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Sant Namdev Chalisa for Wealth & Attraction

Sant Namdev Chalisa for Wealth & Attraction

संत नामदेव चालीसा: आकर्षण व सुख समृद्धि

श्री कृष्ण के भक्त संत नामदेव की चालीसा पाठ जो मनुष्य नियमित रूप से करता है, उसके जीवन मे सुख समृद्धि हमेशा बनी रहती है। संत नामदेव 13वीं शताब्दी के महान संत, कवि, और भक्त कवियों में से एक थे। उनका जीवन भगवान विट्ठल (भगवान कृष्ण) की भक्ति में समर्पित था। संत नामदेव की रचनाएँ और उनकी भक्ति-भावना आज भी लाखों भक्तों के लिए प्रेरणा स्रोत बनी हुई हैं। उनकी चालीसा का पाठ व्यक्ति के जीवन में शांति, सुख, और समृद्धि लाने के साथ-साथ अध्यात्मिक उन्नति में सहायक माना जाता है।

संपूर्ण संत नामदेव चालीसा

संत नामदेव चालीसा, जो भक्ति और श्रद्धा से ओत-प्रोत है, का पाठ इस प्रकार है:

दोहा:

संत नामदेव चरन में, शीश नवायो आज।
विठ्ठल भक्ति में रमयो, सुमिरौं दिन रात।।

चौपाई:

जय जय संत नामदेव जी, विठ्ठल भक्त तुम्हारी।
भक्तों के हित के खातिर, किया सदैव उपकारी।।1।।

सच्चे भक्त के रूप में, जगत तुम्हें पहचाने।
विठ्ठल नाम का जाप कर, ह्रदय कमल बखाने।।2।।

भक्तों की जब लाज बचाई, प्रभु विट्ठल के आगे।
सेवा में तुम लगे रहे, जगत तुम्हें अनुरागे।।3।।

कठिन समय जब आया, तुम्हें दृढ़ विश्वास।
प्रभु विठ्ठल की भक्ति से, सब कष्ट गए नाश।।4।।

विठ्ठल नाम सदा जपा, हरदम ध्यान लगाया।
भक्तों के दुख दूर किए, अपना मन हरषाया।।5।।

नामदेव जी की महिमा, जग में सदा बखानी।
भक्त ह्रदय में वास किए, लीला सबने जानी।।6।।

मूर्ति से विठ्ठल प्रकट हुए, नामदेव के प्यार से।
भक्त की सच्ची श्रद्धा ने, किया प्रभु को बाध्य से।।7।।

ध्यान धरो संत नामदेव का, सब कष्ट मिट जाएंगे।
प्रभु विठ्ठल की कृपा से, मनवांछित फल पाएंगे।।8।।

नामदेव जी की भक्ति से, जीवन सुखमय होगा।
विठ्ठल नाम की महिमा से, हर संकट दूर होगा।।9।।

ध्यान लगाकर चालीसा का, पाठ करो दिन रात।
प्रभु विट्ठल की कृपा से, पूर्ण हों सब बात।।10।।

संत नामदेव की आरती, गाओ मनहर धुन में।
प्रभु विट्ठल के चरणों में, रहो सदा तुम मगन में।।11।।

भक्तों की जब पुकार सुनी, तुमने दौड़ लगाई।
नामदेव जी की भक्ति ने, प्रभु विट्ठल को रिझाई।।12।।

शरण में आओ संतों की, सब कष्ट मिट जाएंगे।
विठ्ठल नाम के जाप से, भवसागर तर जाएंगे।।13।।

ध्यान धरो संत नामदेव का, विठ्ठल नाम पुकारो।
सच्चे दिल से भक्ति करो, जीवन का सुख वारे।।14।।

जय जय संत नामदेव जी, विठ्ठल भक्त तुम्हारी।
सद्गति पाओगे भक्तजन, तजो मन की बिमारी।।15।।

संत नामदेव चालीसा के लाभ

  1. आध्यात्मिक शांति
    मन में शांति और सुकून का अनुभव होता है।
  2. ईश्वर की कृपा
    संत नामदेव जी की कृपा से जीवन में सुख और समृद्धि बढ़ती है।
  3. कठिनाइयों का नाश
    जीवन की कठिनाइयाँ और बाधाएँ दूर होती हैं।
  4. सकारात्मक ऊर्जा
    घर और मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  5. आत्मबल में वृद्धि
    मानसिक दृढ़ता और आत्मविश्वास बढ़ता है।
  6. भय का नाश
    पाठ से हर प्रकार का भय समाप्त हो जाता है।
  7. संतोष की भावना
    भौतिक इच्छाओं में कमी आकर संतोष की भावना उत्पन्न होती है।
  8. स्वास्थ्य लाभ
    शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  9. धन-संपत्ति में वृद्धि
    आर्थिक स्थिति मजबूत होती है और धन प्राप्ति के योग बनते हैं।
  10. पारिवारिक सुख
    परिवार में प्रेम और एकता बढ़ती है।
  11. कर्म सुधार
    अपने कार्यों के प्रति जागरूकता आती है और अच्छे कर्म करने की प्रेरणा मिलती है।
  12. आध्यात्मिक प्रगति
    साधक के जीवन में आध्यात्मिक उन्नति होती है।
  13. शत्रुओं का नाश
    शत्रुओं से रक्षा होती है और उनकी साजिशें निष्फल होती हैं।
  14. मनोकामना पूर्ण
    पाठ से सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।
  15. मुक्ति का मार्ग
    जीवन के अंतिम उद्देश्य, मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।

संत नामदेव चालीसा पाठ की विधि

  1. शुद्धि और स्थान चयन
    पाठ के लिए शांत और पवित्र स्थान का चयन करें। स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें।
  2. पूजा सामग्री
    एक साफ चौकी, संत नामदेव जी की तस्वीर, दीपक, अगरबत्ती, फूल, जल पात्र, और नैवेद्य तैयार रखें।
  3. स्नान और स्वच्छ वस्त्र
    सुबह स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। मन को शांत और एकाग्रचित करें।
  4. संत नामदेव जी का आह्वान
    संत नामदेव जी की तस्वीर के सामने दीपक जलाएं। फूल चढ़ाएं और आचमन करें।
  5. चालीसा का पाठ
    • संत नामदेव चालीसा को भावपूर्वक और शुद्ध उच्चारण के साथ पढ़ें।
    • पाठ के दौरान किसी प्रकार का व्यवधान न हो।
  6. नैवेद्य अर्पण
    चालीसा पाठ के बाद प्रसाद (फल, मिठाई या गुड़) अर्पण करें और अंत में सभी में वितरित करें।
  7. ध्यान और प्रार्थना
    चालीसा के पश्चात संत नामदेव जी का ध्यान करें। उनसे अपनी प्रार्थना और मनोकामना व्यक्त करें।
  8. सप्ताह के शुभ दिन
    सोमवार या गुरुवार को यह पाठ करना विशेष फलदायी होता है।

Kamakhya sadhana shivir

    संत नामदेव चालीसा पाठ की सावधानियाँ

    1. शुद्धता का ध्यान रखें
      पाठ से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। मन और शरीर की पवित्रता आवश्यक है।
    2. पवित्र स्थान का चयन करें
      पाठ के लिए शांत, स्वच्छ और पवित्र स्थान चुनें। अशुद्ध जगह पर पाठ न करें।
    3. सच्ची भक्ति रखें
      पाठ को भावपूर्ण और श्रद्धा के साथ करें। मन में शंका या द्वेष न रखें।
    4. गलत उच्चारण से बचें
      चालीसा के श्लोकों का सही उच्चारण करें। गलत पढ़ने से अर्थ बदल सकता है।
    5. समय का पालन करें
      पाठ का एक निश्चित समय तय करें और नियमितता बनाए रखें।
    6. पाठ में ध्यान न भटकाएं
      पाठ के दौरान मन को इधर-उधर न भटकने दें। पूरी एकाग्रता रखें।
    7. शुद्ध सामग्री का उपयोग करें
      पूजा में शुद्ध दीपक, फूल, नैवेद्य और जल का उपयोग करें।
    8. खाली पेट पाठ करें
      सुबह खाली पेट पाठ करना अधिक फलदायी होता है।
    9. नकारात्मक सोच से बचें
      पाठ के समय सकारात्मक और शुभ विचार मन में रखें।
    10. मांस-मदिरा का त्याग करें
      पाठ से पहले मांस, मदिरा या तामसिक भोजन का सेवन न करें।
    11. व्यवधान से बचें
      पाठ के दौरान मोबाइल या अन्य उपकरणों का उपयोग न करें।
    12. सही दिन चुनें
      सोमवार, गुरुवार या किसी शुभ दिन को प्राथमिकता दें।

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    संत नामदेव चालीसा से जुड़े पृश्न उत्तर

    1. संत नामदेव चालीसा का पाठ कब करना चाहिए?
      • इसका पाठ ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे के बीच) में करना उत्तम माना जाता है।
    2. क्या इस चालीसा का पाठ किसी विशेष समय अवधि के लिए किया जाना चाहिए?
      • हाँ, विशेष लाभ प्राप्त करने के लिए इसे 41 दिनों तक निरंतर करना चाहिए।
    3. क्या इस चालीसा का पाठ महिलाएं भी कर सकती हैं?
      • हाँ, महिलाएं भी संत नामदेव चालीसा का पाठ कर सकती हैं।
    4. क्या चालीसा का पाठ करते समय किसी विशेष आसन का प्रयोग करना चाहिए?
      • काले या सफेद रंग का आसन प्रयोग करना शुभ माना जाता है।
    5. क्या इस चालीसा का पाठ केवल मंदिर में ही करना चाहिए?
      • नहीं, इसे घर में भी किसी पवित्र स्थान पर किया जा सकता है।
    6. क्या साधना के दौरान उपवास रखना आवश्यक है?
      • उपवास आवश्यक नहीं है, लेकिन सात्विक आहार का पालन करना लाभकारी होता है।
    7. क्या इस चालीसा का पाठ किसी विशेष मुहूर्त में करना चाहिए?
      • यदि संभव हो तो अमावस्या, पूर्णिमा, या ग्रहण के समय इस चालीसा का पाठ करें।
    8. क्या साधना के दौरान अन्य पूजा भी की जा सकती है?
      • हाँ, लेकिन संत नामदेव चालीसा को विशेष महत्व देते हुए ही अन्य पूजा करें।
    9. क्या इस चालीसा का पाठ व्यवसाय में सफलता दिलाने में सहायक होता है?
      • हाँ, यह व्यवसाय में आने वाली बाधाओं को दूर करने में सहायक माना जाता है।
    10. क्या इस चालीसा का पाठ करने से पारिवारिक समस्याओं का समाधान होता है?
      • हाँ, यह चालीसा परिवार में प्रेम और सौहार्द्रता बनाए रखने में सहायक होती है।

    Narsingh Chalisa for Strong Protection

    Narsingh Chalisa for Strong Protection

    नरसिंह चालीसा: संकट नाशक चालीसा का महत्त्व

    नरसिंह चालीसा से हर तरह की नकारात्मक उर्जा दूर रहती है। भगवान नरसिंह विष्णु के अवतार हैं, जिन्होंने हिरण्यकश्यप नामक असुर से पृथ्वी की रक्षा की थी। इस चालीसा का पाठ व्यक्ति को भय, संकट, और असुरी शक्तियों से मुक्ति दिलाने में सहायक माना जाता है। नरसिंह चालीसा का नियमित पाठ विशेष रूप से उन व्यक्तियों के लिए लाभकारी माना जाता है जो जीवन में चुनौतियों का सामना कर रहे होते हैं।

    संपूर्ण नरसिंह चालीसा

    यहाँ संपूर्ण नरसिंह चालीसा प्रस्तुत है:

    दोहा:

    नृसिंह महाप्रभाव का, ध्यावहुं जन विचारि।
    नित नव मंगलदायकं, संतन पर हितकारी।।

    चौपाई:

    जयति जयति नृसिंह स्वरूपा।
    संकट हरण, मुरारि अनूपा।।1।।

    योगी-ऋषि मुनि ध्यान लगावैं।
    नित नव मंगल धाम पढ़ावैं।।2।।

    भक्त ह्रदय महि ध्यान धरी।
    प्रकट भए कंदर्प गरी।।3।।

    हिरण्यकशिपु असुर संहारी।
    अधम अधर्मी शत्रु पे भारी।।4।।

    भक्त प्रह्लाद की कियो रक्षा।
    परम भक्त परकीन अद्वितीय सच्चा।।5।।

    सर्वत्र देव जही बैठी राखा।
    चरन कमल जपि भक्तकृपा साखा।।6।।

    कुंडलिनी उर में करिके निवास।
    सर्वरोग हरे शक्ति प्रवास।।7।।

    भक्तन की जब सहायत करी।
    दुष्ट दलन की लीला धरी।।8।।

    रूप अनंत देख भय मेटा।
    करुणा करि, कृपा सदेवा।।9।।

    दैत्य दलन रक्षक जग दाता।
    संकट हरन, कृपा निधान।।10।।

    नृसिंह अवतार अद्भुत भयो।
    धरि नरसिंह रूप, हिरण्यकशिपु मारियो।।11।।

    असुर दलन प्रभु रूप तुम्हारा।
    जपै युगल नित नाम तुम्हारा।।12।।

    चंद्रसूर्य अति तेज तुम्हारा।
    धरि शंख चक्र रूप तुम्हारा।।13।।

    सुर मुनि ध्यान धरें तुम ध्यावैं।
    प्रकट भए जब भक्त पुकारें।।14।।

    जनक जननी नाम तेही जानी।
    संकट हरन प्रभु सुखदानी।।15।।

    जो नरनारी ध्यान लगावैं।
    सकल कष्ट नरसिंह मिटावैं।।16।।

    भय मिटे सुख सदा समावे।
    ध्यान धरत नरसिंह मनावे।।17।।

    मनोकामना पूर्ण हो जाए।
    ध्यान धरत संतोष पाए।।18।।

    जयति जयति नरसिंह महाती।
    कीरति कहत भक्तगण गाती।।19।।

    जिनके नाम ह्रदय में धारा।
    सकल विपत्ति मिटत बिचारा।।20।।

    ध्यान धरत नरसिंह सहाई।
    दीनदयाल कृपा निधि माई।।21।।

    सुर नर मुनि नरसिंह सुकावे।
    भक्तजन सुख शांति पावे।।22।।

    कष्ट निवारक मंगलदाता।
    भक्तों की इच्छा पूर्णकर्ता।।23।।

    जयति जयति नरसिंह सुखकारी।
    कीर्ति गावत साधु सुकारी।।24।।

    लाभ

    1. भय का नाश
      नरसिंह चालीसा का पाठ हर प्रकार के भय और असुरक्षा को समाप्त करता है।
    2. शत्रु से रक्षा
      शत्रुओं की बुरी योजनाएँ विफल होती हैं और उनसे सुरक्षा प्राप्त होती है।
    3. आध्यात्मिक बल
      आत्मविश्वास और आध्यात्मिक शक्ति में वृद्धि होती है।
    4. धन और समृद्धि
      पाठ से आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और समृद्धि बढ़ती है।
    5. संकटों का समाधान
      जीवन की सभी बाधाएँ और संकट दूर होते हैं।
    6. स्वास्थ्य में सुधार
      रोगों का नाश होता है और स्वास्थ्य में सुधार होता है।
    7. घर की शांति
      परिवार में शांति और स्नेह का वातावरण बनता है।
    8. कर्म सुधार
      पाठ से अच्छे कर्म करने की प्रेरणा मिलती है।
    9. सफलता का मार्ग
      कार्यों में सफलता और प्रगति के अवसर प्राप्त होते हैं।
    10. मनोकामना पूर्ति
      भक्त की सभी इच्छाएँ और मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।
    11. नकारात्मकता का नाश
      पाठ से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और सकारात्मकता का संचार होता है।
    12. मोक्ष का मार्ग
      जीवन के अंतिम उद्देश्य, मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
    13. संतान सुख
      पाठ से संतान प्राप्ति और उनकी उन्नति में सहायता मिलती है।
    14. दुर्गुणों से मुक्ति
      अहंकार, क्रोध और अन्य दुर्गुणों का नाश होता है।
    15. ईश्वर की कृपा
      भगवान नरसिंह की कृपा प्राप्त होती है, जो जीवन में शुभता और कल्याण लाती है।

    नरसिंह चालीसा पाठ की विधि

    नरसिंह चालीसा का पाठ भगवान नरसिंह की कृपा और आशीर्वाद पाने के लिए विधिपूर्वक करना चाहिए।

    पाठ की तैयारी

    1. स्थान की शुद्धि
      पाठ से पहले स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें।
    2. स्वच्छ वस्त्र धारण करें
      स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें और मन को शांत करें।
    3. पूजा सामग्री तैयार करें
      दीपक, अगरबत्ती, फूल, जल और नैवेद्य जैसे पूजन सामग्री रखें।

    विधि

    1. भगवान नरसिंह का ध्यान
      पाठ से पहले भगवान नरसिंह का ध्यान करें।
    2. दीप प्रज्वलित करें
      भगवान नरसिंह की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएं।
    3. संकल्प लें
      मन में पाठ का संकल्प लें और श्रद्धा से शुरुआत करें।
    4. नरसिंह चालीसा का पाठ
      शुद्ध उच्चारण और एकाग्रता के साथ नरसिंह चालीसा का पाठ करें।

    पाठ के बाद की प्रक्रिया

    1. प्रसाद अर्पण करें
      नैवेद्य अर्पण करें और फिर प्रसाद वितरण करें।
    2. ध्यान और प्रार्थना
      भगवान नरसिंह का ध्यान करें और अपनी प्रार्थना व्यक्त करें।
    3. नियमितता रखें
      चालीसा का पाठ नियमित रूप से एक ही समय पर करें।

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    पाठ के लिए जरूरी सावधानियाँ

    1. शुद्धता का ध्यान रखें
      पाठ से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। मन और शरीर को पवित्र रखें।
    2. पवित्र स्थान का चयन करें
      पाठ के लिए शांत और साफ-सुथरे स्थान का चयन करें। अशुद्ध स्थान पर पाठ न करें।
    3. सच्ची भक्ति से करें पाठ
      पाठ को श्रद्धा और विश्वास के साथ करें। बिना भक्ति के पाठ का लाभ नहीं मिलता।
    4. गलत उच्चारण से बचें
      नरसिंह चालीसा के श्लोकों का सही उच्चारण करें। गलत पढ़ने से अर्थ और प्रभाव बदल सकता है।
    5. पाठ के समय ध्यान न भटकाएं
      पाठ के दौरान मन को स्थिर और एकाग्र रखें। इधर-उधर ध्यान न दें।
    6. नकारात्मक सोच से बचें
      पाठ के समय मन में शुभ और सकारात्मक विचार रखें।
    7. शुद्ध सामग्री का उपयोग करें
      पूजा में उपयोग होने वाली सामग्री शुद्ध होनी चाहिए।
    8. भोजन का ध्यान रखें
      पाठ से पहले मांस, मदिरा या तामसिक भोजन का सेवन न करें।
    9. समय का पालन करें
      पाठ के लिए एक निश्चित समय निर्धारित करें और उसे नियमित रूप से करें।
    10. सतर्कता से पाठ करें
      किसी भी प्रकार की जल्दबाजी में पाठ न करें। इसे शांत मन से करें।

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    नरसिंह चालीसा: प्रश्न और उत्तर

    1. नरसिंह चालीसा का पाठ कब करना चाहिए?

