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Mohini Yakshini Mantra For Attraction

मोहिनी यक्षिणी मंत्र – आकर्षण और सफलता प्राप्त करने की अद्भुत साधना

मोहिनी यक्षिणी एक अद्भुत और रहस्यमय देवी मानी जाती हैं। उनके साधक को विशेष सौंदर्य, आकर्षण, और मनोबल की प्राप्ति होती है। मोहिनी यक्षिणी मंत्र साधना द्वारा व्यक्ति अपने जीवन में सफलताएं प्राप्त करता है, विशेषकर सामाजिक और व्यक्तिगत संबंधों में। यह मंत्र न केवल व्यक्ति को आकर्षण प्रदान करता है, बल्कि आत्मविश्वास में भी वृद्धि करता है।

मंत्र और उसका अर्थ

मंत्र:

ॐ ह्रीं क्लीं ऐं वज्रमोहिनी यक्षिणी स्वाहा

अर्थ:

  • “ॐ” ब्रह्मांडीय ध्वनि का प्रतीक है।
  • “ह्रीं” मन और हृदय की शक्ति।
  • “क्लीं” आकर्षण और प्रेम।
  • “ऐं” विद्या और ज्ञान का प्रतीक।
  • “वज्र” शक्ति का द्योतक।
  • “मोहिनी यक्षिणी” मोहिनी देवी का आह्वान।
  • “स्वाहा” समर्पण और सफलता का प्रतीक।

मोहिनी यक्षिणी मंत्र के लाभ

  1. आकर्षण शक्ति में वृद्धि।
  2. सामाजिक जीवन में सफलता।
  3. प्रेम संबंधों में मजबूती।
  4. व्यापार में लाभ।
  5. मानसिक शांति।
  6. आत्मविश्वास में वृद्धि।
  7. विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण।
  8. पति-पत्नी संबंधों में सुधार।
  9. सौंदर्य और आभा में वृद्धि।
  10. कठिनाइयों का समाधान।
  11. शत्रुओं से मुक्ति।
  12. कार्यक्षेत्र में सफलता।
  13. आध्यात्मिक उन्नति।
  14. स्वास्थ्य में सुधार।
  15. तनाव से मुक्ति।
  16. पारिवारिक सुख में वृद्धि।
  17. जीवन में शांति और समृद्धि।

मंत्र विधि

मोहिनी यक्षिणी मंत्र साधना के लिए उपयुक्त दिन, मुहुर्त, और प्रक्रिया का पालन करना आवश्यक होता है। यह साधना व्यक्ति की मानसिक और आध्यात्मिक उन्नति के लिए होती है, और निम्नलिखित विधि द्वारा इसे सफलतापूर्वक किया जा सकता है:

दिन और मुहूर्त:

  • शुभ दिन: शुक्रवार का दिन विशेष रूप से उत्तम माना जाता है।
  • शुभ मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 बजे से 6 बजे) सबसे शुभ समय होता है।
  • अवधि: मंत्र जाप का समय 11 से 21 दिन तक होता है।

मंत्र जाप की संख्या:

  • रोज़ाना 11 माला यानी कुल 1188 मंत्र का जाप करें।

आवश्यक सामग्री:

  1. शुद्ध आसन (कुश का आसन उत्तम होता है)।
  2. घी का दीपक।
  3. सफेद या पीले रंग के वस्त्र।
  4. सुगंधित धूप और पुष्प।
  5. स्फटिक की माला या रुद्राक्ष माला।

मंत्र जाप के नियम

  1. 20 वर्ष से अधिक आयु वाले व्यक्ति ही यह साधना कर सकते हैं।
  2. पुरुष और महिला दोनों साधना कर सकते हैं।
  3. नीले और काले वस्त्र पहनने से बचें।
  4. धूम्रपान, मद्यपान, पान और मांसाहार का त्याग करें।
  5. ब्रह्मचर्य का पालन करें।

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जप के दौरान सावधानियां

  • साधना में मन की शुद्धता और स्थिरता आवश्यक है।
  • मंत्र जाप के दौरान किसी भी प्रकार की नकारात्मक सोच से बचें।
  • साधना के दिनों में किसी से विवाद न करें।
  • मंत्र जाप के स्थान को पवित्र रखें और एक ही स्थान पर बैठकर जाप करें।

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मोहिनी यक्षिणी मंत्र प्रश्न उत्तर

1. मोहिनी यक्षिणी मंत्र का उद्देश्य क्या है?

उत्तर: मोहिनी यक्षिणी मंत्र का मुख्य उद्देश्य व्यक्ति को आकर्षण शक्ति, आत्मविश्वास, और सफलता प्रदान करना है।

2. क्या इस मंत्र को किसी भी उम्र का व्यक्ति जप सकता है?

उत्तर: नहीं, इस मंत्र को केवल 20 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्ति ही जप सकते हैं।

3. इस मंत्र का जाप कब करना चाहिए?

उत्तर: इस मंत्र का जाप ब्रह्म मुहूर्त में करना चाहिए, जो सुबह 4 से 6 बजे तक होता है।

4. क्या मंत्र जाप के लिए विशेष कपड़े पहनने चाहिए?

उत्तर: हां, मंत्र जाप के समय सफेद या पीले रंग के वस्त्र पहनने चाहिए। नीले और काले रंग के वस्त्र वर्जित हैं।

5. क्या महिला और पुरुष दोनों यह मंत्र जप सकते हैं?

उत्तर: हां, महिला और पुरुष दोनों इस मंत्र का जाप कर सकते हैं।

6. मंत्र जाप के दौरान किस प्रकार के भोजन का सेवन करना चाहिए?

उत्तर: साधना के दौरान सात्विक भोजन का सेवन करें और मांसाहार, धूम्रपान, मद्यपान से बचें।

7. मंत्र जाप की अवधि कितनी होनी चाहिए?

उत्तर: मंत्र जाप की अवधि 11 से 21 दिन तक होती है, जिसमें प्रतिदिन 11 माला का जाप करना होता है।

8. मंत्र जाप के लिए कौन सी माला का प्रयोग करना चाहिए?

उत्तर: स्फटिक माला या रुद्राक्ष माला का उपयोग मंत्र जाप के लिए सर्वोत्तम है।

9. मंत्र जाप के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

उत्तर: मंत्र जाप के दौरान मन को शुद्ध और स्थिर रखें, किसी प्रकार की नकारात्मकता से बचें।

10. क्या मंत्र जाप के स्थान पर विशेष ध्यान देना चाहिए?

उत्तर: हां, मंत्र जाप का स्थान पवित्र होना चाहिए और एक ही स्थान पर प्रतिदिन जाप करें।

11. क्या साधना के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना आवश्यक है?

उत्तर: हां, साधना के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन अनिवार्य है।

12. मंत्र जाप के बाद क्या करना चाहिए?

उत्तर: मंत्र जाप के बाद देवी को धन्यवाद दें और साधना को समर्पण भाव से समाप्त करें।

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