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Jogangandha Yogini Sabar Mantra- Wealth & Prosperity

जोगनगंधा योगिनी साबर मंत्र एक प्राचीन साबर साधना का विधि है। यह मंत्र विशेष रूप से उन साधकों के लिए है जो अपनी विभिन्न इच्छाओं और जीवन की समस्याओं का समाधान चाहते हैं, जैसे नौकरी, व्यवसाय, ऋण, आर्थिक तंगी आदि। साबर मंत्र सरल व जल्दी सिद्ध होने होते हैं जिन्हें किसी विशेष देवी, देवता या योगिनी को समर्पित करके मंत्र सिद्धि प्राप्त की जाती है। जोगनगंधा योगिनी साबर मंत्र उन्हीं मंत्रों में से एक है।


जोगनगंधा योगिनी साबर मंत्र का अर्थ

मंत्र:
“॥जोगनगंधा योगिनी,
रिद्धी सिद्धी से भरपूर,
मै आयो तोय जाचणे,
करजो कारज जरूर॥”

मंत्र का अर्थ:

  • जोगनगंधा योगिनी: यह योगिनी का नाम है जो साधक की इच्छाओं को पूरा करने में मदद करती है।
  • रिद्धी सिद्धी से भरपूर: जिसका अर्थ है कि योगिनी हर प्रकार की समृद्धि और सिद्धियों से परिपूर्ण है।
  • मै आयो तोय जाचणे: इसका अर्थ है “मैं आपके पास अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए आया हूँ।”
  • करजो कारज जरूर: इसका अर्थ है “मेरे कार्य को निश्चित रूप से पूरा करें।”

इस मंत्र का पूरा भावार्थ है कि साधक जोगनगंधा योगिनी से प्रार्थना कर रहा है कि वह उसे सभी प्रकार की रिद्धियों और सिद्धियों से परिपूर्ण कर दें और उसकी इच्छाओं को पूरा करें।


जोगनगंधा योगिनी साबर मंत्र के लाभ

जोगनगंधा योगिनी साबर मंत्र का प्रयोग करने से साधक को कई प्रकार के लाभ हो सकते हैं। यहाँ मुख्य लाभों का विवरण दिया गया है:

  1. इच्छा पूर्ति: यह मंत्र साधक की सभी इच्छाओं को पूरा करने में सहायक होता है। चाहे वह किसी भी प्रकार की हो, जैसे व्यक्तिगत इच्छाएँ, वित्तीय लाभ, नौकरी, या व्यवसाय से जुड़ी।
  2. नौकरी: जो लोग रोजगार की तलाश में हैं या अपनी वर्तमान नौकरी में तरक्की चाहते हैं, उन्हें यह मंत्र बहुत लाभकारी होता है।
  3. व्यापार में वृद्धि: यह मंत्र व्यापार में वृद्धि और सफलता के लिए बहुत प्रभावी माना जाता है। यह व्यवसाय से जुड़ी बाधाओं को दूर करने में मदद करता है।
  4. कर्ज से मुक्ति: अगर किसी व्यक्ति पर भारी कर्ज है, तो यह मंत्र उसे कर्ज से मुक्ति दिलाने में सहायक होता है।
  5. आर्थिक तंगी का समाधान: यह मंत्र आर्थिक समस्याओं को दूर करने में मदद करता है और साधक को वित्तीय स्थिरता प्रदान करता है।
  6. रोगों से मुक्ति: इस मंत्र का नियमित जप करने से साधक को शारीरिक और मानसिक रोगों से मुक्ति मिलती है।
  7. शत्रु बाधा निवारण: यदि साधक के जीवन में कोई शत्रु बाधा है, तो यह मंत्र उन बाधाओं को दूर करने में सक्षम होता है।
  8. परिवारिक सुख: यह मंत्र परिवार में शांति और समृद्धि लाने में सहायक होता है।
  9. विवाह संबंधी समस्याओं का समाधान: यह मंत्र उन लोगों के लिए बहुत उपयोगी है जो विवाह संबंधी समस्याओं से जूझ रहे हैं।
  10. विद्या प्राप्ति: विद्यार्थियों के लिए यह मंत्र विद्या प्राप्ति और अच्छे परिणामों के लिए लाभकारी है।
  11. धन प्राप्ति: यह मंत्र साधक को धन की प्राप्ति में मदद करता है और आर्थिक समृद्धि प्रदान करता है।
  12. भाग्य वृद्धि: यह मंत्र साधक के भाग्य को उन्नति प्रदान करता है।
  13. दुर्घटनाओं से बचाव: इस मंत्र के नियमित अभ्यास से साधक दुर्घटनाओं और अनहोनी घटनाओं से सुरक्षित रहता है।

साधना विधि

जोगनगंधा योगिनी साबर मंत्र की साधना करने से पहले कुछ आवश्यक नियमों का पालन करना जरूरी है। इस साधना की विधि और साधना करते समय ध्यान देने योग्य बातें निम्नलिखित हैं:

1. साधना का दिन और समय:

  • साधना का शुभ दिन: शुक्रवार और मंगलवार को इस मंत्र की साधना करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
  • साधना का समय: सुबह ब्रह्म मुहूर्त (4 बजे से 6 बजे के बीच) या रात को 12 बजे के बाद का समय सबसे उत्तम होता है।

2. साधना की अवधि:

  • साधना को 11 से 21 दिनों तक नियमित रूप से करना चाहिए। साधना की अवधि में साधक को संकल्पित होकर मंत्र जप करना होता है।

3. मंत्र जप की सामग्री:

  • कुश का आसन: साधक को कुश के आसन पर बैठकर मंत्र जप करना चाहिए।
  • माला: रुद्राक्ष की माला का उपयोग करें, जो विशेष रूप से भगवान शिव से संबंधित होती है।
  • दीपक और अगरबत्ती: घी का दीपक और सुगंधित अगरबत्ती अवश्य जलाएं।
  • पीले या सफेद वस्त्र: साधना के दौरान साधक को पीले या सफेद वस्त्र धारण करने चाहिए।

4. मंत्र जप संख्या:

  • प्रतिदिन 11 माला जप करना चाहिए। एक माला में 108 मंत्र होते हैं, इसलिए 11 माला का अर्थ है 1188 मंत्र प्रतिदिन।

5. साधना विधिः

  • जोगनगंधा योगिनी साबर मंत्र का जप सही विधि और नियमों के अनुसार किया जाना चाहिए ताकि उसका पूर्ण लाभ प्राप्त हो सके।
  • साधना के अंतिम दिन 50 ग्राम आटा लेकर उसमे घी व शक्कर मिलाकर भून ले।
  • इस भुने हुये आटा को अपने सामने रखकर अंतिम दिन के मंत्र का जप करे।
  • साधना समाप्ति के बाद इस भुने हुये आटे को किसी पेड़ के नीचे बिखेर दे, जहां पर चीटियां हो।
  • अब किसी को फल या भोजन दान दे।

5. मंत्र जप के नियम:

  • उम्र: साधक की उम्र 20 वर्ष से ऊपर होनी चाहिए।
  • लिंग: स्त्री-पुरुष कोई भी इस साधना को कर सकता है।
  • वस्त्र: नीले या काले कपड़े पहनने से बचें। सफेद या पीले वस्त्र पहनना शुभ होता है।
  • आहार: साधना के दौरान धूम्रपान, पान, मांसाहार, और मदिरा का सेवन न करें। शाकाहारी और सात्विक आहार ग्रहण करें।
  • ब्रह्मचर्य: साधना की अवधि में ब्रह्मचर्य का पालन करें।

6. मंत्र जप की सावधानियाँ:

  • शुद्धता: मंत्र जप के समय मानसिक और शारीरिक शुद्धता का पालन करें। स्नान करके और स्वच्छ वस्त्र पहनकर ही साधना करें।
  • एकाग्रता: मंत्र जप के समय मन को एकाग्र रखें और केवल मंत्र के उच्चारण पर ध्यान केंद्रित करें।
  • आसन स्थिरता: साधना के दौरान आसन की स्थिरता का ध्यान रखें। कुश के आसन का प्रयोग करें।
  • अन्य कार्यों से दूर रहें: साधना के समय किसी भी प्रकार का ध्यान भंग न हो, इसलिए सभी प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और अन्य विकर्षणों से दूर रहें।

7. मंत्र जप के बाद:

  • प्रसाद वितरण: मंत्र जप के बाद भगवान को भोग लगाएं और प्रसाद के रूप में फल या मिठाई का वितरण करें।
  • ध्यान और प्रार्थना: जप समाप्त होने के बाद ध्यान करें और जोगनगंधा योगिनी से अपनी इच्छाओं की पूर्ति की प्रार्थना करें।

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मंत्र जप से संबंधित प्रश्न और उत्तर

  1. क्या मंत्र जप के लिए कोई विशेष दिशा का पालन करना चाहिए? हां, साधक को पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठना चाहिए। यह दिशाएँ शुभ मानी जाती हैं और साधना में एकाग्रता को बढ़ाती हैं।
  2. क्या मंत्र जप के दौरान किसी विशिष्ट मुद्रा का पालन करना चाहिए? हां, साधक को पद्मासन या सुखासन में बैठकर मंत्र जप करना चाहिए। यह मुद्राएँ ध्यान और एकाग्रता में सहायक होती हैं।
  3. क्या मंत्र जप के दौरान किसी भी प्रकार की बाधाओं से बचने के उपाय हैं? हां, मंत्र जप के समय शुद्धता, एकाग्रता और ब्रह्मचर्य का पालन करें। साधना के दौरान अन्य विकर्षणों से दूर रहना भी महत्वपूर्ण है।
  4. क्या साधना के दौरान किसी प्रकार की पूजा सामग्री आवश्यक होती है? हां, साधना के लिए दीपक, अगरबत्ती, पीले या सफेद वस्त्र, रुद्राक्ष की माला आदि का उपयोग करना चाहिए।
  5. क्या मंत्र जप के बाद कोई विशेष अनुष्ठान करना आवश्यक है? हां, मंत्र जप के बाद ध्यान और प्रार्थना करना चाहिए, और भगवान को भोग लगाकर प्रसाद का वितरण करना चाहिए।
  6. क्या यह मंत्र सभी प्रकार के आर्थिक समस्याओं का समाधान कर सकता है? हां, यह मंत्र विशेष रूप से आर्थिक समस्याओं और तंगी को दूर करने के लिए जाना जाता है। इसके नियमित जप से आर्थिक समृद्धि प्राप्त होती है।
  7. क्या साधना के दौरान किसी प्रकार के विशेष वस्त्र पहनने चाहिए? हां, साधना के दौरान सफेद या पीले वस्त्र पहनने चाहिए।
  8. क्या मंत्र जप का कोई विशेष समय है जो अधिक प्रभावी माना जाता है? हां, ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 बजे से 6 बजे के बीच) और मध्यरात्रि (रात 12 बजे के बाद) का समय सबसे उत्तम माना जाता है।

अंत में

जोगनगंधा योगिनी साबर मंत्र एक शक्तिशाली तांत्रिक मंत्र है जो साधक को विभिन्न जीवन समस्याओं का समाधान और इच्छाओं की पूर्ति में मदद करता है। इस मंत्र का नियमित जप साधक को आध्यात्मिक उन्नति, मानसिक शांति, और भौतिक समृद्धि प्रदान करता है।

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