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Shani sabar mantra for obsticals

Shani sabar mantra for obsticals

शनि साबर मंत्र – जीवन की सभी बाधाओं को दूर करने का अचूक उपाय

शनि साबर मंत्र शनि देव की कृपा प्राप्त करने और जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए एक शक्तिशाली साधना है। शनि देव को न्याय और कर्म का देवता माना जाता है, जो व्यक्ति के कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं। जब शनि की दशा या साढ़ेसाती चल रही होती है, तो जीवन में कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे समय में शनि साबर मंत्र का जप व्यक्ति को राहत प्रदान करता है और उसे सफलता के मार्ग पर अग्रसर करता है। इस मंत्र का नियमित जप करने से शनि की कृपा मिलती है और व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।

मंत्र और उसका अर्थ

मंत्र:
“ॐ शं शनैश्चराय नमः। हरो हमारे विघ्न, करो हमारे काज। न करे तो बाबा भोलेनाथ की आन।”

अर्थ:

  • “ॐ शं” शनि देव का बीज मंत्र है।
  • “शनैश्चराय नमः” शनि देव को प्रणाम करते हुए उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए।
  • “हरो हमारे विघ्न” शनि देव से सभी प्रकार की बाधाओं को दूर करने की प्रार्थना।
  • “करो हमारे काज” जीवन के सभी कार्यों को सफल बनाने की प्रार्थना।
  • “न करे तो बाबा भोलेनाथ की आन” शनि देव के आदेश का पालन करने के लिए शिव जी की शरण लेना।

शनि साबर मंत्र के लाभ

  1. शनि दोष और साढ़ेसाती के दुष्प्रभाव से मुक्ति।
  2. जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करना।
  3. शत्रुओं पर विजय प्राप्त करना।
  4. कर्ज से मुक्ति मिलना।
  5. व्यापार और नौकरी में उन्नति।
  6. परिवार में सुख-शांति की स्थापना।
  7. वाहन और संपत्ति संबंधी समस्याओं से छुटकारा।
  8. कोर्ट-कचहरी के मामलों में विजय प्राप्त करना।
  9. मानसिक तनाव और अवसाद से मुक्ति।
  10. जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह।
  11. स्वास्थ्य में सुधार और दीर्घायु की प्राप्ति।
  12. आर्थिक समृद्धि और धन-धान्य की वृद्धि।
  13. दुर्घटनाओं से सुरक्षा।
  14. ग्रहों के अशुभ प्रभाव से बचाव।
  15. आध्यात्मिक उन्नति और साधना में प्रगति।
  16. सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा।
  17. आत्मविश्वास और साहस की वृद्धि।

शनि साबर मंत्र विधि

मंत्र जप का दिन, अवधि और मुहूर्त

  • शनि साबर मंत्र का जप शनिवार के दिन करना विशेष रूप से प्रभावी माना जाता है।
  • अवधि: इस मंत्र का जप ११ से २१ दिनों तक लगातार करना चाहिए।
  • मुहूर्त: मंत्र जप के लिए सबसे उत्तम समय सुबह सूर्योदय से पहले (ब्रह्ममुहूर्त) होता है। इसके अलावा, सूर्यास्त के समय भी मंत्र का जप शुभ माना जाता है।

मंत्र जप संख्या

प्रत्येक दिन ११ माला (११८८ मंत्र) का जप करना चाहिए। मंत्र जप के लिए रुद्राक्ष या काले हकीक की माला का उपयोग करना विशेष फलदायी होता है।

सामग्री

  1. काले रंग का ऊनी आसन।
  2. रुद्राक्ष या काले हकीक की माला।
  3. तिल के तेल का दीपक।
  4. शनि देव की मूर्ति या चित्र।
  5. भोग के रूप में काले तिल और उड़द।
  6. तांबे के पात्र में जल।

नियम

  1. मंत्र जप करने वाले की उम्र २० वर्ष से अधिक होनी चाहिए।
  2. स्त्री-पुरुष दोनों ही इस मंत्र का जप कर सकते हैं।
  3. जप के समय नीले और काले कपड़े पहनने से बचें।
  4. धूम्रपान, मद्यपान और मांसाहार का त्याग करें।
  5. जप के समय ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  6. सकारात्मक ऊर्जा और शांत मन से जप करें।

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मंत्र जप में सावधानियां

  1. शुद्ध और स्वच्छ स्थान पर बैठकर मंत्र जप करें।
  2. मंत्र का उच्चारण स्पष्ट और सही ढंग से होना चाहिए।
  3. जप के दौरान मन को एकाग्र और शांत रखें।
  4. किसी प्रकार की नकारात्मक भावना या द्वेष का विचार मन में न लाएं।
  5. जप के बाद शनि देव से अपनी त्रुटियों के लिए क्षमा याचना करें।

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शनि साबर मंत्र से जुड़े प्रश्न-उत्तर

प्रश्न 1: क्या शनि साबर मंत्र से शनि दोष दूर होता है?

उत्तर: हाँ, शनि साबर मंत्र का नियमित जप शनि दोष और साढ़ेसाती के दुष्प्रभाव को कम करने में सहायक है।

प्रश्न 2: क्या स्त्रियाँ इस मंत्र का जप कर सकती हैं?

उत्तर: हाँ, स्त्रियाँ भी इस मंत्र का जप कर सकती हैं, लेकिन मासिक धर्म के दौरान इस मंत्र का जप न करें।

प्रश्न 3: इस मंत्र का जप किस समय करना चाहिए?

उत्तर: इस मंत्र का जप शनिवार के दिन ब्रह्ममुहूर्त (सुबह ४-६ बजे) या सूर्यास्त के समय करना सबसे शुभ माना जाता है।

प्रश्न 4: क्या मंत्र जप के दौरान कोई विशेष नियम का पालन करना आवश्यक है?

उत्तर: हाँ, मंत्र जप के दौरान सात्विक आहार लें, ब्रह्मचर्य का पालन करें, और नीले-काले कपड़े न पहनें।

प्रश्न 5: क्या शनि साबर मंत्र से आर्थिक समस्या का समाधान होता है?

उत्तर: हाँ, यह मंत्र आर्थिक समस्याओं को दूर करने और समृद्धि प्राप्त करने में सहायक है।

प्रश्न 6: क्या इस मंत्र का जप केवल शनिवार को ही करना चाहिए?

उत्तर: शनिवार को इसका जप अधिक फलदायी होता है, लेकिन साधक इसे ११ से २१ दिनों तक किसी भी दिन कर सकता है।

प्रश्न 7: मंत्र जप में किसी प्रकार की त्रुटि हो जाए तो क्या करें?

उत्तर: अगर मंत्र जप में कोई त्रुटि हो जाए, तो शनि देव से क्षमा याचना करें और पुनः सही विधि से जप करें।

प्रश्न 8: क्या यह मंत्र वाहन दुर्घटना से सुरक्षा प्रदान करता है?

उत्तर: हाँ, शनि साबर मंत्र व्यक्ति को दुर्घटनाओं से सुरक्षा प्रदान करता है और जीवन की अनचाही घटनाओं से बचाव करता है।

प्रश्न 9: क्या यह मंत्र व्यापार में सफलता के लिए उपयोगी है?

उत्तर: हाँ, व्यापार में सफलता और समृद्धि प्राप्त करने के लिए शनि साबर मंत्र का जप अत्यधिक प्रभावी माना जाता है।

प्रश्न 10: क्या शनि साबर मंत्र कोर्ट-कचहरी के मामलों में विजय दिलाता है?

उत्तर: हाँ, इस मंत्र का जप कोर्ट-कचहरी और शत्रु संबंधी मामलों में विजय दिलाने में मदद करता है।

प्रश्न 11: क्या इस मंत्र का जप घर पर किया जा सकता है?

उत्तर: हाँ, इस मंत्र का जप साधक घर पर शांति और स्वच्छता के साथ कर सकता है।

प्रश्न 12: क्या शनि साबर मंत्र से स्वास्थ्य लाभ होता है?

उत्तर: हाँ, शनि साबर मंत्र का जप मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारने में सहायक है और दीर्घायु की प्राप्ति होती है।

Hanuman sabar mantra for protection

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हनुमान साबर मंत्र – भय, शत्रु और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति का सरल उपाय

हनुमान साबर मंत्र हनुमान जी की कृपा और उनकी असीम शक्ति को प्राप्त करने का एक प्रभावशाली साधन है। हनुमान जी को शक्ति, साहस, बुद्धि और भक्ति का प्रतीक माना जाता है। उनकी उपासना से हर प्रकार के भय, बाधाओं और संकटों से मुक्ति मिलती है। हनुमान साबर मंत्र व्यक्ति को हर क्षेत्र में सफलता प्रदान करता है और उसके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। यह मंत्र विशेष रूप से उन लोगों के लिए है जो भय, तनाव, आर्थिक समस्याओं और शत्रुओं से परेशान हैं।

मंत्र और उसका अर्थ

मंत्र:
“ॐ नमो हनुमंते भयभंजनाय सर्वत्र हृदयं यं ॐ अंजनी पुत्र रक्षा करो नही तो श्री राम की आन।”

अर्थ:

  • “ॐ नमो” हनुमान जी को प्रणाम।
  • “हनुमंते भयभंजनाय” हनुमान जी को डर और बाधाओं का नाशक मानते हुए।
  • “सर्वत्र हृदयं यं” हनुमान जी से जीवन में हर जगह सुरक्षा और साहस की प्रार्थना।
  • “अंजनी पुत्र रक्षा करो” हनुमान जी से सुरक्षा की याचना।
  • “नही तो श्री राम की आन” भगवान श्री राम की प्रतिष्ठा की दुहाई देते हुए संकटों को दूर करने की प्रार्थना।

हनुमान साबर मंत्र के लाभ

  1. जीवन में आने वाले सभी प्रकार के भय का नाश होता है।
  2. शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
  3. किसी भी प्रकार की आर्थिक समस्या का समाधान होता है।
  4. मानसिक शांति और आत्मविश्वास की वृद्धि होती है।
  5. व्यक्ति में साहस और शक्ति का संचार होता है।
  6. स्वास्थ्य में सुधार होता है और बीमारियों से मुक्ति मिलती है।
  7. नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा मिलती है।
  8. हनुमान जी की कृपा से आध्यात्मिक उन्नति होती है।
  9. जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलती है।
  10. दुर्घटनाओं और अप्रत्याशित घटनाओं से बचाव होता है।
  11. बच्चों की सुरक्षा और उनके जीवन में उन्नति होती है।
  12. ग्रह बाधाओं का नाश होता है।
  13. गृह क्लेश और पारिवारिक समस्याओं का समाधान होता है।
  14. बाधाओं और विघ्नों का अंत होता है।
  15. यात्रा के दौरान सुरक्षा और शुभ फल की प्राप्ति होती है।
  16. तंत्र-मंत्र और बुरी शक्तियों से बचाव होता है।
  17. हनुमान जी की कृपा से मनोबल और निर्णय शक्ति में वृद्धि होती है।

हनुमान साबर मंत्र विधि

मंत्र जप का दिन, अवधि और मुहूर्त

  • हनुमान साबर मंत्र का जप मंगलवार और शनिवार को करना सबसे शुभ माना जाता है।
  • अवधि: इस मंत्र का जप ११ से २१ दिनों तक लगातार करना चाहिए।
  • मुहूर्त: जप का सबसे उत्तम समय ब्रह्ममुहूर्त (सुबह ४-६ बजे) है। दिन में भी शांत और पवित्र वातावरण में जप कर सकते हैं।

मंत्र जप संख्या

प्रत्येक दिन ११ माला (११८८ मंत्र) का जप करना चाहिए। मंत्र जप के लिए तुलसी या रुद्राक्ष की माला का उपयोग करना शुभ होता है।

सामग्री

  1. लाल या पीले रंग का वस्त्र या आसन।
  2. तुलसी या रुद्राक्ष की माला।
  3. दीपक (शुद्ध घी का)।
  4. हनुमान जी का चित्र या प्रतिमा।
  5. तांबे या मिट्टी के पात्र में जल।
  6. गुड़ और चने का प्रसाद।

नियम

  1. जप करने वाले की उम्र २० वर्ष से अधिक होनी चाहिए।
  2. स्त्री-पुरुष दोनों ही इस मंत्र का जप कर सकते हैं।
  3. जप के समय नीले और काले कपड़े पहनने से बचें।
  4. धूम्रपान, मद्यपान और मांसाहार का त्याग करें।
  5. जप के समय ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  6. शांत मन और सकारात्मक विचारों के साथ जप करें।

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मंत्र जप में सावधानियां

  1. शुद्ध और साफ स्थान पर बैठकर मंत्र जप करें।
  2. मंत्र का उच्चारण स्पष्ट और सही ढंग से होना चाहिए।
  3. किसी भी प्रकार की नकारात्मक सोच या द्वेष भावना से बचें।
  4. जप के बाद हनुमान जी से अपनी गलतियों के लिए क्षमा याचना करें।
  5. जप के दौरान किसी प्रकार का संदेह मन में न लाएं और पूर्ण श्रद्धा के साथ जप करें।

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हनुमान साबर मंत्र से जुड़े प्रश्न-उत्तर

प्रश्न 1: क्या हनुमान साबर मंत्र से भय का नाश होता है?

