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Tara Shatnam Strot for Health Wealth Protection

तारा शतनाम् स्तोत्र देवी तारा की स्तुति में एक अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली पाठ है। तारा, दश महाविद्याओं में से एक हैं, और वे बौद्ध और हिंदू दोनों परंपराओं में पूजित हैं। यह स्तोत्र उनके 100 नामों की महिमा का वर्णन करता है और साधक को अनेक लाभ प्रदान करता है। इस पाठ का नियमित उच्चारण साधक को आंतरिक शक्ति, मानसिक शांति, और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है।

संपूर्ण तारा शतनाम् स्तोत्र और उसका अर्थ

तारा शतनाम् स्तोत्र भाग १

ॐ तारा तारे, सर्व दुःख विनाशिनी।
सर्व शत्रु भयांघी, सर्व रोग हराम्बिका॥
भव बन्ध विच्छिन्धिनी, सर्व महाशक्ति प्रदायिनी।
सर्व सिद्धि प्रदा देवी, सर्व धन्य समृद्धिदा॥
सर्व पापनाशिनी देवी, सर्व सन्ताप हारिणी।
सर्व मोक्ष प्रदा देवी, सर्व जन मंगलप्रदा॥
सर्व दुष्ट निवारिणी, सर्व दुर्भाग्य नाशिनी।
सर्व ज्ञान प्रदा देवी, सर्व सौख्य प्रदायिनी॥
सर्व ऐश्वर्यदा देवी, सर्व अन्न सम्प्रदायिनी।
सर्व सौभाग्यदा देवी, सर्व दुर्गति निवारिणी॥
सर्व कर्म सुखीकारिणी, सर्व जन मोक्षप्रदा॥
सर्व विजया देवी, सर्व वैभव संप्रदा॥
सर्व सुमंगलदा देवी, सर्व हानि विनाशिनी॥
सर्व त्रिविध तापहारिणी, सर्व क्लेश शान्तिदा॥
सर्व दुःख भन्जिनी देवी, सर्व त्रास विनाशिनी॥
सर्व शान्ति प्रदा देवी, सर्व सुख सम्प्रदा॥
सर्व समृद्धि प्रदा देवी, सर्व विद्या प्रकाशिनी॥
सर्व भय विनाशिनी, सर्व ज्वाला संप्रदा॥
सर्व रक्षाकरी देवी, सर्व जन सुखप्रदा॥
सर्व माया विनाशिनी, सर्व मोह विनाशिनी॥
सर्व व्याधि निवारिणी, सर्व दुःख निवारिणी॥
सर्व सिध्दि प्रदा देवी, सर्व लक्ष्मी प्रदायिनी॥
सर्व त्रास विनाशिनी, सर्व मोह विनाशिनी॥
सर्व सुखीकारिणी देवी, सर्व विद्या प्रदायिनी॥
सर्व मोक्ष प्रदा देवी, सर्व सौभाग्य प्रदायिनी॥
सर्व भय विनाशिनी देवी, सर्व शत्रु निवारिणी॥
सर्व दुख विनाशिनी देवी, सर्व पाप नाशिनी॥
सर्व विघ्न विनाशिनी देवी, सर्व त्रास नाशिनी॥
सर्व दुर्भाग्य निवारिणी देवी, सर्व सौख्य प्रदायिनी॥

तारा शतनाम् स्तोत्र भाग २

सर्व सुशान्ति प्रदायिनी देवी, सर्व धन्य सम्प्रदा॥
सर्व माया विनाशिनी देवी, सर्व दोष विनाशिनी॥
सर्व जनमंगलप्रदा देवी, सर्व पाप विनाशिनी॥
सर्व दुःख भंजन देवी, सर्व भय विनाशिनी॥
सर्व सिद्धि प्रदा देवी, सर्व जन सुखप्रदा॥
सर्व त्रास नाशिनी देवी, सर्व शत्रु विनाशिनी॥
सर्व ज्ञान प्रदा देवी, सर्व सौख्य प्रदायिनी॥
सर्व दोष विनाशिनी देवी, सर्व त्रास निवारिणी॥
सर्व भय निवारिणी देवी, सर्व शत्रु निवारिणी॥
सर्व मोह नाशिनी देवी, सर्व सुख प्रदायिनी॥
सर्व सुमंगल प्रदा देवी, सर्व सुशान्ति प्रदा॥
सर्व माया नाशिनी देवी, सर्व दु:ख नाशिनी॥
सर्व पाप नाशिनी देवी, सर्व शत्रु निवारिणी॥
सर्व दोष विनाशिनी देवी, सर्व ज्ञान प्रदा॥
सर्व दुःख विनाशिनी देवी, सर्व क्लेश निवारिणी॥
सर्व भय विनाशिनी देवी, सर्व त्रास विनाशिनी॥
सर्व शान्ति प्रदा देवी, सर्व माया नाशिनी॥
सर्व दुर्गति निवारिणी देवी, सर्व शत्रु निवारिणी॥
सर्व विद्या प्रदा देवी, सर्व दोष निवारिणी॥
सर्व त्रास नाशिनी देवी, सर्व पाप निवारिणी॥
सर्व जन सुखप्रदा देवी, सर्व दुर्गति नाशिनी॥

