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Varuni Yakshini Mantra for Wealth

वारुणी यक्षिणी मंत्र – धन, सौभाग्य और समृद्धि के लिए एक शक्तिशाली साधना

स्वभाव पर नियंत्रण करने वाली वारुणी यक्षिणी एक प्रमुख यक्षिणी देवी हैं जो जल तत्व से संबंधित हैं। उन्हें अक्सर जल से संबंधित कार्यों और मुद्दों में सहायक माना जाता है। वारुणी यक्षिणी का संबंध समुद्र और जल तत्व से होता है। उन्हें समुद्र और जल की देवी भी कहा जाता है। वारुणी यक्षिणी की साधना से साधक को जीवन में धन, संपत्ति, ऐश्वर्य और समृद्धि प्राप्त होती है। उनकी कृपा से साधक के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है।

वारुणी यक्षिणी मंत्र व उसका संपूर्ण अर्थ

वारुणी यक्षिणी का मंत्र “ॐ ह्रीं क्रीं वारुणी यक्षिणेश्वरी स्वाहा” है। इस मंत्र का अर्थ है:

  • : यह परमात्मा, ब्रह्मांडीय ध्वनि, और संपूर्णता का प्रतीक है।
  • ह्रीं: यह बीज मंत्र है जो विशेष उर्जा का वाहक है।
  • क्रीं: यह बीज मंत्र शक्ति और क्रिया का प्रतीक है।
  • वारुणी: वारुणी देवी का आह्वान करता है, जो जल और समुद्र की देवी हैं।
  • यक्षिणेश्वरी: यक्षिणी देवी का आह्वान करता है, जो सौंदर्य, धन और समृद्धि की देवी हैं।
  • स्वाहा: यह समर्पण और पूर्णता का प्रतीक है।

इस प्रकार, यह मंत्र वारुणी यक्षिणी देवी को नमन और आह्वान करता है।

मंत्र के लाभ

  1. धन की प्राप्ति: इस मंत्र का जाप करने से साधक को धन और संपत्ति की प्राप्ति होती है।
  2. सौंदर्य और आकर्षण: साधक में सौंदर्य और आकर्षण का संचार होता है।
  3. संपत्ति का वर्धन: साधक के घर में संपत्ति और ऐश्वर्य का वर्धन होता है।
  4. सुख-शांति: जीवन में सुख और शांति का अनुभव होता है।
  5. समृद्धि: साधक के जीवन में समृद्धि का आगमन होता है।
  6. विवाह में सफलता: विवाह संबंधित समस्याओं का समाधान और सफलता मिलती है।
  7. प्रेम और स्नेह: प्रेम और स्नेह में वृद्धि होती है।
  8. स्वास्थ्य में सुधार: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  9. व्यवसाय में सफलता: व्यवसाय में प्रगति और सफलता प्राप्त होती है।
  10. मनोकामना पूर्ति: साधक की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
  11. विपत्तियों से रक्षा: विपत्तियों और बाधाओं से रक्षा होती है।
  12. शत्रु नाश: शत्रुओं का नाश और उनका प्रभाव समाप्त होता है।
  13. आत्मविश्वास में वृद्धि: साधक के आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
  14. धार्मिक उन्नति: साधक की आध्यात्मिक यात्रा को प्रगति प्रदान करता है।
  15. नकारात्मक उर्जा से सुरक्षा: नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियों से रक्षा करता है।
  16. परिवार में सुख-शांति: परिवार में सुख और शांति का वातावरण बनाता है।
  17. कानूनी मामलों में विजय: अदालत के मामलों में सफलता दिलाता है।
  18. धार्मिक अनुष्ठानों में सफलता: धार्मिक कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
  19. प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा: भूकंप, तूफान, बाढ़ आदि से रक्षा।
  20. सकारात्मक ऊर्जा का संचार: घर और आसपास की नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है।

मंत्र विधि

वारुणी यक्षिणी मंत्र के जाप की विधि निम्नलिखित है:

दिन और अवधि

  1. दिन: इस मंत्र का जाप किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन विशेष रूप से शुक्रवार को अधिक प्रभावी माना जाता है।
  2. अवधि: 11 से 21 दिनों तक इस मंत्र का निरंतर जाप करना चाहिए।
  3. मुहुर्त: ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) और रात्रि के समय (रात्रि 10 से 12 बजे) जाप के लिए उत्तम माने जाते हैं।

