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Durga gupta chalisa paath for wealth & peace

Durga gupta chalisa paath for wealth & peace

नियमित दुर्गा चालीसा का पाठ करने से माता दुर्गा की कृपा मिलती है. माता का पाठ करने के पहले एक माला दुर्गा मंत्र “॥ॐ दुं दुर्गे नमः॥” का जप करना चाहिये.

दुर्गा चालीसा का पाठ करने से माता दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और भक्त की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। यह चालीसा माता दुर्गा की प्रसन्नता और आशीर्वाद को प्राप्त करने में सहायक होती है। चालीसा का पाठ करने से भय, भ्रम और अज्ञानता का नाश होता है और व्यक्ति का मनोबल बढ़ता है।

यह पाठ मानसिक शांति, स्थिरता और सुख-समृद्धि की प्राप्ति में मदद करता है। दुर्गा चालीसा का पाठ करने से सभी प्रकार की संकट और कष्टों से मुक्ति मिलती है। इस चालीसा का पाठ करने से समस्त बुराइयों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सफलता प्राप्त होती है। दुर्गा चालीसा का पाठ नियमित रूप से करने से व्यक्ति का मान-सम्मान बढ़ता है और उसका जीवन समृद्धि से भर जाता है।

महत्व

दुर्गा चालीसा माँ दुर्गा की स्तुति में रचित 40 पंक्तियों का भजन है। यह भजन उनके भक्तों द्वारा श्रद्धा और भक्ति के साथ गाया जाता है। दुर्गा चालीसा का नियमित पाठ करने से अनेक लाभ प्राप्त होते हैं।

दुर्गा चालीसा

दोहा:

नमो नमो दुर्गे सुख करनी।
नमो नमो अंबे दुख हरनी॥

निरंकार है ज्योति तुम्हारी।
तिहूं लोक फैली उजियारी॥

शशि ललाट मुख महा विसाला।
नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥

रूप मातु को अधिक सुहावे।
दरश करत जन अति सुख पावे॥

तुम संसार शक्ति लय कीना।
पालन हेतु अन्न धन दीना॥

अन्नपूर्णा हुई जग पाला।
तुम ही आदि सुंदरी बाला॥

प्रलय काल सब नाशन हारी।
तुम गौरी शिव शंकर प्यारी॥

शिव योगी तुम्हरे गुण गावें।
ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥

रूप सरस्वती को तुम धारा।
देश साक्षर सब जग सारा॥

कहते हैं वेद तुम्हें महिमा-मंडित।
महाशक्ति परमेश्वरी वंदित॥

महा लक्ष्मी तुम्हें कहते हैं।
महाकाली स्वरूप लवाते हैं॥

ध्यान धरें शुम्भ-निशुम्भ विधारी।
महिषासुर नृप अति अभिमानी॥

रक्तबीज संहार किया तुमने।
शक्ति में अपने नाश किया तुमने॥

मधु कैटभ को बलि लावें।
चण्ड-मुण्ड संहारे तुम आपने॥

धूम्र विलोचन जब हाथ धारा।
राक्षस संहार किया तुमने सारा॥

दुःखियों का दुख हरने वाली।
सुख संपत्ति के हर्षण वाली॥

ध्यान ध्यान धरें जो तुम्हारा।
तिन के काज बिगड़त सवारा॥

शुभ-लाभ की वर्षा करती।
सद्गुण समृद्धि से संपन्न करती॥

धर्म का मार्ग सिखाने वाली।
अधर्म का नाश करने वाली॥

रक्षक वीर बलशाली सारे।
शक्ति तुम्हारी हरदम संभाले॥

व्यापार धंधा जो भी करता।
ध्यान तुम्हारा ध्यान जो धरता॥

कार्य में उसका सुख सब पूरण।
कोई विपत्ति में नहिं भोगे दुःख शरण॥

नमो नमो दुर्गे सुख करनी।
नमो नमो अंबे दुख हरनी॥

लाभ

  1. संकट निवारण: जीवन के सभी संकटों का निवारण होता है।
  2. स्वास्थ्य में सुधार: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  3. आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।
  4. शत्रु नाशक: शत्रुओं से रक्षा होती है।
  5. धन-संपत्ति में वृद्धि: आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
  6. मानसिक शांति: मानसिक शांति और संतोष प्राप्त होता है।
  7. परिवार में सुख-शांति: परिवार में सुख और शांति बनी रहती है।
  8. सफलता: कार्यों में सफलता मिलती है।
  9. भय से मुक्ति: सभी प्रकार के भय से मुक्ति मिलती है।
  10. ज्ञान और विवेक: ज्ञान और विवेक की प्राप्ति होती है।
  11. संकल्प शक्ति: संकल्प शक्ति में वृद्धि होती है।
  12. सकारात्मकता: जीवन में सकारात्मकता आती है।
  13. रोगों का नाश: सभी प्रकार के रोगों का नाश होता है।
  14. प्रसन्नता: मन प्रसन्न रहता है।
  15. अखंड भक्ति: माँ दुर्गा की अखंड भक्ति प्राप्त होती है।
  16. प्राकृतिक आपदाओं से रक्षा: प्राकृतिक आपदाओं से रक्षा होती है।
  17. समस्याओं का समाधान: जीवन की सभी समस्याओं का समाधान होता है।
  18. कर्ज से मुक्ति: कर्ज से मुक्ति मिलती है।
  19. संतान सुख: संतान सुख की प्राप्ति होती है।
  20. दीर्घायु: दीर्घायु और स्वस्थ जीवन की प्राप्ति होती है।

Get mantra diksha

दिन, अवधि, और मुहूर्त

  • दिन: नवरात्रि और शुक्रवार का दिन माँ दुर्गा की पूजा के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
  • अवधि: दुर्गा चालीसा का पाठ नियमित रूप से 21 दिन तक किया जा सकता है। प्रतिदिन कम से कम एक बार इसका पाठ करना चाहिए।
  • मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 बजे से 6 बजे के बीच) दुर्गा चालीसा के पाठ के लिए सर्वोत्तम समय है। इसके अतिरिक्त, सुबह और शाम के समय भी पाठ किया जा सकता है।

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दुर्गा चालीसा पाठ की विधि

  1. स्नान और स्वच्छ वस्त्र: स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. स्थान: एक साफ और शांत स्थान पर बैठें।
  3. दीप जलाना: एक दीपक जलाकर माँ दुर्गा की मूर्ति या चित्र के सामने रखें।
  4. संकल्प: अपने मन में संकल्प लें और माँ दुर्गा का ध्यान करें।
  5. आरंभ: ‘ॐ दुर्गाय नमः’ और ‘श्री दुर्गाय नमः’ से पाठ आरंभ करें।
  6. समाप्ति: ‘जय माता दी’ से पाठ समाप्त करें।
  7. प्रसाद: पाठ के बाद माँ दुर्गा को नैवेद्य (प्रसाद) अर्पित करें और फिर उसे सभी में बांटें।
  8. आरती: अंत में माँ दुर्गा की आरती करें।

दुर्गा चालीसा का पाठ अत्यंत सरल और प्रभावी है। इसके पाठ से भक्तों को माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और उनके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। दुर्गा चालीसा का नियमित पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं और सभी प्रकार की समस्याओं का समाधान होता है।

Shiva chalisa gupta paath for family peace

Shiva chalisa gupta paath for family peace

ग्रहस्थ जीवन को सफल बनाने वाली श्री शिव चालीसा का पाठ करने से मानसिक शांति, ध्यान, और आत्मिक उन्नति होती है। शिव चालीसा महादेव की महिमा और गुणों का वर्णन करती है और उन्हें प्रसन्न करने का प्रयास करती है। इस चालीसा के पाठ से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और उनका आशीर्वाद मिलता है। यह चालीसा भक्ति और निष्काम कर्म की भावना को बढाती है और व्यक्ति को जीवन में सकारात्मक दिशा में ले जाती है। शिव चालीसा के पाठ से दुःख, भय, और संकट से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति को जीवन में स्थिरता और आनंद की प्राप्ति होती है।

किसी भी सोमवार से नियमित एक माला पंचाक्षरी मंत्र- ॥ॐ नमः शिवाय॥ का जप करके ३ पाठ शिव चालीसा का पाठ करे

महत्व

शिव चालीसा भगवान शिव की स्तुति में रचित 40 पंक्तियों का भजन है। यह भजन उनके भक्तों द्वारा श्रद्धा और भक्ति के साथ गाया जाता है। शिव चालीसा का नियमित पाठ करने से अनेक लाभ प्राप्त होते हैं।

शिव चालीसा

दोहा:

॥ जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥

चौपाई:

जय गिरिजा पति दीन दयाला।
सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥

भाल चन्द्रमा सोहत नीके।
कानन कुण्डल नागफनी के॥

अंग गौर शिर गंग बहाये।
मुण्डमाल तन छार लगाये॥

वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे।
छवि को देख नाग मुनि मोहे॥

मैना मातु की हवे दुलारी।
बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥

कर त्रिशूल सोहत छवि भारी।
करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥

नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे।
सागर मध्य कमल है जैसे॥

कार्तिक श्याम और गणराऊ।
या छवि को कहि जात न काऊ॥

देवन जबहि जाय पुकारा।
तबहि दुःख प्रभु आप निवारा॥

किया उपद्रव तारक भारी।
देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥

तुरत शडानन आप पठायउ।
लवनिमेष महँ मार गिरायउ॥

आप जलंधर असुर संहारा।
सुयश तुम्हार विदित संसारा॥

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई।
सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥

किया तपहिं भागीरथ भारी।
पुरब प्रतिज्ञा तासु पूरी॥

दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं।
सेवक स्तुति करत सदाहीं॥

वेद नाम महिमा तब गाई।
अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥

प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला।
जरत सुरासुर भय बिसाला॥

कीन्ही दया तहां करी सहाई।
नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥

पूजन रामचंद्र जब कीन्हा।
जितके लंक विभीषण दीन्हा॥

सहस कमल में हो रहे धारी।
कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥

एक कमल प्रभु राखेउ जोई।
कमल नयन पूजन चहं सोई॥

कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर।
भए प्रसन्न दिए इच्छित वर॥

जय जय जय अनंत अविनाशी।
करत कृपा सब के घटवासी॥

दुष्ट सकल नित मोहि सतावै।
भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो।
यहि अवसर मोहि आन उबारो॥

लै त्रिशूल शत्रुन को मारो।
संकट से मोहि आन उबारो॥

मातु पिता भ्राता सब कोई।
संकट में पूछत नहिं कोई॥

स्वामी एक है आस तुम्हारी।
आय हरहु अब संकट भारी॥

धन निर्धन को देत सदा हीं।
जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥

अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी।
क्षमा करो हे त्रिपुरारी॥