अर्थ:

इस स्तोत्र में देवी तारा के 100 नामों का महिमा वर्णन है। ये सभी नाम देवी तारा के विभिन्न रूपों और शक्तियों का प्रतीक हैं। प्रत्येक नाम में देवी तारा की किसी न किसी विशेषता का वर्णन है जैसे कि शत्रुओं का नाश करना, रोगों का हरण करना, भोग और मोक्ष का प्रदाय करना, ज्ञान, धन, समृद्धि और सौभाग्य प्रदान करना, पाप और भय का नाश करना, और साधक को सभी प्रकार की रक्षा प्रदान करना।

तारा शतनाम स्तोत्र के लाभ

  1. शत्रु नाश: इस स्तोत्र का नियमित पाठ शत्रुओं को परास्त करने में सहायक होता है।
  2. रोग निवारण: यह स्तोत्र सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक रोगों को दूर करता है।
  3. धन और समृद्धि: यह स्तोत्र साधक को धन, ऐश्वर्य, और समृद्धि प्रदान करता है।
  4. पाप नाश: यह स्तोत्र साधक के सभी पापों का नाश करता है।
  5. सुख और शांति: यह स्तोत्र साधक को आंतरिक शांति और बाह्य सुख प्रदान करता है।
  6. भय निवारण: यह स्तोत्र साधक के सभी प्रकार के भय का नाश करता है।
  7. ज्ञान और विद्या: यह स्तोत्र साधक को ज्ञान और विद्या की प्राप्ति में सहायक होता है।
  8. मोह नाश: यह स्तोत्र साधक के सभी प्रकार के मोह और माया का नाश करता है।
  9. क्लेश नाश: यह स्तोत्र सभी प्रकार के मानसिक और शारीरिक कष्टों का नाश करता है।
  10. त्रिविध ताप निवारण: यह स्तोत्र साधक के जीवन में आने वाले त्रिविध ताप (आध्यात्मिक, आधिदैविक और आधिभौतिक कष्ट) का निवारण करता है।
  11. विघ्न निवारण: यह स्तोत्र साधक के जीवन में आने वाले सभी प्रकार के विघ्न-बाधाओं को दूर करता है।
  12. मंगलकारी प्रभाव: यह स्तोत्र साधक के जीवन में सभी प्रकार की मंगलकारी घटनाओं का संचार करता है।
  13. सिद्धि प्राप्ति: यह स्तोत्र साधक को सभी प्रकार की सिद्धियों की प्राप्ति में सहायक होता है।
  14. मोक्ष प्राप्ति: यह स्तोत्र साधक को मोक्ष की ओर अग्रसर करता है।
  15. सभी प्रकार की समस्याओं का समाधान: यह स्तोत्र साधक के जीवन में आने वाली सभी प्रकार की समस्याओं का समाधान करता है।

तारा शतनाम स्तोत्र की विधि

1. दिन और अवधि

  • शुभ दिन: इस स्तोत्र का पाठ किसी भी शुभ दिन से शुरू किया जा सकता है, जैसे कि नवरात्रि, पूर्णिमा, अमावस्या, या किसी विशेष तिथि जैसे गुरु पूर्णिमा।
  • अवधि: इस स्तोत्र का पाठ 41 दिनों तक लगातार करना चाहिए, जिससे साधक को देवी तारा का पूर्ण आशीर्वाद प्राप्त हो सके।

