Vishnu Panchak Vrat - For Paap Mukti

Vishnu Panchak Vrat – For Paap Mukti

विष्णू पंचक व्रत २०२४ – उपवास, पूजा विधि और भीष्म पंचक की कथा

विष्णू पंचक या भीष्म पंचक व्रत हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत माना जाता है, जो भगवान विष्णु की आराधना के लिए किया जाता है। यह व्रत पंचक काल में किया जाता है, जो मृत्यु के पंच दोषों को दूर करने के लिए विशेष महत्व रखता है। विष्णू पंचक व्रत से साधक को जीवन में समृद्धि, शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस व्रत को विशेष रूप से उन लोगों द्वारा किया जाता है जो अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि चाहते हैं। व्रत के दौरान भक्त भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करते हैं और पूरे विधि-विधान से पूजा करते हैं।

विष्णू (भीष्म) पंचक व्रत का मुहूर्त

विष्णू पंचक व्रत का मुहूर्त पंचक काल में आता है, जो प्रत्येक महीने के अंतिम पांच दिनों में आता है। इस अवधि को पंचक कहा जाता है और इसे अशुभ समय माना जाता है। 2024 में विष्णू पंचक व्रत की तिथियां निम्नलिखित हैं:

  • प्रारंभ: 7 नवंबर 2024, गुरुवार
  • समाप्ति: 11 नवंबर 2024, सोमवार
    इस दौरान भगवान विष्णु की पूजा की जाती है, और उनका विशेष ध्यान किया जाता है।

विष्णू पंचक व्रत विधि

विष्णू पंचक व्रत की पूजा विधि में भगवान विष्णु का अभिषेक, धूप-दीप अर्पण, और विशेष मंत्रों का जाप किया जाता है।

  1. सबसे पहले, भगवान विष्णु की प्रतिमा को स्वच्छ जल से स्नान कराएं।
  2. पुष्प, फल, तिल, अक्षत, और वस्त्र अर्पण करें।
  3. विष्णु मंत्र का जाप करें:
    “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः”
  4. दिन भर उपवास रखें और संध्या समय विष्णु की आरती करें।
  5. संकल्प लेकर व्रत का पालन करें।

व्रत में क्या खाएं और क्या न खाएं

  • क्या खाएं: व्रत के दौरान फल, दूध, और सात्विक भोजन का सेवन करें।
  • क्या न खाएं: व्रत में तामसिक भोजन जैसे प्याज, लहसुन, मांस, और शराब का सेवन वर्जित है।

व्रत कब से कब तक रखें

विष्णू पंचक व्रत पांच दिनों तक रखा जाता है। यह व्रत पंचक काल के पहले दिन से शुरू होकर पांचवे दिन तक चलता है। व्रती को सूर्योदय से लेकर अगले दिन सूर्योदय तक उपवास रखना चाहिए।

विष्णू (भीष्म) पंचक व्रत व्रत के लाभ

  1. भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
  2. जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
  3. सभी कष्टों का निवारण होता है।
  4. मानसिक शांति मिलती है।
  5. परिवार में सुख-शांति का वास होता है।
  6. रोगों से मुक्ति मिलती है।
  7. भौतिक समृद्धि प्राप्त होती है।
  8. मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  9. जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है।
  10. सभी पापों का नाश होता है।
  11. भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है।
  12. आत्मबल बढ़ता है।
  13. सभी प्रकार की बाधाओं का अंत होता है।
  14. आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
  15. घर में सुख-शांति का वास होता है।
  16. व्यक्ति का आध्यात्मिक विकास होता है।
  17. मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।

व्रत के नियम

  1. व्रत के दौरान सात्विक जीवन शैली अपनाएं।
  2. दिन भर भगवान विष्णु का ध्यान और मंत्रों का जाप करें।
  3. तामसिक भोजन से बचें।
  4. ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  5. व्रत के नियमों का पूर्णता से पालन करें।

संपूर्ण विष्णू (भीष्म) पंचक व्रत कथा

विष्णू पंचक व्रत की कथा विशेष रूप से भीष्म पितामह से संबंधित है। जब महाभारत युद्ध के दौरान भीष्म पितामह शरशय्या पर लेटे थे, तब भगवान कृष्ण ने उन्हें बताया कि अगर वे पंचक के दौरान भगवान विष्णु की आराधना करेंगे, तो उन्हें मोक्ष प्राप्त होगा। भगवान कृष्ण के निर्देश पर भीष्म ने विष्णू पंचक व्रत का पालन किया और पांच दिनों तक उपवास किया। इस व्रत के प्रभाव से भीष्म को मोक्ष प्राप्त हुआ और वे वैकुंठ धाम गए।