    सुबह स्नान के बाद या संध्या के समय पाठ करना शुभ और फलदायी होता है।

    2. क्या पाठ के लिए कोई विशेष दिन है?

    हर दिन कर सकते हैं, लेकिन पूर्णिमा और गुरुवार को इसका महत्व अधिक है।

    3. क्या उपवास के साथ पाठ करना जरूरी है?

    उपवास करना अनिवार्य नहीं है, लेकिन शुद्धता बनाए रखना आवश्यक है।

    4. क्या पाठ अकेले किया जा सकता है?

    हां, इसे अकेले या सामूहिक रूप से, दोनों तरह से किया जा सकता है।

    5. क्या नरसिंह चालीसा सभी के लिए है?

    हां, नरसिंह चालीसा का पाठ हर व्यक्ति कर सकता है, चाहे स्त्री हो या पुरुष।

    6. क्या बच्चों को पाठ सिखाया जा सकता है?

    हां, बच्चों को सरल शब्दों में चालीसा सिखाना शुभ होता है।

    7. क्या बिना मूर्ति के पाठ किया जा सकता है?

    हां, भगवान नरसिंह का ध्यान करके भी पाठ कर सकते हैं।

    8. क्या चालीसा से शत्रु भय समाप्त होता है?

    हां, नरसिंह चालीसा शत्रुओं के भय को समाप्त करता है।

    9. क्या इससे रोगों का नाश होता है?

    हां, नियमित पाठ से स्वास्थ्य में सुधार और रोगों का नाश होता है।

    10. क्या इसका पाठ रात्रि में कर सकते हैं?

    हां, रात्रि में भी पाठ किया जा सकता है, लेकिन शांत स्थान चुनें।

    11. क्या गलत उच्चारण से नुकसान होता है?

    गलत उच्चारण से पाठ का पूर्ण फल नहीं मिलता। सही उच्चारण करें।

    12. क्या इसका प्रभाव तुरंत दिखता है?

    नियमितता और श्रद्धा के साथ पाठ करने से इसका प्रभाव अवश्य दिखता है।

    Mundamalini Kali Mantra for Strong Protection

    Mundamalini Kali Mantra for Strong Protection

    मुंडमालिनी काली- चारो तरफ से सुरक्षा पाये

    रक्षा करने वाली माता मुंडमालिनी काली का मंत्र उग्र और शक्तिशाली माना जाताप है। काली देवी, जो सृष्टि की शक्ति और विनाश का प्रतीक मानी जाती हैं, मुंडमालिनी के रूप में और भी अधिक भयावह और प्रभावशाली होती हैं। उनके गले में मुंडों की माला होती है, जिसे ‘मुंडमाला’ कहा जाता है, और इसी कारण उन्हें मुंडमालिनी कहा जाता है। यह रूप इस बात का प्रतीक है कि देवी काली अपने भक्तों के सभी शत्रुओं और बुरी शक्तियों का नाश कर उन्हें भयमुक्त करती हैं। मुंडमालिनी काली की उपासना से साधक को आत्मबल, अदम्य शक्ति और कठिन परिस्थितियों में साहस प्राप्त होता है।

    मुंडमालिनी काली का मंत्र और उसका संपूर्ण अर्थ

    मंत्र: ॐ क्रीं मुंडमालिने क्लीं हुं फट्ट

    अर्थ: इस मंत्र का अर्थ अत्यंत गूढ़ और शक्तिशाली है।

    • “ॐ” ब्रह्मांडीय ध्वनि है, जो सभी ध्वनियों की जननी मानी जाती है।
    • “क्रीं” देवी काली का बीज मंत्र है, जो उनकी अपार शक्ति का प्रतीक है।
    • “मुंडमालिने” का अर्थ है वह, जो मुंडों की माला धारण करती हैं, अर्थात् मुंडमालिनी काली।
    • “क्लीं” कामदेव का बीज मंत्र है, जो आकर्षण और प्रेम का प्रतीक है।
    • “हुं” ध्वनि का संबंध विनाश और शक्ति से है, जो सभी बुरे प्रभावों को समाप्त करने की शक्ति प्रदान करता है।
    • “फट्ट” मंत्र का अंतिम शब्द है, जिसका अर्थ है कि सभी नकारात्मक शक्तियों का अंत हो और साधक की रक्षा हो।

    यह मंत्र देवी काली की विशेष कृपा और शक्ति को आकर्षित करने का एक माध्यम है, जिससे साधक को अद्वितीय सुरक्षा, साहस, और शक्ति प्राप्त होती है।

    मुंडमालिनी काली मंत्र के लाभ

    1. भय का नाश: यह मंत्र सभी प्रकार के भय और आशंकाओं को समाप्त करता है।
    2. सुरक्षा: साधक को बुरी शक्तियों और नकारात्मक प्रभावों से सुरक्षा प्रदान करता है।
    3. आत्म-विश्वास: मंत्र के नियमित जप से आत्म-विश्वास और साहस में वृद्धि होती है।
    4. शत्रुओं से मुक्ति: शत्रुओं से मुक्ति दिलाता है और उनके बुरे इरादों को विफल करता है।
    5. रोगों से छुटकारा: शारीरिक और मानसिक रोगों का नाश करता है।
    6. धन-संपत्ति: आर्थिक स्थिति में सुधार लाता है और धन-संपत्ति की प्राप्ति होती है।
    7. आध्यात्मिक उन्नति: साधक की आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होता है।
    8. शांति और संतुलन: मानसिक शांति और संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।
    9. संतान प्राप्ति: संतान प्राप्ति के लिए अत्यंत प्रभावी माना जाता है।
    10. कार्य सिद्धि: किसी भी कार्य को सफलतापूर्वक पूर्ण करने में सहायता करता है।
    11. सुख-समृद्धि: जीवन में सुख-समृद्धि और शांति का वातावरण बनाता है।
    12. कर्म सुधार: व्यक्ति के कर्मों में सुधार और सकारात्मकता लाता है।
    13. स्वास्थ्य: उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घायु प्रदान करता है।
    14. विवाह संबंधित समस्याओं का समाधान: वैवाहिक जीवन की समस्याओं का समाधान करता है।
    15. नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति: नकारात्मक ऊर्जा और बुरी आत्माओं से रक्षा करता है।
    16. ज्ञान और बुद्धि: ज्ञान और बुद्धि में वृद्धि करता है।
    17. दुर्घटना से बचाव: दुर्घटनाओं और आपदाओं से बचाव करता है।
    18. यात्रा में सुरक्षा: यात्रा के दौरान सुरक्षा और सफलता मिलती है।
    19. सफलता: जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।
    20. मंत्र सिद्धि: मंत्र के नियमित जप से मंत्र सिद्धि प्राप्त होती है।

    मुंडमालिनी काली मंत्र विधि

    मंत्र जप का दिन और मुहूर्त

    मुंडमालिनी काली के मंत्र का जप मंगलवार, शनिवार, और अमावस्या के दिन विशेष रूप से शुभ माना जाता है। इसके अलावा, अष्टमी तिथि भी इस मंत्र के जप के लिए उपयुक्त मानी जाती है। रात्रि का समय, विशेषकर मध्यरात्रि, इस मंत्र के जप के लिए अत्यधिक फलदायी माना गया है।

    तीन बाती वाला दीपक जलाकर माता काली के फोटो के साथ अपने सामने रखे। मुंड मुद्रा लगाकर १० बार प्राणायाम करे। अब मुंडमालिनी काली मंत्र का जप ३० मिनट तक मुद्रा लगाकर जप करे, ऐसा ११ या २१ दिन तक लगातार करे। फिर किसी जरूरतमंद को भोजन या फल दान करे।

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    अवधि

    मंत्र जप की अवधि साधक के संकल्प पर निर्भर करती है। साधारणत: 11 दिन या 21 दिन तक इस मंत्र का जप किया जाता है। यदि साधक को पूर्ण लाभ प्राप्त करना है तो उसे पूरे विश्वास और नियम के साथ यह जप करना चाहिए।

    नियम

    1. स्वच्छता: मंत्र जप से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
    2. शुद्धि: मन, वचन, और कर्म की शुद्धि बनाए रखें।
    3. स्थान: शांत और पवित्र स्थान पर मंत्र जप करें।
    4. ध्यान: मुंडमालिनी काली की मूर्ति या चित्र के सामने ध्यान लगाकर मंत्र जप करें।
    5. आसन: कुश के आसन का प्रयोग करें, यह ऊर्जा का संरक्षण करता है।
    6. माला: रुद्राक्ष या काले चन्दन की माला से मंत्र का जप करें।
    7. समय: हर दिन एक ही समय पर जप करने का प्रयास करें, यह मन को स्थिरता देता है।
    8. भोजन: शुद्ध और सात्विक भोजन करें।
    9. संख्या: मंत्र का जप 108 बार करना चाहिए, इसे एक माला कहा जाता है।
    10. समर्पण: पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ मंत्र का जप करें।

    Kamakhya sadhana shivir

    मंत्र जप के दौरान सावधानियाँ

    1. मन की एकाग्रता: जप के दौरान मन को विचलित न होने दें।
    2. सात्विक आहार: जप के दौरान सात्विक आहार का पालन करें, इससे मन शांत रहता है।
    3. अल्कोहल और मांसाहार से बचें: जप के दौरान इनका सेवन न करें।
    4. सकारात्मक विचार: हमेशा सकारात्मक विचारों को अपनाएं और नकारात्मकता से दूर रहें।
    5. समर्पण: मंत्र जप के समय देवी काली के प्रति पूर्ण समर्पण और श्रद्धा रखें।

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    मंत्र से संबंधित प्रश्न उत्तर

    1. मुंडमालिनी काली कौन हैं?
      मुंडमालिनी काली देवी काली का एक उग्र रूप हैं, जो मुंडों की माला धारण करती हैं और सभी प्रकार की नकारात्मकताओं का नाश करती हैं।
    2. मुंडमालिनी काली का मंत्र क्या है?
      मुंडमालिनी काली का मंत्र है: ॐ क्रीं मुंडमालिने क्लीं हुं फट्ट।
    3. इस मंत्र का अर्थ क्या है?
      इस मंत्र का अर्थ है कि हम मुंडमालिनी काली की स्तुति करते हैं और उन्हें नकारात्मक शक्तियों का नाश करने के लिए आह्वान करते हैं।
    4. मंत्र का जप किस दिन करें?
      मंगलवार, शनिवार, अमावस्या और अष्टमी के दिन मंत्र का जप करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
    5. मंत्र जप का उचित समय क्या है?
      मंत्र जप का उचित समय रात्रि का होता है, विशेषकर मध्यरात्रि।
    6. मंत्र जप के लाभ क्या हैं?
      मंत्र जप के लाभों में भय का नाश, सुरक्षा, आत्म-विश्वास में वृद्धि, शत्रुओं से मुक्ति, और शारीरिक एवं मानसिक रोगों का नाश शामिल हैं।
    7. मंत्र जप के नियम क्या हैं?
      मंत्र जप के नियमों में स्वच्छता, शुद्धि, शांत और पवित्र स्थान का चयन, ध्यान, और नियमितता शामिल हैं।
    8. मंत्र जप के दौरान क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिए?
      मंत्र जप के दौरान मन की एकाग्रता, सात्विक आहार का पालन, अल्कोहल और मांसाहार से परहेज, और सकारात्मक विचारों का ध्यान रखना चाहिए।
    9. मंत्र जप कितने दिनों तक करना चाहिए?
      मंत्र जप की अवधि 11 दिन या 21 दिन तक हो सकती है, यह साधक के संकल्प पर निर्भर करता है।
    10. मंत्र जप के लिए कौन सी माला उपयुक्त है?
      रुद्राक्ष या काले चन्दन की माला उपयुक्त मानी जाती है।
    11. मंत्र जप के दौरान क्या पहनना चाहिए?
      स्वच्छ और हल्के रंग के वस्त्र पहनना चाहिए, विशेषकर सफेद या पीले रंग के।

    Ayappa Chalisa for Wealth & Prosperity

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    भगवान अयप्पा चालीसा – सुख समृद्धि पाये

    सबके दुख दूर करने वाला अयप्पा चालीसा का पाठ करना मनुष्य के जीवन मे कल्याणकारी माना जाता है। भगवान अयप्पा दक्षिण भारत के एक प्रमुख देवता हैं, जिनकी पूजा विशेष रूप से केरल के सबरीमाला मंदिर में की जाती है। वे भगवान शिव और मोहिनी (भगवान विष्णु का एक रूप) के पुत्र माने जाते हैं। अयप्पा स्वामी को ‘हरिहरपुत्र’ के नाम से भी जाना जाता है, जो भक्तों के सभी कष्टों को दूर करते हैं। अयप्पा चालीसा भगवान अयप्पा की स्तुति में गाया जाने वाला एक प्रमुख भजन है, जो उनके गुणों, लीलाओं और भक्तों को उनकी कृपा प्राप्त कराने में सहायक होता है।

    संपूर्ण अयप्पा चालीसा

    ॥दोहा॥

    श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
    काहूं विधि वन्दन करू, हरिहर अय्यप्पा ध्यान॥

    ॥चालीसा॥

    जय अय्यप्पा जय अय्यप्पा, मंगल मूर्ति मनोहर।
    काली कष्ट हरो दिन हर, भक्तन के तुम पालनहार॥

    हरिहर पुत्र कहावे जग में, अय्यप्पा तव नाम।
    केरल भूमी शोभित जहां, सबरीगिरि धाम॥

    चिर बाल ब्रह्मचारी रूपी, अय्यप्पा बलवान।
    करुणा द्रष्टि सदा ही राखो, करु दीनन पर दान॥

    कोटि सूर्य सम तेज तुम्हारा, राक्षस दल मारे।
    तप बल से अय्यप्पा स्वामी, दुष्ट दमन तुम करै॥

    जन जन के मन में जो है, आस करें सब पूरी।
    अय्यप्पा स्वामी कृपा करो, शरण पड़े अब हमारी॥

    साधन सात्विक की है सीमा, जीवन तव बाणी।
    केरल भूमी धाम तुम्हारा, जग में पूजे ज्ञानी॥

    अय्यप्पा जय अय्यप्पा, मंगल मूर्ति मनोहर।
    भक्तों के कष्ट हरो प्रभु, भवसागर से तारो॥

    जिसने सुमिरन किया अय्यप्पा का, भक्ति भाव से।
    दुष्कर पथ पर चला वही, संकट कभु न आवै॥

    ब्रह्मचारी व्रत जो धरे, करे नियम का पालन।
    तीनों ताप नसावे स्वामी, जन्म मरण सब हरै॥

    चिरकाल से जो भटके, माया जाल में फंसे।
    अय्यप्पा कृपा करे, सब मुक्त सहज ही होय॥

    माया मोह न आ सके, जो भी भक्त तुम्हारे।
    अय्यप्पा कृपा करो, भक्ति दे अनमोल॥

    अय्यप्पा स्वामी जय जयकारा, सबरी गिरि धाम।
    भक्तों के संकट हरो प्रभु, दीजो हमें भी धाम॥

    अंत समय जब प्राण जाय, शरण तव ही आवे।
    अय्यप्पा कृपा करो, भवसागर से तारो॥

    जय अय्यप्पा जय अय्यप्पा, मंगल मूर्ति मनोहर।
    काली कष्ट हरो दिन हर, भक्तन के तुम पालनहार॥