चालीसा

शंकर हो संकट के नाशन।
मंगल कारण विघ्न विनाशन॥

योगी यति मुनि ध्यान लगावैं।
शारद नारद शीश नवावैं॥

नमो नमो जय नमः शिवाय।
सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥

जो यह पाठ करे मन लाई।
ता पर होई शम्भु सहाई॥

ऋनिया जो कोई हो अधिकारी।
पाठ करे सो पावन हारी॥

पुत्रहीन कर इच्छा जोई।
निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥

पण्डित त्रयोदशी को लावे।
ध्यान पूर्वक होम करावे॥

त्रयोदशी व्रत करे हमेशा।
तन नहीं ताके रहे कलेशा॥

धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे।
शंकर सम अभिलाष न पावे॥

लाभ

  1. संकट निवारण: जीवन के सभी संकटों का निवारण होता है।
  2. स्वास्थ्य में सुधार: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  3. आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।
  4. शत्रु नाशक: शत्रुओं से रक्षा होती है।
  5. धन-संपत्ति में वृद्धि: आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
  6. मानसिक शांति: मानसिक शांति और संतोष प्राप्त होता है।
  7. परिवार में सुख-शांति: परिवार में सुख और शांति बनी रहती है।
  8. सफलता: कार्यों में सफलता मिलती है।
  9. भय से मुक्ति: सभी प्रकार के भय से मुक्ति मिलती है।
  10. ज्ञान और विवेक: ज्ञान और विवेक की प्राप्ति होती है।
  11. संकल्प शक्ति: संकल्प शक्ति में वृद्धि होती है।
  12. सकारात्मकता: जीवन में सकारात्मकता आती है।
  13. रोगों का नाश: सभी प्रकार के रोगों का नाश होता है।
  14. प्रसन्नता: मन प्रसन्न रहता है।
  15. अखंड भक्ति: भगवान शिव की अखंड भक्ति प्राप्त होती है।
  16. प्राकृतिक आपदाओं से रक्षा: प्राकृतिक आपदाओं से रक्षा होती है।
  17. समस्याओं का समाधान: जीवन की सभी समस्याओं का समाधान होता है।
  18. कर्ज से मुक्ति: कर्ज से मुक्ति मिलती है।
  19. संतान सुख: संतान सुख की प्राप्ति होती है।
  20. दीर्घायु: दीर्घायु और स्वस्थ जीवन की प्राप्ति होती है।

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दिन, अवधि, और मुहूर्त

  • दिन: सोमवार और महाशिवरात्रि का दिन भगवान शिव की पूजा के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
  • अवधि: शिव चालीसा का पाठ नियमित रूप से 21 दिन तक किया जा सकता है। प्रतिदिन कम से कम एक बार इसका पाठ करना चाहिए।
  • मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 बजे से 6 बजे के बीच) शिव चालीसा के पाठ के लिए सर्वोत्तम समय है। इसके अतिरिक्त, प्रदोष काल (सूर्यास्त के बाद का समय) भी पाठ के लिए उत्तम है।

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शिव चालीसा पाठ की विधि

  1. स्नान और स्वच्छ वस्त्र: स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. स्थान: एक साफ और शांत स्थान पर बैठें।
  3. दीप जलाना: एक दीपक जलाकर भगवान शिव की मूर्ति या चित्र के सामने रखें।
  4. संकल्प: अपने मन में संकल्प लें और भगवान शिव का ध्यान करें।
  5. आरंभ: ‘ॐ नमः शिवाय’ और ‘श्री शिवाय नमः’ से पाठ आरंभ करें।
  6. समाप्ति: ‘जय शिव शंकर, त्रिलोचन’ से पाठ समाप्त करें।
  7. प्रसाद: पाठ के बाद भगवान शिव को नैवेद्य (प्रसाद) अर्पित करें और फिर उसे सभी में बांटें।
  8. आरती: अंत में भगवान शिव की आरती करें।

शिव चालीसा का पाठ अत्यंत सरल और प्रभावी है। इसके पाठ से भक्तों को भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और उनके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। शिव चालीसा का नियमित पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं और सभी प्रकार की समस्याओं का समाधान होता है।

Saraswati chalisa gupta paath for wisdom

Saraswati chalisa gupta paath for wisdom

ज्ञान व योग्य बढाने वाली श्री सरस्वती चालीसा का पाठ करने से विद्या, बुद्धि, कला, और ज्ञान की प्राप्ति होती है। सरस्वती चालीसा माता सरस्वती की महिमा और गुणों का वर्णन करती है और उन्हें प्रसन्न करने का प्रयास करती है। इस चालीसा के पाठ से व्यक्ति को विद्या और बुद्धि में समृद्धि मिलती है और उसका जीवन सफलता से भर जाता है। सरस्वती चालीसा के पाठ से श्रद्धा और आस्था में वृद्धि होती है और व्यक्ति के मन में संतोष और समर्पण की भावना उत्पन्न होती है। यह चालीसा विद्या और कला के क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने में सहायक होती है और व्यक्ति को समस्याओं से निपटने की क्षमता प्रदान करती है।

महत्व

सरस्वती चालीसा माँ सरस्वती की स्तुति में रचित 40 पंक्तियों का भजन है। यह भजन उनके भक्तों द्वारा श्रद्धा और भक्ति के साथ गाया जाता है। सरस्वती चालीसा का नियमित पाठ करने से अनेक लाभ प्राप्त होते हैं।

चालीसा

दोहा:

जय सरस्वती माता, मैया जय सरस्वती माता।
सदगुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥

जय सरस्वती माता, मैया जय सरस्वती माता।
सदगुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥

चौपाई:

जो तुम्हें ध्यावत, विधि हरि शंकर।
भ्रमादिक सुर सागर॥

महामाया, तुम हरख निराशा।
सकल मुनिजन पूजा॥

शारदा, माँ विधि के देने वाली।
दयामयी बुद्धि विधि देनी हारी॥

कुमति दूर करण हितारी।
सुमति बुद्धि विद्या देनी हारी॥

धरत रूप विविध असुर अरि खंडनी।
सज्जनन हित करम अरु मंडनी॥

विद्या बुद्धि विवेकान देनी।
हरहु क्लेश सब विद्या देनी॥

देहि प्रेरणा सुरकुल की नारी।
रखत मान, बढ़ावत निज नारी॥

ज्ञान ध्यान जप तप ध्यान की हो दानी।
वाणी वदन पर माता वाणी॥

बिन ज्ञान हमारो नष्ट भवानी।
बिनु ज्ञान के कैसै उधारी॥

ज्ञान बिना उर अंध सब ही।
नहि परिहै उधार हो सभी॥

शारदा माँ तुम विजयी भवानी।
मां विद्या ज्ञान की हो रानी॥

माँ शारदा हृदय धरनी हारी।
कृपा करहु बिनती हमारी॥

निज जन हित विधि सुखकारी।
विद्या दे निज जन भुवन सारी॥

जय सरस्वती माता, मैया जय सरस्वती माता।
सदगुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥

लाभ

  1. ज्ञान की प्राप्ति: मां सरस्वती की कृपा से ज्ञान की प्राप्ति होती है।
  2. बुद्धि की वृद्धि: बुद्धि और विवेक में वृद्धि होती है।
  3. विद्या में उन्नति: शिक्षा में उन्नति होती है।
  4. स्मरण शक्ति: स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है।
  5. कला और संगीत: कला और संगीत में कुशलता प्राप्त होती है।
  6. साहित्य में रुचि: साहित्य और लेखन में रुचि बढ़ती है।
  7. मानसिक शांति: मानसिक शांति और संतोष प्राप्त होता है।
  8. एकाग्रता: एकाग्रता और ध्यान की क्षमता बढ़ती है।
  9. सकारात्मकता: जीवन में सकारात्मकता आती है।
  10. वाणी की मधुरता: वाणी में मधुरता और प्रभावशालीता आती है।
  11. संकल्प शक्ति: संकल्प शक्ति में वृद्धि होती है।
  12. आत्मविश्वास: आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
  13. सफलता: परीक्षाओं और प्रतियोगिताओं में सफलता प्राप्त होती है।
  14. आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक विकास होता है।
  15. शांति और समृद्धि: परिवार में शांति और समृद्धि आती है।
  16. रचनात्मकता: रचनात्मकता और नवीन विचारों की प्राप्ति होती है।
  17. समस्याओं का समाधान: जीवन की सभी समस्याओं का समाधान होता है।
  18. भय मुक्ति: सभी प्रकार के भय से मुक्ति मिलती है।
  19. अखंड भक्ति: मां सरस्वती की अखंड भक्ति प्राप्त होती है।
  20. शारीरिक स्वास्थ्य: शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।

Get mantra diksha

दिन, अवधि, और मुहूर्त

  • दिन: वसंत पंचमी और गुरुवार का दिन मां सरस्वती की पूजा के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
  • अवधि: सरस्वती चालीसा का पाठ नियमित रूप से 21 दिन तक किया जा सकता है। प्रतिदिन कम से कम एक बार इसका पाठ करना चाहिए।
  • मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 बजे से 6 बजे के बीच) सरस्वती चालीसा के पाठ के लिए सर्वोत्तम समय है। इसके अतिरिक्त, सुबह और शाम के समय भी पाठ किया जा सकता है।

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सरस्वती चालीसा पाठ की विधि

  1. स्नान और स्वच्छ वस्त्र: स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. स्थान: एक साफ और शांत स्थान पर बैठें।
  3. दीप जलाना: एक दीपक जलाकर मां सरस्वती की मूर्ति या चित्र के सामने रखें।
  4. संकल्प: अपने मन में संकल्प लें और मां सरस्वती का ध्यान करें।
  5. आरंभ: ‘श्री गणेशाय नमः’ और ‘श्री सरस्वती माता की जय’ से पाठ आरंभ करें।
  6. समाप्ति: ‘जय सरस्वती माता, मैया जय सरस्वती माता’ से पाठ समाप्त करें।
  7. प्रसाद: पाठ के बाद मां सरस्वती को नैवेद्य (प्रसाद) अर्पित करें और फिर उसे सभी में बांटें।
  8. आरती: अंत में मां सरस्वती की आरती करें।

सरस्वती चालीसा का पाठ अत्यंत सरल और प्रभावी है। इसके पाठ से भक्तों को मां सरस्वती की कृपा प्राप्त होती है और उनके जीवन में ज्ञान, बुद्धि, शांति और समृद्धि आती है। सरस्वती चालीसा का नियमित पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं और सभी प्रकार की समस्याओं का समाधान होता है।

Lakshmi chalisa paath for wealth & prosperity

Lakshmi chalisa paath for wealth & prosperity

आर्थिक उन्नति प्रदान करने वाली श्री लक्ष्मी चालीसा का पाठ करने से धन, समृद्धि, सौभाग्य, सुख, शांति, और सम्पत्ति की प्राप्ति होती है। लक्ष्मी चालीसा माता लक्ष्मी की महिमा और गुणों का वर्णन करती है और उन्हें प्रसन्न करने का प्रयास करती है। इस चालीसा के पाठ से व्यक्ति को धन प्राप्ति में सहायता मिलती है और उसका जीवन समृद्धि से भर जाता है। लक्ष्मी चालीसा के पाठ से धन की वृद्धि होती है और व्यक्ति की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। यह चालीसा लक्ष्मी माता की कृपा को प्राप्त करने का अचूक तरीका है और उन्हें अपने भक्तों की सभी इच्छाओं को पूरा करने की शक्ति प्रदान करती है।

