नारायणी कवचम् पाठ- देवी का आशिर्वाद तुरंत पाये
यह पाठ, देवी महालक्ष्मी के स्वरूपों में से एक, नारायणी देवी का शक्तिशाली स्तोत्र है। यह कवच किसी भी प्रकार के संकट, भय, रोग, और अन्य नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा प्रदान करने के लिए अत्यंत प्रभावी माना जाता है। यह कवच देवी दुर्गा के नवदुर्गा स्वरूपों की स्तुति करता है और भक्तों को सभी प्रकार की विपदाओं से बचाता है।
नारायणी कवचम् पाठ क्या है?
यह कवचम् देवी महालक्ष्मी की स्तुति में रचित एक महत्वपूर्ण कवच है, जो देवी महात्म्यम् (दुर्गा सप्तशती) के अंतर्गत आता है। यह कवच देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की महिमा का वर्णन करता है और भक्तों को विभिन्न प्रकार की विपत्तियों और कष्टों से बचाने के लिए अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है।
नारायणी कवचम्
ॐ अस्य श्री नारायणी कवचस्य ब्रह्मा ऋषिः, अनुष्टुप छन्दः, श्री महाकाली महालक्ष्मी महा सरस्वत्यो देवताः।
श्री जगदम्बा प्रीत्यर्थे नारायणी कवच पठने विनियोगः।
ॐ नमश्चण्डिकायै।
मार्कण्डेय उवाच
ॐ यद्गुह्यं परमं लोके सर्वरक्षाकरं नृणाम्।
यन्न कस्यचिदाख्यातं तन्मे ब्रूहि पितामह॥ १॥
ब्रह्मोवाच
अस्ति गुह्यतमं विप्र सर्वभूतोपकारकम्।
देव्यास्तु कवचं पुण्यं तच्छृणुष्व महामुने॥ २॥
प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी।
तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम्॥ ३॥
पञ्चमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च।
सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम्॥ ४॥
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गाः प्रकीर्तिताः।
उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना॥ ५॥
अग्निना दह्यमानस्तु शत्रुमध्ये गतो रणे।
विषमे दुर्गमे चैव भयार्ताः शरणं गताः॥ ६॥
न तेषां जायते किञ्चिदशुभं रणसंकटे।
नापदं तस्य पश्यामि शोकदुःखभयं न हि॥ ७॥
यं यं चिन्तयते कामं तं तं प्राप्नोति निश्चितम्।
परमं रूपमव्यक्तमथवा अपि यत्स्थितम्॥ ८॥
नारीणां प्रियदं नाम यदाऽऽशु प्राप्यते पुनः।
कुमारीं साधयेत्साध्वीं स्तुत्वा नामेन तत्क्षणात्॥ ९॥
अश्वत्थवृक्षं पूजयेत्स्नात्वा तु यत्नतः।
नामधेयं ततश्चापि सिध्यते नात्र संशयः॥ १०॥
एतद्देव्या महासंस्थानं यत्किंचिदुपलभ्यते।
विजयते सर्वमस्त्राणामविचार्य वदाम्यहम्॥ ११॥
॥ इति श्री नारायणी कवचम् सम्पूर्णम् ॥
कवचम् पाठ संपूर्ण अर्थ
श्लोक 1-2:
मार्कण्डेय ऋषि कहते हैं – “हे पितामह! वह गुप्त और परम रहस्य, जो संसार में सभी के लिए रक्षक है, जो किसी को भी प्रकट नहीं किया गया है, कृपया मुझे बताइए।”
ब्रह्मा कहते हैं – “हे विप्र! यह गुप्ततम और पवित्र कवच, जो सभी जीवों के लिए कल्याणकारी है, सुनिए। यह देवी का कवच है, जो अत्यंत पुण्यदायक है।”
अर्थ: नारायणी कवचम् एक गुप्त और शक्तिशाली कवच है जो सभी प्रकार के संकटों से रक्षा करता है। ब्रह्मा जी इसे मार्कण्डेय ऋषि को बताते हैं, जो इसे अन्य लोगों के लिए जानने योग्य बताते हैं।
श्लोक 3-5:
प्रथम शैलपुत्री, द्वितीय ब्रह्मचारिणी, तृतीय चन्द्रघण्टा, चतुर्थ कूष्माण्डा, पंचम स्कंदमाता, षष्ठम कात्यायनी, सप्तम कालरात्रि, अष्टम महागौरी, नवम सिद्धिदात्री — ये नौ दुर्गा के नाम हैं। इन नौ नामों को ब्रह्मा जी ने स्वयं बताया है।