    ॥दोहा॥

    अय्यप्पा के गुण गाओ, ह्रदय में लाओ ध्यान।
    भक्तन के संकट हरो, हरिहर अय्यप्पा भगवान॥

    अयप्पा चालीसा के लाभ

    1. शारीरिक और मानसिक बल: अयप्पा चालीसा का नियमित पाठ करने से शारीरिक और मानसिक बल में वृद्धि होती है।
    2. संकटों से मुक्ति: यह चालीसा सभी प्रकार के संकटों और बाधाओं से मुक्ति दिलाती है।
    3. धार्मिक आस्था और विश्वास: यह चालीसा व्यक्ति की धार्मिक आस्था को मजबूत करती है और उसे भगवान के प्रति विश्वास दिलाती है।
    4. भक्ति में वृद्धि: अयप्पा चालीसा का पाठ भक्त के मन में भक्ति भावना को बढ़ाता है और उसे भगवान अयप्पा के करीब लाता है।
    5. आध्यात्मिक शांति: इस चालीसा का नियमित पाठ करने से मन को शांति और आत्मिक संतोष प्राप्त होता है।
    6. नकारात्मकता से बचाव: यह चालीसा नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियों से व्यक्ति को सुरक्षित रखती है।
    7. स्वास्थ्य में सुधार: अयप्पा चालीसा का पाठ रोगों और शारीरिक पीड़ा से राहत दिलाने में सहायक होता है।
    8. जीवन में सुख-शांति: यह चालीसा व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति और समृद्धि लाने में सहायक होती है।
    9. आध्यात्मिक विकास: इस चालीसा का नियमित पाठ व्यक्ति के आध्यात्मिक विकास में सहायक होता है।
    10. परिवारिक कलह से मुक्ति: यह चालीसा पारिवारिक कलह और विवादों का नाश करती है और परिवार में सौहार्द और शांति लाती है।
    11. विवाह संबंधी समस्याओं का समाधान: अयप्पा चालीसा का पाठ विवाह संबंधी समस्याओं के समाधान में सहायक होता है।
    12. धन-संपत्ति में वृद्धि: यह चालीसा धन-संपत्ति में वृद्धि और आर्थिक समृद्धि लाने में सहायक होती है।
    13. मनोकामनाओं की पूर्ति: अयप्पा चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
    14. आध्यात्मिक सिद्धि: यह चालीसा व्यक्ति को आध्यात्मिक सिद्धि प्राप्त करने में सहायक होती है।
    15. जीवन में सफलता: अयप्पा चालीसा का पाठ व्यक्ति के जीवन में सभी क्षेत्रों में सफलता दिलाने में सहायक होता है।

    अयप्पा चालीसा पाठ की विधि

    दिन और अवधि

    अयप्पा चालीसा का पाठ किसी भी दिन शुरू किया जा सकता है, लेकिन इसका सबसे शुभ दिन शनिवार और मंगलवार माना जाता है। इस चालीसा का पाठ ४१ दिनों तक नियमित रूप से किया जाता है। इस अवधि के दौरान व्यक्ति को प्रतिदिन चालीसा का पाठ करना चाहिए, और यदि किसी कारण से एक दिन का पाठ छूट जाता है, तो अगले दिन दो बार पाठ करना चाहिए।

    मुहूर्त

    अयप्पा चालीसा का पाठ करने का सबसे उपयुक्त समय ब्रह्म मुहूर्त (सुबह ४ बजे से ६ बजे के बीच) माना जाता है। इस समय वातावरण शुद्ध और शांत होता है, जिससे पाठ में एकाग्रता बढ़ती है। हालांकि, दिन के किसी भी समय इस चालीसा का पाठ किया जा सकता है।

    नियम

    1. साधना को गुप्त रखें: अयप्पा चालीसा का पाठ और पूजा की साधना को गुप्त रखना चाहिए। इसे किसी को दिखावे के लिए नहीं करना चाहिए। व्यक्तिगत और आध्यात्मिक विकास के लिए इसे पूरी श्रद्धा और विश्वास से करना चाहिए।
    2. स्नान और शुद्धता: पूजा और पाठ से पहले शारीरिक और मानसिक रूप से शुद्ध होना आवश्यक है। अच्छे से स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। पूजा स्थल को भी साफ और पवित्र रखें।
    3. समय और स्थान: अयप्पा चालीसा का पाठ सुबह या शाम के समय करना शुभ माना जाता है। इसे एक पवित्र और शांत स्थान पर किया जाना चाहिए, जहां आपको कोई विघ्न न हो।
    4. ध्यान और समर्पण: पाठ के दौरान भगवान अयप्पा की छवि या चित्र के सामने ध्यान लगाना चाहिए और पूरी श्रद्धा के साथ पाठ करना चाहिए। मानसिक रूप से ध्यान केंद्रित रहें और भगवान के प्रति समर्पित भावना रखें।
    5. नियमितता: अयप्पा चालीसा का पाठ नियमित रूप से करना चाहिए, विशेष रूप से 41 दिनों की अवधि में। यदि किसी कारणवश एक दिन का पाठ छूट जाए, तो अगले दिन दुगना पाठ करें।
    6. धूप, दीप और प्रसाद: पाठ के दौरान भगवान अयप्पा के सामने धूप, दीप जलाएं और प्रसाद अर्पित करें। पाठ के बाद प्रसाद को सभी लोगों में बांटना चाहिए।
    7. प्रस्तुति और पवित्रता: पाठ और पूजा के दौरान पवित्रता और समर्पण का ध्यान रखें। किसी भी प्रकार के अहंकार या दिखावे से बचना चाहिए।

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    सावधानियाँ

    1. आध्यात्मिक अनुशासन: पाठ और पूजा के दौरान आध्यात्मिक अनुशासन बनाए रखें। नियमों का पालन करते हुए पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ साधना करें।
    2. अपवित्रता से बचें: पाठ के दौरान और पूजा के बाद अपवित्रता से बचना चाहिए। गंदे या अशुद्ध स्थानों पर पाठ करना उचित नहीं है।
    3. सावधानीपूर्वक ध्यान: ध्यान लगाते समय मन को स्थिर और शांत रखें। किसी भी प्रकार की मानसिक अशांति या विघ्न से बचना चाहिए।
    4. समय का पालन: अयप्पा चालीसा का पाठ सुबह या शाम के समय करना उचित होता है। निर्धारित समय से अधिक समय तक पाठ न करें और अनावश्यक विलंब से बचें।
    5. साधना की गुप्तता: साधना को गुप्त रखना महत्वपूर्ण है। इसे किसी के सामने प्रदर्शन करने के बजाय व्यक्तिगत रूप से करें।
    6. सामग्री की शुद्धता: पूजा के लिए इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री (धूप, दीप, प्रसाद) शुद्ध होनी चाहिए।
    7. अनुशासन बनाए रखें: किसी भी प्रकार के अनुशासनहीनता से बचें और साधना के नियमों का पालन करें।

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    अयप्पा चालीसा से संबंधित पृश्न उत्तर

    1. अयप्पा चालीसा क्या है?
      अयप्पा चालीसा भगवान अयप्पा की स्तुति में लिखा गया एक धार्मिक पाठ है, जिसे भक्त उनकी पूजा और आराधना के लिए पढ़ते हैं।
    2. अयप्पा चालीसा का पाठ क्यों करें?
      यह चालीसा जीवन में आने वाली कठिनाइयों, संकटों और बाधाओं से मुक्ति के लिए पढ़ी जाती है और भगवान अयप्पा की कृपा प्राप्त करने के लिए की जाती है।
    3. क्या अयप्पा चालीसा का पाठ किसी भी दिन किया जा सकता है?
      हाँ, अयप्पा चालीसा का पाठ किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन सोमवार और शुक्रवार को इसका विशेष महत्व माना जाता है।
    4. अयप्पा चालीसा का पाठ कितने दिनों तक करना चाहिए?
      अयप्पा चालीसा का पाठ 41 दिनों तक नियमित रूप से करना चाहिए।
    5. क्या अयप्पा चालीसा का पाठ अकेले किया जा सकता है?
      हाँ, अयप्पा चालीसा का पाठ अकेले भी किया जा सकता है।
    6. क्या अयप्पा चालीसा का पाठ घर पर किया जा सकता है?
      हाँ, इसे घर पर भी किया जा सकता है। पाठ के लिए एक पवित्र स्थान का चयन करें।
    7. अयप्पा चालीसा का पाठ करने के लिए विशेष पूजा सामग्री की आवश्यकता होती है?
      हाँ, धूप, दीप और प्रसाद की आवश्यकता होती है।
    8. क्या अयप्पा चालीसा का पाठ करने से सभी संकट दूर हो सकते हैं?
      हाँ, यदि इसे श्रद्धा और विश्वास से किया जाए तो यह सभी संकटों और बाधाओं को दूर करने में सहायक होती है।
    9. अयप्पा चालीसा का पाठ कौन कर सकता है?
      कोई भी व्यक्ति, चाहे वह पुरुष हो या महिला, अयप्पा चालीसा का पाठ कर सकता है।
    10. क्या अयप्पा चालीसा का पाठ समूह में किया जा सकता है?
      हाँ, इसे समूह में भी किया जा सकता है।
    11. अयप्पा चालीसा का पाठ करने के दौरान क्या ध्यान रखना चाहिए?
      ध्यान रखें कि साधना गुप्त रहे और पूरे नियमों का पालन किया जाए। मानसिक एकाग्रता बनाए रखें।

    Balaji Chalisa for Health Wealth & Prosperity

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    श्री मेहंदीपुर बालाजी चालीसा

    विघ्न बाधा दूर करने वाला बालाजी चालीसा एक महत्वपूर्ण धार्मिक पाठ है, जो भक्तों द्वारा भगवान हनुमान जी की आराधना के लिए किया जाता है। इसे बालाजी या संकटमोचन हनुमान जी के रूप में जाना जाता है, और उनकी स्तुति में गाया जाता है। बालाजी चालीसा को पढ़ने और गाने से भक्तों के जीवन में आने वाली हर प्रकार की कठिनाईयों और संकटों का नाश होता है। यह चालीसा विशेष रूप से उन लोगों द्वारा पढ़ी जाती है जो शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक बल प्राप्त करना चाहते हैं।

    भगवान हनुमान को उनकी शक्ति, बुद्धि, और भक्ति के लिए पूजा जाता है। वे राम भक्तों में सबसे प्रमुख माने जाते हैं और उन्हें अपने भक्तों से अपार प्रेम और श्रद्धा प्राप्त होती है। बालाजी चालीसा का पाठ करके व्यक्ति अपने जीवन की हर बाधा को दूर कर सकता है और भगवान हनुमान की कृपा प्राप्त कर सकता है।

    संपूर्ण बालाजी चालीसा

    ॥ दोहा ॥

    श्री गुरु चरण चितलाय,के धरें ध्यान हनुमान।
    बालाजी चालीसा लिखे,दास स्नेही कल्याण॥

    विश्व विदित वर दानी,संकट हरण हनुमान।
    मैंहदीपुर में प्रगट भये,बालाजी भगवान॥

    ॥ चौपाई ॥ भाग १

    जय हनुमान बालाजी देवा।
    प्रगट भये यहां तीनों देवा॥

    प्रेतराज भैरव बलवाना।
    कोतवाल कप्तानी हनुमाना॥

    मैंहदीपुर अवतार लिया है।
    भक्तों का उध्दार किया है॥

    बालरूप प्रगटे हैं यहां पर।
    संकट वाले आते जहाँ पर॥

    डाकनि शाकनि अरु जिन्दनीं।
    मशान चुड़ैल भूत भूतनीं॥

    जाके भय ते सब भाग जाते।
    स्याने भोपे यहाँ घबराते॥

    चौकी बन्धन सब कट जाते।
    दूत मिले आनन्द मनाते॥

    सच्चा है दरबार तिहारा।
    शरण पड़े सुख पावे भारा॥

    रूप तेज बल अतुलित धामा।
    सन्मुख जिनके सिय रामा॥

    कनक मुकुट मणि तेज प्रकाशा।
    सबकी होवत पूर्ण आशा॥

    महन्त गणेशपुरी गुणीले।
    भये सुसेवक राम रंगीले॥

    अद्भुत कला दिखाई कैसी।
    कलयुग ज्योति जलाई जैसी॥

    ऊँची ध्वजा पताका नभ में।
    स्वर्ण कलश हैं उन्नत जग में॥

    धर्म सत्य का डंका बाजे।
    सियाराम जय शंकर राजे॥

    आन फिराया मुगदर घोटा।
    भूत जिन्द पर पड़ते सोटा॥

    राम लक्ष्मन सिय ह्रदय कल्याणा।
    बाल रूप प्रगटे हनुमाना॥

    जय हनुमन्त हठीले देवा।
    पुरी परिवार करत हैं सेवा॥

    लड्डू चूरमा मिश्री मेवा।
    अर्जी दरखास्त लगाऊ देवा॥

    दया करे सब विधि बालाजी।
    संकट हरण प्रगटे बालाजी॥

    जय बाबा की जन जन ऊचारे।
    कोटिक जन तेरे आये द्वारे॥

    बाल समय रवि भक्षहि लीन्हा।
    तिमिर मय जग कीन्हो तीन्हा॥

    देवन विनती की अति भारी।
    छाँड़ दियो रवि कष्ट निहारी॥

    लांघि उदधि सिया सुधि लाये।
    लक्ष्मन हित संजीवन लाये॥

    रामानुज प्राण दिवाकर।
    शंकर सुवन माँ अंजनी चाकर॥

    केशरी नन्दन दुख भव भंजन।
    रामानन्द सदा सुख सन्दन॥

    सिया राम के प्राण पियारे।
    जब बाबा की भक्त ऊचारे॥

    संकट दुख भंजन भगवाना।
    दया करहु हे कृपा निधाना॥

    सुमर बाल रूप कल्याणा।
    करे मनोरथ पूर्ण कामा॥

    अष्ट सिद्धि नव निधि दातारी।
    भक्त जन आवे बहु भारी॥

    मेवा अरु मिष्ठान प्रवीना।
    भैंट चढ़ावें धनि अरु दीना॥

    ॥ चौपाई ॥ भाग २

    नृत्य करे नित न्यारे न्यारे।
    रिद्धि सिद्धियां जाके द्वारे॥

    अर्जी का आदेश मिलते ही।
    भैरव भूत पकड़ते तबही॥

    कोतवाल कप्तान कृपाणी।
    प्रेतराज संकट कल्याणी॥

    चौकी बन्धन कटते भाई।
    जो जन करते हैं सेवकाई॥

    रामदास बाल भगवन्ता।
    मैंहदीपुर प्रगटे हनुमन्ता॥

    जो जन बालाजी में आते।
    जन्म जन्म के पाप नशाते॥

    जल पावन लेकर घर जाते।
    निर्मल हो आनन्द मनाते॥

    क्रूर कठिन संकट भग जावे।
    सत्य धर्म पथ राह दिखावे॥

    जो सत पाठ करे चालीसा।
    तापर प्रसन्न होय बागीसा॥

    कल्याण स्नेही, स्नेह से गावे।
    सुख समृद्धि रिद्धि सिद्धि पावे॥

    ॥ दोहा ॥

    मन्द बुद्धि मम जानके,क्षमा करो गुणखान।
    संकट मोचन क्षमहु मम,दास स्नेही कल्याण॥

    लाभ

    1. संकटों से मुक्ति: यह चालीसा जीवन के सभी संकटों और बाधाओं से मुक्ति दिलाती है।
    2. शारीरिक और मानसिक बल: बालाजी चालीसा का पाठ शारीरिक और मानसिक बल प्रदान करता है।
    3. आत्मिक शांति: इस चालीसा के पाठ से मन की अशांति दूर होती है और आत्मिक शांति मिलती है।
    4. नकारात्मकता से बचाव: यह चालीसा नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियों से बचाव करती है।
    5. स्वास्थ्य में सुधार: इस चालीसा के पाठ से रोग और पीड़ा का नाश होता है।
    6. भय से मुक्ति: बालाजी चालीसा के पाठ से भय और चिंता से मुक्ति मिलती है।
    7. परिवार में सुख-शांति: यह चालीसा परिवार में सुख-शांति और समृद्धि लाती है।
    8. संकल्प सिद्धि: इसे पढ़ने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और संकल्प सिद्ध होते हैं।
    9. रक्षा कवच: बालाजी चालीसा का पाठ व्यक्ति के लिए एक रक्षा कवच का काम करता है।
    10. आध्यात्मिक विकास: इस चालीसा के नियमित पाठ से व्यक्ति का आध्यात्मिक विकास होता है।
    11. धन और संपत्ति में वृद्धि: यह चालीसा धन और संपत्ति में वृद्धि लाती है।
    12. विवादों का निवारण: बालाजी चालीसा का पाठ पारिवारिक और सामाजिक विवादों का निवारण करता है।
    13. कार्य में सफलता: यह चालीसा व्यक्ति के सभी कार्यों में सफलता दिलाती है।
    14. सुखद विवाह: बालाजी चालीसा का पाठ विवाह संबंधी समस्याओं का समाधान करता है।
    15. संतान प्राप्ति: यह चालीसा नि:संतान दंपत्तियों के लिए संतान प्राप्ति में सहायक होती है।

