Narayana Kavach Path for Strong Protection
नारायण कवच पाठ- चारों दिशाओं से सुरक्षा
परिवार की रक्षा करने वाला नारायण कवच श्रीमद्भागवत महापुराण के छठे स्कंध के अठारहवें अध्याय में वर्णित है। यह कवच विशेष रूप से भगवान विष्णु को समर्पित है और इसे उनके भक्तों के रक्षात्मक कवच के रूप में माना जाता है। यह कवच पाठ दुष्ट आत्माओं, नकारात्मक ऊर्जाओं, और शत्रुओं से सुरक्षा प्रदान करता है। नारायण कवच की शक्ति का उल्लेख पुराणों में विस्तृत रूप से किया गया है।
श्री नारायण कवच
- ॐ श्री नारायण: कवचं वक्ष्ये श्रुणुष्व मुनिसत्तम। योगस्य प्रथमान् मुख्यं साङ्ख्यस्य च प्रधानत:।। अर्थ: हे मुनिश्रेष्ठ! अब मैं आपको नारायण कवच के बारे में बताने जा रहा हूँ। यह योग और सांख्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- यत्कृता: ब्रह्मणा पूर्वमजेनाद्य सुरर्षिणा। रक्षार्थं सर्वभूतानां भूतमात्रविनाशकम्।। अर्थ: भगवान ब्रह्मा ने सर्वप्रथम इस कवच की रचना की थी। इसका उद्देश्य समस्त प्राणियों की रक्षा करना और नकारात्मक तत्वों का विनाश करना है।
- धातारि विश्वसृजि विश्वं व्यवत्यस्थदामाश्रितम्। संसारस्तितये पुम्भ्यां सर्वानुग्रहकातर:।। अर्थ: भगवान विष्णु, जो इस संसार के सृजनकर्ता और पालनकर्ता हैं, उन्होंने इस कवच का निर्माण इस संसार की सुरक्षा और सभी जीवों के कल्याण के लिए किया है।
- विष्णु: पातु मम प्राणान्मन:शक्तिं यश: श्रियम्। वक्रेण नेत्रयोश्चक्षु: शिखया तु ललाटकम्।। अर्थ: भगवान विष्णु मेरे प्राण, मन, शक्ति, यश और श्री की रक्षा करें। मेरी आँखों की दृष्टि और ललाट की शिखा की रक्षा वे अपने दिव्य दृष्टिकोण से करें।
- सृष्टि स्थित्यन्तकृद्विष्णुर्विश्वस्य जगतो महान्। महानुभावो महान्यः परमात्मा गतिस्पृहा।। अर्थ: भगवान विष्णु, जो सृष्टि की उत्पत्ति, पालन और संहार करते हैं, वे ही इस जगत के महान स्वामी और परमात्मा हैं।
- द्रव्यं कर्म च कालं च स्वभावं जीवमेव च। यच्छक्त्याहृत्संपन्नो मम पातु श्रियं यश:।। अर्थ: वे भगवान विष्णु, जो द्रव्य, कर्म, काल, स्वभाव और जीव के स्वामी हैं, मेरी श्री और यश की रक्षा करें।
- महत्तत्त्वादयश्चैव विकाराः पुम्भ्यांस्थिताः। रक्षां नो धारयेद्यस्य पद्मगर्भो महानुभू:।। अर्थ: भगवान विष्णु, जो महत्तत्त्व और पुम्भ्यांस्थित विकारों के रक्षक हैं, वे हमारे शरीर और मन की रक्षा करें।
- सांख्ययोगाय योगस्य पुरुषार्थार्थमात्मन:। मोक्षधर्मा यथा चान्ये रक्षां मे तदनुग्रहात्।। अर्थ: भगवान विष्णु, जो सांख्ययोग और पुरुषार्थ के ज्ञाता हैं, मेरी आत्मा की रक्षा करें। मोक्षधर्म का पालन करके वे मुझे अपना अनुग्रह प्रदान करें।
- अद्याप्यनन्तरो विष्णु: सर्वज्ञश्च महेश्वर:। रक्षां करोतु सर्वत्र मम दिव्येन चक्षुषा।। अर्थ: भगवान विष्णु, जो अनन्त और सर्वज्ञ हैं, वे अपनी दिव्य दृष्टि से सर्वत्र मेरी रक्षा करें।
- सर्वत: पातु मां विष्णुर्दिवा सूर्याग्निविग्रह:। रात्रौ नक्षत्र रूपेण सोपरो नामनोयम:।। अर्थ: भगवान विष्णु, जो दिन में सूर्य और अग्नि के रूप में हैं, मेरी दिनभर रक्षा करें। रात में, जो नक्षत्रों के रूप में हैं, वे मेरी रात की रक्षा करें।
- नारायण: प्रहृत्यैतन्मया संकल्पितं शुभम्। सर्वभूतात्मभावेन मम पातु श्रियं हरि:।। अर्थ: भगवान नारायण, जो सभी प्राणियों के आत्मा हैं, मेरी रक्षा करें और मुझे श्री का वरदान दें।