महत्व

लक्ष्मी चालीसा भगवान विष्णु की पत्नी, माता लक्ष्मी की स्तुति में रचित 40 पंक्तियों का भजन है। यह भजन उनके भक्तों द्वारा श्रद्धा और भक्ति के साथ गाया जाता है। लक्ष्मी चालीसा का नियमित पाठ करने से अनेक लाभ प्राप्त होते हैं।

लक्ष्मी चालीसा

दोहा:

॥ माता लक्ष्मी कर कृपा, करो हृदय में वास।
करहु कृपा हे ममतामयी, हरहु विपत्ति कलेश ॥

चौपाई:

जै जै हे लक्ष्मी माई,
तुमहीं हो धन की देनहार।
विष्णु प्रिया जगजननी,
जगत में सबके आधार॥

चौदह रत्नों में तुम श्रेष्ठ,
देव दनुज सब करें पुकार।
तुम बिन कोई नहीं है सबला,
सृष्टि का तुमने किया संभार॥

रूप चतुर्भुज धारण करती,
कमलासन पर आसीन।
हाथों में वरद मुद्रा है,
जगत पालन करती हो दीन॥

हर प्राणी की तुम सहायक,
भक्तों को दे वरदान।
करो कृपा मुझ पर माता,
पूर्ण करो मेरे अरमान॥

जब भी जग में संकट आता,
तुम्हीं संकट मोचन होती।
तुम्हारे स्मरण से माता,
सुख संपत्ति के द्वार खुलते॥

सदा सहाय रहो हे माता,
विष्णु के संग निवास।
करो कृपा हे ममतामयी,
हरो विपत्ति और त्रास॥

लाभ

  1. आर्थिक समृद्धि: माता लक्ष्मी की कृपा से धन-संपत्ति में वृद्धि होती है।
  2. सुख-समृद्धि: जीवन में सुख और समृद्धि आती है।
  3. संकट निवारण: सभी प्रकार के संकटों का निवारण होता है।
  4. भय मुक्ति: सभी प्रकार के भय से मुक्ति मिलती है।
  5. स्वास्थ्य लाभ: स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  6. मानसिक शांति: मानसिक शांति और संतोष प्राप्त होता है।
  7. समस्याओं का समाधान: जीवन की सभी समस्याओं का समाधान होता है।
  8. कर्ज मुक्ति: कर्ज से मुक्ति मिलती है।
  9. व्यापार में उन्नति: व्यापार में वृद्धि होती है।
  10. नौकरी में प्रमोशन: नौकरी में उन्नति मिलती है।
  11. शत्रु नाशक: शत्रुओं से रक्षा होती है।
  12. धार्मिक उन्नति: आध्यात्मिक उन्नति होती है।
  13. ग्रह दोष निवारण: सभी प्रकार के ग्रह दोष दूर होते हैं।
  14. संकल्प शक्ति: संकल्प शक्ति में वृद्धि होती है।
  15. प्रसन्नता: मन प्रसन्न रहता है।
  16. पारिवारिक सुख: परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
  17. सौभाग्य: जीवन में सौभाग्य आता है।
  18. दिव्य दृष्टि: आत्मज्ञान और दिव्य दृष्टि की प्राप्ति होती है।
  19. मान-सम्मान: समाज में मान-सम्मान बढ़ता है।
  20. अखंड भक्ति: माता लक्ष्मी की अखंड भक्ति प्राप्त होती है।

दिन, अवधि, और मुहूर्त

  • दिन: शुक्रवार का दिन माता लक्ष्मी की पूजा के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
  • अवधि: लक्ष्मी चालीसा का पाठ नियमित रूप से 21 दिन तक किया जा सकता है। प्रतिदिन कम से कम एक बार इसका पाठ करना चाहिए।
  • मुहूर्त: सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल (शाम के समय) लक्ष्मी चालीसा के पाठ के लिए सर्वोत्तम समय है। इसके अतिरिक्त, धनतेरस, दीपावली, और पूर्णिमा के दिन भी लक्ष्मी चालीसा का पाठ अत्यंत लाभकारी होता है।

Get mantra diksha

लक्ष्मी चालीसा पाठ की विधि

  1. स्नान और स्वच्छ वस्त्र: स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. स्थान: एक साफ और शांत स्थान पर बैठें।
  3. दीप जलाना: एक दीपक जलाकर माता लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र के सामने रखें।
  4. संकल्प: अपने मन में संकल्प लें और माता लक्ष्मी का ध्यान करें।
  5. आरंभ: ‘श्री गणेशाय नमः’ और ‘श्री लक्ष्मी माता की जय’ से पाठ आरंभ करें।
  6. समाप्ति: ‘माता लक्ष्मी कर कृपा, करो हृदय में वास’ से पाठ समाप्त करें।
  7. प्रसाद: पाठ के बाद माता लक्ष्मी को नैवेद्य (प्रसाद) अर्पित करें और फिर उसे सभी में बांटें।
  8. आरती: अंत में माता लक्ष्मी की आरती करें।

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लक्ष्मी चालीसा का पाठ अत्यंत सरल और प्रभावी है। इसके पाठ से भक्तों को माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और उनके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। लक्ष्मी चालीसा का नियमित पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं और सभी प्रकार की समस्याओं का समाधान होता है।

Ganesha chalisa paath for success

Ganesha chalisa paath for success

हर तरह का विघ्न समाप्त करने वाले श्री गणेश चालीसा पाठ करने से गणेश भगवान की कृपा प्राप्त होती है और उनका आशीर्वाद मिलता है। यह चालीसा गणेश जी की महिमा और गुणों का वर्णन करती है और उन्हें प्रसन्न करने का प्रयास करती है।

इस चालीसा को नित्य पढ़ने से मनुष्य को जीवन में सफलता, सुख, शांति, समृद्धि, आरोग्य और धन की प्राप्ति होती है। गणेश चालीसा के पाठ से मनोबल बढ़ता है और आत्मविश्वास में सुधार होता है। यह चालीसा भक्ति और निष्काम कर्म की भावना को उत्तेजित करती है और व्यक्ति को जीवन में सकारात्मक दिशा में ले जाती है।

इसके अलावा, गणेश चालीसा के पाठ से भक्ति और श्रद्धा में वृद्धि होती है और मानसिक चिंताओं से मुक्ति मिलती है। इस चालीसा का पाठ करने से गणेश भगवान हर प्रकार की कष्ट, संकट और दुर्भाग्य से रक्षा करते हैं और उन्हें जीवन में सफलता प्रदान करते हैं।

महत्व

गणेश चालीसा भगवान गणेश की स्तुति में रचित 40 पंक्तियों का एक सुंदर भजन है। यह भक्तों द्वारा बड़े श्रद्धा और भक्ति से गाया जाता है। गणेश चालीसा का नियमित पाठ करने से जीवन में अनेक लाभ प्राप्त होते हैं।

लाभ

  1. विघ्न नाशक: सभी प्रकार की विघ्न बाधाओं को दूर करता है।
  2. सफलता: कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
  3. बुद्धि और ज्ञान: बुद्धि और ज्ञान में वृद्धि होती है।
  4. धन संपत्ति: आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
  5. स्वास्थ्य: स्वास्थ्य में सुधार होता है और बीमारियों से मुक्ति मिलती है।
  6. शांति: मानसिक शांति और संतोष प्राप्त होता है।
  7. सुख समृद्धि: परिवार में सुख और समृद्धि बढ़ती है।
  8. मनोकामना पूर्ण: सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं।
  9. शत्रु नाशक: शत्रुओं से रक्षा होती है।
  10. समस्याओं का समाधान: जीवन की सभी समस्याओं का समाधान होता है।
  11. शुभता: जीवन में शुभता और सकारात्मकता आती है।
  12. आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक विकास और जागरूकता बढ़ती है।
  13. कर्ज मुक्ति: कर्ज से मुक्ति मिलती है।
  14. संकल्प शक्ति: संकल्प शक्ति में वृद्धि होती है।
  15. समृद्धि: जीवन में समृद्धि और संपन्नता आती है।
  16. प्रसन्नता: मन प्रसन्न रहता है और उदासी दूर होती है।
  17. वाणी की मधुरता: वाणी में मधुरता आती है।
  18. संकटों से रक्षा: सभी प्रकार के संकटों से रक्षा होती है।
  19. दिव्य दृष्टि: आत्मज्ञान और दिव्य दृष्टि की प्राप्ति होती है।
  20. अखंड भक्ति: भगवान गणेश की अखंड भक्ति प्राप्त होती है।

दिन, अवधि, और मुहूर्त

  • दिन: बुधवार और चतुर्थी तिथि विशेष रूप से गणेश जी की पूजा के लिए माने जाते हैं। इन दिनों में गणेश चालीसा का पाठ अत्यंत लाभकारी होता है।
  • अवधि: गणेश चालीसा का पाठ नियमित रूप से 40 दिन तक किया जा सकता है। प्रतिदिन कम से कम एक बार इसका पाठ करना चाहिए।
  • मुहूर्त: सूर्योदय से पहले ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 बजे से 6 बजे के बीच) गणेश चालीसा के पाठ के लिए सर्वोत्तम समय है। शाम के समय सूर्यास्त के बाद भी इसका पाठ किया जा सकता है।

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गणेश चालीसा पाठ की विधि

  1. स्नान और स्वच्छ वस्त्र: सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. स्थान: एक साफ और शांत स्थान पर बैठें।
  3. दीप जलाना: एक दीपक जलाकर भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र के सामने रखें।
  4. संकल्प: अपने मन में संकल्प लें और भगवान गणेश का ध्यान करें।
  5. आरंभ: ‘श्री गणेशाय नमः’ से गणेश चालीसा का पाठ आरंभ करें।
  6. समाप्ति: ‘जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा, माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।’ के साथ पाठ समाप्त करें।
  7. प्रसाद: पाठ के बाद गणेश जी को नैवेद्य (प्रसाद) अर्पित करें और फिर उसे सभी में बांटें।
  8. आरती: अंत में गणेश जी की आरती करें।

गणेश चालीसा का पाठ अत्यंत सरल और प्रभावी है। इसके पाठ से भक्तों को भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है और उनके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। गणेश चालीसा का नियमित पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं और सभी प्रकार की समस्याओं का समाधान होता है।

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श्री गणेश चालीसा

दोहा:

॥ जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान ॥ ॥ कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान ॥

चौपाई:

जय गणेश गिरिजा सुवन।
मंगल मूलकृपा निकेतन॥

अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता॥

हाथ सुदर्शन चक्र विराजे।
कानन कुण्डल नाग फनी के॥

अंग गौर शिर गंग विराजे।
त्रिपुण्ड चन्दन तिलक लगावै॥

वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे।
छवि को देख नाग मुनि मोहै॥

मैना मातु की हवे दुलारी।
बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥

कर त्रिशूल सोहत छवि भारी।
करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥

नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे।
सागर मध्य कमल है जैसे॥

कार्तिक श्याम और गणराऊ।
या छवि को कहि जात न काऊ॥

देवन जबहि जाय पुकारा।
तबहि दुःख प्रभु आप निवारा॥

किया उपद्रव तारक भारी।
देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥

तुरत षडानन आप पठायउ।
लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥

आप जलंधर असुर संहारा।
सुयश तुम्हार विदित संसारा॥

त्रिपुरारि संहारि बनायउ।
भूत बेताल साथ लिवायउ॥

अमित विक्रम कोई नहिं तौलो।
गहिर शत्रु रन लंक सकोलो॥

प्रभु कृपा करि सम्भु अज ध्यावा।
कुमकुम चंदन पाट चढ़ावा॥

कंचन भवन सोभित दृढ़ काहा।
अन्य सभी मुख देखी तुमहिं॥

मांगा मुख क्षण महँ सीव धारी।
दिया नवोज सिद्धि सुर धारी॥

जय जय जय गणपति देवा।
मातु सुत सुर तुल्य हिया॥

सूर्य धूप दीयो हितु गोसाँ।
तासु सूक्ष्म बनाओ हितु तासाँ॥

बन्धु जानिक सुमिरो ताहि।
जीवन मृत्यु वश ताहि॥

Hanuman chalisa paath for Wish & Protection

Hanuman chalisa gupta paath for Wish & Protection

इस हनुमान चालीसा का पाठ करने के पहले एक माला हनुमान मंत्र ॥ॐ हं हनुमंते हं नमः॥ का जप करे. इसके बाद ३ पाठ हनुमान चालीसा पाठ किसी भी मंगलवार से नियमित करे। हनुमान चालीसा गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित एक अति महत्वपूर्ण भजन है, जो भगवान हनुमान की स्तुति में लिखा गया है। इसमें 40 चौपाइयाँ हैं और यह भक्तों द्वारा अत्यधिक श्रद्धा से गाया जाता है। हनुमान चालीसा का पाठ करने से अनेक लाभ प्राप्त होते हैं।

लाभ

  1. भय मुक्ति: हनुमान चालीसा का पाठ करने से सभी प्रकार के भय दूर हो जाते हैं।
  2. स्वास्थ्य लाभ: हनुमान जी की कृपा से व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा रहता है।
  3. मानसिक शांति: मानसिक तनाव और चिंता से मुक्ति मिलती है।
  4. धन लाभ: आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
  5. शत्रु बाधा से मुक्ति: शत्रुओं से रक्षा होती है और वे परास्त होते हैं।
  6. विघ्न बाधा से मुक्ति: सभी प्रकार की विघ्न बाधाएं दूर होती हैं।
  7. शुभता की प्राप्ति: जीवन में शुभता और सकारात्मकता आती है।
  8. आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक विकास और जागरूकता बढ़ती है।
  9. कर्ज मुक्ति: कर्ज से मुक्ति मिलती है।
  10. ग्रह दोष निवारण: सभी प्रकार के ग्रह दोष दूर होते हैं।
  11. कार्य सिद्धि: सभी कार्य सफल होते हैं।
  12. संकल्प शक्ति: संकल्प शक्ति में वृद्धि होती है।
  13. मान-सम्मान की प्राप्ति: समाज में मान-सम्मान बढ़ता है।
  14. पारिवारिक सुख: परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
  15. वाणी की मधुरता: वाणी में मधुरता आती है।
  16. संकटों से रक्षा: सभी प्रकार के संकटों से रक्षा होती है।
  17. अखंड भक्ति: भगवान हनुमान की अखंड भक्ति प्राप्त होती है।
  18. सौभाग्य की प्राप्ति: जीवन में सौभाग्य आता है।
  19. जीवन में संतोष: जीवन में संतोष और संतुलन आता है।
  20. दिव्य दृष्टि: आत्मज्ञान और दिव्य दृष्टि की प्राप्ति होती है।

दिन, अवधि, और मुहूर्त

  • दिन: मंगलवार और शनिवार हनुमान जी की पूजा के लिए विशेष दिन माने जाते हैं। इन दिनों में हनुमान चालीसा का पाठ अत्यंत लाभकारी होता है।
  • अवधि: हनुमान चालीसा का पाठ नियमित रूप से 40 दिन तक किया जा सकता है। प्रतिदिन कम से कम एक बार इसका पाठ करना चाहिए।
  • मुहूर्त: सूर्योदय से पहले ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 बजे से 6 बजे के बीच) हनुमान चालीसा के पाठ के लिए सर्वोत्तम समय है। शाम के समय सूर्यास्त के बाद भी इसका पाठ किया जा सकता है।

विधि

  1. स्नान और स्वच्छ वस्त्र: सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. स्थान: एक साफ और शांत स्थान पर बैठें।
  3. दीप जलाना: एक दीपक जलाकर भगवान हनुमान की मूर्ति या चित्र के सामने रखें।
  4. संकल्प: अपने मन में संकल्प लें और भगवान हनुमान का ध्यान करें।
  5. आरंभ: ‘श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मनु मुकुर सुधारि’ से हनुमान चालीसा का पाठ आरंभ करें।
  6. समाप्ति: ‘पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप। राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥’ के साथ पाठ समाप्त करें।
  7. प्रसाद: पाठ के बाद हनुमान जी को नैवेद्य (प्रसाद) अर्पित करें और फिर उसे सभी में बांटें।
  8. आरती: अंत में हनुमान जी की आरती करें।

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हनुमान चालीसा

जय हनुमान ज्ञान गुण सागर। जय कपीश तिहुँ लोक उजागर॥
रामदूत अतुलित बलधामा। अंजनि पुत्र पवनसुत नामा॥
महाबीर बिक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी॥
कंचन वरण विराज सुबेसा। कानन कुंडल कुंचित केसा॥
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै। काँधे मूँज जनेऊ साजै॥
शंकर सुवन केसरी नंदन। तेज प्रताप महाजग वंदन॥
विद्यावान गुनी अति चातुर। राम काज करिबे को आतुर॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया। राम लखन सीता मन बसिया॥
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा। विकट रूप धरि लंक जरावा॥
भीम रूप धरि असुर संहारे। रामचंद्र के काज सवारे॥
लाय सजीवन लखन जियाए। श्रीरघुवीर हरषि उर लाए॥
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई। तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥
सहस बदन तुम्हरो यश गावैं। अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा। नारद सारद सहित अहीसा॥
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते। कवि कोविद कहि सके कहाँ ते॥
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीहिं। राम मिलाय राज पद दीहिं॥
तुम्हरो मंत्र विभीषण माना। लंकेश्वर भए सब जग जाना॥
युग सहस्र योजन पर भानू। लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं। जलधि लांघि गये अचरज नाहीं॥
दुर्गम काज जगत के जेते। सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥
राम दुआरे तुम रखवारे। होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥
सब सुख लहै तुम्हारी शरणा। तुम रक्षक काहू को डर ना॥

हनुमान चालीसा

आपन तेज सम्हारो आपै। तीनों लोक हांक तें कांपै॥
भूत पिशाच निकट नहिं आवै। महाबीर जब नाम सुनावै॥
नासै रोग हरै सब पीरा। जपत निरंतर हनुमत बीरा॥
संकट तें हनुमान छुड़ावै। मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥
सब पर राम तपस्वी राजा। तिनके काज सकल तुम साजा॥
और मनोरथ जो कोई लावै। सोई अमित जीवन फल पावै॥
चारों युग परताप तुम्हारा। है परसिद्ध जगत उजियारा॥
साधु संत के तुम रखवारे। असुर निकंदन राम दुलारे॥
अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता॥
राम रसायन तुम्हरे पासा। सदा रहो रघुपति के दासा॥
तुम्हरे भजन रामको पावै। जनम जनम के दुख बिसरावै॥
अंत काल रघुबर पुर जाई। जहां जन्म हरिभक्त कहाई॥
और देवता चित्त न धरई। हनुमत सेई सर्व सुख करई॥
संकट कटै मिटै सब पीरा। जो सुमिरै हनुमत बलवीरा॥
जय जय जय हनुमान गोसाईं। कृपा करहु गुरुदेव की नाईं॥
जो शत बार पाठ कर कोई। छूटहि बंदि महा सुख होई॥
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा। होय सिद्धि साखी गौरीसा॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा। कीजै नाथ हृदय महं डेरा॥

दोहा।

पवन तनय संकट हरण मंगल मूरति रूप। राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप॥

हनुमान चालीसा का पाठ अत्यंत सरल है और इसके लाभ अनगिनत हैं। यह न केवल भक्तों को आध्यात्मिक बल प्रदान करता है, बल्कि उन्हें जीवन के हर क्षेत्र में सफलता और समृद्धि दिलाने में भी मदद करता है। हनुमान चालीसा का नियमित पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं और उसे भगवान हनुमान की कृपा प्राप्त होती है।

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Maruti Hanuman mantra for Lineage growth

मारुतिनंदन / Maruti Hanuman mantra for Lineage growth

संतान का आशिर्वाद देने वाले हनुमान जी को “मारुति” या “मारुतिनंदन” के नाम से भी जाना जाता है। “मारुत” शब्द का अर्थ “हवा” और “नंदन” का अर्थ “पुत्र” होता है। इसलिए, “मारुतिनंदन” का मतलब है “हवा का पुत्र।” भगवान शिव के 11वें रुद्रावतार माने जाते हैं और असीम शक्ति, भक्ति, और ज्ञान के प्रतीक हैं। हनुमानजी का स्वरूप बहुत ही प्रेरणादायक माना जाता है।

मारुतिनंदन का स्वरूप

हनुमानजी का स्वरूप बहुत ही अद्भुत और प्रभावशाली है। उनका शरीर बलवान, विशाल, और कठोर है। वे वानर के रूप में होते हैं और उनकी पूंछ लम्बी और मजबूत होती है। उनकी आँखें तेज और कानों पर विशेष तरह के आभूषण होते हैं। हनुमानजी का मुख कपि (वानर) के समान होता है, और उनका शरीर सुनहरे रंग का होता है। वे अपने हाथ में गदा धारण करते हैं और कभी-कभी वे पर्वत को उठाए हुए भी दिखाए जाते हैं।

मारुतिनंदन मंत्र का अर्थ

मंत्र:

मंत्र का अर्थ:

  • ” परमात्मा का प्रतीक है।
  • हं” हनुमानजी का बीज मंत्र है।
  • मारुति नंदनाय” का अर्थ है मारुत (वायु) के पुत्र को।
  • नमो नमः” का अर्थ है नमन करना या प्रणाम करना।

