विघ्न नष्ट करने वाला शनि चालीसा भगवान शनि को समर्पित एक विशेष भक्ति काव्य है, जिसका पठन शनि देव की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। शनि देव को न्याय के देवता माना जाता है और उनकी कृपा से व्यक्ति के जीवन में संतुलन, न्याय और समृद्धि आती है।
संपूर्ण शनि चालीसा
॥दोहा॥
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥
॥चौपाई॥
जय जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महाराज।
करहु कृपा हे रवि तनया, राखु जन की लाज॥
जयति जयति शनिदेव दयाला। करत सदा भक्तन प्रतिपाला॥
चारि भुजा, तनु श्याम विराजै। माथे रतन मुकुट छवि छाजै॥
परम विशाल मनोहर भाला। टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला॥
कुण्डल श्रवण चमाचम चमके। हीरा लाल जगमग दमके॥
कटि निषंग, कटि धरि भाला। ध्वजा आसन पर भाव विराजै॥
ग्रथ-अस्त्र और त्रिशूल नाथहिं। यस प्रताप तव है सब जानहि॥
गज वृषभ तूरंग निषाना। सुसमीरन मृग वाहन जानो॥
कहसि सत्य जोधक आदेशा। भव भय हारक मोह विरोधा॥
सूक्ष्म नयन भूधर सा पाहन। तपसि धाम सुनहु धरम जहान॥
जिन शरण तव पराई राखा। अष्ट सिद्ध नव निथिज काखा॥
शुभ्र मण्डप पर महान, गरिष्ठ। सुनहु सत्य सत्वित सुखृष्टि॥
नाम उचारत सब सुख पावें। सूर, निशा निशा जग जावें॥
लाखा अद्वैत सतसंग त्वरिता। लंकाकाण्ड कृपा स्वरूपा॥
कहसि द्रव हेरि मन मोहित। दिन-दिन सुख अनन्ता जोहित॥
करत जगत सुख दुःख प्रकटई। तव महिमा, यश कहे, बड़ई॥
दीन दयाल, सुबन्धु सुधानाथ। हित सत्संग गुण नित्य सुरनाथ॥
करहु सहाय करत तव नीको। जय जय जय शनिदेव दिने को॥
जयति जयति जय जय जयति जय। करहु सहाय करत शंकर मन॥
॥दोहा॥
दास शरण तव आयो। रक्षा करहु सहाई॥
कहत राम अयोध्या मुनि। प्रकटत जगत कवनाई॥
लाभ
- आर्थिक समृद्धि: शनि चालीसा का पठन आर्थिक स्थिरता और समृद्धि लाता है।
- संकटों से मुक्ति: जीवन के संकटों और विपत्तियों से मुक्ति दिलाता है।
- भयमुक्त जीवन: जीवन में किसी भी प्रकार के भय का नाश होता है।
- आध्यात्मिक उन्नति: आत्मिक उन्नति होती है और भगवान शनि की कृपा प्राप्त होती है।
- धन और समृद्धि: आर्थिक स्थिरता और समृद्धि प्राप्त होती है।
- परिवारिक सुख-शांति: परिवार में सुख-शांति और सौहार्द बना रहता है।
- शारीरिक स्वास्थ्य: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार आता है।
- दुष्टों का नाश: बुरी शक्तियों और दुश्मनों का नाश होता है।
- कार्यक्षेत्र में सफलता: व्यवसाय और नौकरी में सफलता मिलती है।
- विद्या और ज्ञान की प्राप्ति: शिक्षा और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
- समाज में प्रतिष्ठा: समाज में मान-सम्मान बढ़ता है।
- आत्मविश्वास में वृद्धि: जीवन में आने वाले कठिनाईयों से निपटने के लिए आत्मविश्वास मिलता है।
- नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा: नकारात्मक शक्तियों से रक्षा होती है।
- प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा: प्राकृतिक आपदाओं से रक्षा होती है।
- रोगों का नाश: विभिन्न प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है।
- मनोकामनाओं की पूर्ति: सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।
- भक्ति की वृद्धि: भक्त की धार्मिकता और भक्ति बढ़ती है।
- सर्वांगीण विकास: जीवन के हर क्षेत्र में सर्वांगीण विकास होता है।
- परिवारिक विवादों का नाश: परिवार में होने वाले विवाद समाप्त होते हैं।
- मानसिक तनाव से मुक्ति: मानसिक तनाव से छुटकारा मिलता है।
विधि
- दिन: शनिवार को विशेष रूप से पठन करना शुभ माना जाता है।
