spot_img

Vajra Krodhadev Mantra – Mastering Inner Strength & Protection

वज्र क्रोधदेव मंत्र: आत्मिक शक्ति और नकारात्मकता से सुरक्षा का रहस्य

वज्र क्रोधदेव मंत्र, भगवान भैरव के एक अद्वितीय रूप का प्रतिनिधित्व करता है। “भूत डामर तंत्र” के अनुसार, यह मंत्र हर प्रकार की सुरक्षा प्रदान करता है और जीवन में अद्वितीय ऊर्जा का संचार करता है। भगवान भैरव अपने इस स्वरूप में समस्त बुरी शक्तियों का नाश करने वाले और साधक को आत्मरक्षा के उपाय देने वाले हैं। यह मंत्र भैरव उपासना के मुख्य अंग के रूप में माना जाता है।

दसों दिशाओं का दिग्बंधन मंत्र, तांत्रिक और साधना प्रक्रियाओं में उपयोग किया जाने वाला एक शक्तिशाली साधन है। इसका उद्देश्य साधक की रक्षा करना और सभी दिशाओं से आने वाली नकारात्मक ऊर्जा, बाधाएं और अशुभ शक्तियों को रोकना है। यह मंत्र विशेष रूप से सुरक्षा कवच बनाने और साधना क्षेत्र को पवित्र व सुरक्षित रखने के लिए प्रयोग किया जाता है।


दिग्बंधन मंत्र व उसका अर्थ

  • ॐ आं इशानाय नमः।
  • ॐ ह्रीं अग्नेयाय नमः।
  • ॐ क्लीं यमाय नमः।
  • ॐ श्रीं नैऋत्याय नमः।
  • ॐ वं वरुणाय नमः।
  • ॐ हूं वायव्याय नमः।
  • ॐ फट् कुबेराय नमः।
  • ॐ हौं ब्रह्मणे नमः।
  • ॐ क्षौं अनन्ताय नमः।

मंत्र का अर्थ

यह मंत्र दसों दिशाओं के दिक्पालों (दिशा के देवताओं) का आवाहन करता है। प्रत्येक दिशा का एक देवता होता है, जो उस दिशा की सुरक्षा का प्रतिनिधित्व करता है। मंत्र के माध्यम से साधक दसों दिशाओं से सुरक्षा कवच बनाता है।

  1. ॐ आं इशानाय नमः
    • इशान दिशा (उत्तर-पूर्व) के देवता शिवजी को नमन। यह दिशा ज्ञान और आत्मिक उन्नति का प्रतीक है।
  2. ॐ ह्रीं अग्नेयाय नमः
    • अग्नेय दिशा (दक्षिण-पूर्व) के देवता अग्नि को नमन। यह दिशा ऊर्जा और शक्ति का प्रतीक है।
  3. ॐ क्लीं यमाय नमः
    • दक्षिण दिशा के देवता यमराज को नमन। यह दिशा अनुशासन और मृत्यु को नियंत्रित करने का प्रतीक है।
  4. ॐ श्रीं नैऋत्याय नमः
    • नैऋत्य दिशा (दक्षिण-पश्चिम) के देवता पितृ और राक्षसों के अधिपति को नमन। यह दिशा दृढ़ता और स्थायित्व का प्रतीक है।
  5. ॐ वं वरुणाय नमः
    • पश्चिम दिशा के देवता वरुण को नमन। यह दिशा जल तत्व और सत्य का प्रतीक है।
  6. ॐ हूं वायव्याय नमः
    • वायव्य दिशा (उत्तर-पश्चिम) के देवता वायु को नमन। यह दिशा गति और संचार का प्रतीक है।
  7. ॐ फट् कुबेराय नमः
    • उत्तर दिशा के देवता कुबेर को नमन। यह दिशा धन और संपत्ति का प्रतीक है।
  8. ॐ हौं ब्रह्मणे नमः
    • ऊर्ध्व दिशा (ऊपर) के देवता ब्रह्मा को नमन। यह दिशा सृजन और दिव्यता का प्रतीक है।
  9. ॐ क्षौं अनन्ताय नमः
    • अधो दिशा (नीचे) के देवता अनंत (शेषनाग) को नमन। यह दिशा आधार और स्थिरता का प्रतीक है।