2. मुहूर्त

  • प्रातः काल: सबसे शुभ समय ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 बजे से 6 बजे के बीच) होता है।
  • संध्या काल: सूर्यास्त के समय भी इस स्तोत्र का पाठ शुभ माना जाता है।
  • रात्रि काल: विशेषकर आधी रात के समय, तंत्र साधना के लिए यह समय अत्यंत प्रभावशाली होता है।

तारा शतनाम स्तोत्र के नियम

1. पूजा विधि

  • साधक को नित्य स्नान के पश्चात देवी तारा की मूर्ति या चित्र के सामने दीप, धूप, और पुष्प अर्पित करना चाहिए।
  • पीले या लाल वस्त्र धारण करना उत्तम माना जाता है।
  • साधक को एकांत स्थान में बैठकर ध्यान की अवस्था में इस स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।
  • पाठ करते समय शुद्धता और एकाग्रता का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

2. साधना को गुप्त रखना

  • तारा साधना विशेष रूप से गोपनीय मानी जाती है। साधक को इस साधना के बारे में किसी से चर्चा नहीं करनी चाहिए।
  • साधक को साधना के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए और साधना से संबंधित सभी सामग्री को गुप्त रखना चाहिए।

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तारा शतनाम स्तोत्र सावधानी

  • साधक को इस स्तोत्र का पाठ विधिपूर्वक और पूरी श्रद्धा के साथ करना चाहिए।
  • साधक को साधना के दौरान मानसिक और शारीरिक शुद्धता का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
  • साधक को किसी भी प्रकार के विक्षेप (मांसाहार, मदिरा, तामसिक भोजन) से बचना चाहिए।
  • अगर साधक इस स्तोत्र का पाठ स्वयं नहीं कर सकता, तो उसे किसी योग्य गुरु से मार्गदर्शन लेना चाहिए।
  • साधना के दौरान साधक को अपने इष्ट देवता के प्रति पूर्ण विश्वास और समर्पण होना चाहिए।

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तारा शतनाम स्तोत्र पाठ: प्रश्न उत्तर

1. प्रश्न: तारा तारा शतनाम स्तोत्र का मुख्य उद्देश्य क्या है?

उत्तर: तारा तारा शतनाम स्तोत्र का मुख्य उद्देश्य साधक को शत्रु नाश, रोग मुक्ति, धन-समृद्धि, और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करना है।

2. प्रश्न: इस स्तोत्र का नियमित पाठ कितने दिनों तक करना चाहिए?

उत्तर: इस स्तोत्र का नियमित पाठ 41 दिनों तक करना चाहिए।

3. प्रश्न: तारा तारा शतनाम स्तोत्र का पाठ कब करना चाहिए?

उत्तर: इस स्तोत्र का पाठ प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में, संध्या काल में या आधी रात के समय करना चाहिए।

4. प्रश्न: इस स्तोत्र का पाठ करने से कौन-कौन से लाभ मिल सकते हैं?

उत्तर: शत्रु नाश, रोग मुक्ति, धन-समृद्धि, पाप नाश, भय निवारण, और सिद्धि प्राप्ति जैसे अनेक लाभ मिल सकते हैं।

5. प्रश्न: तारा तारा शतनाम स्तोत्र का पाठ करने के लिए कौन से वस्त्र धारण करने चाहिए?

उत्तर: साधक को पीले या लाल वस्त्र धारण करने चाहिए।

6. प्रश्न: इस स्तोत्र का पाठ करने से क्या पापों का नाश होता है?

उत्तर: हाँ, यह स्तोत्र साधक के सभी पापों का नाश करता है।

7. प्रश्न: इस स्तोत्र का पाठ किस स्थान पर करना चाहिए?

उत्तर: एकांत, शुद्ध और शांत स्थान पर इस स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।

8. प्रश्न: साधना के दौरान कौन-कौन सी चीजों से बचना चाहिए?

उत्तर: मांसाहार, मदिरा, तामसिक भोजन, और अन्य विक्षेपों से बचना चाहिए।

9. प्रश्न: क्या तारा तारा शतनाम स्तोत्र का पाठ स्वयं करना चाहिए या गुरु से मार्गदर्शन लेना चाहिए?

उत्तर: अगर संभव हो, तो साधक को गुरु से मार्गदर्शन लेकर ही इस स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।

10. प्रश्न: साधना को गुप्त रखना क्यों आवश्यक है?

उत्तर: तारा साधना गोपनीय मानी जाती है, और इसे गुप्त रखने से साधना के परिणाम अधिक प्रभावशाली होते हैं।

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