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कुबेर चालीसा भगवान कुबेर की महिमा और स्तुति में रचित एक भक्ति स्तोत्र है। भगवान कुबेर को धन, संपत्ति और वैभव के देवता माना जाता है। ये धन के रक्षक व दाता माने जाते है और इनकी पूजा से जीवन में समृद्धि, धन और सुख-शांति की प्राप्ति होती है। कुबेर चालीसा का पाठ करने से आर्थिक बाधाओं का निवारण होता है और व्यक्ति के जीवन में स्थिरता और आर्थिक सुरक्षा आती है।

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संपूर्ण कुबेर चालीसा

॥दोहा॥
नमो नमो श्री कुबेर, धन्य देवता आप।
दुःख हरन मंगल करन, भजत आपु शुभ ताप॥

॥चौपाई॥
जय जय श्री कुबेर सुखकारी।
धन्य धन धान्य के भाग्य विधाता॥

करें कृपा जय जय कृपालू।
नित्य भजें जो सुरपति प्यारे॥

राज्याभिषेक किया श्रीराम।
धन्य धान्य से आपने भरे॥ 1॥

श्रीलक्ष्मीपति हो श्रीधर।
जगत्पाल नित्य तुम प्यारे॥

भजत श्रीहरि लायक जो हो।
निज गृहे रहत सदा सुख पावे॥ 2॥

पूजत गणपति साथ तुम ही।
भवसागर से तारि भवानी॥

तुम अनंत हो, तुम भक्तविहारी।
रक्षहु जो नर संत सुखारी॥ 3॥

धन्य धान्य का तुम हो दाता।
तुम कृपा कर, निर्धनता हटावें॥

भवसागर से तारन हारा।
संत भक्त जन के मन का प्यारा॥ 4॥

तुम सम बुद्धि जड़ी करदाता।
श्रीहरि की पूजा कर भाग्य विधाता॥

तुम्हरे दरसे भव डर भागे।
तुमको नित ध्यावे सब भोगी॥ 5॥

जो कोई इस चालीसा का।
नित्य पाठ कर तुहि भजें सदा॥

श्रीहरि कृपा से आप सदा।
राखहु धन्य, संपत्ति से भरा॥ 6॥

॥दोहा॥
कुबेर कृपा तुम पर हो, सदा रहो सुखरूप।
धन्य धन्य होकर रहो, दुःख कष्ट मिटायें॥ 7॥

लाभ

  1. आर्थिक समृद्धि: कुबेर चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को आर्थिक समृद्धि प्राप्त होती है।
  2. धन की वृद्धि: इस चालीसा का नियमित पाठ धन में वृद्धि और स्थायित्व लाता है।
  3. ऋण से मुक्ति: कुबेर चालीसा का पाठ करने से कर्ज से मुक्ति मिलती है।
  4. व्यापार में वृद्धि: व्यापार में वृद्धि और सफलता के लिए कुबेर चालीसा का पाठ किया जाता है।
  5. संपत्ति की रक्षा: संपत्ति की रक्षा और सुरक्षा के लिए कुबेर चालीसा का पाठ लाभकारी होता है।
  6. अन्न और धन का आशीर्वाद: यह चालीसा अन्न और धन की कमी को दूर करती है।
  7. धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति: कुबेर चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति की धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति होती है।
  8. भाग्य में सुधार: जीवन में अच्छे भाग्य की प्राप्ति के लिए इस चालीसा का पाठ किया जाता है।
  9. परिवार में सुख-शांति: कुबेर चालीसा के पाठ से परिवार में सुख-शांति का माहौल बना रहता है।
  10. विपत्तियों से रक्षा: जीवन में आने वाली विपत्तियों से रक्षा के लिए कुबेर चालीसा का पाठ किया जाता है।
  11. कष्टों से मुक्ति: जीवन के विभिन्न कष्टों से मुक्ति पाने के लिए कुबेर चालीसा का पाठ किया जाता है।
  12. मन की शांति: मन की शांति और स्थिरता के लिए कुबेर चालीसा का पाठ लाभकारी होता है।
  13. धन की बर्बादी से बचाव: कुबेर चालीसा का पाठ करने से धन की बर्बादी नहीं होती।
  14. स्वास्थ्य में सुधार: स्वास्थ्य में सुधार और शारीरिक समस्याओं से मुक्ति के लिए इस चालीसा का पाठ किया जाता है।
  15. नौकरी और कैरियर में उन्नति: नौकरी और कैरियर में उन्नति के लिए कुबेर चालीसा का पाठ किया जाता है।
  16. विवाह में देरी का निवारण: विवाह में हो रही देरी को दूर करने के लिए भी इस चालीसा का पाठ किया जाता है।
  17. प्रभावशाली व्यक्तित्व: कुबेर चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति का व्यक्तित्व प्रभावशाली बनता है।

