spot_img

Rajeshwari Kavacham for Wealth & Protection

राजेश्वरी कवच देवी राजेश्वरी, जिन्हें त्रिपुरा सुंदरी या ललिता देवी के नाम से भी जाना जाता है, का एक अत्यंत शक्तिशाली कवच (रक्षा स्तोत्र) है। यह कवच भक्तों को देवी के अनंत कृपा और सुरक्षा का आशीर्वाद देता है। राजेश्वरी कवच का नियमित पाठ भक्त को आध्यात्मिक और भौतिक दोनों क्षेत्रों में उन्नति दिलाता है। यह स्तोत्र देवी की महिमा का गान करता है और भक्त को हर प्रकार की बाधाओं और नकारात्मक शक्तियों से बचाता है।

संपूर्ण राजेश्वरी कवच और उसका अर्थ

राजेश्वरी कवच का पाठ

  1. श्री गणेशाय नमः।
  2. अस्य श्रीराजेश्वरी कवचस्य, भगवान् हयग्रीव ऋषिः। अनुष्टुप् छन्दः। श्रीराजेश्वरी देवता। ह्लीं बीजम्। श्रीं शक्तिः। क्लीं कीलकम्। मम श्रीराजेश्वरी प्रसाद सिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः॥ अर्थ: इस कवच के रचयिता ऋषि भगवान हयग्रीव हैं। छंद अनुष्टुप है। श्रीराजेश्वरी देवी इसकी अधिष्ठात्री देवता हैं। बीज मंत्र “ह्लीं” है, शक्ति मंत्र “श्रीं” है, और कीलक मंत्र “क्लीं” है। इसका जप करने से श्रीराजेश्वरी देवी की कृपा प्राप्त होती है।
  3. राज्ये राज्ये महादेवि महाभय विनाशिनि। ह्लींकारि कामजननी श्रीराजेश्वरि पातु माम्॥ १॥ अर्थ: हे महादेवी! आप प्रत्येक राज्य की रक्षक हैं और सभी प्रकार के बड़े भय का नाश करने वाली हैं। “ह्लीं” बीज मंत्र के साथ कामदेव की जननी राजेश्वरी देवी मेरी रक्षा करें।
  4. हृदि पातु महादेवी श्रीराज्ञी सर्वमङ्गला। ललाटे त्रिपुरा पातु भ्रूमध्ये भुवनेश्वरी॥ २॥ अर्थ: मेरे हृदय की रक्षा महादेवी, सर्वमंगलकारी श्रीराज्ञी करें। मेरे ललाट की रक्षा त्रिपुरा देवी करें और मेरे भ्रूमध्य की रक्षा भुवनेश्वरी देवी करें।
  5. नेत्रे ललिता पातु कर्णौ काञ्चनमालिनी। नासिके नासिकामध्यस्था ओष्ठे माणिक्यलिप्सना॥ ३॥ अर्थ: मेरी आँखों की रक्षा ललिता देवी करें, मेरे कानों की रक्षा काञ्चनमालिनी करें। मेरी नासिका की रक्षा नासिका के मध्य में स्थित देवी करें और मेरे होंठों की रक्षा माणिक्यलिप्सना करें।
  6. मुखे मोक्षप्रदा पातु दन्तान् देविमुखाम्बुजा। चिबुके चन्द्रिका पातु कण्ठे कण्ठारविन्दिका॥ ४॥ अर्थ: मेरे मुख की रक्षा मोक्ष प्रदान करने वाली देवी करें, मेरे दाँतों की रक्षा देवी के मुखाम्बुजा करें। मेरी ठोड़ी की रक्षा चन्द्रिका देवी करें और मेरे गले की रक्षा कण्ठारविन्दिका करें।
  7. उरःस्थले महालक्ष्मीः पृष्ठे पातु महेश्वरी। बाहू कात्यायनी पातु हृदि श्रीराज्ञी सुन्दरि॥ ५॥ अर्थ: मेरे उरःस्थल (छाती) की रक्षा महालक्ष्मी करें, मेरी पीठ की रक्षा महेश्वरी देवी करें। मेरी बाहों की रक्षा कात्यायनी करें और मेरे हृदय की रक्षा श्रीराज्ञी सुंदरी करें।
  8. नाभौ जगन्माता पातु लिङ्गे पातु महेश्वरी। गुदे पातु महामाया कट्यां कामेश्वरी तथा॥ ६॥ अर्थ: मेरी नाभि की रक्षा जगन्माता करें, लिंग की रक्षा महेश्वरी करें। मेरे गुदे की रक्षा महामाया करें और मेरी कटि की रक्षा कामेश्वरी करें।
  9. ऊरु बाला बलप्रदा जानुनी कूर्मवासिनी। जङ्घायां भुवनेशानी गुल्फयोः पार्वती तथा॥ ७॥ अर्थ: मेरे ऊरु (जांघों) की रक्षा बाला देवी करें, जो बल प्रदान करती हैं। मेरे घुटनों की रक्षा कूर्मवासिनी देवी करें और मेरी जंघाओं की रक्षा भुवनेशानी करें। मेरे टखनों की रक्षा पार्वती देवी करें।
  10. पादौ पातु महादेवी सर्वाङ्गे शिवनन्दिनी। एषा मे देहजा पातु राजराजेश्वरी सदा॥ ८॥ अर्थ: मेरे पैरों की रक्षा महादेवी करें और पूरे शरीर की रक्षा शिवनन्दिनी करें। इस प्रकार मेरे शरीर की रक्षा सदा राजराजेश्वरी करें।

