Aprajita mantra for victory & protection

अपराजिता मंत्र परिचय

अपराजिता देवी दुर्गा का एक रूप हैं, जिन्हें अजेयता और विजय की देवी माना जाता है। ‘अपराजिता’ का अर्थ है ‘जो कभी पराजित नहीं हो सकती’। यह देवी दुर्गा का ऐसा रूप है जो जीवन में सभी प्रकार की चुनौतियों और संकटों पर विजय प्राप्त करने के लिए आराधना की जाती है।

मंत्र:

॥ॐ ह्रीं क्लीं अपराजिते नमः॥

अपराजिता मंत्र के लाभ

  1. सभी प्रकार की बाधाओं से मुक्ति: यह मंत्र जीवन में आने वाली सभी बाधाओं और विघ्नों को दूर करने में सहायक होता है।
  2. विजय की प्राप्ति: अपराजिता मंत्र का जाप करने से सभी कार्यों में विजय प्राप्त होती है।
  3. साहस और शक्ति का विकास: यह मंत्र साधक को मानसिक और शारीरिक साहस प्रदान करता है।
  4. दुश्मनों से रक्षा: यह मंत्र दुश्मनों से सुरक्षा प्रदान करता है और उनके षडयंत्रों को विफल करता है।
  5. आत्मविश्वास में वृद्धि: अपराजिता मंत्र के नियमित जाप से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
  6. धन और समृद्धि: इस मंत्र का जाप करने से आर्थिक समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है।
  7. स्वास्थ्य लाभ: यह मंत्र शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में सहायक होता है।
  8. सकारात्मक ऊर्जा: अपराजिता मंत्र सकारात्मक ऊर्जा और वातावरण का संचार करता है।
  9. शत्रुओं पर विजय: शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए इस मंत्र का प्रयोग किया जाता है।
  10. मानसिक शांति: यह मंत्र मानसिक शांति और स्थिरता प्रदान करता है।
  11. संतान सुख: अपराजिता मंत्र के जाप से संतान सुख की प्राप्ति होती है।
  12. कार्य में सफलता: कार्यों में सफलता और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
  13. परिवार की रक्षा: यह मंत्र परिवार के सदस्यों की सुरक्षा और समृद्धि के लिए किया जाता है।
  14. आध्यात्मिक विकास: साधक के आध्यात्मिक विकास में सहायक होता है।
  15. सौभाग्य की प्राप्ति: यह मंत्र साधक को सौभाग्य और खुशहाली प्रदान करता है।
  16. विवाह में सफलता: विवाह में आने वाली बाधाओं को दूर करने में सहायक होता है।
  17. व्यवसाय में वृद्धि: व्यापार और व्यवसाय में वृद्धि के लिए अपराजिता मंत्र का जाप किया जाता है।
  18. किस्मत का उदय: साधक की किस्मत को उदित करने में सहायक होता है।
  19. अनिष्ट शक्तियों से रक्षा: यह मंत्र साधक को अनिष्ट शक्तियों और नकारात्मक ऊर्जा से बचाता है।
  20. शक्ति और सामर्थ्य: यह मंत्र साधक को अत्यधिक शक्ति और सामर्थ्य प्रदान करता है।

विधि

  1. स्नान और शुद्धिकरण: सर्वप्रथम सुबह स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें।
  2. पूजा स्थल की तैयारी: पूजा स्थल को साफ-सुथरा करें और अपराजिता देवी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
  3. दीप प्रज्वलन: दीपक जलाएं और अगरबत्ती लगाएं।
  4. संकल्प: पूजा का संकल्प लें और अपने उद्देश्य को मन में स्थापित करें।
  5. ध्यान: अपराजिता देवी का ध्यान करें और मंत्र का जाप आरंभ करें।
  6. मंत्र जाप: अपराजिता मंत्र का 108 बार जाप करें।
  7. अभिषेक: देवी को जल, दूध, और पंचामृत से अभिषेक करें।
  8. नैवेद्य: देवी को फल, मिठाई और अन्य नैवेद्य अर्पित करें।
  9. आरती: अपराजिता देवी की आरती करें और प्रसाद वितरित करें।
  10. ध्यान: अंत में देवी का ध्यान करें और उनसे प्रार्थना करें कि वह आपकी सभी बाधाओं को दूर करें और आपको विजय प्रदान करें।

