भूतनाथ कवचम् पाठ – सुरक्षा व विघ्न बाधा दूर करने वाला
भूतनाथ कवचम्, भगवान शिव का शक्तिशाली कवच पाठ माना जाता है, जिसका उपयोग आत्म-सुरक्षा, बुरी शक्तियों से रक्षा, और आध्यात्मिक उन्नति के लिए किया जाता है। इसका पाठ करने से साधक को आत्मिक शक्ति और आत्मविश्वास मिलता है।
संपूर्ण भूतनाथ कवचम् व उसका अर्थ
भूतनाथ कवचम् भगवान शिव का एक शक्तिशाली तांत्रिक कवच है। इसे विशेष रूप से भूत, प्रेत, पिशाच, बुरी आत्माओं और नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा के लिए पढ़ा जाता है। यह कवच भगवान शिव के भूतनाथ स्वरूप की स्तुति करता है, जो सभी प्रकार की बुरी शक्तियों पर विजय प्राप्त करते हैं।
भूतनाथ कवचम् के श्लोक
- ॐ अस्य श्रीभूतनाथ कवचस्य ऋषिः ब्रह्मा, छन्दः अनुष्टुप्, देवता श्रीभूतनाथः, बीजं भूतमण्डलावासः, शक्तिः भूतनाथः, कीलकं जगत्रयव्यापकः, विनियोगः भूतप्रेतादिभयशान्तये सर्वसिद्धये जपे विनियोगः।
- ॐ भूतनाथः शिरः पातु, फालं च त्र्यम्बकः प्रभुः।
- नयने भूतनाथश्च, कर्णौ चन्द्रशेखरः।
- घ्राणं पातु कपर्दी च, मुखं पातु महेश्वरः।
- जिह्वां पातु महादेवः, दन्तान् रक्षतु शङ्करः।
- स्कन्धौ शूली च मे पातु, भुजौ पातु पिनाकधृक्।
- हृदयं शंकरः पातु, नाभिं पातु महेश्वरः।
- कटिं पातु पशुपति: सर्वांगं पातु शङ्करः।
- महादेवः पातु जानू, जङ्घे पातु कपर्दकः।
- गुल्फौ पातु पशुपति, पादौ मे शूलपाणिः।
- शिवो रक्षतु सर्वत्र, भवानीप्राणवल्लभः।
- यः पठेच्छिवनामानि, न स पश्येत भयं क्वचित्।
भूतनाथ कवचम् का अर्थ
- ॐ अस्य श्रीभूतनाथ कवचस्य… जपे विनियोगः।
अर्थ: इस भूतनाथ कवच का ऋषि ब्रह्मा हैं, इसका छंद अनुष्टुप् है, भगवान भूतनाथ इसकी देवता हैं। इसका उपयोग भूत-प्रेत आदि के भय से रक्षा और सर्व सिद्धियों की प्राप्ति के लिए होता है। - ॐ भूतनाथः शिरः पातु… कर्णौ चन्द्रशेखरः।
अर्थ: भूतनाथ हमारे सिर की रक्षा करें, त्र्यम्बक (तीन नेत्रों वाले शिव) हमारे माथे की रक्षा करें। भूतनाथ हमारी आँखों की रक्षा करें और चन्द्रशेखर (चंद्रमा को धारण करने वाले शिव) हमारे कानों की रक्षा करें। - घ्राणं पातु कपर्दी च… मुखं पातु महेश्वरः।
अर्थ: कपर्दी (जटाजूटधारी शिव) हमारी नाक की रक्षा करें, महेश्वर (महान देवता शिव) हमारे मुख की रक्षा करें। - जिह्वां पातु महादेवः… दन्तान् रक्षतु शङ्करः।
अर्थ: महादेव हमारी जिह्वा (जीभ) की रक्षा करें और शंकर (शिव) हमारे दांतों की रक्षा करें। - स्कन्धौ शूली च मे पातु… भुजौ पातु पिनाकधृक्।
अर्थ: शूली (त्रिशूल धारण करने वाले शिव) हमारे कंधों की रक्षा करें, पिनाकधृक (धनुष धारण करने वाले शिव) हमारे भुजाओं की रक्षा करें। - हृदयं शंकरः पातु… नाभिं पातु महेश्वरः।
अर्थ: शंकर हमारे हृदय की रक्षा करें, महेश्वर हमारी नाभि की रक्षा करें। - कटिं पातु पशुपति… सर्वांगं पातु शङ्करः।
अर्थ: पशुपति (संसार के स्वामी शिव) हमारी कमर की रक्षा करें और शंकर हमारे सभी अंगों की रक्षा करें। - महादेवः पातु जानू… जङ्घे पातु कपर्दकः।
अर्थ: महादेव हमारे घुटनों की रक्षा करें और कपर्दक (जटाधारी शिव) हमारी जाँघों की रक्षा करें। - गुल्फौ पातु पशुपति… पादौ मे शूलपाणिः।
अर्थ: पशुपति हमारे टखनों की रक्षा करें और शूलपाणि (त्रिशूल धारण करने वाले शिव) हमारे पैरों की रक्षा करें। - शिवो रक्षतु सर्वत्र… भवानीप्राणवल्लभः।
अर्थ: शिव (भगवान शिव) सर्वत्र हमारी रक्षा करें और भवानी के प्रिय (शिव) हमें हर जगह से सुरक्षा प्रदान करें। - यः पठेच्छिवनामानि… न स पश्येत भयं क्वचित्।
अर्थ: जो भी व्यक्ति शिव के इन नामों का पाठ करेगा, उसे कभी भी किसी प्रकार का भय नहीं होगा।
यह कवच भगवान शिव की महिमा का गान है और साधक को पूर्ण सुरक्षा, मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है। इसका नित्य पाठ साधक को नकारात्मक शक्तियों से मुक्त रखता है और उसके जीवन में शांति और समृद्धि लाता है।
भूतनाथ कवचम् के लाभ
- नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा: कवच का पाठ नकारात्मक ऊर्जाओं से रक्षा करता है।
- बाधाओं का निवारण: जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करता है।
- आध्यात्मिक उन्नति: साधक की आध्यात्मिक प्रगति को बढ़ाता है।
- मानसिक शांति: मानसिक तनाव और चिंता को कम करता है।