राजेश्वरी कवच के लाभ

  1. सर्व बाधाओं का निवारण: राजेश्वरी कवच का पाठ सभी प्रकार की बाधाओं को दूर करता है।
  2. भय से मुक्ति: यह कवच भय, चिंता और अनिश्चितता को दूर करता है।
  3. धन और समृद्धि: राजेश्वरी कवच का पाठ आर्थिक समृद्धि और धन-धान्य की प्राप्ति कराता है।
  4. शत्रुओं से रक्षा: यह कवच शत्रुओं से सुरक्षा और उनके नाश के लिए अत्यधिक प्रभावी है।
  5. स्वास्थ्य लाभ: इस कवच का पाठ शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करता है।
  6. मानसिक शांति: राजेश्वरी कवच का पाठ मानसिक तनाव को दूर कर मन को शांति प्रदान करता है।
  7. संकट से सुरक्षा: यह कवच जीवन के सभी संकटों से सुरक्षा प्रदान करता है।
  8. परिवार की सुरक्षा: परिवार के सदस्यों के लिए सुरक्षा कवच के रूप में कार्य करता है।
  9. आध्यात्मिक उन्नति: इसका पाठ व्यक्ति के आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होता है।
  10. सकारात्मक ऊर्जा का संचार: यह कवच सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
  11. विघ्नों का निवारण: जीवन में आने वाले सभी विघ्नों को दूर करता है।
  12. भाग्य वृद्धि: भाग्य में वृद्धि और सफलता प्राप्ति के लिए यह कवच अत्यधिक लाभकारी है।
  13. शक्ति और साहस: यह कवच शक्ति और साहस प्रदान करता है।
  14. दुष्ट आत्माओं से सुरक्षा: बुरी शक्तियों और दुष्ट आत्माओं से सुरक्षा प्रदान करता है।
  15. कार्यों में सफलता: यह कवच सभी कार्यों में सफलता प्राप्त करने में सहायक होता है।

राजेश्वरी कवच विधि

दिन: राजेश्वरी कवच का पाठ किसी भी दिन आरंभ किया जा सकता है, लेकिन शुक्रवार और नवरात्रि के दिनों में इसका विशेष महत्व है।

अवधि (41 दिन): इस कवच का पाठ कम से कम 41 दिनों तक निरंतर करना शुभ माना जाता है।

मुहूर्त: सुबह ब्रह्म मुहूर्त (4:00 से 6:00 बजे के बीच) या शाम को सूर्यास्त के समय (6:00 से 7:30 बजे के बीच) इसका पाठ करना शुभ होता है।

राजेश्वरी कवच के नियम

  1. पूजा विधि: स्नान करने के बाद, एक स्वच्छ और शांत स्थान पर देवी राजेश्वरी की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाकर राजेश्वरी कवच का पाठ करना चाहिए। पाठ करते समय देवी को पुष्प, धूप, और नैवेद्य अर्पित करें।
  2. गुप्त साधना: राजेश्वरी कवच का पाठ एकांत में और गोपनीय रूप से करना चाहिए। साधना को गुप्त रखना आवश्यक होता है ताकि साधक की ऊर्जा और ध्यान भंग न हो।
  3. शुद्धता: साधक को शुद्धता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। शारीरिक और मानसिक रूप से शुद्ध रहकर ही यह पाठ करना चाहिए।
  4. समर्पण भाव: पाठ करते समय पूर्ण समर्पण और श्रद्धा का भाव होना चाहिए।