उत्तर: हाँ, यह मंत्र जीवन में आने वाले सभी प्रकार के भय और समस्याओं को समाप्त करता है।

प्रश्न 2: क्या महिलाएँ भी इस मंत्र का जप कर सकती हैं?

उत्तर: हाँ, महिलाएँ भी हनुमान साबर मंत्र का जप कर सकती हैं, लेकिन मासिक धर्म के समय मंत्र जप न करें।

प्रश्न 3: क्या इस मंत्र का जप विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार को करना चाहिए?

उत्तर: हाँ, मंगलवार और शनिवार को हनुमान जी का दिन माना जाता है, इसलिए इन दिनों मंत्र जप अधिक प्रभावी होता है।

प्रश्न 4: मंत्र जप के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन क्यों आवश्यक है?

उत्तर: ब्रह्मचर्य का पालन करने से व्यक्ति की ऊर्जा एकाग्रित होती है और साधना के सकारात्मक फल शीघ्र मिलते हैं।

प्रश्न 5: क्या हनुमान साबर मंत्र से आर्थिक समस्याओं का समाधान होता है?

उत्तर: हाँ, यह मंत्र आर्थिक समस्याओं को दूर करने में सहायक है और व्यक्ति को समृद्धि की ओर ले जाता है।

प्रश्न 6: क्या इस मंत्र से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है?

उत्तर: हाँ, हनुमान साबर मंत्र व्यक्ति को शत्रुओं पर विजय दिलाने में सहायक है।

प्रश्न 7: क्या मंत्र जप के दौरान कोई विशेष आहार लेना चाहिए?

उत्तर: जप के दौरान सात्विक आहार लेना चाहिए और तामसिक भोजन से बचना चाहिए।

प्रश्न 8: क्या यह मंत्र स्वास्थ्य लाभ के लिए उपयोगी है?

उत्तर: हाँ, यह मंत्र मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद करता है।

प्रश्न 9: क्या यह मंत्र नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा प्रदान करता है?

उत्तर: हाँ, हनुमान साबर मंत्र तंत्र-मंत्र और अन्य नकारात्मक शक्तियों से बचाव करता है।

प्रश्न 10: क्या इस मंत्र का जप यात्रा के दौरान सुरक्षा प्रदान करता है?

उत्तर: हाँ, हनुमान साबर मंत्र यात्रा के दौरान दुर्घटनाओं से सुरक्षा प्रदान करता है।

प्रश्न 11: क्या हनुमान साबर मंत्र गृह क्लेश को दूर करता है?

उत्तर: हाँ, यह मंत्र गृह क्लेश और पारिवारिक समस्याओं को दूर करने में सहायक है।

प्रश्न 12: क्या हनुमान साबर मंत्र से मानसिक शांति प्राप्त होती है?

उत्तर: हाँ, यह मंत्र मानसिक तनाव को कम करता है और आत्मशांति प्रदान करता है।

Saraswati shabar mantra for wisdom

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सरस्वती साबर मंत्र जप विधि और अद्भुत लाभ – बुद्धि और कला में सिद्धि प्राप्त करें

सरस्वती साबर मंत्र देवी सरस्वती की उपासना का एक शक्तिशाली साधन है। सरस्वती जी को ज्ञान, विद्या, वाणी और बुद्धि की देवी माना जाता है। यह मंत्र विशेष रूप से उन लोगों के लिए है जो शिक्षा, कला, संगीत, और वाणी में सुधार और सफलता चाहते हैं। सरस्वती साबर मंत्र के नियमित जप से व्यक्ति की बौद्धिक क्षमता और स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है, जिससे परीक्षा और जीवन के अन्य महत्वपूर्ण कार्यों में सफलता मिलती है। यह मंत्र विद्यार्थियों और कलाकारों के लिए अत्यधिक लाभकारी है।

मंत्र और उसका अर्थ

मंत्र:
“ॐ ऐं वद वद वाग्वादिनी तुम आओ, ॐ नमो आदेश गुरु को।”

अर्थ:

  • “ॐ ऐं” देवी सरस्वती को समर्पित बीज मंत्र है।
  • “वद वद वाग्वादिनी” वाणी और संवाद में दक्षता के लिए सरस्वती जी की स्तुति।
  • “तुम आओ” देवी सरस्वती से आशीर्वाद और सहायता की प्रार्थना।
  • “ॐ नमो आदेश गुरु को” गुरु को प्रणाम और उनका आदेश प्राप्त करने की याचना।

सरस्वती साबर मंत्र के लाभ

  1. बुद्धि और ज्ञान में वृद्धि होती है।
  2. वाणी में मिठास और प्रभावशीलता आती है।
  3. विद्यार्थियों को अध्ययन में सफलता मिलती है।
  4. परीक्षा में अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं।
  5. कलाकारों को कला में सिद्धि प्राप्त होती है।
  6. संगीतकारों और गायकों को सुर और लय में महारत मिलती है।
  7. व्यक्ति की स्मरण शक्ति मजबूत होती है।
  8. मानसिक शांति और एकाग्रता बढ़ती है।
  9. वाणी दोष जैसे हकलाहट आदि का नाश होता है।
  10. भाषण, वाद-विवाद और प्रस्तुति में सफलता मिलती है।
  11. लेखन और साहित्यिक कार्यों में रचनात्मकता और प्रेरणा प्राप्त होती है।
  12. शत्रुओं के षड्यंत्र से बचाव होता है।
  13. व्यापार और पेशेवर जीवन में सफलता प्राप्त होती है।
  14. संचार और बातचीत में आत्मविश्वास बढ़ता है।
  15. मानसिक और बौद्धिक शक्ति में वृद्धि होती है।
  16. कलात्मक और सृजनात्मक कार्यों में प्रगति मिलती है।
  17. व्यक्तित्व में सुधार और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

सरस्वती साबर मंत्र विधि

मंत्र जप का दिन, अवधि और मुहूर्त

  • सरस्वती साबर मंत्र का जप गुरुवार को करना सबसे शुभ माना जाता है, क्योंकि यह दिन देवी सरस्वती को समर्पित है।
  • अवधि: इस मंत्र का जप ११ से २१ दिनों तक लगातार करना चाहिए।
  • मुहूर्त: सुबह ब्रह्ममुहूर्त (सुबह ४ से ६ बजे) और विद्या प्राप्ति के समय (सूर्यास्त से पहले) जप करना सबसे उत्तम होता है।

मंत्र जप संख्या

हर दिन ११ माला (११८८ मंत्र) का जप करें। जप के लिए सफेद चंदन की माला का उपयोग करना शुभ माना जाता है।

सामग्री

  1. सफेद या पीले वस्त्र।
  2. सफेद चंदन या रुद्राक्ष की माला।
  3. सरस्वती जी की प्रतिमा या चित्र।
  4. दीपक (शुद्ध घी का)।
  5. सफेद फूल और मिश्री का प्रसाद।
  6. तांबे के पात्र में जल।

नियम

  1. जप करने वाले की उम्र २० वर्ष से अधिक होनी चाहिए।
  2. स्त्री-पुरुष दोनों इस मंत्र का जप कर सकते हैं।
  3. मंत्र जप के समय नीले और काले कपड़े न पहनें।
  4. धूम्रपान, मद्यपान और मांसाहार से दूर रहें।
  5. ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  6. सकारात्मक सोच और एकाग्रता के साथ मंत्र का जप करें।

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मंत्र जप में सावधानियां

  1. शुद्ध और पवित्र स्थान पर बैठकर मंत्र जप करें।
  2. मंत्र का उच्चारण स्पष्ट और सही होना चाहिए।
  3. मंत्र जप के दौरान ध्यान भटकने से बचें।
  4. किसी भी प्रकार की नकारात्मक भावना मन में न रखें।
  5. जप समाप्त होने के बाद देवी सरस्वती से प्रार्थना करें और प्रसाद ग्रहण करें।

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सरस्वती साबर मंत्र से जुड़े प्रश्न-उत्तर

प्रश्न 1: क्या सरस्वती साबर मंत्र छात्रों के लिए लाभकारी है?

उत्तर: हाँ, यह मंत्र छात्रों के लिए अत्यंत लाभकारी है और उनकी स्मरण शक्ति में वृद्धि करता है।

प्रश्न 2: क्या यह मंत्र वाणी दोष को ठीक कर सकता है?

उत्तर: हाँ, सरस्वती साबर मंत्र वाणी दोष जैसे हकलाहट आदि का नाश करने में सहायक है।

प्रश्न 3: मंत्र का जप कब करना चाहिए?

उत्तर: सुबह ब्रह्ममुहूर्त में या अध्ययन के समय मंत्र का जप करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

प्रश्न 4: क्या महिलाएँ भी सरस्वती साबर मंत्र का जप कर सकती हैं?

उत्तर: हाँ, महिलाएँ भी इस मंत्र का जप कर सकती हैं।

प्रश्न 5: क्या यह मंत्र संगीतकारों और कलाकारों के लिए लाभकारी है?

उत्तर: हाँ, यह मंत्र संगीतकारों और कलाकारों को उनकी कला में उन्नति और सफलता प्रदान करता है।

प्रश्न 6: क्या इस मंत्र से परीक्षा में सफलता मिलती है?

उत्तर: हाँ, सरस्वती साबर मंत्र परीक्षा में अच्छे परिणाम प्राप्त करने में सहायक होता है।

प्रश्न 7: क्या इस मंत्र का जप वाद-विवाद और भाषण में सफलता दिलाता है?

उत्तर: हाँ, यह मंत्र भाषण और संवाद में आत्मविश्वास बढ़ाता है और सफलता प्रदान करता है।

प्रश्न 8: क्या इस मंत्र का जप करने के लिए किसी विशेष सामग्री की आवश्यकता है?

उत्तर: हाँ, सफेद चंदन की माला, सफेद फूल और देवी सरस्वती की प्रतिमा या चित्र का उपयोग करना शुभ होता है।

प्रश्न 9: क्या सरस्वती साबर मंत्र से मानसिक शांति प्राप्त होती है?

उत्तर: हाँ, यह मंत्र मानसिक शांति और एकाग्रता प्रदान करता है।

प्रश्न 10: क्या इस मंत्र से व्यापार में सफलता प्राप्त होती है?

उत्तर: हाँ, यह मंत्र व्यापार और पेशेवर जीवन में उन्नति और सफलता दिलाने में सहायक है।

प्रश्न 11: मंत्र जप के दौरान किन वस्त्रों का उपयोग करना चाहिए?

