How to perform 2nd shravan vrat for protection

श्रावण का दूसरा सोमवार का व्रत सुरक्षा के लिये प्रमुख माना जाता है और इसे विधिपूर्वक करने से भक्तों को विशेष फल प्राप्त होते हैं। श्रावण मास में भगवान शिव की उपासना का विशेष महत्व होता है। इस मास के प्रत्येक सोमवार को विशेष रूप से शिव जी की आराधना और व्रत का विधान होता है।

श्रावण का दूसरा सोमवार का व्रत विधि

  1. प्रातःकाल उठें और स्नान करें: ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना चाहिए। इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. शिवलिंग की स्थापना: घर के पूजा स्थान में शिवलिंग की स्थापना करें। अगर मंदिर जा सकते हैं तो मंदिर में जाकर पूजा करें।
  3. पूजा सामग्री का प्रबंध: पूजा के लिए जल, दूध, दही, घी, शहद, चीनी, बेलपत्र, धतूरा, आक के फूल, सफेद चंदन, धूप, दीप, फल, मिठाई, गंगा जल, पंचामृत आदि की व्यवस्था करें।
  4. शिव जी का अभिषेक: सबसे पहले शिवलिंग का गंगाजल से अभिषेक करें। इसके बाद दूध, दही, घी, शहद और चीनी मिलाकर पंचामृत से अभिषेक करें।
  5. बेलपत्र और फूल अर्पित करें: शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, आक के फूल अर्पित करें। ध्यान रखें कि बेलपत्र हमेशा उल्टे नहीं चढ़ाने चाहिए।
  6. धूप और दीप जलाएं: शिवलिंग के सामने धूप और दीप जलाएं।
  7. मंत्र जप: “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जप करें। यह जप कम से कम 108 बार करें।
  8. शिव चालीसा का पाठ: शिव चालीसा का पाठ करें और शिव जी की आरती करें।
  9. भोग अर्पित करें: शिव जी को भोग अर्पित करें। भोग में फल, मिठाई या पंचामृत अर्पित करें।
  10. व्रत का संकल्प: पूरे दिन निराहार या फलाहार व्रत करें। संभव हो तो रात में भी केवल फलाहार ही लें।

मंत्र का अर्थ और व्याख्या

मंत्र “ॐ ह्रौं अघोर शिवाय अघोर नमः”

  • ॐ (Om): यह पवित्र ध्वनि है जो ब्रह्माण्ड की अनाहत ध्वनि मानी जाती है। यह ब्रह्म, विष्णु, महेश (त्रिदेव) का प्रतीक है और इसकी ध्वनि में सम्पूर्ण सृष्टि का नाद निहित है।
  • ह्रौं (Hraun): यह बीज मंत्र है जो शिव जी की अघोर शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। यह शक्ति और सुरक्षा प्रदान करता है और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है।
  • अघोर (Aghor): अघोर का अर्थ है जो भयानक नहीं है, जो सरल और सहज है। शिव जी का अघोर रूप सभी भय, अज्ञान और नकारात्मकता को दूर करने वाला है।
  • शिवाय (Shivaya): शिवाय का अर्थ है शिव को, शिव जी के प्रति समर्पण। शिव जो कल्याणकारी हैं, विनाश के देवता होने के साथ-साथ सृजन और संहार दोनों के कारक हैं।
  • अघोर नमः (Aghor Namah): अघोर को नमस्कार, शिव जी के अघोर रूप को प्रणाम।

विस्तृत अर्थ

यह मंत्र भगवान शिव के अघोर रूप की स्तुति करता है, जो सरल, सहज और शांति प्रदान करने वाले हैं। यह मंत्र साधक को नकारात्मकता, भय और अज्ञानता से मुक्त करता है और शक्ति, साहस, और मानसिक शांति प्रदान करता है।

मंत्र का प्रभाव

  1. भय से मुक्ति: इस मंत्र के जाप से सभी प्रकार के भय और नकारात्मकता से मुक्ति मिलती है।
  2. मानसिक शांति: यह मंत्र मानसिक शांति और स्थिरता प्रदान करता है।
  3. शक्ति और साहस: साधक को अद्भुत शक्ति और साहस प्रदान करता है।
  4. आध्यात्मिक उन्नति: यह मंत्र साधक को आध्यात्मिक मार्ग पर अग्रसर करता है।
  5. सकारात्मक ऊर्जा: जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और आनंद का संचार करता है।
  6. सुरक्षा: इस मंत्र के जाप से साधक को भगवान शिव की अघोर शक्ति की सुरक्षा प्राप्त होती है।

