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Boost Memory and Success with Secret Saraswati Leaf Ritual

Boost Memory and Success with Secret Saraswati Leaf Ritual

20 मिनट का चमत्कारी प्रयोग: बादाम के पत्ते से खुलें ज्ञान, कला और सफलता के द्वार

Saraswati Leaf Ritual – हिंदू धर्म में पत्तों, फूलों, और प्राकृतिक वस्तुओं का गूढ़ महत्व बताया गया है। इन्हीं में एक है – बादाम का पत्ता, जो देवी सरस्वती के विशेष प्रयोग में प्रयुक्त होता है। सामान्यतः बादाम को स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है, लेकिन तंत्र और साधना में इसके पत्ते बुद्धि, वाणी, सुख और समृद्धि के लिए अत्यंत प्रभावशाली माने जाते हैं।

देवी सरस्वती ज्ञान, संगीत, कला, वाणी और बुद्धि की अधिष्ठात्री देवी हैं। उनका एक अत्यंत गुप्त बीज मंत्र है — ॐ ऐं ह्रीं श्रीं सरस्वत्यै क्लीं नमः, जिसका प्रयोग विशेष रूप से बादाम के पत्तों के साथ किया जाता है।

यह साधना विद्यार्थी, कलाकार, वक्ता, लेखक, शिक्षक या कोई भी ऐसा व्यक्ति जो बुद्धि, स्मरण शक्ति और क्रिएटिविटी बढ़ाना चाहता है — उसके लिए अत्यंत लाभकारी है। यह प्रयोग मानसिक अवरोध हटाकर साधक को आत्मबल, स्पष्ट वाणी, आकर्षक व्यक्तित्व और तेज स्मृति प्रदान करता है।

प्राचीन ऋषियों के अनुसार, यह प्रयोग केवल एक 20 मिनट का नित्य जप या 11 दिनों की साधना के रूप में किया जाए तो जीवन में चमत्कारिक बदलाव संभव होता है। इस लेख में जानिए — मंत्र, उसका अर्थ, लाभ, शुभ मुहूर्त, प्रयोग की विधि और सामान्य प्रश्नों के उत्तर।


गुप्त मंत्र और उसका अर्थ

ॐ ऐं ह्रीं श्रीं सरस्वत्यै क्लीं नमः

इस अद्भुत बीज मंत्र में पाँच शक्तिशाली शब्द समाहित हैं:

  • – ब्रह्मांडीय शक्ति का प्रतीक
  • ऐं – सरस्वती का बीज मंत्र (ज्ञान व बुद्धि)
  • ह्रीं – ऊर्जा, तेज, और पवित्रता का प्रतीक
  • श्रीं – समृद्धि, सौंदर्य और सफलता का बीज
  • क्लीं – आकर्षण, वशीकरण और सौम्यता की शक्ति
  • सरस्वत्यै – माता सरस्वती को समर्पण
  • नमः – विनम्रता से नमन करना

मंत्र का उच्चारण करते समय साधक देवी सरस्वती को बुद्धि, कला, वाणी और मन की एकाग्रता के लिए आमंत्रित करता है। यह मंत्र भीतर छिपी बौद्धिक क्षमता को जाग्रत करता है और वाणी में मधुरता व प्रभाव लाता है।

इस प्रयोग मे यदि बादाम के हरे या सूखे पत्ते हाथ में लेकर जप किया जाए तो उसकी शक्ति कई गुना बढ़ जाती है। यह पत्ते ऊर्जा को ग्रहण कर वातावरण को सकारात्मक और दिव्य बनाते हैं।


अद्भुत लाभ जो बदल सकते हैं आपका जीवन

  1. बुद्धि तेज होती है और निर्णय क्षमता में सुधार आता है।
  2. स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है, पढ़ाई में मन लगता है।
  3. कला, लेखन, संगीत और वक्तृत्व कला में प्रवीणता आती है।
  4. बच्चों का मन पढ़ाई की ओर आकर्षित होता है।
  5. वाणी में मधुरता व प्रभावशाली व्यक्तित्व विकसित होता है।
  6. मानसिक अवरोध, भय और भ्रम समाप्त होते हैं।
  7. विद्यार्थी परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करते हैं।
  8. इंटरव्यू, भाषण या प्रस्तुति में सफलता मिलती है।
  9. माता-पिता बच्चों की एकाग्रता के लिए प्रयोग कर सकते हैं।
  10. आत्मविश्वास और आत्मबल में वृद्धि होती है।
  11. जीवन में सकारात्मकता और रचनात्मकता बढ़ती है।
  12. कला, रंगमंच और गायन क्षेत्र में उन्नति मिलती है।
  13. अटकते कार्य और प्रयास सफल होते हैं।
  14. शुद्ध विचार और भावना उत्पन्न होती है।
  15. देवी सरस्वती की कृपा जीवन में स्थायी होती है।

शुभ मुहूर्त: कब करें ये विशेष सरस्वती प्रयोग?

  • सप्ताह का दिन: सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को श्रेष्ठ माना गया है।
  • तिथि: वसंत पंचमी, पूर्णिमा, शुक्ल पक्ष की पंचमी, नवमी विशेष फलदायी होती हैं।
  • नक्षत्र: रोहिणी, पुनर्वसु, हस्त और रेवती नक्षत्र उत्तम हैं।
  • समय: प्रातः 5 बजे से 7 बजे के बीच ब्रह्ममुहूर्त सर्वोत्तम समय होता है।
  • अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:00 से 12:48 तक का समय भी लाभकारी है।
  • विशेष योग: विद्यारंभ, सिद्धि योग या गुरु पुष्य योग में प्रयोग सिद्धकारी होता है।
  • घर में वातावरण: शांत, स्वच्छ और सुगंधित वातावरण में प्रयोग शीघ्र फलदायक होता है।

👉 अब जानिए – कैसे करें इस प्रयोग की संपूर्ण विधि (2 मिनट व 11 दिन जप)


संपूर्ण विधि: 20 मिनट का दैनिक प्रयोग व 11 दिन की साधना

साधन सामग्री:

  • 1 ताज़ा या सूखा बादाम का पत्ता
  • पीले वस्त्र
  • सरस्वती यंत्र (यदि उपलब्ध हो)
  • हल्दी या केसर से तिलक
  • एक छोटा दीपक और अगरबत्ती

Get mantra diksha

20 मिनट का दैनिक प्रयोग

  1. सुबह स्नान कर पीले वस्त्र पहनें।
  2. देवी सरस्वती की प्रतिमा या चित्र के समक्ष बैठें।
  3. दीपक जलाकर अगरबत्ती लगाएं।
  4. हाथ में बादाम का पत्ता लेकर मंत्र बोलें:
    ॐ ऐं ह्रीं श्रीं सरस्वत्यै क्लीं नमः – 21 बार जप करें।
  5. बादाम का पत्ता पुस्तक, कॉपी या अध्ययन स्थान पर रखें।

Chakra jagaran yantra

11 दिन की विशेष साधना विधि

  1. रोज़ ब्रह्ममुहूर्त में उठें और स्नान करें।
  2. उपर्युक्त विधि अनुसार आसन जमाकर बैठें।
  3. मंत्र का जप करें – 540 बार प्रतिदिन, 11 दिनों तक।
  4. हर दिन नया बादाम पत्ता प्रयोग करें।
  5. अंतिम दिन सभी 11 पत्तों को नदी या पीपल वृक्ष के पास respectfully विसर्जन करें।

Aprajita sadhana shivir


सबसे ज़्यादा पूछे जाने वाले प्रश्न

  1. क्या बच्चों के लिए यह प्रयोग सुरक्षित है?
    – हां, यह पूरी तरह सुरक्षित और प्रभावी है, माता-पिता यह बच्चों के लिए कर सकते हैं।
  2. क्या इस मंत्र का जप बिना पत्ते के किया जा सकता है?
    – हां, लेकिन बादाम का पत्ता इस प्रयोग की ऊर्जा को कई गुना बढ़ाता है।
  3. अगर एक दिन छूट जाए तो क्या करें?
    – छूटा हुआ दिन फिर से उसी क्रम में पूरा करें, साधना जारी रखें।
  4. क्या कोई विशेष नियम पालन करना होता है?
    – शुद्धता, सकारात्मकता और मन की एकाग्रता आवश्यक है।
  5. क्या इस मंत्र का प्रभाव स्थायी होता है?
    – हां, नियमित जप करने पर यह प्रभाव स्थायी और गहन होता है।
  6. क्या इस प्रयोग से केवल विद्यार्थी लाभ पा सकते हैं?
    – नहीं, यह कलाकार, लेखक, वक्ता, संगीतकार सभी के लिए उपयोगी है।
  7. क्या मंत्र जप मोबाइल पर सुनकर किया जा सकता है?
    – बेहतर होगा स्वयं उच्च स्वर में उच्चारण करें, लेकिन आरंभ में सुनना भी लाभकारी है।

Mahalakshmi Pujan Akshaya tritiya – Wealth-Boosting Ritual!

