Amavasya-Ancestors Blessing

अमावस्या मे पित्रों का आशिर्वाद

अमावस्या को विशेष रूप से पितृ तर्पण के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन पितृगणों की पूजा और तर्पण करने से उन्हें शांति प्राप्त होती है और शांत होकर पितृलोक पहुंचते है।

पूजा कैसे करें:

  1. पित्र मंत्र- ॥ॐ सर्व पित्राय स्वधा॥ “OM SARVA PITRAAY SVADHAA”
  2. पूजा के लिए प्रारंभ करने से पहले स्नान करें और शुद्ध वस्त्र पहनें।
  3. पूजा स्थल को शुद्ध करें और अलंकृत करें।
  4. पितृ देवताओं की मूर्तियों का पूजन करें और उन्हें नैवेद्य और धूप-दीप अर्पित करें।
  5. तर्पण के लिए पितृ तर्पण मंत्र का जाप करें और उन्हें जल, रक्त, और भोजन अर्पित करें।
  6. पूजा के बाद एक प्लेट मे भोजन का कुछ अंश रखकर घर के बाहर या छत पर रख दे, जिससे पशु-पक्षी भोजन कर सके।

मुहूर्त:
अमावस्या के दिन तर्पण और पूजा के लिए पूर्वाह्न का समय अधिक शुभ माना जाता है। इसके अलावा, अमावस्या के दिन सायंकाल का समय भी उत्तम होता है।

दिशा:
पूजा और तर्पण के लिए उत्तर या पूर्व दिशा उत्तम मानी जाती है। इसके अलावा, दक्षिण दिशा भी स्वीकार्य है।

लाभ:

  1. पितृ तर्पण से पितृगणों की आत्मा को शांति मिलती है और उनकी कृपा से पितृलोक में सुखी जीवन बिताने का सुअवसर मिलता है।
  2. अमावस्या के दिन पितृ पूजन से उनकी क्षमताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में समृद्धि और सुख की प्राप्ति होती है।
  3. इस दिन तर्पण करने से पितृगणों को प्रेत योनि से छुटकरा मिलता है और उनकी आत्मा को मुक्ति प्राप्त होती है।