spot_img

Rama Raksha Strot for Peace & Prosperity

राम रक्षा स्तोत्र: सुख शांती व मोक्ष प्राप्ति

परिवार मे सुख समृद्धि बढाने वाला राम रक्षा स्तोत्र एक अत्यंत पवित्र और प्रभावशाली स्तोत्र है, जिसका पाठ भगवान श्रीराम से रक्षा एवं आशीर्वाद पाने के लिए किया जाता है। यह स्तोत्र भगवान श्रीराम के अनन्य भक्त, ऋषि बुधकौशिक द्वारा रचित है। इस स्तोत्र का महत्व इतना अधिक है कि इसे नियमित रूप से करने वाले व्यक्ति को जीवन के हर क्षेत्र में सफलता, शांति और सुरक्षा प्राप्त होती है।

राम रक्षा स्तोत्र का संपूर्ण पाठ

संपूर्ण राम रक्षा स्तोत्र और उसका अर्थ

राम रक्षा स्तोत्र भगवान श्रीराम की स्तुति और सुरक्षा के लिए एक अत्यंत पवित्र और प्रभावशाली स्तोत्र है। यह स्तोत्र भगवान श्रीराम के भक्त बुधकौशिक ऋषि द्वारा रचित है। यहाँ संपूर्ण राम रक्षा स्तोत्र और उसका सरल अर्थ प्रस्तुत किया गया है:

राम रक्षा स्तोत्रम्

ध्यानम्:

ध्यायेदाजानुबाहुं धृतशरधनुषं बद्धपद्मासनस्थं  
पीतं वासो वसानं नवकमलदलस्पर्धिनेत्रं प्रसन्नम्।  
वामाङ्कारूढसीता मुखकमलमिलल्लोचनं नीरदाभं  
नानालङ्कारदीप्तं दधतमुरुजटामण्डलं रामचन्द्रम्॥

अर्थ:
मैं भगवान श्रीराम का ध्यान करता हूँ, जिनके दीर्घ बाहु हैं, जो धनुष और बाण धारण किए हुए हैं, पीतांबर धारण किए हुए हैं, जिनकी आँखें कमल के समान हैं, जिनके वामभाग में माता सीता स्थित हैं, और जिनके श्यामल शरीर पर विविध आभूषणों की शोभा है।

चरितं रघुनाथस्य शतकोटिप्रविस्तरम्।  
एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम्॥

अर्थ:
रघुनाथ श्रीराम का चरित्र असंख्य कथाओं में विस्तृत है, और इसके एक-एक अक्षर के पाठ से महापापों का नाश होता है।

ध्यात्वा नीलोत्पलश्यामं रामं राजीवलोचनम्।  
जानकीलक्ष्मणोपेतं जटामुकुटमण्डितम्॥

अर्थ:
नीलकमल के समान श्यामल वर्ण, कमल के समान नेत्रों वाले श्रीराम का ध्यान करें, जो जानकी और लक्ष्मण के साथ हैं और जिनके सिर पर जटामुकुट की शोभा है।

सासितूणधनुर्बाणपाणिं नक्तं चरान्तकम्।  
स्वलीलया जगत्त्रातुं आविर्भूतं अजं विभुम्॥

अर्थ:
जो तलवार, तरकश और धनुष-बाण धारण किए हुए हैं, जो राक्षसों के संहारक हैं, जिन्होंने अपनी लीला से संसार की रक्षा के लिए अवतार लिया है, ऐसे अजन्मा और सर्वव्यापी श्रीराम की आराधना करें।

रामरक्षां पठेत्प्राज्ञः पापघ्नीं सर्वकामदाम्।

अर्थ:
समझदार व्यक्ति को राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करना चाहिए, जो पापों का नाश करने वाली और सभी इच्छाओं की पूर्ति करने वाली है।

स्त्रोत के श्लोक और उनका अर्थ:

  1. श्लोक 1:
शिरो मे राघवः पातु भालं दशरथात्मजः।  
कौसल्येयो दृशौ पातु विश्वामित्रप्रियः श्रुती॥

