तारा तारिणी शक्तिपीठ का रहस्य – देवी सती के अंग गिरने से जुड़ी कथा और पूजा सामग्री
तारा तारिणी शक्तिपीठ उड़ीसा राज्य के गंजाम जिले में स्थित है। ये तारा पीठ या स्तन पीठ के नाम से भी जाना जाता है। यह भारत के प्रमुख 51 शक्तिपीठों में से एक है। इस पवित्र स्थल पर माता सती के स्तन गिरे थे। तारा तारिणी को शक्तिस्वरूपा और तारिणी अर्थात् मुक्ति दिलाने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है।
तारा तारिणी शक्तिपीठ की सम्पूर्ण कथा
तारा तारिणी शक्तिपीठ उड़ीसा के गंजाम जिले में स्थित है। यह स्थान हिंदू धर्म के 51 शक्तिपीठों में से एक है। इस पवित्र स्थल पर माता सती के स्तन गिरे थे, जिसके कारण इसे स्तनपीठ कहा जाता है। देवी तारा तारिणी की महिमा से यह स्थान अत्यंत पावन और शक्तिशाली माना जाता है। भक्तगण यहां अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति और संकटों से मुक्ति के लिए आते हैं।
कहा जाता है कि जब भगवान शिव ने माता सती के शव को कंधे पर उठाकर तांडव नृत्य किया, तब भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से उनके शरीर को 51 भागों में विभाजित कर दिया। जहां-जहां माता सती के अंग गिरे, वहां शक्तिपीठों की स्थापना हुई। तारा तारिणी शक्तिपीठ भी उन्हीं में से एक है। यहां पर माता सती के स्तन गिरे थे, और इसीलिए इसे अत्यंत पवित्र शक्तिपीठ माना जाता है।
यहां की देवी को तारा और तारिणी नामों से जाना जाता है। तारा का अर्थ होता है “तारने वाली” और तारिणी का अर्थ है “मुक्ति दिलाने वाली”। यह देवी अपने भक्तों को संकटों से उबारती हैं और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करती हैं। तारा तारिणी की महिमा की चर्चा पुराणों और धर्मग्रंथों में भी मिलती है।
तारा तारिणी की कथा से जुड़ी विशेष घटनाएं
एक बार उड़ीसा के गंजाम जिले में एक भक्त को माता सती ने स्वप्न में दर्शन दिए। उन्होंने भक्त को आदेश दिया कि वह एक पवित्र स्थान पर उनकी प्रतिमा की स्थापना करे। भक्त ने निर्देशों का पालन करते हुए देवी की मूर्ति स्थापित की और वहां मंदिर का निर्माण किया। धीरे-धीरे यह स्थान अत्यधिक प्रसिद्ध हो गया और दूर-दूर से लोग यहां देवी की आराधना के लिए आने लगे।
तारा तारिणी शक्तिपीठ में प्रत्येक वर्ष बड़े धूमधाम से तारा तारिणी मेला आयोजित किया जाता है। इस मेले में हजारों भक्तगण देवी के दर्शन के लिए आते हैं। मान्यता है कि इस मेले में आने वाले भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। देवी की कृपा से उनके जीवन में आने वाले सभी संकट दूर हो जाते हैं।
तारा तारिणी शक्तिपीठ की यात्रा करने से न केवल भक्तों को आध्यात्मिक शांति मिलती है, बल्कि वे मानसिक और शारीरिक रूप से भी स्वस्थ हो जाते हैं। इस स्थान की यात्रा से व्यक्ति को मोक्ष प्राप्ति का मार्ग भी मिलता है।
तारा तारिणी पूजा और मान्यताएं
तारा तारिणी की पूजा करने के लिए भक्तगण विशेष पूजा सामग्री लेकर आते हैं। इस शक्तिपीठ में नारियल, लाल वस्त्र, चंदन, कुमकुम, फूल-माला, और भोग चढ़ाने की परंपरा है। माना जाता है कि तारा तारिणी की पूजा विधि अत्यंत सरल और प्रभावशाली होती है। देवी की आराधना करने से उनके भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
पूजा के समय भक्तगण देवी के सामने दीप जलाते हैं और चंदन, कुमकुम और फूल अर्पित करते हैं। इसके बाद नारियल फोड़कर देवी को समर्पित किया जाता है। पूजा के अंत में भोग अर्पित किया जाता है, जिसमें लड्डू, फल और पान-सुपारी शामिल होते हैं। तारा तारिणी की पूजा विधि के दौरान मंत्रों का जाप भी किया जाता है, जिससे पूजा और अधिक प्रभावशाली बन जाती है।
तारा तारिणी शक्तिपीठ में विशेष रूप से चैत्र मास के दौरान भक्तगण यहां आकर देवी की आराधना करते हैं। इस महीने में यहां बहुत बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं और तारा तारिणी देवी से अपने जीवन के कष्टों का निवारण मांगते हैं। देवी के प्रति भक्तों का अगाध विश्वास है कि जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से तारा तारिणी की पूजा करता है, उसकी समस्त इच्छाएं पूर्ण हो जाती हैं।