- तस्याहं सर्वकालेषु मा स्मारयतु पौरुषम्। यथा भवेत्सदा तात्मा मे शरण्यं हृदाश्रय:।। अर्थ: भगवान विष्णु, जो मेरे रक्षक हैं, वे मुझे हर समय याद दिलाएं कि मेरी आत्मा का शरणस्थल वे ही हैं।
- हरि: सर्वात्मना विष्णु: सर्वज्ञो ह्यच्युत: प्रभु:। सर्वेभ्यो रक्षतां विष्णुर्मधुसूदन एव हि।। अर्थ: भगवान विष्णु, जो सर्वज्ञ, अच्युत, और प्रभु हैं, वे सभी दिशाओं से मेरी रक्षा करें।
- संसारधर्मतो मुक्तं नारायणं स्वयंजगत्। प्रपद्येऽहं सदा विष्णुं नारायणं सदा हरिम्।। अर्थ: संसार के धर्मों से मुक्त, नारायण, जो स्वयंसृष्टि के स्वामी हैं, मैं हमेशा उनकी शरण में जाता हूँ।
- अमृतं शाश्वतं विष्णुं सर्वात्मानं शरण्यम्। अनन्तविक्रमं विष्णुं प्रपद्येऽहं सदा विभुम्।। अर्थ: मैं भगवान विष्णु, जो अमृत, शाश्वत, सर्वात्मा, शरणागत के रक्षक, और अनन्त शक्ति के धनी हैं, उनकी शरण में जाता हूँ।
- नारायणं हृषीकेशं पातु मां सर्वतो हरि:। इति ते कथितं विप्र नारायण कवचं शुभम्।। अर्थ: भगवान नारायण, जो हृषीकेश हैं, हरि हैं, वे सभी दिशाओं से मेरी रक्षा करें। हे विप्र! मैंने आपको शुभ नारायण कवच बताया।
नारायण कवच के लाभ
- रक्षा कवच: नारायण कवच भगवान विष्णु का कवच है जो सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा, दुष्ट आत्माओं, और शत्रुओं से सुरक्षा प्रदान करता है।
- आध्यात्मिक उन्नति: यह कवच भक्तों को आध्यात्मिक उन्नति में सहायता करता है और उन्हें मोक्ष की दिशा में अग्रसर करता है।
- आत्मबल में वृद्धि: नारायण कवच का नियमित पाठ करने से आत्मबल और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
- शारीरिक स्वास्थ्य: इस कवच का पाठ करने से शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है और बीमारियों से मुक्ति मिलती है।
- मन की शांति: नारायण कवच का जाप करने से मन को शांति मिलती है और तनाव से मुक्ति मिलती है।
- धन और समृद्धि: यह कवच भक्तों को आर्थिक समृद्धि और धन प्राप्ति में सहायता करता है।
- शत्रुओं का नाश: इस कवच का पाठ करने से शत्रुओं की बुरी नजर और उनकी योजनाओं का नाश होता है।
- भयमुक्ति: नारायण कवच का पाठ करने से भय और असुरक्षा की भावनाएं समाप्त होती हैं।
- परिवार की सुरक्षा: यह कवच परिवार के सदस्यों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
- सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह: नारायण कवच का पाठ सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ाता है।
- बाधाओं का नाश: यह कवच जीवन में आने वाली सभी प्रकार की बाधाओं का नाश करता है।
- मनोकामनाओं की पूर्ति: भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उन्हें जीवन में सफलता प्राप्त होती है।
- धार्मिक उन्नति: यह कवच धार्मिक उन्नति में भी सहायता करता है और भक्तों को भगवान के प्रति समर्पण में बढ़ावा देता है।
- अकाल मृत्यु से रक्षा: नारायण कवच का पाठ अकाल मृत्यु से भी रक्षा करता है।
- भाग्य में वृद्धि: यह कवच भाग्य में वृद्धि करता है और जीवन में सौभाग्य लाता है।
- घर में शांति और समृद्धि: इस कवच का पाठ करने से घर में शांति और समृद्धि का वास होता है।
- दुष्ट ग्रहों का निवारण: यह कवच दुष्ट ग्रहों के प्रभाव को कम करता है और सकारात्मक ग्रहों का प्रभाव बढ़ाता है।
