Thursday, November 21, 2024

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उच्छिष्ठ यक्षिणी मंत्र – सभी कार्यों की सफलता और सुरक्षा के लिए शक्तिशाली साधना

उच्छिष्ठ यक्षिणी मंत्र, शास्त्र में एक अत्यंत प्रभावशाली और शक्तिशाली मंत्र माना जाता है। इन यक्षिणी को विशेष रूप से कार्य सिद्धि, आकर्षण, और सुरक्षा के लिए पूजनीय माना जाता है। उच्छिष्ठ यक्षिणी मंत्र साधक के सभी कार्यों को सिद्ध करने और जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करने में मदद करता है। यह मंत्र उन लोगों के लिए अत्यंत लाभकारी है जो जीवन में सफलता और सुरक्षा की तलाश में हैं।

उच्छिष्ठ यक्षिणी मंत्र और उसका अर्थ

मंत्र:
॥ॐ ह्रीं उच्छिष्ठ यक्षिणे मम् सर्व कार्याणि सफलानि मां रक्षतु हुं फट्ट॥

अर्थ:
इस मंत्र में “” ब्रह्मांड की शक्ति का आह्वान करता है। “ह्रीं” बीज मंत्र देवी की शक्ति का प्रतीक है। “उच्छिष्ठ यक्षिणे” उच्छिष्ठ यक्षिणी देवी का आह्वान है। “मम् सर्व कार्याणि सफलानि” का अर्थ है मेरे सभी कार्यों को सफल बनाओ। “मां रक्षतु” का अर्थ है मेरी रक्षा करो। “हुं फट्ट” शक्ति और सिद्धि का आह्वान करते हैं। यह मंत्र देवी से सभी कार्यों की सफलता और सुरक्षा की प्रार्थना है।

उच्छिष्ठ यक्षिणी मंत्र विनियोग

विनियोग:

ॐ अस्य श्री उच्छिष्ठ यक्षिणी महा मन्त्रस्य, रुद्र ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः, उच्छिष्ठ यक्षिणी देवता, ह्रीं बीजं, श्रीं शक्तिः, ॐ कीलकं, मम सर्वकार्य सिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः॥

अर्थ:

विनियोग मंत्र का उपयोग मुख्य मंत्र के प्रभाव को बढ़ाने और साधक के उद्देश्य को स्पष्ट करने के लिए किया जाता है। इस विनियोग मंत्र का संपूर्ण अर्थ निम्नलिखित है:

  • : यह बीज मंत्र ब्रह्मांडीय ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है और साधना की शुरुआत में इसे उच्चारण करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  • अस्य श्री उच्छिष्ठ यक्षिणी महा मन्त्रस्य: यह इस महान मंत्र का आरंभिक परिचय है, जिसमें बताया गया है कि यह उच्छिष्ठ यक्षिणी का मंत्र है।
  • रुद्र ऋषिः: रुद्र इस मंत्र के ऋषि या मूल प्रणेता हैं, जो इस मंत्र के शक्तिशाली और उग्र स्वभाव का प्रतिनिधित्व करते हैं।
  • अनुष्टुप् छन्दः: यह मंत्र अनुष्टुप छंद में है, जो एक विशिष्ट वैदिक छंद है, जिसमें हर पद में आठ अक्षर होते हैं।
  • उच्छिष्ठ यक्षिणी देवता: इस मंत्र की देवी उच्छिष्ठ यक्षिणी हैं, जो तंत्र शास्त्र में कार्य सिद्धि और सुरक्षा की देवी मानी जाती हैं।
  • ह्रीं बीजं: ‘ह्रीं’ देवी का बीज मंत्र है, जो उनकी शक्ति और कृपा का आह्वान करता है।
  • श्रीं शक्तिः: ‘श्रीं’ बीज मंत्र है, जो देवी लक्ष्मी और उनकी समृद्धि की शक्ति का प्रतीक है।
  • ॐ कीलकं: ‘ॐ’ कीलक (ताला) है, जो इस मंत्र को सशक्त बनाता है और इसे विशेष शक्तियों से जोड़ता है।
  • मम सर्वकार्य सिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः: यह मंत्र मेरे सभी कार्यों की सिद्धि के लिए जप किया जाता है। यह साधक के उद्देश्य को स्पष्ट करता है और देवी से सभी कार्यों की सफलता की प्रार्थना करता है।

इस प्रकार, विनियोग मंत्र का उच्चारण मुख्य मंत्र के जप से पहले किया जाता है ताकि मंत्र की पूरी शक्ति और फल प्राप्त हो सके। यह साधक के मन, उद्देश्य और मंत्र के साथ जुड़ने की प्रक्रिया है।

