कुंजिका स्त्रोत का पाठ लगातार ४० दिन तक किया जाता है। कुंजिका स्त्रोत, देवी दुर्गा की आराधना का एक अति महत्त्वपूर्ण हिस्सा है, जिसे उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए पढ़ा जाता है। यह स्त्रोत दुर्गा सप्तशती के अंतर्गत आता है और इसे अत्यंत गोपनीय और रहस्यमय माना जाता है। इस स्त्रोत की शक्ति इतनी अधिक मानी जाती है कि इसे पढ़ने मात्र से ही दुर्गा सप्तशती के पूरे पाठ का फल प्राप्त हो सकता है।
कुंजिका स्त्रोत का संपूर्ण पाठ
शिव उवाच:
शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम्।
येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजापः शुभो भवेत्।।
न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम्।
न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासो न च वार्चनम्।।
कुंजिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत्।।
अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम्।
गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति।।
मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम्।
पाठमात्रेण संसिद्ध्येत् कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम्।।
।। ध्यानम् ।।
ॐ सर्पेन्द्राणी महामाये शिवदत्त वरप्रिये।
घोरदंष्ट्रे नमस्तुभ्यं सर्वसिद्धिप्रदायिनि।।
।। स्तोत्रम् ।।
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।
ॐ ग्लौं ह्रीं ग्लौं ऐं ह्रीं क्लीं
चामुण्डायै विच्चे।।
ज्वालां जलजां घोरां
मुखं प्रांतीं षडाननम्।
विषं शूलं च खड्गं च
कटिचर्म च पीडयेत।।
त्वं च वै ब्रह्मणी शक्तिः
शिवा नित्यं सुरेश्वरी।।
रक्ष रक्ष महादेवि
सर्वत: शत्रुनाशिनी।।
भूतेषु च सर्वेषु
कुंजिकायां सुसंस्थिते।।
नमस्ते कुसुमप्रख्ये
नमस्ते विश्वधारिणि।।
त्वं हि ब्रह्मा च विष्णुश्च
रुद्राणां जननी परा।।
वेदश्रुतिः पुराणानां
कुंजिके सर्वदा नमः।।
सर्वमन्त्रात्मिके देवी
सर्वतन्त्रस्वरूपिणि।।
कुंजिके परमा विद्या
सर्वरक्षाकरि नमः।।
इदं तु कुंजिकास्तोत्रं
रहस्यं परमाद्भुतम्।।
न देयं यस्य कस्यापि
गोपितं रक्ष पार्वति।।
यस्तु कुंजिकया देवि
हीनां सप्तशतीं पठेत्।।
न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा।।
इति श्रीरुद्रयामले गौरीतन्त्रे शिवपार्वतीसंवादे
कुंजिकास्तोत्रं सम्पूर्णम्।।
लाभ
- सर्व सिद्धि प्राप्ति: कुंजिका स्त्रोत का नियमित पाठ करने से व्यक्ति को जीवन में सभी प्रकार की सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं।
- मंत्र सिद्धि: इस स्त्रोत का जप करने से अन्य मंत्रों की सिद्धि स्वतः प्राप्त हो जाती है।
- चंडी पाठ का फल: इस स्त्रोत का पाठ करने से चंडी पाठ करने का संपूर्ण फल प्राप्त होता है, भले ही आपने चंडी पाठ न किया हो।
- शत्रु नाश: इसके पाठ से शत्रुओं का नाश होता है और व्यक्ति की रक्षा होती है।
- समृद्धि: कुंजिका स्त्रोत के पाठ से आर्थिक समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
- अकाल मृत्यु से रक्षा: इसका पाठ करने से व्यक्ति को अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है।
- वशीकरण: कुंजिका स्त्रोत का पाठ व्यक्ति को वशीकरण शक्ति प्रदान करता है, जिससे वह दूसरों को अपने वश में कर सकता है।
- बाधा निवारण: जीवन में आने वाली सभी प्रकार की बाधाओं का निवारण होता है।
- शांति प्राप्ति: इसके पाठ से मन को शांति और संतोष की प्राप्ति होती है।
- दुर्गा माँ की कृपा: इसके पाठ से देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है, जिससे व्यक्ति की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।
- रोग निवारण: इससे व्यक्ति के सभी प्रकार के रोगों का नाश होता है और वह निरोगी बनता है।
- संस्कार शुद्धि: कुंजिका स्त्रोत का पाठ करने से व्यक्ति के सभी संस्कार शुद्ध होते हैं और वह पवित्र बनता है।
- दुष्ट आत्माओं से रक्षा: इस स्त्रोत के पाठ से व्यक्ति को दुष्ट आत्माओं और बुरी शक्तियों से सुरक्षा मिलती है।
- ज्ञान प्राप्ति: इसके पाठ से व्यक्ति को ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति होती है।
- धार्मिक उन्नति: इसके पाठ से व्यक्ति की धार्मिक उन्नति होती है और वह धर्म के मार्ग पर अग्रसर होता है।
विधि