तारा तारिणी शक्तिपीठ की धार्मिक महत्ता
तारा तारिणी शक्तिपीठ केवल उड़ीसा ही नहीं, बल्कि पूरे भारत में अत्यधिक धार्मिक महत्व वाला स्थान है। यहां आने वाले भक्तगण देवी की महिमा से अभिभूत होते हैं और देवी के प्रति अपनी अटूट आस्था व्यक्त करते हैं। शक्तिपीठ होने के नाते इस स्थान का महत्व हिंदू धर्म में अत्यधिक है।
देवी तारा तारिणी की पूजा करने से जीवन में आने वाले सभी संकट और परेशानियां दूर हो जाती हैं। साथ ही, भक्तगण अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का अनुभव करते हैं। तारा तारिणी की महिमा का वर्णन पुराणों में भी मिलता है, जहां यह शक्तिपीठ एक विशेष स्थान रखता है।
इस शक्तिपीठ की यात्रा करने से व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक रूप से लाभ होता है। श्रद्धालु यहां देवी के दर्शन करके अपने दुखों का निवारण करते हैं और मोक्ष की प्राप्ति की ओर अग्रसर होते हैं।
तारा तारिणी शक्तिपीठ की विशेष लाभ
- मनोकामनाओं की पूर्ति।
- मानसिक शांति।
- रोगों से मुक्ति।
- आर्थिक समृद्धि।
- बुरी शक्तियों से रक्षा।
- मानसिक स्थिरता।
- परिवार में शांति।
- दीर्घायु का आशीर्वाद।
- ज्ञान प्राप्ति।
- आत्मिक शुद्धि।
- देवी कृपा से संतति सुख।
- विवाह संबंधी समस्याओं का समाधान।
- सामाजिक प्रतिष्ठा।
- आध्यात्मिक उन्नति।
- विपत्तियों से मुक्ति।
- कोर्ट-कचहरी के मामलों में विजय।
- व्यापार में सफलता।
तारा तारिणी शक्तिपीठ की खासियत
तारा तारिणी शक्तिपीठ की प्रमुख खासियत यह है कि यहां आने वाले भक्तों की समस्त समस्याओं का समाधान होता है। माना जाता है कि देवी तारा तारिणी विशेष रूप से उन लोगों की मदद करती हैं जो संकट में होते हैं। देवी का यह शक्तिपीठ न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि प्राकृतिक सौंदर्य से भी भरपूर है।
तारा तारिणी की पूजा सामग्री
- लाल वस्त्र।
- चंदन।
- कुमकुम।
- नारियल।
- अगरबत्ती।
- फूल-माला।
- दीपक।
- भोग (लड्डू, फल)।
- पान-सुपारी।
- जल, दूध, दही।
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तारा तारिणी पूजा विधि
- सुबह स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।
- तारा तारिणी देवी की मूर्ति या चित्र के सामने दीप जलाएं।
- चंदन, कुमकुम और फूल अर्पित करें।
- नारियल और भोग चढ़ाएं।
- 11 बार देवी के मंत्र का जाप करें।
- पूजा के अंत में आरती करें और प्रसाद बांटें।
- मंत्र – ॐ स्त्रीं तारा तुतारे नमः
तारा शक्तिपीठ प्रश्न और उत्तर
प्रश्न 1: तारा तारिणी शक्तिपीठ कहां स्थित है?
उत्तर: यह उड़ीसा राज्य के गंजाम जिले में स्थित है।
प्रश्न 2: यहां कौन से देवी का अंग गिरा था?
उत्तर: माता सती के स्तन इस स्थान पर गिरे थे।
प्रश्न 3: तारा तारिणी का क्या अर्थ है?
उत्तर: तारा का अर्थ है तारने वाली, और तारिणी का अर्थ है मुक्ति देने वाली।
प्रश्न 4: तारा तारिणी की पूजा का शुभ समय क्या है?
उत्तर: सुबह और शाम का समय पूजा के लिए सर्वोत्तम माना जाता है।
प्रश्न 5: इस शक्तिपीठ की महिमा क्या है?
उत्तर: देवी तारा तारिणी संकटों से मुक्त करती हैं और इच्छाओं की पूर्ति करती हैं।
प्रश्न 6: इस शक्तिपीठ में कौन-कौन सी चीज़ें चढ़ाई जाती हैं?
उत्तर: नारियल, चंदन, कुमकुम, फूल, और भोग चढ़ाए जाते हैं।
प्रश्न 7: इस शक्तिपीठ का प्रमुख त्योहार कौन सा है?
उत्तर: तारा तारिणी मेला यहां का प्रमुख त्योहार है।
प्रश्न 8: तारा तारिणी शक्तिपीठ की यात्रा का लाभ क्या है?
उत्तर: भक्तों को मानसिक शांति, समृद्धि और सभी दुखों से मुक्ति मिलती है।
प्रश्न 9: यहां पर आने का सबसे अच्छा समय कौन सा है?
उत्तर: मार्च और अप्रैल के महीने यात्रा के लिए सर्वोत्तम माने जाते हैं।
प्रश्न 10: इस स्थल का धार्मिक महत्व क्या है?
उत्तर: यह शक्तिपीठ देवी सती के गिरने वाले स्थानों में से एक है।
प्रश्न 11: कौन-कौन सी चीजें पूजा में अनिवार्य होती हैं?
उत्तर: नारियल, फूल, चंदन, कुमकुम, और दीपक अनिवार्य हैं।
प्रश्न 12: तारा तारिणी शक्तिपीठ की यात्रा क्यों करनी चाहिए?
उत्तर: जीवन की समस्याओं का समाधान और देवी की कृपा प्राप्त करने के लिए यहां की यात्रा करनी चाहिए।