Buy now

spot_img
spot_img

Kurma jayanti- for strong protection

कूर्म जयंती Monday, May 12, 2025 भगवान विष्णु के कूर्म अवतार की स्मृति में मनाई जाती है। यह पर्व वैशाख पूर्णिमा को आता है, जब भगवान ने कछुए का रूप धारण कर समुद्र मंथन में देवताओं की सहायता की थी। इस दिन भक्त विष्णु पूजा, उपवास और दान-पुण्य करते हैं।

मंत्र: “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय कूर्म स्वरूपे नमो नमः” “OM NAMO BHAGAVATE VASUDEVAAY KOORMA SVARUPE NAMO NAMAHA”

मंत्र लाभ

  1. व्यापार में सफलता
  2. धन संपत्ति में वृद्धि
  3. स्वास्थ्य और लम्बी आयु
  4. भय से मुक्ति
  5. परिवार में शांति और समृद्धि
  6. आर्थिक समस्याओं का समाधान
  7. विद्या और बुद्धि की वृद्धि
  8. नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति
  9. कर्ज से मुक्ति
  10. दुर्भाग्य से रक्षा
  11. विवाहित जीवन में सुख और समृद्धि
  12. आत्मिक उन्नति

विधि

  1. पूजा के लिए कुर्म अवतार की मूर्ति या चित्र को सजा कर रखें।
  2. कूर्म जयंती के दिन उषा काल में जागरण करें।
  3. स्नान करके विष्णु और कूर्म जी की पूजा करें।
  4. “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय कूर्म स्वरूपे नमो नमः” मंत्र का जाप करें।
  5. भगवान विष्णु और कूर्म जी को पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, और चादर चढ़ाएं।
  6. इस अवसर पर दान दें और ब्राह्मणों को भोजन कराएं।
  7. अवतार कथा की कथा सुनें और इसका अर्थ समझें।

Kamakhya sadhana shivir

कूर्म जयंती की संपूर्ण कथा

कूर्म अवतार की कथा समुद्र मंथन से जुड़ी है, जिसे देवताओं और असुरों ने मिलकर किया था। उस समय ऋषि दुर्वासा के श्राप के कारण देवताओं की शक्ति कमजोर हो गई थी, और असुरों ने उन्हें हराने का प्रयास किया। देवता बहुत चिंतित थे और अपनी रक्षा के लिए भगवान विष्णु के पास गए।

भगवान विष्णु ने उन्हें समुद्र मंथन करने का सुझाव दिया, जिससे अमृत प्राप्त होगा। यह अमृत देवताओं को अमरता प्रदान करता और उन्हें शक्तिशाली बनाता। मंथन के लिए मंदराचल पर्वत को मथानी के रूप में चुना गया और नाग वासुकी को रस्सी बनाया गया।

जब मंथन शुरू हुआ, तो मंदराचल पर्वत समुद्र की गहराई में डूबने लगा। देवता और असुर, दोनों परेशान हो गए क्योंकि मंथन नहीं हो पा रहा था। तभी भगवान विष्णु ने कूर्म अवतार धारण किया और विशाल कछुए का रूप लिया। उन्होंने अपनी पीठ पर मंदराचल पर्वत को उठाकर स्थिर कर दिया। इससे मंथन सुचारू रूप से प्रारंभ हो गया।

समुद्र मंथन के दौरान 14 प्रकार की अमूल्य वस्तुएं प्राप्त हुईं। इनमें से एक अमृत भी था, जिसे पाने के लिए देवताओं और असुरों के बीच संघर्ष हुआ। अंत में, भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर अमृत को देवताओं में वितरित किया, जिससे उन्हें अमरत्व प्राप्त हुआ। इस प्रकार कूर्म अवतार ने देवताओं की सहायता कर संसार की रक्षा की।

कूर्म अवतार की यह कथा हमें धैर्य, समर्पण और कर्तव्य पालन की शिक्षा देती है।

Online store

कूर्म जयंती सामान्य प्रश्न

1. कूर्म जयंती क्या है?