इस मंत्र का उच्चारण करने से सभी प्रकार की बाधाओं और संकटों से मुक्ति मिलती है।

लाभ

  1. कार्य क्षमता: कार्यक्षमता में वृद्धि होती है।
  2. विवाद मुक्ति: जीवन में आने वाले विवादों से मुक्ति मिलती है।
  3. शत्रु से सुरक्षा: शत्रुओं से सुरक्षा प्राप्त होती है।
  4. ब्यापार तरक्की: व्यापार में उन्नति और सफलता मिलती है।
  5. आर्थिक बाधा: आर्थिक समस्याओं का समाधान होता है।
  6. नौकरी में उन्नति: नौकरी में पदोन्नति और उन्नति मिलती है।
  7. असुरक्षा की भावना: असुरक्षा की भावना से मुक्ति मिलती है।
  8. भय से मुक्ति: भय और डर से छुटकारा मिलता है।
  9. कार्य सिद्धि: सभी कार्यों में सफलता मिलती है।
  10. तंत्र बाधा: तंत्र-मंत्र की बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
  11. आर्थिक बंधन: आर्थिक बंधनों से छुटकारा मिलता है।
  12. क्लेश मुक्ति: जीवन में क्लेश और अशांति से मुक्ति मिलती है।
  13. मानसिक शक्ति: मानसिक शक्ति और धैर्य में वृद्धि होती है।
  14. अध्यात्मिक शक्ति: अध्यात्मिक शक्ति और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
  15. ग्रहस्थ सुख: ग्रहस्थ जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
  16. परिवार में सुख-शांति: परिवार में सुख-शांति और सद्भावना आती है।
  17. विघ्न बाधा: सभी प्रकार की विघ्न बाधाओं का निवारण होता है।
  18. आर्थिक सुरक्षा: आर्थिक सुरक्षा और स्थिरता प्राप्त होती है।
  19. स्वास्थ्य लाभ: स्वास्थ्य में सुधार और रोगों से मुक्ति मिलती है।
  20. योग्यता में वृद्धि: योग्यता और क्षमता में वृद्धि होती है।

सामग्री

  1. पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर)
  2. गंगाजल
  3. काले तिल
  4. कुशा (एक प्रकार की पवित्र घास)
  5. तुलसी पत्र
  6. केले के पत्ते
  7. फूल
  8. धूप और दीपक
  9. चंदन
  10. अक्षत (चावल)
  11. शुद्ध घी
  12. कपूर
  13. हवन सामग्री
  14. पवित्र धागा (कच्चा सूत)
  15. नारियल
  16. फल
  17. वस्त्र (धोती और अंगवस्त्रम)
  18. ब्राह्मण भोज के लिए अन्न और अन्य सामग्री

पूजा का समय

  • महुर्त: सुबह के समय ब्रह्म मुहूर्त में पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
  • दिन: मंगलवार और शनिवार हनुमानजी की पूजा के लिए विशेष रूप से उपयुक्त होते हैं।
  • अवधि: पूजा की अवधि कम से कम 1 घंटे की होनी चाहिए।

पूजा की विधि

  1. स्नान और शुद्धि: स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें।
  2. स्थान चयन: पूजा के लिए शुद्ध और शांत स्थान का चयन करें।
  3. मंडल तैयार करना: भूमि को पवित्र करके मंडल बनाएं।
  4. देवताओं का आह्वान: पंचदेवों (गणेश, विष्णु, शिव, शक्ति और सूर्य) का आह्वान करें।
  5. संकल्प: अपने दोषों के निवारण के लिए संकल्प लें।
  6. हनुमानजी की स्थापना: हनुमानजी की प्रतिमा या चित्र की स्थापना करें।
  7. अभिषेक: पंचामृत और गंगाजल से अभिषेक करें।
  8. मंत्र जाप: मारुतिनंदन मंत्र का जाप करें।
  9. हवन: हवन सामग्री और घी से हवन करें।
  10. ब्राह्मण भोज: ब्राह्मणों को भोजन कराएं और वस्त्र दान करें।
  11. प्रसाद वितरण: पूजा के अंत में प्रसाद वितरण करें।

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सावधानियाँ

  1. शुद्धता का ध्यान रखें: पूजा के दौरान शुद्धता का विशेष ध्यान रखें।
  2. सही विधि का पालन करें: पूजा विधि का सही ढंग से पालन करें।
  3. अनुभवी पंडित का सहयोग लें: पूजा के लिए अनुभवी पंडित की सहायता लें।
  4. ब्राह्मण भोज और दान: ब्राह्मण भोज और दान को विशेष रूप से महत्व दें।
  5. संकल्प में दृढ़ता रखें: संकल्प में दृढ़ता और श्रद्धा रखें।

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मारुतिनंदन मंत्र – FAQs

  1. मारुतिनंदन कौन हैं?
    • मारुतिनंदन हनुमानजी का ही एक नाम है, जो वायु देवता के पुत्र के रूप में प्रसिद्ध हैं।
  2. मारुतिनंदन मंत्र का क्या अर्थ है?
    • मारुतिनंदन मंत्र का अर्थ है हनुमानजी को नमन करना और उनकी शक्ति और कृपा की प्राप्ति करना।
  3. मारुतिनंदन की पूजा के क्या लाभ हैं?
    • कार्य क्षमता, विवाद मुक्ति, शत्रु से सुरक्षा, व्यापार तरक्की, आर्थिक बाधाओं से मुक्ति, नौकरी में उन्नति, और मानसिक शक्ति की प्राप्ति।
  4. मारुतिनंदन की पूजा किस दिन करनी चाहिए?
    • मंगलवार और शनिवार को विशेष रूप से हनुमानजी की पूजा करनी चाहिए।
  5. मारुतिनंदन की पूजा का समय क्या होना चाहिए?
    • सुबह के समय ब्रह्म मुहूर्त में पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
  6. पूजा की सामग्री क्या है?
    • पंचामृत, गंगाजल, काले तिल, कुशा, तुलसी पत्र, केले के पत्ते, फूल, धूप, दीपक, चंदन, अक्षत, शुद्ध घी, कपूर, हवन सामग्री, पवित्र धागा, नारियल, फल, और वस्त्र।
  7. क्या पूजा के दौरान व्रत रखना चाहिए?
    • हाँ, पूजा के दौरान व्रत रखना लाभकारी होता है।
  8. क्या पूजा के बाद विशेष दान करना चाहिए?
    • हाँ, पूजा के बाद दान करना शुभ माना जाता है।
  9. क्या पूजा घर में कर सकते हैं?
    • हाँ, इस पूजा को घर में भी किया जा सकता है, लेकिन स्थान शुद्ध और शांत होना चाहिए।
  10. ब्राह्मण भोज का महत्व क्या है?
    • ब्राह्मण भोज से पित्रों की आत्मा को शांति मिलती है और श्रापित दोष का निवारण होता है।
  11. क्या पूजा के दौरान विशेष वस्त्र धारण करने चाहिए?
    • हाँ, पूजा के दौरान शुद्ध और स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए।
  12. क्या पूजा के बाद विशेष अनुष्ठान करने चाहिए?
    • हाँ, पूजा के बाद प्रसाद वितरण और ब्राह्मण भोज करना चाहिए।

Rudra Hanuman Ji Mantra For Courage

रुद्र हनुमान जी / Rudra Hanuman Ji Mantra For Courage

दुष्टों को दंड देने वाले रुद्र हनुमान की पूजा मनुष्य को चारो दिशाओं से रक्षा करती है। रुद्र हनुमान, हनुमान जी का एक विशेष स्वरूप है, जो भगवान शिव के रौद्र रूप को दर्शाता है। हनुमान जी के इस स्वरूप में उनकी शक्तियाँ और अधिक प्रबल हो जाती हैं। यह स्वरूप उनकी महिमा को और बढ़ाता है और उन्हें अत्यधिक प्रभावशाली बनाता है।

स्वरूप

रुद्र हनुमान का स्वरूप विशेष रूप से रौद्र और तेजस्वी होता है। उनके इस रूप में उनकी आँखें लाल होती हैं, जिससे उनकी ताकत और गुस्से का पता चलता है। उनकी मुष्टि में गदा होती है, जो उनकी शक्ति का प्रतीक है। उनका यह रूप विशेष रूप से तामसिक शक्तियों को परास्त करने और भक्तों की रक्षा के लिए जाना जाता है।

रुद्र हनुमान मंत्र का अर्थ

॥ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट्॥

इस मंत्र का अर्थ है:

  • : यह सार्वभौमिक ध्वनि है, जो ब्रह्मांड की ऊर्जा को दर्शाता है।
  • हं: यह बीज मंत्र है, जो हनुमान जी की शक्ति का प्रतीक है।
  • हनुमते: हनुमान जी को संबोधित करता है।
  • रुद्रात्मकाय: रुद्र (भगवान शिव) के स्वरूप को दर्शाता है।
  • हुं फट्: यह तामसिक और नकारात्मक शक्तियों का नाश करने के लिए उच्चारित होता है।

रुद्र हनुमान मंत्र के लाभ

  1. तामसिक शक्तियों का नाश: रुद्र हनुमान का पूजन तामसिक और नकारात्मक शक्तियों को दूर करता है।
  2. विवाह बाधा दूर करना: विवाह में आने वाली रुकावटें दूर होती हैं।
  3. संतान बाधा दूर करना: संतान प्राप्ति की समस्याएं समाप्त होती हैं।
  4. पारिवारिक सुख: परिवार में सुख और समृद्धि बनी रहती है।
  5. नवग्रह शांति: नवग्रह दोष शांत होते हैं।
  6. भौतिक सुख: भौतिक सुख-सुविधाओं में वृद्धि होती है।
  7. नौकरी में सफलता: नौकरी में प्रमोशन और सफलता मिलती है।
  8. व्यापार में वृद्धि: व्यापार में वृद्धि और लाभ होता है।
  9. तंत्र बाधा का नाश: तंत्र और मंत्र से होने वाली बाधाएं समाप्त होती हैं।
  10. धन का बंधन: धन के अवरोध दूर होते हैं और धन की वृद्धि होती है।
  11. शत्रु नाश: शत्रुओं का नाश होता है।
  12. स्वास्थ्य लाभ: स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  13. मानसिक शांति: मानसिक शांति प्राप्त होती है।
  14. आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक उन्नति होती है।
  15. आकस्मिक दुर्घटनाओं से रक्षा: आकस्मिक दुर्घटनाओं से सुरक्षा मिलती है।
  16. दुर्भाग्य का नाश: दुर्भाग्य दूर होता है।
  17. धार्मिक अनुष्ठानों में सफलता: धार्मिक अनुष्ठानों में सफलता मिलती है।
  18. कानूनी मामलों में विजय: कानूनी मामलों में विजय प्राप्त होती है।
  19. अभिमंत्रित वस्तुओं की शक्ति: अभिमंत्रित वस्तुओं की शक्ति बढ़ती है।
  20. समस्त प्रकार के भय का नाश: समस्त प्रकार के भय और चिंताओं का नाश होता है।

सामग्री

  1. हनुमान जी की मूर्ति या चित्र
  2. रोली और चंदन
  3. केसर
  4. फूल और माला
  5. धूप और दीपक
  6. ताजे फल और मिठाई
  7. पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर)
  8. नारियल
  9. सिंदूर
  10. जल और गंगाजल

मुहूर्त, दिन, और अवधि

रुद्र हनुमान की पूजा के लिए मंगलवार और शनिवार विशेष माने जाते हैं। विशेष रूप से अमावस्या और पूर्णिमा के दिन भी महत्वपूर्ण होते हैं। पूजा की अवधि आमतौर पर 45 मिनट से 1 घंटे की होती है। इसे ब्रह्म मुहूर्त में करना सर्वोत्तम माना जाता है।