उत्तर: सफेद या पीले वस्त्र पहनकर मंत्र जप करना अत्यधिक शुभ माना जाता है।

प्रश्न 12: क्या सरस्वती साबर मंत्र का प्रभाव त्वरित होता है?

उत्तर: नियमित और श्रद्धा के साथ जप करने पर इस मंत्र का प्रभाव त्वरित और सकारात्मक होता है।

Lakshmi shabar mantra for wealth & Prosperity

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लक्ष्मी शाबर मंत्र गोपनीय और शक्तिशाली माना जाता है। यह मंत्र देवी लक्ष्मी की कृपा, समृद्धि, और सौभाग्य को आकर्षित करने के लिए किया जाता है। लक्ष्मी शाबर मंत्र धन, समृद्धि और सौभाग्य की देवी माँ लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है। शाबर मंत्र साधारण और प्रभावशाली होते हैं, जो शीघ्र ही फल प्रदान करते हैं। यह मंत्र आर्थिक स्थिरता, सुख-समृद्धि और सफलता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

लक्ष्मी शाबर मंत्र

मंत्र:

॥ॐ विष्णु प्रिया लक्ष्मी, शिव प्रिया सती से प्रकट हुई।
कामाक्षा भगवती आदि शक्ति, युगल मुर्ति अपार, दोंनो की प्रीती अमर, जानें संसार।
आय बढ़ा, व्वय घटा। दया कर माई। आन नारायण की।
ॐ नमः विष्णु प्रियाय। ॐ नमः नारायण प्रियाय। ॐ॥

लक्ष्मी शाबर मंत्र के लाभ

  1. धन-संपत्ति में वृद्धि: इस मंत्र के जप से धन-संपत्ति में वृद्धि होती है।
  2. आर्थिक स्थिरता: आर्थिक स्थिति में स्थिरता प्राप्त होती है।
  3. व्यवसाय में सफलता: व्यापार और व्यवसाय में सफलता मिलती है।
  4. करियर में प्रगति: नौकरी और करियर में उन्नति प्राप्त होती है।
  5. ऋण मुक्ति: कर्ज से मुक्ति मिलती है।
  6. वास्तु दोष निवारण: घर और कार्यस्थल के वास्तु दोष समाप्त होते हैं।
  7. सौभाग्य: जीवन में सौभाग्य और समृद्धि बढ़ती है।
  8. शांति: घर में शांति और सकारात्मकता का माहौल बनता है।
  9. सुख-समृद्धि: परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
  10. धन की बरकत: धन की बरकत और अपार धनप्राप्ति होती है।
  11. व्यापार में उन्नति: व्यापार में उन्नति और मुनाफा बढ़ता है।
  12. संपत्ति की सुरक्षा: संपत्ति की सुरक्षा और वृद्धि होती है।
  13. किस्मत में सुधार: जीवन में किस्मत और भाग्य का सुधार होता है।
  14. आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक उन्नति और साधना में प्रगति होती है।
  15. दुर्भाग्य का नाश: दुर्भाग्य और नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है।
  16. समृद्धि की प्राप्ति: समृद्धि और वैभव की प्राप्ति होती है।
  17. स्वास्थ्य में सुधार: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  18. रिश्तों में सुधार: पारिवारिक और सामाजिक रिश्तों में सुधार होता है।
  19. मन की शांति: मानसिक शांति और सुकून प्राप्त होता है।
  20. सफलता: जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।

लक्ष्मी शाबर मंत्र जप विधि

मंत्र जप का दिन, अवधि, मुहूर्त:

  • दिन: शुक्रवार और पूर्णिमा का दिन माँ लक्ष्मी की पूजा के लिए सबसे शुभ माना जाता है।
  • अवधि: मंत्र जप 11 से 21 दिनों तक करें।
  • मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) या संध्या काल (शाम 6 से 8 बजे) मंत्र जप के लिए सर्वोत्तम समय है।

मंत्र जप सामग्री:

  • कमल गट्टे की माला: जप के लिए कमल गट्टे की माला का उपयोग करें।
  • दीपक और धूप: दीपक जलाएं और धूप अर्पित करें।
  • गंगा जल: शुद्ध गंगा जल रखें।
  • सफेद वस्त्र: सफेद वस्त्र पहनें।
  • फूल: कमल का फूल या सफेद फूल अर्पित करें।
  • चावल: अक्षत (साबुत चावल) अर्पित करें।
  • कपूर: कपूर जलाकर वातावरण को शुद्ध करें।

मंत्र जप संख्या:

  • एक माला: 108 बार मंत्र जप करें।
  • ग्यारह माला: 1188 बार मंत्र जप करें।

मंत्र जप के नियम

  1. शुद्धता: शारीरिक और मानसिक शुद्धता बनाए रखें।
  2. समर्पण: पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ जप करें।
  3. नियमितता: नियमित समय पर जप करें।
  4. एकांत: एकांत और शांत स्थान पर बैठें।
  5. आसन: कुशा या ऊनी आसन का प्रयोग करें।
  6. दिशा: पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
  7. जल अर्पण: मंत्र जप से पहले और बाद में जल अर्पित करें।
  8. प्रसाद: नैवेद्य के रूप में फल और मिठाई अर्पित करें।
  9. ध्यान: जप के पहले और बाद में ध्यान करें।
  10. मौन: जप के दौरान मौन रहें।

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मंत्र जप सावधानियाँ

  1. शुद्धता: अशुद्ध अवस्था में मंत्र जप न करें।
  2. भोजन: भारी और तामसिक भोजन से बचें।
  3. विचलन: ध्यान केंद्रित रखें और विचलित न हों।
  4. नकारात्मकता: नकारात्मक विचारों से बचें।
  5. विधि: सही विधि और नियमों का पालन करें।
  6. मदिरा और मांस: मदिरा और मांस का सेवन न करें।
  7. संयम: संयमित और संयमित जीवनशैली अपनाएं।
  8. विध्न: बाहरी विध्न और रुकावटों से बचें।
  9. स्थान: जप के स्थान को स्वच्छ और शुद्ध रखें।
  10. वस्त्र: सफेद वस्त्र पहनें।

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लक्ष्मी शाबर मंत्र से संबंधित प्रश्न उत्तर

  1. लक्ष्मी शाबर मंत्र क्या है?
    • लक्ष्मी शाबर मंत्र एक प्रभावशाली मंत्र है जो धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए जपा जाता है।
  2. लक्ष्मी शाबर मंत्र का जप कब करना चाहिए?
    • शुक्रवार और पूर्णिमा का दिन सबसे शुभ माना जाता है।
  3. लक्ष्मी शाबर मंत्र का जप कितने दिनों तक करना चाहिए?
    • 11 से 21 दिनों तक नियमित रूप से जप करना चाहिए।
  4. मंत्र जप के लिए कौन सा समय सर्वोत्तम है?
    • ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) या संध्या काल (शाम 6 से 8 बजे)।
  5. लक्ष्मी शाबर मंत्र जप के लिए कौन सी माला का उपयोग करना चाहिए?
    • कमल गट्टे की माला।
  6. मंत्र जप के दौरान कौन सी दिशा की ओर मुख करना चाहिए?
    • पूर्व या उत्तर दिशा।
  7. मंत्र जप के पहले क्या करना चाहिए?
    • शुद्धता और ध्यान।
  8. मंत्र जप के बाद क्या करना चाहिए?
    • प्रसाद और जल अर्पित करें।
  9. मंत्र जप के लिए कौन सी सामग्री आवश्यक है?
    • कमल गट्टे की माला, दीपक, धूप, गंगा जल, सफेद वस्त्र, फूल, चावल, कपूर।
  10. मंत्र जप के दौरान मौन रहना क्यों महत्वपूर्ण है?
    • मंत्र की शक्ति और ध्यान केंद्रित करने के लिए मौन रहना आवश्यक है।
  11. क्या मंत्र जप के दौरान भोजन का विशेष ध्यान रखना चाहिए?
    • हाँ, हल्का और सात्विक भोजन करें। तामसिक और भारी भोजन से बचें।
  12. क्या मंत्र जप के लिए किसी विशेष वस्त्र का चयन करना चाहिए?
    • हाँ, सफेद वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है।
  13. मंत्र जप के दौरान शुद्धता का क्या महत्व है?
    • शारीरिक और मानसिक शुद्धता मंत्र की प्रभावशीलता को बढ़ाती है।
  14. क्या मंत्र जप के दौरान अन्य किसी प्रकार का ध्यान या साधना आवश्यक है?
    • हाँ, मंत्र जप से पहले और बाद में ध्यान करना लाभकारी होता है।
  15. मंत्र जप के लिए एकांत क्यों महत्वपूर्ण है?
    • एकांत में ध्यान और एकाग्रता बनाए रखना आसान होता है।
  16. मंत्र जप के बाद प्रसाद क्यों अर्पित किया जाता है?
    • प्रसाद अर्पित करने से मंत्र जप की पूर्णता और शुभता बढ़ती है।
  17. क्या मंत्र जप के दौरान मदिरा और मांस का सेवन करना चाहिए?
    • नहीं, मंत्र जप के दौरान मदिरा और मांस का सेवन वर्जित है।
  18. मंत्र जप के स्थान की स्वच्छता का क्या महत्व है?
    • स्वच्छ स्थान में सकारात्मक ऊर्जा और शांति बनी रहती है।
  19. मंत्र जप के नियमों का पालन क्यों आवश्यक है?
    • नियमों का पालन करने से मंत्र जप की प्रभावशीलता और शक्ति बढ़ती है।
  20. क्या मंत्र जप के दौरान कुछ विशेष सावधानियाँ बरतनी चाहिए?
    • हाँ, शुद्धता, मौन, सकारात्मकता और नियमितता का ध्यान रखना चाहिए।

Abhiru bhairav Mantra – Freedom from fear

अभीरु भैरव / Abhiru bhairav Mantra - Freedom from fear

अभीरु भैरव मंत्र का जाप करने से न केवल डर को दूर करने की शक्ति मिलती है, बल्कि यह साहस, सुरक्षा और आंतरिक शक्ति को भी बढ़ाता है। डर को दूर करने वाले “अभीरु भैरव” भगवान शिव के एक उग्र रूप को दर्शाता है, जिनका नाम अभीरु भैरव है। अभीरु भैरव को भय को दूर करने और अपने भक्तों को साहस देने की क्षमता के लिए जाना जाता है। अभीरु भैरव भगवान शिव के भैरव रूपों में से एक हैं। भैरव को शक्ति और सुरक्षा के देवता माना जाता है, जो भक्तों को भय से मुक्ति और समस्याओं का समाधान प्रदान करते हैं। अभीरु भैरव की पूजा विशेष रूप से तांत्रिक साधनाओं और कठिन परिस्थितियों में की जाती है।

अभीरु भैरव मंत्र और उसका संपूर्ण अर्थ

मंत्र:

ॐ भ्रं अभीरु भैरवाय फट्ट

मंत्र का अर्थ:

  • ॐ: यह परमात्मा का प्रतीक है, जो ब्रह्मांड की समस्त ऊर्जा का स्रोत है।
  • भ्रं: यह बीज मंत्र है, जो भैरव की शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है।
  • अभीरु भैरवाय: अभीरु भैरव को समर्पित है, जो भय को दूर करते हैं और साहस प्रदान करते हैं।
  • फट्ट: यह बीज मंत्र की समाप्ति का संकेत है, जो मंत्र की ऊर्जा को समाप्त करता है।