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महालक्ष्मी पूजन शिविर (अक्षय तृतीया) 2025 – समृद्धि और सिद्धि का दिव्य अवसर

दिव्ययोग आश्रम में 30 अप्रैल 2025 (अक्षय तृतीया) को महालक्ष्मी पूजन शिविर का आयोजन किया जा रहा है। इस शिविर में अष्ट लक्ष्मी, अघोर लक्ष्मी, कनकधारा लक्ष्मी, ऋण मुक्तेश्वरी लक्ष्मी की तांत्रोक्त विधि से विशेष पूजा-अर्चना की जाएगी। यह शिविर धन, समृद्धि, सुख और मोक्ष प्रदान करने वाला है।

इस महालक्ष्मी पूजन शिविर के अद्भुत लाभ

  1. धन-धान्य में वृद्धि
  2. ऋण मुक्ति
  3. कर्ज से मुक्ति
  4. नौकरी-व्यवसाय में उन्नति
  5. आर्थिक संकट दूर
  6. सुख-समृद्धि की प्राप्ति
  7. नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति
  8. मनोकामना पूर्ति
  9. कनकधारा लक्ष्मी का आशीर्वाद
  10. अघोर लक्ष्मी की कृपा
  11. अष्ट लक्ष्मी का आवाहन
  12. सिद्धि प्राप्ति
  13. मान-सम्मान में वृद्धि
  14. शत्रु बाधा निवारण
  15. आरोग्य लाभ
  16. वैवाहिक जीवन में सुख
  17. आध्यात्मिक उन्नति
  18. मोक्ष की प्राप्ति

कौन भाग ले सकता है इस महालक्ष्मी पूजन शिविर में?

  • 20 वर्ष से अधिक आयु के स्त्री-पुरुष भाग ले सकते हैं।
  • ऑनलाइन या ऑफलाइन दोनों माध्यमों से शिविर में शामिल हो सकते हैं।
  • धार्मिक भावना और श्रद्धा रखने वाले सभी जन इस पूजन में सम्मिलित हो सकते हैं।

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महालक्ष्मी पूजन शिविर के नियम

  • नीले या काले कपड़े न पहनें।
  • मद्यपान, धूम्रपान व मांसाहार से पूर्णतः दूर रहें।
  • ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  • शुद्ध मन से पूजा में भाग लें।
  • शिविर में नियमित समय पर उपस्थित रहें।

पूजन के बाद प्राप्त होगा सिद्ध यंत्र व कवच

शिविर में भाग लेने वाले प्रत्येक साधक को सिद्ध यंत्र व कवच प्रदान किया जाएगा, जो उनकी सुरक्षा और समृद्धि में सहायक होगा।

Chakra jagaran yantra

महालक्ष्मी पूजन शिविर से जुड़े प्रश्न-उत्तर

प्रश्न 1: इस शिविर में किन-किन लक्ष्मी स्वरूपों की पूजा होगी?
उत्तर: इस शिविर में अष्ट लक्ष्मी, अघोर लक्ष्मी, कनकधारा लक्ष्मी, ऋण मुक्तेश्वरी लक्ष्मी की पूजा तांत्रिक विधि से की जाएगी।

प्रश्न 2: क्या ऑनलाइन भाग ले सकते हैं?
उत्तर: हाँ, ऑनलाइन व ऑफलाइन दोनों तरीकों से भाग ले सकते हैं।

प्रश्न 3: शिविर में भाग लेने की आयु सीमा क्या है?
उत्तर: 20 वर्ष से अधिक आयु के स्त्री-पुरुष भाग ले सकते हैं।

प्रश्न 4: क्या पूजन के बाद कोई सिद्ध यंत्र दिया जाएगा?
उत्तर: हाँ, सिद्ध यंत्र व कवच प्रदान किया जाएगा।

प्रश्न 5: क्या इस शिविर में मांसाहारी भाग ले सकते हैं?
उत्तर: नहीं, मांसाहार, मद्यपान व धूम्रपान वर्जित है।

प्रश्न 6: क्या नीले या काले कपड़े पहनकर आ सकते हैं?
उत्तर: नहीं, नीले व काले कपड़े न पहनें।

प्रश्न 8: इस शिविर का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर: धन, समृद्धि, ऋण मुक्ति व सुख-शांति प्राप्ति।

प्रश्न 9: क्या इस शिविर में स्त्री-पुरुष दोनों भाग ले सकते हैं?
उत्तर: हाँ, स्त्री-पुरुष दोनों भाग ले सकते हैं।

प्रश्न 10: क्या पूजन के लिए किसी विशेष तैयारी की आवश्यकता है?
उत्तर: शुद्ध मन, पवित्र वस्त्र व नियमों का पालन आवश्यक है।

प्रश्न 11: क्या यह शिविर केवल अक्षय तृतीया को ही होगा?
उत्तर: हाँ, 30 अप्रैल 2025 (अक्षय तृतीया) को ही यह शिविर आयोजित होगा।

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इस महालक्ष्मी पूजन शिविर से प्राप्त करें धन, समृद्धि और सिद्धि

अक्षय तृतीया के इस पावन अवसर पर महालक्ष्मी पूजन शिविर में भाग लेकर अपने जीवन में धन, सुख और समृद्धि की प्राप्ति करें। दिव्ययोग आश्रम में आप सभी का स्वागत है!

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सरसों के दाने और कोयले से शत्रु मुक्ति का रहस्य | काली प्रत्यंगिरा साधना का चमत्कारी उपाय

Seeds Coal Protection Remedy – जब शत्रु शक्तिशाली हो, काले जादू से परेशान करें, तब तंत्र के कुछ चमत्कारी उपाय अद्भुत परिणाम देते हैं। सरसों के दाने और कोयला, ये दोनों साधन तांत्रिक शक्तियों को सक्रिय करने में विशेष भूमिका निभाते हैं। विशेषत: जब इसमें “ॐ ह्रीं क्रीं काली प्रत्यंगिरे क्लीं फट्ट” मंत्र का समावेश होता है, परिणाम शीघ्र दिखते हैं। काली प्रत्यंगिरा देवी तंत्र के क्षेत्र में रक्षा, विजय और शत्रु नाश के लिए सर्वोच्च देवी मानी जाती हैं। यदि आप लंबे समय से शत्रुओं की बाधाओं से परेशान हैं, तो यह उपाय आपके लिए संजीवनी सिद्ध हो सकता है।

सरसों के दाने शत्रु की शक्ति को शून्य करने और कोयला उसकी नकारात्मक ऊर्जा को भस्म करने में सक्षम है। यह प्रयोग न सिर्फ शत्रु के षड्यंत्रों को विफल करता है, बल्कि भविष्य में रक्षा कवच भी निर्मित करता है। इस प्रयोग को करते समय श्रद्धा, विश्वास और पूर्ण निष्ठा का होना अत्यंत आवश्यक है, तभी यह फलित होता है। अगर सही विधि से जप और प्रयोग किया जाए, तो असंभव प्रतीत होने वाले कार्य भी सरलता से संभव हो जाते हैं। आइए अब विस्तार से जानें कि सरसों और कोयला मिलाकर काली प्रत्यंगिरा साधना कैसे की जाती है।


काली प्रत्यंगिरा साधना का परिचय (Introduction)

काली प्रत्यंगिरा देवी को तांत्रिक जगत में महाशत्रुनाशिनी कहा जाता है। उनकी आराधना से शत्रु, काला जादू, भय और अदृश्य बाधाएँ नष्ट हो जाती हैं। सरसों व कोयला उनका विशेष तांत्रिक माध्यम है, जो नकारात्मकता को पूर्णतः भस्म कर देता है। इस साधना का विशेष प्रभाव तभी पड़ता है जब साधक का संकल्प मजबूत और साधना विधिपूर्वक की जाए।


मंत्र और मंत्र का अर्थ

मंत्र:
ॐ ह्रीं क्रीं काली प्रत्यंगिरे क्लीं फट्ट

अर्थ:
ॐ = ब्रह्मांडीय ऊर्जा का आह्वान।
ह्रीं = शक्ति व रक्षा का बीज मंत्र।
क्रीं = विजय व शत्रु विनाश का बीज मंत्र।
काली प्रत्यंगिरे = महाशक्ति का आह्वान।
क्लीं = आकर्षण और नियंत्रण शक्ति।
फट्ट = नाश व तुरन्त परिणाम का संकेत।

यह मंत्र देवी को प्रसन्न कर, साधक के चारों ओर अजेय रक्षा कवच बनाता है।

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इस उपाय के अद्भुत लाभ

  1. शत्रु शक्तियों का पूर्ण नाश होता है।
  2. काले जादू व टोटके निष्क्रिय हो जाते हैं।
  3. अदृश्य भय और बाधाएँ समाप्त होती हैं।
  4. कार्यों में अवरोधक शक्तियाँ हटती हैं।
  5. व्यवसाय व करियर में सुरक्षा बढ़ती है।
  6. वैवाहिक व पारिवारिक जीवन में शांति आती है।
  7. आत्मविश्वास और साहस में वृद्धि होती है।
  8. मानसिक स्थिरता और शक्ति प्राप्त होती है।
  9. आध्यात्मिक ऊर्जा और साधना में प्रगति होती है।
  10. किसी भी नकारात्मक शक्ति से तुरंत सुरक्षा मिलती है।
  11. मुकदमेबाजी में विजय प्राप्त होती है।
  12. भूमि या संपत्ति विवादों का समाधान होता है।
  13. डरावने स्वप्न व मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है।
  14. ऊर्जा क्षेत्र मजबूत होता है, दुर्भाग्य टलता है।
  15. साधक के चारों ओर शक्तिशाली दिव्य रक्षा कवच बनता है।

शुभ मुहूर्त

  • शनिवार या अमावस्या रात्रि से साधना प्रारंभ करें।
  • भद्रा रहित, निशा कालीन समय सर्वोत्तम होता है।
  • चंद्रमा का कृष्ण पक्ष होना विशेष फलदायी माना गया है।
  • रात्रि 10 बजे से 2 बजे के बीच जप करना श्रेष्ठ है।

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संपूर्ण विधि (Vidhi – Full Ritual)

साधना सामग्री:

  • काले ताजे सरसों के दाने।
  • एक छोटा टुकड़ा लकड़ी का कोयला।
  • काले कपड़े पर आसन।
  • काले धागे से बंधा पंचमुखी दीपक।
  • घी का दीपक और धूप।

साधना प्रक्रिया:

  1. रात्रि 10 बजे स्नान कर काले वस्त्र धारण करें।
  2. एकांत स्थान पर उत्तर दिशा की ओर मुख कर बैठें।
  3. सामने काले कपड़े पर सरसों व कोयले को रखें।
  4. पंचमुखी दीपक जलाएं व धूप करें।
  5. आंखें बंद कर देवी का ध्यान करें।
  6. “ॐ ह्रीं क्रीं काली प्रत्यंगिरे क्लीं फट्ट” मंत्र का २५ मिनट तक निरंतर जप करें।
  7. साधना के बाद सरसों व कोयले को बहते जल में प्रवाहित करें।

११ दिन तक नियमपूर्वक इस साधना को करें।
११वें दिन बाद विशेष सकारात्मक परिवर्तन अनुभव होंगे।

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सामान्य प्रश्न

1. क्या इस साधना में किसी विशेष गुरु की आवश्यकता है?
नहीं, यदि श्रद्धा और विधिपूर्वक करें तो स्वयं भी सफल हो सकते हैं।

2. क्या स्त्रियाँ भी यह उपाय कर सकती हैं?
हाँ, लेकिन रजस्वला अवस्था में साधना से बचें।

3. यदि एक दिन साधना छूट जाए तो क्या करें?
अगले दिन दोहरा कर पुनः साधना चालू रखें।

4. क्या इस उपाय के साथ किसी अन्य साधना का मिश्रण हो सकता है?
नहीं, साधना एकाग्र व शुद्ध होनी चाहिए।

5. क्या सरसों और कोयला नया होना चाहिए?
हाँ, पुराने या प्रयोग किए वस्त्र/सामग्री का उपयोग न करें।

6. यदि नकारात्मक ऊर्जा बढ़ जाए तो क्या करें?
जप से पूर्व व बाद में हनुमान चालीसा का पाठ करें।

7. साधना के कितने दिन बाद परिणाम दिखते हैं?
११ दिनों में परिणाम दिखना प्रारंभ हो जाते हैं।


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श्रीकृष्ण का दिव्य आकर्षण प्रयोग – नदी की मिट्टी व चंदन द्वारा

प्राचीन ग्रंथों और तांत्रिक रहस्यों में वर्णन है कि भगवान श्रीकृष्ण केवल प्रेम और भक्ति से ही नहीं, विशेष आकर्षण प्रयोगों से भी शीघ्र प्रसन्न होते हैं। यदि जीवन में प्रेम, आकर्षण, विवाह, सौंदर्य या किसी विशेष व्यक्ति का ध्यान खींचना हो – तो यह प्रयोग अत्यंत प्रभावशाली सिद्ध होता है।

इस प्रयोग में प्रयोग की जाने वाली नदी की मिट्टी शुद्धता, चुम्बकीय ऊर्जा और सौंदर्य का प्रतीक मानी जाती है, जबकि चंदन का संपर्क श्रीकृष्ण को अत्यंत प्रिय है। इन दोनों तत्वों के साथ विशेष बीज मंत्र का उच्चारण – एक चमत्कारी परिवर्तन ला सकता है।


मंत्र व उसका अर्थ

मंत्र: ॐ क्लीं कृष्णाय क्लीं वषट् ।

अर्थ:

  • “ॐ” – ब्रह्मांडीय ऊर्जा का मूल स्रोत।
  • “क्लीं” – कामबीज, जो प्रेम, आकर्षण और आनंद का प्रतीक है।
  • “कृष्णाय” – श्रीकृष्ण को समर्पित।
  • “वषट्” – बलिदान व पूर्ण समर्पण का संकेत, जिससे कार्य सिद्ध होता है।

यह मंत्र भौतिक और आध्यात्मिक दोनों स्तरों पर व्यक्ति को आकर्षण और प्रेम का अनुभव कराता है।


इस प्रयोग के विशेष लाभ

  1. मनचाही स्त्री या पुरुष का ध्यान खींचना।
  2. प्रेम संबंधों में मजबूती लाना।
  3. विवाह में आ रही रुकावटें दूर करना।
  4. जीवनसाथी के साथ सामंजस्य बढ़ाना।
  5. सौंदर्य और आकर्षण में वृद्धि।
  6. सामाजिक प्रभाव बढ़ाना।
  7. नौकरी व व्यापार में ग्राहकों को आकर्षित करना।
  8. पारिवारिक प्रेम संबंधों को सुधारना।
  9. बच्चों में संस्कार व प्रेम बढ़ाना।
  10. मानसिक शांति व आत्म-संतुलन प्राप्त करना।
  11. आत्मबल व आत्मविश्वास में वृद्धि।
  12. आध्यात्मिक उन्नति में सहायता।
  13. ध्यान व भक्ति में गहराई लाना।
  14. विशेष तांत्रिक प्रयोगों में सफलता।
  15. शत्रुओं के प्रभाव को शिथिल करना।

शुभ मुहूर्त

इस प्रयोग के लिए सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त:
🌙 रविवार, गुरुवार या शुक्रवार
🌑 कृष्ण पक्ष की अष्टमी, एकादशी या पूर्णिमा तिथि
🕖 प्रातः 6 से 9 या रात्रि 9 से 12 बजे तक


प्रयोग विधि – 25 मिनट व 11 दिन की साधना

आवश्यक सामग्री:

  • नदी की शुद्ध मिट्टी
  • शुद्ध चंदन (चूर्ण या लेप)
  • श्रीकृष्ण की प्रतिमा या चित्र
  • पुष्प, धूप, दीप, शुद्ध जल
  • आसन व जाप माला

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विधि (25 मिनट का प्रयोग)

  1. प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके आसन पर बैठें।
  3. श्रीकृष्ण की प्रतिमा के समक्ष नदी की मिट्टी व चंदन मिलाकर एक छोटी सी आकर्षण यंत्र बनाएं।
  4. इस यंत्र को दीपक व पुष्प अर्पित करें।
  5. इसके सामने बैठकर “ॐ क्लीं कृष्णाय क्लीं वषट्” मंत्र का 108 बार जाप करें।
  6. अंत में मनोकामना बोलकर हाथ जोड़ें।

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विधि (11 दिन की साधना)

  • उपरोक्त प्रक्रिया को 11 दिनों तक नियमित करें।
  • प्रतिदिन 15-25 मिनट का जाप अनिवार्य है।
  • यदि संभव हो तो कृष्णाष्टमी या पूर्णिमा को दीपदान करें।
  • साधना पूर्ण होने पर मिट्टी को तुलसी के पौधे में विसर्जित करें।

सामान्य प्रश्न (FAQ)

1. क्या यह प्रयोग केवल प्रेम संबंधों के लिए है?
नहीं, यह आकर्षण प्रयोग सामाजिक, पारिवारिक, व्यावसायिक हर क्षेत्र में प्रभावशाली है।

2. क्या महिलाएं भी यह कर सकती हैं?
हाँ, यह प्रयोग स्त्री-पुरुष दोनों के लिए समान रूप से फलदायी है।

3. क्या किसी विशेष नदी की मिट्टी आवश्यक है?
गंगा, यमुना, गोदावरी या किसी भी पवित्र नदी की मिट्टी श्रेष्ठ मानी जाती है।

4. क्या यह प्रयोग किसी अन्य देवी-देवता की पूजा से विरोध करता है?
नहीं, यह विशुद्ध श्रीकृष्ण के प्रेम व आकर्षण का प्रयोग है। अन्य पूजा में बाधा नहीं।

5. क्या मंत्र जाप aloud करना चाहिए या मन में?
धीरे-धीरे उच्चारण करें, मन में भी प्रभावी होता है, पर स्वर निकलने से ऊर्जा सशक्त होती है।

6. यदि एक दिन छुट जाए तो क्या प्रयोग निष्फल हो जाएगा?
नहीं, अगले दिन उसका पूरक कर लें। श्रद्धा बनी रहनी चाहिए।

7. क्या इस प्रयोग के बाद कुछ विशेष नियम पालन करने चाहिए?
हाँ, सात्त्विकता, संयम और भक्ति को बनाये रखें। मांस, शराब से दूर रहें।

Red chirmee beads


आकर्षण शक्ति का जागरण: श्रीकृष्ण मंत्र साधना

यह प्रयोग न केवल भौतिक आकर्षण, बल्कि आत्मिक स्तर पर भी प्रेम का अद्भुत जागरण करता है। “ॐ क्लीं कृष्णाय क्लीं वषट्” मंत्र में छिपी ऊर्जा हमें प्रभु की अनुकंपा के निकट लाती है। नदी की मिट्टी की शुद्धता और चंदन की दिव्यता इस साधना को महाशक्ति प्रदान करती है।


Unveiling the Power of Durga Ashtottar Shatnamavali

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दुर्गा अष्टोत्तर शतनामावली की महिमा और रहस्य

Durga Ashtottar Shatnamavali में माँ दुर्गा के 108 शक्तिशाली नामों का संग्रह है। ये नाम देवी के विभिन्न रूपों, शक्तियों, गुणों और लीलाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। जब कोई साधक श्रद्धा और नियमपूर्वक इन नामों का जाप करता है, तो वह माँ दुर्गा की दिव्य ऊर्जा से जुड़ता है और जीवन में चमत्कारी परिवर्तन महसूस करता है।


इन 108 नामों का अर्थ क्या है?

