Budhashtami vrat for wealth & prosperity

बुधाष्टमी व्रत- विधि, लाभ और महत्व

बुधाष्टमी भगवान बुध ग्रह को समर्पित एक महत्वपूर्ण व्रत है। यह व्रत बुधवार के दिन आने वाली प्रत्येक कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। बुध के प्रभाव से ही ब्यक्ति को सोचने समझने और सही निर्णय लेने की शक्ति मिलती है।।

बुधाष्टमी व्रत की धार्मिक मान्यताएं:

  • बुद्धि और विद्या: भगवान बुध बुद्धि और विद्या के देवता हैं। इस व्रत को करने से बुद्धि और विद्या में वृद्धि होती है।
  • व्यापार में वृद्धि: भगवान बुध व्यापार और वाणिज्य के देवता भी हैं। इस व्रत को करने से व्यापार में वृद्धि होती है।
  • नौकरी में सफलता: भगवान बुध नौकरी और करियर के देवता भी हैं। इस व्रत को करने से नौकरी में सफलता मिलती है।
  • मानसिक शांति: भगवान बुध ग्रह मन से संबंधित है। इस व्रत को करने से मन शांत होता है और तनाव दूर होता है।
  • ग्रह दोषों का निवारण: यह व्रत बुध ग्रह से संबंधित दोषों का निवारण करने के लिए भी लाभदायक होता है।

बुधाष्टमी व्रत से लाभ:

  • बुद्धि और विद्या में वृद्धि: इस व्रत को करने से बुद्धि और विद्या में वृद्धि होती है।
  • व्यापार में वृद्धि: यह व्रत व्यापार में वृद्धि के लिए लाभदायक होता है।
  • नौकरी में सफलता: यह व्रत नौकरी में सफलता के लिए लाभदायक होता है।
  • मानसिक शांति: यह व्रत मन को शांत करने और तनाव दूर करने में मदद करता है।
  • ग्रह दोषों का निवारण: यह व्रत बुध ग्रह से संबंधित दोषों का निवारण करने में मदद करता है।
  • धन लाभ: भगवान बुध धन के देवता भी हैं। इस व्रत को करने से धन लाभ होता है।
  • वाणी में प्रभावशाली: भगवान बुध वाणी के देवता भी हैं। इस व्रत को करने से वाणी में प्रभावशाली होती है।

बुधाष्टमी व्रत विधि:

  • बुधाष्टमी व्रत की तैयारी:
    • एकादशी के पूर्व दशमी तिथि को दस इंद्रियों का संयम रखें।
    • अष्टमी तिथि के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  • बुधाष्टमी व्रत पूजा विधि:
    • भगवान बुध की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
    • उनको गंगाजल, दूध, घी, शहद और हरी वस्तुएं अर्पित करें।
    • बुध स्तोत्र का पाठ करें।
    • दीप प्रज्ज्वलित करें और धूप-अगरबत्ती लगाएं।
    • भगवान बुध को मोदक, लड्डू और अन्य मिठाई का भोग लगाएं।
    • रात्रि में भजन-कीर्तन करें।
  • बुधाष्टमी व्रत का पारण:
    • अगले दिन नवमी तिथि को सूर्योदय के बाद ही व्रत का पारण करें।
    • ब्राह्मणों को भोजन खिलाएं और दान दें।
    • इसके बाद स्वयं भोजन ग्रहण करें।

बुधाष्टमी व्रत पर ध्यान रखने योग्य बातें:

  • गर्भवती महिलाएं, स्तनपान कराने वाली महिलाएं, बीमार लोग और बच्चे इस व्रत को न रखें।
  • यदि आप व्रत नहीं रख सकते हैं तो भी आप इस दिन भगवान बुध की पूजा कर सकते हैं और दान कर सकते हैं।

बुधाष्टमी व्रत भगवान बुध को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का एक उत्तम अवसर है।

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