अभीरु भैरव मंत्र के लाभ

  1. भय से मुक्ति: यह मंत्र आपको सभी प्रकार के भय और आशंकाओं से मुक्त करता है।
  2. साहस में वृद्धि: यह मंत्र साहस और आत्मविश्वास को बढ़ाता है।
  3. तांत्रिक बाधाओं से रक्षा: तांत्रिक प्रभावों और बुरी आत्माओं से सुरक्षा प्रदान करता है।
  4. नकारात्मक ऊर्जा का नाश: यह मंत्र नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करता है।
  5. शत्रुओं पर विजय: शत्रुओं और विरोधियों पर विजय प्राप्त करने में सहायक है।
  6. सकारात्मक सोच: मानसिक शांति और सकारात्मक सोच को बढ़ावा देता है।
  7. आत्मिक शुद्धि: आत्मा को शुद्ध और पवित्र करता है।
  8. सुख-समृद्धि: जीवन में सुख और समृद्धि लाने में मदद करता है।
  9. धन लाभ: आर्थिक स्थिति को सुधारने में सहायक होता है।
  10. संपत्ति की सुरक्षा: संपत्ति और संसाधनों की सुरक्षा करता है।
  11. स्वास्थ्य सुधार: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है।
  12. दुखों से मुक्ति: जीवन के दुखों और कष्टों से मुक्ति दिलाता है।
  13. परिवारिक सुख: परिवार में सुख और शांति बनाए रखता है।
  14. आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक विकास और साधना में प्रगति होती है।
  15. कार्य सिद्धि: महत्वपूर्ण कार्यों की सफलता के लिए सहायक है।
  16. व्यवसाय में सफलता: व्यवसाय में प्रगति और सफलता दिलाता है।
  17. वास्तु दोष निवारण: घर और कार्यस्थल के वास्तु दोषों को समाप्त करता है।
  18. मंत्र सिद्धि: अन्य मंत्रों की सिद्धि के लिए सहायता करता है।
  19. दुर्घटनाओं से बचाव: दुर्घटनाओं और अनहोनी घटनाओं से बचाव करता है।
  20. आत्मविश्वास में वृद्धि: आत्मविश्वास और धैर्य को बढ़ाता है।

अभीरु भैरव मंत्र जप विधि

दिन, अवधि, मुहूर्त:

  • दिन: मंगलवार और शनिवार को अभीरु भैरव की पूजा के लिए विशेष दिन माना जाता है।
  • अवधि: मंत्र जप 11 से 21 दिन तक करना चाहिए।
  • मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) या प्रदोष काल (शाम 6 से 8 बजे) मंत्र जप के लिए सर्वोत्तम समय हैं।

सामग्री:

  • रुद्राक्ष माला: जप के लिए रुद्राक्ष माला का प्रयोग करें।
  • दीपक और धूप: दीपक जलाएं और धूप अर्पित करें।
  • साफ स्थान: साफ और शांत स्थान पर बैठें।
  • कपूर: कपूर जलाकर वातावरण को शुद्ध करें।
  • फूल: लाल फूल भैरव को अर्पित करें।
  • पानी: तांबे के पात्र में जल रखें।

मंत्र जप संख्या:

  • एक माला: 108 बार मंत्र जप करें।
  • ग्यारह माला: 1188 बार मंत्र जप करें।

नियम

  1. शुद्धता: शारीरिक और मानसिक शुद्धता बनाए रखें।
  2. समर्पण: पूर्ण श्रद्धा और समर्पण के साथ जप करें।
  3. नियमितता: नियमित समय पर जप करें।
  4. एकांत: एकांत और शांत स्थान पर बैठें।
  5. आसन: कुशा या ऊनी आसन का प्रयोग करें।
  6. दिशा: पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
  7. जल अर्पण: मंत्र जप से पहले और बाद में जल अर्पित करें।
  8. प्रसाद: नैवेद्य के रूप में फल और मिठाई अर्पित करें।
  9. ध्यान: जप के पहले और बाद में ध्यान करें।
  10. मौन: जप के दौरान मौन रहें।

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सावधानियाँ

  1. शुद्धता: अशुद्ध अवस्था में मंत्र जप न करें।
  2. भोजन: भारी और तामसिक भोजन से बचें।
  3. विचलन: ध्यान केंद्रित रखें और विचलित न हों।
  4. नकारात्मकता: नकारात्मक विचारों से बचें।
  5. विधि: सही विधि और नियमों का पालन करें।
  6. मदिरा और मांस: मदिरा और मांस का सेवन न करें।
  7. संयम: संयमित और संयमित जीवनशैली अपनाएं।
  8. विध्न: बाहरी विध्न और रुकावटों से बचें।
  9. स्थान: जप के स्थान को स्वच्छ और शुद्ध रखें।
  10. वस्त्र: सफेद या पीले वस्त्र पहनें।

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अभीरु मंत्र से संबंधित प्रश्न उत्तर

  1. अभीरु भैरव कौन हैं?
    • भैरव के एक रूप, जो भय से मुक्ति दिलाते हैं।
  2. अभीरु भैरव मंत्र का क्या महत्व है?
    • यह मंत्र साहस और सुरक्षा प्रदान करता है।
  3. मंत्र का जप कितने दिनों तक करना चाहिए?
    • 11 से 21 दिनों तक।
  4. मंत्र जप का सर्वोत्तम समय कौन सा है?
    • ब्रह्म मुहूर्त या प्रदोष काल।
  5. मंत्र जप के लिए कौन सी माला का उपयोग करना चाहिए?
    • रुद्राक्ष माला।
  6. मंत्र जप के दौरान कौन सी दिशा की ओर मुख करना चाहिए?
    • पूर्व या उत्तर दिशा।
  7. मंत्र जप के पहले क्या करना चाहिए?
    • शुद्धि और ध्यान।
  8. मंत्र जप के बाद क्या करना चाहिए?
    • प्रसाद और जल अर्पित करें।
  9. मंत्र जप के दौरान कौन-कौन सी सामग्री आवश्यक है?
    • दीपक, धूप, फूल, जल।
  10. मंत्र जप के लिए कौन सा आसन उपयुक्त है?
    • कुशा या ऊनी आसन।
  11. मंत्र जप के दौरान मौन रहना क्यों महत्वपूर्ण है?
    • मंत्र की शक्ति और ध्यान केंद्रित करने के लिए मौन रहना आवश्यक है।
  12. क्या मंत्र जप के लिए किसी विशेष वस्त्र का चयन करना चाहिए?
    • हाँ, सफेद या पीले वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है।

Bhairav chalisa paath for protection

Bhairav chalisa paath for protection

भैरव चालीसा पाठ भगवान भैरव की महिमा का वर्णन करने वाला एक पवित्र स्तोत्र है, जिसे श्रद्धालु अपने जीवन में सुरक्षा, साहस और भय से मुक्ति पाने के लिए करते हैं। भगवान भैरव को शिव का उग्र रूप माना जाता है, जो समस्त बुराइयों, नकारात्मक शक्तियों और भय से रक्षा करते हैं। भैरव चालीसा का नियमित पाठ करने से नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा प्राप्त होती है और मन में आत्मविश्वास और साहस का विकास होता है।

इस पाठ का विशेष महत्व तांत्रिक साधनाओं और कठिन परिस्थितियों में होता है, जहां भगवान भैरव की कृपा से भक्त सभी प्रकार की समस्याओं का समाधान प्राप्त करते हैं। भगवान भैरव की पूजा करने से जीवन में शांति, समृद्धि और संकटों से मुक्ति प्राप्त होती है।

भैरव चालीसा पाठ का आरंभ करने से पहले भक्तों को भगवान शिव और भैरव का स्मरण कर श्रद्धापूर्वक पाठ करना चाहिए।

भैरव चालीसा

दोहा:

श्री गणपति गुरु गौरि पद, सुमिरौँ भैरव राय। बान्छित फल पावौं सदा, कृपा करहु सुभाय।।

चालीसा:

जय भैरव देवन के राजा।
तुम समान नहिं कोई बिराजा।।

काशी में महिमा तुम्हारी।
सर्व विघ्न बाधा हर्ता हमारी।।

सकल सुख भोग पावे नर नारी।
जो कोई ध्यावे तोहि हमारी।।

काल भैरव भूतनाथ कहावत।
तुम बिन सब कार्य विफल हो जात।।

दीन-दुखी के संकट टारो।
दरश दिखा सब कष्ट निवरो।।

जो ध्यावे प्रभु तिहुँ लोक के ताता।
उसके काज सवारे विधाता।।

प्रेत पिसाच निकट नहीं आवें।
महावीर जब नाम सुनावें।।

राम रूप में रघुकुल भूषण।
रूप धर्यो प्रभु आप अगोचन।।

तुम्हरी महिमा ज्योति अपारा।
कालिके तुम ही हो हमारा।।

कृपा करहु जब मन में आवे।
सभी काज सहज सिधि पावे।।

तुम हो बिन सब स्वपन सुहावे।
जब तुम राखो सहाय बनावे।।

तुम्हरी शरण गहै जो कोई।
सो नर कभी दुख ना होई।।

तुम हो दीन दयाल कृपालु।
सर्व भय हर जग में पालु।।

कृपा करहु श्री भैरव दानी।
हरहु आप सब के दुख जानी।।

दास सदा यह विनय उचारे।
कृपा करहु जब मन में आवे।।

दोहा:

भैरव चालीसा जो नित, नित करे पठन। सकल विपत्ति मिटे सब, सदा रहे सुखमय।।

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पाठ के लाभ

  1. आध्यात्मिक उन्नति: भैरव चालीसा का पाठ व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होता है।
  2. संकटों का निवारण: यह पाठ जीवन में आने वाले संकटों और बाधाओं को दूर करता है।
  3. शत्रुओं से रक्षा: भैरव चालीसा व्यक्ति को शत्रुओं से रक्षा प्रदान करती है।
  4. तंत्र-मंत्र बाधाओं से मुक्ति: इस चालीसा का पाठ तंत्र-मंत्र और ऊपरी बाधाओं को दूर करने में सहायक होता है।
  5. आत्मविश्वास में वृद्धि: भैरव चालीसा का नियमित पाठ आत्मविश्वास को बढ़ाता है।
  6. स्वास्थ्य में सुधार: यह पाठ मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार लाता है।
  7. धन की प्राप्ति: भैरव चालीसा का पाठ आर्थिक बाधाओं को दूर कर धन प्राप्ति में सहायक होता है।
  8. मन की शांति: यह पाठ मानसिक शांति और संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।
  9. घर में सुख-शांति: भैरव चालीसा का पाठ घर में सुख-शांति और समृद्धि लाता है।
  10. आकर्षण शक्ति: यह पाठ व्यक्ति की आकर्षण शक्ति को बढ़ाता है।
  11. कार्य सिद्धि: भैरव चालीसा का पाठ किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त करने में सहायक होता है।
  12. भयमुक्त जीवन: यह पाठ व्यक्ति को भयमुक्त और साहसी बनाता है।
  13. कर्ज मुक्ति: भैरव चालीसा का पाठ कर्ज से मुक्ति दिलाता है।
  14. बुरी नजर से बचाव: इस चालीसा का पाठ बुरी नजर से बचाव करता है।
  15. परिवार में सामंजस्य: भैरव चालीसा का पाठ परिवार में सामंजस्य और आपसी प्रेम बढ़ाता है।
  16. शारीरिक बल: यह पाठ शारीरिक बल और ऊर्जा को बढ़ाता है।
  17. अज्ञात भय से मुक्ति: यह पाठ अज्ञात भय और चिंता से मुक्ति दिलाता है।
  18. बाधाओं का नाश: भैरव चालीसा का पाठ सभी प्रकार की बाधाओं को दूर करता है।
  19. यात्रा में सुरक्षा: यात्रा में सुरक्षा और सफलता प्राप्त करने के लिए यह पाठ अत्यंत लाभकारी है।
  20. मंत्र सिद्धि: इस चालीसा का पाठ मंत्रों की सिद्धि में सहायक होता है।

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भैरव चालीसा पाठ से संबंधित सामान्य प्रश्न

