Bhadra Sankranti Vrat – Procedure and Significance
भद्रा संक्रांति व्रत 2024 – विधि, मुहूर्त और व्रत के दिव्य लाभ
भद्रा संक्रांति व्रत करने का समय तब होता है जब। सूर्य भगवान भद्रा नक्षत्र में प्रवेश करते हैं। ये व्रत करने से जीवन में शांति, समृद्धि और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। भद्रा संक्रांति का व्रत एक महत्वपूर्ण धार्मिक पर्व है जिसमें व्रती भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर समर्पित भाव से पूजा करते हैं।
व्रत का मुहूर्त (Muhurat)
भद्रा संक्रांति व्रत का मुहूर्त विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है। इस दिन सूर्योदय के समय व्रत की शुरुआत करनी चाहिए। संक्रांति का शुभ मुहूर्त सूर्य के भद्रा नक्षत्र में प्रवेश के समय होता है। इस समय पूजा और अर्घ्य अर्पण करना शुभ होता है।
- 17 सितंबर 2024: भद्रा प्रारंभ – रात 1:14 बजे, समाप्त – सुबह 11:25 बजे।
- 20 सितंबर 2024: भद्रा प्रारंभ – रात 12:25 बजे, समाप्त – सुबह 10:45 बजे।
- 23 सितंबर 2024: भद्रा प्रारंभ – सुबह 3:20 बजे, समाप्त – दोपहर 2:39 बजे।
- 26 सितंबर 2024: भद्रा प्रारंभ – दोपहर 2:18 बजे, समाप्त – 27 सितंबर सुबह 2:50 बजे।
- 30 सितंबर 2024: भद्रा प्रारंभ – सुबह 8:36 बजे, समाप्त – रात 9:51 बजे
व्रत विधि मंत्र के साथ (Ritual Procedure with Mantras)
- सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें।
- सूर्य को अर्घ्य देते समय “ॐ सूर्याय नमः” मंत्र का जाप करें।
- धूप-दीप जलाकर सूर्य भगवान की पूजा करें।
- संक्रांति के दिन विशेष रूप से पीले वस्त्र पहनें।
- भद्रा संक्रांति व्रत की कथा सुनें।
- पूजा के बाद ब्राह्मणों को भोजन और दान दें।
व्रत में क्या खाएं, क्या न खाएं (Dietary Guidelines)
- व्रत में फल, दूध, और नट्स खाएं।
- अनाज, तामसिक भोजन, और मसालेदार भोजन का सेवन न करें।
- व्रत के दौरान साफ और सात्विक भोजन ही लें।
व्रत कब से कब तक रखें (Fasting Duration)
- व्रत सूर्योदय से शुरू होकर सूर्यास्त तक रखना चाहिए।
- उपवास के अंत में सूर्यास्त के बाद जल ग्रहण करें।
- अगले दिन सुबह विधिपूर्वक व्रत समाप्त करें।
भद्रा संक्रांति व्रत से लाभ
- स्वास्थ्य में सुधार।
- मन की शांति।
- परिवार में सुख-समृद्धि।
- व्यापार में सफलता।
- रोगों से मुक्ति।
- धन प्राप्ति।
- आत्मबल में वृद्धि।
- मानसिक शुद्धि।
- दु:खों का निवारण।
- दोषों से मुक्ति।
- दैविक कृपा प्राप्त होती है।
- संतान सुख।
- वैवाहिक जीवन में शांति।
- कठिनाइयों से मुक्ति।
- दीर्घायु।
- आध्यात्मिक उन्नति।
- मनोबल में वृद्धि।
भद्रा संक्रांति व्रत के नियम
- सूर्योदय से पहले स्नान करें।
- भगवान सूर्य की पूजा में पूरा ध्यान रखें।
- व्रत के दिन तामसिक भोजन से परहेज करें।
- मन में शुद्धि और समर्पण बनाए रखें।
- दूसरों के प्रति सहानुभूति रखें और जरूरतमंदों को दान दें।
संपूर्ण भद्रा व्रत की कथा
प्राचीन काल की बात है, एक महान राजा था जिसका नाम सत्यकेतु था। वह धर्म और सत्य के मार्ग पर चलता था। सत्यकेतु ने अपने राज्य में सुख-समृद्धि और न्याय स्थापित किया था। राजा के राज्य में प्रजा बेहद खुश थी, लेकिन राजा को एक चिंता सताती थी। राजा की कोई संतान नहीं थी, जिसके कारण वह बहुत दुखी रहता था।