- सर्व बाधा मुक्ति: इस कवच का पाठ करने से सभी प्रकार की बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
- विद्या और ज्ञान: नारायण कवच का पाठ करने से विद्या और ज्ञान में वृद्धि होती है।
- सर्व पापों से मुक्ति: यह कवच पापों का नाश करता है और भक्तों को पवित्रता प्रदान करता है।
नारायण कवच की विधि
नारायण कवच का पाठ करने के लिए निम्नलिखित विधि का पालन करना चाहिए:
- सही दिन: नारायण कवच का पाठ किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन गुरुवार और एकादशी के दिन इसे विशेष रूप से किया जाता है।
- शुभ मुहूर्त: इसे शुभ मुहूर्त में किया जाना चाहिए, विशेष रूप से ब्रह्म मुहूर्त में इसका पाठ करना अत्यंत लाभकारी होता है।
- शुद्धता: पाठ करने से पहले शरीर, मन और स्थान की शुद्धि करनी चाहिए। स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और एक पवित्र स्थान पर बैठें।
- आरंभ: भगवान विष्णु की तस्वीर या मूर्ति के सामने दीप जलाकर और फल-फूल अर्पित करके इस पाठ को शुरू करें।
- ध्यान: नारायण कवच पाठ करने से पहले भगवान विष्णु का ध्यान करें और उनसे प्रार्थना करें कि वे आपकी रक्षा करें।
- अवधि: नारायण कवच का पाठ जितना संभव हो, रोजाना करना चाहिए। अगर रोजाना संभव न हो, तो इसे कम से कम 11 दिन या 21 दिन तक लगातार करना चाहिए।
- पाठ की संख्या: नारायण कवच का पाठ 3, 7 या 11 बार किया जा सकता है। इसके अलावा, संकल्प लेकर 108 बार भी पाठ किया जा सकता है।
- समापन: पाठ के बाद भगवान विष्णु को प्रणाम करें और उन्हें धन्यवाद दें।
नारायण कवच के नियम
- शुद्धता का पालन: नारायण कवच का पाठ शुद्धता के साथ करना चाहिए। इसका अर्थ है कि पाठ के समय मन, शरीर और स्थान की शुद्धता होनी चाहिए।
- संयम: पाठ के दौरान संयम का पालन करें। यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि पाठ के समय कोई व्याकुलता या अशुद्ध विचार न हों।
- ध्यान: पाठ के समय ध्यान भगवान विष्णु पर केंद्रित होना चाहिए। किसी भी प्रकार का विचलन पाठ की शक्ति को कम कर सकता है।
- नियमितता: नारायण कवच का पाठ नियमित रूप से करना चाहिए। यदि इसे नियमित रूप से किया जाए, तो इसके प्रभाव अधिक गहरे होते हैं।
- संकल्प: पाठ करने से पहले संकल्प करें कि आप यह पाठ भगवान नारायण की कृपा प्राप्त करने के लिए कर रहे हैं।
- सविधि: नारायण कवच का पाठ विधिपूर्वक करना चाहिए। अनियमित या असावधानीपूर्वक किया गया पाठ प्रभावहीन हो सकता है।
- उचित समय: पाठ के लिए उचित समय का चयन करें। ब्रह्म मुहूर्त, सुबह का समय और शांतिपूर्ण वातावरण उत्तम होते हैं।
नारायण कवच की सावधानियां
- अवसाद और नकारात्मकता से बचें: नारायण कवच का पाठ करते समय नकारात्मक विचारों और अवसाद से बचें। इससे पाठ की शक्ति कम हो सकती है।
- नियमितता की कमी: यदि आपने एक बार नारायण कवच का पाठ शुरू किया है, तो इसे नियमित रूप से करना चाहिए। बीच में इसे छोड़ना उचित नहीं है।
- प्रसाद का सेवन: पाठ के बाद प्रसाद को ग्रहण करें, जो भगवान विष्णु को अर्पित किया गया हो। यह प्रसाद ऊर्जा और शक्ति देता है।
- असावधानी से बचें: पाठ करते समय किसी भी प्रकार की असावधानी से बचें। इसका प्रभाव कम हो सकता है।
नारायण कवच के सामान्य प्रश्न
- नारायण कवच क्या है?
