Shri Datt Gayatri Mantra - Divine Peace

Shri Datt Gayatri Mantra – Divine Peace

श्री दत्त गायत्री मंत्र जप विधि और नियम: बाधाओं से मुक्ति और आध्यात्मिक उन्नति

श्री दत्त गायत्री मंत्र अत्यधिक शक्तिशाली और दिव्य मंत्र है, जो भगवान दत्तात्रेय की उपासना का प्रमुख साधन है। यह मंत्र साधक को मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति और जीवन में आने वाली बाधाओं से मुक्ति दिलाने में सहायक होता है। भगवान दत्तात्रेय को त्रिदेव का अवतार माना जाता है, जिनमें ब्रह्मा, विष्णु और महेश की शक्तियाँ समाहित होती हैं। यह मंत्र व्यक्ति को ज्ञान, शांति और आत्म-समृद्धि प्रदान करता है।

श्री दत्त गायत्री मंत्र व उसका अर्थ

मंत्र:

ॐ द्रां दत्तात्रेयाय विद्महे
अत्रिपुत्राय धीमहि
तन्नो दत्तः प्रचोदयात्।

अर्थ:

  • : सृष्टि की मूल ध्वनि, जिससे ब्रह्मांड का निर्माण हुआ।
  • द्रां: दत्तात्रेय भगवान की विशेष शक्ति का प्रतीक।
  • दत्तात्रेयाय विद्महे: हम भगवान दत्तात्रेय के दिव्य स्वरूप को समझने का प्रयास करते हैं।
  • अत्रिपुत्राय धीमहि: हम महर्षि अत्रि के पुत्र दत्तात्रेय पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
  • तन्नो दत्तः प्रचोदयात्: भगवान दत्तात्रेय हमें सत्य, ज्ञान और सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा दें।

श्री दत्त गायत्री मंत्र के लाभ

  1. मानसिक शांति प्राप्त होती है।
  2. जीवन की सभी बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
  3. आध्यात्मिक शक्ति और चेतना का विकास होता है।
  4. नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा मिलती है।
  5. व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है।
  6. धन और समृद्धि प्राप्ति में सहायता करता है।
  7. परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
  8. शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
  9. स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  10. शिक्षा में उन्नति होती है।
  11. आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति होती है।
  12. मन के विकारों से मुक्ति मिलती है।
  13. कर्मों के दोष नष्ट होते हैं।
  14. आध्यात्मिक यात्रा में तेजी आती है।
  15. व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आता है।
  16. कर्मों की बाधाएँ समाप्त होती हैं।
  17. आत्मिक उन्नति और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।

मंत्र विधि

मंत्र जप का दिन:
श्री दत्त गायत्री मंत्र का जप विशेष रूप से गुरुवार को आरंभ करना शुभ होता है क्योंकि यह दिन भगवान दत्तात्रेय को समर्पित है। इसके अलावा पूर्णिमा, अमावस्या या विशेष तिथि जैसे दत्त जयंती पर भी जप कर सकते हैं।

अवधि:
मंत्र जप 11 से 21 दिनों तक नियमित रूप से किया जा सकता है।

मुहूर्त:
प्रातःकाल ब्रह्ममुहूर्त (4:00 से 6:00 बजे तक) में मंत्र जप सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। यह समय ऊर्जा और ध्यान के लिए उत्तम है।

मंत्र जप

अवधि:
मंत्र जप 11 से 21 दिन तक रोजाना करें। इस अवधि में साधक को नियमपूर्वक मंत्र का जप करना चाहिए।

सामग्री:

  • शुद्ध आसन (कुश या रेशमी वस्त्र)
  • दत्तात्रेय भगवान की मूर्ति या चित्र
  • धूप, दीपक, पुष्प, नैवेद्य

मंत्र जप संख्या:
प्रत्येक दिन 11 माला जप करें, यानी कुल 1188 मंत्रों का प्रतिदिन उच्चारण करें।

मंत्र जप के नियम

  1. साधक की उम्र 20 वर्ष से अधिक होनी चाहिए।
  2. स्त्री और पुरुष दोनों मंत्र जप कर सकते हैं।
  3. नीले और काले कपड़े पहनने से बचें।
  4. धूम्रपान, तंबाकू और मांसाहार का सेवन न करें।
  5. ब्रह्मचर्य का पालन करें और शुद्ध विचारों से मंत्र जप करें।

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मंत्र जप के दौरान सावधानी

  1. ध्यान केंद्रित करें और मन को भटकने न दें।
  2. मंत्र का उच्चारण स्पष्ट और शुद्ध होना चाहिए।
  3. किसी भी प्रकार की अनुचित गतिविधियों से बचें।
  4. भोजन और आहार शुद्ध और सात्विक होना चाहिए।
  5. आसन पर स्थिरता से बैठकर जप करें।

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श्री दत्त गायत्री मंत्र से संबंधित प्रश्न उत्तर

प्रश्न 1: श्री दत्त गायत्री मंत्र क्या है?