इन नामों में “शक्तियों की सजीव व्याख्या” है। कुछ उदाहरण:

  1. दुर्गा – संकटों से मुक्ति देने वाली
  2. जयदायिनी – विजय प्रदान करने वाली
  3. भूतनाशिनी – नकारात्मक शक्तियों का नाश करने वाली
  4. महाकाली – समय और मृत्यु से परे
  5. जगदम्बा – समस्त सृष्टि की माता

हर नाम एक विशेष ऊर्जा केंद्र (energy code) की तरह कार्य करता है, जो शरीर, मन और आत्मा को दिव्यता से जोड़ता है।

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दुर्गा अष्टोत्तर के गूढ़ रहस्य

  1. 108 का रहस्य
    108 अंक ब्रह्मांडीय गणना और आध्यात्मिक चेतना का प्रतिनिधित्व करता है। हिन्दू धर्म में 108 माला के मोती, 108 उपनिषद, 108 तीर्थ, सभी इस रहस्य से जुड़े हैं।
  2. नामों की ऊर्जा
    प्रत्येक नाम विशिष्ट ‘बीज मंत्र’ की तरह कार्य करता है, जो साधक के जीवन में विशेष परिवर्तन ला सकता है।
  3. नवदुर्गा समावेश
    इन नामों में माँ के सभी नौ रूप – शैलपुत्री से सिद्धिदात्री तक – सम्मिलित हैं। इसलिए यह संपूर्ण शक्ति की साधना है।
  4. तंत्र और मंत्र सिद्धि
    तांत्रिक परंपरा में भी इन नामों का प्रयोग विशेष यज्ञ, कवच निर्माण, और देवी अनुष्ठानों में किया जाता है।

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दुर्गा अष्टोत्तर जाप के लाभ

लाभविवरण
मानसिक शांतितनाव, भय और चिंता से मुक्ति
रोग नाशऊर्जा केंद्रों को सक्रिय करके शारीरिक रोगों में सुधार
आत्मबल वृद्धिआत्मविश्वास और साहस में वृद्धि
आर्थिक समृद्धिलक्ष्मी तत्व के जागरण से धनवृद्धि
शत्रुनाशछिपे हुए शत्रु व विरोधियों से रक्षा
ग्रह दोष शमनविशेषकर राहु-केतु व चंद्र दोष में अत्यंत लाभकारी
सिद्धि प्राप्तियोग-साधना या किसी अनुष्ठान में पूर्णता

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जाप की विधि (Daily Practice Method)

  1. समय – सूर्योदय या सूर्यास्त के समय, नवरात्रि में अत्यंत फलदायी।
  2. स्थान – स्वच्छ और शांत स्थान, जहाँ माँ दुर्गा की मूर्ति/चित्र हो।
  3. माला – रुद्राक्ष, चन्दन या स्फटिक की माला से जाप करें।
  4. संकल्प – अपनी इच्छा/संकल्प बोलकर जाप आरंभ करें।
  5. 108 नामों का पाठ – श्रद्धा से प्रतिदिन या विशेष दिनों में करें।

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दुर्गा अष्टोत्तर पाठ का सरल मंत्र प्रारूप

आप सिर्फ नाम का भी जप कर सकते है या नाम के पहले ॐ लगाये व अंत मे नमः लगाकर जप कर सकते है. उदाहरण स्वरूप…

  • ॐ दुर्गा देवी नमः
  • ॐ जयदायिनी नमः
  • ॐ भूतनाशिनी नमः

इस तरह नामों का संपूर्ण पाठ या जप कर सकते हैं


विशेष मुहूर्त

अवसरफल
नवरात्रिसभी इच्छाओं की पूर्ति व चमत्कारिक सिद्धियाँ
मंगलवार/शुक्रवारशीघ्र फलदायी, विशेषकर संकट निवारण में
पूर्णिमा/अमावस्यातांत्रिक कार्यों में अत्यंत प्रभावशाली

ध्यान रखें

  • जाप से पूर्व शुद्ध आहार लें और संयम रखें।
  • पाठ करते समय माँ की मूर्ति को लाल पुष्प, अक्षत, और दीपक से अर्पित करें।
  • जाप के बाद देवी से अपने भावों में प्रार्थना करें।

अंत मे

दुर्गा अष्टोत्तर शतनामावली केवल नामों का संग्रह नहीं, बल्कि यह एक आध्यात्मिक विज्ञान है – जो साधक को आत्मिक रूप से सशक्त, मानसिक रूप से स्थिर, और सांसारिक रूप से समृद्ध बनाता है। यह एक ऐसी साधना है जो माँ की कृपा से हर असंभव को संभव बना सकती है।


Attract True Love Using 11 Red Chirmee Seeds Mantra

Attract True Love Using 11 Red Chirmee Seeds Mantra

11 लाल चिरमी दाने से करें बस 1 उपाय, सच्चा प्यार आपका हो जाएगा

Attract True Love – कभी आपने किसी को दिल से चाहा हो, लेकिन वो आपका न हो सका? क्या आपका सच्चा प्यार आपसे दूर चला गया है? अगर हां, तो लाल चिरमी दानों से किया गया यह प्राचीन उपाय आपके लिए है। यह सिर्फ तांत्रिक क्रिया नहीं, बल्कि सच्चे भावों का ऊर्जा संचार है।

“ॐ ऐं श्रीं गंधर्वाय क्लीं नमः” मंत्र से गंधर्व शक्तियां जागृत होती हैं। ये शक्तियां प्रेम और आकर्षण की देवी मानी जाती हैं।
जब इन्हें श्रद्धा से पुकारा जाता है, तो प्रेम के द्वार खुलते हैं।

11 लाल चिरमी दानों की शक्ति, आपके भावों को ब्रह्मांड तक पहुंचाती है। यह उपाय सरल है, लेकिन प्रभावशाली है।
हर शब्द, हर मंत्र आपकी आत्मा से जुड़ता है। अगर आपका प्यार अधूरा है, तो यह प्रयोग आपको संपूर्ण बना सकता है।


लाभों की झड़ी | इस उपाय के अद्भुत फायदे

  • जिसे आपने खोया है, वो खुद चलकर वापस आएगा।
  • जिसे आप चाहते हैं, वो आपको दिल से चाहेगा।
  • दांपत्य जीवन में रोमांस और समझदारी आएगी।
  • प्रेम में अस्थिरता नहीं रहती, दिल को सुकून मिलता है।
  • आपके चेहरे और व्यक्तित्व में चुंबकीय ताकत आती है।
  • जिसे आप चाहते हैं, वो आपकी भावना को समझेगा।
  • टूटते रिश्तों को नई डोर मिलती है।
  • जिससे प्रेम प्रस्ताव करना चाहते हैं, वो हां कहेगा।
  • आप बिना झिझक अपने भाव प्रकट कर पाते हैं।
  • गंधर्व शक्ति आपके जीवन में बरकत लाती है।
  • झूठ और धोखा रिश्तों से दूर हो जाते हैं।
  • जीवनसाथी मिलते ही आत्मा पूर्णता का अनुभव करती है।
  • लोग आपको देख कर खिंचे चले आते हैं।
  • यह सिर्फ भौतिक नहीं, आध्यात्मिक प्रेम है।
  • शुभ विवाह के योग और प्रस्ताव जल्दी बनते हैं।

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शुभ मुहूर्त | सही समय का रहस्य (Shubh Muhurat)

प्रेम के लिए सर्वोत्तम दिन

शुक्रवार, सोमवार और पूर्णिमा की रात को यह उपाय करें।

समय कब करें?

रात 9 बजे के बाद, जब चंद्रमा स्पष्ट दिखे।

नक्षत्र योग

रोहिणी, मृगशिरा या पुष्य नक्षत्र में यह उपाय श्रेष्ठ होता है।

ग्रह स्थिति

जब शुक्र या चंद्रमा पंचम या सप्तम भाव में हो, उस दिन यह उपाय करें।

विशेष तिथि

वैलेंटाइन डे, करवा चौथ या होली की रात विशेष मानी जाती है।

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संपूर्ण विधि | लाल चिरमी प्रयोग की रहस्यमयी प्रक्रिया (Vidhi)

सामग्री

  • 11 लाल चिरमी दाने
  • गुलाब की पंखुड़ियां
  • गुलाबी कपड़ा
  • इत्र या गुलाबजल
  • प्रेमी का नाम या तस्वीर (अगर संभव हो)
  • दीपक और कपूर

विधि

  1. रात को स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  2. पूजा स्थान पर गुलाबी कपड़ा बिछाएं।
  3. उस पर चिरमी के 11 दाने रखें।
  4. प्रेमी/प्रेमिका की तस्वीर या नाम वहां रखें।
  5. दीपक जलाएं, कपूर जलाकर शुद्धि करें।
  6. अब ५४० बार मंत्र का जाप करें: “ॐ ऐं श्रीं गंधर्वाय क्लीं नमः”
  7. हर बार जाप के साथ एक दाने को हाथ में लें और प्रेम भावना प्रकट करें।
  8. जाप के बाद सारे दाने कपड़े में बांध दें।
  9. इस पोटली को अपने तकिए के नीचे रखें।
  10. अगले 11 दिन तक रोज इसी तरह मंत्र जाप करें।

विशेष ध्यान रखें

  • यह प्रयोग गुप्त रखें।
  • किसी पर ज़बरदस्ती ना करें।
  • श्रद्धा और सच्चे प्रेम के साथ करें।

Red chirmee beads


अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

क्या यह उपाय लड़के और लड़की दोनों कर सकते हैं?

हां, यह उपाय हर प्रेमी कर सकता है, बशर्ते भावना सच्ची हो।

क्या चिरमी के दाने बाजार में आसानी से मिलते हैं?

हां, ये किसी भी पूजा सामग्री की दुकान पर मिल जाते हैं।

मंत्र जाप कितनी बार करें?

