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Kundalini Chakra Goddesses for Problem Solving

कुंडलिनी जागरण: चक्रों और देवियों के आशीर्वाद से समस्याओं का समाधान

कुंडलिनी के प्रत्येक चक्र और उनकी देवियां विभिन्न शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक समस्याओं को दूर करने में मदद करती हैं। यहां कुंडलिनी के सात प्रमुख चक्रों और उनकी देवियों का विवरण दिया गया है, और यह बताया गया है कि किस चक्र के जागरण से कौन सी समस्याओं में लाभ मिलता है:

1. मूलाधार चक्र (Root Chakra)

  • देवी: डाकिनी देवी
  • स्थान: रीढ़ की हड्डी के आधार पर।
  • समस्या: असुरक्षा, भय, भौतिक अस्तित्व की चिंता, वित्तीय समस्याएं, तनाव, शारीरिक स्थिरता की कमी।
  • लाभ: यह चक्र जाग्रत होने पर साधक को सुरक्षा, स्थिरता और आत्मविश्वास प्रदान करता है। इससे शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है और जड़ता दूर होती है।

2. स्वाधिष्ठान चक्र (Sacral Chakra)

  • देवी: रक्षिणी देवी
  • स्थान: नाभि से नीचे, जननांगों के पास।
  • समस्या: यौन समस्याएं, भावनात्मक अस्थिरता, रचनात्मकता में कमी, संबंधों में तनाव, कामुकता से संबंधित विकार।
  • लाभ: यह चक्र भावनात्मक संतुलन, सृजनात्मकता, और संबंधों में सुधार लाता है। यौन ऊर्जा और जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण को बढ़ावा देता है।

3. मणिपूरक चक्र (Solar Plexus Chakra)

  • देवी: लक्ष्मी देवी
  • स्थान: नाभि के ऊपर, पेट के बीच में।
  • समस्या: आत्म-सम्मान की कमी, आत्मविश्वास की कमी, क्रोध, तनाव, पेट से संबंधित बीमारियां, पाचन समस्याएं।
  • लाभ: यह चक्र आत्म-विश्वास, इच्छाशक्ति और आंतरिक शक्ति को बढ़ाता है। यह चक्र पाचन तंत्र को सशक्त बनाता है और मानसिक दृढ़ता प्रदान करता है।

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4. अनाहत चक्र (Heart Chakra)

  • देवी: काकिनी देवी
  • स्थान: हृदय क्षेत्र में।
  • समस्या: भावनात्मक असंतुलन, दुख, क्षमा न कर पाना, संबंधों में परेशानी, हृदय से संबंधित बीमारियां।
  • लाभ: यह चक्र प्रेम, करुणा, और भावनात्मक संतुलन को बढ़ावा देता है। यह हृदय और श्वास तंत्र को सशक्त करता है, जिससे व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार मिलता है।

5. विशुद्ध चक्र (Throat Chakra)

  • देवी: शाकिनी देवी
  • स्थान: गले में।
  • समस्या: संवाद की कमी, अभिव्यक्ति में बाधा, गले और थायरॉयड से संबंधित समस्याएं, सृजनात्मकता में कमी।
  • लाभ: यह चक्र सशक्त संवाद, सत्यता और सृजनात्मक अभिव्यक्ति को बढ़ावा देता है। गले से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं का निवारण होता है।

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6. आज्ञा चक्र (Third Eye Chakra)

  • देवी: हाकिनी देवी
  • स्थान: भौहों के बीच, माथे पर।
  • समस्या: अंतर्दृष्टि की कमी, भ्रम, मानसिक तनाव, सिरदर्द, नींद की कमी।
  • लाभ: यह चक्र अंतर्ज्ञान, मानसिक स्पष्टता और जागरूकता को बढ़ाता है। ध्यान और आध्यात्मिक उन्नति के लिए यह चक्र महत्वपूर्ण है। इसका जागरण साधक को मानसिक और आत्मिक शांति प्रदान करता है।

7. सहस्रार चक्र (Crown Chakra)

  • देवी: महाशक्ति देवी या आदिशक्ति
  • स्थान: सिर के ऊपर, शिखर पर।
  • समस्या: आत्मज्ञान की कमी, आध्यात्मिक अवरोध, भ्रम, जीवन में दिशा की कमी।
  • लाभ: यह चक्र ब्रह्मांडीय चेतना, आत्मज्ञान, और आध्यात्मिक जागरण का प्रतीक है। इसका जागरण व्यक्ति को ब्रह्मांड से जुड़ने और जीवन के गहरे अर्थ को समझने में मदद करता है।

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7 चक्र की देवियां

कुंडलिनी के प्रत्येक चक्र का जागरण व्यक्ति को विभिन्न प्रकार की शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक समस्याओं से मुक्ति दिलाने में सहायक होता है। प्रत्येक चक्र की देवी उस विशेष चक्र की ऊर्जा को सक्रिय कर साधक को उन समस्याओं से उबरने में मदद करती है, जिससे उसका समग्र जीवन संतुलित और सकारात्मक बनता है।

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