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सावधानियाँ

  1. शुद्धता का ध्यान रखें: पूजा के समय शरीर और मन की शुद्धता का विशेष ध्यान रखें।
  2. आलस्य न करें: पूजा में आलस्य और लापरवाही न करें।
  3. मंत्र उच्चारण सही तरीके से करें: मंत्र उच्चारण में गलती न करें।
  4. सकारात्मक मानसिकता रखें: नकारात्मक विचारों से दूर रहें।
  5. भक्ति और श्रद्धा से पूजा करें: सच्ची भक्ति और श्रद्धा से पूजा करें।

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रुद्र हनुमान मंत्र- सामान्य प्रश्न (FAQ)

  1. रुद्र हनुमान कौन हैं?
    रुद्र हनुमान, हनुमान जी का एक विशेष रूप है, जो भगवान शिव के रुद्र रूप का प्रतिनिधित्व करता है।
  2. रुद्र हनुमान की पूजा का क्या महत्व है?
    यह पूजा तामसिक शक्तियों के नाश और जीवन में सुख-शांति लाने के लिए की जाती है।
  3. रुद्र हनुमान मंत्र क्या है?
    ॥ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट्॥
  4. इस मंत्र का क्या अर्थ है?
    यह मंत्र हनुमान जी को रुद्र के स्वरूप में संबोधित करता है और नकारात्मक शक्तियों का नाश करता है।
  5. रुद्र हनुमान की पूजा किस दिन करनी चाहिए?
    मंगलवार और शनिवार को करना शुभ होता है।
  6. पूजा के लिए किस समय उत्तम होता है?
    ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4-6 बजे) में करना श्रेष्ठ होता है।
  7. रुद्र हनुमान की पूजा में कौन-कौन सी सामग्री चाहिए?
    हनुमान जी की मूर्ति या चित्र, रोली, चंदन, केसर, फूल, माला, धूप, दीपक, फल, मिठाई, पंचामृत, नारियल, सिंदूर, जल, और गंगाजल।
  8. रुद्र हनुमान की पूजा से कौन-कौन से लाभ होते हैं?
    तामसिक शक्तियों का नाश, विवाह बाधा दूर करना, संतान बाधा दूर करना, पारिवारिक सुख, नवग्रह शांति, भौतिक सुख, नौकरी में सफलता, व्यापार में वृद्धि, तंत्र बाधा का नाश, धन का बंधन दूर करना आदि।
  9. रुद्र हनुमान की पूजा कितनी अवधि की होनी चाहिए?
    लगभग 45 मिनट से 1 घंटे की होनी चाहिए।
  10. रुद्र हनुमान की पूजा से तामसिक शक्तियों का नाश कैसे होता है?
    रुद्र हनुमान के मंत्र और पूजा के प्रभाव से तामसिक शक्तियों का नाश होता है।
  11. क्या रुद्र हनुमान की पूजा से नौकरी में सफलता मिलती है?
    हाँ, इस पूजा से नौकरी में प्रमोशन और सफलता प्राप्त होती है।

Uttaramukhi Hanuman Mantra Wealth & Success

Uttaramukhi Hanuman Mantra Wealth & Success

सभी देवी-देवताओं की कृपा दिलाने वाले उत्तर्मुखी हनुमानजी जिन्हे हिंदू धर्म में, विभिन्न रूपों में पूजा जाता है, जिनमें से एक है उत्तरमुखी हनुमान, इनका मुख उत्तर दिशा की ओर होता है, जिसे देवताओं की दिशा माना जाता है। हनुमान जी का उत्तरमुखी स्वरूप विशेष रूप से शुभ कार्यों, विवाह, संतान की रक्षा और कई अन्य जीवन की समस्याओं का समाधान करने के लिए पूजित होता है।

स्वरूप

उत्तरमुखी हनुमान का स्वरूप अत्यंत शुभ और मंगलकारी माना जाता है। इस स्वरूप में हनुमान जी का मुख उत्तर दिशा की ओर होता है, जो शुभता, समृद्धि और सभी प्रकार की सुरक्षा का प्रतीक है। उत्तरमुखी हनुमान जी का पूजन विशेष रूप से उन लोगों द्वारा किया जाता है जो अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की कामना करते हैं।

उत्तरमुखी हनुमान मंत्र

॥ॐ हं उत्तरमुखे हनुमंते फ्रौं नमः॥

इस मंत्र का अर्थ है – “हे उत्तर दिशा की ओर मुख वाले हनुमान, आपको नमस्कार है।” इस मंत्र का उच्चारण करने से व्यक्ति को समृद्धि, सुरक्षा और शांति प्राप्त होती है।

लाभ

  1. शुभ कार्य: यह मंत्र सभी शुभ कार्यों में सफलता दिलाता है।
  2. शादी व्याह में सफलता: विवाह और अन्य मांगलिक कार्यों में सफलता मिलती है।
  3. संतान रक्षा: संतान की रक्षा होती है और वे सुरक्षित रहते हैं।
  4. सुरक्षा: मानसिक और शारीरिक सुरक्षा प्रदान करता है।
  5. भय मुक्ति: सभी प्रकार के भय से मुक्ति मिलती है।
  6. तामसिक शक्तियों से रक्षा: तामसिक शक्तियों और बुरी आत्माओं से रक्षा होती है।
  7. मंगलकार्य: सभी शुभ कार्यों में सफलता मिलती है।
  8. भूत-प्रेत बाधा: भूत-प्रेत बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
  9. शत्रु बाधा: शत्रुओं से रक्षा होती है और विजय प्राप्त होती है।
  10. रोग मुक्ति: सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है।
  11. मंगल दोष निवारण: मंगल दोषों का निवारण होता है।
  12. विजयी स्वभाव: स्वभाव में विजय का भाव आता है।
  13. व्यापार का बंधन: व्यापार में आने वाली बाधाओं का निवारण होता है।
  14. कार्य सिद्धि: सभी कार्यों में सफलता मिलती है।
  15. जमीन संबंधित विवाद: जमीन से जुड़े विवादों का समाधान होता है।
  16. ऊपरी बाधा: ऊपरी बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
  17. क्लेश मुक्ति: घरेलू क्लेशों से मुक्ति मिलती है।
  18. ग्रहस्थ सुख: गृहस्थ जीवन में सुख और शांति मिलती है।
  19. परिवार में सुख शांति: परिवार में सुख और शांति बनी रहती है।
  20. आध्यात्मिक विकास: साधक का आध्यात्मिक विकास होता है।

पूजन सामग्री

  1. उत्तरमुखी हनुमान की प्रतिमा या चित्र
  2. सफेद वस्त्र
  3. सफेद फूल
  4. चंदन
  5. धूप
  6. दीपक
  7. नारियल
  8. पंचामृत
  9. मिठाई
  10. रोली
  11. अक्षत (चावल)

दिन, और समय अवधि

  1. मुहूर्त: उत्तरमुखी हनुमान मंत्र का उच्चारण करने के लिए बुधवार और रविवार का दिन शुभ माना जाता है। सूर्योदय और सूर्यास्त का समय विशेष रूप से उपयुक्त होता है।
  2. दिन: सप्ताह के किसी भी दिन इस मंत्र का जाप किया जा सकता है, परंतु बुधवार और रविवार विशेष रूप से शुभ माने जाते हैं।
  3. समय अवधि: मंत्र जाप की अवधि कम से कम 21 दिन होनी चाहिए। रोजाना 108 बार इस मंत्र का जाप करना उत्तम है।

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सावधानियाँ

  1. शुद्धता: मंत्र जाप करते समय शुद्धता का विशेष ध्यान रखें। साफ वस्त्र पहनें और स्वच्छ स्थान पर बैठें।
  2. आस्था: पूरी आस्था और विश्वास के साथ मंत्र का जाप करें।
  3. नियमितता: मंत्र जाप में नियमितता बनाए रखें। बिना किसी विराम के 21 दिनों तक मंत्र का जाप करें।
  4. सात्विक आहार: सात्विक और शुद्ध आहार का सेवन करें। तामसिक पदार्थों से बचें।
  5. मन की शांति: जाप करते समय मन को शांत रखें और एकाग्रता बनाए रखें।

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उत्तरमुखी हनुमान मंत्र – सामान्य प्रश्न

  1. क्या उत्तरमुखी हनुमान मंत्र का जाप सभी कर सकते हैं?
    हाँ, इस मंत्र का जाप सभी कर सकते हैं। यह मंत्र सभी के लिए लाभकारी है।
  2. क्या इस मंत्र का जाप केवल मंगलवार और रविवार को ही किया जा सकता है?
    नहीं, आप इस मंत्र का जाप किसी भी दिन कर सकते हैं, परंतु मंगलवार और रविवार विशेष रूप से शुभ माने जाते हैं।
  3. क्या इस मंत्र का जाप करने से धन की वृद्धि होती है?
    हाँ, इस मंत्र का जाप करने से धन में वृद्धि होती है और धन की सुरक्षा होती है।
  4. क्या उत्तरमुखी हनुमान मंत्र का जाप करने से मानसिक शांति मिलती है?
    हाँ, यह मंत्र मानसिक शांति प्रदान करता है।
  5. क्या उत्तरमुखी हनुमान मंत्र का जाप करने से आध्यात्मिक उन्नति होती है?
    हाँ, यह मंत्र आध्यात्मिक उन्नति में सहायक है।
  6. क्या इस मंत्र का जाप करने से मंगल दोष का निवारण होता है?
    हाँ, यह मंत्र मंगल दोषों का निवारण करता है।
  7. क्या इस मंत्र का जाप करने से शत्रुओं से रक्षा होती है?
    हाँ, यह मंत्र शत्रुओं से रक्षा करता है और विजय प्रदान करता है।
  8. क्या उत्तरमुखी हनुमान मंत्र का जाप करने से व्यापार में सफलता मिलती है?
    हाँ, यह मंत्र व्यापार में सफलता दिलाता है।
  9. क्या इस मंत्र का जाप करने से कोर्ट कचहरी के मामलों में विजय मिलती है?
    हाँ, यह मंत्र कोर्ट कचहरी के मामलों में विजय दिलाता है।
  10. क्या इस मंत्र का जाप करने से गृहस्थ जीवन में सुख मिलता है?
    हाँ, यह मंत्र गृहस्थ जीवन में सुख और शांति प्रदान करता है।
  11. क्या इस मंत्र का जाप करने से रोगों से मुक्ति मिलती है?हाँ, यह मंत्र रोगों से मुक्ति दिलाता है।

Dakshinmukhi Hanuman Mantra for Strong Protection

Dakshinmukhi Hanuman for Strong Protection

बुरी शक्ति या तांत्रिक प्रभाव को नष्ट करने वाले दक्षिणमुखी हनुमानजी भगवान हनुमानजी का एक दुर्लभ स्वरूप माने जाते है। भगवान हनुमान को आमतौर पर उत्तर या पश्चिम की ओर मुख करके दर्शाया जाता है, लेकिन दक्षिणमुखी हनुमानजी दक्षिण की ओर मुख करते हैं। ऐसा माना जाता है कि दक्षिणमुखी हनुमानजी नकारात्मक ऊर्जा, शत्रुओं और बुरी आत्माओं से बचाते हैं। इस स्वरूप की पूजा, साधना और मंत्र का उच्चारण करने से व्यक्ति की रक्षा, सुरक्षा और जीवन में शांति प्राप्त होती है।