भावार्थ और प्रयोग

  • यह मंत्र साधक को चारों दिशाओं और ऊर्ध्व-अधो दिशाओं से सुरक्षा कवच प्रदान करता है।
  • इसका उच्चारण किसी भी साधना, यज्ञ, हवन, ध्यान या पूजा से पहले किया जाता है।
  • यह नकारात्मक शक्तियों को साधक के निकट आने से रोकता है और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है।

वज्र क्रोधदेव मंत्र व उसका संपूर्ण अर्थ

ॐ हुं हुं हुं फट्ट फट्ट वज्रक्रोधधीष महाक्रोध ज्वल ज्वल नष्ट्य नष्ट्य हुं हुं फट्ट फट्ट फट्ट

  1. : ब्रह्मांडीय ध्वनि और सर्वव्यापी चेतना का प्रतीक। यह सभी मंत्रों का मूल है और दिव्य शक्ति को जागृत करता है।
  2. हुं हुं हुं: यह एक बीज मंत्र है, जो ऊर्जा और शक्ति का प्रतीक है। इसे क्रोध और संरक्षण की शक्तियों को जागृत करने वाला माना जाता है।
  3. फट् फट्ट: यह शब्द नकारात्मक शक्तियों को नष्ट करने और किसी भी बाधा को समाप्त करने की ऊर्जा उत्पन्न करता है।
  4. वज्रक्रोधधीष: ‘वज्र’ स्थायित्व और शक्ति का प्रतीक है। ‘क्रोधधीष’ का अर्थ है दिव्य क्रोध या वह शक्ति जो सभी बाधाओं को खत्म कर सकती है।
  5. महाक्रोध: अत्यधिक शक्ति या ऊर्जा, जो बुराई या नकारात्मकता को समाप्त करने के लिए प्रयोग की जाती है।
  6. ज्वल ज्वल: जलना, दिव्य अग्नि या ऊर्जा का प्रतीक। यह शुद्धि और बुराई के विनाश को दर्शाता है।
  7. नष्ट्य नष्ट्य: नष्ट करना, विशेष रूप से नकारात्मकता और अज्ञान को।
  8. हुं हुं फट्ट फट्ट फट्ट: पुनः शक्ति, ऊर्जा और विध्वंसात्मक क्रियाओं का आवाहन।

भावार्थ:

यह मंत्र विशेष रूप से क्रोध या ऊर्जा के देवता या शक्ति का आवाहन करता है। इसका उद्देश्य नकारात्मक शक्तियों, बाधाओं और अशुभ प्रभावों को समाप्त करना है। यह ध्यान और साधना के माध्यम से आत्मिक शक्ति और जागरूकता को बढ़ाने के लिए भी उपयोग किया जाता है।

नोट: यह मंत्र बहुत ही शक्तिशाली है और इसका उच्चारण या प्रयोग किसी विशेषज्ञ गुरु या मार्गदर्शक की सलाह से ही करना चाहिए, क्योंकि इसके प्रभाव गहरे और विशिष्ट हो सकते हैं।

जाप के दौरान सेवन योग्य चीजें

  1. फल और दूध
  2. सूखे मेवे
  3. तुलसी और मिश्री
  4. शुद्ध जल
  5. हल्का भोजन

वज्र क्रोधदेव मंत्र के लाभ

  • मानसिक शांति प्रदान करता है।
  • शत्रुओं से सुरक्षा करता है।
  • आत्मविश्वास बढ़ाता है।
  • नकारात्मक ऊर्जा का नाश करता है।
  • आध्यात्मिक प्रगति में सहायक।
  • सकारात्मकता का संचार करता है।
  • रोगमुक्ति प्रदान करता है।
  • जीवन में समृद्धि लाता है।
  • पारिवारिक कल्याण करता है।
  • बुरी नजर से बचाव।
  • कार्यों में सफलता।
  • भय का नाश करता है।
  • आंतरिक शुद्धता लाता है।
  • ध्यान की क्षमता बढ़ाता है।
  • ऊर्जा में वृद्धि करता है।
  • आत्मरक्षा में सहायक।
  • देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त करता है।
  • करियर में सफलता।