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सावधानियाँ

  1. शुद्धता का ध्यान रखें: पूजा स्थल और स्वयं की शुद्धता का विशेष ध्यान रखें।
  2. मन की एकाग्रता: मंत्र जाप करते समय मन को एकाग्र रखें।
  3. समय का पालन: नियमित रूप से एक निश्चित समय पर मंत्र जाप करें।
  4. शुद्ध वस्त्र धारण करें: पूजा के समय शुद्ध और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  5. संकल्प की दृढ़ता: संकल्प को मन में दृढ़ रखें और पूर्ण श्रद्धा के साथ मंत्र का जाप करें।
  6. व्रत और उपवास: यदि संभव हो तो विशेष दिन व्रत और उपवास रखें।
  7. आहार और व्यवहार: सात्विक आहार ग्रहण करें और अपने व्यवहार में संयम रखें।
  8. नकारात्मक विचारों से बचें: नकारात्मक विचारों से बचें और सकारात्मक सोच रखें।
  9. भक्ति और श्रद्धा: पूर्ण भक्ति और श्रद्धा के साथ देवी अपराजिता की आराधना करें।
  10. मंत्र उच्चारण: मंत्र का सही उच्चारण और उच्च स्वर में जाप करें।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. अपराजिता मंत्र क्या है?

अपराजिता मंत्र देवी दुर्गा के एक रूप की आराधना के लिए जाप किया जाता है। यह मंत्र साधक को अजेय और विजयी बनाने में सहायक होता है।

2. अपराजिता मंत्र का क्या महत्व है?

यह मंत्र जीवन में आने वाली सभी बाधाओं और संकटों को दूर करने, शत्रुओं से रक्षा, आत्मविश्वास में वृद्धि, आर्थिक समृद्धि, और मानसिक शांति प्रदान करने में महत्वपूर्ण है।

3. अपराजिता मंत्र कब जाप करना चाहिए?

सुबह स्नान के बाद या संध्याकाल में पूजा स्थल पर शुद्ध वस्त्र धारण कर मंत्र जाप करना सबसे उत्तम माना जाता है।

4. अपराजिता मंत्र का जाप कितनी बार करना चाहिए?

मंत्र का जाप 108 बार या इसकी गुणक संख्या में करना चाहिए। नियमित जाप से अधिक लाभ प्राप्त होते हैं।

5. अपराजिता मंत्र के जाप के लिए कौन-कौन सी सामग्री चाहिए?

पूजा स्थल, अपराजिता देवी की प्रतिमा या चित्र, दीपक, अगरबत्ती, जल, दूध, पंचामृत, फल, मिठाई, और नैवेद्य सामग्री चाहिए।

6. क्या अपराजिता मंत्र का जाप किसी विशेष दिन करना चाहिए?

हां, नवरात्रि, मंगलवार, और शुक्रवार के दिन अपराजिता मंत्र का जाप विशेष फलदायी माना जाता है।

7. क्या अपराजिता मंत्र का जाप घर पर किया जा सकता है?

हां, अपराजिता मंत्र का जाप घर पर शुद्ध वातावरण में किया जा सकता है।

8. अपराजिता मंत्र के जाप के दौरान कौन-कौन सी सावधानियाँ बरतनी चाहिए?

पूजा स्थल और स्वयं की शुद्धता का ध्यान रखें, मंत्र का सही उच्चारण करें, नकारात्मक विचारों से बचें, और पूर्ण भक्ति और श्रद्धा के साथ जाप करें।

9. क्या अपराजिता मंत्र के जाप से शत्रुओं से मुक्ति मिलती है?

हां, यह मंत्र दुश्मनों से सुरक्षा प्रदान करता है और उनके षडयंत्रों को विफल करता है।

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