Shashti Devi Chalisa - Child Blessings & Protection

Shashti Devi Chalisa – Child Blessings & Protection

षष्ठी देवी चालीसा: संतान सुख और सुरक्षा के लिए चमत्कारी पाठ विधि और लाभ

षष्ठी देवी चालीसा एक महत्वपूर्ण भक्ति पाठ है जो भक्तों की मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए की जाती है। षष्ठी देवी को संतान की रक्षिका और स्त्री के स्वास्थ्य की संरक्षिका माना जाता है। चालीसा पाठ के द्वारा देवी की कृपा से जीवन में सुख और समृद्धि आती है। इस चालीसा का नियमित पाठ जीवन के कई संकटों को हरने में मदद करता है और विशेष रूप से संतान प्राप्ति और उसकी सुरक्षा के लिए लाभकारी है।

षष्ठी देवी चालीसा व उसका अर्थ

षष्ठी देवी चालीसा

दोहा:

नमः षष्ठी जगत जननी, करुणा बरसाओ।
संतान और सुख सम्पत्ति, हमको दीजिए।।

चौपाई:

जय षष्ठी माता, संतान सुखदाई।
संकट हरती, दुख मिटाने आई।।

पुत्र प्राप्ति की कामना सफल करें,
नवजातों की रक्षा करतीं हर दिन।।

ध्यान धरें जो साधक माता का,
मनवांछित फल पाए हर दिन।।

संतानहीन के घर में उजाला करें,
बांझ को पुत्ररत्न दे खुशहाली भरें।।

षष्ठी देवी की महिमा अपार,
जो भी ध्यावे, हो उसका उद्धार।।

षष्ठी पूजा विधि से जो करे,
सभी कष्टों से मुक्त वह बने।।

प्रसव पीड़ा से जो नारी दुखी,
षष्ठी देवी उसे देती सुखी।।

पुत्र-पुत्री दोनों की रक्षक,
जो भी माने आपका भव्य स्वरूप।।

बड़े संकट हो, या हो कोई परेशानी,
षष्ठी माता तुरंत हरती त्रास।।

प्रसन्न रहें जो षष्ठी देवी पर,
उनके जीवन में हो सुख का वास।।

षष्ठी देवी का जो सच्चा पुजारी,
संतान सुख का वह अधिकारी।।

षष्ठी व्रत जो सच्चे मन से करे,
उसके जीवन में कभी दुख न मिले।।

षष्ठी देवी की जो सच्ची सेवा करे,
संतान, धन, सुख, समृद्धि वह पाए।।

षष्ठी देवी चालीसा का अर्थ:

यह चालीसा षष्ठी माता की महिमा का गुणगान करती है, जो संतान सुख देने वाली देवी हैं। वे नवजात शिशुओं की रक्षा करती हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती हैं। जो भी षष्ठी माता की पूजा सच्चे मन से करता है, उसे संतान, धन, और सुख की प्राप्ति होती है।

षष्ठी देवी चालीसा के लाभ

  1. संतान सुख प्राप्ति में सहायक।
  2. नवजात शिशु की सुरक्षा में विशेष लाभकारी।
  3. परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बढ़ाती है।
  4. स्त्री रोगों से मुक्ति दिलाती है।
  5. प्रसव संबंधी समस्याओं का समाधान करती है।
  6. बच्चों के स्वास्थ्य को मजबूत बनाती है।
  7. संकटों से रक्षा करती है।
  8. विवाह और संतान सुख में आने वाली बाधाएं दूर करती है।
  9. जीवन में स्थिरता और शांति लाती है।
  10. पारिवारिक कलह को समाप्त करती है।
  11. देवी की कृपा से व्यापार में वृद्धि होती है।
  12. शारीरिक और मानसिक कष्टों से छुटकारा दिलाती है।
  13. भक्ति से आध्यात्मिक उन्नति होती है।
  14. दीर्घायु और स्वस्थ जीवन का आशीर्वाद मिलता है।
  15. देवी की कृपा से शत्रु नाश होता है।
  16. जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है।
  17. बच्चों की लंबी उम्र और सुरक्षा प्रदान करती है।

षष्ठी देवी चालीसा विधि

  • दिन: षष्ठी देवी की पूजा का सर्वोत्तम दिन षष्ठी तिथि होता है, जो विशेष रूप से शिशु जन्म के बाद किया जाता है।
  • अवधि: इस चालीसा का नियमित पाठ 41 दिनों तक किया जाता है।
  • मुहूर्त: सूर्योदय के बाद और संध्या के समय पाठ करना शुभ माना जाता है।

