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Vishnu sahastranaam path chanting rules

विष्णू सहस्त्रनाम पाठ के नियम क्या है?

विष्णु सहस्रनाम का पाठ ४१ दिन नियमित रूप से कोई भी करता है, उसके घर मे सुख समृद्धि बनी रहती है। भगवान विष्णु के एक हजार नामों की श्रृंखला को विष्णू सहस्त्रनाम कहा जाता है। इसका पाठ करने से भगवान विष्णु के विभिन्न रूपों, गुणों और उनकी महिमा का स्मरण होता है। इन नामों का अर्थ जानना अत्यंत लाभकारी है, क्योंकि इससे भगवान विष्णु की व्यापकता और महानता का एहसास होता है।

इस स्त्रोत के प्रत्येक नाम का अपना महत्व और अर्थ होता है। यहां पर कुछ मुख्य नामों का अर्थ दिया जा रहा है। हालांकि, सम्पूर्ण विष्णु सहस्रनाम को अर्थ सहित समझने के लिए एक विस्तृत पाठ और विश्लेषण की आवश्यकता होती है।

महत्वपूर्ण नामों के अर्थ सहित

  1. विश्वम् – जो सम्पूर्ण ब्रह्मांड है।
  2. विष्णुः – जो सब कुछ व्याप्त करता है।
  3. वषट्कारः – जो यज्ञ में प्रयोग किया जाने वाला वषट् ध्वनि है।
  4. भूतभव्यभवत्प्रभुः – जो भूतकाल, भविष्य और वर्तमान का स्वामी है।
  5. भूतकृत् – जो सब कुछ उत्पन्न करता है।
  6. भूतभृत् – जो सभी जीवों का पालन-पोषण करता है।
  7. भवः – जो जन्म और सृष्टि का कारण है।
  8. भूतात्मा – जो सभी प्राणियों की आत्मा है।
  9. भूतभावनः – जो सबका पालन करता है।
  10. पूतात्मा – जो परम पवित्र है।
  11. परमात्मा – जो परम आत्मा है।
  12. मुक्तानां परमा गतिः – जो मुक्त व्यक्तियों की परम गति है।
  13. अव्ययः – जो नष्ट नहीं होता।
  14. पुरुषः – जो ब्रह्मांड में व्याप्त है।
  15. साक्षी – जो साक्षी रूप में सब कुछ देखता है।
  16. क्षेत्रज्ञः – जो सभी क्षेत्रों (जीवों) का ज्ञाता है।
  17. अक्षरः – जो अविनाशी है।
  18. योगः – जो योग (साधना का मार्ग) है।
  19. योगविताम् नेता – जो योगियों का नेता है।
  20. प्रधानपुरुषेश्वरः – जो प्रधान और पुरुष का ईश्वर है।

संपूर्ण सूची

विष्णु सहस्रनाम की संपूर्ण सूची में 1000 नाम शामिल हैं। प्रत्येक नाम भगवान विष्णु के किसी विशेष गुण, स्वरूप, या कार्य का प्रतिनिधित्व करता है। संपूर्ण विष्णु सहस्रनाम का पाठ अत्यधिक फलदायक और पुण्यकारी माना जाता है।

महत्त्व

विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से निम्नलिखित लाभ होते हैं:

  1. मनोवांछित फल की प्राप्ति – जीवन की सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है।
  2. दु:खों का नाश – पाठ करने से सभी प्रकार के दुखों का नाश होता है।
  3. स्वास्थ्य लाभ – रोग और बीमारियों से मुक्ति मिलती है।
  4. धन और समृद्धि – भगवान विष्णु की कृपा से धन और समृद्धि प्राप्त होती है।
  5. आध्यात्मिक उन्नति – साधक की आध्यात्मिक उन्नति होती है और वह मोक्ष की ओर अग्रसर होता है।
  6. शत्रुओं से रक्षा – शत्रुओं से रक्षा और उनके दुष्प्रभाव से मुक्ति मिलती है।
  7. परिवार में सुख-शांति – परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।
  8. संतान सुख – निःसंतान दंपति को संतान प्राप्ति होती है।
  9. ज्ञान की प्राप्ति – ज्ञान, विवेक, और बौद्धिक क्षमता में वृद्धि होती है।
  10. भय का नाश – सभी प्रकार के भय और चिंता का नाश होता है।
  11. शुभ और मंगलकारी – जीवन में शुभ और मंगलकारी घटनाएं होती हैं।
  12. शांति और मानसिक संतुलन – मन को शांति और मानसिक संतुलन प्राप्त होता है।
  13. सभी पापों का नाश – पिछले जन्मों और इस जन्म के पापों का नाश होता है।
  14. भक्ति और श्रद्धा में वृद्धि – भगवान विष्णु के प्रति भक्ति और श्रद्धा में वृद्धि होती है।
  15. सभी कामनाओं की पूर्ति – जीवन की सभी कामनाओं की पूर्ति होती है।
  16. आर्थिक संकट से मुक्ति – आर्थिक संकट और दरिद्रता का नाश होता है।
  17. सभी कष्टों का नाश – जीवन के सभी कष्टों का नाश होता है।
  18. दिव्य दृष्टि – साधक को दिव्य दृष्टि और आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त होते हैं।
  19. संसार के मोह-माया से मुक्ति – संसार के मोह-माया से मुक्ति और भगवान विष्णु के चरणों में स्थिरता प्राप्त होती है।
  20. समस्त ब्रह्मांड की शक्ति प्राप्त होती है – भगवान विष्णु के आशीर्वाद से साधक को समस्त ब्रह्मांड की शक्ति प्राप्त होती है।

विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने की विधि

दिन: विष्णु सहस्रनाम का पाठ किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन इसे गुरुवार को करना विशेष फलदायी माना जाता है।

अवधि: इसे प्रतिदिन या सप्ताह में एक बार, विशेष रूप से गुरुवार को करना श्रेष्ठ है।

मुहूर्त: प्रातःकाल (ब्रह्म मुहूर्त) में इसका पाठ करना सर्वोत्तम होता है। इसके अलावा, इसे सायंकाल के समय भी किया जा सकता है।

पाठ के समय के नियम

  1. स्वच्छता: पाठ से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. आसन: एक स्थिर और शांत आसन पर बैठें।
  3. मंत्र जप: पाठ करते समय भगवान विष्णु का ध्यान करें और मंत्र जप करें।
  4. नियमितता: इस पाठ को नियमित रूप से करें।
  5. शुद्ध स्थान: विष्णु सहस्रनाम का पाठ एक शुद्ध और शांत स्थान पर करें।

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पाठ के समय की सावधानियाँ

  1. श्रद्धा और विश्वास: पाठ करते समय श्रद्धा और विश्वास बनाए रखें।
  2. दूषित विचार: दूषित विचारों और क्रोध से बचें।
  3. शुद्धता: पाठ के समय शरीर और मन की शुद्धता बनाए रखें।
  4. समर्पण: भगवान विष्णु के चरणों में पूर्ण समर्पण करें।
  5. ध्यान केंद्रित: पाठ करते समय ध्यान को भटकने न दें।

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विष्णु सहस्रनाम से जुड़े पृश्न उत्तर

विष्णु सहस्रनाम का पाठ कब करना चाहिए?

  • प्रातःकाल (ब्रह्म मुहूर्त) में करना उत्तम है।

क्या विष्णु सहस्रनाम का पाठ किसी भी दिन किया जा सकता है?

  • हाँ, लेकिन गुरुवार को करना विशेष फलदायी है।

विष्णु सहस्रनाम का पाठ कैसे करें?

  • स्वच्छ वस्त्र धारण कर, शांत स्थान पर बैठकर भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए पाठ करें।

क्या विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से धन की प्राप्ति होती है?

  • हाँ, भगवान विष्णु की कृपा से धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

क्या विष्णु सहस्रनाम का पाठ समूह में किया जा सकता है?

  • हाँ, इसे समूह में भी किया जा सकता है।

विष्णु सहस्रनाम का पाठ कहाँ करना चाहिए?

  • एक शांत और पवित्र स्थान पर।

क्या विष्णु सहस्रनाम का पाठ बच्चों के लिए लाभकारी है?

  • हाँ, बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए।

विष्णु सहस्रनाम का पाठ कितनी बार करना चाहिए?

  • इसे प्रतिदिन एक बार करना उत्तम है।

क्या विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से शत्रुओं से रक्षा होती है?

  • हाँ, शत्रुओं से सुरक्षा मिलती है।

विष्णु सहस्रनाम का पाठ किस प्रकार के लोगों के लिए लाभकारी है?

  • सभी प्रकार के लोग, विशेषकर जो आर्थिक संकट या स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं।

विष्णु सहस्रनाम का पाठ किसी विशेष भाषा में करना चाहिए?

  • इसे संस्कृत या हिंदी भाषा में करना उत्तम है।

क्या विष्णु सहस्रनाम का पाठ किसी विशेष पूजा विधि में शामिल किया जा सकता है?

  • हाँ, इसे अन्य पूजा विधियों के साथ किया जा सकता है।
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