अर्थ:
मेरे सिर की रक्षा श्रीराम करें, जो राघव हैं; मेरे ललाट की रक्षा दशरथ के पुत्र करें; मेरी आँखों की रक्षा कौसल्या नंदन करें, और कानों की रक्षा विश्वामित्र के प्रिय राम करें।

  1. श्लोक 2:
घ्राणं पातु मखत्राता मुखं सौमित्रिवत्सलः।  
जिव्हां विद्यानिधिः पातु कण्ठं भरतवन्दितः॥

अर्थ:
मेरे नासिका की रक्षा यज्ञों के रक्षक श्रीराम करें; मुख की रक्षा लक्ष्मण के प्रिय भाई करें; जिव्हा की रक्षा विद्या के भंडार राम करें, और गले की रक्षा भरत के आदरणीय राम करें।

  1. श्लोक 3:
स्कन्धौ दिव्यायुधः पातु भुजौ भग्नेशकार्मुकः।  
करौ सीतापतिः पातु हृदयं जामदग्न्यजित्॥

अर्थ:
मेरे कंधों की रक्षा दिव्य शस्त्रों वाले श्रीराम करें; भुजाओं की रक्षा शिव का धनुष तोड़ने वाले राम करें; हाथों की रक्षा सीता के पति राम करें, और हृदय की रक्षा परशुराम को जीतने वाले राम करें।

  1. श्लोक 4:
मध्यं पातु खरध्वंसी नाभिं जाम्बवदाश्रयः।  
सुग्रीवेशः कटी पातु सक्थिनी हनुमत्प्रभुः॥

अर्थ:
मेरे मध्य भाग की रक्षा खर के वध करने वाले राम करें; नाभि की रक्षा जाम्बवान के सहायक राम करें; कटि की रक्षा सुग्रीव के स्वामी राम करें, और जंघाओं की रक्षा हनुमान के प्रभु राम करें।

  1. श्लोक 5:
ऊरू रघूत्तमः पातु रक्षःकुलविनाशकृत्।  
जानुनी सेतुकृत्पातु जङ्घे दशमुखान्तकः॥

अर्थ:
मेरी जंघाओं की रक्षा रघुकुल श्रेष्ठ राम करें, जो राक्षसों के कुल का नाश करने वाले हैं; घुटनों की रक्षा सेतु बनाने वाले राम करें, और पिंडलियों की रक्षा रावण के वध करने वाले राम करें।

  1. श्लोक 6:
पादौ बिभीषणश्रीदः पातु रामोऽखिलं वपुः।

अर्थ:
मेरे पैरों की रक्षा विभीषण को राज्य प्रदान करने वाले राम करें, और सम्पूर्ण शरीर की रक्षा सर्वव्यापी राम करें।

  1. श्लोक 7:
एतां रामबलोपेतां रक्षां यः सुकृती पठेत्।  
स चिरायुः सुखी पुत्री विजयी विनयी भवेत्॥

अर्थ:
जो भी पुण्यात्मा इस राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करता है, वह दीर्घायु, सुखी, संतानवान, विजयी और विनम्र होता है।

  1. श्लोक 8:
पातालभूतलव्योमचारिणश्छद्मचारिणः।  
न द्रष्टुमपि शक्तास्ते रक्षितं रामनामभिः॥

अर्थ:
पाताल, पृथ्वी, और आकाश में विचरण करने वाले या गुप्त रूप से कार्य करने वाले राक्षस भी राम नाम से रक्षित व्यक्ति को देख नहीं सकते।

  1. श्लोक 9:
रामेति रामभद्रेति रामचन्द्रेति वास्मरन्।  
नरो न लिप्यते पापैर्भुक्तिं मुक्तिं च विन्दति॥

अर्थ:
जो व्यक्ति राम, रामभद्र, और रामचन्द्र का स्मरण करता है, वह पापों से मुक्त रहता है और भोग तथा मोक्ष दोनों प्राप्त करता है।

  1. श्लोक 10:
जगज्जेत्रैकमन्त्रेण रामनाम्नाभिरक्षितम्।  
यः कण्ठे धारयेद्यस्तु तस्य करस्थाः सर्वसिद्धयः॥

अर्थ:
जो व्यक्ति इस जगत-विजेता मंत्र “राम” का जाप करता है और उसे अपने कंठ में धारण करता है, उसकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।