प्रतिदिन कम से कम 108 बार मंत्र जाप ज़रूरी है।

क्या यह उपाय वशीकरण है?

नहीं, यह प्रेम जागरण है, भावना की ऊर्जा को सक्रिय करता है।

11 दिनों में परिणाम दिखता है?

हां, श्रद्धा और विधि से करने पर 7-11 दिनों के बाद से असर दिखने लगता है।

क्या यह उपाय शादीशुदा लोगों के लिए भी है?

हां, यह पति-पत्नी के प्रेम को गहरा करता है।

क्या कोई दुष्प्रभाव हो सकता है?

नहीं, अगर सच्चे प्रेम और आशीर्वाद से किया जाए तो कोई हानि नहीं होती।


अगर आप चाहते हैं कि सच्चा प्यार आपकी जिंदगी में लौटे या नया प्रेम जीवन में प्रवेश करे, तो लाल चिरमी का यह प्राचीन उपाय आपकी आत्मा से बात करेगा। श्रद्धा और मंत्र की शक्ति से, ब्रह्मांड खुद आपके प्रेम का संदेश आगे बढ़ाता है।

एक बार प्रयास करके देखिए… प्रेम चमत्कार बनकर लौटेगा। ❤️


Powerful mantras for healing & wellbeing

Powerful mantras for healing & wellbeing

शक्तिशाली हीलिंग और कल्याण मंत्र (Powerful Mantras for Healing and Wellbeing)

मंत्र विज्ञान भारतीय आध्यात्मिक परंपरा का एक अद्भुत एवं प्रभावशाली अंग है। मंत्रों में केवल शब्द नहीं, बल्कि दिव्य ऊर्जा और चेतना समाहित होती है, जो मन, शरीर और आत्मा को संतुलित करने की क्षमता रखती है। ये मंत्र सदियों से ऋषियों, योगियों और साधकों द्वारा प्रयोग किए जाते रहे हैं ताकि शारीरिक रोगों, मानसिक अशांति और आध्यात्मिक बाधाओं से मुक्ति पाई जा सके।

ॐ मंत्र (Om Mantra)

मंत्र: ॐ
अर्थ: ब्रह्मांड की मूल ध्वनि, समस्त सृष्टि का सार
लाभ:

  • मन को शांत करता है
  • तनाव और चिंता को कम करता है
  • शरीर के सभी चक्रों को संतुलित करता है
  • आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ाता है

उपयोग विधि: आरामदायक स्थिति में बैठकर गहरी सांस लें और “ॐ” का उच्चारण करें। इसे 5-10 मिनट तक दोहराएं।

गायत्री मंत्र

मंत्र:
ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्य धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्

अर्थ: हम उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा का ध्यान करते हैं, वह हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे।

लाभ:

  • मानसिक शक्ति बढ़ाता है
  • आंतरिक शुद्धि करता है
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है
  • नकारात्मक ऊर्जा से बचाता है

उपयोग विधि: प्रातःकाल सूर्योदय के समय 108 बार जप करें।

महामृत्युंजय मंत्र

मंत्र:
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्

अर्थ: हम तीन नेत्रों वाले शिव (त्र्यम्बक) की पूजा करते हैं, जो सुगंधित हैं और सभी का पोषण करते हैं। जैसे ककड़ी को लता से मुक्त किया जाता है, वैसे ही हमें मृत्यु से मुक्त करो (किंतु अमरता से नहीं)।

लाभ:

  • दीर्घायु प्रदान करता है
  • गंभीर रोगों से मुक्ति दिलाता है
  • भय और चिंता को दूर करता है
  • आकस्मिक दुर्घटनाओं से बचाव

उपयोग विधि: रुद्राक्ष की माला से 108 बार जप करें, विशेषकर रोगी के सिरहाने बैठकर।

हनुमान चालीसा का मंत्र

मंत्र:
“संकट ते हनुमान छुड़ावै”
(हनुमान चालीसा से)

लाभ:

  • मानसिक बल प्रदान करता है
  • भय और चिंता दूर करता है
  • शारीरिक शक्ति बढ़ाता है
  • संकटों से मुक्ति दिलाता है

उपयोग विधि: प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करें या इस मंत्र को 108 बार जपें।

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शांति मंत्र (Peace Mantra)

मंत्र:
ॐ द्यौः शान्तिरन्तरिक्षं शान्तिः
पृथिवी शान्तिरापः शान्तिरोषधयः शान्तिः ।
वनस्पतयः शान्तिर्विश्वेदेवाः शान्तिर्ब्रह्म शान्तिः
सर्वं शान्तिः शान्तिरेव शान्तिः सा मा शान्तिरेधि ॥
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥

अर्थ: आकाश में शांति हो, अंतरिक्ष में शांति हो, पृथ्वी पर शांति हो, जल में शांति हो, औषधियों में शांति हो, वनस्पतियों में शांति हो, विश्व के देवताओं में शांति हो, ब्रह्म में शांति हो, सर्वत्र शांति हो, केवल शांति ही शांति हो, वह शांति हमें प्राप्त हो।

लाभ:

  • वातावरण को शुद्ध करता है
  • मन की अशांति दूर करता है
  • पारिवारिक कलह शांत करता है
  • समग्र शांति और सद्भाव बढ़ाता है

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चिकित्सा मंत्र (Healing Mantra)

मंत्र:
ॐ अपनासन्नो मरुतो अपानासन्नः पिता अप न आयुर्वसुना रीरिषो अप नः शंसो अयक्ष्मं वधीत्: ॐ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥

अर्थ: हे वायुदेव, हमारे प्राणों की रक्षा करो। हे पितृदेव, हमारे अपान की रक्षा करो। हमारी आयु को हानि न पहुंचे। हमारे शरीर को रोग नष्ट न करे। इन्द्र, पूषा, गरुड़ और बृहस्पति हमारे लिए कल्याण करें।

लाभ:

  • शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है
  • ऊर्जा स्तर को बढ़ाता है
  • चिकित्सा प्रक्रिया को सहायता

Black chirmee sadhana

मंत्र साधना के सामान्य नियम

  1. शुद्धता: मंत्र जप से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. आसन: कुशा, ऊनी या रेशमी आसन पर बैठें।
  3. समय: ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4-6 बजे) या सूर्यास्त का समय उत्तम।
  4. माला: रुद्राक्ष या तुलसी की माला का प्रयोग करें।
  5. संख्या: 108 बार जप करना श्रेष्ठ माना गया है।
  6. नियमितता: प्रतिदिन एक निश्चित समय पर अभ्यास करें।

ये मंत्र सदियों से भारतीय ऋषि-मुनियों द्वारा प्रयोग किए जाते रहे हैं। इनका नियमित जप शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है।

Ancient secret of navgrah mantras

Ancient secret of navgrah mantras

Navgrah Mantra – Unlock The Cosmic Code Hidden by Ancient Sages!

नवग्रह (सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु) हमारे जीवन पर अत्यधिक प्रभाव डालते हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, हर ग्रह हमारे कर्म, मनोवृति, स्वास्थ्य, संबंध, समृद्धि, और आध्यात्मिक विकास को प्रभावित करता है। इन नवग्रहों को शांत करने, अनुकूल बनाने तथा उनसे कृपा प्राप्त करने के लिए वैदिक ऋषियों ने विशेष बीज मंत्रों की खोज की, जिनमें दिव्य कंपन (divine vibrations) छिपे हुए हैं।


नवग्रह मंत्र (The Mystical Secret of Navgrah Mantras)

1. बीज मंत्रों में छिपी शक्ति

हर ग्रह का एक विशिष्ट बीज मंत्र होता है, जैसे “ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः”। इन मंत्रों में बीजाक्षर (जैसे ह्रां, क्लीं, शं) होते हैं, जो सृष्टि की सूक्ष्म ऊर्जा को जगाते हैं। ये बीजाक्षर किसी चाबी की तरह कार्य करते हैं, जो ब्रह्मांडीय ऊर्जा को खोले बिना नहीं खुलते।

2. ध्वनि की स्पंदनात्मक शक्ति (Vibrational Power of Sound)

जब कोई साधक शुद्ध उच्चारण और श्रद्धा से नवग्रह मंत्रों का जप करता है, तो उसके चारों ओर एक ऊर्जा-क्षेत्र (Aura) बनता है। यह ऊर्जा-क्षेत्र ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव को रोकता है और सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है।

3. मंत्र, ग्रह और शरीर का संबंध

हर ग्रह शरीर के किसी न किसी भाग से जुड़ा होता है:

  • सूर्य – हृदय और आत्मा
  • चंद्र – मन और मनोवृति
  • मंगल – रक्त और ऊर्जा
  • बुध – तंत्रिका तंत्र और बुद्धि
  • गुरु – जिगर और ज्ञान
  • शुक्र – प्रजनन शक्ति और सुख
  • शनि – हड्डियाँ और कर्म
  • राहु – भ्रम और आकस्मिक परिवर्तन
  • केतु – मोक्ष और रहस्यमय शक्तियाँ

मंत्रों के जप से इन अंगों की ऊर्जा संतुलित होती है।

4. कर्म और ग्रहों का बंधन

नवग्रह हमारे पूर्व जन्मों के कर्मों का फल देने वाले माध्यम हैं। जब हम किसी विशेष ग्रह का मंत्र जपते हैं, तो उस ग्रह से संबंधित कर्मों के बंधन ढीले होने लगते हैं और भाग्य का द्वार खुलता है।


गुप्त साधना विधि (Hidden Sadhana Technique)

