रुद्र नमकम् चमकम् स्तोत्र जो मनुष्य की हर इच्छा पूरी करे
रुद्र नमकम् चामकम् स्तोत्र यजुर्वेद का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें भगवान शिव के रुद्र रूप की स्तुति की गई है। यह स्तोत्र भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने, उनके आशीर्वाद और जीवन में समृद्धि के लिए पाठ किया जाता है। इसे श्री रुद्रम् के नाम से भी जाना जाता है और इसमें दो मुख्य भाग होते हैं: नमकम् और चमकम्।
नमकम् में “नमः” शब्द का बार-बार प्रयोग होता है, जिसका अर्थ है “नमन” या “प्रणाम”। यह भगवान रुद्र के विभिन्न रूपों और उनके प्रभाव की स्तुति करता है। चमकम् में “च” और “मे” शब्दों का प्रयोग होता होता है, जिससे इच्छाओं की पूर्ति की प्रार्थना की जाती है।
संपूर्ण नमकम् चमकम् स्तोत्र और उसका अर्थ
नमकम् (श्री रुद्रम् का प्रथम अंश)
नमकम् यजुर्वेद का एक महत्वपूर्ण भाग है, जिसे “श्री रुद्रम्” भी कहा जाता है। इसमें भगवान रुद्र की स्तुति की गई है, जो शिव का एक उग्र रूप है। यह मंत्र भगवान रुद्र की पूजा और उनके क्रोध को शांत करने के लिए होता है।
नमकम् स्तोत्र:
- नमस्ते रुद्र मन्यव उतोत इषवे नमः।
नमस्ते अस्तु धन्वने बाहुभ्यामुत ते नमः॥
अर्थ: हे रुद्र, आपके क्रोध को और आपके बाण को नमस्कार है। आपके धनुष और हाथों को भी नमस्कार है। - या ते रुद्र शिवा तनूरघोराऽपापकाशिनी।
तया नस्तन्वा शन्तमया गिरिशन्ताभिचाकशीहि॥
अर्थ: हे रुद्र, आपकी जो शिव (शांतिपूर्ण) और अपाप (पापरहित) देह है, उस देह के द्वारा हमें सुखी करें। - यामिषुं गिरिशन्त हस्ते बिभर्ष्यस्तवे।
शिवां गिरित्र तां कुरु मा हि हिंसीः पुरुषं जगतः॥
अर्थ: हे गिरिश (पहाड़ों के स्वामी), जो बाण आप हाथ में धारण करते हैं, वह शुभकारी हो। आप इस जगत के किसी भी प्राणी को हानि न पहुँचाएं। - शिवेन वचसा त्वा गिरिशाच्छा वदामसि।
यथा नः सर्वमिज्जगदयक्ष्मं सुमना असत॥
अर्थ: हे गिरिश, हम आपके लिए शिव (शुभ) वाणी बोलते हैं ताकि इस जगत के सभी रोग और कष्ट दूर हो जाएँ और हम सब खुशहाल हों। - अध्यक्षच शं च योऽधिवक्त प्रचेतसः।
धनं धनं धनं धनं धनं मे धेहि॥
अर्थ: हे भगवान, आप सबके स्वामी हैं। हमें धन, समृद्धि और सभी प्रकार की संपत्तियाँ दें।
चमकम् (श्री रुद्रम् का द्वितीय अंश)
चमकम् नमकम् के पश्चात आता है और यह भगवान रुद्र से भौतिक और आध्यात्मिक इच्छाओं की पूर्ति की याचना के लिए है। “च” और “मे” शब्दों की पुनरावृत्ति के कारण इसका नाम “चमकम्” पड़ा।
चमकम् स्तोत्र:
- अग्निश्च मे चन्द्रमाश्च मे मारुतश्च मे सोमे च मे।
अर्थ: हे भगवान, अग्नि, चन्द्रमा, वायु, और सोम रस भी मुझे प्राप्त हो। - राजा च मे राजनि च मे ब्राह्मणश्च मे ब्राह्मण्यं च मे।
अर्थ: हे भगवान, राजा और राज्य मुझे प्राप्त हों, ब्राह्मण और ब्राह्मणत्व भी मुझे प्राप्त हों। - अन्नमश्च मे पायश्च मे ग्रुतं च मे सर्पिःश्च मे।