विधि

  1. दिन: कुबेर चालीसा का पाठ किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन बुधवार और शुक्रवार विशेष रूप से शुभ माने जाते हैं।
  2. अवधि: इस चालीसा का पाठ नियमित रूप से 41 दिनों तक किया जाना चाहिए, और इसके बाद हर शुक्रवार को पाठ करने की परंपरा रखी जा सकती है।
  3. मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 बजे से 6 बजे तक) सबसे शुभ माना जाता है। इस समय कुबेर चालीसा का पाठ करना अधिक फलदायी होता है।

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नियम

  1. साधना को गुप्त रखें: अपनी साधना और पूजा को गुप्त रखना चाहिए।
  2. स्वच्छता का ध्यान: पूजा से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  3. ध्यान और एकाग्रता: पाठ करते समय मन को एकाग्र रखें और भगवान कुबेर का ध्यान करें।
  4. समर्पण: पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ चालीसा का पाठ करें।
  5. व्रत का पालन: यदि संभव हो तो व्रत का पालन करें, खासकर शुक्रवार को।
  6. आसन: पाठ के लिए एक निश्चित स्थान और आसन का प्रयोग करें।
  7. भोग और प्रसाद: पाठ के बाद भगवान कुबेर को भोग अर्पित करें और प्रसाद का वितरण करें।
  8. संकल्प: पाठ के आरंभ में संकल्प लें और उसे पूरा करने का प्रयास करें।
  9. सात्विक भोजन: पाठ के दिन सात्विक भोजन ग्रहण करें।
  10. पूजा सामग्री: पूजा के लिए आवश्यक सामग्री जैसे धूप, दीप, फूल, फल और पान-सुपारी का प्रयोग करें।
  11. पूजा स्थल का चयन: पूजा के लिए साफ और शांत स्थान का चयन करें।
  12. पाठ का समय: नियमित रूप से एक ही समय पर पाठ करने का प्रयास करें।
  13. मंत्रों का उच्चारण: मंत्रों का सही उच्चारण और भावना के साथ करें।
  14. ध्यान और पूजा का समय: पाठ के बाद ध्यान और पूजा का समय बढ़ाएं।
  15. भक्तिभाव: पाठ के समय हृदय में भक्तिभाव बनाए रखें।
  16. सकारात्मकता: पाठ करते समय सकारात्मकता और विश्वास बनाए रखें।
  17. शांतिपूर्ण वातावरण: पाठ के दौरान शांतिपूर्ण वातावरण बनाए रखें।
  18. धार्मिक अनुशासन: धार्मिक अनुशासन का पालन करें।
  19. नियमितता: पाठ की नियमितता बनाए रखें।
  20. मौन: पाठ करते समय मौन रहकर पाठ करें।

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कुबेर चालीसा के सामान्य प्रश्न

  1. कुबेर चालीसा क्या है?
    • कुबेर चालीसा भगवान कुबेर की स्तुति में रचित एक भक्तिपूर्ण स्तोत्र है।
  2. कुबेर चालीसा का पाठ किस दिन किया जाना चाहिए?
    • कुबेर चालीसा का पाठ किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन बुधवार और शुक्रवार को करना अधिक शुभ माना जाता है।
  3. क्या कुबेर चालीसा का पाठ नियमित रूप से किया जा सकता है?
    • हाँ, कुबेर चालीसा का पाठ नियमित रूप से किया जा सकता है।
  4. कुबेर चालीसा का पाठ किस समय करना चाहिए?
    • ब्रह्म मुहूर्त में, अर्थात सुबह 4 बजे से 6 बजे तक।
  5. कुबेर चालीसा का पाठ क्यों किया जाता है?
    • कुबेर चालीसा का पाठ धन, संपत्ति, और समृद्धि की प्राप्ति के लिए किया जाता है।
  6. क्या कुबेर चालीसा का पाठ घर में किया जा सकता है?
    • हाँ, इसे घर में या मंदिर में कहीं भी किया जा सकता है।
  7. कुबेर चालीसा का पाठ करने के लिए किन नियमों का पालन करना चाहिए?
    • स्वच्छता, संकल्प, श्रद्धा और नियमितता जैसे नियमों का पालन करना चाहिए।
  8. कुबेर चालीसा के पाठ के लिए कौन सा समय सबसे अच्छा है?
    • सुबह का समय सबसे अच्छा माना जाता है।
  9. कुबेर चालीसा का पाठ करने से कौन-कौन से लाभ होते हैं?
    • आर्थिक समृद्धि, धन की वृद्धि, ऋण से मुक्ति, और परिवार में सुख-शांति मिलती है।
  10. कुबेर चालीसा का पाठ कितने दिनों तक करना चाहिए?
    • इसे नियमित रूप से 21 दिनों तक करना चाहिए, और इसके बाद हर शुक्रवार को जारी रखा जा सकता है।
  11. क्या कुबेर चालीसा का पाठ किसी विशेष पूजा के साथ करना आवश्यक है?
    • हाँ, पाठ के समय भगवान कुबेर की पूजा, ध्यान और भोग अर्पित किया जा सकता है।
  12. क्या कुबेर चालीसा का पाठ करने के बाद कोई विशेष भोग अर्पित किया जाना चाहिए?
    • हाँ, फल, मिठाई या अन्य कोई सात्विक भोग अर्पित किया जा सकता है।

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