- आत्मविश्वास में वृद्धि: आत्मबल और आत्मविश्वास में वृद्धि करता है।
- स्वास्थ्य में सुधार: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुधारता है।
- सभी प्रकार की विपत्तियों से रक्षा: आपदाओं और आपत्तियों से बचाव करता है।
- दुश्मनों से सुरक्षा: शत्रुओं से सुरक्षा प्रदान करता है।
- शुभता और समृद्धि: जीवन में शुभता और समृद्धि लाता है।
- ईश्वर के प्रति श्रद्धा में वृद्धि: भगवान शिव के प्रति श्रद्धा और भक्ति को बढ़ाता है।
- दुखों का नाश: जीवन के सभी दुखों और कष्टों को दूर करता है।
- सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह: जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
- रोगों से मुक्ति: कई प्रकार के रोगों से मुक्ति दिलाता है।
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भूतनाथ कवचम् विधि
भूतनाथ कवचम् का पाठ करने से पहले साधक को स्नान करना चाहिए और शुद्ध वस्त्र धारण करने चाहिए। पूजा के लिए एक स्वच्छ स्थान का चयन करें और भगवान शिव की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीपक जलाएं। पहले गणेश पूजा करें, फिर भगवान शिव की आराधना करें। कवच का पाठ मंगलवार या शनिवार से प्रारंभ करना शुभ होता है। अवधि ४१ दिन की होती है और पाठ नियमित रूप से एक ही समय पर करना चाहिए। मुहूर्त के लिए ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) उपयुक्त है।
भूतनाथ कवचम् नियम
- पूजा विधि: पूजा के समय सभी मंत्रों का उच्चारण स्पष्ट और शुद्ध होना चाहिए।
- साधना को गुप्त रखें: साधना के बारे में किसी से चर्चा न करें।
- समर्पण और श्रद्धा: साधना पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ करें।
- व्रत का पालन: साधक को साधना के दौरान व्रत का पालन करना चाहिए।
- शुद्ध आहार: शुद्ध और सात्विक भोजन ग्रहण करें।
भूतनाथ कवचम् सावधानी
- साधना के नियमों का पालन करें: साधना के नियमों का सख्ती से पालन करें।
- अधूरी साधना न करें: साधना को अधूरा न छोड़ें, यह हानिकारक हो सकता है।
- आहार पर नियंत्रण: तामसिक और राजसिक भोजन से बचें।
- शांति बनाए रखें: साधना के समय मन को शांत और स्थिर रखें।
- दिव्य दृष्टि का प्रयोग न करें: कवच का दुरुपयोग न करें, केवल आत्म-सुरक्षा और आध्यात्मिक उद्देश्यों के लिए इसका प्रयोग करें।
भूतनाथ कवचम् पाठ 13 प्रश्न उत्तर
- प्रश्न: भूतनाथ कवचम् क्या है?
उत्तर: भूतनाथ कवचम् भगवान शिव का तांत्रिक कवच है जो साधक की रक्षा करता है। - प्रश्न: इसका मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर: मुख्य उद्देश्य आत्म-सुरक्षा, बुरी शक्तियों से रक्षा, और आध्यात्मिक उन्नति है। - प्रश्न: इस कवच का पाठ कब शुरू करना चाहिए?
उत्तर: मंगलवार या शनिवार से पाठ शुरू करना शुभ होता है। - प्रश्न: साधना की अवधि कितनी होती है?
उत्तर: साधना की अवधि ४१ दिन होती है। - प्रश्न: साधना के दौरान क्या सावधानी रखनी चाहिए?
उत्तर: साधना को गुप्त रखें और नियमों का पालन करें। - प्रश्न: कवच का पाठ करने के समय का क्या महत्त्व है?
उत्तर: पाठ का समय (ब्रह्ममुहूर्त) साधना की प्रभावशीलता बढ़ाता है। - प्रश्न: इस कवच के कितने लाभ होते हैं?
उत्तर: कवच के १३ मुख्य लाभ होते हैं, जैसे नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा, आत्मविश्वास में वृद्धि। - प्रश्न: क्या भूतनाथ कवचम् का उपयोग सभी कर सकते हैं?
उत्तर: हाँ, लेकिन पूरी श्रद्धा और नियमों का पालन आवश्यक है। - प्रश्न: साधना के लिए कौन-सा आहार ग्रहण करना चाहिए?
उत्तर: सात्विक और शुद्ध आहार ग्रहण करना चाहिए। - प्रश्न: क्या भूतनाथ कवचम् का दुरुपयोग संभव है?
उत्तर: हाँ, दुरुपयोग से नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं। - प्रश्न: इस कवच का पाठ करने से क्या रोगों से मुक्ति मिलती है?
उत्तर: हाँ, यह कई प्रकार के रोगों से मुक्ति दिला सकता है। - प्रश्न: क्या भूतनाथ कवचम् का पाठ किसी विशिष्ट उद्देश्य के लिए किया जा सकता है?
उत्तर: हाँ, इसे आत्म-सुरक्षा, बुरी शक्तियों से रक्षा, और अन्य विशिष्ट उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है। - प्रश्न: साधना के दौरान क्या ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर: साधना को पूर्ण एकाग्रता, श्रद्धा और समर्पण के साथ करें।