अर्थ: हे भगवान, अनाज, दूध, घी, और मक्खन भी मुझे प्राप्त हों। - अश्वाश्च मे रथाश्च मे गवश्च मे वयश्च मे।
अर्थ: हे भगवान, घोड़े, रथ, गायें और जीवन शक्ति भी मुझे प्राप्त हो। - पुरुषश्च मे पशवश्च मे ग्रामश्च मे।
अर्थ: हे भगवान, पुरुष, पशु, और गाँव भी मुझे प्राप्त हों।
रुद्र नमकम् चमकम् स्तोत्र लाभ
- आध्यात्मिक उन्नति: नमकम् चामकम् का पाठ आत्मा की शुद्धि और आध्यात्मिक जागरूकता को बढ़ाता है।
- मन की शांति: यह स्तोत्र मानसिक शांति और स्थिरता प्रदान करता है।
- स्वास्थ्य लाभ: रुद्र की स्तुति करने से रोगों से मुक्ति और स्वास्थ्य में सुधार होता है।
- धन और समृद्धि: भगवान शिव की कृपा से धन-धान्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
- संकट निवारण: जीवन के सभी संकट और बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
- ग्रह दोष निवारण: यह पाठ सभी प्रकार के ग्रह दोषों को शांत करता है।
- कर्म सुधार: पुराने बुरे कर्मों के प्रभाव को कम करने में सहायक है।
- परिवारिक सुख: परिवार में सुख-शांति और समृद्धि का माहौल बनता है।
- कार्य सिद्धि: सभी कार्यों में सफलता और सिद्धि प्राप्त होती है।
- विरोधियों से रक्षा: शत्रुओं और विरोधियों से रक्षा होती है।
- भय से मुक्ति: सभी प्रकार के भय और चिंता से मुक्ति मिलती है।
- आध्यात्मिक साधना में प्रगति: साधक को साधना में उन्नति और सफलता मिलती है।
- भगवान शिव की कृपा: सीधे भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है, जो जीवन के हर क्षेत्र में फलीभूत होती है।
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रुद्र नमकम् चमकम् स्तोत्र विधि
पाठ के लिए दिन: सोमवार या प्रदोष (गुरुवार) को यह पाठ करना अत्यंत फलदायी माना जाता है।
अवधि: 41 दिनों तक लगातार पाठ करना चाहिए।
मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4:00 से 6:00 बजे के बीच) में यह पाठ करना श्रेष्ठ होता है।
रुद्र नमकम् चमकम् स्तोत्र पाठ विधि
- शुद्धि: स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा स्थान को भी स्वच्छ करें।
- आराधना: शिवलिंग या शिव की मूर्ति के समक्ष दीपक जलाएं और पुष्प अर्पित करें।
- आरम्भ: श्री गणेश और माता पार्वती का स्मरण कर पाठ प्रारम्भ करें।
- संकल्प: भगवान शिव की कृपा के लिए और इच्छित फल की प्राप्ति हेतु संकल्प लें।
- पाठ: नमकम् और चामकम् का पाठ श्रद्धा और ध्यान से करें।
- अर्घ्य: पाठ के बाद जल अर्पण (अर्घ्य) करें।
- प्रसाद: अंत में फल, मिठाई या अन्य प्रसाद चढ़ाएं और भक्तों में बांटें।
रुद्र नमकम् चमकम् स्तोत्र नियम
- पूजा की गोपनीयता: साधना और पूजा को गुप्त रखें। इसे अनावश्यक रूप से दूसरों को न बताएं।
