Dhundhi Ganapati Mantra for Family Peace

ज्ञान व निर्णय लेने की क्षमता बढाने वाले धुंडी गणपति (Dhundhi Ganapati) भगवान गणेश का एक अनूठा स्वरूप है। इनका नाम “धुंडी” शब्द से आया है, जिसका अर्थ है “छोटा पेट”। इस रूप में, भगवान गणेश को एक छोटे से पेट के साथ दर्शाया जाता है, जो उनके दिव्य ज्ञान और बुद्धि के प्रतीक के रूप में माना जाता है।

स्वरूप

धुंडी गणपति, जिन्हें विघ्नहर्ता के रूप में भी जाना जाता है, का स्वरूप अत्यंत मनोहारी और आकर्षक है। धुंडी गणपति की चार भुजाएँ होती हैं, जिनमें वे विभिन्न वस्त्र धारण करते हैं। एक हाथ में वे अंकुश, दूसरे हाथ में पाश, तीसरे हाथ में मोदक (लड्डू) और चौथे हाथ से अभय मुद्रा में आशीर्वाद देते हैं। धुंडी गणपति का वाहन मूषक है, जो उनके पास बैठा रहता है। उनका स्वरूप लाल रंग का होता है, जो ऊर्जा और शक्ति का प्रतीक है।

धुंडी गणपति Mantra का अर्थ

मंत्र:

मंत्र का अर्थ:

  • ” परमात्मा का प्रतीक है।
  • गं” गणपति का बीज मंत्र है।
  • ग्लौं” गणपति के शाक्ति का बीज मंत्र है।
  • धुंडी गणपतये” का अर्थ है धुंडी गणपति को।
  • नमः” का अर्थ है नमन करना या प्रणाम करना।

इस मंत्र का उच्चारण करने से मन की शांति, शत्रुओं से सुरक्षा, और सफलता की प्राप्ति होती है।

जप के लाभ

  1. विवाद मुक्ति: जीवन में आने वाले विवादों से मुक्ति मिलती है।
  2. शत्रु से सुरक्षा: शत्रुओं से सुरक्षा प्राप्त होती है।
  3. ब्यापार तरक्की: व्यापार में उन्नति और सफलता मिलती है।
  4. आर्थिक बाधा: आर्थिक समस्याओं का समाधान होता है।
  5. नौकरी में उन्नति: नौकरी में पदोन्नति और उन्नति मिलती है।
  6. असुरक्षा की भावना: असुरक्षा की भावना से मुक्ति मिलती है।
  7. भय से मुक्ति: भय और डर से छुटकारा मिलता है।
  8. कार्य सिद्धि: सभी कार्यों में सफलता मिलती है।
  9. तंत्र बाधा: तंत्र-मंत्र की बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
  10. आर्थिक बंधन: आर्थिक बंधनों से छुटकारा मिलता है।
  11. क्लेश मुक्ति: जीवन में क्लेश और अशांति से मुक्ति मिलती है।
  12. मानसिक शक्ति: मानसिक शक्ति और धैर्य में वृद्धि होती है।
  13. अध्यात्मिक शक्ति: अध्यात्मिक शक्ति और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
  14. ग्रहस्थ सुख: ग्रहस्थ जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
  15. परिवार में सुख-शांति: परिवार में सुख-शांति और सद्भावना आती है।
  16. विघ्न बाधा: सभी प्रकार की विघ्न बाधाओं का निवारण होता है।
  17. आर्थिक सुरक्षा: आर्थिक सुरक्षा और स्थिरता प्राप्त होती है।
  18. स्वास्थ्य लाभ: स्वास्थ्य में सुधार और रोगों से मुक्ति मिलती है।
  19. योग्यता में वृद्धि: योग्यता और क्षमता में वृद्धि होती है।
  20. आनंदमय जीवन: जीवन में आनंद और प्रसन्नता आती है।

सामग्री

  1. पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर)
  2. गंगाजल
  3. काले तिल
  4. कुशा (एक प्रकार की पवित्र घास)
  5. तुलसी पत्र
  6. केले के पत्ते
  7. फूल
  8. धूप और दीपक
  9. चंदन
  10. अक्षत (चावल)
  11. शुद्ध घी
  12. कपूर
  13. हवन सामग्री
  14. पवित्र धागा (कच्चा सूत)
  15. नारियल
  16. फल
  17. वस्त्र (धोती और अंगवस्त्रम)
  18. ब्राह्मण भोज के लिए अन्न और अन्य सामग्री