  1. भैरव चालीसा का पाठ कब करना चाहिए?
    • प्रातःकाल और संध्याकाल में भैरव चालीसा का पाठ करना शुभ माना जाता है।
  2. भैरव चालीसा का पाठ कैसे करना चाहिए?
    • शुद्ध और स्वच्छ स्थान पर बैठकर, ध्यान और श्रद्धा के साथ भैरव चालीसा का पाठ करना चाहिए।
  3. भैरव चालीसा का पाठ कितनी बार करना चाहिए?
    • नियमित रूप से दिन में एक बार या किसी विशेष समस्या के समाधान के लिए 7, 11 या 21 बार भी कर सकते हैं।
  4. क्या भैरव चालीसा का पाठ किसी विशेष दिन करना चाहिए?
    • रविवार और मंगलवार को भैरव चालीसा का पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
  5. भैरव चालीसा का पाठ करने से पहले क्या तैयारी करनी चाहिए?
    • स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें, भगवान भैरव की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीप जलाएं और पुष्प अर्पित करें।
  6. भैरव चालीसा का पाठ करने से कौन-कौन सी बाधाएं दूर होती हैं?
    • तंत्र-मंत्र बाधा, शत्रु बाधा, आर्थिक बाधा और मानसिक बाधाएं दूर होती हैं।
  7. क्या भैरव चालीसा का पाठ समूह में किया जा सकता है?
    • हाँ, भैरव चालीसा का पाठ समूह में भी किया जा सकता है, यह और भी प्रभावी होता है।
  8. क्या भैरव चालीसा का पाठ किसी विशेष माला से करना चाहिए?
    • रुद्राक्ष की माला से भैरव चालीसा का पाठ करना अधिक प्रभावी माना जाता है।
  9. भैरव चालीसा का पाठ कितने समय तक करना चाहिए?
    • नियमित रूप से 40 दिनों तक भैरव चालीसा का पाठ करना चाहिए।
  10. क्या भैरव चालीसा का पाठ करने के लिए किसी विशेष वस्त्र की आवश्यकता होती है?
    • सफेद या पीले वस्त्र पहनकर पाठ करना शुभ होता है, लेकिन स्वच्छ वस्त्र सबसे महत्वपूर्ण है।

64 yogini chalisa paath for wish

64 yogini chalisa paath for wish

मन की इच्छा पूरी करने वाली माता के ६४ योगिनी चालीसा, आदि शक्ति और उनकी योगिनियों की महिमा का गुणगान करती है और भक्त को सभी योगनियों की कृपा मिलती है। यह चालीसा सुख, समृद्धि, और शक्ति की प्राप्ति में सहायक होती है।

लाभ

  1. भगवती का आशीर्वाद: यह चालीसा भगवती की कृपा और आशीर्वाद को प्राप्त करने में सहायक होती है।
  2. रोगनिवारण: इसका पाठ करने से रोगों की निवारण में सहायता मिलती है।
  3. भूत-प्रेत निवारण: यह चालीसा भूत-प्रेतों से बचाव के लिए भी प्रभावी मानी जाती है।
  4. सुख-शांति: इसका पाठ करने से सुख और शांति की प्राप्ति होती है।
  5. धन-समृद्धि: यह चालीसा धन समृद्धि में सहायक होती है और आर्थिक स्थिति में सुधार करती है।
  6. शत्रु नाश: इसका पाठ करने से शत्रुओं का नाश हो सकता है और आपको सुरक्षित रखता है।
  7. मनोबल: यह चालीसा मानसिक बल को बढ़ाने में मदद कर सकती है और मन को शांत और स्थिर रखती है।
  8. विवाह में आसानी: इसका पाठ करने से विवाह के लिए सहायक शक्ति प्राप्त होती है।
  9. सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना: यह चालीसा सुख-समृद्धि की प्राप्ति के लिए भगवती की कृपा की प्रार्थना करने में मदद करती है।
  10. अशुभ ग्रहों का प्रभाव कम करना: यह चालीसा अशुभ ग्रहों के प्रभाव को कम करने में सहायक होती है और जीवन में स्थिरता और सुख-शांति का संदेश देती है।

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६४ योगिनी चालीसा पाठ

सूरजमुखी बूडिया रे, भानुमुखी बूडिया रे।
ग्रहमुखी बूडिया रे, रुद्रमुखी बूडिया रे॥
चंद्रमुखी बूडिया रे, भैरवमुखी बूडिया रे।
कालीमुखी बूडिया रे, शीतलमुखी बूडिया रे॥

चौभिस योगिनियां चली, कलाक्षी महाकाली।
सम्पूर्ण मस्तक हारी, महाकाली चालीसा गावती॥

कुंभिनी चंडिका, दंडिनी चंडिका।
मुण्डिनी चंडिका, ज्वालिनी चंडिका॥
कपालिनी चंडिका, कूपिनी चंडिका।
कच्छालिनी चंडिका, श्वालिनी चंडिका॥

स्त्री को संतुष्ट करी, विश्व को संतुष्ट करी।
विज्ञान के रहस्य भेदी, शून्य भूमंडल में जाकर गुप्त चेतना से भरी॥

चिंता न करी महाकाली, साधु संत सब कुछ जानती।
जग में विकल जन पर, उन्मत्त संहारी॥

अज्ञान तिमिर दूर कर, प्रभाती महाकाली।
जय जय महाकाली, कलिकाल हारी॥

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६४ योगिनी चालीसा पृश्न उत्तर

१. ६४ योगिनी कौन होती हैं?

६४ योगिनी तांत्रिक परंपरा की ६४ देवियाँ होती हैं जो महाशक्ति की विभिन्न रूपों का प्रतिनिधित्व करती हैं।

२. ६४ योगिनी चालीसा का क्या महत्व है?

यह चालीसा योगिनियों की महिमा और उनकी शक्ति का गुणगान करती है और साधकों को उनकी कृपा प्राप्त करने में मदद करती है।

३. ६४ योगिनी चालीसा का पाठ कब करना चाहिए?

इस चालीसा का पाठ किसी भी शुभ मुहूर्त में किया जा सकता है, विशेषकर नवरात्रि या अन्य देवी पर्वों पर।

४. क्या ६४ योगिनी चालीसा का पाठ विशेष विधि से किया जाता है?

हाँ, यह पाठ तांत्रिक विधियों के साथ किया जाता है, जिसमें दीप प्रज्वलित करना, विशेष मंत्रों का उच्चारण और अन्य तांत्रिक क्रियाएँ शामिल हैं।

५. क्या ६४ योगिनी चालीसा का पाठ किसी भी दिन किया जा सकता है?

हाँ, इसे किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन शुक्रवार और मंगलवार का दिन विशेष रूप से शुभ माना जाता है।

६. ६४ योगिनी चालीसा का पाठ करने के क्या लाभ हैं?

इसके पाठ से व्यक्ति को तांत्रिक बाधाओं से मुक्ति, आत्मविश्वास में वृद्धि, मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।

७. क्या ६४ योगिनी चालीसा का पाठ समूह में किया जा सकता है?

हाँ, इसे समूह में भी किया जा सकता है, जिससे सामूहिक ऊर्जा का संचार होता है और साधना अधिक प्रभावी होती है।

८. क्या ६४ योगिनी चालीसा का पाठ करने के लिए किसी विशेष स्थान की आवश्यकता होती है?

हाँ, यह पाठ शुद्ध और पवित्र स्थान पर किया जाना चाहिए, जैसे मंदिर, पूजा कक्ष, या किसी शुद्ध तांत्रिक स्थल पर।

९. क्या ६४ योगिनी चालीसा का पाठ किसी विशेष माला से किया जाता है?

रुद्राक्ष या स्फटिक माला का उपयोग इस चालीसा के पाठ में अधिक प्रभावी माना जाता है।

Bhishan Bhairav Mantra for Prptection

भीषण भैरव / Bhishan Bhairav Mantra for Prptection

सुरक्षा देने वाले भीषण भैरव तांत्रिक साधना में एक प्रमुख भैरव अवतार है जो भैरव और तांत्रिक उपासना में महत्वपूर्ण माना जाता है। इसका नाम भीषण है जिसका अर्थ है भयानक या भयावह। भीषण भैरव की उपासना से भय, संकट, दुःख और समस्याओं का नाश होने की मान्यता है

भीषण भैरव मंत्र और उसका संपूर्ण अर्थ

भीषण भैरव मंत्र:

॥ॐ भ्रं भीषण भैरवाय फट्॥

मंत्र का अर्थ:

  • ॐ: यह ध्वनि ब्रह्मांड की मूल ध्वनि है, जो सर्वशक्तिमान और सर्वव्यापी भगवान को समर्पित है।
  • भ्रं: यह बीज मंत्र है जो ऊर्जा और शक्ति को जागृत करता है।
  • भीषण भैरवाय: यह भीषण भैरव को संदर्भित करता है, जो शिव के भैरव रूप हैं।
  • फट्: यह बीज मंत्र है जो नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करने का प्रतीक है।

भीषण भैरव मंत्र के लाभ

  1. सुरक्षा: मंत्र के जप से जीवन में सुरक्षा मिलती है।
  2. साहस: यह मंत्र साहस और वीरता को बढ़ाता है।
  3. शांति: मानसिक और भावनात्मक शांति प्राप्त होती है।
  4. सकारात्मक ऊर्जा: नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।
  5. समृद्धि: आर्थिक समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है।
  6. स्वास्थ्य: अच्छा स्वास्थ्य और लंबी आयु का वरदान मिलता है।
  7. रक्षा: जीवन के हर क्षेत्र में रक्षा होती है।
  8. आध्यात्मिक उन्नति: आत्मा की उन्नति और आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है।
  9. विघ्न बाधा नाश: जीवन की विघ्न बाधाओं का नाश होता है।
  10. क्लेश मुक्ति: गृहस्थ जीवन में क्लेश और संघर्ष समाप्त होते हैं।
  11. मानसिक शक्ति: मानसिक शक्ति और धैर्य की प्राप्ति होती है।
  12. दुश्मनों पर विजय: शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
  13. शांति: पारिवारिक जीवन में शांति और आनंद मिलता है।
  14. सिद्धि प्राप्ति: विभिन्न सिद्धियों की प्राप्ति होती है।
  15. तंत्र बाधा नाश: तांत्रिक बाधाओं का नाश होता है।
  16. आत्मबल: आत्मबल में वृद्धि होती है।
  17. धन प्राप्ति: धन और संपत्ति की प्राप्ति होती है।
  18. योग्यता: योग्यता और कार्य क्षमता में वृद्धि होती है।
  19. धार्मिक उन्नति: धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति होती है।
  20. कर्ज मुक्ति: कर्ज से मुक्ति मिलती है।

भीषण भैरव मंत्र विधि

  • दिन: मंगलवार और शनिवार विशेष रूप से अनुकूल माने जाते हैं।
  • अवधि: मंत्र जप की अवधि 11 से 21 दिन होनी चाहिए।
  • मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 बजे से 6 बजे तक) सबसे उत्तम समय है।

मंत्र जप सामग्री

  • भीषण भैरव की प्रतिमा या तस्वीर
  • एक माला (रुद्राक्ष माला विशेष रूप से उत्तम)
  • धूप और दीपक
  • लाल कपड़ा
  • लाल चंदन
  • नैवेद्य (फल, मिठाई आदि)
  • शुद्ध जल
  • पुष्प

मंत्र जप संख्या

प्रत्येक दिन निम्न संख्या में मंत्र जप करें:

  • एक माला (108 बार): न्यूनतम संख्या
  • ग्यारह माला (1188 बार): अधिकतम संख्या

मंत्र जप के नियम

  1. शुद्धता: जप करते समय मन और शरीर की शुद्धता बनाए रखें।
  2. समर्पण: पूर्ण समर्पण और श्रद्धा के साथ जप करें।
  3. स्थान: शांत और पवित्र स्थान पर बैठकर जप करें।
  4. समय: प्रतिदिन एक ही समय पर जप करें।
  5. आसन: लाल या सफेद कपड़े के आसन पर बैठें।
  6. ध्यान: भीषण भैरव के रूप का ध्यान करते हुए जप करें।
  7. व्रत: जप के दिनों में व्रत रखें।
  8. संकल्प: जप शुरू करने से पहले संकल्प लें।
  9. मौन: जप के समय मौन रहें और मन को एकाग्र रखें।
  10. संख्या: जप की निर्धारित संख्या का पालन करें।

