गुप्त लक्ष्मी मंत्र विधि जो हर तरह का भौतिक सुख प्रदान करे
गुप्त लक्ष्मी मंत्र एक शक्तिशाली और प्रभावशाली मंत्र है जो देवी लक्ष्मी को समर्पित है। यह मंत्र गुप्त साधना के अंतर्गत आता है, जो तंत्र विद्या का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। गुप्त लक्ष्मी मंत्र को सही विधि और नियमों के अनुसार जपने से साधक को धन, ऐश्वर्य, सुख-समृद्धि और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
यह मंत्र विशेष रूप से उन लोगों के लिए है जो आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे हैं, व्यापार में लाभ चाहते हैं, या अपने जीवन में स्थायी सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। इस मंत्र की सिद्धि के लिए साधक को निष्ठा, श्रद्धा और पूर्ण विश्वास के साथ मंत्र जप करना चाहिए।
मंत्र विनियोग
मंत्र का विनियोग वह प्रक्रिया है जिससे मंत्र को जाग्रत किया जाता है और उसका पूर्ण प्रभाव साधक पर होता है। गुप्त लक्ष्मी मंत्र का विनियोग निम्नलिखित प्रकार से किया जाता है:
- ध्यान: मंत्र का जप करने से पहले देवी लक्ष्मी का ध्यान करें। उनका स्वरूप मन में ध्यान करें – देवी लक्ष्मी को स्वर्ण सिंहासन पर विराजमान, चार हाथों में कमल, शंख, गदा और अभय मुद्रा में।
- संकल्प: साधक को अपने मन में एक संकल्प लेना चाहिए कि वह किस उद्देश्य के लिए इस मंत्र का जप कर रहा है। जैसे – “मैं (अपना नाम) आर्थिक समृद्धि और सुख-शांति की प्राप्ति के लिए गुप्त लक्ष्मी मंत्र का जप कर रहा/रही हूं।”
- मंत्र जप: मंत्र का जप नियमित रूप से करें। जप के दौरान मन को एकाग्र रखें और देवी लक्ष्मी का ध्यान करते रहें। मंत्र जप के लिए निम्न मंत्र का उपयोग करें
- गुप्त लक्ष्मी मंत्र:
॥ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः॥
गुप्त लक्ष्मी मंत्र का अर्थ
गुप्त लक्ष्मी मंत्र के प्रत्येक शब्द का विशेष महत्व और अर्थ है:
- ॐ: यह बीज मंत्र है, जो परमात्मा का प्रतीक है। इसे सृष्टि की उत्पत्ति और अंत का प्रतीक माना जाता है।
- श्रीं: यह लक्ष्मी बीज है, जो धन और समृद्धि का प्रतिनिधित्व करता है।
- ह्रीं: यह शक्ति का बीज है, जो आध्यात्मिक शक्ति और देवी लक्ष्मी की कृपा का प्रतीक है।
- क्लीं: यह काम बीज है, जो आकर्षण और सिद्धि के लिए प्रयोग किया जाता है।
- महालक्ष्म्यै: देवी लक्ष्मी का स्वरूप, जो सर्वव्यापी और सर्वशक्तिमान हैं।
- नमः: नमस्कार या प्रणाम का भाव, जो विनम्रता और समर्पण का प्रतीक है।
इस प्रकार, गुप्त लक्ष्मी मंत्र का अर्थ है: “मैं देवी महालक्ष्मी को प्रणाम करता/करती हूं कि उनकी कृपा से मुझे धन, ऐश्वर्य और समृद्धि प्राप्त हो।”
गुप्त लक्ष्मी मंत्र के लाभ
गुप्त लक्ष्मी मंत्र के नियमित जप से साधक को निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:
- आर्थिक समृद्धि: यह मंत्र साधक के जीवन में आर्थिक समृद्धि लाता है और धन की कमी को दूर करता है।
- व्यापार में वृद्धि: जो लोग व्यापार करते हैं, उन्हें इस मंत्र का जप करने से व्यापार में वृद्धि और लाभ होता है।
- कर्ज से मुक्ति: कर्ज से परेशान लोग इस मंत्र का जप कर अपने कर्ज से मुक्ति पा सकते हैं।
- सुख-शांति: इस मंत्र के जप से मानसिक शांति और सुख की प्राप्ति होती है।
- बाधाओं का नाश: जीवन में आने वाली बाधाएं और समस्याएं इस मंत्र के प्रभाव से दूर होती हैं।
- स्वास्थ्य में सुधार: नियमित जप से स्वास्थ्य में सुधार होता है और शारीरिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
- सम्पत्ति में वृद्धि: इस मंत्र के जप से सम्पत्ति में वृद्धि होती है।
- भाग्य में सुधार: भाग्य की कमजोरी दूर होती है और भाग्य में सुधार होता है।
- परिवारिक सुख: परिवार में प्रेम, सद्भाव और एकता बनी रहती है।
- शत्रु से रक्षा: शत्रु और विरोधियों से रक्षा होती है और उनकी बुरी नजर से बचाव होता है।
- धार्मिक उन्नति: साधक की आध्यात्मिक उन्नति होती है और वह ईश्वर के प्रति अधिक समर्पित होता है।
- अप्रत्याशित लाभ: इस मंत्र के जप से अप्रत्याशित लाभ और लाभकारी अवसर प्राप्त होते हैं।