जप का समय

  • महुर्त: सुबह के समय ब्रह्म मुहूर्त में पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
  • दिन: गणेश चतुर्थी, मंगलवार, और चतुर्थी तिथि को विशेष रूप से पूजा करना लाभकारी होता है।
  • अवधि: पूजा की अवधि कम से कम 1 घंटे की होनी चाहिए।

जप की विधि

  1. स्नान और शुद्धि: स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें।
  2. स्थान चयन: पूजा के लिए शुद्ध और शांत स्थान का चयन करें।
  3. मंडल तैयार करना: भूमि को पवित्र करके मंडल बनाएं।
  4. देवताओं का आह्वान: पंचदेवों (गणेश, विष्णु, शिव, शक्ति और सूर्य) का आह्वान करें।
  5. संकल्प: अपने दोषों के निवारण के लिए संकल्प लें।
  6. गणपति स्थापना: धुंडी गणपति की प्रतिमा की स्थापना करें।
  7. अभिषेक: पंचामृत और गंगाजल से अभिषेक करें।
  8. मंत्र जाप: धुंडी गणपति मंत्र का जाप करें।
  9. हवन: हवन सामग्री और घी से हवन करें।
  10. ब्राह्मण भोज: ब्राह्मणों को भोजन कराएं और वस्त्र दान करें।
  11. प्रसाद वितरण: पूजा के अंत में प्रसाद वितरण करें।

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सावधानियाँ

  1. शुद्धता का ध्यान रखें: पूजा के दौरान शुद्धता का विशेष ध्यान रखें।
  2. सही विधि का पालन करें: पूजा विधि का सही ढंग से पालन करें।
  3. अनुभवी पंडित का सहयोग लें: पूजा के लिए अनुभवी पंडित की सहायता लें।
  4. ब्राह्मण भोज और दान: ब्राह्मण भोज और दान को विशेष रूप से महत्व दें।
  5. संकल्प में दृढ़ता रखें: संकल्प में दृढ़ता और श्रद्धा रखें।

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धुंडी गणपति मंत्र जप – पृश्न उत्तर

  1. धुंडी गणपति कौन हैं?
    • धुंडी गणपति गणेशजी का एक रूप हैं, जो विशेष रूप से विवाद मुक्ति और शत्रुओं से सुरक्षा के लिए पूजनीय हैं।
  2. धुंडी गणपति मंत्र का क्या अर्थ है?
    • धुंडी गणपति मंत्र का अर्थ है गणेशजी को नमन करते हुए उनकी शक्ति और कृपा की प्राप्ति करना।
  3. धुंडी गणपति की पूजा के क्या लाभ हैं?
    • विवाद मुक्ति, शत्रु से सुरक्षा, व्यापार तरक्की, आर्थिक बाधाओं से मुक्ति, नौकरी में उन्नति, और मानसिक शक्ति की प्राप्ति।
  4. धुंडी गणपति की पूजा किस दिन करनी चाहिए?
    • गणेश चतुर्थी, मंगलवार, और चतुर्थी तिथि को विशेष रूप से पूजा करनी चाहिए।
  5. धुंडी गणपति की पूजा का समय क्या होना चाहिए?
    • सुबह के समय ब्रह्म मुहूर्त में पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
  6. पूजा की सामग्री क्या है?
    • पंचामृत, गंगाजल, काले तिल, कुशा, तुलसी पत्र, केले के पत्ते, फूल, धूप, दीपक, चंदन, अक्षत, शुद्ध घी, कपूर, हवन सामग्री, पवित्र धागा, नारियल, फल, और वस्त्र।
  7. पूजा की विधि क्या है?
    • स्नान, शुद्धि, स्थान चयन, मंडल तैयार करना, देवताओं का आह्वान, संकल्प, गणपति स्थापना, अभिषेक, मंत्र जाप, हवन, ब्राह्मण भोज, और प्रसाद वितरण।
  8. क्या पूजा के दौरान व्रत रखना चाहिए?
    • हाँ, पूजा के दौरान व्रत रखना लाभकारी होता है।
  9. क्या पूजा के बाद विशेष दान करना चाहिए?
    • हाँ, पूजा के बाद दान करना शुभ माना जाता है।
  10. क्या पूजा घर में कर सकते हैं?
    • हाँ, इस पूजा को घर में भी किया जा सकता है, लेकिन स्थान शुद्ध और शांत होना चाहिए।
  11. ब्राह्मण भोज का महत्व क्या है?
    • ब्राह्मण भोज से पित्रों की आत्मा को शांति मिलती है और श्रापित दोष का निवारण होता है।
  12. क्या पूजा के दौरान परिवार के सभी सदस्य उपस्थित होने चाहिए?
    • हाँ, परिवार के सभी सदस्य उपस्थित होने चाहिए ताकि पूजा का पूर्ण लाभ मिल सके।

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