यह व्रत पंचक काल में किया जाता है, जो मृत्यु के पंच दोषों को दूर करने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। पंचक के दौरान व्यक्ति को भगवान विष्णु के विशेष मंत्रों का जाप और पूजा करनी चाहिए। इस व्रत को करने से व्यक्ति के पाप समाप्त होते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

विष्णू पंचक व्रत की कथा का संदेश यह है कि जीवन में भगवान की आराधना और साधना ही हमें मोक्ष की ओर ले जाती है। इस कथा से यह भी सिद्ध होता है कि मृत्यु के समय भी सही दिशा में किया गया कर्म व्यक्ति को मोक्ष प्राप्ति की ओर ले जा सकता है। व्रत का पालन श्रद्धा और नियमपूर्वक करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।

भीष्म पंचक कथा का विस्तृत वर्णन

भीष्म पितामह की शरशय्या पर लेटने के बाद, उन्होंने भगवान विष्णु की आराधना प्रारंभ की। भगवान कृष्ण ने भीष्म को बताया कि पंचक काल के दौरान उपवास और विष्णु की पूजा करने से उन्हें मोक्ष प्राप्त होगा।

भोग

व्रत के अंत में भगवान विष्णु को खीर, पंचामृत, और फल अर्पित करें। भोग अर्पित करने के बाद प्रसाद का वितरण करें।

व्रत कब शुरू और कब समाप्त करें

विष्णू पंचक व्रत पंचक काल के पहले दिन सूर्योदय से शुरू होता है और पांचवे दिन सूर्योदय पर समाप्त होता है।

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विष्णू (भीष्म) पंचक व्रत सावधानी

  1. व्रत के दौरान किसी प्रकार की तामसिक गतिविधियों से बचें।
  2. व्रत करते समय शारीरिक और मानसिक शुद्धता बनाए रखें।
  3. व्रत के दौरान किसी प्रकार की असत्य बोलने या गलत कार्य करने से बचें।

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विष्णू (भीष्म) पंचक व्रत संबंधित प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1: विष्णू पंचक व्रत क्या है?
उत्तर: यह भगवान विष्णु की आराधना हेतु पांच दिवसीय व्रत है।

प्रश्न 2: व्रत का मुहूर्त क्या है?
उत्तर: व्रत पंचक काल के दौरान किया जाता है, 2024 में यह 7-11 नवंबर को होगा।

प्रश्न 3: व्रत के लाभ क्या हैं?
उत्तर: व्रत से समृद्धि, शांति, और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।

प्रश्न 4: क्या व्रत के दौरान जल ग्रहण कर सकते हैं?
उत्तर: हां, आप जल और फलाहार ग्रहण कर सकते हैं।

प्रश्न 5: व्रत का महत्व क्या है?
उत्तर: यह व्रत व्यक्ति को मोक्ष और जीवन में सुख-समृद्धि प्रदान करता है।

प्रश्न 6: इस व्रत की पूजा विधि क्या है?
उत्तर: विष्णु की पूजा मंत्रों और धूप-दीप से की जाती है।

प्रश्न 7: क्या व्रत के दौरान उपवास करना आवश्यक है?
उत्तर: हां, उपवास अनिवार्य है।

प्रश्न 8: क्या व्रत के दौरान विशेष आहार ग्रहण किया जा सकता है?
उत्तर: केवल सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए।

प्रश्न 9: व्रत के दौरान किन नियमों का पालन करें?
उत्तर: सात्विक जीवनशैली, ब्रह्मचर्य, और सत्य का पालन करें।

प्रश्न 10: क्या व्रत में कथा सुनना आवश्यक है?
उत्तर: हां, कथा सुनना अत्यधिक शुभ माना जाता है।

प्रश्न 11: व्रत की समाप्ति कैसे करें?
उत्तर: पंचक काल के पांचवे दिन व्रत समाप्त करें।

प्रश्न 12: क्या व्रत सभी कर सकते हैं?
उत्तर: हां, इस व्रत को सभी कर सकते हैं।