कूर्म जयंती वह दिन है जब भगवान विष्णु ने अपने कूर्म (कछुए) अवतार में सृष्टि की रक्षा की थी। इसे हिन्दू धर्म में श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।

2. कूर्म अवतार का महत्त्व क्या है?

भगवान विष्णु ने कूर्म अवतार धारण कर समुद्र मंथन में देवताओं की सहायता की थी। उन्होंने मंदराचल पर्वत को अपने कछुए रूप में सहारा दिया था ताकि अमृत प्राप्त हो सके।

3. कूर्म जयंती कब मनाई जाती है?

यह पर्व वैशाख मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है, जो आमतौर पर अप्रैल या मई में आता है।

4. इस दिन किस देवता की पूजा की जाती है?

कूर्म जयंती के दिन भगवान विष्णु के कूर्म अवतार की पूजा की जाती है।

5. कूर्म जयंती का धार्मिक महत्त्व क्या है?

यह दिन भगवान विष्णु के कूर्म अवतार की लीला का स्मरण कराता है और हमें यह सिखाता है कि हर परिस्थिति में धैर्य और समर्पण जरूरी हैं।

6. इस दिन कौन से व्रत या उपवास किए जाते हैं?

कूर्म जयंती के दिन विष्णु भक्त उपवास रखते हैं और भगवान विष्णु की विशेष पूजा करते हैं।

7. कूर्म जयंती पर क्या करना शुभ माना जाता है?

इस दिन भगवान विष्णु के कूर्म अवतार का ध्यान, मंत्र जाप, और उपवास करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

8. कूर्म जयंती के दिन कौन सा मंत्र जपना चाहिए?

कूर्म जयंती पर “ॐ कूर्माय नमः” मंत्र का जाप विशेष फलदायी माना जाता है।

9. क्या इस दिन विशेष प्रकार का भोग लगाया जाता है?

इस दिन भगवान विष्णु को विशेष रूप से तामसिक वस्तुएं छोड़कर सात्विक भोग जैसे फल, मिठाई, और तुलसी के पत्ते अर्पित किए जाते हैं।

10. कूर्म अवतार से जुड़ी प्रमुख कथा क्या है?

समुद्र मंथन की कथा कूर्म अवतार से जुड़ी है, जिसमें भगवान विष्णु ने कछुए का रूप धारण कर मंदराचल पर्वत को अपनी पीठ पर टिकाया था।

11. इस दिन विशेष पूजा विधि क्या है?

इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ और कूर्म अवतार की मूर्ति का अभिषेक करना लाभकारी होता है।

12. क्या इस दिन कोई विशेष वस्त्र धारण करना चाहिए?

सफेद और पीले रंग के वस्त्र पहनना कूर्म जयंती पर शुभ माना जाता है, क्योंकि यह रंग भगवान विष्णु के प्रिय हैं।

13. इस दिन के व्रत का क्या फल मिलता है?

कूर्म जयंती का व्रत करने से जीवन में धैर्य, शांति, और सफलता मिलती है। इसके साथ ही विष्णु भक्तों को भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

14. क्या कूर्म जयंती का कोई ज्योतिषीय महत्त्व है?

यह दिन विशेष रूप से धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण होता है, क्योंकि इस दिन की पूजा से गृह दोषों का निवारण होता है।

15. क्या इस दिन कोई विशेष कर्मकांड किया जाता है?

इस दिन विष्णु पूजा के साथ-साथ गरीबों को अन्न दान, जल दान, और वस्त्र दान करना अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है।

BOOK RUDRABHISHEK PUJAN ON MAHA SHIVRATRI

Please enable JavaScript in your browser to complete this form.
Choose Pujan Option
spot_img
spot_img

Related Articles

65,000FansLike
500FollowersFollow
782,534SubscribersSubscribe
spot_img
spot_img

Latest Articles

spot_img
spot_img
Select your currency