  1. श्लोक 11:
वज्रपंजरनामेदं यो रामकवचं स्मरेत्।  
अव्याहताज्ञः सर्वत्र लभते जयमङ्गलम्॥

अर्थ:
जो इस वज्र के समान अजेय राम कवच का स्मरण करता है, उसे जीवन में अविरल आज्ञा और सर्वत्र विजय और मंगल की प्राप्ति होती है।

  1. श्लोक 12:
आदिष्टवान्यथा स्वप्ने रामरक्षामिमां हरः।  
तथा लिखितवान् प्रातः प्रबुद्धो बुधकौशिकः॥

अर्थ:
भगवान शिव ने स्वप्न में बुधकौशिक को इस राम रक्षा स्तोत्र की प्रेरणा दी, और उन्होंने प्रातःकाल उठकर इसे लिखा।

  1. श्लोक 13:
आरामः कल्पवृक्षाणां विरामः सकलापदाम्।  
अभिरामस्त्रिलोकानां रामः श्रीमान् स नः प्रभुः॥

अर्थ:
भगवान श्रीराम कल्पवृक्षों के समान आरामी, सभी संकटों का नाश करने वाले, तीनों लोकों के सुंदरतम,

और लक्ष्मी के स्वामी हैं। वे ही हमारे प्रभु हैं।

  1. श्लोक 14:
तरुणौ रूपसंपन्नौ सुकुमारौ महाबलौ।  
पुण्डरीकविशालाक्षौ चीरकृष्णाजिनाम्बरौ॥

अर्थ:
भगवान राम और लक्ष्मण, दोनों ही तरुण, रूपवान, सुकुमार, महान बलशाली, विशाल कमल के समान नेत्रों वाले, और चीर व कृष्णमृगचर्म धारण किए हुए हैं।

  1. श्लोक 15:
फलमूलाशिनौ दान्तौ तापसौ ब्रह्मचारिणौ।  
पुत्रौ दशरथस्यैतौ भ्रातरौ रामलक्ष्मणौ॥

अर्थ:
ये दोनों राम और लक्ष्मण फल-मूल का आहार करने वाले, दान्त (इंद्रियों को वश में रखने वाले), तपस्वी, ब्रह्मचारी, और दशरथ के पुत्र और भाई हैं।

  1. श्लोक 16:
शरण्यौ सर्वसत्त्वानां श्रेष्ठौ सर्वधनुष्मताम्।  
रक्षःकुलनिहन्तारौ त्रायेतां नो रघूत्तमौ॥

अर्थ:
रघुकुल के श्रेष्ठ राम और लक्ष्मण, जो सभी प्राणियों के शरणदाता और सभी धनुर्धारियों में श्रेष्ठ हैं, और राक्षसों के कुल का नाश करने वाले हैं, हमारी रक्षा करें।

  1. श्लोक 17:
आत्तसज्जधनुषा विषुस्पृशा वक्षया शुगनिषङ्ग सङ्गिनौ।  
रक्षणाय मम रामलक्ष्मणावग्रतः पथि सदैव गच्छताम्॥

अर्थ:
राम और लक्ष्मण, जो सदैव सज्जित धनुष-बाण लिए रहते हैं, उनके तुणीर सदैव बाणों से भरे होते हैं। वे दोनों भाई मेरी रक्षा के लिए मेरे आगे-आगे पथ पर सदैव चलते रहें।

  1. श्लोक 18:
सन्नद्धः कवची खड्गी चापबाणधरो युवा।  
गच्छन् मनोरथान्नश्च रामः पातु सलक्ष्मणः॥

अर्थ:
सज्जित, कवचधारी, खड्ग और धनुष-बाण धारण किए हुए श्रीराम लक्ष्मण के साथ हमें हमारे मनोरथ प्राप्त करते हुए हर मार्ग पर हमारी रक्षा करें।

  1. श्लोक 19:
रामो दाशरथिः शूरो लक्ष्मणानुचरो बली।  
काकुत्स्थः पुरुषः पूर्णः कौसल्येयो रघूत्तमः॥

अर्थ:
शूरवीर राम, जो दशरथ के पुत्र हैं, लक्ष्मण के अनुगामी, बलशाली, काकुत्स्थ, संपूर्ण पुरुष, कौसल्या के पुत्र और रघुकुल के उत्तम हैं।