- दिन और समय: कुंजिका स्त्रोत का पाठ किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन मंगलवार और शुक्रवार को इसे पढ़ने का विशेष महत्व है। इसके अलावा, नवरात्रि के दिनों में इसका पाठ विशेष रूप से लाभकारी होता है। पाठ का समय प्रातःकाल या संध्या समय में किया जाना चाहिए।
- शुद्धता: पाठ से पहले स्नान कर के शुद्ध हो जाएं। यदि संभव हो तो सफेद या लाल वस्त्र धारण करें।
- स्थान: पूजा के लिए स्वच्छ और पवित्र स्थान चुनें। देवी दुर्गा की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएं और अगरबत्ती अर्पित करें।
- आसन: पाठ करते समय कुश का आसन या ऊनी आसन का प्रयोग करें। आसन स्थिर और शांत होना चाहिए।
- माला: पाठ के लिए रुद्राक्ष या स्फटिक की माला का प्रयोग करें। माला को पवित्र करें और फिर उससे पाठ करें।
- संकल्प: पाठ से पहले अपने उद्देश्य का संकल्प लें। देवी दुर्गा से अपने मनोकामना की पूर्ति का आशीर्वाद मांगें।
- ध्यान: पाठ के दौरान देवी दुर्गा का ध्यान करें। उनका ध्यान उनके सौम्य और रौद्र दोनों रूपों में करें।
- पाठ: कुंजिका स्त्रोत का पाठ पूरे ध्यान और समर्पण के साथ करें। पाठ करते समय किसी भी प्रकार का संदेह या विचलन नहीं होना चाहिए।
- समर्पण: पाठ समाप्त होने के बाद देवी को प्रणाम करें और अपनी मनोकामना की पूर्ति की प्रार्थना करें।
- प्रसाद वितरण: पाठ के बाद मिठाई या फल का प्रसाद बांटें और स्वयं भी ग्रहण करें।
नियम
- संयम: पाठ के दौरान मन, वचन और कर्म से पूर्ण संयम रखें। किसी प्रकार की बुरी भावना का मन में प्रवेश न होने दें।
- नियमितता: पाठ को नियमित रूप से करना चाहिए। यदि आपने एक बार शुरू किया है तो उसे बिना बाधा के पूर्ण करें।
- शुद्धता: पाठ के दौरान शारीरिक और मानसिक शुद्धता बनाए रखें।
- श्रद्धा और विश्वास: देवी दुर्गा के प्रति पूर्ण श्रद्धा और विश्वास रखें। पाठ के दौरान किसी भी प्रकार का संदेह मन में नहीं होना चाहिए।
- संयमित आहार: पाठ के दौरान सात्विक और संयमित आहार का पालन करें। तामसिक और राजसिक भोजन से दूर रहें।
कुंजिका स्त्रोत के दौरान सावधानियाँ
अवधान: पाठ करते समय किसी भी प्रकार का अवधान न होने दें। सभी अवरोधों से मुक्त होकर पाठ करें।
सभी नियमों का पालन: सभी नियमों और विधियों का पूर्णतः पालन करें। किसी भी नियम की अनदेखी न करें।
समय पर ध्यान: पाठ का समय निश्चित करें और उसे नियमित रूप से उसी समय पर करें।
ध्यान के साथ: पाठ के दौरान देवी दुर्गा का ध्यान करें और उन्हें अपनी सभी समस्याओं का समाधानकर्ता मानें।
कुंजिका स्त्रोत के पृश्न उत्तर
- कुंजिका स्त्रोत क्या है? कुंजिका स्त्रोत देवी दुर्गा की स्तुति का एक विशेष मंत्र है, जिसे पढ़ने से चंडी पाठ का संपूर्ण फल प्राप्त होता है।
- कुंजिका स्त्रोत का पाठ कब किया जा सकता है? इसका पाठ किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन मंगलवार और शुक्रवार को विशेष महत्व है।
- कुंजिका स्त्रोत का पाठ किस समय करना चाहिए? प्रातःकाल या संध्या समय में इसका पाठ करना उचित है।
- क्या कुंजिका स्त्रोत का पाठ किसी विशेष स्थान पर करना चाहिए? हाँ, पाठ के लिए पवित्र और स्वच्छ स्थान चुनें।
- कुंजिका स्त्रोत का पाठ कितनी बार करना चाहिए? इसका पाठ रोजाना एक बार करना पर्याप्त है, लेकिन नवरात्रि में इसे प्रतिदिन नौ दिन तक करना विशेष लाभकारी है।
- क्या कुंजिका स्त्रोत के पाठ के लिए किसी विशेष माला का उपयोग करना चाहिए? हाँ, रुद्राक्ष या स्फटिक की माला का प्रयोग उत्तम होता है।
- कुंजिका स्त्रोत का पाठ करते समय क्या विशेष ध्यान रखना चाहिए? पाठ के दौरान देवी दुर्गा का ध्यान करें और सभी नियमों का पालन करें।
- क्या कुंजिका स्त्रोत का पाठ किसी विशेष मुहूर्त में करना चाहिए? हाँ, शुभ मुहूर्त में इसका पाठ करना अधिक लाभकारी होता है।
- कुंजिका स्त्रोत के पाठ से क्या लाभ होता है? इसके पाठ से व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक, और आर्थिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
- क्या कुंजिका स्त्रोत का पाठ करने से सभी इच्छाएँ पूर्ण होती हैं? हाँ, श्रद्धा और विश्वास के साथ इसका पाठ करने से सभी इच्छाएँ पूर्ण होती हैं।
- कुंजिका स्त्रोत का पाठ करते समय कौन-कौन सी सावधानियाँ रखनी चाहिए? पाठ के दौरान शुद्धता, संयम, और श्रद्धा का पालन करें।