स्वरूप

दक्षिणमुखी हनुमान का स्वरूप अत्यंत शक्तिशाली और रक्षात्मक है। इस स्वरूप में हनुमान जी का मुख दक्षिण दिशा की ओर होता है, जो तामसिक शक्तियों और बुरी आत्माओं से रक्षा का प्रतीक है। दक्षिणमुखी हनुमान का तेज और शक्ति भूत-प्रेत बाधाओं और शत्रुओं से रक्षा करते हैं।

दक्षिणमुखी हनुमान मंत्र का अर्थ

“ॐ हं दक्षिणमुखे हनुमंते मम वश्यं कुरु कुरु स्वाहा”

  • ॐ (Om): यह पवित्र ध्वनि और बीज मंत्र है, जो ब्रह्माण्ड की मूल ध्वनि का प्रतीक है।
  • हं (Ham): यह हनुमान जी का बीज मंत्र है, जो उनकी ऊर्जा और शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है।
  • दक्षिणमुखे (Dakshinmukhe): इसका अर्थ है ‘दक्षिण दिशा की ओर मुख वाले’। यह हनुमान जी के दक्षिणमुखी स्वरूप को संदर्भित करता है, जो तामसिक शक्तियों और बुरी आत्माओं से रक्षा का प्रतीक है।
  • हनुमंते (Hanumante): इसका अर्थ है ‘हनुमान को’, यह संबोधन हनुमान जी को समर्पित है।
  • मम (Mama): इसका अर्थ है ‘मेरा’।
  • वश्यं (Vashyam): इसका अर्थ है ‘वश में करना’ या ‘काबू में करना’।
  • कुरु कुरु (Kuru Kuru): इसका अर्थ है ‘करो करो’। यह आदेश देने का रूप है, जो प्रभाव डालने के लिए दोहराया जाता है।
  • स्वाहा (Swaha): यह अंतिम शब्द है जो मंत्र को पूर्णता प्रदान करता है और इसका उपयोग अक्सर मंत्र के अंत में किया जाता है, इसका अर्थ है ‘स्वाहा’ या ‘स्वीकृति’।

इस मंत्र का संपूर्ण अर्थ है: “हे दक्षिणमुखी हनुमान, मुझे (मम) वश में करो (वश्यं कुरु कुरु)।” या “हे दक्षिणमुखी हनुमान, मेरी इच्छाओं को पूरा करो।”

यह मंत्र विशेष रूप से उन लोगों के लिए है जो किसी विशेष उद्देश्य या इच्छा को पूरा करने के लिए हनुमान जी की कृपा और शक्ति का आह्वान करना चाहते हैं।

मंत्र के लाभ

  1. रक्षा: यह मंत्र जीवन की सभी प्रकार की बाधाओं से रक्षा करता है।
  2. सुरक्षा: मानसिक और शारीरिक सुरक्षा प्रदान करता है।
  3. भय मुक्ति: सभी प्रकार के भय से मुक्ति मिलती है।
  4. तामसिक शक्तियों से रक्षा: तामसिक शक्तियों और बुरी आत्माओं से रक्षा होती है।
  5. मंगलकार्य: सभी शुभ कार्यों में सफलता मिलती है।
  6. भूत-प्रेत बाधा: भूत-प्रेत बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
  7. शत्रु बाधा: शत्रुओं से रक्षा होती है और विजय प्राप्त होती है।
  8. रोग मुक्ति: सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है।
  9. मंगल दोष निवारण: मंगल दोषों का निवारण होता है।
  10. विजयी स्वभाव: स्वभाव में विजय का भाव आता है।
  11. व्यापार का बंधन: व्यापार में आने वाली बाधाओं का निवारण होता है।
  12. कार्य सिद्धि: सभी कार्यों में सफलता मिलती है।
  13. जमीन संबंधित विवाद: जमीन से जुड़े विवादों का समाधान होता है।
  14. ऊपरी बाधा: ऊपरी बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
  15. क्लेश मुक्ति: घरेलू क्लेशों से मुक्ति मिलती है।
  16. शत्रु पर विजय: शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
  17. ग्रहस्थ सुख: गृहस्थ जीवन में सुख और शांति मिलती है।
  18. परिवार में सुख शांति: परिवार में सुख और शांति बनी रहती है।
  19. आध्यात्मिक विकास: साधक का आध्यात्मिक विकास होता है।
  20. धन समृद्धि: धन और समृद्धि में वृद्धि होती है।

पूजन सामग्री

  1. दक्षिणमुखी हनुमान की प्रतिमा या चित्र
  2. लाल वस्त्र
  3. लाल फूल
  4. चंदन
  5. धूप
  6. दीपक
  7. नारियल
  8. पंचामृत
  9. मिठाई
  10. रोली
  11. अक्षत (चावल)

मंत्र मुहूर्त, दिन, और समय अवधि

  1. मुहूर्त: दक्षिणमुखी हनुमान मंत्र का उच्चारण करने के लिए मंगलवार और शनिवार का दिन शुभ माना जाता है। सूर्योदय और सूर्यास्त का समय विशेष रूप से उपयुक्त होता है।
  2. दिन: सप्ताह के किसी भी दिन इस मंत्र का जाप किया जा सकता है, परंतु मंगलवार और शनिवार विशेष रूप से शुभ माने जाते हैं।
  3. समय अवधि: मंत्र जाप की अवधि कम से कम 21 दिन होनी चाहिए। रोजाना 108 बार इस मंत्र का जाप करना उत्तम है।

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दक्षिणमुखी हनुमान मंत्र सावधानियाँ

  1. शुद्धता: मंत्र जाप करते समय शुद्धता का विशेष ध्यान रखें। साफ वस्त्र पहनें और स्वच्छ स्थान पर बैठें।
  2. आस्था: पूरी आस्था और विश्वास के साथ मंत्र का जाप करें।
  3. नियमितता: मंत्र जाप में नियमितता बनाए रखें। बिना किसी विराम के 21 दिनों तक मंत्र का जाप करें।
  4. सात्विक आहार: सात्विक और शुद्ध आहार का सेवन करें। तामसिक पदार्थों से बचें।
  5. मन की शांति: जाप करते समय मन को शांत रखें और एकाग्रता बनाए रखें।

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दक्षिणमुखी हनुमान मंत्र सामान्य प्रश्न

  1. क्या दक्षिणमुखी हनुमान मंत्र का जाप सभी कर सकते हैं?
    हाँ, इस मंत्र का जाप सभी कर सकते हैं। यह मंत्र सभी के लिए लाभकारी है।
  2. क्या दक्षिणमुखी हनुमान की पूजा में किसी विशेष वस्त्र का प्रयोग करना चाहिए?
    लाल वस्त्र का प्रयोग करना शुभ माना जाता है।
  3. कितनी बार दक्षिणमुखी हनुमान मंत्र का जाप करना चाहिए?
    रोजाना 108 बार इस मंत्र का जाप करना उत्तम है।
  4. क्या दक्षिणमुखी हनुमान मंत्र का जाप करने से सभी समस्याओं का समाधान होता है?
    हाँ, यह मंत्र सभी प्रकार की समस्याओं का समाधान करता है।
  5. मंत्र जाप के दौरान किन चीजों से बचना चाहिए?
    तामसिक पदार्थों से बचें और शुद्धता का ध्यान रखें।
  6. क्या इस मंत्र का जाप केवल मंगलवार और शनिवार को ही किया जा सकता है?
    नहीं, आप इस मंत्र का जाप किसी भी दिन कर सकते हैं, परंतु मंगलवार और शनिवार विशेष रूप से शुभ माने जाते हैं।
  7. क्या इस मंत्र का जाप करने से धन की वृद्धि होती है?
    हाँ, इस मंत्र का जाप करने से धन में वृद्धि होती है और धन की सुरक्षा होती है।
  8. क्या दक्षिणमुखी हनुमान मंत्र का जाप करने से मानसिक शांति मिलती है?
    हाँ, यह मंत्र मानसिक शांति प्रदान करता है।
  9. क्या इस मंत्र का जाप करने से शारीरिक शक्ति मिलती है?
    हाँ, इस मंत्र का जाप करने से शारीरिक शक्ति में वृद्धि होती है।
  10. क्या दक्षिणमुखी हनुमान मंत्र का जाप करने से आध्यात्मिक उन्नति होती है?
    हाँ, यह मंत्र आध्यात्मिक उन्नति में सहायक है।
  11. क्या इस मंत्र का जाप करने से मंगल दोष का निवारण होता है?
    हाँ, यह मंत्र मंगल दोषों का निवारण करता है।

Suryamukhi Hanuman Mantra for Fame & Knowledge

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मान सम्मान व आकर्षण व्यक्तित्व प्रदान करने वाले सूर्यमुखी हनुमान भगवान हनुमान का एक विशेष स्वरूप माने जाते है, जो भगवान सूर्य को समर्पित है। हनुमान जी सूर्य देव को अपना गुरु मानते हैं, और इसलिए सूर्यमुखी हनुमान जी की उपासना से अनेक लाभ मिलते हैं। इस स्वरूप की पूजा, साधना और मंत्र का उच्चारण करने से मानसिक, शारीरिक और अध्यात्मिक शक्तियों का विकास होता है।

स्वरूप

सूर्यमुखी हनुमान का स्वरूप अत्यंत तेजस्वी और दिव्य है। यह स्वरूप उन्हें सूर्यदेव से प्राप्त ऊर्जा और प्रकाश का प्रतीक माना जाता है। इस स्वरूप में हनुमान जी का मुख सूर्य के समान चमकता है, जो उनके अत्यधिक तेज और शक्ति का प्रतीक है।

सूर्यमुखी हनुमान मंत्र

॥ॐ हं सूर्यमुखे हनुमंते फ्रौं नमः॥

इस मंत्र का अर्थ है – “हे सूर्य समान तेजस्वी मुख वाले हनुमान, आपको नमस्कार है।” इस मंत्र का उच्चारण करने से व्यक्ति को शक्ति, साहस और विजय प्राप्त होती है।

मंत्र के लाभ

  1. मानसिक शक्ति: यह मंत्र मानसिक शांति और शक्ति प्रदान करता है।
  2. शारीरिक शक्ति: शारीरिक क्षमता और ऊर्जा में वृद्धि होती है।
  3. अध्यात्मिक शक्ति: अध्यात्मिक उन्नति और साधना में सफलता मिलती है।
  4. मंगलकार्य: सभी शुभ कार्यों में सफलता मिलती है।
  5. भूत-प्रेत बाधा: भूत-प्रेत बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
  6. शत्रु बाधा: शत्रुओं से रक्षा होती है और विजय प्राप्त होती है।
  7. रोग मुक्ति: सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है।
  8. मंगल दोष निवारण: मंगल दोषों का निवारण होता है।
  9. विजयी स्वभाव: स्वभाव में विजय का भाव आता है।
  10. व्यापार का बंधन: व्यापार में आने वाली बाधाओं का निवारण होता है।
  11. कार्य सिद्धि: सभी कार्यों में सफलता मिलती है।
  12. जमीन संबंधित विवाद: जमीन से जुड़े विवादों का समाधान होता है।
  13. धन की सुरक्षा: धन की सुरक्षा होती है और धन में वृद्धि होती है।
  14. क्लेश मुक्ति: घरेलू क्लेशों से मुक्ति मिलती है।
  15. कोर्ट कचहरी: कोर्ट कचहरी के मामलों में विजय प्राप्त होती है।
  16. ग्रहस्थ सुख: गृहस्थ जीवन में सुख और शांति मिलती है।
  17. परिवार में सुख शांति: परिवार में सुख और शांति बनी रहती है।
  18. आध्यात्मिक विकास: साधक का आध्यात्मिक विकास होता है।
  19. धन समृद्धि: धन और समृद्धि में वृद्धि होती है।
  20. समस्त कष्टों का निवारण: जीवन के सभी कष्टों का निवारण होता है।