  1. श्लोक 20:
वेदान्तवेद्यो यज्ञेशः पुराणपुरुषोत्तमः।  
जानकीवल्लभः श्रीमानप्रमेय पराक्रमः॥

अर्थ:
राम, जिन्हें वेद और वेदांत जानते हैं, जो यज्ञ के ईश्वर, पुराणों के पुरुषोत्तम, जानकी के प्रिय, श्रीमान, और अपार पराक्रम वाले हैं।

  1. श्लोक 21:
इत्येतानि जपेन्नित्यं मद्भक्तः श्रद्धयान्वितः।  
अश्वमेधाधिकं पुण्यं सम्प्राप्नोति न संशयः॥

अर्थ:
इस प्रकार जो भक्त श्रद्धा सहित प्रतिदिन इस राम रक्षा स्तोत्र का जप करता है, वह अश्वमेध यज्ञ से अधिक पुण्य प्राप्त करता है, इसमें कोई संदेह नहीं।

  1. श्लोक 22:
रामं दुर्वादलश्यामं पद्माक्षं पीतवाससम्।  
स्तुवन्ति नामभिर्दिव्यैर्न ते संसारिणो नराः॥

अर्थ:
जो लोग नीले कमल के समान श्यामल, कमल नेत्रों वाले, पीले वस्त्रधारी श्रीराम का दिव्य नामों से स्तुति करते हैं, वे संसार में बंधन रहित हो जाते हैं।

  1. श्लोक 23:
रामं लक्ष्मणपूर्वजं रघुवरं सीतापतिं सुंदरम्।  
काकुत्स्थं करुणार्णवं गुणनिधिं विप्रप्रियं धार्मिकम्॥  
राजेन्द्रं सत्यसंधं दशरथतनयं श्यामलं शान्तमूर्तिम्।  
वन्दे लोकाभिरामं रघुकुलतिलकं राघवं रावणारिम्॥

अर्थ:
मैं राम को वंदन करता हूँ, जो लक्ष्मण के अग्रज, रघुवंश के श्रेष्ठ, सीता के पति, सुंदर, काकुत्स्थ, करुणा के सागर, गुणों के निधान, ब्राह्मणों के प्रिय, धर्मपरायण, सत्य प्रतिज्ञ, दशरथ के पुत्र, श्याम वर्ण, शांति के मूर्तिमान स्वरूप, लोकों के मनमोहक, रघुकुल के तिलक और रावण के शत्रु हैं।

  1. श्लोक 24:
रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे।  
रघुनाथाय नाथाय सीतायाः पतये नमः॥

अर्थ:
मैं राम, रामभद्र, रामचन्द्र, वेधस, रघुनाथ, नाथ और सीता के पति राम को नमन करता हूँ।

  1. श्लोक 25:
श्रीराम राम रघुनन्दन राम राम।  
श्रीराम राम भरताग्रज राम राम॥  
श्रीराम राम रणकर्कश राम राम।  
श्रीराम राम शरणं भव राम राम॥

अर्थ:
हे श्रीराम, हे रघुकुल नंदन राम, हे भरत के अग्रज राम, हे रणधीर राम, हे श्रीराम, मुझे आपकी शरण प्राप्त हो।

  1. श्लोक 26:
श्रीरामचन्द्रचरणौ मनसा स्मरामि।  
श्रीरामचन्द्रचरणौ वचसा गृणामि।  
श्रीरामचन्द्रचरणौ शिरसा नमामि।  
श्रीरामचन्द्रचरणौ शरणं प्रपद्ये॥

अर्थ:
मैं मन, वचन और कर्म से श्रीरामचन्द्र के चरणों का स्मरण करता हूँ, उनका गान करता हूँ, और उन्हें शिर से प्रणाम करता हूँ। मैं श्रीरामचन्द्र के चरणों में शरण लेता हूँ।

  1. श्लोक 27:
माता रामो मत्पिता रामचन्द्रः।  
स्वामी रामो मत्सखा रामचन्द्रः।  
सर्वस्वं मे रामचन्द्रो दयालुः।  
नान्यं जाने नैव जाने न जाने॥