  1. सही मुहूर्त का चयन करें (विशेषतः ग्रहवार जैसे सूर्य के लिए रविवार)
  2. ग्रह से संबंधित वस्तु रखें (जैसे शनि के लिए काली उड़द, राहु के लिए नीला वस्त्र)
  3. दीपक जलाकर आसन पर बैठें
  4. ध्यानपूर्वक 108 या 1008 बार मंत्र जप करें
  5. जप के बाद ग्रह की पूजा करें और दान दें

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नवग्रह बीज मंत्र (Navgrah Beej Mantras)

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ग्रहमंत्र
सूर्यॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः
चंद्रॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्राय नमः
मंगलॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः
बुधॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः
गुरुॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः
शुक्रॐ श्रां श्रीं श्रौं सः शुक्राय नमः
शनिॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः
राहुॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः
केतुॐ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः

गुप्त लाभ (Hidden Benefits)

  1. शत्रुओं से रक्षा
  2. रोगों में राहत
  3. मन की शांति और स्थिरता
  4. धन और व्यवसाय में वृद्धि
  5. रिश्तों में मधुरता
  6. ग्रह दशा और साढ़े साती का निवारण
  7. आध्यात्मिक उन्नति और मोक्ष का द्वार

Black chirmee sadhana


FAQs: अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

Q1: क्या नवग्रह मंत्र सभी को जपने चाहिए?
हाँ, लेकिन किसी अनुभवी ज्योतिषाचार्य से सलाह लेकर ग्रहों के अनुसार जप करना श्रेष्ठ होता है।

Q2: मंत्र का जप कब करें?
सूर्य उदय से पहले या सूर्यास्त के बाद शांत वातावरण में करें।

Q3: क्या मंत्र जप में नियम तोड़ने से दोष लगता है?
नियम भंग होने से प्रभाव में कमी आती है, पर यदि मन शुद्ध हो तो क्षमा हो जाती है।

Q4: क्या मंत्र बिना दीक्षा के जप सकते हैं?
बीज मंत्रों को दीक्षा से जपने पर ज्यादा प्रभावशाली होते हैं, परंतु श्रद्धा से जपने पर भी फल देते हैं।

Q5: क्या एक साथ सभी मंत्र जप सकते हैं?
विशिष्ट समस्याओं के लिए संबंधित ग्रह का मंत्र ही करें। सबका एक साथ जप भी किया जा सकता है, पर नियमपूर्वक।


Aarti for Inner Peace and Prosperity

Aarti for Inner Peace and Prosperity

आरती आत्मशांति की – अंतरमन की समृद्धि का दिव्य मार्ग

यह आरती उन साधकों के लिए है जो अपने जीवन में आत्मिक शांति, मानसिक संतुलन और भौतिक/आध्यात्मिक समृद्धि प्राप्त करना चाहते हैं। यह आरती ब्रह्मांडीय ऊर्जा को आह्वान करती है और साधक के अंतर्मन से अशांति, तनाव, भय और दरिद्रता को दूर करने में सहायक होती है।


आरती का प्रारंभ कैसे करे? – ध्यान और शुद्धिकरण मंत्र

🔸 ध्यान मंत्र:
“ॐ शांतिः शांतिः शांतिः। आत्मदीपो भव।”
(हे आत्मा! तू ही दीपक बन जा — स्वयं में प्रकाश फैला।)

🔸 शुद्धिकरण मंत्र:
“ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा।
यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यंतरः शुचिः॥”


आत्मशांति और समृद्धि की आरती

आरती ओमकार की, संतोष स्वरूपा मां की।
शांति जो दे अंतरमन को, महाशक्ति वह धाम की॥

🔅
आरती शांति स्वरूपिणी की, मन मंदिर की देवी।
जहाँ बसे वहाँ भक्ति जगे, न कोई दुःख न हेभी॥
बुद्धि-विवेक प्रदान करे, मोह-माया को हरती।
निर्मल बुद्धि, स्वच्छ विचार, आत्मा को सुधरती॥
आरती ओमकार की…

🔅
दुःख-चिंता का नाश करे, सुख-शांति का वर दे।
नव ऊर्जा से भर दे तन, जीवन को सुंदर कर दे॥
सिद्धि-संपत्ति की दात्री, आत्मिक योग की माई।
जहाँ जपे तेरा नाम सदा, वहाँ घटे न कमाई॥
आरती ओमकार की..

🔅
अंधकार जो भीतर बैठा, तू है दीपक उसकी।
स्वार्थ-वासना से मुक्त करे, पावन गाथा तेरी रस की॥
तृष्णा को तू रोक सके, क्रोध-विकार मिटाए।
सहनशीलता का दान दे, दृढ़ साधना सिखाए॥
आरती ओमकार की

🔅
श्वास-श्वास में बसे तू ही, जब जप हो तेरा नाम।
प्रभु, तू बन जा मेरे भीतर, सदा दिव्य इक धाम॥
ध्यान धरें जो चरणों में, उनका कल्याण होवे।
मन-वचन-कर्म से आराधना, वो भी जीवन पावे॥
आरती ओमकार की..

🔅
तेरा रूप न देखा कोई, फिर भी तू हर जगह।
तू ही शक्ति, तू ही लक्ष्मी, तू ही आत्मा सदा॥
जड़-जंगम में व्याप्त है, हर अणु में तेरा रूप।
तेरी शरण में जो आए, मिटे जीवन का संपूर्ण क्लेश॥
आरती ओमकार की

🔅
प्रेम-करुणा बरसा दे तू, बैर-द्वेष को हरले।
साधक को तू निर्विकार कर, आत्मा से जोड़ ले॥
तेरे ध्यान में जो रम जाए, उसे कभी न डर हो।
संघर्षों में भी मुस्काए, जीवन में प्रगति भर हो॥
आरती ओमकार की


गहरे रहस्य और भावार्थ

श्लोकभावार्थ
आरती शांति स्वरूपिणी कीपरमशक्ति को शांतिदायिनी के रूप में स्वीकार करना – जो हमारे भीतर संतुलन लाती है।
बुद्धि-विवेक प्रदान करेकेवल भक्ति नहीं, विवेक और स्पष्टता भी दे ताकि हम जीवन निर्णय समझदारी से ले सकें।
नव ऊर्जा से भर दे तनयह ऊर्जा सिर्फ शारीरिक नहीं, मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक भी होती है।
तृष्णा को तू रोक सकेभौतिक इच्छाओं की सीमाएं तय करना और आत्मिक संतुलन बनाना।
श्वास-श्वास में बसे तू हीसाधना का उच्चतम स्तर – जहाँ सांसों में भी उस परमशक्ति का स्मरण बना रहे।
प्रेम-करुणा बरसा दे तूबिना प्रेम और करुणा के आत्मा शांत नहीं हो सकती, इसलिए यह दो प्रमुख साधन हैं।

आरती का प्रयोग कैसे करें – विधि

दैनिक प्रयोग विधि:

  1. प्रातः या रात्रि में स्नान के बाद शांत स्थान पर बैठे।
  2. दीपक, धूप, जल पात्र, ताजे पुष्प, और मौन मन लेकर शुरू करें।
  3. आरती से पहले ध्यान मंत्र और शुद्धिकरण मंत्र का जाप करें।
  4. “आत्मिक शांति और समृद्धि की आरती” को शुद्ध स्वर में गाएं या सुनें। (य़ड रखे इस आरती की जगह पर कोई भी देवी – देवता की आरती गा सकते है)
  5. अंत में 5 मिनट मौन रहकर केवल “ॐ शांतिः” का जाप करें।

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आरती का विशेष प्रयोग

पूर्णिमा, अमावस्या, एकादशी, और गुरुवार को यह आरती विशेष फलदायक होती है।

यह आरती किसी भी देवी या ईश्वर की पूजा के अंत में भी जोड़ सकते हैं।

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आरती से मिलने वाले दिव्य लाभ

  1. मानसिक तनाव और चिंता में तत्काल राहत।
  2. आत्मिक जागरण और चित्त की शुद्धि।
  3. जीवन में स्थिरता और संतुलन की अनुभूति।
  4. दुर्भाग्य और दरिद्रता का अंत।
  5. आर्थिक क्षेत्र में सहज सफलता।
  6. परिवार में प्रेम और एकता का संचार।
  7. आत्मविश्वास में वृद्धि।
  8. नकारात्मक ऊर्जा का नाश।
  9. साधना में गहराई और ध्यान की सिद्धि।
  10. निर्णय लेने की शक्ति में सुधार।
  11. आध्यात्मिक उन्नति और आत्मबोध।
  12. चक्रों की संतुलन और कुंडलिनी जागरण में सहायता।
  13. रात्रि में शांत नींद और स्वप्न दोष का अंत।
  14. क्रोध, द्वेष, ईर्ष्या जैसे दोषों से मुक्ति।
  15. गुरु कृपा और दिव्य मार्गदर्शन की प्राप्ति।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्र. यह आरती किसे करनी चाहिए?
उत्तर: कोई भी व्यक्ति जो मानसिक शांति, आत्मिक प्रगति और समृद्धि चाहता है, वह कर सकता है।

प्र. क्या इसे किसी विशेष देवता की आरती से जोड़ सकते हैं?
उत्तर: हाँ, यह आरती सार्वभौमिक है – किसी भी देवी-देवता की पूजा के बाद इसका पाठ कर सकते हैं।

प्र. क्या इसे घर में रोज़ गा सकते हैं?
उत्तर: बिल्कुल, प्रतिदिन या विशेष दिनों में इसका नियमित गान अत्यंत शुभ होता है।

प्र. इसका प्रभाव कब दिखता है?
उत्तर: नियमित साधना करने पर 11 दिन में मानसिक परिवर्तन, 21 दिन में ऊर्जा स्तर में वृद्धि और 40 दिन में जीवन में स्थायित्व दिखता है।


