रखें।
  6. व्रत: यदि आप व्रत कर रहे हैं, तो सही विधि से करें।
  7. ध्यान का अभ्यास: ध्यान का अभ्यास करें, ध्यान भटकने से बचें।
  8. आत्मचिंतन: पाठ के बाद आत्मचिंतन करें।
  9. समर्पण: पूर्ण समर्पण के साथ पाठ करें।
  10. भयमुक्ति: भय और संदेह से दूर रहें।
  11. नियमितता: नियमित रूप से चालीसा का पाठ करें।
  12. मंत्र का जप: पाठ के बाद मंत्र का जप करें।
  13. भोग अर्पण: पाठ के बाद भोग अर्पण करना न भूलें।
  14. ध्यानस्थल: ध्यानस्थल पर कोई व्यवधान न हो, इसका ध्यान रखें।
  15. एकाग्रता: एकाग्रता बनाए रखें।
  16. भोग का वितरण: भोग का वितरण सही तरीके से करें।
  17. आसन का पालन: आसन का सही पालन करें।
  18. गुप्त साधना: साधना को गुप्त रखें।
  19. अवसर का ध्यान: विशेष अवसरों पर विशेष ध्यान दें।
  20. आचरण की शुद्धता: आचरण में शुद्धता बनाए रखें।

कृष्णाष्टक चालीसा के सामान्य प्रश्न

  1. कृष्णाष्टक चालीसा क्या है?
    • कृष्णाष्टक चालीसा भगवान श्रीकृष्ण की स्तुति में रचित एक भक्ति रचना है।
  2. कृष्णाष्टक चालीसा का पाठ किस समय करना चाहिए?
    • ब्रह्म मुहूर्त में, अर्थात सुबह 4 बजे से 6 बजे तक।
  3. क्या कृष्णाष्टक चालीसा का पाठ किसी भी दिन किया जा सकता है?
    • हाँ, इसे किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन बुधवार और शुक्रवार विशेष माने जाते हैं।
  4. कृष्णाष्टक चालीसा के लाभ क्या हैं?
    • मानसिक शांति, धन, वैभव, समृद्धि, और पारिवारिक सुख शांति प्राप्त होती है।
  5. कृष्णाष्टक चालीसा का पाठ कैसे करना चाहिए?
    • शुद्ध और पवित्र मन से, ध्यानमग्न होकर।
  6. क्या कृष्णाष्टक चालीसा का पाठ केवल घर पर किया जा सकता है?
    • हाँ, इसे घर पर, मंदिर में, या किसी भी शुद्ध स्थान पर किया जा सकता है।
  7. क्या कृष्णाष्टक चालीसा के पाठ के बाद भोग अर्पण करना आवश्यक है?
    • हाँ, भोग अर्पण करने से पाठ पूर्ण होता है।
  8. कृष्णाष्टक चालीसा के पाठ के लिए कौन से वस्त्र पहनने चाहिए?
    • शुद्ध और साफ-सुथरे वस्त्र पहनने चाहिए।
  9. कृष्णाष्टक चालीसा के पाठ से क्या रोगों से मुक्ति मिल सकती है?
    • हाँ, भगवान की कृपा से रोगों से मुक्ति मिलती है।
  10. कृष्णाष्टक चालीसा के पाठ के दौरान कौन से नियमों का पालन करना चाहिए?
    • स्वच्छता, शुद्धता, ध्यान, और समर्पण का पालन करना चाहिए।
  11. क्या कृष्णाष्टक चालीसा के पाठ के बाद प्रसाद वितरण किया जाता है?
    • हाँ, भोग का प्रसाद सभी में बांटा जाता है।
  12. क्या कृष्णाष्टक चालीसा का पाठ नियमित रूप से किया जाना चाहिए?
    • हाँ, इसे नियमित रूप से करने से लाभ मिलता है।
  13. कृष्णाष्टक चालीसा के पाठ के लिए क्या कोई विशेष दिशा का पालन करना चाहिए?
    • पूजा का द्वार पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।
  14. कृष्णाष्टक चालीसा के पाठ के बाद ध्यान करना आवश्यक है?
    • हाँ, पाठ के बाद ध्यान करना आवश्यक है।
  15. क्या कृष्णाष्टक चालीसा के पाठ से पारिवारिक कलह का निवारण होता है?
    • हाँ, भगवान श्रीकृष्ण की कृपा से पारिवारिक कलह का निवारण होता है।
  16. कृष्णाष्टक चालीसा के पाठ से क्या जीवन में स्थायित्व आता है?
    • हाँ, जीवन में स्थायित्व और संतुलन आता है।
  17. क्या कृष्णाष्टक चालीसा का पाठ किसी विशेष अवसर पर किया जा सकता है?
    • हाँ, विशेष अवसरों जैसे जन्माष्टमी आदि पर इसे विशेष रूप से पढ़ा जा सकता है।
  18. क्या कृष्णाष्टक चालीसा के पाठ के लिए कोई विशेष आसन का उपयोग करना चाहिए?
    • हाँ, एक स्थान पर बैठकर आसन का उपयोग करना चाहिए।
  19. कृष्णाष्टक चालीसा के पाठ के लिए किस प्रकार के धूप और अगरबत्ती का उपयोग करना चाहिए?
    • शुद्ध और सुगंधित धूप और अगरबत्ती का उपयोग करना चाहिए।
  20. क्या कृष्णाष्टक चालीसा का पाठ करते समय मौन रहना चाहिए?
    • हाँ, मौन रहकर ध्यानमग्न होकर पाठ करना चाहिए।

कृष्णाष्टक चालीसा भगवान श्रीकृष्ण के प्रति अपार श्रद्धा और भक्ति को प्रकट करने का एक माध्यम है। इसके नियमित पाठ से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है, और भक्त को भगवान श्रीकृष्ण की कृपा का अनुभव होता है। इसके साथ ही, यह चालीसा भक्त को जीवन के समस्त कष्टों से मुक्त करती है और अंततः मोक्ष की प्राप्ति में सहायक होती है।