    बालाजी चालीसा पाठ की विधि

    दिन और अवधि

    बालाजी चालीसा का पाठ किसी भी दिन प्रारंभ किया जा सकता है, लेकिन मंगलवार और शनिवार का दिन विशेष रूप से शुभ माना जाता है। पाठ की अवधि ४१ दिन की होती है। इस अवधि में प्रतिदिन बालाजी चालीसा का एक या तीन बार पाठ करना चाहिए। यदि किसी कारणवश आप इस अवधि में एक दिन भी पाठ नहीं कर पाते हैं, तो अगले दिन इसे दुगनी बार पढ़ना चाहिए।

    मुहूर्त

    बालाजी चालीसा का पाठ करने का सबसे अच्छा समय ब्रह्म मुहूर्त (सुबह ४ से ६ बजे तक) माना जाता है। इस समय वातावरण शुद्ध और शांत होता है, जिससे मानसिक एकाग्रता बनी रहती है। हालांकि, दिन के किसी भी समय चालीसा का पाठ किया जा सकता है।

    नियम

    1. साधना को गुप्त रखें: चालीसा का पाठ करने की साधना को गुप्त रखना चाहिए। इसे बिना किसी दिखावे के श्रद्धा और विश्वास से करना चाहिए।
    2. स्नान और शुद्धता: पाठ से पहले स्नान कर लेना चाहिए और साफ वस्त्र पहनने चाहिए। पाठ करने के लिए एक पवित्र स्थान का चयन करना चाहिए।
    3. ध्यान और श्रद्धा: पाठ के दौरान भगवान बालाजी का ध्यान करना चाहिए और पूरी श्रद्धा और विश्वास से उनका स्मरण करना चाहिए।
    4. धूप, दीप और प्रसाद: पाठ करते समय भगवान बालाजी के सामने धूप, दीप जलाएं और प्रसाद अर्पित करें। प्रसाद को पाठ के बाद सभी लोगों में बांटना चाहिए।
    5. नियमितता: ४१ दिन तक प्रतिदिन बालाजी चालीसा का पाठ करना अनिवार्य है। इस दौरान किसी भी प्रकार का विचलन या अनियमितता नहीं होनी चाहिए।

    Kamakhya sadhana shivir

    बालाजी चालीसा पाठ के दौरान सावधानियां

    1. अपवित्रता से बचें: चालीसा का पाठ करते समय मन, वचन, और कर्म से पवित्र रहना आवश्यक है। किसी भी प्रकार की अपवित्रता से बचना चाहिए।
    2. सदाचार का पालन: पाठ के दौरान और उसके बाद भी सदाचार का पालन करना चाहिए। किसी भी प्रकार के गलत आचरण से बचना चाहिए।
    3. मानसिक स्थिरता: पाठ के दौरान मन को स्थिर रखना चाहिए। किसी भी प्रकार की मानसिक अशांति से बचना चाहिए।
    4. परिस्थिति अनुसार: यदि आप किसी कारणवश ४१ दिन का पाठ पूरा नहीं कर पाते हैं, तो इसे अगले उपयुक्त समय पर दोबारा प्रारंभ कर सकते हैं।
    5. धार्मिक अनुशासन: चालीसा का पाठ धार्मिक अनुशासन में रहकर करना चाहिए। किसी भी प्रकार का अनुचित व्यवहार इस साधना को प्रभावित कर सकता है।

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    बालाजी चालीसा से संबंधित पृश्न उत्तर

    1. बालाजी चालीसा क्या है?
      बालाजी चालीसा भगवान हनुमान की स्तुति में लिखा गया एक धार्मिक पाठ है, जिसे भक्त उनके संकटमोचन रूप में पढ़ते हैं।
    2. बालाजी चालीसा का पाठ क्यों करें?
      यह चालीसा व्यक्ति के जीवन में आने वाले संकटों और बाधाओं को दूर करने के लिए पढ़ा जाता है।
    3. क्या बालाजी चालीसा को किसी भी दिन पढ़ा जा सकता है?
      हाँ, बालाजी चालीसा को किसी भी दिन पढ़ा जा सकता है, लेकिन मंगलवार और शनिवार को इसका विशेष महत्व है।
    4. बालाजी चालीसा का पाठ कितने दिनों तक करना चाहिए?
      बालाजी चालीसा का पाठ ४१ दिन तक नियमित रूप से करना चाहिए।
    5. क्या बालाजी चालीसा का पाठ अकेले किया जा सकता है?
      हाँ, इस चालीसा का पाठ अकेले भी किया जा सकता है।
    6. क्या बालाजी चालीसा का पाठ घर पर किया जा सकता है?
      हाँ, इस चालीसा का पाठ घर पर ही किया जा सकता है।
    7. क्या बालाजी चालीसा का पाठ समूह में किया जा सकता है?
      हाँ, इसे समूह में भी पढ़ा जा सकता है।
    8. बालाजी चालीसा का पाठ कौन कर सकता है?
      कोई भी व्यक्ति, चाहे वह पुरुष हो या महिला, बालाजी चालीसा का पाठ कर सकता है।
    9. क्या बालाजी चालीसा का पाठ करने के लिए किसी विशेष स्थान की आवश्यकता होती है?
      नहीं, इसे किसी भी पवित्र स्थान पर पढ़ा जा सकता है।
    10. क्या बालाजी चालीसा का पाठ सभी प्रकार के संकटों को दूर करता है?
      हाँ, यह चालीसा सभी प्रकार के संकटों और बाधाओं को दूर करने में सहायक होता है।
    11. क्या बालाजी चालीसा का पाठ करने के लिए विशेष पूजा सामग्री की आवश्यकता होती है?
      नहीं, केवल धूप, दीप और प्रसाद की आवश्यकता होती है।

    Bhim Chalisa for Health & Prosperity

    Bhim Chalisa for Health & Prosperity

    भींम चालीसा-बल, बुद्धि व चतुराई

    भीम चालीसा के द्वारा मनुष्य वीरता, बल, और अदम्य साहस प्राप्त करता है। भीमसेन अपने भाइयों के साथ मिलकर अधर्म के विरुद्ध लड़ाई लड़ी और धर्म की स्थापना की। भीम चालीसा को पढ़ने और गाने से भक्तों में भीम की तरह शक्ति, साहस और उत्साह आता है। इसे विशेष रूप से उन लोगों द्वारा पढ़ा जाता है जो शारीरिक बल, मनोबल और साहस में वृद्धि चाहते हैं।

    संपूर्ण भीम चालीसा

    ॥दोहा॥
    जय हनुमंत वीर बलवाना।
    भाग्योदय जग में परवाना॥
    पांडवकुल रक्षक भुजंगा।
    कोविद कहि सुन गहियो संगा॥

    ॥चालीसा॥
    जय महाबली वीर हनुमाना।
    पांडव कुल में प्रकट प्रधाना॥
    भीमसेन बलवीर कहावे।
    कौरव दल के संकट हरावे॥

    गदायुध धारी महाबलशाली।
    द्वैत मस्तक शत्रु दल काली॥
    जग में बड़ा आपका नाम।
    पांडव कुल में पाई धाम॥

    बल और विद्या बुद्धि अधीका।
    वीरता में जगत प्रसिद्धीका॥
    महाबली भीम नमन हमारा।
    संकट हरहु तुम महाविचारा॥

    द्रोणाचार्य गुरु के तुम चेले।
    अर्जुन के सहकारी खेले॥
    गदा का था बड़ा बलवाना।
    जरासंध दल तुम्हें न जाना॥

    बल को देख सदा ही डरे।
    शत्रु दल से तुमही लड़े॥
    पांडवों के सब बलधारी।
    भक्तन के तुम संकट हारी॥

    तुमको ही भाग्य प्रकट करता।
    पांडव कुल की रक्षक रहता॥
    महाबली भीम हरहु कष्ट।
    जय महाबली बलवीर नष्ट॥

    भीमसेन तुम वीर निराला।
    शत्रु दल का तुमने भाला॥
    महाभारत का यह यशगान।
    तुमने किया महा पराक्रम मान॥

    महाभारत युद्ध में बड़ा काम किया।
    कौरव दल का समूल नाश किया॥
    धर्म की स्थापना की थी।
    तुमने महाबली बलवान बनारासी॥

    तुमने ही कौरव दल को हारा।
    शत्रु दल का किया संहार॥
    महाबली भीम नमन हमारा।
    संकट हरहु तुम महाविचारा॥

    भीम चालीसा के लाभ

    1. शारीरिक बल में वृद्धि: भीम चालीसा के नियमित पाठ से व्यक्ति की शारीरिक शक्ति में वृद्धि होती है।
    2. मनोबल और आत्मविश्वास: इससे मनोबल और आत्मविश्वास बढ़ता है, जिससे व्यक्ति कठिन से कठिन परिस्थितियों का सामना कर सकता है।
    3. साहस का विकास: भीम चालीसा पढ़ने से साहस और वीरता में वृद्धि होती है।
    4. शत्रुओं का नाश: यह चालीसा शत्रुओं और विरोधियों से रक्षा करती है।
    5. संकटों का निवारण: जीवन में आने वाले संकटों और बाधाओं को दूर करने में सहायक होती है।
    6. धार्मिक ऊर्जा: इससे व्यक्ति के भीतर सकारात्मक ऊर्जा और धार्मिक भावना का विकास होता है।
    7. परिवारिक समृद्धि: इसे पढ़ने से परिवार में सुख-समृद्धि आती है।
    8. आत्मिक शांति: भीम चालीसा का नियमित पाठ करने से आत्मिक शांति मिलती है।
    9. धार्मिक ज्ञान: व्यक्ति में धार्मिक और आध्यात्मिक ज्ञान की वृद्धि होती है।
    10. मन की शांति: इससे मन की चंचलता दूर होती है और व्यक्ति का मन शांत रहता है।
    11. नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति: यह चालीसा व्यक्ति को नकारात्मक ऊर्जा से मुक्त करती है।
    12. निरोगी काया: इससे व्यक्ति निरोगी और स्वस्थ रहता है।
    13. सफलता प्राप्ति: भीम चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को जीवन में सफलता मिलती है।
    14. समाज में सम्मान: व्यक्ति समाज में सम्मान और प्रतिष्ठा प्राप्त करता है।
    15. बाधाओं से मुक्ति: जीवन में आने वाली बाधाओं और संकटों से मुक्ति मिलती है।

    भीम चालीसा पाठ की विधि

    दिन और अवधि

    भीम चालीसा का पाठ किसी भी दिन शुरू किया जा सकता है, लेकिन मंगलवार और शनिवार का दिन विशेष रूप से शुभ माना जाता है। पाठ की अवधि ४१ दिन की होती है। इस अवधि में प्रतिदिन भीम चालीसा का एक या तीन बार पाठ करना चाहिए। अगर किसी कारणवश आप इस अवधि में एक दिन भी पाठ नहीं कर पाते हैं, तो अगले दिन इसे दुगनी बार पढ़ना चाहिए।

    मुहूर्त

    भीम चालीसा का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन ब्रह्म मुहूर्त (सुबह ४ से ६ बजे तक) में इसे पढ़ना सबसे अधिक फलदायी माना जाता है। इस समय वातावरण शुद्ध और शांत होता है, जिससे मानसिक एकाग्रता बनी रहती है।

    नियम

    भीम चालीसा के पाठ के कुछ नियम हैं, जिन्हें पालन करने से इसका फल शीघ्र मिलता है:

    1. पवित्रता का ध्यान: पाठ के समय शरीर और मन की पवित्रता का ध्यान रखना चाहिए।
    2. ध्यान केंद्रित करें: पाठ के समय मन को एकाग्रचित्त रखना चाहिए।
    3. पूजा सामग्री: भीम चालीसा के पाठ के समय सामने भीमसेन की तस्वीर रखकर धूप, दीप और प्रसाद अर्पित करना चाहिए।
    4. गुप्त साधना: भीम चालीसा के पाठ को गुप्त रखना चाहिए और अनावश्यक रूप से दूसरों को इस साधना के बारे में नहीं बताना चाहिए।
    5. संतुलित आहार: इस अवधि में संतुलित और सात्विक आहार लेना चाहिए।
    6. संकल्प: ४१ दिन की अवधि के लिए संकल्प करना चाहिए और पूरे विधि-विधान से इसका पालन करना चाहिए।

    Kamakhya sadhana shivir

    सावधानियां

    1. नियमितता बनाए रखें: पाठ को नियमित रूप से करना चाहिए। इसे किसी भी परिस्थिति में न छोड़ें।
    2. सतर्कता: पाठ के दौरान मन को इधर-उधर भटकने न दें।
    3. आस्था और विश्वास: पाठ के समय पूरी आस्था और विश्वास के साथ भीमसेन का ध्यान करें।
    4. वाणी पर संयम: इस अवधि में अपनी वाणी पर संयम रखें और असत्य या कटु वचन बोलने से बचें।
    5. प्रार्थना: पाठ के बाद भीमसेन से प्रार्थना करें कि वे आपके जीवन से सभी संकटों को दूर करें।
    6. गुप्त साधना: अपने साधना और पाठ को गुप्त रखें और दूसरों के सामने इसका प्रचार न करें।

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    भीम चालीसा से जुड़े सामान्य प्रश्न

    1. भीम चालीसा का पाठ कब किया जाना चाहिए?
      भीम चालीसा का पाठ किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन मंगलवार और शनिवार को विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
    2. भीम चालीसा का पाठ कितने दिन करना चाहिए?
      इस चालीसा का पाठ ४१ दिन तक नियमित रूप से करना चाहिए।
    3. भीम चालीसा का पाठ कैसे किया जाए?
      पाठ को पूरी श्रद्धा, विश्वास, और नियमपूर्वक करना चाहिए।
    4. क्या भीम चालीसा का पाठ दिन में कई बार किया जा सकता है?
      हाँ, दिन में एक बार, तीन बार या सात बार भीम चालीसा का पाठ किया जा सकता है।
    5. भीम चालीसा का पाठ करते समय किन-किन नियमों का पालन करना चाहिए?
      पवित्रता, संयम, गुप्त साधना और मन की एकाग्रता का पालन करना चाहिए।
    6. क्या भीम चालीसा का पाठ घर पर किया जा सकता है?
      हाँ, भीम चालीसा का पाठ घर पर ही किया जा सकता है।
    7. क्या पाठ के दौरान किसी विशेष पूजा सामग्री की आवश्यकता होती है?
      हाँ, भीमसेन की तस्वीर के सामने धूप, दीप और प्रसाद अर्पित करना चाहिए।
    8. भीम चालीसा के पाठ से क्या लाभ मिलते हैं?
      शारीरिक बल, मनोबल, साहस, शत्रुओं का नाश, संकट निवारण, आत्मिक शांति जैसे लाभ प्राप्त होते हैं।
    9. भीम चालीसा का पाठ कौन कर सकता है?
      भीम चालीसा का पाठ कोई भी व्यक्ति कर सकता है, चाहे वह पुरुष हो या महिला।
    10. क्या भीम चालीसा का पाठ समूह में किया जा सकता है?
      हाँ, भीम चालीसा का पाठ समूह में भी किया जा सकता है।
    11. भीम चालीसा के पाठ के दौरान क्या ध्यान रखना चाहिए?
      ध्यान रखें कि साधना गुप्त रहे और पूरे नियम से पालन किया जाए।
    12. क्या भीम चालीसा के पाठ से सभी संकट दूर हो सकते हैं?
      हाँ, यदि यह पाठ नियमपूर्वक और श्रद्धा से किया जाए तो सभी संकट दूर हो सकते हैं।

    Panchanguli Sadhana Shivir – Vajreshwari

    Mystical Powers: Panchanguli Sadhana Shivir - Transform Your Spiritual Journey

    पंचांग की देवी- पंचांगुली देवी, जो अंतर्मन की शक्तियों को जगाये

    अंतर्मन को जगाने वाली पंचांगुली देवी की “पंचांगुली साधना शिविर” का आयोजन 25-26 जनवरी 2025 को मुंबई के पास वज्रेश्वरी मे होने जा रहा है। इस साधना का उद्देश्य मन की शक्तियों को जगाकर सामने वाले ब्यक्ति पर सही भविष्यवाणी करना होता है। इसके अलावा ये साधना व्यक्ति को ज्योतिष, हस्तरेखा, और भविष्यवाणी जैसी विद्याओं में कुशल बनाती है। पंचांगुली देवी को पंच तत्वों का प्रतिनिधित्व करने वाली माना जाता है और ये देवियाँ व्यक्ति की मानसिक और आध्यात्मिक क्षमताओं को जागृत करने में सहायक होती हैं।

