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Lakshmi Narayan Mantra- Success and Abundance

लक्ष्मी नारायण मंत्र विधि: जीवन में सुख और सफलता पाने का मार्ग

लक्ष्मी नारायण मंत्र (॥ॐ ऐं ह्रीं श्रीं लक्ष्मी नारायणाय नमो नमः॥) दिव्यता और धन-समृद्धि की देवी लक्ष्मी और उनके पति भगवान विष्णु की पूजा के लिए प्रमुख है। इस मंत्र के जाप से आर्थिक संपन्नता, सुख-शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। यह मंत्र सभी इच्छाओं को पूर्ण करता है और जीवन में संतुलन लाता है।

विनियोग मंत्र (Viniyog Mantra)

विनियोग मंत्र किसी भी मंत्र को आरंभ करने से पहले उसकी ऊर्जा और उद्देश्य को स्थापित करने के लिए उच्चारित किया जाता है। लक्ष्मी नारायण मंत्र के जाप से पहले निम्नलिखित विनियोग मंत्र का प्रयोग किया जाता है:

विनियोग: “ॐ अस्य श्री लक्ष्मी नारायण मंत्रस्य, नारायण ऋषिः, गायत्री छंदः, श्री लक्ष्मी नारायण देवता, लक्ष्मी प्राप्त्यर्थे जपे विनियोगः।”

दसों दिशाओं का दिग्बंधन मंत्र व अर्थ (Digbandhan Mantra)

दिग्बंधन मंत्र के जाप से व्यक्ति अपनी सुरक्षा हेतु सभी दिशाओं में एक दिव्य कवच स्थापित करता है:

दिग्बंधन मंत्र:
“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय, ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं दिग्बंधन कुरु कुरु स्वाहा।”

अर्थ: यह मंत्र व्यक्ति को सभी दिशाओं से नकारात्मक ऊर्जा से बचाता है और उसकी सुरक्षा करता है।

लक्ष्मी नारायण मंत्र व उसका संपूर्ण अर्थ

मंत्र:
॥ॐ ऐं ह्रीं श्रीं लक्ष्मी नारायणाय नमो नमः॥

अर्थ:
“ॐ, ऐं, ह्रीं, श्रीं” ये सभी बीज मंत्र हैं जो क्रमशः ज्ञान, शक्ति, और ऐश्वर्य का प्रतीक हैं। लक्ष्मी नारायण की इस प्रार्थना में हम उनकी कृपा और आशीर्वाद की कामना करते हैं, जिससे जीवन में स्थिरता और समृद्धि आती है।

लक्ष्मी नारायण मंत्र के लाभ

  1. आर्थिक स्थिरता प्राप्त होती है।
  2. समृद्धि में वृद्धि होती है।
  3. मानसिक शांति का अनुभव होता है।
  4. ऋण से मुक्ति मिलती है।
  5. जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
  6. व्यापार और करियर में सफलता मिलती है।
  7. गृहस्थ जीवन में सुख की प्राप्ति होती है।
  8. परिवार में सौहार्द और एकता बनी रहती है।
  9. स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  10. नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा मिलती है।
  11. आध्यात्मिक उन्नति होती है।
  12. व्यक्ति के आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
  13. रोगों से छुटकारा मिलता है।
  14. कार्यों में सफलता मिलती है।
  15. जीवन में शांति और सद्भावना आती है।
  16. लक्ष्मी की कृपा से हर कार्य सफल होता है।
  17. दुश्मनों पर विजय प्राप्त होती है।
  18. दीर्घायु की प्राप्ति होती है।

पूजा सामग्री और मंत्र विधि

आवश्यक सामग्री:

  • स्फटिक या कमलगट्टे की माला
  • लाल आसन
  • लक्ष्मी नारायण की तस्वीर
  • घी का दीपक

विधि:

  1. लाल आसन पर बैठें और लक्ष्मी नारायण की फोटो के सामने ध्यान केंद्रित करें।
  2. दोनों आँखों के बीच ध्यान लगाकर 10 बार प्राणायाम करें।
  3. 11 दिन तक प्रतिदिन 11 माला (1188 मंत्र) का जप करें।
  4. 11 दिन के बाद भोजन या अन्नदान करें।
  5. जब भी किसी कार्य के लिए बाहर जाएँ, 11 बार इस मंत्र का जाप करें।

मंत्र जाप का दिन, अवधि, मुहूर्त

लक्ष्मी नारायण मंत्र का जाप किसी भी शुभ दिन, विशेषकर शुक्रवार या पूर्णिमा के दिन प्रारंभ किया जा सकता है। मंत्र जाप की अवधि 11 दिनों तक रखी जाती है, और प्रत्येक दिन प्रातः काल 4 बजे से 6 बजे के बीच इसका शुभ मुहूर्त माना जाता है।

मंत्र जाप के नियम

  1. 20 वर्ष से ऊपर के स्त्री और पुरुष दोनों इस मंत्र का जाप कर सकते हैं।
  2. जाप के दौरान नीले या काले कपड़े नहीं पहनें।
  3. धूम्रपान, मद्यपान, और मांसाहार का सेवन न करें।
  4. ब्रह्मचर्य का पालन करें।

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जप के दौरान सावधानियाँ

  1. जाप के समय मन को एकाग्र रखें।
  2. शुद्धता का विशेष ध्यान रखें।
  3. मंत्रोच्चारण में स्पष्टता होनी चाहिए।
  4. नियमित समय पर जाप करें।

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लक्ष्मी नारायण मंत्र प्रश्न-उत्तर

प्रश्न 1: लक्ष्मी नारायण मंत्र से क्या लाभ होते हैं?
उत्तर: लक्ष्मी नारायण मंत्र से आर्थिक स्थिरता, शांति, और समृद्धि प्राप्त होती है। यह मंत्र सभी कष्टों को दूर करता है और जीवन में सकारात्मकता लाता है।

प्रश्न 2: क्या मंत्र का जप कोई भी कर सकता है?
उत्तर: हाँ, 20 वर्ष से ऊपर के स्त्री और पुरुष, जो सच्ची श्रद्धा रखते हैं, इस मंत्र का जप कर सकते हैं। शुद्धता का ध्यान रखना आवश्यक है।

प्रश्न 3: मंत्र जाप के लिए कौन सी माला सर्वोत्तम है?
उत्तर: स्फटिक या कमलगट्टे की माला मंत्र जाप के लिए सर्वोत्तम मानी जाती है।

प्रश्न 4: क्या इस मंत्र का प्रभाव तुरंत होता है?
उत्तर: मंत्र का प्रभाव व्यक्ति की श्रद्धा और नियमितता पर निर्भर करता है। निरंतर जाप करने से निश्चित रूप से सकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं।

प्रश्न 5: जाप करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर: जाप के समय शुद्धता, ध्यान की एकाग्रता और नियमों का पालन आवश्यक है।

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