उत्तर: श्री दत्त गायत्री मंत्र भगवान दत्तात्रेय का विशेष मंत्र है जो साधक को आत्मिक शांति और मानसिक बल प्रदान करता है। इस मंत्र का जप जीवन में आने वाली बाधाओं से छुटकारा दिलाने और आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होता है।

प्रश्न 2: श्री दत्त गायत्री मंत्र का क्या महत्व है?

उत्तर: श्री दत्त गायत्री मंत्र साधक के जीवन में आध्यात्मिक जागरण, शांति और संतुलन लाने में मदद करता है। भगवान दत्तात्रेय की कृपा से साधक को ज्ञान, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

प्रश्न 3: इस मंत्र का जप कब करना चाहिए?

उत्तर: श्री दत्त गायत्री मंत्र का जप गुरुवार को आरंभ करना शुभ माना जाता है। साथ ही, ब्रह्ममुहूर्त में जप करना सबसे उत्तम होता है क्योंकि यह समय शुद्धता और ध्यान के लिए उपयुक्त होता है।

प्रश्न 4: श्री दत्त गायत्री मंत्र के लाभ क्या हैं?

उत्तर: इस मंत्र से मानसिक शांति, बाधाओं से मुक्ति, आध्यात्मिक शक्ति, नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा, धन, समृद्धि, आत्मविश्वास, शत्रु पर विजय, स्वास्थ्य में सुधार आदि लाभ प्राप्त होते हैं।

प्रश्न 5: क्या श्री दत्त गायत्री मंत्र स्त्री और पुरुष दोनों के लिए है?

उत्तर: हां, यह मंत्र स्त्री और पुरुष दोनों के लिए है। इसे जपने के लिए उम्र 20 वर्ष से अधिक होनी चाहिए।

प्रश्न 6: श्री दत्त गायत्री मंत्र के जप के लिए किन चीजों की आवश्यकता होती है?

उत्तर: मंत्र जप के लिए शुद्ध आसन, दत्तात्रेय भगवान की मूर्ति या चित्र, धूप, दीपक, पुष्प और नैवेद्य की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 7: क्या मंत्र जप के समय कोई विशेष कपड़े पहनने चाहिए?

उत्तर: मंत्र जप करते समय नीले और काले रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए। शुद्ध और हल्के रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है।

प्रश्न 8: मंत्र जप के दौरान कौन-कौन सी सावधानियाँ रखनी चाहिए?

उत्तर: मंत्र का उच्चारण शुद्ध और स्पष्ट होना चाहिए। ध्यान भंग न हो और आसन पर स्थिरता से बैठकर जप करें। भोजन सात्विक और शुद्ध हो।

प्रश्न 9: क्या इस मंत्र का जप पूर्णिमा या अमावस्या पर किया जा सकता है?

उत्तर: हां, पूर्णिमा, अमावस्या, गुरुवार या विशेष तिथियों जैसे दत्त जयंती पर भी मंत्र जप किया जा सकता है।

प्रश्न 10: मंत्र जप की अवधि कितनी होनी चाहिए?

उत्तर: मंत्र जप की अवधि 11 से 21 दिनों तक हो सकती है। इस दौरान नियमों का पालन करना अनिवार्य है।

प्रश्न 11: क्या इस मंत्र का जप करते समय ब्रह्मचर्य का पालन आवश्यक है?

उत्तर: हां, मंत्र जप करते समय ब्रह्मचर्य का पालन आवश्यक है। इससे मानसिक और शारीरिक शुद्धता बनी रहती है।

प्रश्न 12: श्री दत्त गायत्री मंत्र से क्या शत्रुओं पर विजय प्राप्त हो सकती है?

उत्तर: हां, श्री दत्त गायत्री मंत्र से शत्रुओं पर विजय प्राप्त की जा सकती है। मंत्र साधक को आत्मबल और शत्रुओं से सुरक्षा प्रदान करता है।