    पंचांगुली साधना के लाभ

    1. ज्योतिष में सफलता: पंचांगुली साधना करने से साधक को ज्योतिष शास्त्र में गहरी समझ और सही भविष्यवाणी करने की क्षमता प्राप्त होती है। यह साधना साधक को ग्रहों की स्थिति और उनके प्रभावों को समझने में सक्षम बनाती है।
    2. हस्तरेखा (पॉमेस्ट्री) में निपुणता: इस साधना के द्वारा साधक की हस्तरेखा देखने और समझने की क्षमता में वृद्धि होती है। यह साधना साधक को व्यक्ति के हाथों की रेखाओं के माध्यम से उसके भविष्य के बारे में सटीक भविष्यवाणी करने की शक्ति देती है।
    3. भविष्यफल बताने की क्षमता: पंचांगुली देवी की साधना से साधक में भविष्यवाणी करने की क्षमता में अद्भुत सुधार होता है। यह साधना साधक को व्यक्तियों के जीवन में आने वाली कठिनाइयों और सुख-दुख के बारे में पूर्वानुमान करने में सक्षम बनाती है।
    4. अध्यात्मिक उपचार करने की क्षमता: पंचांगुली साधना से साधक में अध्यात्मिक उपचार करने की शक्ति जागृत होती है। साधक अपनी ऊर्जा और देवी की कृपा से अन्य लोगों की शारीरिक और मानसिक बीमारियों का उपचार कर सकता है।
    5. सही निर्णय लेने की क्षमता: पंचांगुली साधना से साधक में सही निर्णय लेने की क्षमता का विकास होता है। यह साधना साधक को जीवन के महत्वपूर्ण निर्णयों में सही दिशा चुनने में मदद करती है।
    6. कुंडली का प्रिडिक्शन करने की क्षमता: इस साधना के द्वारा साधक कुंडली का सटीक विश्लेषण करने और ग्रहों की दशा-महादशा के अनुसार व्यक्ति के जीवन की दिशा निर्धारित करने की क्षमता प्राप्त करता है।
    7. गूढ विषयों को सीखने की क्षमता: पंचांगुली साधना से साधक में गूढ और रहस्यमय विषयों को समझने और सीखने की शक्ति बढ़ती है। साधक तंत्र, मंत्र, यंत्र आदि में निपुण हो सकता है।
    8. अध्यात्मिक उन्नति: इस साधना के माध्यम से साधक की आध्यात्मिक यात्रा में प्रगति होती है। साधक को आत्मज्ञान और आत्म-साक्षात्कार का अनुभव होता है।
    9. अंतर्मन की शक्ति का जाग्रत होना: पंचांगुली साधना से साधक के अंतर्मन की शक्तियों का जागरण होता है। साधक अपनी मानसिक क्षमताओं को पहचानता है और उनका सही उपयोग करने में सक्षम होता है।

    नियम

    पंचांगुली साधना शिविर – बुकिंग

    1. उम्र: साधना करने वाले व्यक्ति की उम्र 20 वर्ष से अधिक होनी चाहिए। यह साधना मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत व्यक्ति के लिए उपयुक्त है।
    2. लिंग: इस साधना को स्त्री और पुरुष दोनों कर सकते हैं। साधना में सफलता के लिए व्यक्ति की श्रद्धा और विश्वास महत्वपूर्ण है।
    3. वस्त्र: साधना करते समय साधक को नीले और काले रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए। सफेद या हल्के रंग के कपड़े पहनना अधिक शुभ माना जाता है।
    4. धूम्रपान और मांसाहार: साधना के दौरान साधक को धूम्रपान, पद्य पान और मांसाहार का सेवन नहीं करना चाहिए। यह साधना की शुद्धता और पवित्रता को बनाए रखने के लिए आवश्यक है।
    5. ब्रह्मचर्य: साधना के दौरान साधक को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। यह साधक की मानसिक और शारीरिक ऊर्जा को साधना में केंद्रित रखने में मदद करता है।
    6. गोपनीयता: साधक को अपनी साधना को गुप्त रखना चाहिए। साधना के बारे में किसी से चर्चा नहीं करनी चाहिए, क्योंकि इससे साधना की ऊर्जा प्रभावित हो सकती है।
    7. स्थिरता: साधक को साधना के स्थान को नहीं बदलना चाहिए। एक ही स्थान पर नियमित रूप से साधना करने से साधक की ऊर्जा एकत्रित होती है और साधना में सफलता मिलती है।

    साधना की सिद्धि (Sadhana Siddhi)

    सिद्धि प्राप्त करने के लिए साधक को कम से कम 1,25,000 मंत्रों का जाप करना होता है जो साधना के लिए आवश्यक होता है। इस शिविर २ दिन लगातार मंत्र का जप किया जाता है, सिर्फ ४ घंटा सोने मिलता है।

    शिविर

    पंचांगुली साधना को सीखने और इसे सही ढंग से करने के लिए इस विशेष साधना शिविर का आयोजन किया जा रहा है। इसमें भाग लेकर साधक इस साधना को गहराई से सीख सकते हैं। इसके अलावा, अब ऑनलाइन भी इस साधना के लिए भाग लिया जा सकता है।

    यह साधना विशेष रूप से उन लोगों के लिए ज्यादा फायदेमंद है जो एस्ट्रोलोजी, नंब्रोलोजी, रेकी, प्रानिक हीलर, टैरो रीडर, एंजल थेरपी, अध्यात्मिक उपचार, अल्टर्नेटिव हीलर, प्रकृतिक उपचार चिकित्सक, हस्त रेखा, रमल शास्त्र, कौडी शास्त्र, मंत्र चिकित्सक या किसी भी पद्धति उपचार करते हो, उनके लिये ये शिविर अत्यंत जरूरी है।

    प्रत्यक्ष मे भाग लेने वालों के लिये

    • इस शिविर मे दो दिन तक खाने पीने व रहने की सुविधा दी गई है।
    • साधना करते समय ढीले ढाले वस्त्र पहने
    • ब्लू व ब्लैक रंग के कपड़े छोड़ कर कोई भी रंग का कपड़ा पहन सकते है।
    • साधना मे भाग लेने के लिये १ नारियल व २५० ग्राम गाय का घी लाना अनिवार्य है।
    • आप कोई भी कपड़े पहने, लेकिन साधना मे ढीले-ढाले वस्त्र पहनना है।
    • इस साधना मे पंचांगुली साधना सामग्री (सिद्ध पंचांगुली यंत्र, सिद्ध पंचांगुली माला, पंचांगुली पारद गुटिका, सफेद-काली-लाल चिरमी दाना, आसन, सिद्ध गोमती चक्र, सिद्ध काली हल्दी, पंचांगुली कवच) के साथ दीक्षा दी जाती है।

    पंचांगुली साधना- ऑनलाईन भाग लेने वालों के लिये

    • रजिस्ट्रेशन करने के बाद कोई भी भक्त भाग ले सकता है।
    • आपको अपना नाम, पिता का नाम, गोत्र व फोटो WhatsApp पर भेजना होगा।
    • पंचांगुली साधना सामग्री (सिद्ध पंचांगुली यंत्र, सिद्ध पंचांगुली माला, पंचांगुली पारद गुटिका, सफेद-काली-लाल चिरमी दाना, आसन, सिद्ध गोमती चक्र, सिद्ध काली हल्दी, पंचांगुली कवच) के साथ आपकी फोटो साधना हॉल मे रखी जाती है, जहां पर मंत्र का जाप किया जायेगा।
    • आपको उच्चारण के साथ मंत्र का ऑडियो WhatsApp द्वारा भेजा जायेगा।
    • दूसरे दिन दीक्षा दी जायेगी, इसकी डिटेल जानकारी WhatsApp या फोन पर दी जायेगी।
    • जो मंत्र दिया जायेगा उसको अपने समय के अनुसार जाप कर सकते है। यानी आपका जो रुटीन कार्य है, वह करे और बीच बीच मे समय निकालकर मंत्र का जप करे।
    • मंत्र जप के दौरान ब्लू व ब्लैक कपड़े न पहने।
    • आपको दूसरे दिन दीक्षा दी जायेगी, इसका समय WhatsApp द्वारा दिया जायेगा। शाम के समय हवन होगा, जिसे यूट्यूब पर लाईव दिखाया जायेगा।
    • दूसरे दिन साधना समाप्त होने के २४ घंटे के अंदर किसी को खाने पीने वस्तु दान करे, पैसे दान न करे।
    • इसके बाद पंचांगुली साधना सामग्री आपके घर पर विधि के साथ कुरियर से भेज दी जाती है तथा बाकी की जानकारी WhatsApp पर दी जाती है।

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    नियम

    • २ दिन ब्रह्मचर्य रहे।
    • अपनी साधना गुप्त रखे।
    • मसालेदार चीजो का सेवन न करे।
    • धूम्रपान, मद्यपान व मांसाहार का सेवन न करे।
    • गुस्से पर नियंत्रण रखे।
    • जिस भी देवी को आप मानते है, उनसे अपने लिये साधना मे सफलता के लिये मनोकामना करे।

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    पंचांगुली साधना से जुड़े प्रश्न और उत्तर

    1. पंचांगुली साधना से कौन-कौन से लाभ मिलते हैं?
      • पंचांगुली साधना से ज्योतिष, हस्तरेखा, भविष्यवाणी, और अध्यात्मिक उपचार में निपुणता प्राप्त होती है।
    2. क्या पंचांगुली साधना को कोई भी व्यक्ति कर सकता है?
      • हाँ, यह साधना 20 वर्ष से अधिक उम्र के स्त्री और पुरुष दोनों कर सकते हैं।
    3. पंचांगुली साधना के दौरान कौन-कौन से नियमों का पालन करना चाहिए?
      • साधक को सही कपड़े पहनने, धूम्रपान और मांसाहार से बचने, ब्रह्मचर्य का पालन करने और साधना को गुप्त रखने के नियमों का पालन करना चाहिए।
    4. मंत्र जप करते समय क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिए?
      • मंत्र की शुद्धता, जप का समय, एकाग्रता, मंत्र माला का उपयोग और साधना की शुद्धता का ध्यान रखना चाहिए।
    5. साधना के लिए कौन सा स्थान उपयुक्त होता है?
      • साधना के लिए शांत और पवित्र स्थान का चयन करना चाहिए, जहाँ साधक बिना किसी विघ्न के साधना कर सके।
    6. क्या पंचांगुली साधना से व्यक्ति की मानसिक शक्तियाँ जाग्रत हो सकती हैं?
      • हाँ, पंचांगुली साधना से साधक की मानसिक और आध्यात्मिक शक्तियाँ जाग्रत हो सकती हैं।
    7. इस साधना के दौरान क्या साधक को मंत्र जप के अलावा भी कुछ करना होता है?
      • मंत्र जप के साथ-साथ साधक को ध्यान, प्राणायाम, और अन्य आध्यात्मिक क्रियाओं का पालन भी करना चाहिए।
    8. क्या पंचांगुली साधना करने से कुंडली का विश्लेषण करने की क्षमता मिलती है?
      • हाँ, पंचांगुली साधना से साधक को कुंडली का सटीक विश्लेषण करने और भविष्यवाणी करने की शक्ति मिलती है।
    9. पंचांगुली साधना में किस रंग के वस्त्र पहनना उचित होता है?
      • साधना के दौरान सफेद या हल्के रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है।
    10. पंचांगुली साधना को कितने समय तक करना चाहिए?
      • साधक को कम से कम 40 दिन तक नियमित रूप से साधना करनी चाहिए।

    Chandika Karya siddhi Mantra

    Chandika Karya siddhi Mantra

    इस विधि से पान के पत्ते पर ये शब्द लिख दे, कार्य सफल होना शुरु

    चंडिका कार्य सिद्धी मंत्र एक अत्यंत शक्तिशाली और प्रभावशाली मंत्र है, जिसे देवी चंडिका (दुर्गा) की कृपा से अपने जीवन के कार्यों में सफलता प्राप्त करने के लिए जपा जाता है। इस मंत्र का विशेष महत्व है और इसे साधना करते समय विशेष विधि और नियमों का पालन करना आवश्यक है।

    चंडिका कार्य सिद्धी मंत्र का अर्थ

    मंत्र: ॥ॐ क्रीं चंडिके देवदत्त हुं फट्ट॥

    इस मंत्र के प्रत्येक शब्द का विशेष अर्थ है:

    1. : यह ब्रह्मांड की आदिशक्ति का प्रतीक है और साधक को ब्रह्मांडीय ऊर्जा से जोड़ता है।
    2. क्रीं: यह बीज मंत्र है, जो शक्ति और ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है। इसे शक्ति का आधार माना जाता है।
    3. चंडिके: यह देवी चंडिका को संबोधित करता है, जो महाकाली, महालक्ष्मी, और महासरस्वती के समन्वित रूप हैं। वे सभी प्रकार की समस्याओं का समाधान करने वाली देवी हैं।
    4. देवदत्त: “देवदत्त की जगह पर समस्या का नाम ले”
    5. हुं: यह शक्ति और सुरक्षा का प्रतीक है, जो नकारात्मक ऊर्जाओं से रक्षा करता है।
    6. फट्ट: यह शब्द सभी प्रकार की बाधाओं को दूर करने और नकारात्मकता को समाप्त करने के लिए उच्चारित किया जाता है।

    चंडिका कार्य सिद्धी मंत्र के लाभ

    1. कार्य में असफलता: इस मंत्र का जप करने से जीवन में किसी भी प्रकार के कार्य में असफलता दूर होती है।
    2. कार्य में बाधा: यदि आपके कार्य में कोई बाधा उत्पन्न हो रही है, तो इस मंत्र का जप उसे दूर करने में सहायक होता है।
    3. असुरक्षा की भावना: जीवन में असुरक्षा की भावना से छुटकारा पाने के लिए यह मंत्र अत्यंत प्रभावी है।
    4. नौकरी की समस्या: नौकरी से संबंधित समस्याओं का समाधान करने के लिए इस मंत्र का जप किया जाता है।
    5. कर्ज: यदि आप कर्ज से मुक्ति पाना चाहते हैं, तो इस मंत्र का जप अत्यंत लाभकारी होता है।
    6. व्यवसाय की चिंता: व्यवसाय में आने वाली समस्याओं और चिंताओं का समाधान प्राप्त करने के लिए इस मंत्र का जप किया जाता है।
    7. मंगल कार्य में अड़चन: यदि किसी शुभ कार्य में अड़चन आ रही हो, तो इस मंत्र का जप इसे दूर करने में सहायक होता है।
    8. सही निर्णय: जीवन में सही निर्णय लेने की क्षमता विकसित करने के लिए इस मंत्र का जप लाभकारी है।
    9. हीन भावना: हीन भावना को दूर करने और आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए यह मंत्र अत्यंत प्रभावी है।
    10. सफलता की प्राप्ति: यह मंत्र जीवन में सफलता प्राप्त करने में सहायक होता है।
    11. सकारात्मक ऊर्जा का संचार: इस मंत्र का जप सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है और नकारात्मकता को दूर करता है।
    12. दुश्मनों से सुरक्षा: दुश्मनों और नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा प्रदान करने के लिए यह मंत्र प्रभावी है।
    13. समस्याओं का समाधान: जीवन में आने वाली विभिन्न प्रकार की समस्याओं का समाधान इस मंत्र के जप से प्राप्त किया जा सकता है।

    चंडिका कार्य सिद्धी मंत्र विधि

    पान के पत्ते पर अष्टगंध या सिंदूर की स्याही से समस्या का नाम लिखे, जैसे कि बाधा, कर्ज, मंगल कार्य इत्यादि। फिर पान के पत्ते को सामने रखकर तीन बाती का दीपक जलाये, फिर मुडं मुद्रा लगाकर १० बार प्राणायाम करे, फिर यही मुद्रा लगाकर ३० मिनट मंत्र जप करे। इस तरह से ११ दिन तक मंत्र का जप करे, १२वे दिन किसी भोजन या फल दान करे। साधना मे पूरी श्रद्धा बनाये रखे, साधना के नतीजे आश्चर्य जनक रूप से आने शुरु हो जायेंगे। साधना के बाद उस पान के पत्ते को पानी मे विसर्जित कर दे।

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    जप का दिन, अवधि और मुहूर्त

    1. मंत्र जप का दिन: इस मंत्र का जप किसी शुभ दिन, जैसे कि मंगलवार, अष्टमी, या नवमी के दिन किया जा सकता है। ये दिन देवी के विशेष दिन माने जाते हैं।
    2. अवधि: मंत्र जप की अवधि ११ से २१ दिन तक होनी चाहिए। इसे नियमित रूप से करना आवश्यक है।
    3. मुहूर्त: मंत्र जप का सबसे शुभ समय ब्रह्म मुहूर्त (सुबह ३ से ५ बजे के बीच) माना जाता है। इसके अलावा, संध्या के समय भी जप करना लाभकारी होता है।

    मंत्र जप की सामग्री

    मंत्र जप के लिए आवश्यक सामग्री निम्नलिखित है:

    1. रुद्राक्ष या स्फटिक की माला: मंत्र जप के लिए रुद्राक्ष या स्फटिक की माला का उपयोग किया जा सकता है।
    2. घी का दीपक: पूजा के दौरान घी का दीपक जलाना चाहिए।
    3. लाल या पीला आसन: साधना के लिए लाल या पीले रंग का आसन उपयोगी माना जाता है।
    4. देवी चंडिका की मूर्ति या तस्वीर: पूजा स्थल पर देवी चंडिका की मूर्ति या तस्वीर रखनी चाहिए।
    5. कुमकुम और लाल चंदन: पूजा में देवी को कुमकुम और लाल चंदन अर्पित करना चाहिए।
    6. लाल फूल: देवी को लाल फूलों की माला चढ़ानी चाहिए।

    चंडिका कार्य सिद्धी मंत्र जप संख्या

    इस मंत्र का जप साधक को प्रतिदिन ११ माला यानी ११८८ मंत्र करना चाहिए। यह संख्या सुनिश्चित करती है कि साधक को मंत्र के अधिकतम लाभ प्राप्त हों।