- निर्णय क्षमता में सुधार: साधक की निर्णय क्षमता में सुधार होता है और वह सही निर्णय लेने में सक्षम होता है।
- मानसिक संतुलन: मानसिक संतुलन और आत्म-नियंत्रण में वृद्धि होती है।
- ईश्वर कृपा: साधक को देवी लक्ष्मी की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है।
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गुप्त लक्ष्मी मंत्र विधि
गुप्त लक्ष्मी मंत्र का जप सही विधि और नियमों के अनुसार किया जाना चाहिए ताकि उसका पूर्ण लाभ प्राप्त हो सके। पीपल का पत्ता शाम होने के पहले घर ले आयें। उसे पानी, कच्चे दूध, व फिर पानी से धो ले. अगर पीपल का पत्ता न मिले तो केले का पत्ता ले सकते है। इस पत्ते पर हल्दी का पेस्ट लगाये और उस पर “श्रीं” लिखे। अब सामने बैठकर ११ दिन तक मंत्र जप करे। जप समाप्त होने के बाद किसी को फल या भोजन दान दे।
मंत्र जप की विधि
- मंत्र जप का दिन और अवधि:
- मंत्र जप के लिए शुक्रवार का दिन सर्वोत्तम माना गया है क्योंकि यह देवी लक्ष्मी का दिन है।
- साधक को 11 से 21 दिन तक नियमित रूप से मंत्र जप करना चाहिए।
- मुहूर्त:
- मंत्र जप का समय प्रातःकाल (सुबह 4 से 6 बजे के बीच) या संध्याकाल (शाम 6 से 8 बजे के बीच) होना चाहिए। यह समय विशेष रूप से शुद्ध और प्रभावकारी माना जाता है।
- सामग्री:
- एक साफ और शुद्ध स्थान पर आसन बिछाएं। आसन के लिए लाल या पीला कपड़ा उपयोग करें।
- देवी लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र रखें।
- पूजा की थाली में गुलाब के फूल, कमल का फूल, धूप, दीप, चंदन, कपूर, और प्रसाद रखें।
- रुद्राक्ष या कमल गट्टे की माला का उपयोग करें।
- मंत्र जप संख्या:
- साधक को प्रतिदिन 11 माला (1 माला में 108 मंत्र) यानी 1188 मंत्रों का जप करना चाहिए।
- मंत्र जप के नियम:
- साधक की आयु 20 वर्ष से ऊपर होनी चाहिए।
- स्त्री-पुरुष कोई भी इस मंत्र का जप कर सकते हैं।
- जप के दौरान नीले और काले कपड़े न पहनें।
- धूम्रपान, मद्यपान और मांसाहार का सेवन न करें।
- ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- मंत्र जप के दौरान सावधानियां:
- मंत्र जप के दौरान मन को एकाग्र रखें और विचारों को भटकने न दें।
- जप के समय पूर्ण एकांत में रहें और ध्यान की स्थिति में रहें।
- किसी भी प्रकार का अनैतिक कार्य या विचार जप के दौरान न करें।
- अगर जप के दौरान कोई बाधा आती है, तो तुरंत उसे दूर करने का प्रयास करें और मंत्र जप को फिर से आरम्भ करें।
गुप्त लक्ष्मी मंत्र: महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर
1. गुप्त लक्ष्मी मंत्र क्या है?
गुप्त लक्ष्मी मंत्र देवी लक्ष्मी का विशेष मंत्र है, जो गुप्त रूप से धन, सुख और समृद्धि प्रदान करता है।
2. मंत्र का क्या महत्व है?
इस मंत्र का जप करने से देवी लक्ष्मी की कृपा से आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं और समृद्धि मिलती है।
3. मंत्र कौन जप सकता है?
इस मंत्र को स्त्री और पुरुष दोनों जप सकते हैं। यह हर भक्त के लिए शुभ और फलदायक है।
4. मंत्र कब जपना चाहिए?
इस मंत्र का जप पूर्णिमा, अमावस्या या शुक्रवार को करना अत्यंत शुभ और प्रभावी माना गया है।
5. मंत्र जप के लिए कौन सा समय सर्वोत्तम है?
सूर्योदय और रात के समय जप करना सबसे शुभ माना जाता है।
6. मंत्र का जप कितनी बार करना चाहिए?
प्रतिदिन 11 माला (1188 मंत्र) जपने से शीघ्र फल प्राप्त होता है।
7. मंत्र जप के लिए कौन से नियम जरूरी हैं?
शुद्धता, एकाग्रता, और ब्रह्मचर्य का पालन मंत्र जप के दौरान अनिवार्य है।
8. मंत्र जप के दौरान कौन से वस्त्र पहनें?
हल्के रंग के साफ वस्त्र, विशेषकर सफेद या पीले वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है।
9. मंत्र से आर्थिक तंगी दूर हो सकती है?
हां, नियमित जप से आर्थिक तंगी दूर होती है और धन का आगमन होता है।
10. मंत्र का जप किस आसन पर करें?
कुश या ऊन के आसन पर बैठकर जप करना अधिक फलदायक होता है।
11. मंत्र जप के लिए कौन सा भोग अर्पित करें?
देवी लक्ष्मी को दूध से बनी मिठाई और सफेद फूल अर्पित करना शुभ है।
12. मंत्र का जप करने में कोई सावधानी है?
जप के दौरान मन को स्थिर रखें और नकारात्मक विचारों से बचें।