- अवधि: शनि चालीसा का नियमित पठन एक महीने तक करना चाहिए। कुछ लोग इसे 21 दिनों तक भी करते हैं।
- मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) और शाम को सूर्यास्त के समय पाठ करना सबसे उत्तम माना जाता है।
- स्नान और शुद्धि: पाठ से पहले स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनें।
- धूप और दीपक: भगवान शनि की प्रतिमा के सामने धूप और दीपक जलाएं।
- प्रसाद: पाठ के बाद भगवान शनि को नैवेद्य (प्रसाद) अर्पित करें।
नियम
- स्वच्छता: पाठ करने से पहले शरीर और स्थान की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें।
- शुद्ध मन: पाठ करते समय मन को शांत और पवित्र रखें।
- संकल्प: शनि चालीसा का पाठ करने से पहले एक संकल्प लें।
- ध्यान: भगवान शनि के ध्यान में पूरी तरह लीन होकर पाठ करें।
- व्रत: शनिवार को व्रत रखें तो और भी शुभ फल मिलता है।
- नियमितता: एक बार पाठ शुरू करने के बाद इसे नियमित रूप से समाप्त करें।
- सात्विक आहार: सात्विक आहार ग्रहण करें और तामसिक आहार से बचें।
- भक्तिपूर्ण हृदय: भगवान शनि के प्रति पूर्ण भक्ति और श्रद्धा रखें।
- समय: निर्धारित समय पर ही पाठ करें।
- विनम्रता: भगवान शनि से विनम्रता और प्रेमपूर्वक प्रार्थना करें।
शनि चालीसा पढ़ते समय सावधानियाँ
- अव्यवधानता: पाठ के दौरान किसी भी प्रकार का व्यवधान न हो।
- अपवित्रता: पाठ करने वाले का मन और शरीर अपवित्र न हो।
- ध्यान की कमी: ध्यान की कमी न हो, पूरे मनोयोग से पाठ करें।
- गलत उच्चारण: श्लोकों का गलत उच्चारण न करें।
- आलस्य: आलस्य और उदासीनता से बचें।
- द्वेष भावना: मन में किसी के प्रति द्वेष भावना न रखें।
- शोर-शराबा: पाठ करते समय शोर-शराबा न हो।
- तामसिक वस्त्र: तामसिक वस्त्र न पहनें।
- अन्य कार्य: पाठ के समय अन्य कार्य न करें।
- समय की पाबंदी: निर्धारित समय पर ही पाठ करें।
शनि चालीसा पृश्न उत्तर
- शनि चालीसा क्या है?
शनि चालीसा भगवान शनि को समर्पित एक भक्ति काव्य है जो संकटों और विपत्तियों से मुक्ति दिलाता है। - शनि चालीसा का पठन कब करना चाहिए?
शनिवार को विशेष रूप से पठन करना शुभ माना जाता है। - क्या शनि चालीसा का पठन किसी भी समय किया जा सकता है?
हां, लेकिन ब्रह्म मुहूर्त और सूर्यास्त के समय इसका पठन अधिक शुभ माना जाता है। - क्या शनि चालीसा का पाठ करने से सभी समस्याएं दूर हो सकती हैं?
हां, इसे भक्तिपूर्वक करने से जीवन की समस्याएं दूर होती हैं। - शनि चालीसा का पाठ कितनी बार करना चाहिए?
इसे 21 दिनों या एक महीने तक नियमित रूप से करना चाहिए। - क्या शनि चालीसा का पाठ करने से धन-संपत्ति मिल सकती है?
हां, भगवान शनि की कृपा से आर्थिक स्थिरता और समृद्धि प्राप्त होती है। - क्या शनि चालीसा का पाठ करने से स्वास्थ्य में सुधार होता है?
हां, यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करता है। - शनि चालीसा का पाठ कैसे शुरू करें?
स्नान करें, स्वच्छ कपड़े पहनें, और भगवान शनि की प्रतिमा के सामने धूप और दीपक जलाकर पाठ शुरू करें। - क्या शनि चालीसा का पाठ करते समय व्रत रखना आवश्यक है?
व्रत रखना आवश्यक नहीं है, लेकिन इससे और अधिक शुभ फल मिलता है। - क्या शनि चालीसा का पाठ करते समय कोई विशेष दिशा में बैठना चाहिए?
उत्तर या पूर्व दिशा में बैठना शुभ माना जाता है। - क्या शनि चालीसा का पाठ समूह में किया जा सकता है?
हां, इसे समूह में भी किया जा सकता है। - क्या शनि चालीसा का पाठ करने से भय दूर होता है?
हां, यह भय और नकारात्मक ऊर्जाओं से मुक्ति दिलाता है।