उच्छिष्ठ यक्षिणी मंत्र के लाभ

  1. सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
  2. जीवन की बाधाओं का नाश होता है।
  3. शत्रुओं से सुरक्षा मिलती है।
  4. धन और संपत्ति की प्राप्ति होती है।
  5. मानसिक शांति और स्थिरता आती है।
  6. प्रेम और संबंधों में सुधार होता है।
  7. व्यापार और व्यवसाय में वृद्धि होती है।
  8. आध्यात्मिक उन्नति के लिए सहायक होता है।
  9. आत्मविश्वास और साहस में वृद्धि होती है।
  10. शारीरिक और मानसिक रोगों से मुक्ति मिलती है।
  11. परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
  12. विद्या और बुद्धि की वृद्धि होती है।
  13. जीवन में स्थायित्व और संतोष की प्राप्ति होती है।

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उच्छिष्ठ यक्षिणी मंत्र विधि

उच्छिष्ठ यक्षिणी मंत्र जप के लिए शुभ मुहूर्त और उचित दिन का चयन करना आवश्यक है। साधक को विशेष रूप से सोमवार, बुधवार, या शुक्रवार को मंत्र जप करना चाहिए। यह मंत्र 11 से 21 दिन तक नियमित रूप से जपा जाना चाहिए।

मंत्र जप

मंत्र का जप सुबह के समय या रात्रि के समय शांति में करना श्रेष्ठ होता है।

मंत्र जप संख्या

रोजाना 11 माला (1188 मंत्र) का जप करना चाहिए।

सामग्री

  • लाल या पीले वस्त्र
  • गाय का घी का दीपक
  • लाल चंदन
  • गुड़हल के फूल
  • धूप और कपूर

मंत्र जप के नियम

  1. साधक की उम्र 20 वर्ष से ऊपर होनी चाहिए।
  2. स्त्री-पुरुष दोनों ही मंत्र जप कर सकते हैं।
  3. नीले और काले कपड़े न पहनें।
  4. धूम्रपान, मद्यपान, और मांसाहार से बचें।
  5. ब्रह्मचर्य का पालन करें।

मंत्र जप में सावधानियाँ

  1. जप के समय मन को एकाग्र रखें।
  2. मंत्र का सही उच्चारण करें।
  3. शुद्ध स्थान पर बैठकर जप करें।
  4. नियमित रूप से एक ही समय पर जप करें।
  5. भावुकता से बचें और शांत मन से जप करें।

Nati takshini sadhana samagri with diksha

उच्छिष्ठ यक्षिणी मंत्र से संबंधित प्रश्न-उत्तर

प्रश्न 1: क्या उच्छिष्ठ यक्षिणी मंत्र सभी के लिए उपयुक्त है?

उत्तर: हां, यह मंत्र सभी के लिए उपयुक्त है। उम्र 20 वर्ष से ऊपर होनी चाहिए।

प्रश्न 2: मंत्र जप के लिए कौन सी दिशा उपयुक्त है?

उत्तर: पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके जप करना शुभ माना जाता है।

प्रश्न 3: क्या महिलाएं मंत्र जप कर सकती हैं?

उत्तर: हां, महिलाएं भी यह मंत्र जप कर सकती हैं, विशेष सावधानियों के साथ।

प्रश्न 4: मंत्र जप के समय कौन से नियमों का पालन करना चाहिए?

उत्तर: जप के समय शुद्धता, ब्रह्मचर्य, और संतुलित आहार का पालन करना चाहिए।

प्रश्न 5: मंत्र जप के लिए कौन सा समय सर्वश्रेष्ठ है?

उत्तर: सुबह या रात का समय सबसे उपयुक्त है।

प्रश्न 6: क्या मंत्र जप के दौरान कुछ खाने-पीने से परहेज करना चाहिए?

उत्तर: हां, धूम्रपान, मद्यपान, और मांसाहार से परहेज करना चाहिए।

प्रश्न 7: क्या आसन का उपयोग अनिवार्य है?

उत्तर: हां, कुश के आसन या स्वच्छ वस्त्र का आसन उपयोग करना चाहिए।

प्रश्न 8: क्या मंत्र जप के बाद कोई विशेष अनुष्ठान करना चाहिए?

उत्तर: जप के बाद देवी की आरती और प्रसाद वितरण करना चाहिए।

प्रश्न 9: मंत्र जप के दौरान क्या व्रत का पालन आवश्यक है?

उत्तर: हां, व्रत का पालन करने से मंत्र सिद्धि जल्दी प्राप्त होती है।

प्रश्न 10: क्या मंत्र जप में गलती होने पर कोई उपाय है?

उत्तर: हां, शुद्धिकरण के बाद पुनः मंत्र जप करें।

प्रश्न 11: क्या मंत्र सिद्धि के बाद भी जप जारी रखना चाहिए?

उत्तर: हां, नियमित जप करने से सिद्धि में वृद्धि होती है।

प्रश्न 12: मंत्र जप का फल कब मिलता है?

उत्तर: मंत्र जप का फल साधक की निष्ठा और नियमितता पर निर्भर करता है।

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