Tulsi Soil and Iron – Boost Your Business

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तुलसी की मिट्टी और लोहे के टुकड़े से व्यापार चमकाएं – देवी कमला का रहस्यमय प्रयोग

क्या आपका व्यापार लगातार नुकसान में है? ग्राहक नहीं आते या पैसे रुक जाते हैं? तो अब आपको ज़रूरत है देवी लक्ष्मी के एक गुप्त रूप — माता कमलेश्वरी की साधना की, जिसमें प्रयोग होगा तुलसी की मिट्टी और लोहे के टुकड़े का।

मंत्र व उसका अर्थ

मंत्र: ॐ ऐं श्रीं कमलेश्वरी क्लीं नमः।

अर्थ:

  • – ब्रह्मांडीय शक्ति का आह्वान।
  • ऐं – सरस्वती का बीज मंत्र, बौद्धिक उन्नति और निर्णय क्षमता के लिए।
  • श्रीं – लक्ष्मी बीज मंत्र, ऐश्वर्य, धन और समृद्धि के लिए।
  • कमलेश्वरी – कमला देवी, जो जल में खिलने वाली कमल के समान धनवती हैं।
  • क्लीं – आकर्षण और सफलता का बीज मंत्र।
  • नमः – समर्पण और प्रार्थना।

इस प्रयोग के विशेष लाभ

  1. व्यापार में तेजी से बढ़ोतरी।
  2. रुका हुआ पैसा वापस आता है।
  3. दुकान में ग्राहकों की भीड़ लगती है।
  4. आर्थिक तंगी दूर होती है।
  5. कर्ज से मुक्ति मिलती है।
  6. बुरे ग्रहों का प्रभाव खत्म होता है।
  7. प्रतिद्वंद्वी व्यापारियों की नकारात्मक ऊर्जा हटती है।
  8. व्यापारिक निर्णयों में स्पष्टता आती है।
  9. आकर्षण और विश्वास का विकास होता है।
  10. लक्ष्मी जी की कृपा स्थायी बनती है।
  11. कर्मचारी और साझेदार सहयोगी बनते हैं।
  12. दुकानों में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
  13. बुरे नजर दोष से रक्षा होती है।
  14. व्यापारी को आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता मिलती है।
  15. नई ब्रांच खोलने के योग बनते हैं।

शुभ मुहूर्त

  • गुरुवार, पूर्णिमा, या शुक्ल पक्ष की अष्टमी विशेष फलदायक माने जाते हैं।
  • प्रातः 6 से 7 या सायं 5 से 6 का समय उत्तम है।

25 मिनट की साधना विधि

  1. एक लोहे की कटोरी लें।
  2. उसमें तुलसी की मिट्टी रखें।
  3. एक लोहे का छोटा टुकड़ा (जंग रहित) उसमें दबाएं।
  4. सामने देवी लक्ष्मी या कमलेश्वरी की प्रतिमा रखें।
  5. एक दीपक जलाएं – घी का या तिल के तेल का।
  6. अपने व्यापार से संबंधित दस्तावेज़ पास में रखें।
  7. मंत्र का जाप २० – २५ करें – ॐ ऐं श्रीं कमलेश्वरी क्लीं नमः।
  8. व्यापार की उन्नति की प्रार्थना करें।
  9. यह साधना 25 मिनट में पूर्ण करें।
  10. मिट्टी को दुकान/ऑफिस के मुख्य दरवाज़े के पास गाड़ दें।

TARA MAHAVIDYA SADHANA SHIVIR


11 दिन की साधना विधि

  • प्रतिदिन उपरोक्त विधि को दोहराएं।
  • 11 दिन तक लगातार एक ही स्थान और समय पर करें।
  • 11वें दिन एक छोटी सी मिठाई देवी को अर्पित करें।
  • सिद्ध मिट्टी को दुकान के चारों कोनों में थोड़ा-थोड़ा रखें।
  • लोहे का टुकड़ा किसी तिजोरी या कैश बॉक्स में रख दें।

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विशेष टिप्स

  • जाप के समय लाल या पीले वस्त्र पहनें।
  • मन में केवल व्यापार की उन्नति का भाव रखें।
  • किसी को साधना की जानकारी न दें।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. क्या इस प्रयोग को महिलाएं भी कर सकती हैं?

हाँ, माता कमला की साधना सभी के लिए समान रूप से प्रभावशाली है।

2. तुलसी की मिट्टी कहां से लें?

शुद्ध तुलसी के पौधे की जड़ के पास से थोड़ी मिट्टी लें।

3. लोहे का टुकड़ा कैसा हो?

जंग रहित, छोटा और गोल/चौकोर टुकड़ा उपयुक्त रहेगा।

4. क्या दुकान बंद होने के बाद साधना करनी चाहिए?

हाँ, ताकि कोई व्यवधान न हो।

5. अगर जाप छूट जाए तो क्या करें?

अगले दिन दो बार जाप करें, लेकिन नियमितता सर्वोपरि है।

6. इस मंत्र का प्रभाव कब से दिखने लगता है?

कुछ लोगों को 3-5 दिन में बदलाव दिखता है, कुछ को 11 दिन के भीतर।

7. क्या यह टोटका है?

नहीं, यह एक वैदिक साधना है जो मंत्र, तत्त्व और भावना पर आधारित है।


अंत मे

तुलसी की मिट्टी, लोहे का टुकड़ा और माता कमला का मंत्र – यह त्रिवेणी शक्ति व्यापार में अभूतपूर्व उन्नति दे सकती है। यह न सिर्फ आर्थिक स्तर पर सहायता करता है, बल्कि आत्मविश्वास, निर्णय क्षमता और मानसिक शांति भी प्रदान करता है। यदि आप सच्चे मन से 11 दिन तक यह साधना करते हैं, तो माता लक्ष्मी की विशेष कृपा आपके व्यापार को नई ऊँचाइयों पर पहुँचा सकती है।


Shani Protection Ritual – Get Freedom From Dark Energies

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लोहे के टुकड़े पर करें यह अचूक उपाय | बुरी नज़र और तंत्र बाधा से मिले तुरंत मुक्ति

कई बार जीवन में बिना कारण समस्याएं बढ़ने लगती हैं। स्वास्थ्य, धन और शांति सभी प्रभावित होते हैं। घर में अशांति रहती है और कामों में विघ्न आता है। इसका कारण अक्सर बुरी नज़र या तंत्र बाधा हो सकती है।

जब तंत्र या बुरी शक्तियों का असर होता है, तो सामान्य उपाय काम नहीं करते। ऐसे में एक खास उपाय लोहे के टुकड़े से किया जाता है। यह उपाय सरल है, परंतु अत्यंत प्रभावशाली है। यह उपाय शनिदेव से जुड़ा है और इस कारण इसका प्रभाव गहरा होता है।

ॐ शं शनिश्चराय शं नमः यह मंत्र शनिदेव की कृपा पाने के लिए प्रयोग होता है। इस मंत्र के साथ लोहे का यह उपाय अत्यंत शुभ फल देता है।


चमत्कारी लाभ | लोहे के टुकड़े के उपाय से होने वाले फायदे

  • तंत्र बाधा और ऊपरी हवा का प्रभाव तुरंत समाप्त होता है
  • बुरी नज़र से सुरक्षा मिलती है और मन शांत रहता है
  • परिवार में चल रही कलह शांत हो जाती है
  • व्यापार में आ रही रुकावटें धीरे धीरे समाप्त होती हैं
  • सोते समय डरना और नींद में झटका लगना बंद हो जाता है
  • बच्चों को नज़र से बचाने का अचूक उपाय है
  • अचानक होने वाली हानि और चोट से रक्षा होती है
  • नौकरी में बाधाएं दूर होती हैं और अवसर मिलने लगते हैं
  • घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है
  • ग्रहों के अशुभ प्रभाव शांत होते हैं
  • मन में शांति और आत्मबल का विकास होता है
  • राहू के बुरे प्रभावों से मुक्ति मिलती है
  • जीवन में सफलता के नए मार्ग खुलते हैं
  • शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या का प्रभाव कम होता है
  • साधना और पूजा में रुकावटें दूर होती हैं

शुभ मुहूर्त | उपाय के लिए सही समय कब चुनें

कब करें यह उपाय | श्रेष्ठ दिन और समय

यह उपाय शनिवार के दिन किया जाना सबसे उत्तम माना गया है। शनिवार को शनि ग्रह की ऊर्जा सक्रिय रहती है। यह उपाय रात्रि के समय करें, जब चंद्रमा अस्त होने लगे।

शुभ समय – शनिवार की रात 9 बजे से 11 बजे के बीच करें।
सर्वोत्तम तिथि – अमावस्या या कृष्ण पक्ष की शनिवार रात्रि।

उपाय से पूर्व क्या सावधानियां रखें

  • उपाय करते समय मन शांत रखें और स्नान करके साफ वस्त्र पहनें
  • स्थान एकांत और शांत हो, जहां कोई व्यवधान न हो
  • उपाय से पूर्व दीपक जलाएं और शनि देव का ध्यान करें
  • उपाय में प्रयुक्त वस्तु शुद्ध और बिना खरोंच के हो

लोहे के टुकड़े से तंत्र मुक्ति प्रयोग विधि | सरल उपाय से करें बड़ी समस्या दूर

आवश्यक सामग्री

  • एक लोहे का शुद्ध टुकड़ा या कील
  • काले धागे का टुकड़ा
  • सरसों के काले दाने – सात नग
  • काली मिर्च – सात नग
  • एक नींबू
  • शुद्ध घी का दीपक
  • काली थाली या मिट्टी की प्लेट