- शुद्धता का पालन: मानसिक और शारीरिक शुद्धता का पालन करें। सात्विक आहार ग्रहण करें।
- अखंडता: पाठ के दौरान कोई व्यवधान न हो, इसका विशेष ध्यान रखें।
- संयम: 41 दिनों तक ब्रह्मचर्य और संयम का पालन करें।
- ध्यान: पाठ के दौरान भगवान शिव का ध्यान करें और अपने मन को एकाग्र रखें।
- धूप और दीप: पाठ के समय धूप और दीप जलते रहना चाहिए।
Rudra sadhana samagri with diksha
रुद्र नमकम् चमकम् स्तोत्र सावधानी
- विनम्रता: भगवान शिव की स्तुति करते समय हृदय में नम्रता और श्रद्धा होनी चाहिए।
- नियमों का पालन: उपरोक्त नियमों का पूर्णतः पालन करें, अन्यथा साधना का फल नहीं मिलता।
- भय न हो: भगवान शिव के रुद्र रूप का पाठ करते समय भयभीत न हों। वे दयालु हैं।
- संयमित आचरण: साधना के समय संयमित और धार्मिक आचरण करें।
- परामर्श: किसी भी प्रकार की परेशानी या संदेह की स्थिति में योग्य गुरु से परामर्श लें।
रुद्र नमकम् चमकम् स्तोत्र पृश्न और उत्तर
पृश्न 1: रुद्र नमकम् चामकम् का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर: इसका मुख्य उद्देश्य भगवान शिव की कृपा प्राप्त करना और जीवन के सभी क्षेत्रों में समृद्धि और शांति पाना है।
पृश्न 2: क्या रुद्र नमकम् और चामकम् को अलग-अलग पढ़ा जा सकता है?
उत्तर: हाँ, इन्हें अलग-अलग भी पढ़ा जा सकता है, लेकिन एक साथ पढ़ने से अधिक लाभ मिलता है।
पृश्न 3: इस पाठ को कौन कर सकता है?
उत्तर: कोई भी व्यक्ति, चाहे वह स्त्री हो या पुरुष, इस पाठ को कर सकता है।
पृश्न 4: पाठ के दौरान क्या प्रसाद चढ़ाना चाहिए?
उत्तर: फल, मिठाई, और दूध से बने प्रसाद अर्पित करना चाहिए।
पृश्न 5: क्या पाठ के दौरान व्रत रखना चाहिए?
उत्तर: व्रत रखना अनिवार्य नहीं है, लेकिन यह लाभदायक होता है।
पृश्न 6: पाठ के समय कौन से मंत्र का जप करना चाहिए?
उत्तर: पाठ के दौरान “ॐ नमः शिवाय” का जप करना चाहिए।
पृश्न 7: क्या कोई विशेष आसन पर बैठना चाहिए?
उत्तर: पाठ के समय कुशासन या रुद्राक्ष आसन पर बैठना चाहिए।
पृश्न 8: पाठ के दौरान क्या ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर: भगवान शिव का ध्यान और मन की एकाग्रता बनाए रखें।
पृश्न 9: 41 दिन पाठ क्यों करना चाहिए?
उत्तर: 41 दिन पाठ करने से साधना में अखंडता आती है और भगवान शिव की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।
पृश्न 10: क्या पाठ के समय कोई विशेष वस्त्र पहनना चाहिए?
उत्तर: स्वच्छ और सफेद वस्त्र पहनना श्रेष्ठ होता है।
पृश्न 11: क्या पाठ के बाद भोजन में कोई विशेष नियम है?
उत्तर: सात्विक आहार ग्रहण करें और मांसाहार से दूर रहें।
पृश्न 12: क्या साधना के लिए गुरु का होना आवश्यक है?
उत्तर: गुरु का मार्गदर्शन आवश्यक है, लेकिन यदि गुरु न हों, तो भी भगवान शिव की भक्ति से साधना की जा सकती है।