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Varuthini ekadashi vrat for wealth & paapmukti

वरुथिनी एकादशी व्रत २०२५ – चमत्कारी लाभ और नियम

वरूथिनी एकादशी व्रत हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण व्रतों में से एक है। यह व्रत चैत शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है और भगवान विष्णु के वामन अवतार को समर्पित होता है। मान्यता है कि वरूथिनी एकादशी व्रत रखने से व्यक्ति के सारे पाप धुल जाते हैं और उसे जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह व्रत मोक्ष प्राप्ति का मार्ग भी खोलता है और सांसारिक कष्टों से मुक्ति दिलाता है।

वरूथिनी एकादशी व्रत मुहुर्थ २०२५

वरूथिनी एकादशी 2025 में 23 अप्रैल को मनाई जाएगी। यह व्रत वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को पड़ता है। इस दिन भगवान विष्णु के वराह अवतार की पूजा की जाती है, जिससे नकारात्मक प्रभावों से सुरक्षा और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होता है​।

व्रत विधि और मंत्र

व्रतधारी को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना चाहिए और स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए। भगवान विष्णु की मूर्ति के समक्ष घी का दीपक जलाकर, फूल, फल और तुलसी अर्पित करें। पूजा करते समय इस मंत्र का जाप करें:
“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”
पूजा के बाद भगवान को मिष्ठान्न और फल का भोग लगाएं और पूरे दिन व्रत रखें। दिनभर भगवान विष्णु का ध्यान करते रहें और अधिक से अधिक समय मंत्र जाप में बिताएं।

व्रत में क्या खाएं और क्या न खाएं

वरूथिनी एकादशी व्रत के दौरान अन्न, नमक और मसालेदार भोजन से परहेज करना चाहिए। फलाहार, दूध, मेवा और शुद्ध सात्विक भोजन का सेवन कर सकते हैं। प्याज और लहसुन जैसे तामसिक खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए।

वरुथिनी एकादशी व्रत के लाभ

  1. जीवन के पापों का नाश होता है।
  2. भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
  3. मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
  4. सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति मिलती है।
  5. स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  6. मानसिक शांति और स्थिरता मिलती है।
  7. आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
  8. पारिवारिक सुख और समृद्धि में वृद्धि होती है।
  9. पाप और कष्टों से मुक्ति मिलती है।
  10. मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  11. आत्मशुद्धि होती है।
  12. समाज में मान-सम्मान बढ़ता है।
  13. पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है।
  14. तनाव और चिंता से छुटकारा मिलता है।
  15. धर्म और आध्यात्मिकता में वृद्धि होती है।
  16. सभी बाधाओं का नाश होता है।
  17. मन की एकाग्रता बढ़ती है।

व्रत के नियम

  1. पूरे दिन निराहार या फलाहार पर रहना चाहिए।
  2. अन्न और तामसिक भोजन का सेवन न करें।
  3. भगवान विष्णु का ध्यान और मंत्र जाप करें।
  4. दान और पुण्य के कार्य करें।
  5. दिन में झूठ, क्रोध और अहंकार से बचें।

वरूथिनी एकादशी व्रत की संपूर्ण कथा

वरूथिनी एकादशी का महत्व हिंदू धर्म में अत्यधिक है। इस दिन भगवान विष्णु के वराह अवतार की पूजा की जाती है। पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय राजा मान्धाता अपने राज्य का कुशलता से संचालन कर रहे थे। एक दिन, उन्हें किसी पाप का सामना करना पड़ा और उनके शरीर का एक हिस्सा नष्ट हो गया। तब भगवान विष्णु के वराह अवतार ने उन्हें दर्शन दिए और उन्हें वरूथिनी एकादशी व्रत का पालन करने का निर्देश दिया।

राजा ने इस व्रत को श्रद्धा से किया, जिसके परिणामस्वरूप उनके शरीर का नष्ट हुआ हिस्सा फिर से सामान्य हो गया और उन्हें सभी पापों से मुक्ति मिली। इस प्रकार, वरूथिनी एकादशी व्रत व्यक्ति के जीवन से सभी पापों का नाश कर उसे मोक्ष दिलाने में सहायक माना गया है।

भोग

व्रत के अंत में भगवान विष्णु को फल, मेवा और शुद्ध सात्विक भोजन का भोग लगाएं। भगवान को ताजे फल और मिठाई अर्पित करें और ध्यान से पूजा करें।

व्रत की शुरुआत और समाप्ति

व्रत की शुरुआत एकादशी तिथि के सूर्योदय से पहले होती है। इसका समापन द्वादशी तिथि के सूर्योदय के बाद पारण करके किया जाता है।

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सावधानियां

  1. व्रत के दौरान संयमित रहें और सात्विक आहार लें।
  2. मन में शुद्ध विचार रखें और क्रोध, लोभ, और अहंकार से दूर रहें।
  3. पूरे दिन भगवान का ध्यान करते रहें और अनावश्यक बातों में न उलझें।

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वरूथिनी एकादशी व्रत संबंधित प्रश्न उत्तर

प्रश्न: क्या यह व्रत सभी लोग रख सकते हैं?
उत्तर: हां, इसे सभी उम्र के लोग रख सकते हैं।

प्रश्न: वरूथिनी एकादशी का महत्व क्या है?
उत्तर: यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग खोलता है।

प्रश्न: व्रत में फलाहार के दौरान क्या खा सकते हैं?
उत्तर: आप फल, दूध और मेवा का सेवन कर सकते हैं।

प्रश्न: क्या व्रत के दौरान अन्न खा सकते हैं?
उत्तर: नहीं, व्रत के दौरान अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए।

प्रश्न: व्रत का समय कब से कब तक होता है?
उत्तर: एकादशी तिथि के सूर्योदय से द्वादशी तिथि के पारण तक।

प्रश्न: वरूथिनी एकादशी के कितने लाभ होते हैं?
उत्तर: इस व्रत के 17 लाभ होते हैं।

प्रश्न: क्या व्रत कठिन होता है?
उत्तर: नहीं, इसे श्रद्धा और आस्था से रखा जाता है।

प्रश्न: व्रत के दौरान कौन से मंत्र का जाप करें?
उत्तर: “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।

प्रश्न: क्या व्रत के दौरान दान करना जरूरी है?
उत्तर: हां, दान पुण्य करना आवश्यक और फलदायक होता है।

प्रश्न: क्या व्रत के दौरान यात्रा कर सकते हैं?
उत्तर: नहीं, व्रत के दिन यात्रा करने से बचना चाहिए।

प्रश्न: क्या वरूथिनी एकादशी व्रत से पापों का नाश होता है?
उत्तर: हां, यह व्रत पापों को नष्ट करता है।

प्रश्न: व्रत में पूजा का क्या महत्व है?
उत्तर: व्रत के दौरान भगवान विष्णु की पूजा अत्यंत महत्वपूर्ण है।

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