सामग्री

  1. माला: रुद्राक्ष, स्फटिक या लाल चंदन की माला का उपयोग किया जा सकता है।
  2. दीपक: तिल के तेल या घी का दीपक जलाना चाहिए।
  3. अगरबत्ती: अगरबत्ती या धूप का प्रयोग करें।
  4. आसन: कुश का आसन या लाल कपड़े का आसन उत्तम होता है।
  5. जल और फूल: एक पात्र में जल और पुष्प रखें।

जप संख्या

  1. प्रारंभिक संख्या: प्रतिदिन एक माला (108 मंत्र) से प्रारंभ करें।
  2. वृद्धि: धीरे-धीरे मंत्र संख्या बढ़ाकर 11 माला (1188 मंत्र) प्रतिदिन करें।
  3. नियमितता: 11 से 21 दिनों तक नियमित रूप से जाप करें।

नियम

  1. शुद्धि: जाप करने से पहले शरीर और मन को शुद्ध करें। स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. आसन: आसन पर बैठकर स्थिर और शांत मन से मंत्र जाप करें।
  3. माला का प्रयोग: माला को दाएं हाथ में लेकर अनामिका और अंगूठे से जाप करें। तर्जनी का प्रयोग न करें।
  4. संकल्प: जाप से पहले संकल्प लें और वारुणी यक्षिणी देवी को प्रणाम करें।
  5. समय और संख्या: समय और संख्या का पालन करें। बीच में रुकावट न आने दें।

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मंत्र जप की सावधानियाँ

  1. अशुद्धि से बचें: जाप करते समय अशुद्ध विचार और कार्यों से दूर रहें।
  2. अनुशासन: समय और संख्या का पालन करें। बीच में रुकावट न आने दें।
  3. शुद्ध स्थान: जाप के लिए स्वच्छ और शांत स्थान का चयन करें।
  4. धैर्य: धैर्य और विश्वास बनाए रखें। जल्दी परिणाम की अपेक्षा न करें।
  5. दिशा: उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके जाप करें।

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मंत्र से संबंधित प्रश्न उत्तर

  1. वारुणी यक्षिणी कौन हैं?
    वारुणी यक्षिणी समुद्र और जल की देवी मानी जाती हैं।
  2. वारुणी यक्षिणी मंत्र का अर्थ क्या है?
    यह मंत्र वारुणी यक्षिणी देवी को नमन और आह्वान करता है।
  3. इस मंत्र का जाप कब किया जाना चाहिए?
    विशेष रूप से शुक्रवार को उपयुक्त माना जाता है।
  4. मंत्र जाप के लिए कौन सी माला उपयुक्त है?
    रुद्राक्ष, स्फटिक या लाल चंदन की माला उत्तम होती है।
  5. मंत्र जाप से क्या लाभ होते हैं?
    धन की प्राप्ति, सौंदर्य और आकर्षण, संपत्ति का वर्धन आदि लाभ होते हैं।
  6. क्या मंत्र जाप के लिए विशेष दिशा का पालन करना चाहिए?
    हां, उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके जाप करना चाहिए।
  7. जाप के दौरान क्या सावधानी रखनी चाहिए?
    अशुद्ध विचार और कार्यों से दूर रहना चाहिए।
  8. मंत्र जाप की अवधि कितनी होनी चाहिए?
    11 से 21 दिनों तक नियमित रूप से जाप करना चाहिए।
  9. क्या मंत्र जाप से स्वास्थ्य में सुधार होता है?
    हां, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  10. क्या मंत्र जाप से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है?
    हां, यह नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियों से रक्षा करता है।
  11. मंत्र जाप के लिए क्या सामग्री आवश्यक है?
    रुद्राक्ष माला, दीपक, अगरबत्ती, आसन, जल और फूल आवश्यक हैं।
  12. क्या मंत्र जाप से दुर्घटनाओं से सुरक्षा मिलती है?
    हां, दुर्घटनाओं और अप्रिय घटनाओं से सुरक्षा मिलती है।

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