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मंत्र जप सावधानी

  1. अपवित्रता: अपवित्र स्थान या अवस्था में जप न करें।
  2. व्यवधान: जप के दौरान किसी भी प्रकार का व्यवधान न हो।
  3. संकल्प भंग: संकल्प भंग न करें।
  4. नशा: जप के दिनों में नशा और मांसाहार से दूर रहें।
  5. नींद: जप करते समय आलस्य और नींद न आने दें।
  6. ध्यान: ध्यान को भटकने न दें।
  7. मंत्र का उच्चारण: मंत्र का सही उच्चारण करें।
  8. धैर्य: धैर्य और संयम बनाए रखें।
  9. सात्विकता: सात्विक भोजन करें।
  10. विरोधाभास: किसी भी प्रकार की नकारात्मक सोच से दूर रहें।

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भीषण भैरव मंत्र से संबंधित प्रश्न और उत्तर

  1. भीषण भैरव कौन हैं?
    • भीषण भैरव भगवान शिव के भैरव रूप हैं।
  2. भीषण भैरव का मंत्र क्या है?
    • भीषण भैरव मंत्र: ॥ॐ भ्रं भीषण भैरवाय फट्॥
  3. इस मंत्र का क्या अर्थ है?
    • इस मंत्र का अर्थ है: “भीषण भैरव की ऊर्जा और शक्ति को जागृत करना।”
  4. मंत्र जप का सबसे अच्छा दिन कौन सा है?
    • मंगलवार और शनिवार।
  5. मंत्र जप की अवधि क्या होनी चाहिए?
    • 11 से 21 दिन।
  6. मंत्र जप का सबसे अच्छा समय कौन सा है?
    • ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 बजे से 6 बजे तक)।
  7. मंत्र जप के लिए कौन-कौन सी सामग्री चाहिए?
    • भीषण भैरव की प्रतिमा, माला, धूप, दीपक, लाल कपड़ा, लाल चंदन, नैवेद्य, शुद्ध जल, पुष्प।
  8. मंत्र जप की न्यूनतम संख्या कितनी होनी चाहिए?
    • एक माला (108 बार)।
  9. मंत्र जप की अधिकतम संख्या कितनी होनी चाहिए?
    • ग्यारह माला (1188 बार)।
  10. मंत्र जप के दौरान कौन-कौन से नियमों का पालन करना चाहिए?
    • शुद्धता, समर्पण, समय का पालन, संकल्प, मौन, ध्यान, व्रत आदि।
  11. मंत्र जप के समय क्या सावधानी बरतनी चाहिए?
    • अपवित्रता, व्यवधान, संकल्प भंग, नशा, आलस्य, ध्यान, उच्चारण आदि।
  12. भीषण भैरव की पूजा से क्या लाभ होता है?
    • सुरक्षा, साहस, शांति, समृद्धि, स्वास्थ्य, आत्मबल, आर्थिक उन्नति आदि।
  13. क्या मंत्र जप करते समय व्रत रखना चाहिए?
    • हां, व्रत रखना चाहिए।
  14. मंत्र जप के लिए कौन सा आसन प्रयोग करना चाहिए?
    • लाल या सफेद कपड़े का आसन।

Bhiruk bhairav Mantra for Protection

भिरुक भैरव / Bhiruk bhairav Mantra for Protection

विनाश को दूर करने वाले भिरुक भैरव का पूजन और उनके मंत्र का जप विशेष रूप से भय, बुरी आत्माओं, नकारात्मक ऊर्जा और विभिन्न कठिनाइयों से मुक्ति दिलाने के लिए किया जाता है। भिरुक भैरव की कृपा से भक्तों को जीवन में सुरक्षा, समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है।”भीरु” का मतलब हिंदी में “डरपोक (fearful)” या “कायर (timid)” होता है. और “भिरुक” का अर्थ है, डर व कायरता को दूर करने वाले. भैरव भगवान शिव का एक उग्र रूप है, जो विनाश और बुराई को नष्ट कर मनोकामना को पूर्ण करते है।

भिरुक भैरव मंत्र और उसका संपूर्ण अर्थ

मंत्र:

ॐ भ्रं भिरुक भैरवाय नमः

अर्थ:

  • : ब्रह्मांड की सर्वोच्च शक्ति का प्रतीक।
  • भ्रं: भिरुक भैरव का बीज मंत्र, जो उनकी शक्ति और उपस्थिति का संपूर्ण प्रतीक है।
  • भिरुक भैरवाय: भगवान भिरुक भैरव को संबोधित।
  • नमः: नमन, श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक।

इस मंत्र का संपूर्ण अर्थ है, “हे भिरुक भैरव, आपको मेरा नमन।”

भिरुक भैरव मंत्र के लाभ

  1. भय से मुक्ति: सभी प्रकार के भय से रक्षा करता है।
  2. शत्रु नाश: शत्रुओं का नाश करता है।
  3. रोग निवारण: स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से मुक्ति दिलाता है।
  4. धन वृद्धि: आर्थिक समृद्धि लाता है।
  5. कर्ज मुक्ति: कर्ज से निजात दिलाता है।
  6. व्यापार में उन्नति: व्यापार में सफलता प्राप्त होती है।
  7. कानूनी विजय: कानूनी मामलों में विजय प्राप्त होती है।
  8. क्लेश निवारण: घरेलू और सामाजिक क्लेशों को दूर करता है।
  9. ग्रह दोष निवारण: कुंडली में ग्रह दोषों का निवारण करता है।
  10. संकट निवारण: सभी प्रकार के संकटों से रक्षा करता है।
  11. आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक जागरूकता और उन्नति प्रदान करता है।
  12. संतान सुख: संतान प्राप्ति और उनके सुखी जीवन के लिए सहायक होता है।
  13. विवाह में बाधा निवारण: विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करता है।
  14. कार्य सिद्धि: सभी प्रकार के कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
  15. वास्तु दोष निवारण: घर और कार्यस्थल के वास्तु दोषों का निवारण करता है।
  16. नेतृत्व क्षमता: नेतृत्व और निर्णय लेने की क्षमता में वृद्धि होती है।
  17. नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा: नकारात्मक ऊर्जा और बुरी आत्माओं से रक्षा करता है।
  18. भाग्य वृद्धि: व्यक्ति के भाग्य में वृद्धि करता है।
  19. समृद्धि और सुख: जीवन में समृद्धि और सुख लाता है।
  20. मानसिक शांति: तनाव और चिंता से मुक्ति दिलाता है।

भिरुक भैरव मंत्र जप विधि

मंत्र जप का दिन

भिरुक भैरव मंत्र का जप किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार को शुभ माना जाता है।

मंत्र जप की अवधि

भिरुक भैरव मंत्र का जप 11 से 21 दिनों तक नियमित रूप से करना चाहिए।

मुहूर्त

ब्राह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) मंत्र जप के लिए सबसे उत्तम समय है। इसके अलावा, संध्या काल (शाम को सूर्यास्त के समय) भी शुभ माना जाता है।

सामग्री

  1. रुद्राक्ष या लाल चंदन की माला।
  2. शुद्ध वस्त्र।
  3. दीपक और धूपबत्ती।
  4. ताजे फूल।
  5. अक्षत (चावल)।
  6. कुमकुम और हल्दी।
  7. जल से भरा हुआ कलश।
  8. फल और मिठाई।

मंत्र जप संख्या

  • एक माला (108 बार) से लेकर
  • 11 माला (1188 बार) तक रोज जप करें।

नियम

  1. शुद्धता: जप के पहले स्नान करें और शुद्ध वस्त्र धारण करें।
  2. आसन: कुश या लाल वस्त्र का आसन पर बैठकर मंत्र जप करें।
  3. दिशा: पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके जप करें।
  4. ध्यान: जप करते समय भिरुक भैरव के स्वरूप का ध्यान करें।
  5. नियमितता: नियमित समय पर प्रतिदिन जप करें।
  6. श्रद्धा: पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ जप करें।
  7. सात्विक भोजन: सात्विक भोजन ग्रहण करें और मांसाहार से बचें।

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मंत्र जप की सावधानियाँ

  1. अशुद्धता: अपवित्र स्थान या स्थिति में जप न करें।
  2. ध्यान का अभाव: जप करते समय मन को भटकने न दें।
  3. अलसी वाणी: मंत्र जप के दौरान किसी से बात न करें।
  4. अव्यवस्था: जप स्थल को साफ और व्यवस्थित रखें।
  5. भोजन: जप से पहले भारी भोजन न करें।

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भिरुक भैरव मंत्र से संबंधित प्रश्न और उत्तर

  1. प्रश्न: भिरुक भैरव कौन हैं?
    उत्तर: भिरुक भैरव भगवान शिव के उग्र और शक्तिशाली रूप हैं।
  2. प्रश्न: भिरुक भैरव मंत्र का क्या अर्थ है?
    उत्तर: भिरुक भैरव मंत्र का अर्थ है “हे भिरुक भैरव, आपको मेरा नमन।”
  3. प्रश्न: भिरुक भैरव मंत्र के जप का सबसे शुभ दिन कौन सा है?
    उत्तर: मंगलवार और शनिवार।
  4. प्रश्न: भिरुक भैरव मंत्र के जप का मुहूर्त क्या है?
    उत्तर: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे)।
  5. प्रश्न: भिरुक भैरव मंत्र के जप से कौन-कौन से लाभ मिलते हैं?
    उत्तर: भय, शत्रु, रोग, आर्थिक समस्या, कर्ज, क्लेश, ग्रह दोष, संकट, वास्तु दोष, और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है।
  6. प्रश्न: भिरुक भैरव मंत्र जप के दौरान किस माला का उपयोग करना चाहिए?
    उत्तर: रुद्राक्ष या लाल चंदन की माला।
  7. प्रश्न: क्या भिरुक भैरव मंत्र जप से मानसिक शांति मिलती है?
    उत्तर: हाँ, इससे मानसिक शांति प्राप्त होती है।
  8. प्रश्न: भिरुक भैरव मंत्र जप से शत्रु का नाश होता है?
    उत्तर: हाँ, इससे शत्रु पर विजय प्राप्त होती है।
  9. प्रश्न: भिरुक भैरव मंत्र जप के दौरान किस दिशा की ओर मुख करना चाहिए?
    उत्तर: पूर्व या उत्तर दिशा की ओर।
  10. प्रश्न: क्या भिरुक भैरव मंत्र जप से आर्थिक समस्याओं का समाधान होता है?
    उत्तर: हाँ, इससे आर्थिक समस्याओं का समाधान होता है।
  11. प्रश्न: भिरुक भैरव मंत्र जप के दौरान किन नियमों का पालन करना चाहिए?
    उत्तर: शुद्धता, सात्विक भोजन, नियमितता, श्रद्धा, ध्यान।
  12. प्रश्न: क्या भिरुक भैरव मंत्र जप से स्वास्थ्य लाभ होता है?
    उत्तर: हाँ, इससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
  13. प्रश्न: भिरुक भैरव मंत्र जप कितनी बार करना चाहिए?
    उत्तर: 108 से 1188 बार।
  14. प्रश्न: क्या भिरुक भैरव मंत्र जप से विवाह में बाधा दूर होती है?
    उत्तर: हाँ, इससे विवाह संबंधी बाधाएँ दूर होती हैं।

Bhadrasen Bhairav Mantra for Courage & Security

भद्रसेन भैरव / Bhadrasen Bhairav Mantra for Courage and Security

अपने भक्तो को सुख-शांति देने वाले भद्रसेन भैरव भैरव भगवान शिव के रौद्र रूपों में से एक हैं और इनकी उपासना से शक्ति, साहस, और सुरक्षा प्राप्त होती है। भद्रसेन भैरव की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में समृद्धि, सुख-शांति, और मानसिक शांति आती है।