इस मंत्र का जाप श्रद्धा और भक्ति के साथ करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि आती है।

Lakshmi vrat

व्रत का महत्व

  1. सुरक्षाः शत्रु, तंत्र बाधा, नौकरी, ब्यवसाय मे सुरक्षा मोलती है
  2. संकल्प शक्ति बढ़ती है: इस व्रत को करने से व्यक्ति की संकल्प शक्ति में वृद्धि होती है।
  3. मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं: श्रद्धा और भक्ति से किए गए व्रत से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
  4. धन और संपत्ति की प्राप्ति: इस व्रत को करने से धन और संपत्ति की प्राप्ति होती है।
  5. संतान सुख: नि:संतान दंपतियों के लिए यह व्रत संतान सुख देने वाला होता है।
  6. स्वास्थ्य लाभ: शिव जी की कृपा से स्वास्थ्य में सुधार होता है और बीमारियों से मुक्ति मिलती है।
  7. वैवाहिक सुख: दांपत्य जीवन में मधुरता आती है और वैवाहिक समस्याओं का समाधान होता है।
  8. शत्रु बाधा से मुक्ति: इस व्रत को करने से शत्रुओं से मुक्ति मिलती है।
  9. आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक साधकों के लिए यह व्रत विशेष फलदायी होता है।

Online store

श्रावण सोमवार व्रत FAQs

  1. श्रावण सोमवार व्रत कैसे करें?
  • श्रावण सोमवार व्रत के लिए प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। शिवलिंग का अभिषेक करें और पूरे दिन निराहार या फलाहार व्रत रखें।
  1. श्रावण सोमवार व्रत का क्या महत्व है?
  • इस व्रत का विशेष महत्व है। इसे करने से संकल्प शक्ति बढ़ती है, मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और धन, संपत्ति, संतान सुख, स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होते हैं।
  1. क्या श्रावण सोमवार व्रत केवल महिलाएं कर सकती हैं?
  • नहीं, यह व्रत पुरुष और महिलाएं दोनों कर सकते हैं।
  1. व्रत के दौरान क्या खा सकते हैं?
  • व्रत के दौरान केवल फलाहार, दूध, दही, और साबूदाने की खिचड़ी जैसी हल्की चीजें खा सकते हैं।
  1. व्रत का समय कब तक होता है?
  • व्रत सूर्योदय से प्रारंभ होकर सूर्यास्त तक किया जाता है। कुछ लोग इसे रात तक भी जारी रखते हैं।
  1. क्या श्रावण सोमवार व्रत में जल पी सकते हैं?
  • हां, जल पी सकते हैं।
  1. श्रावण सोमवार व्रत कितने सोमवारों तक करना चाहिए?
  • श्रावण मास के सभी सोमवारों को यह व्रत किया जाता है।
  1. श्रावण सोमवार व्रत में शिवलिंग का अभिषेक कैसे करें?
  • गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद और चीनी से शिवलिंग का अभिषेक करें।
  1. श्रावण सोमवार व्रत का प्रारंभ किस दिन से करें?
  • श्रावण मास के पहले सोमवार से व्रत का प्रारंभ किया जाता है।
  1. क्या श्रावण सोमवार व्रत करने से विवाह संबंधी समस्याओं का समाधान होता है?
    • हां, इस व्रत को करने से विवाह संबंधी समस्याओं का समाधान होता है।

श्रावण सोमवार व्रत को विधिपूर्वक और श्रद्धा के साथ करने से भगवान शिव की असीम कृपा प्राप्त होती है। भक्तजन इस व्रत को धैर्य और संकल्प के साथ करें और शिव जी का आशीर्वाद प्राप्त करें।

spot_img
spot_img

Related Articles

Stay Connected

65,000FansLike
782,365SubscribersSubscribe
spot_img
spot_img

Latest Articles

spot_img
spot_img
Select your currency