    चंडिका कार्य सिद्धी मंत्र जप के नियम

    मंत्र जप के कुछ निश्चित नियम होते हैं, जिनका पालन करना आवश्यक है:

    1. उम्र: साधक की उम्र २० वर्ष से ऊपर होनी चाहिए।
    2. स्त्री-पुरुष: स्त्री या पुरुष, कोई भी इस मंत्र का जप कर सकता है।
    3. कपड़े: साधक को ब्लू या ब्लैक कपड़े नहीं पहनने चाहिए। लाल, पीला या सफेद कपड़े पहनना शुभ माना जाता है।
    4. धूम्रपान और मद्यपान: मंत्र जप के दौरान धूम्रपान, मद्यपान, और मांसाहार का सेवन नहीं करना चाहिए।
    5. ब्रह्मचर्य: मंत्र जप के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
    6. साधना को गुप्त रखना: साधना को गुप्त रखना चाहिए। इसे किसी अन्य व्यक्ति के साथ साझा नहीं करना चाहिए।
    7. साधना का स्थान: साधना का स्थान निर्धारित होना चाहिए और इसे बार-बार नहीं बदलना चाहिए।

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    मंत्र जप की सावधानियाँ

    चंडिका कार्य सिद्धी मंत्र के जप के दौरान कुछ सावधानियाँ बरतनी चाहिए:

    1. श्रद्धा और विश्वास: मंत्र जप करते समय पूर्ण श्रद्धा और विश्वास रखना चाहिए। बिना विश्वास के किया गया जप फलदायी नहीं होता।
    2. शुद्धता: साधक को मानसिक और शारीरिक रूप से शुद्ध रहना चाहिए।
    3. भोजन: मंत्र जप के दौरान सात्विक भोजन का सेवन करना चाहिए।
    4. साधना का समय: साधना का समय नियमित और निर्धारित होना चाहिए। इसे अनियमित नहीं करना चाहिए।
    5. अशुद्ध वस्त्र: साधना के दौरान अशुद्ध वस्त्र पहनने से बचना चाहिए।

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    चंडिका कार्य सिद्धी मंत्र से संबंधित प्रश्न और उनके उत्तर

    प्रश्न 1: चंडिका कार्य सिद्धी मंत्र क्या है?
    उत्तर: यह देवी चंडिका को समर्पित एक मंत्र है, जिसका जप कार्यों में सफलता प्राप्त करने और समस्याओं का समाधान पाने के लिए किया जाता है।

    प्रश्न 2: इस मंत्र का अर्थ क्या है?
    उत्तर: इस मंत्र का हर शब्द देवी चंडिका की शक्ति और कृपा को जागृत करता है, जिससे साधक को अपने कार्यों में सफलता और समस्याओं का समाधान प्राप्त होता है।

    प्रश्न 3: चंडिका कार्य सिद्धी मंत्र का जप किस दिन करना चाहिए?
    उत्तर: इस मंत्र का जप मंगलवार, अष्टमी, या नवमी के दिन करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है।

    प्रश्न 4: चंडिका कार्य सिद्धी मंत्र का जप कितने दिन तक करना चाहिए?
    उत्तर: इस मंत्र का जप ११ से २१ दिन तक नियमित रूप से करना चाहिए।

    प्रश्न 5: इस मंत्र का जप कौन कर सकता है?
    उत्तर: कोई भी व्यक्ति जो २० वर्ष से ऊपर हो, इस मंत्र का जप कर सकता है। स्त्री-पुरुष कोई भी कर सकता है।

    प्रश्न 6: इस मंत्र का जप कितनी बार करना चाहिए?
    उत्तर: इस मंत्र का जप ११ माला यानी ११८८ बार रोज करना चाहिए।

    प्रश्न 7: इस मंत्र का जप करने के लिए कौन सी माला का उपयोग करना चाहिए?
    उत्तर: इस मंत्र के जप के लिए रुद्राक्ष या स्फटिक की माला का उपयोग किया जाना चाहिए।

    प्रश्न 8: चंडिका कार्य सिद्धी मंत्र का जप करने से क्या शत्रु से सुरक्षा मिलती है?
    उत्तर: हां, इस मंत्र का जप शत्रु से सुरक्षा प्रदान करता है और नकारात्मक ऊर्जाओं से बचाता है।

    प्रश्न 9: इस मंत्र का जप किस समय करना चाहिए?
    उत्तर: इस मंत्र का जप ब्रह्म मुहूर्त या संध्या के समय करना सबसे अधिक शुभ माना जाता है।

    Kubera Dust Mantra – Disputes related to home land

    Kubera Dust Mantra - Disputes related to home land

    घर जमीन की समस्या हल करने वाला कुबेर धूल मंत्र धन, संपत्ति, और समृद्धि के देवता कुबेर को समर्पित एक प्रभावशाली मंत्र है। इस मंत्र का जप जीवन में आर्थिक समृद्धि, जमीन विवाद, कर्ज से मुक्ति, और पारिवारिक शांति के लिए किया जाता है। इस मंत्र का नियमित रूप से जप करने से साधक को विभिन्न प्रकार की भौतिक और आध्यात्मिक समस्याओं से छुटकारा मिलता है।

    कुबेर धूल मंत्र का अर्थ

    मंत्र: ॥ॐ धं यक्षपति कुबेराय सर्व कार्य सिद्धिं देही देही हुं फट्ट॥

    इस मंत्र का अर्थ निम्नलिखित है:

    1. : यह ब्रह्मांड की परम शक्ति का प्रतीक है और साधक को ब्रह्मांडीय ऊर्जा से जोड़ता है।
    2. धं: यह बीज मंत्र है जो कुबेर देव की शक्ति और ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है।
    3. यक्षपति: यह कुबेर देव के लिए उपयोग किया जाने वाला विशेषण है, जो यक्षों के स्वामी और धन के संरक्षक हैं।
    4. कुबेराय: यह कुबेर देव को संबोधित करता है, जो धन और संपत्ति के देवता हैं।
    5. सर्व कार्य सिद्धिं: इसका अर्थ है “सभी कार्यों की सिद्धि,” यानि की सभी प्रकार की समस्याओं और कठिनाइयों का समाधान।
    6. देही देही: यह शब्द एक आग्रह के रूप में प्रयोग होता है, जिसका अर्थ है “दो, दो,” जिससे साधक अपने उद्देश्यों की प्राप्ति की प्रार्थना करता है।
    7. हुं: यह शक्ति, सुरक्षा और नकारात्मक ऊर्जाओं से रक्षा का प्रतीक है।
    8. फट्ट: यह शब्द सभी प्रकार की बाधाओं को दूर करने और नकारात्मकता को समाप्त करने के लिए उच्चारित किया जाता है।

    कुबेर धूल मंत्र के लाभ

    1. जमीन से जुड़े विवाद: इस मंत्र का जप करने से जमीन से जुड़े विवादों का समाधान होता है।
    2. घर और ऑफिस से जुड़े विवाद: परिवार या कार्यस्थल पर उत्पन्न होने वाले विवादों से मुक्ति मिलती है।
    3. घर निर्माण में अड़चन: यदि घर के निर्माण में किसी प्रकार की अड़चन आ रही है, तो इस मंत्र के जप से वह दूर होती है।
    4. जमीन खरीदना-बेचना: इस मंत्र का जप करने से जमीन खरीदने या बेचने में आने वाली समस्याओं का समाधान होता है।
    5. धन आने के स्रोत: कुबेर धूल मंत्र का जप साधक के जीवन में नए धन के स्रोत खोलता है।
    6. पारिवारिक शांति: परिवार में शांति, सद्भावना और प्रेम बनाए रखने के लिए यह मंत्र अत्यंत प्रभावी है।
    7. घर की सुरक्षा: इस मंत्र का जप घर को नकारात्मक ऊर्जाओं और तंत्र बाधाओं से बचाने में सहायक होता है।
    8. कर्ज से मुक्ति: यदि साधक कर्ज में डूबा हुआ है, तो इस मंत्र का जप उसे कर्ज से मुक्ति दिलाने में सहायता करता है।
    9. सही निर्णय: जीवन में सही निर्णय लेने की शक्ति प्रदान करता है।
    10. मान-सम्मान: समाज में मान-सम्मान प्राप्त करने के लिए यह मंत्र लाभकारी है।
    11. व्यवसाय में उन्नति: व्यवसाय में उन्नति और सफलता प्राप्त होती है।
    12. घर की समृद्धि: घर में सुख-समृद्धि और धन की वृद्धि होती है।
    13. सकारात्मक ऊर्जा: इस मंत्र का जप घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
    14. विरोधियों से सुरक्षा: कुबेर धूल मंत्र का जप साधक को विरोधियों से सुरक्षा प्रदान करता है।
    15. आर्थिक स्थिरता: साधक के जीवन में आर्थिक स्थिरता और समृद्धि आती है।

    कुबेर धूल मंत्र विधि

    इस विधि मे घर या जमीन की २ ग्राम मिट्टी लेकर अपने सामने एक स्टील की कटोरी मे रखे। सामने भगवान कुबेर की फोटो रखे। घी का दीपक जलाये। लक्ष्मी मुद्रा लगाकर अपने आज्ञा चक्र पर ध्यान करके १० बार प्राणायाम करे, फिर यही मुद्रा लगाकर ३० मिनट तक कुबेर धूल मंत्र का जप करे। इस तरह से यह क्रिया ११ से २१ दिन तक करे। साधना समाप्त होने के बाद किसी जरूरतमंद को भोजन या फल दान करे। साधना के बाद वही मिट्टी घर के बाहर या अपनी जमीन पर डाल दे। इस तरह से पूरे विश्वास के साथ ये प्रयोग करे तो सफलता निश्चित मिलेगी।

    मंत्र जप का दिन, अवधि और मुहूर्त

    1. मंत्र जप का दिन: कुबेर धूल मंत्र का जप शुक्रवार और पूर्णिमा के दिन करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है। ये दिन देवी लक्ष्मी और कुबेर देव के विशेष दिन माने जाते हैं।
    2. अवधि: इस मंत्र का जप साधक ११ से २१ दिन तक कर सकता है। इसे नियमित रूप से करना आवश्यक है।
    3. मुहूर्त: मंत्र जप का सबसे शुभ समय ब्रह्म मुहूर्त (सुबह ३ से ५ बजे के बीच) माना जाता है। इसके अलावा, सूर्यास्त के समय भी जप करना फलदायी होता है।

    मंत्र जप की सामग्री

    1. रुद्राक्ष या स्फटिक की माला: मंत्र जप के लिए रुद्राक्ष या स्फटिक की माला का प्रयोग करना चाहिए।
    2. घी का दीपक: पूजा के दौरान घी का दीपक जलाना चाहिए।
    3. लाल या पीला आसन: साधना के लिए लाल या पीले रंग का आसन उपयोगी माना जाता है।
    4. कुबेर देव की मूर्ति या तस्वीर: पूजा स्थल पर कुबेर देव की मूर्ति या तस्वीर रखनी चाहिए।

    जप संख्या

    कुबेर धूल मंत्र का जप ११ माला यानी ११८८ मंत्र रोज २१ दिन तक करना चाहिए। इसे निर्धारित समय और संख्या में ही करना चाहिए ताकि साधक को अधिकतम लाभ मिल सके।

    कुबेर धूल मंत्र जप के नियम

    1. उम्र: साधक की उम्र २० वर्ष के ऊपर होनी चाहिए।
    2. स्त्री-पुरुष: स्त्री या पुरुष, कोई भी इस मंत्र का जप कर सकता है।
    3. कपड़े: साधक को ब्लू या ब्लैक कपड़े नहीं पहनने चाहिए। लाल, पीला या सफेद कपड़े पहनना शुभ माना जाता है।
    4. धूम्रपान और मद्यपान: मंत्र जप के दौरान धूम्रपान, मद्यपान, और मांसाहार का सेवन नहीं करना चाहिए।
    5. ब्रह्मचर्य: मंत्र जप के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
    6. साधना को गुप्त रखना: साधना को गुप्त रखना चाहिए। इसे किसी अन्य व्यक्ति के साथ साझा नहीं करना चाहिए।
    7. साधना का स्थान: साधना का स्थान निर्धारित होना चाहिए और इसे बार-बार नहीं बदलना चाहिए।

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    मंत्र जप की सावधानियाँ

    कुबेर धूल मंत्र के जप के दौरान कुछ सावधानियाँ बरतनी चाहिए:

    1. श्रद्धा और विश्वास: मंत्र जप करते समय पूर्ण श्रद्धा और विश्वास रखना चाहिए। बिना विश्वास के किया गया जप फलदायी नहीं होता।
    2. शुद्धता: साधक को मानसिक और शारीरिक रूप से शुद्ध रहना चाहिए।
    3. भोजन: मंत्र जप के दौरान सात्विक भोजन का सेवन करना चाहिए।
    4. साधना का समय: साधना का समय नियमित और निर्धारित होना चाहिए। इसे अनियमित नहीं करना चाहिए।
    5. अशुद्ध वस्त्र: साधना के दौरान अशुद्ध वस्त्र पहनने से बचना चाहिए।

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    प्रश्न और उनके उत्तर

    प्रश्न 1: कुबेर धूल मंत्र क्या है?
    उत्तर: कुबेर धूल मंत्र धन, संपत्ति, और समृद्धि के देवता कुबेर को समर्पित एक प्रभावशाली मंत्र है, जो विशेष रूप से आर्थिक समस्याओं और पारिवारिक शांति के लिए जपा जाता है।

    प्रश्न 2: कुबेर धूल मंत्र का अर्थ क्या है?
    उत्तर: इस मंत्र का हर शब्द कुबेर देव की शक्ति और ऊर्जा को जागृत करता है, जिससे साधक को सभी प्रकार की समस्याओं का समाधान प्राप्त होता है।

    प्रश्न 3: कुबेर धूल मंत्र का जप किस दिन करना चाहिए?
    उत्तर: इस मंत्र का जप शुक्रवार और पूर्णिमा के दिन करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है।

    प्रश्न 4: कुबेर धूल मंत्र का जप कितने दिन तक करना चाहिए?
    उत्तर: इस मंत्र का जप ११ से २१ दिन तक नियमित रूप से करना चाहिए।

    प्रश्न 5: कुबेर धूल मंत्र का जप कौन कर सकता है?
    उत्तर: कोई भी व्यक्ति जो २० वर्ष से ऊपर हो, इस मंत्र का जप कर सकता है। स्त्री-पुरुष कोई भी कर सकता है।

    प्रश्न 6: कुबेर धूल मंत्र का जप कितनी बार करना चाहिए?
    उत्तर: इस मंत्र का जप ११ माला यानी ११८८ बार रोज करना चाहिए।

    प्रश्न 7: कुबेर धूल मंत्र का जप करने से क्या लाभ होते हैं?
    उत्तर: इस मंत्र का जप करने से शारीरिक और मानसिक समस्याओं का समाधान होता है, और जीवन में धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

    प्रश्न 8: कुबेर धूल मंत्र का जप करते समय किन चीजों का ध्यान रखना चाहिए?
    उत्तर: मंत्र जप करते समय श्रद्धा, शुद्धता, नियमितता, और सात्विक आहार का पालन करना चाहिए।

    प्रश्न 9: कुबेर धूल मंत्र का जप करने के लिए कौन सी माला का उपयोग करना चाहिए?
    उत्तर: इस मंत्र के जप के लिए रुद्राक्ष या स्फटिक की माला का उपयोग करना चाहिए।

    Hanuman Bahuk Mantra for Immunity

    Hanuman Bahuk Mantra for Immunity

    हर तरह के दर्द, विघ्न को दूर भगाने वाला हनुमान बाहुक मंत्र एक अत्यंत शक्तिशाली और प्रभावी मंत्र है जो भक्तों के शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक विकास के लिए उपयोगी है। इस मंत्र के जप से साधक को न केवल शारीरिक पीड़ा से राहत मिलती है, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति और परिवारिक शांति भी प्राप्त होती है। इस मंत्र का विशेष महत्व और विधि है, जिसे विधिवत पालन करने से अधिकतम लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं।

    हनुमान बाहुक मंत्र का अर्थ

    मंत्र: ॥ॐ हं बाहुक हनुमंते क्लीं हुं फ्रौं फट्ट॥

    इस मंत्र का हर शब्द एक विशेष ऊर्जा और अर्थ को धारण करता है:

    1. : यह ब्रह्माण्ड की परम शक्ति का प्रतीक है। यह ध्वनि ब्रह्माण्ड के मूल से संबंधित है और साधक के आत्मा को ब्रह्मांडीय ऊर्जा से जोड़ती है।
    2. हं: यह बीज मंत्र है जो हनुमान जी की शक्ति का प्रतीक है। यह शारीरिक और मानसिक बल को बढ़ाने के लिए उच्चारित किया जाता है।
    3. बाहुक: यह शब्द हनुमान जी की विशेषता को दर्शाता है। यह उनकी बाहुबल और शक्ति को संदर्भित करता है।
    4. हनुमंते: यह हनुमान जी को संबोधित करता है, जो बल, बुद्धि, और भक्ति के प्रतीक हैं।
    5. क्लीं: यह एक और बीज मंत्र है जो आकर्षण और सफलता का प्रतीक है। यह मंत्र साधक को अध्यात्मिक और भौतिक रूप से उन्नति दिलाता है।
    6. हुं: यह शक्ति और सुरक्षा का प्रतीक है। यह मंत्र साधक को नकारात्मक ऊर्जाओं और शत्रुओं से बचाता है।
    7. फ्रौं: यह मंत्र हनुमान जी की तीव्र ऊर्जा के प्रवाह को नियंत्रित करता है और साधक के जीवन में सकारात्मकता लाता है।
    8. फट्ट: यह मंत्र साधक के जीवन से नकारात्मकता को समाप्त करने के लिए उच्चारित किया जाता है।