भद्रसेन भैरव मंत्र और उसका संपूर्ण अर्थ

भद्रसेन भैरव मंत्र:

॥ॐ भ्रं भद्रसेन भैरवाय फट्॥

मंत्र का अर्थ:

  • ॐ: यह ध्वनि ब्रह्मांड की मूल ध्वनि है, जो सर्वशक्तिमान और सर्वव्यापी भगवान को समर्पित है।
  • भ्रं: यह बीज मंत्र है जो ऊर्जा और शक्ति को जागृत करता है।
  • भद्रसेन भैरवाय: यह भद्रसेन भैरव को संदर्भित करता है, जो शिव के भैरव रूप हैं।
  • फट्: यह बीज मंत्र है जो नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करने का प्रतीक है।

भद्रसेन भैरव मंत्र के लाभ

  1. सुरक्षा: मंत्र के जप से जीवन में सुरक्षा मिलती है।
  2. साहस: यह मंत्र साहस और वीरता को बढ़ाता है।
  3. शांति: मानसिक और भावनात्मक शांति प्राप्त होती है।
  4. सकारात्मक ऊर्जा: नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।
  5. समृद्धि: आर्थिक समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है।
  6. स्वास्थ्य: अच्छा स्वास्थ्य और लंबी आयु का वरदान मिलता है।
  7. रक्षा: जीवन के हर क्षेत्र में रक्षा होती है।
  8. आध्यात्मिक उन्नति: आत्मा की उन्नति और आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है।
  9. विघ्न बाधा नाश: जीवन की विघ्न बाधाओं का नाश होता है।
  10. क्लेश मुक्ति: गृहस्थ जीवन में क्लेश और संघर्ष समाप्त होते हैं।
  11. मानसिक शक्ति: मानसिक शक्ति और धैर्य की प्राप्ति होती है।
  12. दुश्मनों पर विजय: शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
  13. शांति: पारिवारिक जीवन में शांति और आनंद मिलता है।
  14. सिद्धि प्राप्ति: विभिन्न सिद्धियों की प्राप्ति होती है।
  15. तंत्र बाधा नाश: तांत्रिक बाधाओं का नाश होता है।
  16. आत्मबल: आत्मबल में वृद्धि होती है।
  17. धन प्राप्ति: धन और संपत्ति की प्राप्ति होती है।
  18. योग्यता: योग्यता और कार्य क्षमता में वृद्धि होती है।
  19. धार्मिक उन्नति: धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति होती है।
  20. कर्ज मुक्ति: कर्ज से मुक्ति मिलती है।

भद्रसेन भैरव मंत्र विधि

  • दिन: मंगलवार और शनिवार विशेष रूप से अनुकूल माने जाते हैं।
  • अवधि: मंत्र जप की अवधि 11 से 21 दिन होनी चाहिए।
  • मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 बजे से 6 बजे तक) सबसे उत्तम समय है।

मंत्र जप सामग्री

  • भद्रसेन भैरव की प्रतिमा या तस्वीर
  • एक माला (रुद्राक्ष माला विशेष रूप से उत्तम)
  • धूप और दीपक
  • लाल कपड़ा
  • लाल चंदन
  • नैवेद्य (फल, मिठाई आदि)
  • शुद्ध जल
  • पुष्प

मंत्र जप संख्या

प्रत्येक दिन निम्न संख्या में मंत्र जप करें:

  • एक माला (108 बार): न्यूनतम संख्या
  • ग्यारह माला (1188 बार): अधिकतम संख्या

नियम

  1. शुद्धता: जप करते समय मन और शरीर की शुद्धता बनाए रखें।
  2. समर्पण: पूर्ण समर्पण और श्रद्धा के साथ जप करें।
  3. स्थान: शांत और पवित्र स्थान पर बैठकर जप करें।
  4. समय: प्रतिदिन एक ही समय पर जप करें।
  5. आसन: लाल या सफेद कपड़े के आसन पर बैठें।
  6. ध्यान: भद्रसेन भैरव के रूप का ध्यान करते हुए जप करें।
  7. व्रत: जप के दिनों में व्रत रखें।
  8. संकल्प: जप शुरू करने से पहले संकल्प लें।
  9. मौन: जप के समय मौन रहें और मन को एकाग्र रखें।
  10. संख्या: जप की निर्धारित संख्या का पालन करें।

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सावधानी

  1. अपवित्रता: अपवित्र स्थान या अवस्था में जप न करें।
  2. व्यवधान: जप के दौरान किसी भी प्रकार का व्यवधान न हो।
  3. संकल्प भंग: संकल्प भंग न करें।
  4. नशा: जप के दिनों में नशा और मांसाहार से दूर रहें।
  5. नींद: जप करते समय आलस्य और नींद न आने दें।
  6. ध्यान: ध्यान को भटकने न दें।
  7. मंत्र का उच्चारण: मंत्र का सही उच्चारण करें।
  8. धैर्य: धैर्य और संयम बनाए रखें।
  9. सात्विकता: सात्विक भोजन करें।
  10. विरोधाभास: किसी भी प्रकार की नकारात्मक सोच से दूर रहें।

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मंत्र से संबंधित प्रश्न और उत्तर

  1. भद्रसेन भैरव कौन हैं?
    • भद्रसेन भैरव भगवान शिव के भैरव रूप हैं।
  2. भद्रसेन भैरव का मंत्र क्या है?
    • भद्रसेन भैरव मंत्र: ॥ॐ भ्रं भद्रसेन भैरवाय फट्॥
  3. इस मंत्र का क्या अर्थ है?
    • इस मंत्र का अर्थ है: “भद्रसेन भैरव की ऊर्जा और शक्ति को जागृत करना।”
  4. मंत्र जप का सबसे अच्छा दिन कौन सा है?
    • मंगलवार और शनिवार।
  5. मंत्र जप की अवधि क्या होनी चाहिए?
    • 11 से 21 दिन।
  6. मंत्र जप का सबसे अच्छा समय कौन सा है?
    • ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 बजे से 6 बजे तक)।
  7. मंत्र जप के लिए कौन-कौन सी सामग्री चाहिए?
    • भद्रसेन भैरव की प्रतिमा, माला, धूप, दीपक, लाल कपड़ा, लाल चंदन, नैवेद्य, शुद्ध जल, पुष्प।
  8. मंत्र जप की न्यूनतम संख्या कितनी होनी चाहिए?
    • एक माला (108 बार)।
  9. मंत्र जप की अधिकतम संख्या कितनी होनी चाहिए?
    • ग्यारह माला (1188 बार)।
  10. मंत्र जप के दौरान कौन-कौन से नियमों का पालन करना चाहिए?
    • शुद्धता, समर्पण, समय का पालन, संकल्प, मौन, ध्यान, व्रत आदि।
  11. मंत्र जप के समय क्या सावधानी बरतनी चाहिए?
    • अपवित्रता, व्यवधान, संकल्प भंग, नशा, आलस्य, ध्यान, उच्चारण आदि।
  12. भद्रसेन भैरव की पूजा से क्या लाभ होता है?
    • सुरक्षा, साहस, शांति, समृद्धि, स्वास्थ्य, आत्मबल, आर्थिक उन्नति आदि।

 Baidyanath Bhairav Mantra for health

 बैद्यनाथ भैरव / Baidyanath Bhairav Mantra for health

शरीर को स्वस्थ व मनोकामना को पूर्ण करने वाले “बैद्यनाथ भैरव” शब्द का प्रयोग आम तौर पर देवघर स्थित बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक का उल्लेख करने के लिए किया जाता है। बैद्यनाथ भैरव, भगवान शिव के एक उग्र रूप हैं, जो विशेष रूप से रोगों के नाशक और स्वास्थ्य के रक्षक माने जाते हैं। इन्हें औषधियों और चिकित्सा के देवता के रूप में पूजा जाता है। बैद्यनाथ भैरव की साधना करने से साधक के जीवन में शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का संतुलन बना रहता है। यह साधना विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी है जो स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रस्त हैं।

बैद्यनाथ भैरव मंत्र व उसका संपूर्ण अर्थ

बैद्यनाथ भैरव का मंत्र “ॐ भ्रं बैद्यनाथ भैरवाय नमः” है। इस मंत्र का अर्थ है:

  • : यह परमात्मा, ब्रह्मांडीय ध्वनि, और संपूर्णता का प्रतीक है।
  • भ्रं: यह बीज मंत्र है जो विशेष उर्जा का वाहक है।
  • बैद्यनाथ भैरवाय: बैद्यनाथ भैरव, भगवान शिव के उस रूप को संबोधित करता है जो रोगों के नाशक और स्वास्थ्य के संरक्षक हैं।
  • नमः: नमस्कार या प्रणाम का प्रतीक है।

इस प्रकार, यह मंत्र बैद्यनाथ भैरव को नमन और आह्वान करता है।

मंत्र के लाभ

  1. रोगों का नाश: इस मंत्र का जाप करने से साधक के सभी प्रकार के रोग समाप्त हो जाते हैं।
  2. स्वास्थ्य में सुधार: यह मंत्र साधक के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुधारता है।
  3. आयु वृद्धि: जीवन में दीर्घायु और स्वस्थ जीवन की प्राप्ति होती है।
  4. आत्मविश्वास में वृद्धि: यह मंत्र साधक के आत्मविश्वास को बढ़ाता है।
  5. दर्द से मुक्ति: शारीरिक और मानसिक दर्द से मुक्ति दिलाता है।
  6. धार्मिक उन्नति: साधक की आध्यात्मिक यात्रा को प्रगति प्रदान करता है।
  7. नकारात्मक उर्जा से सुरक्षा: नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियों से रक्षा करता है।
  8. धन-धान्य की प्राप्ति: धन और संपत्ति की प्राप्ति में सहायक।
  9. मानसिक शांति: मानसिक शांति और संतुलन प्रदान करता है।
  10. दुर्घटनाओं से रक्षा: दुर्घटनाओं और अप्रिय घटनाओं से सुरक्षा।
  11. कार्य में सफलता: व्यवसाय और नौकरी में सफलता दिलाता है।
  12. वास्तु दोष निवारण: घर और कार्यस्थल के वास्तु दोषों का निवारण।
  13. कुंडली दोष निवारण: कुंडली के ग्रह दोषों का समाधान।
  14. प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा: भूकंप, तूफान, बाढ़ आदि से रक्षा।
  15. सकारात्मक ऊर्जा का संचार: घर और आसपास की नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है।
  16. परिवार में सुख-शांति: परिवार में सुख और शांति का वातावरण बनाता है।
  17. कानूनी मामलों में विजय: अदालत के मामलों में सफलता दिलाता है।
  18. धार्मिक अनुष्ठानों में सफलता: धार्मिक कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
  19. प्रेम संबंधों में मजबूती: प्रेम संबंधों और वैवाहिक जीवन में मजबूती प्रदान करता है।
  20. शत्रु नाश: शत्रुओं का नाश और उनका प्रभाव समाप्त करने में सहायक।

मंत्र विधि

बैद्यनाथ भैरव मंत्र के जाप की विधि निम्नलिखित है:

दिन और अवधि

  1. दिन: इस मंत्र का जाप किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार को अधिक प्रभावी माना जाता है।
  2. अवधि: 11 से 21 दिनों तक इस मंत्र का निरंतर जाप करना चाहिए।
  3. मुहुर्त: ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) और रात्रि के समय (रात्रि 10 से 12 बजे) जाप के लिए उत्तम माने जाते हैं।

सामग्री

  1. माला: रुद्राक्ष या चंदन की माला का उपयोग किया जा सकता है।
  2. दीपक: तिल के तेल का दीपक जलाना चाहिए।
  3. अगरबत्ती: अगरबत्ती या धूप का प्रयोग करें।
  4. आसन: कुश का आसन या लाल कपड़े का आसन उत्तम होता है।
  5. जल और फूल: एक पात्र में जल और पुष्प रखें।