षष्ठी देवी चालीसा के नियम

  1. पूजा और साधना को गुप्त रखना चाहिए।
  2. नियमों का पालन करते हुए साधक को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
  3. शुद्ध वस्त्र पहनकर ही चालीसा पाठ करें।
  4. चालीसा के पाठ के दौरान ध्यान और एकाग्रता जरूरी है।
  5. साधना के समय जल, फल, और दीपक का प्रयोग करें।
  6. पाठ के समय केवल सकारात्मक विचारों का मन में संकल्प लें।
  7. अपने आस-पास का वातावरण स्वच्छ और शांत रखें।
  8. इस पाठ को नियमित रूप से करने का संकल्प लें।
  9. पूजा स्थल को स्वच्छ और पवित्र रखें।
  10. देवी के प्रति समर्पण भाव से साधना करें।
  11. साधना के दौरान मौन व्रत रखने का प्रयास करें।
  12. देवी षष्ठी की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएं।
  13. सुबह और शाम दोनों समय पाठ करना अधिक लाभकारी है।
  14. इस चालीसा को बच्चों के कल्याण के लिए विशेष तौर पर किया जाता है।
  15. देवी को गुड़-हल्दी का भोग अर्पित करें।

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षष्ठी देवी चालीसा की सावधानियां

  1. पाठ के दौरान अनजाने में भी अपशब्दों का प्रयोग न करें।
  2. साधना के समय नकारात्मक सोच से बचें।
  3. पूजा स्थल पर किसी भी प्रकार का शोर न हो।
  4. चालीसा का पाठ एकांत स्थान में करें।
  5. पूजा के दौरान काले या नीले वस्त्र न पहनें।
  6. साधना के समय किसी भी प्रकार के तामसिक भोजन का सेवन न करें।
  7. पाठ के दौरान अनुचित विचारों से बचें।
  8. अपनी साधना को अकारण दूसरों से साझा न करें।
  9. पाठ के दौरान शांत और संयमित रहें।
  10. बिना स्नान किए पाठ न करें।
  11. साधना के दौरान अनावश्यक बातचीत से बचें।
  12. चालीसा पाठ में श्रद्धा और विश्वास जरूरी है।
  13. घर के बड़े बुजुर्गों की सलाह से पूजा करें।
  14. साधना का प्रारंभ और अंत देवी का ध्यान करके करें।
  15. पूजा समाप्ति पर देवी से आशीर्वाद अवश्य लें।

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षष्ठी देवी चालीसा पाठ: प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1: षष्ठी देवी की पूजा क्यों की जाती है?
उत्तर: षष्ठी देवी की पूजा संतान सुख, सुरक्षा और नवजात शिशुओं की रक्षा के लिए की जाती है।

प्रश्न 2: षष्ठी देवी चालीसा का पाठ कब करना चाहिए?
उत्तर: इस चालीसा का पाठ सूर्योदय के बाद और संध्या के समय करना उत्तम माना जाता है।

प्रश्न 3: 41 दिन तक चालीसा पाठ क्यों किया जाता है?
उत्तर: 41 दिन का समय किसी भी साधना की सिद्धि के लिए शुभ माना जाता है और देवी की कृपा प्राप्त होती है।

प्रश्न 4: क्या इस चालीसा पाठ से मानसिक शांति मिलती है?
उत्तर: हां, नियमित चालीसा पाठ से मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव होता है।

प्रश्न 5: क्या इस चालीसा से संतान प्राप्ति संभव है?
उत्तर: हां, इस चालीसा का संतान प्राप्ति में विशेष महत्व है। देवी षष्ठी से प्रार्थना संतान सुख प्रदान करती है।

प्रश्न 6: षष्ठी देवी की पूजा में कौन से भोग अर्पित करने चाहिए?
उत्तर: देवी षष्ठी को गुड़, हल्दी और प्रसाद के रूप में मीठा अर्पित करना चाहिए।

प्रश्न 7: क्या इस चालीसा से शत्रुओं से मुक्ति मिलती है?
उत्तर: हां, षष्ठी देवी की कृपा से शत्रु बाधाओं का नाश होता है।

प्रश्न 8: इस चालीसा के लिए कौन सा रंग पहनना शुभ है?
उत्तर: सफेद या लाल वस्त्र पहनना देवी पूजा के लिए शुभ माना जाता है।

प्रश्न 9: क्या इस चालीसा का पाठ घर में किया जा सकता है?
उत्तर: हां, इसे घर में शुद्ध वातावरण में किया जा सकता है।

प्रश्न 10: क्या इस चालीसा के लिए मंदिर में जाना जरूरी है?
उत्तर: नहीं, इसे घर पर भी किया जा सकता है, लेकिन मंदिर में पाठ का विशेष लाभ होता है।

प्रश्न 11: क्या इस चालीसा से विवाह की समस्याएं दूर हो सकती हैं?
उत्तर: हां, षष्ठी देवी चालीसा विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करने में सहायक है।

प्रश्न 12: क्या गर्भवती महिलाएं षष्ठी देवी की पूजा कर सकती हैं?
उत्तर: हां, गर्भवती महिलाओं के लिए यह पूजा अत्यंत लाभकारी होती है।