अर्थ: इन श्लोकों में देवी दुर्गा के नौ रूपों के नामों का वर्णन किया गया है, जिन्हें नवदुर्गा के नाम से जाना जाता है।
श्लोक 6-7:
जो लोग अग्नि में जलते हुए, शत्रुओं के बीच युद्ध में फंसे हुए, या विषम परिस्थितियों में, कष्ट में, भय से ग्रस्त होते हैं और इन देवियों की शरण में जाते हैं, उनके लिए कोई भी अशुभ, संकट, शोक, दुःख, या भय नहीं होता।
अर्थ: इस कवच का पाठ करने वाले भक्तों को किसी भी प्रकार का भय, संकट, शोक या दुःख नहीं होता। देवी का कवच उन्हें हर प्रकार के संकट से बचाता है।
श्लोक 8-10:
जो कोई भी व्यक्ति जिस किसी भी कामना को सोचता है, वह उसे अवश्य ही प्राप्त करता है, चाहे वह कोई भी रूप हो या स्थिति।
अर्थ: नारायणी कवचम् का पाठ करने से भक्तों की सभी इच्छाएँ पूर्ण होती हैं। यह कवच अत्यंत प्रभावकारी है और किसी भी संकट से रक्षा करता है।
श्लोक 11:
देवी के इस महासंस्थान (कवच) के द्वारा प्राप्त होने वाला कोई भी कार्य असंभव नहीं होता। यह सभी अस्त्रों पर विजय प्राप्त कर सकता है, इस बात में कोई संदेह नहीं है।
अर्थ: नारायणी कवचम् का पाठ किसी भी परिस्थिति में अत्यंत शक्तिशाली होता है और यह हर प्रकार की कठिनाई पर विजय प्राप्त करने में सक्षम है।
नारायणी कवचम् के लाभ
- सुरक्षा प्रदान करना: नारायणी कवचम् का पाठ करने से व्यक्ति को सभी प्रकार के संकटों और नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा मिलती है।
- स्वास्थ्य लाभ: यह कवच स्वास्थ्य के लिए भी बहुत लाभकारी है। रोग और बीमारियों से बचाव में यह कवच अत्यधिक प्रभावी है।
- धन और समृद्धि: नारायणी कवचम् का पाठ करने से व्यक्ति को आर्थिक समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है।
- मानसिक शांति: यह कवच मानसिक तनाव को दूर करने और शांति प्राप्त करने में सहायता करता है।
- शत्रु नाश: शत्रुओं से सुरक्षा और उनके नाश के लिए नारायणी कवचम् बहुत प्रभावी है।
- अवरोधों का निवारण: जीवन के सभी अवरोधों को दूर करने में यह कवच सहायक है।
- भाग्य वृद्धि: यह कवच भाग्य वृद्धि के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है।
- धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति: नारायणी कवचम् का नियमित पाठ व्यक्ति के आध्यात्मिक और धार्मिक उन्नति में सहायक होता है।
- दुर्गा भक्तों के लिए विशेष लाभ: यह कवच विशेष रूप से दुर्गा भक्तों के लिए लाभकारी होता है।
- दुष्ट आत्माओं से सुरक्षा: यह कवच व्यक्ति को दुष्ट आत्माओं और बुरी शक्तियों से बचाता है।
- शांति और संतुलन: यह मानसिक शांति और संतुलन को बनाए रखने में सहायक होता है।
- संकट से मुक्ति: किसी भी प्रकार के संकट से मुक्ति के लिए यह कवच प्रभावी होता है।
- परिवार की सुरक्षा: नारायणी कवचम् का पाठ परिवार की सुरक्षा के लिए भी किया जाता है।
- सफलता की प्राप्ति: यह कवच सभी कार्यों में सफलता प्राप्त करने में सहायक होता है।
- शारीरिक और मानसिक बल: यह कवच शारीरिक और मानसिक बल को बढ़ाता है।
कवचम् विधि
दिन: नारायणी कवचम् पाठ किसी भी दिन आरंभ किया जा सकता है, लेकिन नवरात्रि के दिनों में इसका विशेष महत्व है। मंगलवार या शुक्रवार को भी यह पाठ शुरू किया जा सकता है।
अवधि: इस कवच का पाठ 41 दिनों तक निरंतर करना शुभ माना जाता है।