Kamakhya sadhana shivir at bagalamukhi ashram

राजेश्वरी कवच में सावधानियाँ

  1. नियमितता: राजेश्वरी कवच का पाठ नियमित रूप से करना चाहिए। यदि किसी कारणवश पाठ करना संभव न हो, तो अगले दिन उसे पूरा करें।
  2. एकाग्रता: पाठ करते समय मन को एकाग्र रखना चाहिए। ध्यान भटकने से कवच का प्रभाव कम हो सकता है।
  3. शुद्ध वातावरण: शुद्ध और पवित्र स्थान पर ही इस कवच का पाठ करें।
  4. नकारात्मकता से बचें: पाठ के दौरान और उसके बाद नकारात्मक विचारों से बचना चाहिए।
  5. अन्य साधनाओं से संयोजन न करें: इस कवच का पाठ करते समय अन्य साधनाओं या मंत्रों का उच्चारण न करें, क्योंकि यह साधना की शुद्धता को प्रभावित कर सकता है।

Spiritual store

प्रश्न उत्तर

प्रश्न 1: राजेश्वरी कवच का पाठ कब करना चाहिए?
उत्तर: इसे ब्रह्म मुहूर्त में (सुबह 4:00 से 6:00 बजे) या शाम को सूर्यास्त के समय (6:00 से 7:30 बजे) करना चाहिए।

प्रश्न 2: राजेश्वरी कवच का पाठ कितने दिनों तक करना चाहिए?
उत्तर: इस कवच का पाठ कम से कम 41 दिनों तक निरंतर करना चाहिए।

प्रश्न 3: राजेश्वरी कवच के क्या लाभ हैं?
उत्तर: इस कवच के पाठ से भय, रोग, दरिद्रता, और शत्रुओं से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति प्राप्त होती है।

प्रश्न 4: इस कवच का महत्व क्या है?
उत्तर: यह कवच देवी राजेश्वरी की महिमा का बखान करता है और भक्तों को सभी प्रकार के संकटों, भय, और विपत्तियों से बचाता है।

प्रश्न 5: राजेश्वरी कवच के पाठ के नियम क्या हैं?
उत्तर: इस कवच का पाठ गोपनीय रूप से, नियमित रूप से, और पूर्ण समर्पण के साथ करना चाहिए।

प्रश्न 6: क्या राजेश्वरी कवच का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है?
उत्तर: हाँ, लेकिन ब्रह्म मुहूर्त या सूर्यास्त के समय इसका विशेष महत्व है।

प्रश्न 7: क्या राजेश्वरी कवच का पाठ केवल नवरात्रि में ही किया जा सकता है?
उत्तर: नहीं, इसका पाठ किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन नवरात्रि के समय इसका विशेष फल प्राप्त होता है।

प्रश्न 8: राजेश्वरी कवच के पाठ के लिए क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए?
उत्तर: नियमितता, एकाग्रता, शुद्धता, और अन्य साधनाओं से संयोजन न करना आवश्यक है।

प्रश्न 9: राजेश्वरी कवच का पाठ कैसे शुरू करें?
उत्तर: इसे शुद्ध शरीर और मन से, देवी राजेश्वरी की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाकर शुरू करें।

प्रश्न 10: क्या राजेश्वरी कवच का पाठ सभी कर सकते हैं?
उत्तर: हाँ, कोई भी व्यक्ति इस कवच का पाठ कर सकता है।

प्रश्न 11: राजेश्वरी कवच का पाठ करने से क्या परिणाम होता है?
उत्तर: इस कवच का पाठ करने से सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति और जीवन में समृद्धि प्राप्त होती है।

अंत मे

राजेश्वरी कवच देवी राजेश्वरी की महिमा का गान करता है और भक्तों को उनके अनंत कृपा का आशीर्वाद देता है। इसका नियमित पाठ सभी प्रकार की बाधाओं, भय, और नकारात्मकताओं से मुक्ति दिलाता है और जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति की प्राप्ति कराता है। श्रद्धा और नियम से इसका पाठ करने से देवी की कृपा से सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है।

spot_img
spot_img

Related Articles

KAMAKHYA SADHANA SHIVIRspot_img
PITRA DOSHA NIVARAN PUJANspot_img

Latest Articles

FREE HOROSCOPE CONSULTINGspot_img
BAGALAMUKHI SHIVIR BOOKINGspot_img
Select your currency