विष्णू कवचम् पाठ – जीवन की हर समस्या का हल
विष्णू कवचम् एक पवित्र स्तोत्र है जो भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने के लिए पढ़ा जाता है। यह कवच भक्तों को नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करता है और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति में सहायक होता है। विष्णू कवचम् का पाठ करने से व्यक्ति को मानसिक शांति, आत्मविश्वास, और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।
संपूर्ण विष्णू कवचम् और उसका अर्थ
संपूर्ण विष्णू कवचम् और उसका अर्थ
विष्णू कवचम् एक पवित्र स्तोत्र है जो भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने के लिए पढ़ा जाता है। यह कवच विशेष रूप से भक्तों को नकारात्मक शक्तियों से बचाने और जीवन में सुख-शांति प्रदान करने के लिए रचा गया है।
विष्णू कवचम् का पाठ:
ॐ श्री विष्णवे नमः ।
अस्य श्री विष्णुकवच मन्त्रस्य । ऋषिः नारदः ।
छन्दः अनुष्टुप् । देवता श्री विष्णुः ।
विनियोगः श्री विष्णुप्रीत्यर्थे जपे विनियोगः ।
ध्यानं –
शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम् ।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्
वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम् ।। १ ।।
विष्णुः पातु मे शिरः, शेषशायी शिखाम् पातु ।
चक्रधरः पातु भ्रुवौ, पातु नीलाम्बरः श्रुती।। २ ।।
नासिकां पातु मदुसूदनः, वदनं पातु वैकुण्ठः ।
जीह्वां पातु श्रीपतिः, पातु कण्ठं गरुडध्वजः ।। ३ ।।
स्कन्धौ पातु गोविन्दः, पातु बाहीः श्रीधरः सर्वम्।
हृदयं पातु कृष्णः, पातु मध्यं च वैकुण्ठः ।। ४ ।।
कटिं पातु नारायणः, पातु जघनं पितामहः ।
ऊरु पातु पृथुशयानः, पातु जानु तु जानार्दनः ।। ५ ।।
पातु विष्णुः पादौ, पातु जानार्दनः सर्वशरीरं ।
रात्रौ पातु मुरारिः, पातु दण्डकृदिव दिनम् ।। ६ ।।
आदिदेवः पातु शिरोवाङ्मनोबलं च विष्णुः ।
सर्वाङ्गं पातु गोविन्दः, पातु विश्वात्मा सर्वम्।। ७ ।।
विष्णू कवचम् का अर्थ:
- ध्यान:
शांति स्वरूप, शेषनाग पर शयन करने वाले, पद्मनाभ, देवताओं के स्वामी, सम्पूर्ण विश्व के आधार और आकाश के समान विशाल एवं मेघ के समान वर्ण वाले भगवान विष्णु का ध्यान करें। वे लक्ष्मी के पति हैं, कमल के समान सुंदर नेत्रों वाले हैं, और योगियों के ध्यान में गम्य हैं। ऐसे भगवान विष्णु को प्रणाम करता हूं, जो संसार के भय का नाश करने वाले और सभी लोकों के एकमात्र स्वामी हैं। - पहला श्लोक:
भगवान विष्णु मेरे सिर की रक्षा करें, शेषनाग पर शयन करने वाले मेरे शिखा की रक्षा करें। चक्रधारी भगवान मेरी भौंहों की रक्षा करें, और नीले वस्त्र वाले भगवान मेरी श्रवणेंद्रियों की रक्षा करें। - दूसरा श्लोक:
मदुसूदन मेरी नासिका की रक्षा करें, वैकुण्ठ मेरे मुख की रक्षा करें। श्रीपति मेरी जीभ की रक्षा करें, गरुड़ध्वज मेरे कंठ की रक्षा करें। - तीसरा श्लोक:
गोविंद मेरे कंधों की रक्षा करें, श्रीधर मेरे बाहों की रक्षा करें। कृष्ण मेरे हृदय की रक्षा करें, और वैकुण्ठ मेरे मध्य भाग की रक्षा करें। - चौथा श्लोक:
नारायण मेरी कमर की रक्षा करें, पितामह मेरे जघन की रक्षा करें। पृथुशयन मेरे जांघों की रक्षा करें, और जानार्दन मेरे घुटनों की रक्षा करें। - पाँचवाँ श्लोक:
विष्णु मेरे पैरों की रक्षा करें, और जानार्दन मेरे सम्पूर्ण शरीर की रक्षा करें। रात में मुरारी मेरी रक्षा करें, और दिन में दण्डकृत मेरी रक्षा करें। - छठा श्लोक:
आदिदेव मेरे सिर, वाणी, मन और बल की रक्षा करें। सम्पूर्ण अंगों की रक्षा गोविंद करें, और विश्वात्मा सम्पूर्ण शरीर की रक्षा करें।
विष्णू कवचम् के लाभ
- रक्षा प्रदान करता है: यह कवच नकारात्मक शक्तियों और बुरी नजर से रक्षा करता है।
- सुख-समृद्धि की प्राप्ति: विष्णू कवचम् का पाठ धन, सुख और समृद्धि लाता है।
- स्वास्थ्य में सुधार: इस कवच का पाठ रोगों से मुक्ति दिलाने में सहायक होता है।
- आध्यात्मिक उन्नति: विष्णू कवचम् से आध्यात्मिक प्रगति होती है।
- शत्रुओं से सुरक्षा: यह कवच शत्रुओं के दुष्प्रभाव से सुरक्षा करता है।
- कुंडली दोषों का निवारण: विष्णू कवचम् विभिन्न कुंडली दोषों का निवारण करता है।
- आत्मविश्वास में वृद्धि: इसका पाठ करने से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
- मानसिक शांति: विष्णू कवचम् का पाठ मानसिक शांति और स्थिरता प्रदान करता है।
- संकटों से मुक्ति: जीवन में आने वाले संकटों का निवारण होता है।
- परिवारिक सुख: यह कवच परिवार में सुख-शांति बनाए रखता है।
- विवाह में सफलता: अविवाहितों के लिए विवाह में सफलता प्राप्त होती है।
- संतान प्राप्ति: जो दंपति संतान प्राप्ति में कठिनाई का सामना कर रहे हैं, उन्हें यह कवच लाभकारी होता है।
- आर्थिक उन्नति: विष्णू कवचम् का पाठ करने से आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
- दुर्घटनाओं से सुरक्षा: यह कवच आकस्मिक दुर्घटनाओं से रक्षा करता है।
- मोक्ष की प्राप्ति: विष्णू कवचम् का पाठ मोक्ष प्राप्ति में सहायक होता है।
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विष्णू कवचम् की विधि
1. दिन और समय:
- विष्णू कवचम् का पाठ विशेष रूप से गुरुवार को शुभ माना जाता है, क्योंकि यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित है। प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4:00 से 6:00 बजे) के बीच का समय सबसे उत्तम होता है।
2. अवधि:
- विष्णू कवचम् का पाठ लगातार 41 दिनों तक करने से विशेष लाभ होते हैं। इस अवधि में प्रतिदिन एक बार पाठ करना चाहिए।
3. मुहूर्त:
- विष्णू कवचम् के पाठ के लिए शुभ मुहूर्त का चयन करना आवश्यक है। इसके लिए किसी विद्वान ज्योतिषी की सलाह ली जा सकती है।
विष्णू कवचम् के नियम
- शुद्धता का ध्यान:
- पाठ करते समय शारीरिक और मानसिक शुद्धता का ध्यान रखें।
- स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा विधि:
- पाठ से पहले भगवान विष्णु की पूजा करें।
- विष्णु भगवान को पीले पुष्प, तुलसी दल, और पंचामृत अर्पित करें।
- गुप्त साधना:
- विष्णू कवचम् की साधना को गुप्त रखें। इसे सार्वजनिक रूप से चर्चा न करें।
- दिशा:
- विष्णू कवचम् का पाठ पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके करें।
- भक्ति और श्रद्धा:
- विष्णू कवचम् का पाठ भक्ति और श्रद्धा के साथ करें।
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विष्णू कवचम् सावधानियाँ
- अशुद्ध समय पर पाठ न करें:
- अशुद्ध अवस्था में या रात्रि के समय विष्णू कवचम् का पाठ नहीं करना चाहिए।
- सही उच्चारण:
- विष्णू कवचम् का पाठ सही उच्चारण के साथ करना चाहिए। गलत उच्चारण से विपरीत प्रभाव हो सकता है।
- पूजा सामग्री का ध्यान:
- विष्णु भगवान को शुद्ध और स्वच्छ सामग्री अर्पित करें। तुलसी दल का विशेष ध्यान रखें कि वह ताज़ा हो।
- मन की एकाग्रता:
- पाठ करते समय मन को एकाग्र रखें। अन्य विचारों को दूर रखें।
- नियमितता बनाए रखें:
- यदि 41 दिन की साधना कर रहे हैं, तो इसमें किसी भी प्रकार का विघ्न न आने दें।
विष्णू कवचम् पाठ के प्रश्न-उत्तर
प्रश्न 1: विष्णू कवचम् का पाठ किसके लिए उपयुक्त है?
उत्तर: विष्णू कवचम् का पाठ उन सभी भक्तों के लिए उपयुक्त है जो भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं और जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि की कामना करते हैं।
प्रश्न 2: क्या विष्णू कवचम् का पाठ रात्रि में किया जा सकता है?
उत्तर: विष्णू कवचम् का पाठ प्रातः काल में करना शुभ होता है। रात्रि में इसे करने से बचना चाहिए।
प्रश्न 3: क्या विष्णू कवचम् का पाठ केवल गुरुवार को ही किया जा सकता है?
उत्तर: विष्णू कवचम् का पाठ किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन गुरुवार को इसका विशेष महत्व है।
प्रश्न 4: विष्णू कवचम् का पाठ करते समय कौन सी दिशा की ओर मुख करना चाहिए?
उत्तर: विष्णू कवचम् का पाठ करते समय पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करना शुभ होता है।
प्रश्न 5: क्या विष्णू कवचम् का पाठ किसी विशेष मुहूर्त में करना चाहिए?
उत्तर: हां, यदि किसी विशेष कार्य के लिए पाठ किया जा रहा है, तो शुभ मुहूर्त का चयन करना आवश्यक होता है।
प्रश्न 6: क्या विष्णू कवचम् का पाठ करने से कुंडली दोषों का निवारण होता है?
उत्तर: हां, विष्णू कवचम् का पाठ विभिन्न कुंडली दोषों का निवारण करता है।
प्रश्न 7: क्या विष्णू कवचम् का पाठ संतान प्राप्ति के लिए किया जा सकता है?
उत्तर: हां, जो दंपति संतान प्राप्ति में कठिनाई का सामना कर रहे हैं, उन्हें यह कवच लाभकारी होता है।
प्रश्न 8: क्या विष्णू कवचम् का पाठ साधारण पूजा की तरह करना चाहिए?
उत्तर: नहीं, विष्णू कवचम् का पाठ विशेष विधि और नियमों का पालन करते हुए करना चाहिए।
प्रश्न 9: विष्णू कवचम् का पाठ कितनी बार करना चाहिए?
उत्तर: विष्णू कवचम् का पाठ प्रतिदिन एक बार करना चाहिए, विशेष रूप से 41 दिनों तक निरंतर।
प्रश्न 10: क्या विष्णू कवचम् का पाठ करने से भय से मुक्ति मिलती है?
उत्तर: हां, विष्णू कवचम् का पाठ सभी प्रकार के भय से मुक्ति दिलाता है।