Swayamvara Kala Vidya Mantra- Overcome Marriage Challenges

स्वयंवर कला विद्या मंत्र: मंगल कार्य व निर्विघ्न विवाह में सफलता

स्वयंवर कला विद्या मंत्र का उद्देश्य है, विवाह के कार्यों में आने वाली बाधाओं को दूर करना और सफलता सुनिश्चित करना। यह मंत्र विशेष रूप से उन लोगों के लिए उपयोगी है जो अपने जीवनसाथी की तलाश में हैं या जिनके विवाह में किसी प्रकार की अड़चन आ रही है। सही विधि से मंत्र जप करने से मनोकूल परिणाम प्राप्त होते हैं।


विनियोग मंत्र व उसका अर्थ

विनियोग मंत्र: “ॐ अस्य मंत्रस्य ब्रह्मा ऋषिः, गायत्री छंदः, स्वयंवरा (पार्वती) मंत्रे देवता, श्रीमद्गणपतिः प्रीत्यर्थे जपे विनियोगः।”

अर्थ: इस मंत्र का उपयोग गणपति की कृपा से विवाह संबंधित बाधाओं को दूर करने और शुभ फल प्राप्ति हेतु किया जाता है। यह मंत्र भक्त के संकल्प को सिद्ध करता है।


दिशाओं का दिग्बंधन मंत्र व उसका अर्थ

दिग्बंधन मंत्र: “ॐ क्क्षौ ह्रीं ऐं क्लीं चामुंडायै विच्चे।”

अर्थ: यह मंत्र सभी दिशाओं से नकारात्मक ऊर्जा को बांधकर शुभ ऊर्जा का आह्वान करता है। यह मंत्र वातावरण को शुद्ध और सकारात्मक बनाता है, जिससे पूजा निर्विघ्न होती है।


स्वयंवर कला विद्या मंत्र व उसका संपूर्ण अर्थ

मंत्र: “ॐ ह्रीं योगिनी योगिनी योगेश्वरी योगेश्वरी योगभयंकरि सकलस्थावर जंगमस्य मुखं हृदयम् मम् वशमाकर्षयाकर्षय स्वाहा।”

अर्थ: यह मंत्र व्यक्ति के जीवन में स्थायित्व और सफलता लाने के लिए उपयोगी है। ‘योगिनी योगिनी’ और ‘योगेश्वरी योगेश्वरी’ शब्दों से देवी की शक्ति का आह्वान होता है, जो सभी प्रकार की बाधाओं को समाप्त करती है। ‘योगभयंकरि’ का तात्पर्य है वह शक्ति जो सभी भयों को दूर करती है। इस मंत्र में ‘सकलस्थावर जंगमस्य’ के माध्यम से समस्त स्थावर-जंगम जगत को वश में करने का संकेत है। यह मंत्र विवाह में रुकावटें दूर करने और योग्य जीवनसाथी प्राप्त करने में सहायक होता है। इस मंत्र का उपयोग व्यक्ति के जीवन में स्थायित्व और सफलता लाने के लिए किया जाता है। यह मंत्र विवाह में रुकावटें दूर करने और योग्य जीवनसाथी प्राप्त करने में सहायक होता है।


जप काल में इन चीजों का सेवन ज्यादा करें

  1. ताजे फल और सब्जियां।
  2. दूध और दही।
  3. गंगाजल।
  4. तुलसी के पत्ते।
  5. शुद्ध घी।
  6. मिश्री।
  7. गुड़।
  8. साबुत अनाज।
  9. शुद्ध जल।
  10. खिचड़ी।
  11. नारियल पानी।
  12. पका हुआ चावल।
  13. मूंग दाल।
  14. मखाने।
  15. शहद।
  16. काजू।
  17. बादाम।
  18. मौसमी फल।

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पूजा सामग्री व मंत्र विधि

आवश्यक सामग्री:

  • चंदन।
  • पुष्प।
  • दीपक।
  • धूप।
  • गुड़।
  • पान।
  • सुपारी।
  • सिंदूर।
  • कलश।
  • नारियल।

मंत्र विधि:

  1. शुभ मुहूर्त में पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें।
  2. पवित्र आसन पर बैठें।
  3. सामग्री को व्यवस्थित करें।
  4. दीपक जलाएं।
  5. मंत्र का 20 मिनट तक जप करें।
  6. जप के बाद प्रार्थना करें।

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मंत्र जप का दिन, अवधि व मुहूर्त

  • दिन: शुक्रवार या पूर्णिमा।
  • अवधि: 18 दिन तक लगातार।
  • मुहूर्त: प्रातःकाल या सायं।

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मंत्र जप के नियम

  1. जप करने वाले की आयु 20 वर्ष से अधिक होनी चाहिए।
  2. स्त्री और पुरुष दोनों जप कर सकते हैं।
  3. नीले और काले कपड़े न पहनें।
  4. धूम्रपान, मद्यपान और मांसाहार से बचें।
  5. ब्रह्मचर्य का पालन करें।

जप के दौरान सावधानियां

  1. आसन को पवित्र रखें।
  2. मंत्र का सही उच्चारण करें।
  3. जप के दौरान एकाग्रचित्त रहें।
  4. पूजा स्थल को साफ रखें।
  5. ध्यान रखें कि कोई व्यवधान न हो।

मंत्र से संबंधित प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1: यह मंत्र किसके लिए उपयोगी है?

उत्तर: यह मंत्र विवाह में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए उपयोगी है।

प्रश्न 2: मंत्र का सही समय क्या है?

उत्तर: सुबह और शाम का समय सर्वोत्तम है।

प्रश्न 3: क्या महिलाएं इस मंत्र का जप कर सकती हैं?

उत्तर: हां, महिलाएं भी कर सकती हैं।

प्रश्न 4: जप के दौरान कौन से रंग के कपड़े पहनने चाहिए?

उत्तर: सफेद या हल्के रंग के कपड़े पहनें।

प्रश्न 5: मंत्र कितने दिन तक जपना चाहिए?

उत्तर: 18 दिन तक।

प्रश्न 6: क्या बच्चों को यह मंत्र जपने देना चाहिए?

उत्तर: नहीं, यह मंत्र केवल 20 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए है।

प्रश्न 7: जप के लिए कौन सा आसन उपयोगी है?

उत्तर: कुश या कपड़े का पवित्र आसन।

प्रश्न 8: क्या इस मंत्र से तुरंत फल मिलता है?

उत्तर: यह व्यक्ति की श्रद्धा और नियमितता पर निर्भर करता है।

प्रश्न 9: क्या मंत्र जप के दौरान भोजन पर ध्यान देना चाहिए?

उत्तर: हां, शुद्ध और सात्विक भोजन करें।

प्रश्न 10: मंत्र के बाद क्या करना चाहिए?

उत्तर: ईश्वर का धन्यवाद करें और प्रसाद बांटें।

प्रश्न 11: क्या यह मंत्र हर किसी के लिए काम करता है?

उत्तर: हां, सही विधि और श्रद्धा से किया गया मंत्र प्रभावी होता है।

प्रश्न 12: क्या मंत्र जप में विश्राम ले सकते हैं?

उत्तर: नहीं, इसे लगातार 18 दिन तक करना चाहिए।

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