What is Punashcharan?

What is Punashcharan?

पुनश्चरण का अर्थ है किसी विशेष अनुष्ठान, साधना, या मंत्र जप को एक निश्चित अवधि के बाद फिर से करना या दोहराना। इसे साधक तब करते हैं जब वे किसी मंत्र, अनुष्ठान, या साधना का अधिक प्रभाव प्राप्त करना चाहते हैं या उसकी पूर्णता के लिए इसे बार-बार करना आवश्यक होता है।

उदाहरण सहित पुनश्चरण

1. मंत्र जप का पुनश्चरण:

अगर कोई साधक “गायत्री मंत्र” का एक लाख बार जप करने का संकल्प लेता है और इसे पूरा कर लेता है, तो साधक को शास्त्रों के अनुसार “पुरश्चरण” पूरा करने के लिए पुनश्चरण करना पड़ सकता है। पुरश्चरण की प्रक्रिया में, एक विशिष्ट संख्या में मंत्र का जप, हवन, तर्पण, और ब्राह्मण भोज शामिल होते हैं।

उदाहरण:

  • पहला चरण: साधक ने गायत्री मंत्र का एक लाख बार जप किया।
  • पुनश्चरण: साधक उसी मंत्र का फिर से जप शुरू करता है, हो सकता है कि इस बार संख्यात्मक जप को दो लाख तक बढ़ा दिया जाए। इसे साधक तब तक करते हैं जब तक उन्हें लगता है कि उन्हें मंत्र की सिद्धि प्राप्त हो गई है।

2. साधना का पुनश्चरण:

अगर कोई साधक “श्री रामचरितमानस” का 108 बार पारायण (संपूर्ण पाठ) करता है, तो इसे पूरा करने के बाद साधक इसे पुनः 108 बार करने का संकल्प ले सकता है। ऐसा करने से साधक को रामचरितमानस के अधिक गहन और सूक्ष्म अर्थों का अनुभव हो सकता है और उनकी भक्ति को अधिक गहराई मिल सकती है।

उदाहरण:

  • पहला चरण: साधक ने श्री रामचरितमानस का 108 बार पारायण किया।
  • पुनश्चरण: साधक पुनः उसी प्रक्रिया को करता है, जैसे श्री रामचरितमानस का 108 बार पारायण, जिससे साधना की गहराई और अनुभवों में वृद्धि होती है।

3. व्रत का पुनश्चरण:

कोई व्यक्ति “एकादशी व्रत” का पालन करता है और उसे एक साल तक निरंतर करता है। एक साल के अंत में, वह व्रत को पुनः एक और साल के लिए करने का संकल्प ले सकता है, इसे भी पुनश्चरण कहा जाएगा।

उदाहरण:

  • पहला चरण: साधक ने पूरे एक वर्ष तक हर एकादशी का व्रत किया।
  • पुनश्चरण: साधक अगले वर्ष फिर से वही व्रत करना शुरू करता है, ताकि उसे व्रत से जुड़े अधिक आध्यात्मिक लाभ प्राप्त हों।

पुनश्चरण साधकों के लिए अपनी साधना, भक्ति, और मनोबल को दृढ़ करने का एक साधन है, जो उन्हें आध्यात्मिक मार्ग पर आगे बढ़ने और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता करता है।

4. साधना का पुनश्चरणः

कोई ब्यक्ति २१ दिन की मंत्र साधना करता है। २१ दिन के के बाद वह साधना का फिर से संकल्प लेता है तो यह पुनश्चरण माना जायेगा।

उदाहरणः

  • पहला चरणः साधक ने २१ दिन तक लगातार साधना की।
  • पुनश्चरणः साधक २१ दिन के बाद फिर से साधना शुरु करता है, जिससे कि उसे साधना का और गहन अनुभव व अध्यात्मिक लाभ मिल सके।

5. मंत्र का पुनश्चरणः

कुछ लोग जिस दिन से साधना शुरु करने का निर्णय करते है, उसके पहले ही मंत्र जप शुरु कर देते है।

उदाहरणः

  • पहला चरणः साधक शनिवार से “शनि साधना ” करना चाहता है।
  • पुनश्चरणः लेकिन साधक ५ दिन पहले से ही “शनि मंत्र” का जप शुरु कर देता है, जिससे कि वह जब साधना शनिवार से शुरु करे तो उसे जल्दी अनुभव आना शुरु हो जाये।

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