    लाभ

    1. शरीर का दर्द: इस मंत्र का जप शरीर में किसी भी प्रकार के दर्द, चाहे वह मांसपेशियों का हो या जोड़ का, उसे दूर करने में सहायक होता है।
    2. मन का दर्द: मानसिक तनाव, चिंता, और अवसाद जैसी समस्याओं से मुक्ति के लिए यह मंत्र अत्यंत प्रभावी है।
    3. आध्यात्मिक उन्नति: साधक के आध्यात्मिक मार्ग में प्रगति के लिए यह मंत्र एक महत्वपूर्ण साधन है।
    4. आकर्षण शक्ति: इस मंत्र का जप करने से साधक में आकर्षण शक्ति बढ़ती है, जिससे लोग उसकी ओर खिंचते हैं।
    5. पारिवारिक शांति: परिवार में शांति और सद्भावना के लिए यह मंत्र अत्यंत उपयोगी है।
    6. घर की सुरक्षा: यह मंत्र घर को नकारात्मक ऊर्जाओं और तंत्र बाधाओं से बचाने के लिए जपा जाता है।
    7. मंगल कार्य: जीवन में मंगल कार्यों की प्राप्ति और समृद्धि के लिए यह मंत्र सहायक है।
    8. शत्रु से सुरक्षा: यह मंत्र साधक को शत्रुओं के बुरे प्रभाव से बचाने में सक्षम है।
    9. सही निर्णय: इस मंत्र का जप साधक को सही निर्णय लेने में सहायता करता है।
    10. तंत्र बाधा से सुरक्षा: यह मंत्र साधक को तंत्र-मंत्र के बुरे प्रभावों से बचाता है।
    11. आकर्षक व्यक्तित्व: साधक का व्यक्तित्व आकर्षक और प्रभावशाली बनता है।
    12. भयमुक्ति: साधक को डर और भय से मुक्त करता है।
    13. धन प्राप्ति: इस मंत्र का जप साधक को आर्थिक उन्नति और धन प्राप्ति में सहायक होता है।
    14. सद्बुद्धि: यह मंत्र साधक को सद्बुद्धि और विवेक प्रदान करता है।
    15. जीवन में सफलता: जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए यह मंत्र अत्यंत उपयोगी है।

    हनुमान बाहुक मंत्र विधि

    हनुमान बाहुक मंत्र का जप करने के लिए एक निश्चित विधि और प्रक्रिया का पालन करना आवश्यक है। इस मंत्र का जप तब ही फलदायी होता है जब इसे पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से किया जाए।

    मंत्र जप का दिन, अवधि और मुहूर्त

    1. मंत्र जप का दिन: हनुमान बाहुक मंत्र का जप मंगलवार और शनिवार के दिन करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है। इन दिनों को हनुमान जी का विशेष दिन माना जाता है।
    2. अवधि: मंत्र का जप साधक ११ से २१ दिन तक कर सकता है। इसे नियमित रूप से करना आवश्यक है।
    3. मुहूर्त: मंत्र जप का सबसे शुभ समय ब्रह्म मुहूर्त (सुबह ३ से ५ बजे के बीच) माना जाता है। इसके अलावा, सूर्यास्त के समय भी जप करना फलदायी होता है।

    मंत्र जप की सामग्री

    1. रुद्राक्ष या तुलसी की माला: मंत्र जप के लिए रुद्राक्ष या तुलसी की माला का प्रयोग करना चाहिए।
    2. घी का दीपक: पूजा के दौरान घी का दीपक जलाना चाहिए।
    3. लाल आसन: साधना के लिए लाल रंग का आसन उपयोगी माना जाता है।
    4. हनुमान जी की मूर्ति या तस्वीर: पूजा स्थल पर हनुमान जी की मूर्ति या तस्वीर रखनी चाहिए।

    जप संख्या

    हनुमान बाहुक मंत्र का जप ११ माला २१ दिन, यानी ११८८ मंत्र रोज करना चाहिए। इसे निर्धारित समय और संख्या में ही करना चाहिए ताकि साधक को अधिकतम लाभ मिल सके।

    मंत्र जप के नियम

    हनुमान बाहुक मंत्र के जप के कुछ निश्चित नियम होते हैं, जिन्हें पालन करने से साधक को अधिकतम लाभ प्राप्त होता है:

    1. उम्र: साधक की उम्र २० वर्ष के ऊपर होनी चाहिए।
    2. स्त्री-पुरुष: स्त्री या पुरुष, कोई भी इस मंत्र का जप कर सकता है।
    3. कपड़े: साधक को ब्लू या ब्लैक कपड़े नहीं पहनने चाहिए। लाल या सफेद कपड़े पहनना शुभ माना जाता है।
    4. धूम्रपान और मद्यपान: मंत्र जप के दौरान धूम्रपान, मद्यपान, और मांसाहार का सेवन नहीं करना चाहिए।
    5. ब्रह्मचर्य: मंत्र जप के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
    6. साधना को गुप्त रखना: साधना को गुप्त रखना चाहिए। इसे किसी अन्य व्यक्ति के साथ साझा नहीं करना चाहिए।
    7. साधना का स्थान: साधना का स्थान निर्धारित होना चाहिए और इसे बार-बार नहीं बदलना चाहिए।

    Kamakhya sadhana shivir

    मंत्र जप की सावधानियाँ

    हनुमान बाहुक मंत्र के जप के दौरान कुछ सावधानियाँ बरतनी चाहिए:

    1. श्रद्धा और विश्वास: मंत्र जप करते समय पूर्ण श्रद्धा और विश्वास रखना चाहिए। बिना विश्वास के किया गया जप फलदायी नहीं होता।
    2. शुद्धता: साधक को मानसिक और शारीरिक रूप से शुद्ध रहना चाहिए।
    3. भोजन: मंत्र जप के दौरान सात्विक भोजन का सेवन करना चाहिए।
    4. साधना का समय: साधना का समय नियमित और निर्धारित होना चाहिए। इसे अनियमित नहीं करना चाहिए।
    5. अशुद्ध वस्त्र: साधना के दौरान अशुद्ध वस्त्र पहनने से बचना चाहिए।

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    हनुमान बाहुक मंत्र से संबंधित प्रश्न और उनके उत्तर

    प्रश्न 1: हनुमान बाहुक मंत्र क्या है?
    उत्तर: हनुमान बाहुक मंत्र एक अत्यंत शक्तिशाली मंत्र है जो शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक उन्नति के लिए जपा जाता है।

    प्रश्न 2: हनुमान बाहुक मंत्र का अर्थ क्या है?
    उत्तर: इस मंत्र का हर शब्द एक विशेष ऊर्जा और अर्थ को धारण करता है जो साधक को विभिन्न प्रकार के लाभ प्रदान करता है।

    प्रश्न 3: हनुमान बाहुक मंत्र का जप किस दिन करना चाहिए?
    उत्तर: इस मंत्र का जप मंगलवार और शनिवार के दिन करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है।

    प्रश्न 4: हनुमान बाहुक मंत्र का जप कितने दिन तक करना चाहिए?
    उत्तर: इस मंत्र का जप ११ से २१ दिन तक नियमित रूप से करना चाहिए।

    प्रश्न 5: हनुमान बाहुक मंत्र का जप कौन कर सकता है?
    उत्तर: कोई भी व्यक्ति जो २० वर्ष से ऊपर हो, इस मंत्र का जप कर सकता है। स्त्री-पुरुष कोई भी कर सकता है।

    प्रश्न 6: हनुमान बाहुक मंत्र का जप कितनी बार करना चाहिए?
    उत्तर: इस मंत्र का जप ११ माला यानी ११८८ बार रोज करना चाहिए।

    प्रश्न 7: हनुमान बाहुक मंत्र का जप करने से क्या लाभ होते हैं?
    उत्तर: इस मंत्र का जप करने से शारीरिक दर्द, मानसिक तनाव, आध्यात्मिक उन्नति, पारिवारिक शांति, शत्रु से सुरक्षा, और धन प्राप्ति जैसे कई लाभ होते हैं।

    प्रश्न 8: हनुमान बाहुक मंत्र का जप करते समय किन चीजों का ध्यान रखना चाहिए?
    उत्तर: मंत्र जप करते समय श्रद्धा, शुद्धता, नियमितता, और सात्विक आहार का पालन करना चाहिए।

    प्रश्न 9: हनुमान बाहुक मंत्र का जप करने के लिए कौन सी माला का उपयोग करना चाहिए?
    उत्तर: इस मंत्र के जप के लिए रुद्राक्ष या तुलसी की माला का उपयोग करना चाहिए।

    Dattatreya Chalisa for Peace & Protection

    Dattatreya Chalisa for Peace & Protection

    दत्तात्रेय चालीसा एक प्रसिद्ध हिंदू धार्मिक पाठ है जिसे भगवान दत्तात्रेय की आराधना के लिए पाठ किया जाता है। भगवान दत्तात्रेय, जो ब्रह्मा, विष्णु और महेश का संयुक्त अवतार माने जाते हैं। इनकी चालीसा का नियमित ४१ दिन पाठ करने से व्यक्ति को मानसिक शांति, आत्मिक शक्ति, समृद्धि और जीवन की विभिन्न समस्याओं से मुक्ति मिलती है।

    संपूर्ण दत्तात्रेय चालीसा

    श्रीगणेशाय नमः 
     
    दत्तगुरु के चरणों में, मेरा कोटि प्रणाम ।  
    रक्षा करो हे दत्त प्रभु, रख लो अपनी शरण ।।  
    रक्षा करो हे दत्त प्रभु, रख लो अपनी शरण ।। 
    
    जयति जयति दत्तात्रेय, स्वामी दिगम्बर जय ।  
    आदि ब्रह्मा, मध्यम विष्णु, देवा महेश्वर जय ।।  
    जयति जयति त्रिमूर्ति रूप, भव बाधा हरते जय ।  
    सहज प्राप्ति हर हर जय, शुभ फल सुख देते जय ।।  
    जयति जयति अनसूया नन्दन, परम गम्भीर प्रभु जय ।  
    हर कृपा कर सरसिज पद, भक्तों को सुख देते जय ।।  
    
    श्रीगणेश, श्रीशारदा, लक्ष्मी सहित शिव जय ।  
    सतगुरु चरन, कमल सेवा, भव निधि से त्राण कर जय ।।  
    सिर झुकाये, हाथ जोड़े, करें भक्ति प्राण जय ।  
    त्रिभुवन में, प्रकट प्रभु दत्त, ब्रह्मानन्द स्वरूप जय ।।  
    
    गुरु गम्भीर, कृपा सागर, कर जोड़ों चरणारविन्द ।  
    शरणागत, रक्षण कर्ता, रखों हमारी लाज प्रभु ।।  
    श्रीदत्तात्रेय प्रभु, कृपाकर, सदा सहाय रहो प्रभु ।  
    भक्तिवान, दुःख से त्राण, सदा सबन का करें कल्याण प्रभु ।।  
    
    कर भरोसा, मन में आस, स्वामी सुखदाता जय ।  
    मति हमारी शुद्ध कर प्रभु, दोष, दुष्कृत मिटा प्रभु ।  
    ध्यान लगायें, चित्त मनायें, श्रीदत्त कृपा से प्रभु ।  
    भक्त गण, करें सुमिरन, सदा सहाय हो प्रभु ।।  
    
    जयति जयति दत्तगुरु, ब्रह्मानन्द दाता जय ।  
    अघनाशक, त्रिविक्रम देव, ज्ञान भक्ति दो प्रभु ।  
    सुमिरन से भव-बन्धन, से सदा मुक्त रहें प्रभु ।  
    त्रिविध ताप, मिट जायें प्रभु, अन्त करण सुधीर हो प्रभु ।।  
    
    श्रीदत्त शरणं, मोक्ष सुलभ, भव सागर से त्राण हो ।  
    भव-भय हारक, सतगुरु, कष्ट निवारक हो प्रभु ।  
    शरणागत, मोक्ष प्रदायक, सुलभ सरल करते प्रभु ।  
    करुणामय, सन्तत हर्षायें, भव से मुक्ति हो प्रभु ।।  
    
    श्रीदत्तात्रेय शरणं, भव बाधा हरण प्रभु ।  
    श्रीदत्तात्रेय शरणं, पाप-ताप-त्रय हरण प्रभु ।  
    श्रीदत्तात्रेय शरणं, मन में आस लगायें प्रभु ।  
    भक्तजन, करें स्मरण, सदा सहाय हो प्रभु ।।  
    जयति जयति दत्तगुरु, सर्व रोग हरते प्रभु ।  
    जयति जयति दत्तगुरु, पाप-ताप निवारक प्रभु ।  
    जयति जयति दत्तगुरु, करुणा कृपा निधान प्रभु ।  
    जयति जयति दत्तगुरु, जगत तारन प्रभु ।।

    तुलसीदास चालीसा के लाभ

    1. मानसिक शांति: तुलसीदास चालीसा के नियमित पाठ से मानसिक शांति और आत्मिक संतुलन प्राप्त होता है।
    2. संकटों का निवारण: चालीसा का पाठ करने से जीवन के संकटों का समाधान होता है।
    3. भय और चिंता का नाश: इसका नियमित जप व्यक्ति को भय और चिंता से मुक्त करता है।
    4. धन-धान्य में वृद्धि: तुलसीदास चालीसा के पाठ से आर्थिक समृद्धि और धन-धान्य की वृद्धि होती है।
    5. स्वास्थ्य लाभ: इसके पाठ से शारीरिक रोगों से मुक्ति और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
    6. दुश्मनों से रक्षा: चालीसा का पाठ व्यक्ति को दुश्मनों और नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा प्रदान करता है।
    7. धार्मिक आस्था में वृद्धि: नियमित पाठ से व्यक्ति की धार्मिक आस्था और भक्ति में वृद्धि होती है।
    8. परिवार में शांति: इसके पाठ से परिवार में शांति और सौहार्द्र बना रहता है।
    9. सफलता: चालीसा का पाठ करने से जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।
    10. जीवन के संकल्प: इस चालीसा के माध्यम से जीवन में संकल्प और उद्देश्य की प्राप्ति होती है।
    11. विवाह में विलंब: चालीसा का पाठ विवाह में विलंब जैसी समस्याओं का समाधान करता है।
    12. आध्यात्मिक शक्ति: तुलसीदास चालीसा व्यक्ति को आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करता है।
    13. संतान सुख: चालीसा का नियमित पाठ संतान सुख प्रदान करता है।
    14. ज्ञान और बुद्धि में वृद्धि: इसके पाठ से व्यक्ति की ज्ञान और बुद्धि में वृद्धि होती है।
    15. कल्याणकारी कार्यों में सफलता: चालीसा का पाठ करने से कल्याणकारी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
    16. आध्यात्मिक मार्गदर्शन: इसके नियमित पाठ से व्यक्ति को आध्यात्मिक मार्गदर्शन मिलता है।

    दत्तात्रेय चालीसा की विधि

    विधि:

    1. स्थान का चयन: शांत और पवित्र स्थान का चयन करें, जहां पर ध्यान लगाना आसान हो।
    2. स्वच्छता: स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें और पवित्र मन से चालीसा का पाठ करें।
    3. दत्तात्रेय की प्रतिमा: भगवान दत्तात्रेय की प्रतिमा या चित्र के सामने दीपक और धूप जलाएं।
    4. नैवेद्य: फल, फूल, और प्रसाद अर्पित करें।
    5. मंत्रों का उच्चारण: “ॐ द्रां दत्तात्रेयाय नमः” का जप करें और फिर दत्तात्रेय चालीसा का पाठ करें।

    दिन और अवधि:

    1. शुभ दिन: दत्तात्रेय चालीसा का पाठ गुरुवार को विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। यह दिन भगवान दत्तात्रेय को समर्पित है।
    2. अवधि: किसी भी अवधि में, विशेष रूप से सुबह के समय, चालीसा का पाठ करना शुभ माना जाता है।

    मुहूर्त:

    • ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) सबसे उत्तम समय है।
    • संध्याकाल में भी इस चालीसा का पाठ करना फलदायी होता है।

    दत्तात्रेय चालीसा के पाठ के नियम

    1. संकल्प: पाठ करने से पहले मन में एक संकल्प लें कि आप इसे पूरी श्रद्धा और निष्ठा से करेंगे।
    2. शुद्धता: मन, वाणी और शरीर की शुद्धता का ध्यान रखें।
    3. नियमितता: यदि आप कोई निश्चित संख्या में पाठ करने का संकल्प लेते हैं, तो इसे पूरे नियमितता से करें।
    4. ध्यान: पाठ करते समय भगवान दत्तात्रेय की छवि का ध्यान करें।
    5. भक्ति और श्रद्धा: पाठ करते समय आपकी भक्ति और श्रद्धा भगवान के प्रति सच्ची होनी चाहिए।
    6. शांतिपूर्ण वातावरण: ध्यान रखें कि पाठ के दौरान आपके चारों ओर का वातावरण शांत और व्यवधान-रहित हो।
    7. आहार का ध्यान: यदि आप चालीसा का पाठ कर रहे हैं, तो सात्विक आहार का सेवन करें और मांसाहार से परहेज करें।
    8. भोजन के बाद पाठ: पाठ को भोजन करने के बाद ही करना चाहिए, खाली पेट पाठ नहीं करना चाहिए।
    9. प्रसाद वितरण: पाठ के बाद प्रसाद को सभी सदस्यों में बांटें।
    10. ध्यान मुद्रा: पाठ करते समय ध्यान मुद्रा में बैठें और भगवान दत्तात्रेय का ध्यान करें।

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    दत्तात्रेय चालीसा के पाठ में सावधानियां

    1. विराम: पाठ के दौरान बिना किसी व्यवधान के पूरा पाठ करें।
    2. अनुशासन: नियमों का पालन करते हुए अनुशासन में रहें।
    3. शुद्धता: अशुद्ध मन या विकारों से ग्रसित होने पर पाठ करने से बचें।
    4. ध्यान की कमी: पाठ करते समय मन को भटकने न दें, भगवान दत्तात्रेय के प्रति ध्यान केंद्रित करें।
    5. अशुद्ध स्थान: किसी अशुद्ध या अपवित्र स्थान पर पाठ नहीं करना चाहिए।
    6. संशय: पाठ करते समय भगवान के प्रति संशय नहीं होना चाहिए।
    7. अनुचित समय: रात के समय या अत्यधिक शोरगुल वाले स्थान पर पाठ से बचें।
    8. अपवित्र वस्त्र: पाठ के समय स्वच्छ और पवित्र वस्त्र धारण करें।
    9. आलस्य: आलस्य और थकान के समय पाठ से बचें, इसे ताजगी और ऊर्जा के साथ करें।
    10. अनुचित आहार: पाठ के समय मांसाहार या तामसिक आहार से परहेज करें।

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    दत्तात्रेय चालीसा से जुड़े पृश्न उत्तर

    दत्तात्रेय चालीसा क्या है?