पूजन सामग्री

  1. सूर्यमुखी हनुमान की प्रतिमा या चित्र
  2. लाल वस्त्र
  3. लाल फूल
  4. चंदन
  5. धूप
  6. दीपक
  7. नारियल
  8. पंचामृत
  9. मिठाई
  10. रोली
  11. अक्षत (चावल)

मुहूर्त, दिन, और समय अवधि

  1. मुहूर्त: सूर्यमुखी हनुमान मंत्र का उच्चारण करने के लिए मंगलवार और शनिवार का दिन शुभ माना जाता है। सूर्योदय और सूर्यास्त का समय विशेष रूप से उपयुक्त होता है।
  2. दिन: सप्ताह के किसी भी दिन इस मंत्र का जाप किया जा सकता है, परंतु मंगलवार और शनिवार विशेष रूप से शुभ माने जाते हैं।
  3. समय अवधि: मंत्र जाप की अवधि कम से कम 21 दिन होनी चाहिए। रोजाना 108 बार इस मंत्र का जाप करना उत्तम है।

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सावधानियाँ

  1. शुद्धता: मंत्र जाप करते समय शुद्धता का विशेष ध्यान रखें। साफ वस्त्र पहनें और स्वच्छ स्थान पर बैठें।
  2. आस्था: पूरी आस्था और विश्वास के साथ मंत्र का जाप करें।
  3. नियमितता: मंत्र जाप में नियमितता बनाए रखें। बिना किसी विराम के 21 दिनों तक मंत्र का जाप करें।
  4. सात्विक आहार: सात्विक और शुद्ध आहार का सेवन करें। तामसिक पदार्थों से बचें।
  5. मन की शांति: जाप करते समय मन को शांत रखें और एकाग्रता बनाए रखें।

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सूर्यमुखी हनुमान मंत्र- सामान्य प्रश्न

  1. क्या सूर्यमुखी हनुमान मंत्र का जाप सभी कर सकते हैं?
    हाँ, इस मंत्र का जाप सभी कर सकते हैं। यह मंत्र सभी के लिए लाभकारी है।
  2. क्या सूर्यमुखी हनुमान की पूजा में किसी विशेष वस्त्र का प्रयोग करना चाहिए?
    लाल वस्त्र का प्रयोग करना शुभ माना जाता है।
  3. कितनी बार सूर्यमुखी हनुमान मंत्र का जाप करना चाहिए?
    रोजाना 108 बार इस मंत्र का जाप करना उत्तम है।
  4. क्या सूर्यमुखी हनुमान मंत्र का जाप करने से सभी समस्याओं का समाधान होता है?
    हाँ, यह मंत्र सभी प्रकार की समस्याओं का समाधान करता है।
  5. मंत्र जाप के दौरान किन चीजों से बचना चाहिए?
    तामसिक पदार्थों से बचें और शुद्धता का ध्यान रखें।
  6. क्या इस मंत्र का जाप केवल मंगलवार और शनिवार को ही किया जा सकता है?
    नहीं, आप इस मंत्र का जाप किसी भी दिन कर सकते हैं, परंतु मंगलवार और शनिवार विशेष रूप से शुभ माने जाते हैं।
  7. क्या इस मंत्र का जाप करने से धन की वृद्धि होती है?
    हाँ, इस मंत्र का जाप करने से धन में वृद्धि होती है और धन की सुरक्षा होती है।
  8. क्या सूर्यमुखी हनुमान मंत्र का जाप करने से मानसिक शांति मिलती है?
    हाँ, यह मंत्र मानसिक शांति प्रदान करता है।
  9. क्या इस मंत्र का जाप करने से शारीरिक शक्ति मिलती है?
    हाँ, इस मंत्र का जाप करने से शारीरिक शक्ति में वृद्धि होती है।
  10. क्या सूर्यमुखी हनुमान मंत्र का जाप करने से आध्यात्मिक उन्नति होती है?
    हाँ, यह मंत्र आध्यात्मिक उन्नति में सहायक है।
  11. क्या इस मंत्र का जाप करने से मंगल दोष का निवारण होता है?
    हाँ, यह मंत्र मंगल दोषों का निवारण करता है।

Yogini sadhana shivir at vajreshwari

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अलौकिक शक्ति व मनोकामना पूरी करने वाली “योगिनी” शब्द संस्कृत शब्द “योग” से बना है, जिसका अर्थ है “जोडने वाली” योगिनी का अर्थ है “वह स्त्री जो योग से जोडती है आपको”

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योगिनी के प्रकार

योगिनी सैकडो प्रकार की होती हैं, जो कि अलग अलग संप्रदायों से जुडी होती है.

  • बौद्ध योगिनी: ये योगिनियाँ बौद्ध धर्म से जुड़ी होती हैं और ध्यान और ज्ञानोदय प्राप्त करने के लिए योग का अभ्यास करती हैं।
  • अघोर योगिनी: ये योगिनियाँ अघोर पंथ से जुड़ी होती हैं और तांत्रिक क्रियाओं में विशेषज्ञ होती हैं।
  • नाथ योगिनी: ये योगिनियाँ नाथ पंथ से जुड़ी होती हैं और योग विद्या में निपुण होती हैं।

योगिनी की शक्तियां

योगिनियों को अलौकिक शक्तियों के लिए जाना जाता है। वे उड़ सकती हैं, अदृश्य हो सकती हैं और भविष्य की भविष्यवाणी कर सकती हैं।

योगिनी की पूजा

योगिनियों की पूजा भक्तों को शक्ति, ज्ञान और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त करने में मदद करने के लिए की जाती है।

योगिनी के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें

  • योगिनियाँ स्त्री शक्ति का प्रतीक हैं।
  • योगिनियाँ आध्यात्मिक ज्ञान और शक्ति प्राप्त करने का मार्ग दिखाती हैं।
  • योगिनियाँ भक्तों को जीवन में चुनौतियों का सामना करने और उन्हें दूर करने में मदद करती हैं।

योगिनी साधना से जुड़े सामान्य प्रश्न (FAQ)

1. योगिनी साधना क्या है?

योगिनी साधना देवी योगिनियों की आराधना और उनसे सिद्धियाँ प्राप्त करने के लिए की जाती है।

2. योगिनी साधना का महत्व क्या है?

यह साधना साधक को आत्म-शक्ति, तांत्रिक शक्तियों, और दिव्य आशीर्वादों का अनुभव कराती है।

3. योगिनी साधना के लिए कौन सा मंत्र जपना चाहिए?

॥ॐ ह्रीं क्लीं योगिनी नमः॥

4. योगिनी साधना का जप किस समय करना चाहिए?

ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 बजे से 6 बजे) और रात्रि काल में।

5. योगिनी साधना का जप कितनी बार करना चाहिए?

न्यूनतम 108 बार करना चाहिए।

6. योगिनी साधना का जप करने से क्या लाभ होते हैं?

आत्म-शक्ति, तांत्रिक शक्तियों का विकास, रोगों से मुक्ति, मानसिक शांति, आर्थिक समृद्धि, सफलता प्राप्ति, आध्यात्मिक उन्नति, संकटमोचन, शत्रु बाधा निवारण, पारिवारिक सुख-शांति, विवाह और संबंधों में सुधार, संतान सुख, भौतिक समृद्धि, धन-धान्य में वृद्धि, आध्यात्मिक ज्ञान, कार्य सिद्धि, दुष्ट आत्माओं से रक्षा, मनोकामना पूर्ति, आत्म-नियंत्रण, और जीवन में संतुलन का अनुभव।

7. क्या योगिनी साधना महिलाएं कर सकती हैं?

हाँ, महिलाएं भी इस साधना को कर सकती हैं।

8. योगिनी साधना के लिए कौन सी पूजा सामग्री आवश्यक है?

शुद्ध जल, सिंदूर, चंदन, धूप, दीपक, फूल, फलों का प्रसाद, तुलसी दल, रुद्राक्ष माला, और पंचामृत।

9. योगिनी साधना का जप कितने दिन तक करना चाहिए?

कम से कम 21 दिन तक नियमित रूप से करना चाहिए।

10. क्या योगिनी साधना का जप समूह में किया जा सकता है?

हाँ, समूह में भी किया जा सकता है।

11. योगिनी साधना का जप करने से आध्यात्मिक उन्नति होती है?

हाँ, इससे आध्यात्मिक जागरूकता और उन्नति होती है।

12. क्या योगिनी साधना का जप किसी भी समय किया जा सकता है?

हाँ, लेकिन ब्रह्म मुहूर्त और रात्रि काल में करना उत्तम है।

13. योगिनी साधना का जप करने से क्या सभी इच्छाएं पूरी होती हैं?

पूर्ण विश्वास और भक्ति के साथ जप करने से इच्छाएं पूरी हो सकती हैं।

14. क्या योगिनी साधना का जप करने से स्वास्थ्य लाभ होते हैं?

हाँ, मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।

15. क्या योगिनी साधना का जप करने से धन की प्राप्ति होती है?

हाँ, इससे आर्थिक समस्याओं का समाधान होता है।

16. योगिनी साधना का जप करने के बाद क्या कोई विशेष प्रसाद का वितरण किया जाता है?

हाँ, पंचामृत या फलों का प्रसाद वितरित किया जा सकता है।

17. क्या योगिनी साधना का जप करने से सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं?

हाँ, शत्रु, तंत्र, और अन्य बाधाएं दूर होती हैं।

18. योगिनी साधना का जप किस दिन करना सबसे उत्तम है?

विशेषकर पूर्णिमा, अमावस्या, और नवमी के दिन।

19. क्या योगिनी साधना का जप किसी विशेष आसन में करना चाहिए?

हाँ, सही और स्थिर आसन का उपयोग करना चाहिए।

20. क्या योगिनी साधना का जप करने से दुर्भाग्य से मुक्ति मिलती है?

हाँ, इससे दुर्भाग्य और समस्याओं से मुक्ति मिलती है।

योगिनी साधना एक अत्यंत प्रभावशाली साधना है जो साधक को आत्म-शक्ति, तांत्रिक शक्तियों, और दिव्य आशीर्वादों का अनुभव कराती है। इसके नियमित जप से साधक को मानसिक, शारीरिक, और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं। साधना को शुद्ध मन और पूर्ण विश्वास के साथ करें, इससे देवी योगिनियों की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि आती है।

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