मुहूर्त: सुबह ब्रह्म मुहूर्त (4:00 से 6:00 बजे के बीच) या शाम को सूर्यास्त के समय (6:00 से 7:30 बजे के बीच) इसका पाठ करना शुभ होता है।
कवचम् के नियम
- पूजा विधि: सुबह स्नान करने के बाद, एक स्वच्छ और शांत स्थान पर देवी दुर्गा की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाकर नारायणी कवचम् का पाठ करना चाहिए। पाठ करते समय देवी को पुष्प, धूप, और नैवेद्य अर्पित करें।
- गुप्त साधना: नारायणी कवचम् का पाठ एकांत में और गोपनीय रूप से करना चाहिए। साधना को गुप्त रखना आवश्यक होता है ताकि साधक की ऊर्जा और ध्यान भंग न हो।
- शुद्धता: साधक को शुद्धता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। शारीरिक और मानसिक रूप से शुद्ध रहकर ही यह पाठ करना चाहिए।
- समर्पण भाव: पाठ करते समय पूर्ण समर्पण और श्रद्धा का भाव होना चाहिए।
कवचम् में सावधानियाँ
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- नियमितता: नारायणी कवचम् पाठ नियमित रूप से करना चाहिए। यदि किसी कारणवश पाठ करना संभव न हो, तो अगले दिन उसे पूरा करें।
- एकाग्रता: पाठ करते समय मन को एकाग्र रखना चाहिए। ध्यान भटकने से कवच का प्रभाव कम हो सकता है।
- शुद्ध वातावरण: शुद्ध और पवित्र स्थान पर ही इस कवच का पाठ करना चाहिए।
- अन्य साधनाओं का संयोजन: अन्य तांत्रिक साधनाओं के साथ नारायणी कवचम् का पाठ न करें, जब तक कि किसी योग्य गुरु से मार्गदर्शन न लिया गया हो।
प्रश्न और उत्तर
प्रश्न 1: नारायणी कवचम् पाठ क्या है?
उत्तर: नारायणी कवचम् देवी दुर्गा के नारायणी स्वरूप की स्तुति में रचित एक शक्तिशाली कवच है जो भक्तों को संकटों से सुरक्षा प्रदान करता है।
प्रश्न 2: इस कवचम् का पाठ किसे करना चाहिए?
उत्तर: हां इस नारायणी कवचम् पाठ कोई भी कर सकता है जो देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त करना चाहता है। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए उपयोगी है जो सुरक्षा, समृद्धि, और शांति की तलाश में हैं।
प्रश्न 3: नारायणी कवचम् के क्या लाभ हैं?
उत्तर: नारायणी कवचम् पाठ के लाभों में सुरक्षा, स्वास्थ्य लाभ, आर्थिक समृद्धि, शत्रु नाश, मानसिक शांति, और आध्यात्मिक उन्नति शामिल हैं।
प्रश्न 4: नारायणी कवचम् पाठ कब शुरू करना चाहिए?
उत्तर: किसी भी शुभ दिन पर, विशेषकर नवरात्रि के समय, मंगलवार या शुक्रवार को इस कवच का पाठ शुरू किया जा सकता है।
प्रश्न 5: नारायणी कवचम् पाठ कैसे करें?
उत्तर: सुबह स्नान के बाद स्वच्छ स्थान पर देवी दुर्गा की मूर्ति के सामने दीपक जलाकर और पुष्प, धूप, नैवेद्य अर्पित करते हुए इस कवच का पाठ करें।
प्रश्न 6: नारायणी कवचम् पाठ कितने दिनों तक करना चाहिए?
उत्तर: इस कवच का पाठ कम से कम 41 दिनों तक नियमित रूप से करना चाहिए।
प्रश्न 7: पाठ के समय किन नियमों का पालन करना चाहिए?
उत्तर: नारायणी कवचम् पाठ के समय शुद्धता, नियमितता, एकाग्रता, और साधना की गोपनीयता का पालन करना चाहिए।
प्रश्न 8: क्या इस नारायणी कवचम् पाठ अकेले करना चाहिए या समूह में?
उत्तर: इस कवचम् का पाठ एकांत में करना अधिक लाभकारी होता है, हालांकि समूह में भी इसे किया जा सकता है।
प्रश्न 9: कवचम् के पाठ के दौरान किन सावधानियों का पालन करना चाहिए?
उत्तर: नारायणी कवचम् पाठ के दौरान नियमितता, शुद्धता, एकाग्रता और शुद्ध वातावरण का ध्यान रखना चाहिए।