अर्थ:
मेरे माता-पिता, स्वामी, सखा और सर्वस्व रामचन्द्र ही हैं। मैं रामचन्द्र के अतिरिक्त किसी को नहीं जानता, और न ही जानना चाहता हूँ।

  1. श्लोक 28:
दक्षिणे लक्ष्मणो यस्य वामे तु जनकात्मजा।  
पुरतो मारुतिर्यस्य तं वन्दे रघुनन्दनम्॥

अर्थ:
मैं उस रघुनंदन श्रीराम को प्रणाम करता हूँ, जिनके दक्षिण में लक्ष्मण और बाईं ओर जनकनंदिनी सीता हैं, और जिनके आगे हनुमान हैं।

  1. श्लोक 29:
लोकाभिरामं रणरङ्गधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम्।  
कारुण्यरूपं करुणाकरं तं श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये॥

अर्थ:
जो लोकों के मन को भाने वाले, युद्ध में धीर, कमल के समान नेत्रों वाले, रघुवंश के नायक, करुणा के रूप और करुणाकर रामचन्द्र हैं, उनकी शरण मैं प्राप्त करता हूँ।

“`
मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्।
वातात्मजं वानरयूथमुख्य

राम रक्षा स्तोत्र के लाभ

  1. सुरक्षा प्रदान करना: यह स्तोत्र पढ़ने वाले को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक सुरक्षा प्रदान करता है।
  2. सकारात्मक ऊर्जा का संचार: इसके नियमित पाठ से घर और व्यक्ति में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  3. संकटों से मुक्ति: जीवन में आने वाली हर प्रकार की कठिनाइयों और संकटों से रक्षा करता है।
  4. मन की शांति: इसका पाठ करने से मन को शांति और स्थिरता मिलती है।
  5. आत्मबल में वृद्धि: यह स्तोत्र आत्मबल और आत्मविश्वास में वृद्धि करता है।
  6. शत्रुओं से रक्षा: शत्रुओं और विरोधियों से रक्षा करने में सहायक होता है।
  7. परिवार की सुरक्षा: परिवार के सभी सदस्यों की सुरक्षा करता है।
  8. सपनों में डर से मुक्ति: इससे रात में बुरे सपनों से मुक्ति मिलती है।
  9. धन की प्राप्ति: आर्थिक समृद्धि और स्थिरता लाने में सहायक होता है।
  10. स्वास्थ्य में सुधार: स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को दूर करने में मददगार होता है।
  11. विद्या और ज्ञान की प्राप्ति: यह विद्या, ज्ञान और बुद्धिमत्ता में वृद्धि करता है।
  12. आध्यात्मिक उन्नति: आत्मज्ञान और आध्यात्मिक विकास में सहायक होता है।
  13. समाज में प्रतिष्ठा: समाज में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है।
  14. दुखों का नाश: इसके नियमित पाठ से व्यक्ति के दुख और कष्ट दूर होते हैं।
  15. सफलता की प्राप्ति: जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने में सहायक होता है।
  16. विवाह में बाधाओं का निवारण: विवाह में आने वाली बाधाओं को दूर करता है।
  17. संतान प्राप्ति: संतान सुख की प्राप्ति के लिए भी इसका पाठ लाभकारी होता है।
  18. विवादों का समाधान: पारिवारिक और सामाजिक विवादों को सुलझाने में मदद करता है।
  19. धार्मिक और आध्यात्मिक सुरक्षा: धर्म और आध्यात्मिक क्षेत्र में व्यक्ति को मजबूत बनाता है।
  20. मानसिक शक्ति: मानसिक शक्ति और स्थिरता में वृद्धि करता है।

राम रक्षा स्तोत्र की विधि

पाठ करने की विधि:

  1. समय का चयन: राम रक्षा स्तोत्र का पाठ प्रातःकाल (सुबह) और संध्याकाल (शाम) में करना उत्तम माना जाता है। ब्रह्ममुहूर्त में (सुबह 4-6 बजे) किया गया पाठ विशेष फलदायी होता है।
  2. शुद्धि: पाठ से पहले शुद्धि का ध्यान रखें। स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  3. पूजा स्थल: भगवान श्रीराम की मूर्ति या तस्वीर के सामने बैठकर पाठ करें। अगर संभव हो तो रामायण या श्रीरामचरितमानस का भी पूजन करें।
  4. आरम्भ: पाठ की शुरुआत भगवान गणेश और भगवान श्रीराम की वंदना से करें। इसके बाद राम रक्षा स्तोत्र का पाठ आरम्भ करें।
  5. संख्या: इसका पाठ प्रतिदिन 1, 3, 5, 7, या 11 बार किया जा सकता है।
  6. संकल्प: पाठ के पहले एक संकल्प लें कि आप किस उद्देश्य से इसका पाठ कर रहे हैं।
  7. सभी श्लोकों का पाठ: संपूर्ण राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करें। यदि संभव हो तो इसे संस्कृत में ही पढ़ें।
  8. ध्यान: पाठ करते समय भगवान श्रीराम के स्वरूप का ध्यान करें।
  9. भोजन: पाठ से पहले तामसिक (गंदा या भारी) भोजन न करें। सात्विक भोजन करें।
  10. समर्पण: अंत में भगवान श्रीराम को समर्पित करें और उनके आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करें।

नियम

  1. नियमितता: राम रक्षा स्तोत्र का नियमित रूप से पाठ करें। इसे बीच-बीच में बंद न करें।
  2. सच्ची श्रद्धा: पाठ करते समय मन में सच्ची श्रद्धा और विश्वास रखें।
  3. शुद्धता: पाठ के समय शरीर, मन और स्थान की शुद्धता का ध्यान रखें।
  4. सावधानी: पाठ के दौरान असभ्य या अनावश्यक विचारों से बचें।
  5. ध्यान: पाठ करते समय भगवान श्रीराम के प्रति ध्यान केंद्रित रखें।
  6. सात्विक आहार: पाठ के दौरान सात्विक आहार लें और मांसाहार से बचें।
  7. अनुशासन: नियमित समय और स्थान का पालन करें।
  8. सात्विक विचार: पढ़ने के दौरान और उसके बाद सात्विक और सकारात्मक विचार रखें।
  9. व्रत: विशेष उद्देश्यों के लिए पाठ के साथ व्रत भी रख सकते हैं।
  10. परिवार के लिए पाठ: परिवार के सदस्यों के लिए भी इसका पाठ करें, इससे पूरे परिवार को लाभ होता है।

Kamakhya sadhana shivir

राम रक्षा स्तोत्र पढ़ते समय सावधानियाँ

  1. पवित्रता बनाए रखें: पाठ के समय शरीर और मन की पवित्रता बनाए रखें।
  2. समय का पालन: निर्धारित समय पर ही पाठ करें।
  3. ध्यान और एकाग्रता: पाठ करते समय ध्यान और एकाग्रता बनाए रखें, अन्यथा इसका प्रभाव कम हो सकता है।
  4. सही उच्चारण: श्लोकों का सही उच्चारण करें। यदि उच्चारण में कठिनाई हो तो किसी विद्वान की मदद लें।
  5. आसनों का ध्यान: पाठ करते समय आरामदायक और स्थिर आसन पर बैठें।
  6. व्रत और उपवास: यदि आप व्रत या उपवास कर रहे हैं तो केवल सात्विक आहार लें।
  7. सामाजिक अनुशासन: पाठ के समय शांति बनाए रखें और अनावश्यक बातचीत से बचें।
  8. भोजन का नियम: पाठ से पहले और बाद में तामसिक भोजन न करें। सात्विक भोजन करें।
  9. अधूरी पाठ न छोड़ें: यदि एक बार पाठ शुरू कर दिया है तो उसे बीच में अधूरा न छोड़ें।
  10. अशुभ समय में न करें: किसी अशुभ समय, जैसे अमावस्या की रात या ग्रहण के दौरान पाठ न करें।