Tara sadhana shivir

प्रयोग की विधि | तंत्र बाधा से रक्षा का तरीका

  • शनिवार की रात्रि शुद्ध होकर उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें
  • लोहे के टुकड़े को अपने सामने रखें और दीपक जलाएं
  • मंत्र ॐ शं शनिश्चराय शं नमः का 108 बार जप करें
  • लोहे के टुकड़े के ऊपर काले धागे से सात बार नींबू को लपेटें
  • फिर नींबू को लोहे पर रखकर उसके चारों ओर काली मिर्च और सरसों रखें
  • थाली में यह सब रखकर उसके चारों ओर घी का दीपक रखें
  • अब इस उपाय को 7 बार अपने ऊपर से वारें और “हे शनिदेव, मेरी रक्षा करें” यह भाव रखें
  • यह सामग्री किसी सुनसान चौराहे पर जाकर अगले दिन सूर्यास्त के समय छोड़ दें

विशेष निर्देश

  • इस प्रयोग के दौरान किसी से बात न करें
  • प्रयोग के समय पूर्ण श्रद्धा और विश्वास रखें
  • प्रयोग करते समय मोबाइल और अन्य ध्यान भटकाने वाली चीजों से दूर रहें
  • यह उपाय महीने में एक बार नियमित रूप से करें

Gomati chakra sadhana for wealth


भावनात्मक अपील | शनिदेव से करें करुणा की याचना

जब जीवन में अंधकार बढ़ने लगे, जब हर प्रयास विफल होने लगे, तब यह उपाय एक रोशनी बन सकता है। शनि केवल दंड नहीं देते, वे कर्मों से मुक्ति का मार्ग भी दिखाते हैं। लोहे का यह उपाय सिर्फ एक प्रक्रिया नहीं, यह आपकी आस्था की शक्ति है।

अपने भीतर की नकारात्मकता को बाहर फेंकने का यह एक माध्यम है। जब आप पूरे मन से यह उपाय करते हैं, तो आपको सिर्फ राहत ही नहीं मिलती, बल्कि आत्मबल भी प्राप्त होता है।

ॐ शं शनिश्चराय शं नमः मंत्र का नियमित जप करें। शनिदेव से करुणा की प्रार्थना करें। उनके चरणों में समर्पण करें, और देखें कैसे जीवन बदलने लगता है।


अगर आप चाहते हैं कि आपके जीवन से तंत्र बाधा, बुरी नज़र, और शारीरिक मानसिक परेशानियाँ दूर हों, तो यह उपाय आजमाएं। यह न केवल आत्मिक रूप से सशक्त करता है, बल्कि आपके चारों ओर एक सुरक्षा कवच भी निर्मित करता है।


Secret Attraction Ritual – Activate Hidden Charm

Secret Attraction Ritual - Activate Hidden Charm

कुम्हार की मिट्टी से गुप्त आकर्षण प्रयोग

(अद्भुत प्रभावशाली टोटका जिससे हर कोई प्रभावित हो)

आकर्षण एक रहस्यमयी शक्ति है। जब यह दिव्य उपायों से जुड़ता है, तो परिणाम चमत्कारी हो जाते हैं। कुम्हार की मिट्टी जिसे ‘घड़ा मिट्टी’ या ‘कच्ची माटी’ भी कहते हैं, उसमें स्थायित्व और रूपांतरण की शक्ति होती है। यह वही मिट्टी है जो घड़े को आकार देती है, और उसी में जीवन की ऊर्जा बसती है। जब इस मिट्टी को विशेष मंत्र के साथ प्रयोग किया जाए, तो यह एक शक्तिशाली आकर्षण यंत्र बन जाती है।

इस प्रयोग में प्रयोग किया जाने वाला मंत्र है: “ॐ क्लीं अनंगाय क्लीं नमः” यह मंत्र अनंग देव (कामदेव के सूक्ष्म रूप) को जाग्रत करता है। इस मंत्र का प्रभाव मानसिक, भावनात्मक और आत्मिक स्तर तक जाता है। कुम्हार की मिट्टी के साथ जब यह मंत्र संयुक्त होता है, तो गुप्त आकर्षण की शक्ति कई गुना बढ़ जाती है।


गुप्त आकर्षण से क्या होता है लाभ?

(गुप्त सम्मोहन व प्रभाव डालने की अद्वितीय शक्तियाँ)

  1. व्यक्ति की उपस्थिति आकर्षक बनती है।
  2. समाज में लोग स्वतः सम्मान देने लगते हैं।
  3. कार्यस्थल पर लोकप्रियता बढ़ती है।
  4. जीवनसाथी के साथ संबंधों में मधुरता आती है।
  5. गुप्त शत्रु भी मित्रवत व्यवहार करने लगते हैं।
  6. व्यापारिक वार्ताएं सफल होने लगती हैं।
  7. बातचीत में सम्मोहन झलकने लगता है।
  8. वशीकरण जैसा प्रभाव उत्पन्न होता है।
  9. मानसिक तनाव में कमी आती है।
  10. आत्मविश्वास तीव्र हो जाता है।
  11. पारिवारिक रिश्तों में प्रेम बढ़ता है।
  12. आकर्षण ऊर्जा से चेहरे पर तेज आता है।
  13. सामाजिक अपमान से सुरक्षा मिलती है।
  14. विवाह योग्य युवक-युवतियों को लाभ होता है।
  15. साधना से आध्यात्मिक उन्नति भी होती है।

उपयुक्त मुहूर्त एवं शुभ समय

(कब करें यह गुप्त आकर्षण प्रयोग?)

यह प्रयोग शुक्रवार, सोमवार या पूर्णिमा को आरंभ करें। सुबह 5 से 7 बजे के बीच ब्रह्ममुहूर्त का समय सर्वोत्तम है।
शुक्ल पक्ष का कोई भी दिन प्रभावी रहता है। विशेषकर पुष्य, रोहिणी या मृगशिरा नक्षत्र वाले दिन श्रेष्ठ माने जाते हैं।
गुप्त रूप से यह प्रयोग रात्रि 10 बजे के बाद भी किया जा सकता है। चंद्रमा के उदय के समय मंत्र सिद्धि तीव्र हो जाती है।


प्रयोग की विधि व प्रक्रिया

(संपूर्ण पूजन-विधान से करें सिद्ध प्रयोग)

  1. एक शांत स्थान पर बैठ जाएं।
  2. अपने सामने पीले कपड़े पर कुम्हार की मिट्टी रखें।
  3. मिट्टी से छोटी सी मूर्ति या तिलक बनाएँ।
  4. उस पर गुलाब का इत्र छिड़कें।
  5. दीपक जलाकर दाएं हाथ में कुम्हार की मिट्टी लें।
  6. अब मंत्र का 540 बार या २० मिनट जप करें: “ॐ क्लीं अनंगाय क्लीं नमः”
  7. जप के बाद मिट्टी को लाल कपड़े में बांधें।
  8. इसे अपने पास रखें या घर/दुकान में छिपा दें।
  9. यह वस्तु आपके चारों ओर आकर्षण का आभामंडल बनाएगी।

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कुछ आवश्यक सुझाव और सावधानियाँ

(इन बातों का रखें विशेष ध्यान)

  • यह प्रयोग गुप्त रूप से ही करें, किसी को न बताएं।
  • मंत्र का उच्चारण स्पष्ट और श्रद्धा से करें।
  • प्रयोग के दौरान मानसिक शुद्धता बनाए रखें।
  • प्रयोग के दिन मांस-मदिरा, क्रोध व कटु वचन से दूर रहें।
  • मिट्टी प्राकृतिक होनी चाहिए, उसमें कोई कृत्रिमता न हो।
  • जिनके मन में संदेह होगा, उन्हें सफलता नहीं मिलेगी।

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भावनात्मक जुड़ाव और आंतरिक शक्ति का जागरण

(यह प्रयोग सिर्फ बाहरी नहीं, आंतरिक परिवर्तन भी लाता है)

गुप्त आकर्षण का यह प्रयोग केवल दिखावे या भौतिकता तक सीमित नहीं है। यह आत्मा के स्तर पर भी आपकी ऊर्जा को बदल देता है। मंत्र का कंपन आपके चित्त को शांत करता है। आपका अंतर्मन अधिक शक्तिशाली और आकर्षक हो जाता है। इससे आप अपने जीवन में आत्मीय और आध्यात्मिक संबंध बना पाते हैं। यह प्रयोग आत्म-सम्मान और आत्म-प्रेम को भी जन्म देता है।

Tara sadhana shivir


सामान्य प्रश्नोत्तर

(आपके मन के सवालों के उत्तर)

प्रश्न: क्या यह प्रयोग किसी को हानि पहुँचा सकता है?
उत्तर: नहीं, यह प्रयोग सकारात्मक ऊर्जा पर आधारित है।

प्रश्न: कितने दिनों में असर दिखता है?
उत्तर: श्रद्धा और नियमितता से असर 7 से 11 दिनों में दिखने लगता है।

प्रश्न: क्या महिलाएँ यह प्रयोग कर सकती हैं?
उत्तर: हाँ, यह प्रयोग सभी के लिए समान रूप से प्रभावशाली है।

प्रश्न: क्या इस प्रयोग में दीक्षा जरूरी है?
उत्तर: नहीं, लेकिन अगर गुरु की कृपा हो तो परिणाम और तीव्र होते हैं।

प्रश्न: अगर प्रयोग अधूरा रह जाए तो?
उत्तर: फिर से पूर्ण विधि से शुरू करें, अधूरा छोड़ना उचित नहीं।