पूजा सामग्री व मंत्र विधि

सामग्री:

  • घी का दीपक
  • धूप और अगरबत्ती
  • सफेद और लाल पुष्प
  • चावल और सिंदूर
  • पीला वस्त्र

मंत्र जप विधि:

  • मंत्र का जप शुभ मुहूर्त में करें।
  • सुबह और शाम के समय आदर्श माने गए हैं।
  • 13 दिन तक नियमित 20 मिनट का जप करें।

Get mantra diksha

मंत्र जप के नियम

  1. 20 वर्ष से अधिक आयु के लोग जप करें।
  2. स्त्री और पुरुष दोनों कर सकते हैं।
  3. नीले और काले कपड़े न पहनें।
  4. धूम्रपान और मद्यपान से दूर रहें।
  5. शाकाहार और ब्रह्मचर्य का पालन करें।

Kamakhya sadhana shivir

जप सावधानियां

  • जप के दौरान मन को शांत रखें।
  • शुद्ध स्थान का चयन करें।
  • उच्चारण में स्पष्टता रखें।
  • मध्य में जाप न रोकें।

Spiritual store

वज्र क्रोधदेव मंत्र से संबंधित प्रश्न-उत्तर

प्रश्न 1: क्या यह मंत्र सभी के लिए है?

उत्तर: हां, यह मंत्र 20 वर्ष से अधिक आयु के स्त्री-पुरुषों के लिए है।

प्रश्न 2: मंत्र जाप के लिए कौन सा समय सबसे उपयुक्त है?

उत्तर: प्रातःकाल और संध्या काल।

प्रश्न 3: मंत्र जाप के दौरान क्या पहनना चाहिए?

उत्तर: साफ और सफेद या पीले वस्त्र।

प्रश्न 4: क्या मंत्र जाप के लिए विशेष स्थान की आवश्यकता है?

उत्तर: शांत और शुद्ध स्थान पर मंत्र जाप करें।

प्रश्न 5: मंत्र जाप में कितनी अवधि लगानी चाहिए?

उत्तर: प्रतिदिन 20 मिनट, 13 दिनों तक।

प्रश्न 6: क्या मंत्र जाप के दौरान भोजन का ध्यान रखना चाहिए?

उत्तर: हल्का, शाकाहारी भोजन करें।

प्रश्न 7: क्या नकारात्मक ऊर्जा से बचाता है?

उत्तर: हां, यह मंत्र नकारात्मक ऊर्जा का नाश करता है।

प्रश्न 8: मंत्र जाप के अन्य लाभ क्या हैं?

उत्तर: मानसिक शांति, रोगमुक्ति, आत्मबल, और आध्यात्मिक उन्नति।

प्रश्न 9: क्या इस मंत्र का प्रभाव तुरंत दिखता है?

उत्तर: निरंतर जाप से धीरे-धीरे प्रभाव दिखता है।

प्रश्न 10: क्या अन्य मंत्रों के साथ इसका जाप किया जा सकता है?

उत्तर: हां, अन्य भैरव मंत्रों के साथ इसका जाप कर सकते हैं।

प्रश्न 11: क्या जाप के लिए कोई संख्या निर्धारित है?

उत्तर: न्यूनतम 108 बार जाप करना चाहिए।

प्रश्न 12: क्या मंत्र जाप व्यक्तिगत रूप से करना चाहिए?

उत्तर: हां, यह व्यक्तिगत साधना के लिए उपयुक्त है।

spot_img
spot_img

Related Articles

KAMAKHYA SADHANA SHIVIRspot_img
PITRA DOSHA NIVARAN PUJANspot_img

Latest Articles

FREE HOROSCOPE CONSULTINGspot_img
BAGALAMUKHI SHIVIR BOOKINGspot_img
Select your currency