जप संख्या

  1. प्रारंभिक संख्या: प्रतिदिन एक माला (108 मंत्र) से प्रारंभ करें।
  2. वृद्धि: धीरे-धीरे मंत्र संख्या बढ़ाकर 11 माला (1188 मंत्र) प्रतिदिन करें।
  3. नियमितता: 11 से 21 दिनों तक नियमित रूप से जाप करें।

जप के नियम

  1. शुद्धि: जाप करने से पहले शरीर और मन को शुद्ध करें। स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. आसन: आसन पर बैठकर स्थिर और शांत मन से मंत्र जाप करें।
  3. माला का प्रयोग: माला को दाएं हाथ में लेकर अनामिका और अंगूठे से जाप करें। तर्जनी का प्रयोग न करें।
  4. संकल्प: जाप से पहले संकल्प लें और बैद्यनाथ भैरव को प्रणाम करें।
  5. समय और संख्या: समय और संख्या का पालन करें। बीच में रुकावट न आने दें।

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मंत्र जप की सावधानियाँ

  1. अशुद्धि से बचें: जाप करते समय अशुद्ध विचार और कार्यों से दूर रहें।
  2. अनुशासन: समय और संख्या का पालन करें। बीच में रुकावट न आने दें।
  3. शुद्ध स्थान: जाप के लिए स्वच्छ और शांत स्थान का चयन करें।
  4. धैर्य: धैर्य और विश्वास बनाए रखें। जल्दी परिणाम की अपेक्षा न करें।
  5. दिशा: उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके जाप करें।

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मंत्र से संबंधित प्रश्न उत्तर

  1. बैद्यनाथ भैरव कौन हैं?
    बैद्यनाथ भैरव भगवान शिव के एक उग्र रूप हैं और रोगों के नाशक और स्वास्थ्य के संरक्षक माने जाते हैं।
  2. बैद्यनाथ भैरव मंत्र का अर्थ क्या है?
    यह मंत्र बैद्यनाथ भैरव को नमन और आह्वान करता है।
  3. इस मंत्र का जाप कब किया जाना चाहिए?
    मंगलवार और शनिवार को विशेष रूप से उपयुक्त माना जाता है।
  4. मंत्र जाप के लिए कौन सी माला उपयुक्त है?
    रुद्राक्ष या चंदन की माला उत्तम होती है।
  5. मंत्र जाप से क्या लाभ होते हैं?
    रोगों का नाश, स्वास्थ्य में सुधार, आयु वृद्धि आदि लाभ होते हैं।
  6. क्या मंत्र जाप के लिए विशेष दिशा का पालन करना चाहिए?
    हां, उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके जाप करना चाहिए।
  7. जाप के दौरान क्या सावधानी रखनी चाहिए?
    अशुद्ध विचार और कार्यों से दूर रहना चाहिए।
  8. मंत्र जाप की अवधि कितनी होनी चाहिए?
    11 से 21 दिनों तक नियमित रूप से जाप करना चाहिए।
  9. क्या मंत्र जाप से स्वास्थ्य में सुधार होता है?
    हां, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  10. क्या मंत्र जाप से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है?
    हां, यह नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियों से रक्षा करता है।
  11. मंत्र जाप के लिए क्या सामग्री आवश्यक है?
    रुद्राक्ष माला, दीपक, अगरबत्ती, आसन, जल और फूल आवश्यक हैं।
  12. क्या मंत्र जाप से दुर्घटनाओं से सुरक्षा मिलती है?
    हां, दुर्घटनाओं और अप्रिय घटनाओं से सुरक्षा मिलती है।
  13. क्या मंत्र जाप से धन-धान्य की प्राप्ति होती है?
    हां, धन और संपत्ति की प्राप्ति में सहायक होता है।

Bagh Bhairav Mantra for Protection

बाघ भैरव / Bagh Bhairav Mantra for Protection

सुरक्षा व साधना मे सफलता देने वाले बाघ भैरव एक प्रमुख भैरव माने जाते है। बाघ भैरव, भैरव का एक विशेष रूप हैं जिनका संबंध विशेष रूप से उग्रता और शक्ति से है। बाघ भैरव को संहारकारी शक्तियों का स्वामी माना जाता है, और इनकी साधना से साधक में साहस, शक्ति, और आत्मविश्वास का संचार होता है। बाघ भैरव की पूजा से साधक को शक्ति, सुरक्षा, धन, और सिद्धियाँ प्राप्त होने की आशा की जाती है।

बाघ भैरव मंत्र व उसका संपूर्ण अर्थ

बाघ भैरव का मंत्र “ॐ भ्रं बाघ भैरवाय नमः” है। इस मंत्र का अर्थ है:

  • : यह परमात्मा, ब्रह्मांडीय ध्वनि, और संपूर्णता का प्रतीक है।
  • भ्रं: यह बीज मंत्र है जो विशेष उर्जा का वाहक है।
  • बाघ भैरवाय: बाघ भैरव, भगवान शिव के उग्र रूप को संबोधित करता है।
  • नमः: नमस्कार या प्रणाम का प्रतीक है।

इस प्रकार, यह मंत्र बाघ भैरव को नमन और आह्वान करता है।

मंत्र के लाभ

  1. भय से मुक्ति: इस मंत्र का जाप करने से साधक सभी प्रकार के भय से मुक्त हो जाता है।
  2. आत्मविश्वास में वृद्धि: यह मंत्र साधक के आत्मविश्वास को बढ़ाता है।
  3. शत्रु नाश: शत्रुओं का नाश और उनका प्रभाव समाप्त करने में सहायक।
  4. साहस का संचार: साधक में साहस और दृढ़ता का संचार।
  5. अवसाद से मुक्ति: मानसिक अवसाद और तनाव से मुक्ति दिलाता है।
  6. आध्यात्मिक उन्नति: साधक की आध्यात्मिक यात्रा को प्रगति प्रदान करता है।
  7. तंत्र-मंत्र से सुरक्षा: नकारात्मक तंत्र-मंत्र और बुरी शक्तियों से रक्षा करता है।
  8. धन-धान्य की प्राप्ति: धन और संपत्ति की प्राप्ति में सहायक।
  9. स्वास्थ्य में सुधार: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार।
  10. शांति और संतुलन: मानसिक शांति और संतुलन प्रदान करता है।
  11. दुर्घटनाओं से रक्षा: दुर्घटनाओं और अप्रिय घटनाओं से सुरक्षा।
  12. कार्य में सफलता: व्यवसाय और नौकरी में सफलता दिलाता है।
  13. वास्तु दोष निवारण: घर और कार्यस्थल के वास्तु दोषों का निवारण।
  14. कुंडली दोष निवारण: कुंडली के ग्रह दोषों का समाधान।
  15. प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा: भूकंप, तूफान, बाढ़ आदि से रक्षा।
  16. सकारात्मक ऊर्जा का संचार: घर और आसपास की नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है।
  17. परिवार में सुख-शांति: परिवार में सुख और शांति का वातावरण बनाता है।
  18. कानूनी मामलों में विजय: अदालत के मामलों में सफलता दिलाता है।
  19. धार्मिक अनुष्ठानों में सफलता: धार्मिक कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
  20. प्रेम संबंधों में मजबूती: प्रेम संबंधों और वैवाहिक जीवन में मजबूती प्रदान करता है।

मंत्र विधि

बाघ भैरव मंत्र के जाप की विधि निम्नलिखित है:

दिन और अवधि

  1. दिन: इस मंत्र का जाप किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार को अधिक प्रभावी माना जाता है।
  2. अवधि: 11 से 21 दिनों तक इस मंत्र का निरंतर जाप करना चाहिए।
  3. मुहुर्त: ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) और रात्रि के समय (रात्रि 10 से 12 बजे) जाप के लिए उत्तम माने जाते हैं।

सामग्री

  1. माला: रुद्राक्ष या चंदन की माला का उपयोग किया जा सकता है।
  2. दीपक: तिल के तेल का दीपक जलाना चाहिए।
  3. अगरबत्ती: अगरबत्ती या धूप का प्रयोग करें।
  4. आसन: कुश का आसन या लाल कपड़े का आसन उत्तम होता है।
  5. जल और फूल: एक पात्र में जल और पुष्प रखें।

नियम

  1. शुद्धि: जाप करने से पहले शरीर और मन को शुद्ध करें। स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. आसन: आसन पर बैठकर स्थिर और शांत मन से मंत्र जाप करें।
  3. माला का प्रयोग: माला को दाएं हाथ में लेकर अनामिका और अंगूठे से जाप करें। तर्जनी का प्रयोग न करें।
  4. जप संख्या: प्रतिदिन 108 बार (एक माला) से प्रारंभ करें, फिर धीरे-धीरे इसे बढ़ाकर 11 माला तक ले जाएं।
  5. संकल्प: जाप से पहले संकल्प लें और बाघ भैरव को प्रणाम करें।

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सावधानियाँ

  1. अशुद्धि से बचें: जाप करते समय अशुद्ध विचार और कार्यों से दूर रहें।
  2. अनुशासन: समय और संख्या का पालन करें। बीच में रुकावट न आने दें।
  3. शुद्ध स्थान: जाप के लिए स्वच्छ और शांत स्थान का चयन करें।
  4. धैर्य: धैर्य और विश्वास बनाए रखें। जल्दी परिणाम की अपेक्षा न करें।
  5. दिशा: उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके जाप करें।

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मंत्र से संबंधित प्रश्न उत्तर

  1. बाघ भैरव कौन हैं?
    बाघ भैरव भगवान शिव के उग्र रूप हैं और तंत्र साधना में विशेष महत्व रखते हैं।
  2. बाघ भैरव मंत्र का अर्थ क्या है?
    यह मंत्र बाघ भैरव को नमन और आह्वान करता है।
  3. इस मंत्र का जाप कब किया जाना चाहिए?
    मंगलवार और शनिवार को विशेष रूप से उपयुक्त माना जाता है।
  4. मंत्र जाप के लिए कौन सी माला उपयुक्त है?
    रुद्राक्ष या चंदन की माला उत्तम होती है।
  5. मंत्र जाप से क्या लाभ होते हैं?
    भय से मुक्ति, आत्मविश्वास में वृद्धि, शत्रु नाश आदि लाभ होते हैं।
  6. क्या मंत्र जाप के लिए विशेष दिशा का पालन करना चाहिए?
    हां, उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके जाप करना चाहिए।
  7. जाप के दौरान क्या सावधानी रखनी चाहिए?
    अशुद्ध विचार और कार्यों से दूर रहना चाहिए।
  8. मंत्र जाप की अवधि कितनी होनी चाहिए?
    11 से 21 दिनों तक नियमित रूप से जाप करना चाहिए।
  9. क्या मंत्र जाप से स्वास्थ्य में सुधार होता है?
    हां, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  10. क्या मंत्र जाप से तंत्र-मंत्र का प्रभाव समाप्त होता है?
    हां, यह नकारात्मक तंत्र-मंत्र और बुरी शक्तियों से रक्षा करता है।
  11. मंत्र जाप के लिए क्या सामग्री आवश्यक है?
    रुद्राक्ष माला, दीपक, अगरबत्ती, आसन, जल और फूल आवश्यक हैं।
  12. क्या मंत्र जाप से दुर्घटनाओं से सुरक्षा मिलती है?
    हां, दुर्घटनाओं और अप्रिय घटनाओं से सुरक्षा मिलती है।
  13. क्या मंत्र जाप से धन-धान्य की प्राप्ति होती है?
    हां, धन और संपत्ति की प्राप्ति में सहायक होता है।
  14. क्या मंत्र जाप से कानूनी मामलों में विजय प्राप्त होती है?
    हां, अदालत के मामलों में सफलता मिलती है।