Spiritual store

राम रक्षा स्तोत्र – पृश्न उत्तर

  1. राम रक्षा स्तोत्र का क्या महत्व है?
    यह स्तोत्र भगवान श्रीराम की कृपा और सुरक्षा प्राप्त करने का एक साधन है। इसे नियमित रूप से पढ़ने से व्यक्ति को हर प्रकार की कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है।
  2. क्या यह स्तोत्र किसी भी समय पढ़ा जा सकता है?
    हाँ, लेकिन प्रातःकाल या संध्याकाल में इसका पाठ करना विशेष रूप से फलदायी माना जाता है।
  3. राम रक्षा स्तोत्र को पढ़ने के लिए कौन-सी भाषा उपयुक्त है?
    यह स्तोत्र संस्कृत में लिखा गया है, लेकिन आप इसे अपनी सुविधा के अनुसार हिंदी, अंग्रेज़ी या किसी भी अन्य भाषा में पढ़ सकते हैं।
  4. क्या महिलाएं भी राम रक्षा स्तोत्र का पाठ कर सकती हैं?
    हाँ, महिलाएं भी इसका पाठ कर सकती हैं और उन्हें भी इसका लाभ प्राप्त होता है।
  5. क्या इसका पाठ करने से इच्छित फल मिलता है?
    हाँ, इसे श्रद्धा और विश्वास के साथ करने से इच्छित फल की प्राप्ति होती है।
  6. क्या किसी विशेष पूजा सामग्री की आवश्यकता होती है?
    नहीं, लेकिन आप भगवान श्रीराम की मूर्ति या तस्वीर के सामने धूप, दीप, फूल आदि का प्रयोग कर सकते हैं।
  7. क्या इसे पाठ के दौरान व्रत करना आवश्यक है?
    व्रत करना आवश्यक नहीं है, लेकिन विशेष लाभ प्राप्त करने के लिए आप व्रत कर सकते हैं।
  8. क्या इसका पाठ घर के बाहर भी किया जा सकता है?
    हाँ, इसे आप किसी भी पवित्र स्थान पर कर सकते हैं।
  9. इसका पाठ कितनी बार करना चाहिए?
    इसे प्रतिदिन एक बार, तीन बार, सात बार, या 11 बार किया जा सकता है।
  10. राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करने के लिए कौन-सा दिन शुभ होता है?
    इसे किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन मंगलवार और शनिवार को विशेष लाभकारी माना जाता है।
  11. राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करने से कौन-से कष्ट दूर होते हैं?
    यह शारीरिक, मानसिक, आर्थिक और आध्यात्मिक सभी प्रकार के कष्टों को दूर करता है।
  12. क्या यह स्तोत्र शत्रुओं से रक्षा करता है?
    हाँ, इसका पाठ शत्रुओं से सुरक्षा प्रदान करता है।
  13. क्या इसके पाठ से परिवार की सुरक्षा होती है?
    हाँ, इसके पाठ से पूरे परिवार की सुरक्षा होती है।
  14. राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करते समय किस दिशा में बैठना चाहिए?
    पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठना शुभ माना जाता है।
  15. क्या यह स्तोत्र बच्चों के लिए भी लाभकारी है?
    हाँ, बच्चों के लिए भी यह स्तोत्र अत्यंत लाभकारी होता है।
  16. क्या इसका पाठ रात में किया जा सकता है?
    हाँ, इसे रात में भी किया जा सकता है, विशेषकर यदि आपको डरावने सपने आते हों।
  17. क्या इसके पाठ के लिए किसी विशेष अनुष्ठान की आवश्यकता है?
    नहीं, इसे साधारण रूप से भी किया जा सकता है, लेकिन आप अनुष्ठान के साथ भी इसे कर सकते हैं।
  18. क्या इसके पाठ से रोगों से मुक्ति मिलती है?
    हाँ, इसके पाठ से स्वास्थ्य में सुधार और रोगों से मुक्ति मिलती है।
  19. क्या राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करने से धन की प्राप्ति होती है?
    हाँ, यह आर्थिक समस्याओं को दूर करता है और समृद्धि लाता है।
  20. राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करते समय क्या सावधानी रखनी चाहिए?
    सही उच्चारण, पवित्रता, और ध्यान की एकाग्रता का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
spot_img
spot_img

Related Articles

KAMAKHYA SADHANA SHIVIRspot_img
PITRA DOSHA NIVARAN PUJANspot_img

Latest Articles

FREE HOROSCOPE CONSULTINGspot_img
BAGALAMUKHI SHIVIR BOOKINGspot_img
Select your currency