अष्टलक्ष्मी मंत्र का शक्तिशाली लाभ – धन, सुख और शांति की प्राप्ति
अष्टलक्ष्मी मंत्र, देवी महालक्ष्मी के आठ स्वरूप का मंत्र माना जाता हैं। इस मंत्र के द्वारा जीवन में विविध प्रकार की समृद्धि प्राप्त होती हैं। यह मंत्र सभी प्रकार की सिद्धियों और लक्ष्यों की प्राप्ति में सहायक होता है। इसे श्रद्धा और नियम से जपने से धन, समृद्धि, सौभाग्य, शांति और आध्यात्मिक उन्नति की प्राप्ति होती है। अष्टलक्ष्मी की पूजा और मंत्र जप से परिवार में सुख-समृद्धि बढ़ती है और जीवन के सभी कार्य सफल होते हैं। इस मंत्र का नियमित जप करने से व्यक्ति के जीवन में खुशहाली आती है और सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं।
मंत्र व उसका अर्थ
मंत्र:
॥ ॐ ऐं श्रीं अष्टलक्ष्मेय सर्व कार्य सिद्धिं देही देही स्वाहा ॥
इस मंत्र का अर्थ है: “हे अष्टलक्ष्मी देवी! मुझे सभी कार्यों में सिद्धि प्रदान करें। मुझे धन, समृद्धि और शांति का आशीर्वाद दें।” यह मंत्र जीवन के सभी क्षेत्रों में सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करता है और हर दिशा से सफलता दिलाता है।
अष्टलक्ष्मी मंत्र जप के लाभ
- धन-संपत्ति की वृद्धि होती है।
- आर्थिक समस्याओं का समाधान मिलता है।
- व्यापार में वृद्धि होती है।
- नौकरी में सफलता मिलती है।
- परिवार में शांति बनी रहती है।
- मानसिक शांति प्राप्त होती है।
- स्वास्थ्य में सुधार होता है।
- सुख-संपत्ति का आशीर्वाद मिलता है।
- आध्यात्मिक उन्नति होती है।
- सभी प्रकार की बाधाओं का नाश होता है।
- विद्यार्थियों के लिए शिक्षा में सफलता मिलती है।
- वैवाहिक जीवन सुखमय होता है।
- यात्रा में सुरक्षा और सफलता मिलती है।
- शत्रुओं पर विजय मिलती है।
- मन की इच्छाओं की पूर्ति होती है।
- शुभ संयोग और अवसर मिलते हैं।
- जीवन के सभी क्षेत्रों में उन्नति होती है।
अष्टलक्ष्मी मंत्र जप विधि
मंत्र जप करने के लिए शुभ मुहूर्त में सुबह के समय बैठें। गुरुवार या शुक्रवार को इस मंत्र का आरंभ करना सबसे शुभ माना जाता है। मंत्र जप की अवधि कम से कम ११ दिन और अधिक से अधिक २१ दिन होनी चाहिए। इस दौरान प्रतिदिन एक ही समय पर मंत्र जप करना चाहिए। मंत्र का जप शांत स्थान पर बैठकर किया जाना चाहिए, जहाँ कोई व्यवधान न हो।
सामग्री
मंत्र जप के लिए शुद्ध जल, सफेद वस्त्र, चंदन, धूप, दीपक, फूल और अष्टलक्ष्मी की तस्वीर या प्रतिमा का उपयोग करें। जप के लिए तुलसी या रुद्राक्ष की माला का उपयोग किया जा सकता है।
मंत्र जप संख्या
प्रतिदिन ११ माला जप करें, जिसमें कुल ११८८ मंत्र होंगे। नियमित रूप से ११ से २१ दिनों तक यह संख्या बनाए रखें। मंत्र की संख्या कम नहीं करनी चाहिए।
अष्टलक्ष्मी मंत्र जप के नियम
- मंत्र जप के दौरान व्रत का पालन करें।
- २० वर्ष से अधिक उम्र का कोई भी व्यक्ति, स्त्री या पुरुष, यह मंत्र जप सकता है।
- नीले या काले वस्त्र न पहनें।
- धूम्रपान, मद्यपान और मांसाहार से दूर रहें।
- ब्रह्मचर्य का पालन करें और मानसिक शुद्धि बनाए रखें।
Know mote about lakshmi kavacham
मंत्र जप की सावधानियां
- मंत्र जप के समय मन में संदेह न रखें।
- एक ही समय और स्थान पर जप करें।
- आसन की शुद्धता का ध्यान रखें।
- पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ मंत्र जप करें।
- जप के बाद अष्टलक्ष्मी देवी को धन्यवाद अवश्य दें।
अष्टलक्ष्मी पृश्न उत्तर
प्रश्न 1: अष्टलक्ष्मी मंत्र का सर्वोत्तम समय कौन सा है?
उत्तर: सुबह का समय सर्वोत्तम है, विशेष रूप से गुरुवार या शुक्रवार।
प्रश्न 2: मंत्र जप की अवधि कितनी होनी चाहिए?
उत्तर: कम से कम ११ दिन और अधिक से अधिक २१ दिन।
प्रश्न 3: क्या महिलाएं भी यह मंत्र जप कर सकती हैं?
उत्तर: हाँ, महिलाएं भी यह मंत्र जप कर सकती हैं।
प्रश्न 4: मंत्र जप के दौरान क्या व्रत रखना आवश्यक है?
उत्तर: हाँ, व्रत रखना लाभकारी होता है।
प्रश्न 5: क्या मंत्र जप के दौरान मांसाहार से बचना चाहिए?
उत्तर: हाँ, मांसाहार से दूर रहना चाहिए।
प्रश्न 6: मंत्र जप के लिए कौन से वस्त्र पहनने चाहिए?
उत्तर: सफेद या हल्के रंग के वस्त्र पहनें।
प्रश्न 7: मंत्र जप में कितनी माला जप करनी चाहिए?
उत्तर: प्रतिदिन ११ माला जप करें।
प्रश्न 8: क्या इस मंत्र को जपने से आर्थिक समृद्धि मिलती है?
उत्तर: हाँ, मंत्र जप से आर्थिक समृद्धि मिलती है।
प्रश्न 9: क्या अष्टलक्ष्मी मंत्र से वैवाहिक जीवन में सुधार होता है?
उत्तर: हाँ, यह मंत्र वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाता है।
प्रश्न 10: क्या मंत्र जप के बाद पूजा आवश्यक है?
उत्तर: हाँ, पूजा के बाद देवी को धन्यवाद देना आवश्यक है।
प्रश्न 11: क्या विद्यार्थियों के लिए यह मंत्र लाभकारी है?
उत्तर: हाँ, यह विद्यार्थियों की सफलता के लिए अत्यंत लाभकारी है।
प्रश्न 12: क्या मंत्र जप के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना आवश्यक है?
उत्तर: हाँ, ब्रह्मचर्य का पालन आवश्यक है।की प्राप्ति होती है। अष्टलक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है और यह धन, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति में सहायक होती है।