- नारायण कवच एक पवित्र धार्मिक पाठ है जो भगवान विष्णु की आराधना और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
नारायण कवच क्या है?
- नारायण कवच एक पवित्र धार्मिक पाठ है जो भगवान विष्णु की आराधना और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
नारायण कवच का पाठ कब करना चाहिए?
- इसका पाठ किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन गुरुवार और एकादशी को इसका विशेष महत्व है।
क्या नारायण कवच पाठ किसी विशेष समय पर करना चाहिए?
- हां, ब्रह्म मुहूर्त में इसका पाठ करना सबसे शुभ माना जाता है।
नारायण कवच कितनी बार पढ़ना चाहिए?
- यह तीन, सात या 11 बार पढ़ा जा सकता है, या संकल्प के अनुसार 108 बार भी पढ़ा जा सकता है।
क्या महिलाएं नारायण कवच का पाठ कर सकती हैं?
- हां, महिलाएं भी नारायण कवच का पाठ कर सकती हैं।
क्या नारायण कवच का पाठ घर में किया जा सकता है?
- हां, यह पाठ घर में किया जा सकता है।
क्या नारायण कवच का पाठ केवल विष्णु भक्तों के लिए है?
- नहीं, कोई भी भक्त जो भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करना चाहता है, इसका पाठ कर सकता है।
नारायण कवच का पाठ करने के लिए कौन से नियम पालन करने चाहिए?
- शुद्धता, संयम, ध्यान, और नियमितता का पालन करना चाहिए।
क्या नारायण कवच का पाठ धन और समृद्धि के लिए किया जा सकता है?
- हां, यह पाठ धन और समृद्धि प्राप्त करने में सहायता करता है।
नारायण कवच का पाठ कितनी अवधि तक करना चाहिए?
- इसे जितना संभव हो, रोजाना किया जाना चाहिए। कम से कम 11 या 21 दिनों तक नियमित पाठ करना लाभकारी होता है।
क्या नारायण कवच का पाठ स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है?
- हां, इसका पाठ शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी है।
नारायण कवच का पाठ करते समय कौन से मंत्र का जाप करना चाहिए?
- ॐ नमो नारायणाय मंत्र का जाप करना लाभकारी होता है।
नारायण कवच का पाठ करते समय ध्यान कहाँ केंद्रित करना चाहिए?
- भगवान विष्णु की तस्वीर या मूर्ति पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
क्या नारायण कवच पाठ का कोई विशेष मंत्र है?
- हां, इस कवच के प्रत्येक श्लोक के साथ विशिष्ट मंत्र होते हैं जो भगवान नारायण की आराधना के लिए होते हैं।
क्या नारायण कवच पाठ से शत्रुओं का नाश होता है?
- हां, यह पाठ शत्रुओं की बुरी नजर और उनकी योजनाओं का नाश करता है।
क्या नारायण कवच पाठ के दौरान दीप जलाना आवश्यक है?
- हां, भगवान विष्णु की आराधना के दौरान दीप जलाना शुभ माना जाता है।
क्या नारायण कवच पाठ के लिए विशेष स्थान की आवश्यकता है?
- इसे शांत और पवित्र स्थान पर करना चाहिए, लेकिन विशेष स्थान की आवश्यकता नहीं है।
नारायण कवच पाठ के दौरान क्या विशेष व्रत या उपवास करना चाहिए?
- विशेष व्रत या उपवास अनिवार्य नहीं है, लेकिन संयमित जीवन शैली का पालन करना चाहिए।
क्या नारायण कवच पाठ करने से अकाल मृत्यु से बचा जा सकता है?
- हां, यह पाठ अकाल मृत्यु से रक्षा करता है।
नारायण कवच पाठ के बाद क्या करना चाहिए?
- पाठ के बाद भगवान विष्णु को प्रणाम करें और प्रसाद ग्रहण करें।
नारायण कवच एक अत्यंत शक्तिशाली और पवित्र धार्मिक पाठ है जो भक्तों को जीवन में हर प्रकार की नकारात्मकता से रक्षा करता है। यह पाठ भक्तों के मन, शरीर, और आत्मा को शुद्ध करता है और उन्हें भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने में सहायता करता है। इसके नियमित पाठ से भक्तों को अपार लाभ प्राप्त होते हैं, जिनमें सुरक्षा, स्वास्थ्य, धन, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति शामिल हैं।