    • यह भगवान दत्तात्रेय की स्तुति में रचित 40 चौपाइयों का एक समूह है।

    चालीसा का पाठ कब करना चाहिए?

    • इसका पाठ गुरुवार को सुबह ब्रह्ममुहूर्त में करना उत्तम माना जाता है।

    दत्तात्रेय चालीसा का पाठ कितने दिन तक करना चाहिए?

    • इसे 40 दिनों तक निरंतर पाठ करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

    क्या महिलाएं दत्तात्रेय चालीसा का पाठ कर सकती हैं?

    • हाँ, महिलाएं भी इस चालीसा का पाठ कर सकती हैं, केवल मासिक धर्म के दौरान पाठ से बचना चाहिए।

    दत्तात्रेय चालीसा का पाठ किन फलों की प्राप्ति कराता है?

    • यह पाठ मानसिक शांति, आत्मिक बल, और धन-धान्य की प्राप्ति कराता है।

    क्या दत्तात्रेय चालीसा का पाठ सभी कर सकते हैं?

    • हाँ, इसका पाठ कोई भी व्यक्ति कर सकता है, चाहे उसकी जाति, उम्र, या लिंग कुछ भी हो।

    दत्तात्रेय चालीसा के पाठ का शुभ समय क्या है?

    • ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) और संध्याकाल उत्तम समय माने जाते हैं।

    क्या दत्तात्रेय चालीसा का पाठ हर रोज करना चाहिए?

    • हाँ, इसे नियमित रूप से हर रोज करने से भगवान दत्तात्रेय की कृपा बनी रहती है।

    दत्तात्रेय चालीसा के पाठ के दौरान क्या नियम हैं?

    • पाठ करते समय मन, वाणी और शरीर की शुद्धता का ध्यान रखें, और ध्यान को भगवान दत्तात्रेय पर केंद्रित करें।

    क्या दत्तात्रेय चालीसा का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है?

    • हाँ, लेकिन सबसे शुभ समय ब्रह्ममुहूर्त और संध्याकाल का माना जाता है।

    दत्तात्रेय चालीसा का पाठ किस स्थान पर करना चाहिए?

    • शांत और पवित्र स्थान पर पाठ करना चाहिए।

    क्या दत्तात्रेय चालीसा का पाठ विशेष मांगलिक अवसरों पर किया जा सकता है?

    • हाँ, विवाह, गृह प्रवेश, और अन्य शुभ अवसरों पर इसका पाठ विशेष फलदायी होता है।

    Guru Govida Singh Chalisa for Courage and strength

    Guru Govida Singh Chalisa for Courage and strength

    गुरु गोविंद सिंह चालीसा सिख धर्म के दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह जी की महिमा का गान है। यह चालीसा उनके अद्वितीय व्यक्तित्व, बलिदान, और उनकी शिक्षाओं का बखान करता है। गुरु गोविंद सिंह जी ने सिख धर्म के इतिहास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उनके जीवन का उद्देश्य अन्याय और अत्याचार के खिलाफ खड़ा होना था। इस चालीसा का पाठ करने से साधक को गुरु जी की कृपा प्राप्त होती है और वह जीवन के संघर्षों में साहस और शक्ति प्राप्त करता है।

    संपूर्ण गुरु गोविंद सिंह चालीसा

    दोहा

    श्री गुरु गोविंद सिंह जी, धरें सुमति मम अंतर।
    चालीसा जो पाठ करे, हो कल्याण सब सागर।।

    चालीसा

    जय हो गुरु गोविंद, जगत के पालनहार।
    धन्य हो तुम महाराज, वीरता के अवतार।।
    सच्ची राह दिखाई, सत्य की है तुम्हारी ललकार।
    जो भी तुझे पुकारे, उसकी हो विजय हर बार।।
    पिता तेगबहादुर का बलिदान सिखाया।
    धर्म की रक्षा हेतु, सिर कटाने का पाठ पढ़ाया।।
    पांच प्यारे संग लेकर, खालसा पंथ बनाया।
    त्याग, प्रेम, और धर्म का सन्देश फैलाया।।
    निज पुत्रों को खोकर भी, धैर्य नहीं खोया।
    बलिदान और समर्पण का अद्वितीय रूप दिखाया।।
    जय हो गुरु गोविंद, अमर हो तेरा नाम।
    जो भी तुझे पुकारे, हो जाए उसका काम।।
    गुरु ग्रंथ साहिब का किया तुमने साक्षात् उद्धार।
    हर पन्ने में छुपा है, गुरु की शक्ति का सार।।
    शस्त्र और शास्त्र दोनों में, तुमने साधी महारत।
    धर्म की रक्षा हेतु, झुके नहीं कभी तुम चरण।।
    गुरु नानक के पंथ को, आगे बढ़ाया।
    शत्रुओं का नाश कर, सत्य का ध्वज फहराया।।
    तेरी महिमा का बखान, कोई कर न सके।
    जो भी भजे तुम्हें, भवसागर तर सके।।
    सवा लाख से एक लड़ाऊं, तेरी सिखाई हुई यही है सीख।
    धर्म और न्याय की रक्षा हेतु, जीवन हो गया सफल।।
    जय हो गुरु गोविंद, तेरा नाम है सच्चा।
    जो भी सुमिरन करे तेरा, उसका हो कल्याण।।
    चालीसा जो पढ़े तुम्हारी, उसका जीवन हो प्रकाश।
    श्री गुरु गोविंद सिंह जी, कृपा करो मुझ पर।।
    तुम्हारी शरण में आकर, कट जाएं सब संकट।
    चालीसा पाठ करूं, दूर करो संकट।।
    श्री गुरु गोविंद सिंह जी, धरें सुमति मम अंतर।
    चालीसा जो पाठ करे, हो कल्याण सब सागर।।

    गुरु गोविंद सिंह चालीसा के लाभ

    1. आध्यात्मिक शक्ति का संचार: गुरु गोविंद सिंह चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति में आध्यात्मिक शक्ति का संचार होता है।
    2. धार्मिक जागरूकता: इस चालीसा का पाठ करने से धर्म के प्रति जागरूकता और आस्था में वृद्धि होती है।
    3. साहस और बलिदान की प्रेरणा: गुरु गोविंद सिंह जी के जीवन से प्रेरणा लेकर व्यक्ति में साहस और बलिदान की भावना जागृत होती है।
    4. संकटों से मुक्ति: चालीसा का पाठ नियमित रूप से करने से जीवन में आने वाले संकटों से मुक्ति मिलती है।
    5. मानसिक शांति: इस चालीसा का पाठ करने से मानसिक शांति और संतुलन प्राप्त होता है।
    6. नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा: इस चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा मिलती है।
    7. शारीरिक और मानसिक बल: चालीसा का पाठ करने से शारीरिक और मानसिक बल की वृद्धि होती है।
    8. परिवार में सुख-शांति: गुरु गोविंद सिंह चालीसा का पाठ करने से परिवार में सुख-शांति और सौहार्द बढ़ता है।
    9. शत्रुओं पर विजय: इस चालीसा का पाठ करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
    10. जीवन में समृद्धि: चालीसा का नियमित पाठ करने से जीवन में समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है।
    11. विवाह में सफलता: इस चालीसा का पाठ करने से विवाह संबंधी समस्याओं का समाधान होता है।
    12. संतान प्राप्ति: संतान सुख की प्राप्ति के लिए भी इस चालीसा का पाठ करना शुभ माना जाता है।
    13. बाधाओं का निवारण: जीवन की बाधाओं और कठिनाइयों से मुक्ति के लिए भी इस चालीसा का पाठ किया जाता है।

    दिन

    गुरु गोविंद सिंह चालीसा का पाठ किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन विशेष रूप से गुरु गोविंद सिंह जी की जयंती, गुरुपर्व, और गुरुवार के दिन इसका पाठ करना विशेष फलदायी होता है।

    अवधि

    गुरु गोविंद सिंह चालीसा का पाठ नियमित रूप से करने के लिए इसे 21 दिन या 40 दिन तक करना अच्छा माना जाता है। यह साधक की मनोकामना और समस्या के आधार पर तय किया जा सकता है।

    मुहूर्त

    गुरु गोविंद सिंह चालीसा का पाठ सुबह ब्रह्म मुहूर्त में करना सबसे शुभ माना जाता है। इस समय वातावरण शुद्ध और शांत होता है, जिससे मन एकाग्र रहता है और पाठ का अधिक प्रभाव होता है। यदि सुबह का समय संभव न हो, तो आप इसे संध्या के समय भी कर सकते हैं।

    चालीसा के नियम

    चालीसा का पाठ करते समय कुछ विशेष नियमों का पालन करना चाहिए, जिससे पाठ का अधिकतम लाभ प्राप्त हो सके:

    1. शुद्धता का ध्यान रखें: पाठ से पहले स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनें। पूजा स्थल को भी साफ रखें।
    2. एकाग्रता बनाए रखें: पाठ करते समय मन को एकाग्र रखें। मन को इधर-उधर की चिंताओं से मुक्त रखें।
    3. श्रद्धा और भक्ति: पाठ करते समय मन में श्रद्धा और भक्ति का भाव होना चाहिए। गुरु गोविंद सिंह जी के प्रति अपनी पूर्ण निष्ठा प्रकट करें।
    4. समय का पालन: यदि आप किसी विशेष समस्या के समाधान के लिए पाठ कर रहे हैं, तो इसे नियमित समय पर करें। कोशिश करें कि एक ही समय पर प्रतिदिन पाठ हो।
    5. गुप्त साधना: अपनी साधना को गुप्त रखें। इसे अन्य लोगों के साथ साझा न करें जब तक कि आवश्यक न हो।
    6. स्वास्थ्य का ध्यान रखें: यदि आप लंबे समय तक बैठकर पाठ कर रहे हैं, तो बीच-बीच में थोड़ा आराम कर लें। शरीर की स्थिति में संतुलन बनाए रखें।
    7. निर्धारित संख्या: यदि आप एक निश्चित संख्या में पाठ कर रहे हैं, तो उसे पूरा करें। जैसे 108 बार चालीसा का पाठ करना, तो इसे पूरा किए बिना न उठें।
    8. ध्यान का अभ्यास: पाठ के बाद कुछ समय के लिए ध्यान करें। गुरु गोविंद सिंह जी का ध्यान करते हुए शांति का अनुभव करें।
    9. शुद्ध आहार: साधना के दौरान शुद्ध और सात्विक आहार ग्रहण करें। तामसिक और राजसिक भोजन से बचें।
    10. दूसरों की भलाई: अपने साधना के परिणामस्वरूप प्राप्त शक्ति का उपयोग दूसरों की भलाई के लिए करें। नकारात्मक उद्देश्यों के लिए इसे प्रयोग न करें।

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    गुरु गोविंद सिंह चालीसा का पाठ करते समय सावधानियाँ

    पाठ करते समय कुछ महत्वपूर्ण सावधानियों का पालन करना चाहिए:

    1. शुद्धि का ध्यान रखें: पाठ करने से पहले स्नान करके और स्वच्छ वस्त्र धारण करके शुद्धता का ध्यान रखें। यह शारीरिक और मानसिक शुद्धि को सुनिश्चित करता है।
    2. ध्यान और एकाग्रता: पाठ करते समय मन को स्थिर और एकाग्र रखें। ध्यान भटकाने वाले विचारों से दूर रहकर गुरु गोविंद सिंह जी के नाम का स्मरण करें।
    3. स्थान की पवित्रता: गुरु गोविंद सिंह चालीसा का पाठ एक पवित्र स्थान पर करना चाहिए। अगर घर में पाठ कर रहे हैं, तो पूजा स्थल को स्वच्छ और शांतिपूर्ण रखें।
    4. समय का चयन: पाठ करने के लिए सुबह का समय सबसे उपयुक्त माना जाता है। इस समय वातावरण शुद्ध और सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर होता है।
    5. स्वर की मधुरता: पाठ करते समय स्वर मधुर और संतुलित होना चाहिए। तेज़ आवाज़ में पाठ करना अनुचित माना जाता है।
    6. भक्ति का भाव: पाठ करते समय मन में गुरु गोविंद सिंह जी के प्रति अटूट भक्ति और श्रद्धा का भाव होना चाहिए। यह भाव ही पाठ को सार्थक बनाता है।
    7. भोजन का ध्यान: पाठ करने से पहले भारी भोजन करने से बचें। हल्का और सात्विक आहार ग्रहण करें जिससे मन और शरीर दोनों हल्के महसूस हों।
    8. नियमितता: यदि संभव हो, तो चालीसा का नियमित पाठ करें। यह मन में सकारात्मकता बनाए रखने में सहायक होता है।
    9. गुरुबाणी का अनुसरण: गुरु गोविंद सिंह जी की अन्य गुरुबाणियों का भी नियमित अध्ययन करें। इससे चालीसा का प्रभाव और भी अधिक होता है।
    10. संगति का प्रभाव: यदि सामूहिक पाठ कर रहे हैं, तो संगति का ध्यान रखें। अच्छे विचारों और सकारात्मक ऊर्जा वाले लोगों के साथ ही संगति करें।

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    गुरु गोविंद सिंह चालीसा के सामान्य प्रश्न

    गुरु गोविंद सिंह चालीसा का महत्व क्या है?

    यह चालीसा गुरु गोविंद सिंह जी की वीरता, धर्म, और न्याय के प्रतीक के रूप में उनकी महिमा का वर्णन करता है। इसे पढ़ने से आंतरिक शांति और साहस की प्राप्ति होती है।

    क्या गुरु गोविंद सिंह चालीसा केवल सिख धर्म के अनुयायियों के लिए है?

    नहीं, यह चालीसा सभी धर्मों के लोगों के लिए उपयोगी है जो गुरु गोविंद सिंह जी की शिक्षाओं में विश्वास रखते हैं।

    गुरु गोविंद सिंह चालीसा का पाठ कब करना चाहिए?

    सुबह का समय सबसे उपयुक्त माना जाता है, लेकिन इसे किसी भी समय किया जा सकता है जब मन शांत और स्थिर हो।

    क्या चालीसा का पाठ करने से समस्याओं का समाधान हो सकता है?

    हां, चालीसा का पाठ करने से मानसिक शांति, आत्मविश्वास, और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है, जो समस्याओं के समाधान में मदद कर सकती है।

    गुरु गोविंद सिंह चालीसा को किस प्रकार पढ़ना चाहिए?

    इसे शुद्ध उच्चारण और ध्यान के साथ पढ़ना चाहिए। शब्दों का सही उच्चारण और अर्थ का ज्ञान आवश्यक है।

    गुरु गोविंद सिंह चालीसा का पाठ करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

    स्वच्छता, एकाग्रता, सकारात्मक सोच, और श्रद्धा का ध्यान रखना चाहिए। साथ ही, पवित्र स्थान पर और उचित समय पर पाठ करना चाहिए।

    गुरु गोविंद सिंह चालीसा से क्या लाभ होता है?

    यह चालीसा साहस, आत्मविश्वास, और आध्यात्मिक उन्नति में सहायक है। इसे पढ़ने से मन की शांति और आंतरिक शक्ति मिलती है।

    क्या गुरु गोविंद सिंह चालीसा का पाठ करने से भौतिक इच्छाएं पूरी हो सकती हैं?

    चालीसा का मुख्य उद्देश्य आध्यात्मिक उन्नति है, लेकिन यह व्यक्ति की इच्छाओं और समस्याओं का समाधान करने में भी मदद कर सकता है।