राजा ने कई यज्ञ और पूजाएं कीं, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ। एक दिन, एक साधु ने राजा को सुझाव दिया कि वह भद्रा संक्रांति व्रत करे। साधु ने बताया कि इस व्रत को करने से भगवान सूर्य प्रसन्न होते हैं और संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है। राजा सत्यकेतु ने साधु के निर्देशानुसार व्रत का पालन किया।
सत्यकेतु ने विधिपूर्वक भगवान सूर्य की पूजा की और पूरी श्रद्धा से व्रत किया। इस व्रत के प्रभाव से राजा को जल्द ही संतान का सुख प्राप्त हुआ। राजा का जीवन फिर से खुशहाल हो गया और उसके राज्य में समृद्धि का माहौल छा गया।
यह कथा भक्ति और विश्वास की ताकत को दर्शाती है। भद्रा संक्रांति व्रत को जीवन में सुख-समृद्धि और शांति के लिए किया जाता है। राजा सत्यकेतु की भांति इस व्रत को विधिपूर्वक करने से हर इच्छापूर्ति होती है।
इस कथा से यह सिद्ध होता है कि जो व्यक्ति सच्चे मन से भगवान सूर्य की पूजा करता है, उसे जीवन में सभी सुख प्राप्त होते हैं।
भोग (Offering)
- सूर्य देव को गुड़, चावल, और पीले फूल अर्पित करें।
- अर्घ्य के साथ जल में तिल और गुड़ मिलाकर सूर्य को अर्पित करें।
भद्रा व्रत की शुरुवात व समाप्ति
- व्रत सूर्योदय से शुरू करें।
- सूर्योदय के बाद सूर्य भगवान की पूजा करें।
- व्रत सूर्यास्त के बाद समाप्त करें और जल ग्रहण करें।
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सावधानियां (Precautions)
- व्रत के दिन क्रोध, लोभ, और अहंकार से बचें।
- तामसिक भोजन और नकारात्मक विचारों से दूर रहें।
- व्रत में भगवान सूर्य के प्रति पूर्ण श्रद्धा और विश्वास रखें।
भद्रा व्रत संबंधित प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1: भद्रा संक्रांति व्रत क्यों करें?
उत्तर: इस व्रत से भगवान सूर्य की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में समृद्धि आती है।
प्रश्न 2: व्रत में क्या खाना चाहिए?
उत्तर: व्रत में फल, दूध, और सात्विक भोजन का सेवन करें।
प्रश्न 3: व्रत का शुभ मुहूर्त कब होता है?
उत्तर: सूर्य के भद्रा नक्षत्र में प्रवेश के समय संक्रांति का शुभ मुहूर्त होता है।
प्रश्न 4: व्रत से क्या लाभ होते हैं?
उत्तर: व्रत से शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं।
प्रश्न 5: क्या व्रत में तामसिक भोजन कर सकते हैं?
उत्तर: नहीं, व्रत में तामसिक भोजन का सेवन वर्जित है।
प्रश्न 6: व्रत में किन वस्त्रों का प्रयोग करें?
उत्तर: व्रत के दिन पीले वस्त्र पहनें, यह शुभ माना जाता है।
प्रश्न 7: व्रत कितने समय तक करना चाहिए?
उत्तर: व्रत सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक रखना चाहिए।
प्रश्न 8: व्रत की पूजा विधि क्या है?
उत्तर: स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य दें और “ॐ सूर्याय नमः” मंत्र का जाप करें।
प्रश्न 9: व्रत से जीवन में क्या परिवर्तन होते हैं?
उत्तर: व्रत करने से जीवन में शांति, समृद्धि, और सकारात्मकता आती है।
प्रश्न 10: व्रत के दौरान कौन से नियम पालन करें?
उत्तर: शुद्ध विचार, सात्विक आहार, और भगवान सूर्य के प्रति समर्पण रखें।
प्रश्न 11: क्या व्रत करने से स्वास्थ्य लाभ होता है?
उत्तर: हां, व्रत करने से शरीर और मन दोनों में शुद्धि होती है।
प्रश्न 12: व्रत समाप्त कैसे करें?
उत्तर: व्रत सूर्यास्त के बाद जल ग्रहण कर समाप्त करें।